धर्म समाज

बागेश्वर बाबा भक्तों से बोले~ रामराज से भरा हिन्दुस्तान चाहिए

यूपी। प्रतापगढ़ के रामपुर खागल में चल रही जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की कथा के अंतिम दिन पहुंचे बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि लोग उनसे पूछते हैं कि बाबा जगह-जगह जाते हो, चिल्लाते हो, आखिर आप चाहते क्या हो। उन्होंने कहा ..भैया मुझे मंदिरों में भीड़, सड़कों पर तूफान और रामराज से भरा हिन्दुस्तान चाहिए।
चित्रकूट के श्रीतुलसी पीठ सेवा न्यास के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास के पैतृक गांव रामपुर खागल में आयोजित भागवत कथा में हेलीकॉप्टर से पहुंचे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हिंदू अब जगने लगा है। जात-पात से ऊपर उठने लगा है। एक पहलवान की कहानी का उल्लेख करते हुए बताया कि उसे एक लकड़ी तोड़ने के लिए दी गई तो उसने आसानी से तोड़ दिया। दो लकड़ी दी गई तो भी तोड़ दिया। तीन लकड़ी दी गई तो भी थोड़ी मुश्किल से तोड़ दिया। लेकिन जब 10 लकड़ी एक साथ दी गई तो उसे तोड़ने में उसकी नानी मर गई। इसी तरह अगर हम जातियों में बंटे रहे तो धर्म विरोधी हमें तोड़ देंगे। अगर दो-दो रहे तो भी हमें तोड़ देंगे, लेकिन अगर सब हिंदू एक रहेंगे तो कोई नहीं तोड़ सकेगा।
उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में दो चौपाइयां हैं। जिनमें एक है.. पुण्य पुंज बिनु मिलहि न संता.. और दूसरी है ..बिन हरि कृपा मिलहि नहि संता..। कहा कि किसी ने बाबा तुलसीदासजी से पूछा कि मुझे संत तो मिल गए हैं। अब हम निर्णय कैसे करें कि प्रभु की कृपा से मिले या पुण्य उदय के कारण। इस पर तुलसीदासजी ने कहा कि बेटा जब तुम चल कर संत के पास जाना तो समझना पुण्य का उदय हुआ है। जब संत चलकर तुम्हारे पास आवे तो समझना भगवान की कृपा हुई है।
कहा कि पूज्य स्वामी रामभद्राचार्य की छत्रछाया में भारत के सभी संत महात्मा ललकार रहे हैं कि अब धर्म विरोधियों की ठटरी बांधी जाएगी। इसी का परिणाम है कि रामपुर खागल में हमें सभी संतों के दर्शन हो रहे हैं। हजारों की भीड़ और संतों का समागम देखकर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि कुम्भ का मेला प्रयागराज में 2025 में लगना था, लेकिन पूज्य गुरुदेव रामभद्राचार्यजी की कृपा से कुम्भ की झलक 2024 में ही रामपुर खागल में देखने को मिल रही है।
बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की एक झलक देखने को भारी भीड़ उमड़ पड़ी। लोग विद्युत टावर के साथ ही पंडाल की बैरिकेडिंग पर चढ़ गए। उनके आने के बाद तो पंडाल गेट पर ऐसी भीड़ उमड़ी कि मुख्य गेट पर तलाशी व्यवस्था ध्वस्त हो गई। लोग उनके हेलीपैड से पंडाल तक पैदल जाने की उम्मीद लगाए थे लेकिन उनके कार में बैठते ही भीड़ करीब जाने लगी। वह हेलीपैड से कथास्थल के बजाए जगद्गुरु रामभद्राचार्य के पास चले गए। बाद में उनके साथ कथा स्थल पर लौटे तो भीड़ उनकी एक झलक के लिए बेताब रही।

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