आज महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है. आज लोग अपने घरों में गणपति बप्पा का हर्षोल्लास के साथ आगमन का स्वागत करेंगे. इसके लिए पूजा स्थान और पंडालों को भव्य रूप से सजाया गया है. हिंदू कैलेडर के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था. उनके जन्म से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं. आज जिन लोगों को गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करनी है, उन्हें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानना जरूरी है. साथ ही आज के दिन चंद्रमा न देखें, वरना यह आपके लिए शुभ हो सकता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट हमें बता रहे हैं गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.
गणेश चतुर्थी तिथि 2022
30 अगस्त को दोपहर 03:34 पीएम पर भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि प्रारंभ हुई है और आज यह दोपहर 03:23 पीएम तक मान्य रहेगी.
गणेश स्थापना मुहूर्त 2022
दिन का चौघड़िया मुहूर्त
लाभ: उन्नति — सुबह 05:58 एएम से सुबह 07:34 एएम, 05:08 पीएम से 06:44 पीएम
अमृत: सर्वोत्तम — सुबह 07:34 एएम से सुबह 09:10 एएम तक
चर: सामान्य — सुबह 09:10 एएम से सुबह 10:46 एएम तक
शुभ: उत्तम — सुबह 10:46 एएम से दोपहर 12:21 पीएम तक
गणेश चतुर्थी के योग और संयोग
रवि योग: आज सुबह 05:58 एएम से देर रात 12:12 एएम तक
शुभ योग: प्रात: काल से पूरे दिन
गणेश जी का जन्म योग: आज भी बुधवार दिन है. गणेश जी के जन्म समय के दिन भी बुधवार था.
गणेश चतुर्थी 2022 चंद्रोदय समय
आज सुबह 09:26 एएम पर और चंद्रास्त रात 09:11 पीएम तक
गणेश स्थापना और पूजन विधि
1. सबसे पहले पूजा स्थान की साफ सफाई कर लें और उसकी सजावट कर लें. फिर गणपति बप्पा को लेकर आएं.
2. गणपति बप्पा को एक चौकी पर स्थापित करें. उस पर एक पीले या लाल रंग का कपड़ा बिछा लें. फिर नीचे दिए मंत्र से बप्पा का आह्वान और स्थापना करें.
अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च।
श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।।
3. अब गणेश जी का पंचामृत स्नान करएं और वस्त्र अर्पित करें. फिर उनको फूल, अक्षत्, चंदन, दूर्वा, जनेऊ, पान का पत्ता, सुपारी, सिंदूर, फल आदि चढ़ाएं. उनको मोदक, केला आदि का भोग लगाएं. इस दौरान आप नीचे दिए मंत्र पढ़ें.
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
4. अब गणेश चालीसा का पाठ करें और गणेश जी की आरती करें. जो लोग व्रत हैं, वे गणेश जी की जन्म कथा या व्रत कथा को सुनें. दिनभर भक्ति भजन और रात्रि जागरण करें. अगले दिन सुबह पारण करके व्रत को पूरा करें.