दुनिया-जगत

भारत में DCGI ने कोर्बेवैक्स वैक्सीन को दी आपात इस्तेमाल की मंजूरी

देश में बनी तीसरी स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोर्बेवैक्स के भी इमरजेंसी यूज की मंजूरी मिल गई है। इस वैक्सीन को हैदराबाद की फार्मास्युटिकल कंपनी बायोलॉजिकल-ई लिमिटेड ने तैयार किया है। खास बात यह है कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इस वैक्सीन की 12 से 18 साल तक की उम्र वाले बच्चों को लगाने की अनुमति दे दी है। इससे देश में 12 से 14 साल तक के बच्चों का वैक्सीनेशन भी जल्द ही शुरू होने की राह साफ हो गई है। फिलहाल देश में 15 से 18 साल तक की उम्र के बच्चों को भारत बायोटेक कंपनी की Covaxin लगाई जा रही है। कोर्बेवैक्स प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है। यह प्रोटीन बेस्ड देश की पहली और देश में ही डेवलप की गई तीसरी कोरोना वैक्सीन है।

प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन का मतलब है कि ये पूरे वायरस के बजाय उसके एक हिस्से का इस्तेमाल कर इम्यून रिस्पॉन्स जेनरेट करती है। कंपनी ने इस वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के दौरान 80% तक कारगर रहने का दावा किया है। इस वैक्सीन में कोरोना वायरस के ही S प्रोटीन का इस्तेमाल होता है। जैसे ही वैक्सीन के जरिए ये S प्रोटीन बॉडी में एंटर करता है बॉडी का इम्यून सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है। इस वैक्सीन को बायोलॉजिकल ई ने टेक्सस चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के टीका विकास केंद्र के साथ मिलकर बनाया है।

बायोलॉजिकल ई ने देशभर की 33 से ज्यादा साइट पर 3 हजार से ज्यादा लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया है। ट्रायल के नतीजों में सामने आया है कि डेल्टा स्ट्रेन के खिलाफ सिम्पटमैटिक इंफेक्शन रोकने में वैक्सीन 80% से ज्यादा कारगर है। यह वैक्सीन दो डोज में आएगी और 2 से 8 डिग्री सेल्सियस रेफ्रिजिरेटेड तापमान पर स्टोर की जा सकेगी।
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यूक्रेन के नेताओं की किलर लिस्ट बना रहे रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन

यूक्रेन को लेकर जंग जैसे हालात के बीच अमेरिका खुफिया एजेंसियों ने बड़ा दावा किया है। अमेरिकी जासूसों को जानकारी मिली है कि यूक्रेन पर कब्‍जा करने के बाद रूस वहां मौजूद मास्‍को विरोधी नेताओं को निशाना बनाने की बड़ी योजना बना रहा है। इसके अलावा रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के निशाने पर भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मुहीम चलाने वाले कार्यकर्ता, निर्वासन में रह रहे बेलारूस और रूस के विद्रोही भी हैं। रूस या तो इनकी हत्‍या कर सकता है या फिर उन्‍हें अरेस्‍ट कर सकता है।
 
अमेरिका ने यह चेतावनी ऐसे समय पर दी है जब राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है। इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटीन ब्लिंकन ने संयुक्‍त राष्‍ट्र में दिए अपने भाषण में संकेत दिया था कि रूस अपने राजनीतिक विरोधियों को अरेस्‍ट करके या फिर उनकी हत्‍या करके उन्‍हें निशाना बनाएगा। ब्लिंकन ने कहा था, 'हमारे पास सूचना है कि रूस यूक्रेन के विशेष समूहों को निशाना बनाएगा।'
 
अमेरिका ने अपनी खुफिया सूचना को यूक्रेन और इलाके के अन्‍य सहयोगी देशों को साझा किया है। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें 'यकीन' है कि रूस के राष्ट्रपति ने आने वाले वक्त में यूक्रेन पर आक्रमण करने का निर्णय लिया है। बाइडन ने कहा कि उनके पास 'यह मानने के कारण हैं' कि 'आने वाले दिनों' में ऐसा होगा और राजधानी कीव पर भी हमले होंगे। शुक्रवार को संघर्षरत क्षेत्र में एक काफिले पर गोलीबारी हुई और रूस समर्थित विद्रोहियों ने नागरिकों को वहां से निकाला। यूक्रेन के पूर्वी दोनेत्स्क शहर में एक कार पर बमबारी हुई लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। इससे पहले अमेरिका लगातार यह कह रहा था कि वह पुख्ता तौर पर नहीं कह सकता कि पुतिन ने बड़े पैमाने पर आक्रमण करने का अंतिम निर्णय ले लिया है।
 
 
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पीएम मोदी से मिला अफगानिस्तान अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधिमंडल, जताया आभार

झूठा सच @ रायपुर / नई दिल्ली :-  अफगानिस्तान में जुल्मों का शिकार होकर भारत आए हिंदू और सिख समुदाय के लोगों के दल ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. उन्होंने बुरे वक्त में भारतीय मूल के अफगानी नागरिकों की मदद करने के लिए प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा किया. प्रतिनिधिमंडल ने अफगान के अल्पसंख्यकों का कल्याण सुनिश्चित करने और तालिबान के कब्जे के बाद उन्हें शरण देने के लिए पीएम का आभार जताया. इस दौरान 2020 में तालिबान द्वार अगवा किए गए अफगान नागरिक निदान सिंह सचदेवा भी मौजूद रहे.
 
पीएम से मुलाकात करने वाले लोगों में गुलजीत सिंह, हरभजन सिंह, डॉ. रघुनाथ कोचर अफगान मूल के भारतीय व्यवसायी बंसरी लाल अरेन्दे शामिल थे. इनका पिछले साल की शुरुआत में अफगानिस्तान में अपहरण कर लिया गया था. बैठक में ज्यादातर अफगान मूल के ऐसे हिंदू और सिख शामिल हुए, जो पिछले 2 दशकों में भारत आए हैं. इनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें हाल ही में अफगानिस्तान से लाया गया है.
पीएम मोदी के अलावा दल में शामिल लोगों ने वर्ल्ड पंजाबी ऑर्गनाइजेशन, मंदीप सिंह सोबती फाउंडेशन और पुनीत सिंह चंडोक इंडियन वर्ल्ड फोरम सहित कई भारतीय संगठनों को बधाई दी. इन संगठनों ने अफगान नागरिक निदान सिंह सचदेवा के पुनर्वास के लिए लिए काफी काम किया था.
 
अफगानी सिख-हिंदुओं की मांग?
1. नागरिकता और ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया प्रदान किया जाए.
2. वीजा, आवासीय परमिट और निकास परमिट देने की गुजारिश.
3. संपत्ति और अफगानिस्तान के गुरुद्वारों और मंदिरों का रखरखाव और सुरक्षा की अपील.
4. अफगान अल्पसंख्यक शरणार्थियों का पुनर्वास की अपील.
5. सरकारी नौकरियों में अफगान हिंदुओं और सिखों के लिए नौकरियों में छूट देने की मांग.
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यूनिस तूफान से घिरे यूरोप के कई देश, 9 लोगों की मौत, 436 फ्लाइट रद्द

यूरोप में यूनिस नाम के तूफान का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. शुक्रवार को 122 मील प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती रहीं. जिसके चलते लंदन में कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई. हजारों घरों की बिजली चली गई और घरों की छतें उड़ गईं. ब्रिटेन  के मौसम विज्ञान कार्यालय ने कहा कि तूफान यूनिस मध्य अटलांटिक में पैदा हुआ था और तेजी से यूरोप की ओर बढ़ता गया. इसने लोगों के जीवन को खतरा पैदा कर दिया है. तूफान की चपेट में पश्चिमी इंग्लैंड भी आया. इसने कॉर्नवाल में लैंडफॉल किया, जहां समुद्र की लहरें काफी ऊंची उठने लगीं.
लंदन में एक महिला की मौत हो गई. वो अपनी गाड़ी से यात्रा कर रही थी, जिसपर एक पेड़ गिर गया. जबकि हवा में उड़ते कचरे की वजह से लिवरपूल में एक शख्स की मौत हो गई. एक अन्य व्यक्ति की हेमिस्फीयर में मौत हो गई. उसका वाहन जमीन पर पड़े पेड़ से टकरा गया था. ब्रिटेन के अलावा नीदरलैंड में भी तूफान का कहर देखने को मिल रहा है. यहां पेड़ गिरने से चार लोगों की मौत हो गई. बेल्जियम में भी तेज हवाओं के कारण घरों की छत उड़ गईं. नाव के पानी में पटलने से एक ब्रिटिश व्यक्ति की मौत हो गई.
 
तूफान के कचरे को साफ करते हुए जमीन पर पड़े एक पेड़ में फंसने से आयरलैंड में एक व्यक्ति ने अपनी जान गंवा दी. लंदन के ओ2 एरेना में तेज हवाओं ने काफी नुकसान पहुंचाया. वेल्स में समुद्र की लहरें काफी ऊंची उठने लगीं. करीब 100,000 लोगों को बिना बिजली के रहने के लिए मजबूर होना पड़ा. यहां से भी पेड़ उखड़ने की खबर आईं. लंदन में रेड अलर्ट जारी किया गया है. यहां मौसम विभाग के अधिकारी फ्रैंक सैंडर्स ने कहा, 'हम तभी मौसम से जुड़ा रेड अलर्ट जारी करते हैं, जब हमें लगता है कि मौसम की वजह से लोगों की जान का खतरा है.'
 
मौसम विभाग ने कहा कि आइल ऑफ वाइट पर द नीडल्स में हवा की रफ्तार 122 मील प्रति घंटा (196 किलोमीटर प्रति घंटे) दर्ज की गई है, जो कि इंग्लैंड में अब तक की सबसे शक्तिशाली हवा की रफ्तार है. कुछ ब्रिटिश हवाईअड्डों पर हवा के झोंकों के कारण विमानों को उड़ने में दिक्कतें आईं. पायलटों को लैंडिंग करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ा है. हीथ्रो हवाईअड्डे के रनवे की एक लाइव स्ट्रीम को 200,000 से अधिक लोगों ने ऑनलाइन देखा. सिरियम के आंकड़ों के अनुसार, तूफान यूनिस के कारण रिकॉर्ड गति से चलने वाली हवाओं के बीच ब्रिटेन में कुल 436 उड़ानें रद्द कर दी गई हैं. इसके साथ ही ट्रेन भी रद्द की गई हैं |
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रूस - यूक्रेन का तनाव भारत पर भी डाल सकता है असर

दुनिया भर की निगाहें यूक्रेन-रूस बॉर्डर पर लगी हुई हैं. दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव बढ़ने से दुनिया के ऊपर तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. अब इस जंग का जोखिम सिर्फ पूर्वी यूरोप  तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अमेरिका और भारत  तक इसकी आंच में झुलसने लगे हैं. दुनिया भर के शेयर बाजारों में चौतरफा बिकवाली का आलम है. इस तनाव से भारत की इकोनॉमी और ट्रेड को ठीक-ठाक नुकसान हो सकता है.
 
भारत में यूक्रेन के दूतावास की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2020 में दोनों देशों के बीच 2.69 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था. इसमें यूक्रेन ने भारत को 1.97 बिलियन डॉलर का निर्यात  किया, जबकि भारत ने यूक्रेन को 721.54 मिलियन डॉलर का निर्यात किया. यूक्रेन भारत को खाने वाले तेल , खाद समेत न्यूक्लियर रिएक्टर और बॉयलर जैसी जरूरी मशीनरी एक्सपोर्ट करता है. वहीं यूक्रेन भारत से दवाएं और इलेक्ट्रिकल मशीनरी खरीदता है.
 
ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में भारत ने यूक्रेन से 1.45 बिलियन डॉलर के खाने वाले तेल की खरीद की. इसी तरह भारत ने यूक्रेन से करीब 210 मिलियन डॉलर का खाद और करीब 103 मिलियन डॉलर का न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर मंगाया. न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर के मामले में भारत के लिए रूस के बाद यूक्रेन सबसे बड़े सप्लायर में से एक है. इसकी आपूर्ति में बाधा आने से न्यूक्लियर एनर्जी पर भारत का काम धीमा हो सकता है.

पिछले कुछ साल से दोनों देशों के बीच व्यापार के ट्रेंड को देखें तो यह रूस के साथ संबंधों के हिसाब से घटता-बढ़ता रहा है. साल 2014 में क्रीमिया को लेकर यूक्रेन और रूस के बीच तनाव बढ़ने से पहले दोनों देशों का आपसी व्यापार 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा का था. तनाव के बाद 2015 में यह महज 1.8 बिलियन डॉलर पर आ गया था. बाद में यूक्रेन के साथ आपसी व्यापार कुछ सुधरा भी, लेकिन अभी भी यह पुराने स्तर तक नहीं पहुंच पाया है. अभी तनाव पुन: बढ़ जाने के चलते इस व्यापार के फिर से गिरने का रिस्क है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवं सामरिक मामलों के एक्सपर्ट डॉ सुधीर सिंह  कहते हैं कि इस विवाद से भारत के लिए कूटनीतिक परेशानियां खड़ी हो सकती हैं. तनाव अधिक बढ़ जाने और व्यापक युद्ध की स्थिति बन जाने पर भारत को अपना स्टैंड लेना होगा. ऐसे में अमेरिका या रूस में से किसी का भी पक्ष लेना दूरगामी प्रभाव डाल सकता है. इस संकट से भारत को परेशानी हो रही है, जो सुरक्षा परिषद की वोटिंग में भारत के स्टैंड से साफ पता चलता है.
 
आर्थिक तौर पर भी भारत के सामने चुनौतियां सामने आ सकती हैं. भारत कच्चा तेल के मामले में आयात पर काफी निर्भर है और रूस प्रमुख सप्लायर में से एक है. कच्चा तेल का भाव बढ़ेगा तो आयात का बिल बढ़ने के साथ ही घरेलू स्तर पर महंगाई का दबाव बढ़ने का खतरा रहेगा. इसके अलावा यूक्रेन में काफी संख्या में भारतीय विद्यार्थी मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. जंग शुरू होने पर उनकी सुरक्षा की चिंता भी भारत के सामने है | 
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ट्रक वालों ने कर दिया नाक में दम, देश में इमरजेंसी लागू करने की घोषणा

कनाडा में कोरोना वैक्सीनेशन को अनिवार्य किए जाने के बाद शुरू हुआ प्रदर्शन उग्र होते जा रहा है. ट्रक डाइवर्स ने राजधानी में जगह-जगह ट्रॉली खड़ी कर नाकेबंदी कर दी है. इससे स्थानीय लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ा रहा है. ऐसे में तनावग्रस्त हालात को देखते हुए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने देश में इमरजेंसी लागू करने की घोषणा की है.

बता दें कि कनाडा सरकार की तरफ से वैक्सीनेशन अनिवार्य कर दिया गया था. ऐसे में सैकड़ों की तादाद में ट्रक ड्राइवर्स ट्रकों के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे राजधानी ओटावा के कई इलाके जाम हो गए हैं. इस दौरान प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. ऐसे में उन्होंने इमरजेंसी एक्ट लागू करने की घोषणा की.

पीएम का कहना है कि इस प्रदर्शन से देश के कुछ सीमा और राजधानी के कुछ हिस्से बंद हो गए हैं. ऐसे में शायद ही कभी इस्तेमाल की गईं इमरजेंसी शक्तियों को लागू कर रहे हैं. इससे सरकार की तरफ से मिलने वाली वित्तीय मदद में भी कटौती होगी. इन विरोध-प्रदर्शनों से अर्थव्यवस्था और विश्वसनीय व्यापारिक भागीदार के रूप में कनाडा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा हैं |
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तालिबान ने हिरासत में लिए गए यूएन कर्मचारियों को किया रिहा

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय (यूएनएचसीआर) ने शुक्रवार को कहा कि तालिबान ने शरणार्थी एजेंसी के साथ काम करने वाले दो विदेशी पत्रकारों और सहायता संगठन के कई अफगान कर्मचारियों को राजधानी काबुलमें उनकी नजर बंदी के बारे में खबर आने के कुछ घंटे बाद रिहा कर दिया है. तालिबान द्वारा नियुक्त संस्कृति और सूचना उप मंत्री जबीहुल्ला मुजाहिद के एक ट्वीट के बाद यह घोषणा की गई.
 
मुजाहिद ने कहा कि उन्हें हिरासत में इसलिए लिया गया था क्योंकि उनके पास ऐसे दस्तावेज नहीं थे जो उनके यूएनएचसीआर के कर्मचारी होने की पुष्टि करते हो. मुजाहिद ने कहा कि उनकी पहचान की पुष्टि होने के बाद उन्हें मुक्त कर दिया गया. जिनेवा स्थित संगठन ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, 'हम यूएनएचसीआर के साथ काम करने वाले दो पत्रकारों और उनके साथ काम कर रहे अफगान नागरिकों की काबुल में रिहाई की पुष्टि करते हुए राहत महसूस कर रहे हैं. हम उन सभी के आभारी हैं, जिन्होंने चिंता व्यक्त की और मदद की पेशकश की। हम अफगानिस्तान के लोगों के लिए प्रतिबद्ध हैं.'
 
काबुल में यह घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें वादा किया गया है कि अमेरिका में जब्त अफगानिस्तान की सात अरब डॉलर की संपत्ति में से 3.5 अरब डॉलर राशि को अमेरिका के 9/11 पीड़ितों के परिवारों को दिया जाएगा. अन्य 3.5 अरब डॉलर अफगान सहायता के लिए जारी किए जाएंगे. यह आदेश अमेरिकी वित्तीय संस्थानों को मानवीय समूहों को धन देने की सुविधा देगा, जिसे सीधे अफगान लोगों को दिया जाएगा.
 
तालिबान ने अफगानिस्तान पर बीते साल 15 अगस्त वाले दिन कब्जा कर लिया था. इसी दिन पश्चिम समर्थित सरकार भी गिर गई. जिसके बाद से यहां तानाशाही जारी है. तालिबान ने सत्ता हाथ में आते ही महिलाओं से उनके अधिकार छील लिए. लड़कियों के स्कूल में प्रवेश पर रोक लगा दी. इसके बाद महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर खूब विरोध प्रदर्शन भी किया. बड़ी संख्या में लोगों ने देश छोड़ दिया है. जो रह रहे हैं, वह भी तालिबान के खौफ के बीच हैं. हालांकि अभी तक तालिबान की सरकार को वैश्विक मान्यता नहीं मिली है | 

 

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ऑस्ट्रेलिया में US विदेश मंत्री से मिले एस जयशंकर, कई मुद्दों पर हुई बात

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्वाड  मंत्रिस्तरीय वार्ता के इतर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मेलबर्न में मुलाकात की और इस दौरान दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में मौजूदा हालात, रूस-यूक्रेन संकट से निपटने के रायनयिक प्रयासों और कोविड-19 पर चर्चा की. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया कि ब्लिंकन और जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की है. दोनों नेताओं ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में क्वाड समूह के माध्यम से सहयोग को मजबूत करने के प्रयासों की समीक्षा की.

उन्होंने नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को लागू करने समेत साझा प्राथमिकताओं पर सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा की. जयशंकर 10 से 13 फरवरी तक विदेश मंत्री के रूप में ऑस्ट्रेलिया की पहली यात्रा पर हैं. वह क्वाड विदेश मंत्रियों की चौथी बैठक में हिस्सा लेने के लिए मेलबर्न गए हैं. भारत और अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया और जापान इस समूह का हिस्सा हैं. प्राइस ने बताया कि ब्लिंकन और जयशंकर ने कोविड-19 से निपटने, यूक्रेन की सीमा पर रूसी बलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर राजनयिक प्रयासों, अफगानिस्तान के समक्ष चुनौतियों और म्यांमा में लोकतंत्र के भविष्य समेत आपसी हित से जुड़े कई मामलों पर चर्चा की है.

बीते साल किए गए प्रयासों की समीक्षा की प्राइस ने कहा, 'ब्लिंकन और जयशंकर ने अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने और गहरा करने के लिए पिछले साल किए गए प्रयासों की समीक्षा की. यह साझेदारी हिंद प्रशांत क्षेत्र में और उससे परे भी शांति, सुरक्षा एवं समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अहम है. जयशंकर ने शुक्रवार को ट्वीट किया, 'मैंने ब्लिंकन के साथ द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की. विभिन्न क्षेत्रों में हमारी प्रगति सकारात्मक है. हमारी रणनीतिक साझेदारी बिल्कुल स्पष्ट है.'
 
एंटनी ब्लिंकन ने बैठक को अच्छा बताया ब्लिंकन ने ट्वीट किया, 'भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ द्विपक्षीय रूप से और क्वाड के माध्यम से हिंद प्रशांत सहयोग को मजबूत करने के प्रयासों पर चर्चा करने के लिए अच्छी बैठक हुई. मैं उन मुद्दों पर मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं, जो हमारे दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं.' जयशंकर ने इस दौरान ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिस पायने से भी मुलाकात की. इस दौरान भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों की समीक्षा की गई. साथ ही तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई |
 

 

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारतीय दूतावास के चांसरी भवन का किया अनावरण

विदेश मंत्री एस जयशंकर बुधवार को कतर की राजधानी दोहा के दौरे पर गए. इस दौरान उन्होंने कतर के डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी संग मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात में भारत-कतर द्विपक्षीय संबंधों  को मजबूत करने और राजनीतिक, डिजिटल आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी को विस्तार देने पर चर्चा हुई. दोनों विदेश मंत्रियों ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम सहित वैश्विक और क्षेत्रीय स्थिति पर भी बातचीत की.

जयशंकर ने दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी को भारत आने का न्योता दिया है. उन्होंने डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री अब्दुलरहमान अल-थानी को भी भारत-कतर संयुक्त आयोग की बैठक की उद्घाटन बैठक के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया है. जयशंकर और अब्दुलरहमान अल-थानी के बीच ये मुलाकात 22 जनवरी 2022 को दोनों मंत्रियों के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के बाद हुई है.

विदेश मंत्री ने अपने कतरी समकक्ष के साथ दोहा के पश्चिमी खाड़ी क्षेत्र में डिप्लोमैटिक एन्क्लेव में स्थित भारतीय दूतावास के चांसरी भवन  की आधारशिला का अनावरण किया. इस दौरान जयशंकर ने समारोह में शामिल होने के लिए अब्दुलरहमान अल-थानी की सराहना की. उन्होंने कहा कि ये भारत-कतर संबंधों की बढ़ती ताकत और आपसी विश्वास को दिखाता है. उन्होंने कतर में रहने वाले भारतीयों को लगातार दिए जाने वाले समर्थन के लिए कतर के अमीर और उनके पिता के प्रति आभार व्यक्त किया.

 
विदेश मंत्री ने कतर के सामाजिक-आर्थिक विकास में भारतीय समुदाय  के योगदान पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव में भारतीय समुदाय के उत्साहपूर्ण भागीदारी का स्वागत किया. जयशंकर ने भारतीय समुदाय के कल्याण के लिए लागू किए गए भारत सरकार के उपायों पर भी प्रकाश डाला. कतर में भारत के राजदूत डॉ दीपक मित्तल, कतर के विदेश मंत्रालय के प्रोटोकॉल के निदेशक राजदूत इब्राहिम फाखरो और भारतीय समुदाय के सदस्य भी आधारशिला के अनावरण समारोह में मौजूद रहे | 
 
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रूस और बेलारूस का संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू

रूस और बेलारूस ने गुरुवार को संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया जिसने पश्चिमी देशों में इस आशंका के साथ चिंता जताई थी कि मास्को यूक्रेन में संघर्ष में एक बड़ी वृद्धि की साजिश रच रहा है। रूस के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बेलारूस में 20 फरवरी तक जारी रहने वाला अभ्यास शुरू हो गया है और यह "बाहरी आक्रमण को दबाने और खदेड़ने" पर केंद्रित होगा।

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सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने सऊदी कमांडर से बात की, रक्षा सहयोग पर चर्चा

थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे बुधवार को सऊदी अरब के रॉयल सऊदी सशस्त्र बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर से बात की, द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को गहरा करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया। सेना ने कहा कि वार्ता में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई।
 
सेना ने ट्वीट किया, "जनरल एमएम नरवने #COAS ने लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर, कमांडर, रॉयल सऊदी सशस्त्र बलों, सऊदी अरब के कमांडर के साथ टेलीफोन पर बातचीत की और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के पहलुओं पर चर्चा की।" जनरल नरवने ने दिसंबर में भी लेफ्टिनेंट जनरल अल-मुतायर के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी।
 
भारत और सऊदी अरब के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंध पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। थल सेनाध्यक्ष ने दिसंबर 2020 में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण खाड़ी देश की 1.3 मिलियन-मजबूत सेना के प्रमुख की पहली यात्रा में सऊदी अरब का दौरा किया।
 
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भारत में लांच हुआ नीट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे

ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स और उसकी साझेदार कनाडाई बायोटेक कंपनी सैनोटाइज रिसर्च ने कोविड-19 संक्रमित वयस्कों के इलाज के लिए नीट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे (नाक के जरिए ली जाने वाली दवा) को बाजार में उतार दिया है. यह स्प्रे उन वयस्कों के लिए है, जिनके संक्रमित होने पर गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा अधिक है.
 
नाक में ही खत्म होगा वायरस भारत में इस दवा को 'फैबीस्प्रे' के नाम से बाजार में उतारा गया है. इससे पहले मुंबई से संचालित कंपनी ग्लेनमार्क को नीट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे के उत्पादन और बिक्री के लिए भारत के महा औषधि नियंत्रक (DGCI) की मंजूरी मिल गई थी. फैबीस्प्रे को नाक के भीतर ही कोविड-19 के वायरस को नष्ट करने के लिए बनाया गया है, ताकि वह फेफड़ों तक नहीं पहुंच सके.

कंपनी का दावा-सुरक्षित व प्रभावी वहीं, ग्लेनमार्क फार्मा के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी ने एक बयान में कहा था कि हम कोरोना के खिलाफ भारत की जंग के एक महत्वपूर्ण साझेदार हैं. नाइट्रिक ऑक्साइड आधारित नैजल स्प्रे की मंजूरी व साझेदारी में इसे जारी करने पर खुशी हो रही है. कोविड-19 के इलाज के लिए यह एक और सुरक्षित व प्रभावी दवा है.
 
फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाता वायरस कंपनी का दावा है कि नाइट्रिक आक्साइड आधारित यह नेजल स्प्रे, नाक की ऊपरी सतह पर कोरोना वायरस को प्रभावी ढंग से खत्म करने का काम करती है. परीक्षण के दौरान इसने कोविड-19 के खात्मे और दवा के एंटी-माइक्रोबियल गुणों को साबित किया है. जब यह स्प्रे नाक के म्यूकस पर छिड़का जाता है, तो यह वायरस को बढ़ने व शरीर में फैलने से रोकने के लिए शारीरिक और रासायनिक बाधा उत्पन्न होता है. इस तरह वायरस को फेफड़ों तक फैलने से रोकता है.
 
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कोलंबिया में भूस्खलन से 14 लोगों की मौत, 35 से ज्यादा घायल

पश्चिमी कोलंबिया में एक शहर के एक रिहाइशी इलाके में भारी बारिश के कारण मंगलवार सुबह हुए भूस्खलन के कारण कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई और 35 अन्य लोग घायल हो गए. अधिकारियों ने बताया कि परेरा नगर पालिका के रिसारल्डा में घातक भूस्खलन के बाद एक व्यक्ति के लापता होने की भी सूचना है. परेरा के मेयर कार्लोस माया ने बताया कि भूस्खलन के कारण 14 लोगों की मौत हो गई. उन्होंने सचेत किया कि इलाके में भूस्खलन का खतरा बना हुआ है.

उन्होंने लोगों से इस जगह को खाली कर देने की अपील की, ताकि और लोग हताहत नहीं हों. भूस्खलन के कारण जो घर प्रभावित हुए हैं, उनमें से अधिकतर लकड़ी के बने थे. बचाव दलों ने 60 से अधिक घरों को खाली कराया है. कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान डुके  ने मृतकों के परिजन के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं. मेयर कार्लोस माया ने मृतकों के आंकड़े की पुष्टि की है. उन्होंने लोगों से यह भी अपली की है कि भूस्खलन अब भी जारी है. ऐसे में लोगों के लिए सावधानी बरतना जरूरी है.

कई घरों पर चट्टानें गिर गईं यह त्रासदी मंगलवार की सुबह एक मूसलाधार बारिश के कारण हुई. जिसके कारण भूस्खलन हुआ. फिर परेरा में ला एस्नेडा में कई घरों पर चट्टानें गिर गईं. यह मध्य रिसारल्डा प्रांत की राजधानी है. मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के बाद ड्यूक ने राष्ट्रीय जोखिम प्रबंधन और आपदा इकाई (यूएनजीआरडी) से इस मामले में "आवश्यकता पड़ने पर हस्तक्षेप करने के लिए तैयार रहने" को कहा है. परेरा के मेयर कार्लोस माया ने कहा कि मरने वालों में दो नाबालिग हैं. कुछ घरों को खाली करा दिया गया है. क्योंकि अब भी ये जोखिम वाला क्षेत्र बना हुआ है. यहां भस्लखन का खतरा बना रहेगा.

25 साल पहले भी मची थी तबाही इस बीच स्थानीय मीडिया ने 14 मौतों की जानकारी दी है अधिकारियों का कहना है कि लापता लोगों की संख्या अभी स्पष्ट रूप से नहीं पता है. मेयर ने कहा कि लगभग 25 साल पहले इस क्षेत्र में एक ऐसी ही त्रासदी हुई थी. जिसके बाद से हर बार सर्दियों में नदी के पानी में बढ़ोतरी होती है. उन्होंने कहा, 'ओटुन नदी के किनारे कई बार पानी भरा है और हालांकि हमने क्षेत्र को साफ कर दिया है ताकि लोग उस जोखिम के बीच ना रह सकें. अब हम शवों की तलाश कर रहे हैं.' फिलहाल राहत एवं बचाव कार्य जारी है |
 
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विदेश मंत्री जयशंकर ने श्रीलंकाई समकक्ष जीएल पेइरिस के साथ की बातचीत

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को अपने दौरे पर आए श्रीलंकाई समकक्ष जीएल पेइरिस के साथ द्विपक्षीय संबंधों के लगभग सभी पहलुओं को शामिल करते हुए व्यापक बातचीत की। भारत द्वारा द्वीप राष्ट्र को 500 मिलियन अमरीकी डालर की क्रेडिट लाइन देने के कुछ दिनों बाद यह वार्ता हुई। पेरिस तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रविवार को दिल्ली पहुंचे। जयशंकर ने ट्वीट किया, "श्रीलंका के विदेश मंत्री जी.एल. पेइरिस का स्वागत करते हुए बहुत खुशी हो रही है। आज सुबह हमारी बातचीत को लेकर आशान्वित हूं।" भारत ने बुधवार को पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद में मदद करने के लिए श्रीलंका को क्रेडिट लाइन बढ़ा दी।

श्रीलंका गंभीर विदेशी मुद्रा और ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। 15 जनवरी को जयशंकर और श्रीलंका के वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे के बीच एक आभासी बैठक के दो सप्ताह बाद कोलंबो को भारत की ओर से 500 मिलियन अमरीकी डालर (एक मिलियन 10 लाख रुपये के बराबर) की सहायता मिली। पिछले महीने, द्वीप राष्ट्र ने त्रिंकोमाली में लगभग 75 तेल टैंकों के पुनर्विकास के लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (LIOC), सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (CPC) के श्रीलंकाई अध्याय और LIOC और CPC के बीच संयुक्त उद्यम के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस सौदे से श्रीलंका की ऊर्जा सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए ऊर्जा और परिवहन केंद्र के रूप में त्रिंकोमाली के विकास में मदद मिलने की उम्मीद है। पीरिस की यात्रा के दौरान, भारत द्वारा उन्हें एक संयुक्त श्रीलंका के भीतर समानता के लिए उस देश में रहने वाले तमिल लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने की आवश्यकता से अवगत कराने की भी संभावना है।
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ऑस्ट्रेलिया 21 फरवरी से टीका लगाने वाले पर्यटकों और व्यापारियों के लिए सीमाएं खोलेगा

ऑस्ट्रेलिया 21 फरवरी से सभी टीकाकरण वाले पर्यटकों और व्यापारिक यात्रियों के लिए अपनी सीमाएं खोलेगा। ऑस्ट्रेलिया ने मार्च 2020 में अपने नागरिकों और स्थायी निवासियों पर COVID-19 को घर लाने से रोकने के लिए दुनिया के कुछ सबसे कठिन यात्रा प्रतिबंध लगाए। जब ऑस्ट्रेलियाई आबादी के बीच बढ़ती टीकाकरण दर के जवाब में नवंबर में सीमा प्रतिबंधों में ढील दी गई, तो अंतरराष्ट्रीय छात्रों और कुशल प्रवासियों को ऑस्ट्रेलिया में वापस स्वागत करने के लिए पर्यटकों पर प्राथमिकता दी गई। प्रधान मंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि उनके वरिष्ठ मंत्रियों ने सोमवार को सहमति व्यक्त की कि 21 फरवरी से सभी टीकाकरण वीजा धारकों के लिए सीमा फिर से खुल जाएगी।
 
मॉरिसन ने कहा कि आगंतुकों के पास टीकाकरण का प्रमाण होना चाहिए। उन्होंने सर्बियाई टेनिस स्टार नोवाक जोकोविच को पिछले महीने ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा निर्वासित किए जाने का उल्लेख किया क्योंकि उन्हें कोरोनावायरस का टीका नहीं लगाया गया था। मॉरिसन ने कहा कि वर्ष के पहले की घटनाओं से दुनिया भर के सभी लोगों को एक बहुत स्पष्ट संदेश भेजा जाना चाहिए था कि ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश करने की आवश्यकता है। गृह मामलों के मंत्री करेन एंड्रयूज ने कहा कि जो आगंतुक एक चिकित्सा कारण का प्रमाण दे सकते हैं कि उन्हें टीका क्यों नहीं लगाया जा सकता है, वे यात्रा छूट के लिए आवेदन कर सकते हैं। पर्यटकों को जल्द वापस लाने के लिए टूरिस्ट ऑपरेटर सरकार की पैरवी कर रहे हैं। दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी अपने अंतिम महीने में है।
 
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अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में कल उत्तर कोरिया पर बुलाई मीटिंग

झूठा सच @ रायपुर / अमेरिका :- संयुक्त राज्य अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को गुरुवार को उत्तर कोरिया द्वारा गुआम तक पहुंचने में सक्षम मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल के सबसे हालिया परीक्षण पर बैठक करने का आह्वान किया, जो कि अमेरिकी क्षेत्र को लक्षित करने वाले वर्षों में इसका सबसे महत्वपूर्ण प्रक्षेपण है। संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान हक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रविवार के प्रक्षेपण की निंदा करते हुए कहा कि इसने ऐसे प्रक्षेपणों पर उत्तर की घोषित रोक को तोड़ दिया और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया। हक ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने उत्तर कोरिया से आगे कोई प्रतिकूल कार्रवाई करने से परहेज करने का आग्रह किया, जिसमें बड़ी चिंता व्यक्त की कि प्योंगयांग ने अंतरराष्ट्रीय उड़ान या समुद्री सुरक्षा के लिए किसी भी विचार की फिर से अवहेलना की, हक ने बुधवार को कहा। गुटेरेस ने सभी पक्षों से शांतिपूर्ण राजनयिक समाधान तलाशने का भी आह्वान किया।

विदेश विभाग ने मंगलवार देर रात पुष्टि की कि संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन ने गुरुवार को बंद परिषद परामर्श का अनुरोध किया। रविवार के प्रक्षेपण के बाद, व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने उत्तर कोरिया द्वारा पिछले कई महीनों में उकसावे की बढ़ती श्रृंखला के हिस्से के रूप में नवीनतम मिसाइल परीक्षण देखा, जो तेजी से चिंताजनक हो गए हैं और इसका उद्देश्य प्रतिबंधों से राहत हासिल करना है। रविवार को लॉन्च की गई ह्वासोंग -12 मिसाइल 2017 के बाद से उत्तर कोरिया द्वारा परीक्षण की गई सबसे शक्तिशाली मिसाइल थी। यही वह समय था जब देश ने अमेरिकी सेना पर परमाणु हमले शुरू करने की क्षमता हासिल करने के लिए हथियारों की फायरिंग के तेज दौड़ में ह्वासोंग -12 और लंबी दूरी की मिसाइलों को लॉन्च किया था। पूर्वोत्तर एशिया और प्रशांत और यहां तक ​​कि अमेरिकी मातृभूमि में ठिकाने। हाल के महीनों में, उत्तर कोरिया ने कई तरह की हथियार प्रणालियां लॉन्च की हैं और परमाणु विस्फोट और आईसीबीएम लॉन्च जैसे अधिक गंभीर हथियारों के परीक्षण पर चार साल की रोक हटाने की धमकी दी है। रविवार का प्रक्षेपण अकेले जनवरी में उत्तर का मिसाइल प्रक्षेपण का सातवां दौर था, और हाल ही में परीक्षण किए गए अन्य हथियारों में एक विकासात्मक हाइपरसोनिक मिसाइल और एक पनडुब्बी से प्रक्षेपित मिसाइल शामिल हैं।
 
2006 में अपने पहले परमाणु परीक्षण विस्फोट के बाद सुरक्षा परिषद ने शुरू में उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाए और आगे के परमाणु परीक्षणों और देश के तेजी से परिष्कृत परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों के जवाब में उन्हें सख्त बना दिया। उत्तर कोरिया की सीमा से लगे चीन और रूस ने नवंबर में उत्तर की आर्थिक कठिनाइयों पर बल देते हुए एक मसौदा प्रस्ताव को परिचालित किया। उन्होंने उन प्रतिबंधों को हटाने का आह्वान किया, जिनमें समुद्री भोजन और वस्त्रों के निर्यात पर प्रतिबंध, परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर एक सीमा, और विदेशों में काम करने वाले अपने नागरिकों और उनकी कमाई को घर भेजने पर प्रतिबंध शामिल है। रूसी राजदूत वसीली नेबेंज़िया, जिनके देश ने बुधवार को फरवरी के महीने के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाली, ने मंगलवार की शुरुआत में संवाददाताओं से कहा कि मसौदा परिषद के सामने बना हुआ है, हालांकि कुछ सदस्यों का मानना ​​​​है कि यह अभी तक समय पर नहीं है।
 
बाइडेन प्रशासन ने उत्तर कोरिया को नवीनतम प्रक्षेपण के बाद अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों पर लंबे समय से रुकी हुई वार्ता पर लौटने के लिए फिर से बुलाया, लेकिन स्पष्ट किया कि इस समय ऐसा नहीं लगता है कि यह नेता-से-नेता बैठकें आयोजित करने के लिए रचनात्मक होगा जैसे कि जो डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के साथ किया था। नेबेंजिया ने संवाददाताओं से कहा कि रूस ने बार-बार और लगातार उत्तर कोरिया के परमाणु मुद्दे पर प्रमुख पक्षों के बीच बातचीत फिर से शुरू करने का आह्वान किया है। उत्तर कोरिया के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि सुंग किम ने शुक्रवार और शनिवार को कॉल के दौरान जापानी विदेश मंत्रालय के एशियाई और महासागर मामलों के महानिदेशक, फुनाकोशी ताकेहिरो और दक्षिण कोरियाई परमाणु दूत नोह क्यू-डुक के साथ प्योंगयांग के नवीनतम बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च पर चर्चा की।
 
विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मंगलवार को कहा। प्राइस ने कहा कि किम ने उत्तर कोरिया के मिसाइल प्रक्षेपण को सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन और क्षेत्र को अस्थिर करने वाला बताया और कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण और दक्षिण कोरिया और जापान की रक्षा के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्राइस ने कहा कि उन्होंने परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में ठोस प्रगति करने के लिए उत्तर कोरिया के साथ गंभीर और निरंतर कूटनीति में शामिल होने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की निरंतर तत्परता को भी रेखांकित किया।
 
उत्तर कोरिया पर सुरक्षा परिषद की आखिरी बैठक 10 जनवरी को बंद कमरे में हुई चर्चा थी, जिसमें उत्तर कोरिया ने पांच दिन पहले एक हाइपरसोनिक मिसाइल के रूप में उत्तर कोरिया के प्रक्षेपण पर चर्चा की थी। 15 सदस्यीय परिषद ने कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका और पांच सहयोगियों ने उत्तर कोरिया से अपने प्रतिबंधित परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों को छोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने सुरक्षा परिषद से मिसाइल प्रक्षेपण सहित प्योंगयांग की चल रही, अस्थिर करने वाली और गैरकानूनी कार्रवाइयों का विरोध करने का भी आह्वान किया।
 
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राष्ट्रीय कर्ज के भार में अमेरिका पर

झूठा सच @ रायपुर / अमेरिका :- अमेरिका का कुल राष्ट्रीय कर्ज भार रिकॉर्ड स्तर पर 30 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गया है. अमेरिकी सरकार के तहत आने वाले ट्रेजरी विभाग ने मंगलवार को ये आंकड़ा जारी किया है. अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विशेषज्ञ इसे मसले पर बंटे हुए नजर आ रह हैं  कोई साफतौर पर नहीं बोल पा रहा कि 'कितना कर्ज बहुत अधिक माना जाएगा' या यह देश के लिए वाकई में कितनी बड़ी समस्या है. लेकिन सभी एक बात पर सहमत दिखाई दिए कि कर्ज का इतना बड़ा आंकड़ा ऐसे मुश्किल वक्त में सामने आया है, जब अमेरिका की राजकोषीय और मौद्रिक नीति मुश्किलों से गुजर रही है

उधार की लागत बढ़ने की भी संभावना है, जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कुल कर्ज की दर 31 जनवरी तक की है. जो बीते साल 2020 के जनवरी से करीब 7 ट्रिलियन डॉलर तक अधिक है. उस वक्त देश की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस की चपेट में नहीं आई थी. वाशिंगटन के सार्वजनिक और अंतर सरकारी कर्ज दोनों के आसमान छूने के पीछे कई कारण हैं. एक कारण ये है कि सरकार ने कोरोना वायरस महामारी (कोविड -19) के कारण सरकारी खर्च में वृद्धि की है.
जापान और चीन के निवेशकों से लिया पैसा इस अवधि के दौरान (2019 के आखिर से) संघीय सरकार ने जापान और चीन के नेतृत्व वाले विदेशी निवेशकों से करीब 7 ट्रिलियन डॉलर का उधार लिया है, जिसका वापस भुगतान करने की आवश्यकता होगी. अमेरिकी वित्त विशेषज्ञों ने एक दूसरा कारण साल 2008 के वित्तीय संकट के बाद से राष्ट्रीय कर्ज भार में हुई बढ़ोतरी को बताया है. जो महामारी के करीब एक दशक पहले की बात है. तब अमेरिका में एक बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया था. जब दिसंबर 2007 में वैश्व अर्थव्यव्सथा में गिरावट शुरू हुई थी, तब अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज भार 9.2 ट्रिलियन डॉलर था.
 
ट्रंप सरकार की वजह से भी बढ़ेगा आंकड़ा टैक्स पॉलिसी सेंटर के अनुसार, साल 2017 में तत्कालीन ट्रंप सरकार द्वारा अधिनियमित टैक्स कट्स एंड जॉब्स एक्ट (TCJA) के तहत कर कटौती से होने वाले राजस्व घाटे में 2018 और 2025 के बीच संघीय कर्ज में अनुमानित 1-2 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा करेगा. जो महामारी के कारण और भी ज्यादा बढ़ गया है. यहां तक कि बाइडेन सरकार के दौरान भी कांग्रेस ने छोटे व्यवसायों, बेरोजगार श्रमिकों और उनके परिवारों और अन्य समूहों को समर्थन देने के लिए पैंडेमिक प्रोग्राम्स के तहत खरबों डॉलर को मंजूरी दी है | 
 
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कोरोना से जंग में महत्वपूर्ण कदम, मॉडर्ना की स्पाइकवैक्स के पूर्ण इस्तेमाल को US में मंजूरी

मॉडर्ना की स्पाइकवैक्स वैक्सीन को अमेरिका में पूर्ण स्वीकृति मिल गई है. यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन  ने सोमवार को बताया कि स्पाइकवैक्स को फुल अप्रूवल दे दिया गया है. पहले इस वैक्सीन को अमेरिका में सिर्फ इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी. FDA का कहना है कि वैक्सीन गुणवत्ता और सुरक्षा के मानकों पर खरी उतरी है.

'सभी मानकों को पूरा करती है वैक्सीन'
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, FDA के कार्यकारी आयुक्त जेनेट वुडकॉक  ने एक बयान में कहा कि लोग आश्वस्त हो सकते हैं कि स्पाइकवैक्स  अमेरिका में इस्तेमाल के लिए अनुमोदित किसी भी टीके के लिए आवश्यक सुरक्षा, प्रभावशीलता और गुणवत्ता के लिए एफडीए के उच्च मानकों को पूरा करती है.

केवल इन लोगों को लगेगा टीका
वुडकॉक ने आगे कहा कि FDA की Spikevax को मंजूरी कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक अहम कदम है. इससे संक्रमण को फैलने से रोकने में इससे मदद मिलेगी. मॉडर्ना ये वैक्सीन केवल 18 वर्ष या उससे ऊपर के लोगों को लगाई जाएगी. बता दें कि 16 वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए फाइजर के टीके को एफडीए द्वारा अगस्त के अंत में स्वीकृति दी गई थी.

14, 287 लोगों पर हुआ था ट्रायल
FDA के कार्यकारी आयुक्त ने उम्मीद जताई कि मॉडर्ना वैक्सीन को मिली मंजूरी लोगों में टीका लगाने का फैसला लेने में अतिरिक्त विश्वास पैदा कर सकती है. वहीं, मॉडर्ना के सीईओ स्टीफन बैंसेल ने एफडीए के इस कदम को कंपनी के लिए मील का पत्थर बताया. गौरतलब है कि मॉडर्ना वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को दिसंबर 2020 में मंजूरी मिली थी. स्पाइकवैक्स के क्लीनिकल ट्रायल में 14, 287 लोगों को शामिल किया गया था | 
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