बुध प्रदोष व्रत आज, शुभ मुहूर्त में करें महादेव की पूजा
13-Nov-2024 12:34:29 pm
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- मिलेगी विशेष कृपा
बुध प्रदोष व्रत : नवंबर माह का पहला प्रदोष व्रत 13 नवंबर यानी आज मनाया जा रहा है सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन प्रदोष व्रत को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार पड़ता है। यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है इस दिन भक्त शिव की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास आदि भी रखते हैं बुधवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण ही इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है तो आज हम आपको पूजा का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है जो कि इस बार 13 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट से आरंभ हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी की 14 नवंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर हो जाएगा। वही उदया तिथि के अनुसार इस बार नवंबर का पहला प्रदोष व्रत 13 नवंबर दिन बुधवार को किया जाएगा। बुधवार के दिन प्रदोष पड़ने के कारण ही इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा है।
बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त-
नवंबर माह का पहला प्रदोष व्रत यानी बुध प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 13 नवंबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 7 मिनट तक है। ऐसे में बुध प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में पूजा करने के लिए साधक को 2 घंटे 38 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है।
बुध प्रदोष व्रत पूजा विधि-
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ- सुथरे वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प ले लें। सबसे पहले मंदिर जाकर या फिर घर पर शिवलिंग की पूजा करें। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, गंगाजल, पंचामृत चढ़ाने के साथ बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल, फल, गन्ना, आदि चढ़ाने के साथ भोग लगाएं और घी का दीपक जला लें। प्रदोष काल में शिव जी की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी यानी वेदी में साफ वस्त्र बिछाकर शिव जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान को जल चढ़ाने के साथ फूल, माला, सफेद चंदन, अक्षत, बेलपत्र आदि चढ़ाने के साथ भोग लगाएं। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर शिव मंत्र, शिव चालीसा, प्रदोष व्रत कथा, मंत्र करके अंत में आरती कर लें। फिर भूल चूक के लिए माफी मांग लें। दिनभर व्रत रखने के बाद पारण के मुहूर्त पर व्रत खोल लें।