धर्म समाज

अष्टमी पूजन शुक्रवार को 12 बजे तक, उसके बाद महा नवमी

  • जानिए कन्या पूजन का मुहूर्त...
आदिशक्ति की आराधना के पर्व पर अष्टमी व नवमी को हवन-पूजन, कन्या भोज व भंडारा किया जाता है। कुछ परिवारों में अष्टमी पूजन की परंपरा तो कुछ परिवार नवमी के दिन हवन-पूजन कर नौ दिन के व्रत का पारण कर सकते हैं।
इस वर्ष शारदीय नवरात्र में अष्टमी व नवमी एक ही दिन शुक्रवार 11 अक्टूबर को पड़ेगी। इसलिए दोपहर साढ़े बारह बजे तक अष्टमी का पूजन और उसके बाद नवमी का पूजन किया जा सकता है।
इन दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के साथ ही कन्या पूजन भी किया जाता है। मान्यता है कि कन्या भोज कराने से जीवन में भय, विघ्न और शत्रुओं का नाश होता है और समाज में भी नारी शक्ति को सम्मान मिलता है।
कन्या पूजन का मुहूर्त-
ऐसे में आप 11 अक्टूबर को मां महागौरी और देवी सिद्धिदात्री की पूजा कर सकते हैं। इस दौरान अष्टमी को कन्या पूजन करने वाले लोग 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर छह मिनिट तक कन्या भोज कर सकते हैं। जबकि दोपहर 12 बजकर छह मिनट के बाद से नवमी के दिन व्रत का पारण करने वाले लोग कन्या पूजन कर सकते हैं।
कन्या पूजन करने की विधि-
नवरात्रि में कन्याओं का पूजन करने के लिए सबसे पहले जल से उनके पैर धोएं। फिर साफ आसन पर उन्हें बैठाएं।
इसके बाद खीर, पूरी, चने, हलवा आदि सात्विक भोजन की थाली तैयार करें। थाली माता के दरबार में रखें, भोग लगाएं।
सभी कन्याओं को टीका लगाएं और कलाई पर रक्षा सूत्र बांधें। उन्हें लाल चुनरी पहनायें, फिर उन्हें भोजन कराएं।
उनकी थाली में फल और दक्षिणा रख दें। कन्याओं को श्रद्धा अनुसार गिफ्ट दें तथा अंत में उनका आशीर्वाद लें।

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