दुनिया-जगत

चीन : ताइवान को लेकर लिथुआनिया को दी धमकी, वापस बुलाया अपना राजदूत

लिथुआनिया ने स्वायत्तशासी ताइवान के साथ दोस्ताना दिखाते हुए देश में अपने नाम से कार्यालय खोलने की इजाजत दे दी है। इस फैसले को लेकर चीन भड़क गया और मंगलवार को लिथुआनिया के लिए अपने राजदूत को वापस बुला लिया और बीजिंग के लिए बाल्टिक देश के शीर्ष प्रतिनिधि को निष्कासित कर दिया। चीन राजनयिक मान्यता के अधिकार के बिना ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है। हालांकि द्वीप के व्यापार कार्यालयों के माध्यम से अमेरिका और जापान सहित सभी अहम देशों के साथ औपचारिक संबंध हैं, जो वस्तुत: दूतावास की तरह काम करते हैं।


चीन के दबाव के कारण ताइवान का सिर्फ 15 देशों के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध रह गया है। बहरहाल ताइवान ने मंगलवार को वेनिस फिल्म महोत्सव में अपनी प्रविष्टियों को ''चीनी ताइपे'' के नाम से संबोधित किए जाने पर विरोध जताया। ताइवान का कहना है कि यह चीन के दबाव में किया गया। चीन का विरोध नहीं करने के लिए ताइवान को लेकर अक्सर इस संबोधन का प्रयोग किया जाता है। ताइवान और लिथुआनिया पिछले महीने राजधानी विल्नियस में कार्यालय खोलने पर सहमत हुए थे। यह कार्यालय इसी साल खुलने वाला है और इसका नाम चीनी ताइपे की जगह ताइवान होगा।

चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान में लिथुआनिया से तुरंत अपनी गलती को सुधारने को कहा और इस क्षति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा। साथ ही दोबारा गलत राह नहीं अख्तियार करने की हिदायत दी। बयान में कहा गया है कि अगर लिथुआनिया ने कार्यालय खोलने की अनुमति दी तो उसे ''गंभीर परिणाम'' भुगतने होंगे, हालांकि इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। बयान में कहा गया है, ''हम ताइवान के अधिकारियों को चेतावनी देना चाहते हैं कि ताइवान स्वतंत्रता की बात करना छोड़ दे और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में कोई भी अलगाववादी गतिविधि को नाकाम कर दिया जाएगा।'

लिथुआनिया के विदेश मंत्रालय ने चीन की कार्रवाई पर अफसोस जताया है और जोर दिया है कि ''एक चीन'' के सिद्धांत का सम्मान करते हुए वह ताइवान के साथ परस्पर लाभप्रद संबंध बनाने के लिए तैयार है जैसा कि अन्य देशों ने किया है। ताइवान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जोआन ओउ ने ''राष्ट्रीय गरिमा और स्वतंत्रता की अवधारणा की रक्षा करने की लिथुआनिया की दृढ़ इच्छा'' को सलाम किया। ओयू ने कहा, ''दोनों पक्ष लोकतंत्र, स्वतंत्रता और मानवाधिकार जैसे सार्वभौमिक मूल्यों के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में आदान-प्रदान को मजबूत करना जारी रखेंगे।

वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने चीन के ''दबाव'' की निंदा की और कहा कि सभी देशों को यह निर्धारित करने की आजादी होनी चाहिए कि बीजिंग के हस्तक्षेप के बिना ताइवान के साथ संबंधों को कैसे बनाए रखना है। प्राइस ने संवाददाताओं से कहा, ''हम अपने नाटो सहयोगी लिथुआनिया के साथ एकजुटता से खड़े हैं और हम चीन की हालिया जवाबी कार्रवाई की निंदा करते हैं, जिसमें विल्नियस में बीजिंग के राजदूत को वापस बुलाना और लिथुआनिया को बीजिंग में अपने राजदूत को वापस बुलाने की मांग करना शामिल है।''
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अमेरिका व ब्रिटेन में बच्चों में बढ़ा कोरोना संक्रमण

भारत में कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को अधिक नुकसान होने का अनुमान है। वहीं, अमेरिका व ब्रिटेन में बच्चों में संक्रमण के मामले पहले की दो लहर की तुलना में बढ़ गए हैं, जो हमारे लिए खतरे का संकेत हो सकता है। अलबामा, अरकंसास, लुसियाना व फ्लोरिडा में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। अरकंसास के चिल्ड्रेन अस्पताल में संक्रमण से भर्ती होने वाले बच्चों की दर में 50 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। सात नवजात आईसीयू में तो दो वेंटिलेटर पर जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं।   

लुसियाना में जुलाई के आखिरी सप्ताह में सर्वाधिक 4232 बच्चों में संक्रमण मिला है। यहां 15 से 21 जुलाई के बीच पांच साल से कम उम्र के 66 बच्चों में वायरस मिला है। ब्रिटेन में हर दिन औसतन 40 बच्चे अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। वहीं फ्लोरिडा के स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि 12 वर्ष से कम उम्र के 10,785 मामले सामने आए थे। 12 से 19 वर्ष के 11,048 बच्चों में संक्रमण मिला है। 23 से 30 जुलाई के बीच 224 बच्चों को भर्ती कराया गया है। भारत में भी पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में बच्चे अधिक संक्रमित हुए हैं। संदेह है कि वायरस इस बार बच्चों को अपना शिकार बना सकता है। 

अमेरिका में 2020 में बच्चों की मौत का प्रमुख कारण कोरोना था। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के बाल रोग विशेषज्ञ प्रो. एडम फिन्न बताते हैं कि बच्चों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम नहीं हुआ है। मेरे साथी बताते हैं कि वे अस्पताल में संक्रमित बच्चों को देख रहे हैं लेकिन संख्या ज्यादा है। इससे स्पष्ट है बीमारी के मामले में ये लहर पहले की दो लहर की तुलना में थोड़ी अलग है। इंपीरियल कॉलेज लंदन की पीडियाट्रिक इंफेक्सियश डिसीज विशेषज्ञ डॉ. एलिजाबेथ व्हिटकर का कहना है कि अमेरिका व ब्रिटेन में 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में संक्रमण दर बढ़ी है। इनमें अधिकतर बच्चे ऐसे हैं जिन्हें टीका नहीं लगा है। ऐसे में बच्चों को हर हाल में टीका लगाना होगा।  विशेषज्ञों का कहना है कि मोटे व मधुमेह से ग्रसित बच्चों के लिए ये कठिन समय है। संक्रमण के मामले अचानक बढ़ने लगे हैं। अमेरिका में बच्चों में पीडियाट्रिक इन्फलैमेट्री मल्टी सिस्टम सिंड्रोम (पीआाईएमएस) के मामले बढ़ रहे हैं जिसका समय पर इलाज न हो तो बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती है।
 

 

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अमेरिकी संसद ने प्रख्यात कर्नाटक संगीतकार अवसरला कन्याकुमारी के योगदान को स्वीकारा

अमेरिका में एक शीर्ष भारतवंशी सांसद ने अवसरला कन्याकुमारी को एक बेहतरीन संगीतकार बताया और कहा कि शीर्ष वायलिन वादक ने कर्नाटक संगीत परंपरा की खूबसूरती को दुनिया भर के संगीत प्रेमियों के साथ साझा किया है। भारतवंशी अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा, ''कन्याकुमारी संगीत की एक शानदार दूत हैं, जिन्होंने दुनिया भर के संगीत प्रेमियों के साथ कर्नाटक संगीत परंपरा की खूबसूरती को साझा किया।'' प्रतिनिधि सभा में अपने संबोधन में कृष्णमूर्ति ने कहा कि वह चार जुलाई के कन्याकुमारी और उनके शिष्यों के कार्यक्रम से बेहद प्रभावित हुए।


उन्होंने कहा, ''कन्याकुमारी को कर्नाटक संगीतकारों की अगली पीढ़ी को तैयार करने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। वह अपनी प्रतिभा को निखारने में अपने शिक्षकों के योगदान को सम्मानित करने और उनके प्रति आभार जताने के लिए बिना किसी शुल्क के अपनी सेवाएं देती हैं।'' प्रख्यात वायलिन वादक,संगीतकार एवं भारतीय कर्नाटक संगीत परंपरा में गुरु,कन्याकुमारी के जीवन और प्रतिभा को सम्मानित करने की इच्छा व्यक्त करते हुए भारतवंशी अमेरिकी सांसद ने कहा कि भारत सरकार ने भारतीय संगीत और संस्कृति के क्षेत्र में उनकी प्रतिभा और योगदान को देखते हुए उन्हें 2015 में पद्म श्री से सम्मानित किया। इसके अगले वर्ष, कन्याकुमारी को तमिलनाडु की राज्य सरकार ने कलैमामणि पुरस्कार और मद्रास संगीत अकादमी ने प्रतिष्ठित संगीत कलानिधि पुरस्कार से सम्मानित किया। आंध्र प्रदेश के गुंटूर शहर में जन्मी कन्याकुमारी ने आठ साल की उम्र में वायलिन वादक के तौर पर अपने संगीतमय जीवन की शुरुआत की थी।
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चीन में कनाडाई नागरिक को मिलेगी ‘मौत, जानिए क्या है वजह

चीन की अदालत ने मादक ड्रग मामले में सजा के खिलाफ कनाडा के एक व्यक्ति की अपील को मंगलवार को खारिज कर दिया. हुआवेई की एक अधिकारी को कनाडा के वैंकुवर  में हिरासत में लिए जाने के बाद इस व्यक्ति की सजा को मृत्युदंड में बदल दिया गया था. रॉबर्ट शेलेनबर्ग  को ड्रग की तस्करी के जुर्म में नवंबर 2018 में सजा सुनायी गई थी. इस मामले को लेकर चीन और कनाडा के बीच काफी विवाद भी देखने को मिला.


हुआवेई की मुख्य वित्तीय अधिकारी  मेंग वानझोऊ की रिहाई के लिए कनाडा पर दबाव बनाने के प्रयासों के तहत चीन सरकार ने जनवरी 2019 में शेलेनबर्ग की सजा को अचानक मृत्युदंड में बदल दिया. वानझोऊ पर ईरान के साथ संभावित कारोबारी सौदे को लेकर अमेरिका द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया था. लियाओनिंग प्रांत की एक अदालत ने शेलेनबर्ग की अपील को खारिज कर दिया. एक बयान में कहा कि यह सजा बिल्कुल उचित है

अदालत ने कहा कि निचली अदालत ने सभी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया. मामले को पुनर्विचार के लिए चीनी सुप्रीम कोर्ट के पास भेजा गया है. चीनी सरकार ने मेंग को रिहा करने के लिए ओटावा पर दबाव बनाने के लिए जासूसी के आरोप में एक पूर्व कनाडाई राजनयिक माइकल कोवरिग और कनाडाई आंत्रप्रन्योर माइकल स्पावर  को भी गिरफ्तार किया है. बीजिंग और ओटावा के बीच संबंधों के बिगड़ने के बाद दो अन्य कनाडाई फैन वेई  और जू वेइहोंग को भी 2019 में ड्रग के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी.

अमेरिका चाहता है कि हुआवेई की कार्यकारी मेंग को ईरान के साथ लेनदेन के संबंध में हांगकांग के बैंकों से झूठ बोलने को लेकर प्रत्यर्पित किया जाए. अमेरिका का कहना है कि मेंग ने ऐसा करके व्यापार प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है. मेंग हुआवेई के संस्थापक की बेटी हैं. मेंग को प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए या नहीं, इस पर एक कनाडाई न्यायाधीश अंतिम दलीलें सुनने वाले हैं. चीन और कनाडा के बीच जारी कड़वाहटों का असर उनके बीच होने वाले व्यापार पर भी देखने को मिला है. चीन ने कनाडा से आयात भी कम कर दिया है.
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ब्रिटिश वित्त मंत्री की लीक हुई चिट्ठी से बढ़ी मुश्किलें, जॉनसन ने दी चेतावनी

ब्रिटेन में इन दिनों वित्त मंत्री ऋषि सुनक की एक चिट्ठी चर्चा का विषय बनी हुई है। वित्त मंत्री ऋषि सुनक के द्वारा लिखी गई इस चिट्ठी के मीडिया में लीक होने के कारण ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने काफी नाराज बताए जा रहे हैं। यहां तक कहा गया है कि जॉनसन ने सुनक को डिमोट करने की धमकी भी दे दी है। यह सब तब हुआ जब यह चिट्ठी बोरिस जॉनसन तक पहुंचने से पहले ही मीडिया के माध्यम से लीक हो गई थी।दरअसल, भारतीय मूल के ब्रिटिश वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने अंतरराष्ट्रीय कोरोना यात्रा नियमों में ढील देने के लिए पीएम बोरिस जॉनसन को ये चिट्ठी लिखी थी। ऋषि सुनक का यह तर्क था कि ये पाबंदियां अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचा रही हैं। 'द इंडिपेंडेंट' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले रविवार को इस चिट्ठी के आधार पर खबर देने वाले संडे टाइम्स ने बताया कि पीएम जॉनसन बहुत नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि सुनक का मंत्रालय बदल दिया जाएगा।रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि पीएम जॉनसन को जब तक इस पत्र के बारे में पता चला, तब तक उसका ब्योरा मीडिया में सामने आ चुका था। एक वरिष्ठ सूत्र के अनुसार प्रधानमंत्री ने अधिकारियों की मौजूदगी में कहा कि वह बदलाव करने की सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब सुनक को स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाया जा सकता है। वह वहां अच्छा काम कर सकते हैं।
 
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सऊदी विदेश मंत्री ने यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के नए विशेष दूत की नियुक्ति का किया स्वागत

सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद ने यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हंस ग्रंडबर्ग की नियुक्ति का स्वागत किया है। शनिवार को ट्विटर पर मंत्री ने कहा, मैं यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत के रूप में हंस ग्रंडबर्ग की नियुक्ति का स्वागत करता हूं। हम उनकी नई भूमिका में उनकी सफलता की कामना करते हैं उनके साथ काम करने के लिए तत्पर हैं।राज्य एक राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के सभी प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा जो यमन में शांति समृद्धि लाने में मदद करता है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रंडबर्ग ने मार्टिन ग्रिफिथ्स का स्थान लिया है, जिन्हें मानवीय मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। मार्च में, सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन ने यमन में यमनी सरकार के समर्थन में हौथी मिलिशिया के खिलाफ युद्ध का अपना छठा वर्ष पूरा किया। 22 मार्च को, सऊदी अरब ने यमनी संकट को समाप्त करने के लिए एक पहल की घोषणा की। इस पहल में संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में यमन में व्यापक संघर्ष विराम शामिल है। यह उन पहलों की एक श्रृंखला का हिस्सा था जिन्हें मिलिशिया ने वर्षों से खारिज कर दिया था।
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पाकिस्तान ने दो पत्रकारों को हिरासत में लिया , जानें क्या हैं वजह

पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने लाहौर में दो प्रमुख पत्रकारों को शनिवार को हिरासत में ले लिया, जिसकी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, नेताओं और देश के मीडिया ने निंदा की। पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आमिर मीर और इमरान शफकत को सोशल मीडिया पर ‘‘निंदनीय सामग्री’’ पोस्ट करने के बाद हिरासत में लिया गया। यह सामग्री पोस्ट किए जाने के बाद सरकार के एक मंत्री ने इसके खिलाफ शिकायत की थी। उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या दोनों पर कोई आरोप लगाया गया है या नहीं।

एफआईए के बाबर बख्त कुरैशी ने कहा, ‘‘उन्होंने यूट्यूब पर निंदनीय सामग्री अपलोड की और मंत्री मुराद सईद द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत को लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है।’’ एफआईए ने बाद में एक बयान में बताया कि पूछताछ के बाद दोनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया और उनके खिलाफ आरोप बाद में अदालत में दायर किए जाएंगे।

जिस वीडियो को लेकर दोनों के खिलाफ शिकायत हुई है, वह एक अनौपचारिक गोलमेज चर्चा का वीडियो है। इसमें पत्रकारों ने पाकिस्तान की राजनीति और न्यायपालिका में सेना की भूमिका पर चर्चा की। सरकार ने पत्रकारों को हिरासत में लिए जाने के संबंध में तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की।

मीर के भाई हामिद ने दोनों पत्रकारों को हिरासत में लिए जाने की खबर ट्विटर पर दी। हामिद भी देश के एक प्रमुख पत्रकार हैं, जिन्होंने एक लोकप्रिय टीवी टॉक शो की मेजबानी की थी, लेकिन देश की शक्तिशाली सेना की आलोचना करने के दो महीने बाद इस कार्यक्रम को बंद कर दिया गया था। इमरान शफकत ने कई अखबारों के लिए काम किया है और वह सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं।
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टोक्यो में चलती ट्रेन में हुई चाकूबाजी, 10 लोग घायल

जापान की राजधानी तोक्यो के सिजोगाकुएन स्टेशन के पास एक ट्रेन में हुए हमले में 10 लोग घायल हो गए। इनमें से दो की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। यह घटना ओलिंपिक खेल गांव से कुछ ही दूरी पर हुई है। बताया जा रहा है कि संदिग्ध आरोपी लोगों को चाकू मारने के बाद फरार हो गया था, लेकिन बाद में पुलिस ने उसे एक स्टोर से गिरफ्तार कर लिया। जापान की एनएचएक टीवी ने बताया कि इस हमले में दो व्यक्तियों की हालत गंभीर बनी हुई है। बाकी लोगों को भी इलाज के लिए अस्पताल लेकर जाया गया है। बताया जा रहा है कि संदिग्ध आरोपी हमला करने के बाद अपने चाकू को घटनास्थल पर ही फेककर फरार हो गया। बाद में पुलिस ने उसे तोक्यो के एक भीड़भाड़ वाले इलाके में स्थित स्टोर से गिरफ्तार कर लिया।

बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक से तोक्यो ओलिंपिक में सोना झटक रहा चीन, खिलाड़ियों को ऐसे दे रहा ट्रेनिंग घटनास्थल पर पुलिस की कई टीमें पहुंची टोक्यो दमकल विभाग ने कहा कि 10 घायल यात्रियों में से नौ को पास के अस्पतालों में ले जाया गया, जबकि दसवां व्यक्ति मामूली रूप से घायल था। उसे घटनास्थल पर ही प्रारंभिक उपचार देकर छोड़ दिया गया। दमकल विभाग के अधिकारियों ने बताया कि घायल हुए सभी लोग होश में थे। घटनास्थल पर पुलिस और बाकी जांच एजेंसियों की कई टीमें मौजूद हैं। 
 
इस घटना के एक चश्मदीद ने बताया कि हमले के बाद ट्रेन पास के एक स्टेशन पर जाकर रुकी। जिसके बाद ट्रेन में सवार यात्री घबराए हुए गाड़ी से बाहर निकलने लगे। एक दूसरे व्यक्ति ने एनएचके को बताया कि उसने यात्रियों को खून से लतपथ हालत में ट्रेन से बाहर आते हुए देखा। जिसके बाद स्टेशन से डॉक्टरों और मेडिकल सहायता लाने के लिए अनाउंस किया गया।
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चीन कैसे करता है दुनिया पर साइबर अटैक

भारत समेत दुनिया की कई सेनाओं पर इस समय साइबर हमले का खतरा बढ़ता जा रहा है. जहां भारत ने एक तरफ डिफेंस साइबर एजेंसी (DCA) को शुरू करने का मन बना लिया है, तो वहीं अमेरिका जैसे देश के पास पहले से ही साइबर वॉर से निबटने के लिए एक सेना है. एक प्रतिष्ठित अमेरिकी ऑर्गनाइजेश की तरफ से बताया गया है कि आखिर चीन कैसे साइबर हमला करता है और किसी देश को अपना निशाना बनाता है. इस रिपोर्ट को साइबर वॉरफेयर के लिए काफी अहम माना गया है. 

अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित साइबर सिक्योरिटी कंपनी रिकॉर्डेड फ्यूचर ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की पूरी जानकारी दी थी कि आखिर चीन कैसे साइबर हमले को अंजाम देता है. रिकॉर्डेड फ्यूचर एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी है जो विभिन्न देशों के इंटरनेट का इस्तेमाल कर उनका अध्ययन करती है. आपको बता दें कि अमेरिका की इंटलीजेंस एजेंसी एफबीआई ने चीन को अब तक का सबसे बड़ा खतरा करार दिया है.

अमेरिका के अलावा आस्ट्रेलिया, वियतनाम, ताइवान जैसे देशों ने भी चीन पर तरह-तरह के साइबर हमले के आरोप लगाए हैं. आखिर ऐसा क्‍या है चीन के पास जो वो किसी भी देश को आसानी से निशाना बना लेता है. ऑब्‍जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के कार्तिक बोमाकांतिक ने भारत और चीन के साइबर आर्मी पर एक रिसर्च पेपर लिखा है. इसके मुताबिक चीन के पास इस तरह के साइबर हमलों को अंजाम देने के लिए एक अलग फोर्स है, जिसे पीएलए- एसएसएफ कहते हैं 
 
पीएलए-एसएसएफ का मतलब पीपुल्स लिबरेशनआर्मी – स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स. साल 2015 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सेना में कई बदलाव किए थे. उसी दौरान इसकी स्थापना की गई थी. एसएसएफ इस तरह के हमलों को अंजाम देने के लिए पूरी तरह सक्षम है. सिक्योरिटी ट्रेल्स, टूल्स और एनालिटिक्स इंफोर्मेशन सिस्टम का सहारा लेकर वो ऐसा करते हैं. इस फोर्स में कितने लोग शामिल है, हेड कौन है इन सबकी पुख्ता जानकारी बाहर नहीं आती है. अनुमान के मुताबिक़ इस फोर्स में शामिल लोगों की संख्या हजारों में है 
 
पीएलए के जनरल रैंक के अधिकारी इसके मुखिया होते हैं. इस फोर्स के तहत कुछ ऐसे लोग भी काम करते हैं जो एसएसएफ से सीधे नहीं जुड़े होते पर उनके इशारे पर काम करते हैं. वो हैकर्स भी हो सकते हैं, जिनका इस्तेमाल साइबर हमलों के लिए किया जाता है. इसलिए साइबर हमलों के बारे में बात करते हुए हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि हो सकता है कुछ हमलों में एसएसएफ आर्मी के लोग सीधे शामिल ना हों. लेकिन कोई भी हमला उनकी मर्जी के बिना नहीं हो सकता है.
 
चीन मैलवेयर और ट्रोजन जैसे उपकरणों की मदद से साइबर हमलों को अंजाम देता है. मैलवेयर वो एक सॉफ्टवेयर होता है है जो किसी सिस्टम की जानकारी या आंकड़े की चोरी के लिए बनाया जाता है. यह प्रोग्राम संवेदनशील आंकड़े चुराने, उसे डिलीट कर देने, सिस्टम के काम करने का तरीका बदल देने और सिस्टम पर काम करने वाले व्यक्ति पर नजर रखने जैसी एक्टिविटी करता है. जबकि ट्रोजन एक तरह का मैलवेयर होता है जो सिक्योरिटी सिस्टम से परे जाकर बैक डोर बनाता है जिससे हैकर आपके सिस्टम पर नजर रख सकता है. यह खुद को किसी सॉफ्टवेयर की तरह दिखाता है और किसी टेम्पर्ड सॉफ्टवेयर में मिल जाता है.
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कोरोना महामारी के कारण अमेरिका में विदेशी कामगारों की भारी कमी

अमेरिका में विदेशी कामगारों की भारी कमी हो गई है। इसका असर यहां के कारोबार पर पड़ा है। इसके चलते मौसमी कारोबार ठप हो गए हैं। कोरोना वायरस के प्रसार के चलते अमेरिका के कई हिस्‍सों में यह दिक्‍कत उत्‍पन्‍न हुई है। खासकर ऊटाह, वायोमिंग, मैरीलैंड, कैलिफोर्निया और कोलोराडो समेत कई राज्यों में विदेशी कामगारों की संख्या घट गई है। कई विदेशी कामगार अमेरिका नही लौटना चाहते। 

अमेरिका में इसका असर न केवल भू निर्माण-विकास क्षेत्र में बल्कि, वायोमिंग में मनोरंजन पार्क, रेस्तरां के कारोबार पर भी बुरा असर पड़ा है। दरअसल, कोरोना के कारण सरकार ने बाहर से आने वाले कामगारों के देश में आने के नियमों को और सख्‍त कर दिए हैं। हालांक‍ि, बाद में नियमों में ढील दी गई, लेकिन विदेशी कामगारों की वापसी में अभी तेजी नहीं आ सकी है।

दरअसल, अमेरिका में ज्यादातर मौसमी कारोबार में कामकाज अस्थायी प्रकृति का होता है। इसके चलते स्थानीय लोगों की इसमें कम दिलचस्‍पी होती है। स्‍थानीय निवासी स्थायी काम के लिए इच्‍छुक होते हैं। इसकी एक वजह यह भी रही है कि अमेरिका में लंबे समय से मौसमी कारोबार में विदेशी कामगारों की संख्या ज्यादा रही है। अब इनकी जगह कोई नहीं ले पा रहा है। इसके चलते अब इनके नहीं होने से ये कारोबार चलाना कठिन होता जा रहा है। 

एच-2 वीसा की मंजूरी लॉटरी सिस्टम से दी जाती है। इसके चलते कई श्रमिक अमेरिका आने से वंचित रह गए। इसके बाद प्रशासन ने एच-2बी वीसा का कोटा बढ़ा दिया है। नियमों में उदारता के बाद लोगों का वीसा मंजूर हो गया है, लेकिन चार महीने हो गए, हमारा एक भी विदेशी कामगार नहीं लौटा। यह उम्मीद की जा रही है कि विदेशी कामगारों की टीम एक अप्रैल तक काम पर लौट आएगी। अप्रैल में मौसमी कारोबार शुरू होता है। स्थानीय कामगारों को आकर्षित करने के लिए वेतन कई गुना बढ़ा दिया गया है। इसके बावजूद कर्मचारी नहीं मिल रहे। मौजूदा कर्मचारी ऑर्डर पूरा करने के लिए हर हफ्ते 60-70 घंटे काम कर रहे हैं।
 
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2 लाख गर्भवती महिलाओं को लगेगा कोरोना का टीका

उत्तराखंड में गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण शुरू हो गया है। राज्य में लगभग दो लाख गर्भवती महिलाओं को कोविड संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन का सुरक्षा कवच मिलेगा। हालांकि गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के लिए सरकार व स्वास्थ्य विभाग ने अलग से टीकों का कोटा तय नहीं किया है। सामान्य कोटे से ही उनका टीकाकरण किया जाएगा।  


केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार राज्य में गर्भवती महिलाओं को कोविड वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है। टीकाकरण से पहले स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिलों में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। विभाग ने लगभग दो लाख गर्भवती महिलाओं का वैक्सीनेशन करने की योजना बनाई है। कई जनपदों में गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से टीका केंद्र बनाए गए हैं। जिन जनपदों में अलग केंद्र की व्यवस्था नहीं है, वहां पर पहले से चल संचालित केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगाई जाएगी। लेकिन टीकाकरण में गर्भवती महिला को प्राथमिकता दी जाएगी।

राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डा. कुलदीप सिंह मर्तोलिया का कहना है कि केंद्र की ओर से गर्भवती महिलाओं को कोविड वैक्सीन लगाने के दिशानिर्देश दिए गए थे। सभी जिलों में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण देने के बाद टीकाकरण शुरू किया गया है। गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से वैक्सीन का कोटा निर्धारित नहीं है। सामान्य कोटे से उन्हें वैक्सीन की डोज लगाई जाएगी।

प्रदेश में जनपद वार अब तक 18 से अधिक आयु वर्ग के टीकाकरण का प्रतिशत

जिला पहली डोज दूसरी डोज (प्रतिशत में)
अल्मोड़ा 73.8 26.2
बागेश्वर 99.1 29.6
चमोली 84.0 27.7
चंपावत 83.5 24.0
देहरादून 60.8 24.6
हरिद्वार 46.4 11.9
नैनीताल 65.6 20.1
पौड़ी 67.3 25.3
पिथौरागढ़ 69.1 20.2
रुद्रप्रयाग 95.6 24.0
टिहरी 67.6 22.0
ऊधमसिंह नगर 43.5 11.0
उत्तरकाशी 84.2 27.0 
 
कुल- 60.6 19.2

 

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अफगानिस्तान में रक्षा मंत्री आवास के पास विस्फोट

काबुल :-  अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मंगलवार शाम देश के कार्यवाहक रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह मोहम्मद के आवास के पास एक विस्फोट हुआ। अफगान मीडिया ने ट्वीट कर इस खबर की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि, रक्षा मंत्री आवास के पास खड़ी एक कार धमाके को अंजाम दिया गया है।देश के एक मीडिया चैनल प्रमुख के मुताबिक, जिस वक्त यह विस्फोट हुआ रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह खान घर पर नहीं थे। टोलो न्यूज के प्रमुख लोतफुल्ला नजफिजादा ने एक ट्वीट में जानकारी दी कि रक्षा मंत्री के परिवार को भी घर से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। वहीं, स्थानीय मीडिया ने सुरक्षा सूत्रों के हवाले से बताया कि काबुल में आज शाम आठ बजे अफगानिस्तान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री के आवास के पास एक विस्फोट हुआ। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विस्फोट के कुछ मिनट बाद ही घटनास्थल से धुआं निकलते देखा गया था। जानकारी के मुताबिक, तालिबान देश के 223 जिलों को नियंत्रित कर रहा है। लॉन्ग वॉर जर्नल के अनुसार, जिसकी गणना सीएनएन के अनुमानों से मेल खाती है। इसमें कहा गया है कि 34 प्रांतीय राजधानियों में से 17 को तालिबान से सीधे तौर पर खतरा है।
 

 

 

 

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अफगानिस्तान के राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों में कम से कम 254 तालिबान मारे गए, 97 घायल

अफगानिस्तान:-  राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों द्वारा देश भर के विभिन्न प्रांतों में किए गए अभियानों में कम से कम 254 तालिबान मारे गए और 97 अन्य घायल हो गए। रविवार को अफगान के रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। अफगान सुरक्षा बलों ने गजनी, कंधार, हेरात, फराह, जोज्जान, बल्ख, समांगन, हेलमंद, तखर, कुंदुज, बगलान, काबुल और कपिसा प्रांतों में तालिबान आतंकवादियों के खिलाफ अभियान और जवाबी हमले किए थे। 

अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट किया "पिछले 24 घंटों के दौरान गजनी, कंधार, हेरात, फराह, जोजजान, बल्ख, समांगन, हेलमंद, तखर, कुंदुज, बगलान, काबुल और कपिसा प्रांतों में एएनडीएसएफ के अभियानों के परिणामस्वरूप 254 तालिबान आतंकवादी मारे गए और 97 घायल हो गए। इसके अलावा, 13 IED को #ANA द्वारा खोजा और निष्क्रिय किया गया।"
 
पिछले कुछ हफ्तों में, तालिबान ने देश के पूर्वोत्तर प्रांत तखर सहित अफगानिस्तान के कई जिलों पर कब्जा कर लिया है। अफगान विदेश मंत्रालय के अनुसार तालिबान ने 193 जिला केंद्रों और 19 सीमावर्ती जिलों पर कब्जा कर लिया है। तालिबान ने तखर, कुंदुज, बदख्शां, हेरात और फराह प्रांतों में देश भर में 10 सीमा पार करने वाले पॉइंट्स पर भी नियंत्रण कर लिया है, जिससे इन क्षेत्रों में सीमा पार से आवाजाही और व्यापार पूरी तरह से बंद हो गया है।

 

 

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ईरान ने तेल टैंकर पर हमले को लेकर इजराइल के आरोपों को किया खारिज

ईरान :-  विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने रविवार को ओमान के तट पर अरब सागर में एक इजराइली स्वामित्व वाली कंपनी द्वारा प्रबंधित एक तेल टैंकर पर हालिया हमले के बारे में इजराइल के आरोपों को खारिज कर दिया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सईद खतीबजादेह ने तेल टैंकर हमले में ईरान की कथित संलिप्तता के इजराइल द्वारा लगाए गए आरोपों के खिलाफ टिप्पणी की खतीबजादेह ने कहा कि इन आरोपों बयानों की निंदा की जाती है, ये आरोप निराधार हैं।

गुरुवार को हमला कथित तौर पर एक विस्फोटक ड्रोन द्वारा शुरू किया गया था, जिसमें चालक दल के दो सदस्यों की मौत हो गई थी।

 

 

 

 

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हांगकांग : भ्रष्टाचार के आरोप में लोकतंत्र समर्थक पॉप गायक गिरफ्तार

हांगकांग :-  एक मशहूर गायक एंथनी वोंग को भ्रष्टाचार रोधी संस्था ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया। गायक पर राजनीतिक रैली में गाना गा कर कानून का उल्लंघन करने का आरोप है। दरअसल गायक वोंग ने तीन साल पहले एक राजनीतिक रैली में गाना गाया था जो कानून का उल्लंघन है। बता दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ बने एक स्वतंत्र आयोग की रिपोर्ट पर एंथोनी वोंग की गिरफ्तारी की गई। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
 
वोंग पर आयोग ने आरोप लगाया है कि उन्होंने 2018 में लोकतंत्र समर्थक औ नोक हिन के विधान परिषद के उपचुनाव में रैली में भाग लेकर कार्यक्रम किया। आयोग ने इसको भ्रष्टाचार माना है। रैली का वोंग के नाम से सोशल मीडिया में प्रचार भी किया गया था। नेता औ नोक हिन इस समय जेल में है। वह भी उन 47 लोगों में शामिल हैं। अर्द्ध स्वायत्त चीनी क्षेत्र में लोकतंत्र के लिए मुहिम चलाने वालों के खिलाफ सरकार के अभियान के तहत वोंग को गिरफ्तार किया गया।

हांगकांग में भ्रष्टाचार के खिलाफ स्वतंत्र आयोग ने कहा कि 2018 की रैली में वोंग ने दो गाने गाए थे और रैली में उपस्थित लोगों से विधानसभा उपचुनाव में लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवार अउ नोक हिन को वोट देने की अपील की थी। संस्था ने अउ को भी आरोपित किया है। अउ पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर रैली का प्रचार प्रसार किया और बताया कि वोंग प्रस्तुति देंगे। अउ की उस चुनाव में जीत हुई थी।

 

 

 

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अफगानिस्‍तान में तीन प्रांतों में तालिबान और अफगान सेना के बीच शुरू हुआ भीषण जंग

दक्षिणी और पश्चिमी अफगानिस्‍तान में तीन प्रांतों में तालिबान और अफगान सेना के बीच भीषण जंग शुरू हो गई है। तालिबान देश के तीन बड़े शहरों पर कब्‍जा करना चाहता है और इसी वजह से उसने जोरदार हमले शुरू किए हैं। पाकिस्‍तान से आए जिहादी आतंकी उसकी इस काम में मदद कर रहे हैं। अफगान सेना ने तालिबान को करारा जवाब देने के लिए हेरात शहर में बड़ी संख्‍या में कमांडो तैनात किए हैं।वहीं देश के दक्षिण में स्थित हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्‍कर गाह में तालिबान के घातक हमलों के बाद और ज्‍यादा सैनिकों की मांग की गई है। तालिबान ने देश के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार को भी निशाना बनाया है और वहां से विमानों की उड़ान को रोक दिया गया है। तालिबान ने रविवार को कंधार एयरपोर्ट पर रॉकेट हमला किया था। समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक देश के ज्‍यादातर शहरों में अब विमानों के उड़ान को रोक दिया गया है।


अफगानिस्‍तान में हवाई सेवा का जल्‍द से जल्‍द शुरू हो जाना जरूरी है क्‍योंकि इसके जरिए ही सैन्‍य मदद भेजी जा रही है। इस बीच तालिबान ने कंधार, हेरात और लश्‍कर गाह शहर को चारों ओर से घेर रखा है। एएफपी न्‍यूज एजेंसी ने हेलमंद प्रांत के प्रमुख अताउल्‍ला अफगान ने कहा, 'शहर के अंदर जंग जारी है। हमने विशेष सुरक्षा बलों को तैनात करने की मांग की है।' अफगान सुरक्षा बल अब हवाई हमलों पर ज्‍यादा जोर दे रहे हैं ताकि आतंकियों को शहरों से पीछे ढकेला जा सके।

लश्‍कर गाह शहर के एक निवासी हलीम करीमी ने कहा, 'शहर बहुत ही बुरे हाल में है। मैं नहीं जानता हूं कि क्‍या होगा।' इस शहर की आबादी करीब दो लाख है। उन्‍होंने कहा कि न तो तालिबान हम पर दया दिखाएंगे और न ही अफगान सरकार बमबारी बंद करेगी। उधर, पश्चिमी हेरात शहर के बाहरी इलाके में भीषण जंग जारी है। अफगान सेना ने तालिबान के ठिकानों पर रात में बमबारी की है। हेरात के गवर्नर के प्रवक्‍ता ने बताया कि 100 से ज्‍यादा तालिबान आतंकी मारे गए हैं। तालिबान और अफगान सरकार दोनों ही आतंकियों की संख्‍या को बहुत बढ़ाचढ़ाकर पेश कर रहे हैं। रविवार को अफगानिस्‍तान के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि सैकड़ों कमांडो को हेरात शहर को बचाने के लिए भेजा गया है। उन्‍होंने कहा कि ये सैनिक तालिबान के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई करेंगे। इस बीच अफगान राष्‍ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान की आलोचना की है और कहा कि उसकी शांति की कोई मंशा नहीं है।
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भारतीय सुरक्षा बलों ने खतरे को देखते हुए जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों के साथ-साथ भीतरी इलाकों में जारी किया अलर्ट

 पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नए आतंकी कंट्रोल रूम बनाना शुरू कर दिया है. साथ ही स्वतंत्रता दिवस से पहले जम्मू-कश्मीर पर हमले शुरू करने के लिए आतंकी समूहों के बीच तालमेल भी बना रहा है. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की आईएसआई ने स्वतंत्रता दिवस से पहले जम्मू-कश्मीर को लहूलुहान करने के लिए एक नई आतंकी योजना बनाई है. आईएसआई ने पीओके में कई आतंकी समूहों से संपर्क किया है और 15 अगस्त से पहले सुरक्षा बलों पर हमले शुरू करने के लिए तालमेल बना रहा है


सूत्रों ने कहा कि इन बैठकों में आतंकी हमलों की योजना बनाने के साथ जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घुसपैठ के लिए नए घुसपैठ रास्तों की योजना बनाई गई है. अंग्रेजी टीवी चैनल 'इंडिया टुडे' की खबर के मुताबिक पाकिस्तान की आईएसआई जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के लिए नए रास्ते तलाश रही है और पीओके में नए कंट्रोल रूम भी स्थापित कर रही है. पाकिस्तान के आईएसआई और आतंकवादी समूह एलओसी के जरिए जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने की योजना बना रहे हैं, जिनकी पहचान सुरक्षा एजेंसियों ने की है.

इन 8 रास्तों की पहचान की गई है-
 1: नाली (पीओके) से महादेव गैप से मजोत से डुंडेसर वन से कलाकोट से जम्मू-कश्मीर तक.
 2: कोटकोटेरा (पीओके) से ब्राल गली से बागला से कलाकोट से जम्मू-कश्मीर.
 3: निकेल (पीओके) से कोंगा गली से दादोट होते हुए मनजोत से जम्मू-कश्मीर.
 4: कश्मीर के रास्ते बंताल गांव (पीओके) से कास नाला तक.
 5: गोई (पीओके) से सोन गली से नंदेरी से गुरसैन सूरनकोट से जम्मू-कश्मीर.
 6: तारकुंडी (पीओके) कंडी होते हुए बुडाहल से जम्मू-कश्मीर.
 7: डबासी (पीओके) झिका गली से हरनी जंगल से सूरनकोट से जम्मू-कश्मीर.
 8: कुइरेटा (पीओके) मोहरा गैप से जम्मू-कश्मीर तक
 
खुफिया इंटरसेप्ट्स ने आगे खुलासा किया है कि पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ 27 नए आतंकी लॉन्च पैड सक्रिय किए हैं, जिससे 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ में मदद मिल सकें. पीओके में लॉन्च पैड को आतंकवादियों के साथ मजबूत किया गया है और जून से लगभग 146 आतंकवादियों को अलग-अलग लॉन्च पैड पर रखा गया है.

 

 

 

 

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अफगानिस्तान में बड़ा हमला,कंधार एयरपोर्ट पर मचा हड़कंप

कंधार: अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं  की वापसी के बाद तालिबान  ने अपने हमले तेज कर दिए हैं. इस बीच न्यूज एजेंसी AFP की खबर के मुताबिक बीती रात कंधार एयरपोर्ट पर रॉकेट अटैक हुआ है. एयरपोर्ट के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है. एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक देर रात हुए हमले में कम से कम तीन रॉकेट दक्षिणी अफगानिस्तान में स्थित कंधार एयरपोर्ट  पर आकर गिरे.

 
तालिबान ने अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर कब्जा करने के लिए अपनी मुहिम को और तेज करते हुए उसे नई धार दी है. दरअसल देश के अधिकतर हिस्से में अफगान सुरक्षा बलों और तालिबानी लड़ाकों के बीच जंग जारी है. वहीं कंधार एयरपोर्ट प्रमुख मसूद पश्तून ने के मुताबिक एयरपोर्ट पर तीन रॉकेट दागे गए और जिसमें से दो रनवे से टकराए. इस वजह से एयरपोर्ट से सभी उड़ानें रद कर दी गई हैं. ये हमला ऐसे समय पर हुआ है, जब तालिबान के लड़ाकों ने हेरात, लश्कर गाह और कंधार को चारों ओर से घेर लिया है. सितंबर तक विदेशी बलों की वापसी के ऐलान के बाद से ही तालिबान ने देश के ग्रामीण इलाकों में जबरदस्त बढ़त हासिल की है.
इस बीच अफगान सुरक्षा बलों के मुताबिक कल यानी बीते शनिवार को हेलमंड प्रांत के लश्करगाह में चलाए गए सैन्य अभियान में दो बड़े तालिबानी कमांडरों समेत 51 आतंकवादी मारे गए हैं. इसी अभियान में 40 तालिबानी आतंकियों के घायल होने की पुष्टि भी की गई है
 
कंधार अभी भी अफगान सरकार के नियंत्रण में है, लेकिन यहां तालिबान तेजी से कब्जा करने की कोशिश कर रहा है. कंधार अफगानिस्तान के महत्वपूर्ण शहरों में से एक है. बीते कुछ दिनों से यहां तालिबान ने हमले तेज कर दिए हैं. रॉकेट हमले हो रहे हैं. मासूम लोगों को मारा जा रहा है. हालात ये हैं कि लोग अपना घर छोड़कर रिफ्यूजी कैम्प में रहने को मजबूर हैं.

सरकार ने कंधार में एक रिफ्यूजी कैम्प बनाया है, जिसमें 11 हजार से ज्यादा परिवार रह रहे हैं. कंधार के सांसद सैयद अहमद सैलाब ने कुछ दिन पहले बताया था कि ईद के बाद तालिबान ने अफगानी फौज पर हमले तेज कर दिए हैं. पूरे कंधार में आम लोग तालिबान और फ़ौज के बीच जारी संघर्ष के बीच फंस गए हैं और हालत ये है कि सैकड़ों गांवों से हज़ारों लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में घर से भागने को मजबूर हो चुके हैं.

 

 

 

 

 

 

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