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धनतेरस के दिन ही क्यों मनाया जाता है आयुर्वेद दिवस?

आयुर्वेद का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है. इस शब्द का अर्थ ‘जीवन का विज्ञान’ होता है जो न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी समर्पित है आयुर्वेद न केवल रोगों के उपचार पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने का तरीका भी सिखाता है. हर साल धनतेरस वाले दिन आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है. आयुर्वेद में बीमारियों का न सिर्फ इलाज किया जाता है, बल्कि रोग के मुख्य कारणों की पहचान करके उसे दूर करने का भी प्रयास किया जाता है. इसमें औषधियों का उपयोग, डाइट, योग और ध्यान केंद्रित करने जैसी चीजें शामिल होती हैं. आयुर्वेद में तीन प्रमुख दोष वात, पित्त, और कफ के सिद्धांत पर आधारित है. यह शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है.हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस बार यह पर्व 29 अक्टूबर यानी का आज के दिन मनाया जा रहा है. इसी के साथ आज नेशनल आयुर्वेद दिवस भी है. लेकिन हर साल इस दिन पर आर्युवेद दिवस मनाने के पीछे क्या वजह है आइए जानते हैं इसके बारे में-
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस-
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हर साल धनतेरस वाले दिन मनाया जाता है क्योंकि इस दिन को भारत और दुनिया भर में चिकित्सा के हिंदू देवता धन्वंतरि के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. मान्यताओं के मुताबिक भगवान धन्वंतरिको आयुर्वेद के देवता का कहा जाता है.
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का इतिहास-
2016 में भारत सरकार मंत्रालय ने भगवान धन्वंतरिकी जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाए जाने को घोषणा की थी. पहले आयुर्वेद दिवस 28 अक्टूबर 2016 को मनाया गया था. तब से अब तक हर साल भगवान धन्वंतरि जयंती और धनतेरस वाले दिन राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है.
इस बार की थीम-
29 अक्टूबर यानी की आज 9वां आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है. हर साल इसके अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है. इस बार वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार पर आधारित थीम पर मनाया जा रहा है. इस अवसर पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जैसे कि कॉलेज, अस्पताल और शिक्षण संस्थान फ्री स्वास्थ्य शिविर लगाते हैं. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद को बढ़ावा देना है.

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