शारदीय नवरात्रि आज से शुरू, जानिए...कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
03-Oct-2024 2:48:37 pm
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- नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री को लगाएं ये भोग
हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन नवरात्रि को बहुत ही खास माना गया है। आश्विन माह में पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जो कि आज यानी 3 अक्टूबर दिन गुरुवार से आरंभ हो चुकी है और इसका समापन 11 अक्टूबर को हो जाएगा।
नवरात्रि का प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना को समर्पित होता है। इस दिन भक्त देवी साधना में लीन रहते हैं इसी के साथ ही नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना भी की जाती है, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
नवरात्रि की तारीख और कलश स्थापना का मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को 12 बजकर 18 मिनट से आरंभ हो चुकी है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी की 4 अक्टूबर को सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 3 अक्टूबर दिन गुरुवार यानी आज से हो रहा है।
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने के लिए दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। कलश स्थापना के लिए पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 7 बजकर 22 मिनट तक है। कलश स्थापना के लिए भक्तों को 1 घंटा 6 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है। वही दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर में अभिजीत मुहूर्त में बन रहा है। यह मुहूर्त सबसे शुभ माना जा रहा है। जो दिन में 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट के बीच का है इस मुहूर्त में भक्त कलश की स्थापना कर सकते हैं दोपहर में भक्तों को कलश स्थापना के लिए 47 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है।
नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री को लगाएं ये भोग-
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को दूध और चावल से बनी खीर का भोग भी जरूर लगाएं। इसके अलावा देवी मां को दूध से बनी सफेद मिठाइयां भी अर्पित कर सकते हैं। माता के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री को सफेद रंग के फूल अर्पित करें।
मां शैलपुत्री का स्वरूप-
माता शैलपुत्री की मनमोहक रूप की बात करें तो देवी मां ने सफेद रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं। मां शैलपुत्री की सवारी वृषभ यानी बैल पर हैं। मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है, जबकि मां के बाएं हाथ में कमल का फूल है। वहीं मां शैलपुत्री की सवारी बैल है। मां शैलपुत्री का यह रूप अत्यंत ही दिव्य है। मान्यताओं के अनुसार, माता शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्रमा के बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं।