धर्म समाज

अगले 6 महीने तक इन राशि वालों पर मेहरबान रहेंगे शनिदेव

धन और वैभव में खूब होगी वृद्धि
शनिदेव को कर्मफल दाता और न्याय के देवता कहा जाता है। शनिदेव व्यक्ति को उसके अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। हर व्यक्ति उनके कोप से बचना चाहता है। शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं। शनिदेव जब भी अपना राशि परिवर्तन करते हैं या गोचर करते हैं, उसका प्रभाव सभी राशि के जातकों पर पड़ता है। शनि इस समय अपनी राशि कुंभ में मौजूद हैं। वे इस राशि में 2025 तक रहेंगे। इसके अलावा बीते 15 मार्च को शनि ने शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश कर लिया है। शनि 17 अक्टूबर तक शतभिषा नक्षत्र में रहेंगे। जिसके पहले चरण के स्वामी गुरु हैं। शनि का शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश 5 राशि वालों को बेहद शुभ फल प्रदान करने वाला है।
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए अक्टूबर तक का समय काफी शुभ है। इस दौरान मेष राशि के जातक कोई बिजनेस शुरू कर सकते हैं। ये समय कारोबारियों के लिए भी काफी लाभकारी साबित होगा। नौकरीपेशा लोगों को पद प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है। धन लाभ के योग बन रहे हैं।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों को शनि का शतभिषा नक्षत्र प्रवेश काफी लाभ देने वाला है। इन राशि के जातकों के लंबे समय से रुके हुए काम पूरे होंगे। विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं। व्यापार में लाभ मिलेगा। करियर में तरक्की मिलेगी। आय में वृद्धि हो सकती है।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों को शनि का शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश अक्टूबर तक करियर में सफलता देगा। नौकरी करने वाले लोगों के लिए समय शुभ रहेगा। उच्च अधिकारियों का सहयोग प्राप्त होगा।आय में वृद्धि हो सकती है। प्रमोशन मिल सकता है।
तुला राशि
तुला राशि वालों के लिए शनि 17 अक्टूबर तक काफी शुभ फल देने वाले हैं। मनचाही जगह प्रमोशन मिल सकता है। आय में वृद्धि होगी। व्यापारियों को धन लाभ हो सकता है। इन जातकों को अब जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। करियर में तरक्की मिलेगी।
धनु राशि के जातकों को शनि का शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश काफी शुभ फल देने वाला है। लंबे समय से अटके हुए काम पूरे होंगे। पुरानी समस्याएं खत्म होंगी। व्यापारियों को खूब लाभ होगा। दांपत्य जीवन में खुशियां आ सकती हैं। किस्मत का पूरा सहयोग प्राप्त होगा।

डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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बुधदोष के हानि से बचने के करें ये उपाय

हर किसी के जीवन में ग्रह नक्षत्र और कुंडली का महत्व होता है। इनका शुभ होना जीवन में सुख समृद्धि और सफलता प्रदान करता है लेकिन अगर किसी जातक की कुंडली में कोई ग्रह अशुभ है या फिर कमजोर है तो ऐसे में व्यक्ति को हर क्षेत्र में हानि का सामना करना पड़ता है।
ज्योतिष अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली में बुध कमजोर है तो ऐसे में जातक की शारीरिक और मानसिक दिक्कतें बढ़ जाती है और एकाग्रता में भी कमी आती है। ऐसे में इन समस्याओं से छुटकारा पाने और बुध दोष से मुक्ति के लिए बुधवार के दिन कुछ उपायों को करना उत्तम होता है। तो आज हम आपको बता रहे है बुध ग्रह को मजबूत करने के आसान उपाय।
बुध ग्रह को मजबूत करने के उपाय-
अगर आप कुंडली के बुध को मजबूत करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले बुध देव को प्रसन्न करना होगा और बुध देव को प्रसन्न करने के लिए बुधवार का दिन उत्तम मान जाता है। इस दिन हरे रंग के वस्त्र धारण करें। ऐसा करने से बुध के अशुभ प्रभाव दूर रहते है। इसके अलावा आज के दिन गाय को हरी घास खिलाएं और हो सके तो बुधवार के दिन उपावास भी करें।
बुधवार के दिन भगवान श्री गणेश और बुध देव की विधिवत पूजा करें। इस दिन बिना नमक का मूंग दाल बनाकर ग्रहण करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से कुंडली का बुध मजबूत होता है। इसके साथ ही आज के दिन हरी घास, साबुत मूंग, कास्य के बर्तन, नीले पुष्प, हरे नीले रंग के वस्त्र और हाथी के दातों का दान करना उत्तम माना जाता है। इन उपायों को करके आप बुध ग्रह की शुभता को हासिल कर सकते है और हर क्षेत्र में सफलता पा सकते है।
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20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण

साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगने जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को साल का पहला ग्रहण लगेगा। हर वर्ष सूर्य और चंद्र ग्रहण लगते हैं जिसे विज्ञान में इस खगोलीय घटना माना जाता है जबकि ज्योतिष शास्त्र में इस खगोलीय घटना का विशेष महत्व होता है। 20 अप्रैल को लगने वाला यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा जिस कारण से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। हालांकि इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव हर एक राशि के जातकों के जीवन पर अवश्य ही पड़ेगा। 20 अप्रैल को लगने वाले इस सूर्य ग्रहण को वैज्ञानिक हाइब्रिड सूर्य ग्रहण का नाम दे रहे हैं। आइए जानते हैं साल के पहले सूर्य ग्रहण से जुड़ी सभी जानकारियां।
साल 2023 का पहला ग्रहण वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगने वाला है। साल के इस पहले ग्रहण की शुरुआत 20 अप्रैल 2023 को सुबह 7 बजकर 04 मिनट से होगी। यह सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर खत्म हो जाएगा। इस तरह से ग्रहण 5 घंटे 24 मिनट तक रहेगा। इस सूर्य ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा जबकि दुनिया के बाकी हिस्सों में इसे आसानी से देखा जा सकेगा।  
कैसा होगा सूर्य ग्रहण
खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक साल का पहला सूर्य ग्रहण 3 तरह का दिखाई देगा जिसमें यह आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार के रूप में होगा। इस तरह से साल 2023 का यह पहला सूर्य ग्रहण हाइब्रिड सूर्य ग्रहण होगा क्योंकि जब सूर्य ग्रहण आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार रूप में हो तो इसे हाईब्रिड सूर्य कहते हैं। आंशिक सूर्य ग्रहण की घटना के दौरान चंद्रमा सूर्य के छोटे से हिस्से को ढक पाता है। वहीं पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों ही एक ही सीध में होते हैं। ऐसे में धरती के एक हिस्से में कुछ देर के लिए पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है। इसके अलावा कुंडलाकार सूर्य ग्रहण होता है जब ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य के बीचों-बीच आ जाता है फिर सूर्य एक चमकदार रिंग की तरह दिखाई देने लगता है। इस तरह के सूर्य ग्रहण को रिंग ऑफ फायर कहा जाता है। 
सूर्य ग्रहण का प्रभाव
भारत में इस सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा। जिस कारण से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है। सूर्य ग्रहण के लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है जिस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य, पूजा और खाना इत्यादि नहीं बनाया जाता है। सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी जातकों के ऊपर पड़ता है। साल के पहले सूर्य ग्रहण का प्रभाव सिंह, वृश्चिक, कुंभ और मीन राशि के जातकों पर पड़ सकता है। 
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तिरुमाला में श्रीवारी सर्वदर्शन के लिए 30 घंटे का समय

अमरावती। तिरुमाला में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है. लगातार छुट्टियों के कारण कलियुग श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करने के लिए विभिन्न स्थानों से भक्त बड़ी संख्या में तिरुमाला पहुंचे हैं। सभी डिब्बे भरे हुए थे और मातृश्री थरिगोंडा वेंगमम्बा अन्नप्रसाद भवन के पत्थर के मेहराब तक भक्त कतार में खड़े थे। टीटीडी अधिकारियों ने खुलासा किया कि बिना टोकन वाले भक्तों को 30 घंटे के भीतर सर्वदर्शन मिल जाएगा। इस मौके पर बिना टाइम स्लॉट टोकन वालों को पहाड़ी पर नहीं आने को कहा गया। जिन स्थानों पर भक्तों की भीड़ होती है वहां भोजन, दूध और पीने का पानी। अधिकारियों ने बताया कि इसे उपलब्ध कराने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। शनिवार शाम तक 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने स्वामी के दर्शन किए।
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जल्द ही इन राशि वालों को मिलेगा भाग्य का साथ

खुशियों का होगा आगमन
प्रत्येक ग्रह एक अवधि के लिए अस्त होते हैं और कुछ समय इसी अवस्था में रहने के बाद उदित होते हैं। ग्रहों के अस्त और उदित होने से सभी राशियों पर सकारात्मक व नकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार गुरु ग्रह इस समय स्वराशि मीन में हैं। अब 12 साल बाद गुरु मेष राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। 22 अप्रैल 2023 को गुरु गोचर करेंगे और इसके बाद वे 27 अप्रैल को मेष राशि में उदय होंगे। इस समय गुरु मीन राशि में अस्तर स्थिति में हैं। गुरु शुभ हो तो जातक जिस भी क्षेत्र में जाए खूब लाभ और सफलता प्राप्त करते हैं। आइए जानते हैं कि 27 अप्रैल को गुरु उदय से किन राशि वालों का भाग्योदय होगा।
मेष राशि
27 अप्रैल 2023 को मेष राशि में गुरु उदय इस राशि के जातकों को काफी लाभ देने वाला है। इस अवधि में धन लाभ के संकेत मिल रहे हैं और आर्थिक क्षेत्र में मजबूती बढ़ेगी। वाणी में मधुरता आएगी और किए कार्य के अच्छे परिणाम दिखाई देंगे। सैलरी में बढ़ोतरी मिलने के प्रबल योग बन रहे हैं। व्यापार में भी लाभ होगा।
मिथुन राशि
गुरु उदय का सकारात्मक प्रभाव मिथुन राशि के जातकों पर भी पड़ेगा। भाग्योदय का संकेत है। रुके हुए कार्य पूरे होंगे और व्यापार या काम के लिए यात्रा पर जा सकते हैं। आपकी आय में बढ़ोतरी होगी। पैतृक संपत्ति मिल सकती है। गुरु का उदय तगड़ा लाभ करा सकता है।
सिंह राशि
गुरु का उदय सिंह राशि वालों के लिए नौकरी और व्यापार में काफी लाभ कराने वाला है। नौकरी में पदोन्नति और बेहतर इंक्रीमेंट के योग बन रहे हैं। गुरु ग्रह इनके भाग्य में वृद्धि करने वाले हैं। ऐसे में धार्मिक कार्यक्रम, मांगलिक कार्य और धार्मिक यात्राओं का सिलसिला बढ़ेगा। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा।
कुंभ राशि
गुरु का उदय कुंभ राशि वालों के लिए काफी लाभप्रद साबित होने वाला है। इस राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। ऐसे में इन जातकों को शनि के कष्टों से राहत मिलेगी। नौकरीपेशा जातकों कई तरह के लाभ हो सकते हैं। सैलरी में बढ़ोतरी होगी। यह समय निवेश करने के लिए अच्छा है।
 
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खरमास खत्म होते ही शुरू हो जाएंगे शुभ कार्य, मई-जून में हैं इतने शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है, जिसे मान्यताओं का धर्म माना जाता है। हिंदू धर्म में हर काम शुभ मुहूर्त देखकर ही किए जाते है। शादी-विवाह, मुंडन समेत सभी प्रकार के मांगलिक और धार्मिक कार्य बिन मुहूर्त के नहीं किए जाते हैं।
गौरतलब है कि 15 मार्च से खरमास का महीना चल रहा है। जिसे हिंदू धर्म में अशुभ माना गया है, इसलिए इस महीने किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लगी हुई है। सूर्य के मेष राशि में गोचर करने के साथ खरमास खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही मांगलिक कार्यों पर लगी रोक भी खत्म हो जाएगी।
कब खत्म होगा खरमास
हिंदू पंचांग के अनुसार 15 मार्च को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से सूर्य के मीन राशि में गोचर करते ही खरमास शुरू हुआ है। जिसका समापन 14 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 59 मिनट पर सूर्य के मेष राशि में गोचर करते ही हो जाएगा। इसके बाद से सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे शादी-विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, गृह प्रवेश, सगाई, नया कारोबार शुरू करने जैसे सभी कार्य शुरू हो जाएंगे।
अप्रैल 2023 में शादी-विवाह के मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार अप्रैल महीने में शादी-विवाह का कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। ऐसे में मई में ही लोगों की शादी के शुभ मुहूर्त देखने को मिलेंगे।
मई 2023 में शादी-विवाह के मुहूर्त
मई महीने में विवाह का शुभ मुहूर्त 2 ,3, 4, 5, 6, 8, 9, 10, 11, 15, 16, 20, 21, 22, 27, 29 और 30 मई को है। यानी कुल मिलाकर मई महीने में विवाह के 17 शुभ मुहूर्त हैं। ऐसे में खरमास खत्म होने के बाद शादी की पहली शहनाई 2 मई से बजनी शुरू होगी।
जून 2023 विवाह मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार 1, 3, 5, 6, 7, 11, 12, 23, 24, 26 और 27 जून को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। यानी जून महीने में कुल 11 शुभ मुहूर्त वाले दिन हैं। जिनमें शादी या फिर कोई भी शुभ कार्य किए जा सकते है।
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गंगा सप्तमी 27 अप्रैल को, जानें शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में गंगा नदी का विशेष महत्व है और सनातन धर्म में गंगा नदी को देवी के समान पूजा जाता है। सनातन धर्म में मां गंगा को मोक्षदायिनी कहा जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि गंगा नदी का धरती पर आगमन सप्तमी तिथि को हुआ था, इसलिए हर साल गंगा सप्तमी मनाई जाती है।
हिन्दू पंचांग के मुताबिक वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन गंगा सप्तमी मनाई जाती है। साल 2023 में गंगा सप्तमी तिथि 26 अप्रैल यानी बुधवार को आएगी। बुधवार को सुबह 11.27 बजे से पूजा का मुहूर्त होगा, जो 27 अप्रैल, को दोपहर 1.38 मिनट तक रहेगा। उदया तिथि के चलते गंगा सप्तमी का पर्व 27 अप्रैल को मनाया जाएगा।
शुभ मुहूर्त
गंगा सप्तमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5.2 मिनट से शुरू होगा, जो 11.59 मिनट तक रहेगा। इस दौरान मां गंगा की आराधना करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार गंगा स्नान करने से व्यक्ति को सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है। 27 अप्रैल को मध्याह्न मुहूर्त सुबह 12 बजे से लेकर 1.50 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में मां गंगा के मंत्रों का जाप करने से पापों का नाश होता है और पुण्य मिलते हैं।
जानें क्या है गंगा सप्तमी का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा में डुबकी लगाते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के दुख, बीमारी, कष्ट आदि दूर हो जाते हैं। जीवन में सफलता, सुख, समृद्धि प्राप्त होती है।

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वरुथिनी एकादशी व्रत का क्या है महत्व

साल 24 एकादशी होती है क्योंकि हर महीने 2 एकादशी पड़ती है. एक एकादशी कृष्ण पक्ष में तो दूसरी शुक्ल पक्ष में पड़ती है. एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. हिंदू कैलेंडर के दूसरे महीने वैशाख के कृष्ण पक्ष में वरुथिनी एकादशी पड़ती है. इस दिन भगवान विष्णु के वराह रूप की पूजा की जाती है. इस दिन के व्रत, स्नान और दान का अधिक महत्व शास्त्रों में बताया गया है. मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी के व्रत से अन्नदान और कन्यादान दोनों श्रेष्ठ दानों का फल मिल जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है और चलिए आपको बताते हैं वरुथिनी एकादशी किस तारीख को है और इसकी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
कब है वरुथिनी एकादशी व्रत?
वैशाख 2023 के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं. इस साल ये व्रत 16 अप्रैल दिन रविवार को रखा जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा करे से रोग-दोष मिट जाते हैं. व्रत के प्रभाव से मनुष्य को विष्णु जी के वैकुंठ लोक में स्थान मिलता है. वरुथिनी एकादशी की शुरुआत 15 अप्रैल 2023 की रात 8.45 बजे होगी और इसकी समाप्ति 16 अप्रैल 2023 की शाम 6.14 बजे होगी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अप्रैल की सुबह 7.32 बजे से लेकर सुबह 10.45 बजे तक है. इस व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी को करना होगा. वरुथिनी एकादशी का पारण 17 अप्रैल 2023 की सुबह 5.54 बजे से लेकर 8.29 बजे कर कर सकते हैं.
वरुथिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि
5 अप्रैल को पूरा दिन सात्विक भोजन करें जिससे आप अगले दिन एकादशी का व्रत करने के योग्य बन सकें. एकादशी के व्रत दो तरीकों से रहे जाते हैं एक निर्जला और दूसरा फलाहार. आप सुबह सुबह इसका संकल्प भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने ले सकते हैं. उसके बाद दिन की शुरुआत और पूजा कैसे करनी है वो प्वाइंट्स में समझें.
1. सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर लें. हो सके तो स्नान गंगाजी में करें अगर संभव नहीं है तो गंगाजल नहाने के पानी में दो बूंद डालकर नहा सकते हैं.
2. इसके बाद हाथ में थोड़ा गंगाजल और अक्षत लेकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने व्रत का संकल्प लें और उन्हें प्रणाम करें.
3. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं. अब भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने बैठ जाएं. उन्हें तिलक करें, अक्षत, फूल, धूप-दीप और भोग अर्पित करें.
4. भगवान विष्णु के पूजन में तुलसी की पत्तियों को जरूर शामिल करें वरना पूजा अधूरी मानी जाती है. पूजान के दौरान ॐ नमो भगवत वासुदेवाय नम: का जाप जरूर करें.
5. इसके बाद रात में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें. पूरे दिन समय समय पर भगवान का नाम लेते रहें और रात में पूजा स्थल के पास कीर्तन या जागरण कर सकते हैं.
6. द्वादशी के दिन व्रत का पारण शुभ मुहूर्त पर ही करें. अगर सामर्थ्य है तो गरीबों को भोजन कराएं और वही प्रसाद खुद खाएं. इससे आपको विष्णु जी का विशेष आशीर्वाद मिलेगा.
वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व
स्कंद पुराणा के अनुसार, वरुथिनी एकादशी के दिन सौभाग्य प्राप्त किया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि संसार में अन्न-दान से श्रेष्ठ कोई दान नहीं होता है. जिससे पितृ, देवता, मनुष्य सभी तृप्त होते हैं. मान्यता है कि श्रीकृष्ण वरुथिनी एकादशी का महाम्त्य अर्जुन को समझाते हुए बता चुके हैं कि वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत करने वाले अगर अन्न का दान करता है तो उसे 10 सालों की तपस्या के बराबर फल मिलता है. वरुथिनी एकादशी के दिन जल सेवा करने से दरिद्रता दूर होती है, दुखों का नाश होता है और दुर्भाग्य सौभाग्य बन जाता है.
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बुद्ध पूर्णिमा पर बन रहे हैं ये खास संयोग

जानें तिथि, योग और पूजा का शुभ मुहूर्त
बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया भर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह शुभ दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु का प्रतीक है, और बौद्ध संप्रदायों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गौतम बुद्ध के जीवन की तीनों महत्वपूर्ण घटनाएं - उनका जन्म, ज्ञान और मोक्ष - वर्ष के एक ही दिन आते हैं। इस घटना के कारण, बौद्ध धर्म में इस दिन का अत्यधिक महत्व है। साल 2023 में बुद्ध पूर्णिमा 5 मई (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। ये बुद्ध पूर्णिमा बेहद खास होगी क्योंकि इस बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लग रहा है। साथ ही ग्रह-नक्षत्रों का भी अजब संयोग बन रहा है। आइए जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त। 
बुद्ध पूर्णिमा 2023 तिथि
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ: 04 मई, गुरुवार, रात्रि 11:44 मिनट से शुरू 
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि समाप्त: 05 मई, शुक्रवार रात्रि 11:03 मिनट तक 
उदयतिथि के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा 05 मई शुक्रवार को मनाया जाएगा। 
बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण और सिद्धि योग के साथ है भद्रा काल
5 मई को वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। 
चंद्र ग्रहण का समय: 5 मई, शुक्रवार, रात्रि 8: 45 से  6 मई की मध्य रात्रि 1:00 बजे तक 
सिद्धि योग : सूर्योदय से प्रात: 09:17 मिनट तक 
स्वाति नक्षत्र: सुबह से रात 09:40 तक 
वैशाख पूर्णिमा के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त:  प्रातः 11: 51 मिनट से दोपहर 12:45 मिनट तक  
भद्राकाल: प्रातः 05: 38 मिनट से 11:27 मिनट तक 
चूंकि इस भद्रा का वास पाताल है, इसलिए इसका दुष्प्रभाव धरती पर नहीं पड़ेगा। 
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अक्षय तृतीय के दिन सोना-चांदी के अलावा खरीद सकते हैं ये 4 चीजें

मां लक्ष्मी को है प्रिय
अक्षय तृतीया को कई जगहों पर आखा तीज भी कहा जाता है। इस दिन का हिंदू धर्म में काफी महत्व होता है। कहा जाता है इस दिन किया हुआ दान-पुण्य का अक्षय फल यानी कभी खत्म ना होने वाला फल मिलता है, वहीं अगर इस दिन सोना, चांदी, जमीन या फिर कोई भी वस्तु खरीदना बहुत शुभ होता है। इस दिन किये गए जप, तप का भी श्रेष्ठ फल मिलता है।
हर साल वौशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पड़ती है। इस बार अक्षय तृतीया 22 अप्रैल, शनिवार को पड़गी, जो कि सुबह 07 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 23 अप्रैल सुबह 07 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। अक्षय तृतीया का दिन धन की देवी माता लक्ष्मी का दिन होता है।
अक्षय तृतीया को माना जाता है स्वयंसिद्ध मुहूर्त
अक्षय तृतीया का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी का दिन माना जाता है। कहा जाता है कि अक्षय तृतीया का दिन अपने आप में स्वयंसिद्ध मुहूर्त है, इसलिए इस दिन कोई भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त देखने की जरुरत नहीं होती है।
इस दिन अगर कोई नया काम शुरू किया जाए तो उसमें बरकत मिलती है और मांगलिक कार्यों के लिए भी अक्षय तृतीया का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। लेकिन अगर आप सोना नहीं खरीद पा रहे हैं तो इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। आप सोने के अलावा भी कई चीजें हैं जिन्हें खरीदकर घर लाएंगे तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी। तो आइए जानते हैं कौन-कौन सी हैं वो वस्तुएं-
1. पारद शिवलिंग
पारद शिवलिंग को घर में रखना बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन सोना नहीं खरीद पा रहे हैं तो पारद शिवलिंग को जरुर लेकर आएं और पूरे विधि-विधान से उसकी पूजा करें। पारद शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा तो मिलती है साथ ही इसको घर में रखने से माता लक्ष्मी और कुबेर देवता का स्थायी वास भी होता है।
2. कौड़ियां
अगर आप अक्षय तृतीया के दिन सोना नहीं खरीद पा रहे हैं तो आप इस दिन 11 कौड़ियां खरीदकर उनकी पूजा करें। मान्यताओं के अनुसार, माता लक्ष्मी को कौड़ी अत्यंत प्रिय है, इसलिए अगर आप अक्षय तृतीया के दिन कौड़ी जरूर खरीदें।
3. दक्षिणावर्ती शंख
अक्षय तृतीया के दिन घर में दक्षिणावर्ती शंख घर लेकर आएं। क्योंकि माना जाता है कि दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से लक्ष्मी माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है और इसे घर में रखने से मां लक्ष्मी का वास भी होता है।
4. एकाक्षी नारियल
अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी मां की कृपा पाने के लिए घर में एकाक्षी नारियल जरूर लाएं। मान्यताओं के अनुसार जिन लोगों के पास एकाक्षी नारियल होता है उन लोगों पर माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है और इनके जीवन में कभी भी आर्थिक समस्या उत्पन्न नहीं होती।

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हनुमान जी की भक्ति भाव को आत्मसात करने की जरूरत : अरोड़ा

महासमुंद। बालयोगी विष्णु अरोड़ा ने कहा कि हनुमान जी की भक्ति भाव को आत्मसात करने की जरूरत है। जब तक भक्ति नहीं होगी तब तक भगवान की प्राप्ति नहीं होगी। इसलिए भक्ति मार्ग पर चलकर परमात्मा का पाने का प्रयास करना चाहिए।
आज रविवार को दादाबाड़ा में आयोजित श्री मारूति महायज्ञ के प्रवचन के दौरान बालयोगी श्री अरोड़ा ने भगवान हनुमान जी के भक्तिमय स्वरूप का वर्णन किया। बालयोगी श्री अरोड़ा के यज्ञस्थल पहुंचने पर यजमान विनोद सेवनलाल चंद्राकर व निर्मला चंद्राकर ने आरती उताकर स्वागत किया। बाद इसके प्रवचनकर्ता बालयोगी श्री अरोड़ा ने मधुरम मधुरम...गीत से व्याख्यान की शुरूआत करते हुए कहा कि भक्तिमय स्वरूप के बिना हनुमान चरित्र अधूरी रहेगी। उन्होंने रामचरित्र मानस के आधार पर वर्णन करते हुए कहा कि हनुमान जी का चरित्र बड़ा व्यापक है। भक्तिमय स्वरूप में हनुमान जी का विप्र ब्राह्मण रूप अदभूत रहा है। भगवान राम और हनुमान जी के मिलन के दौरान हनुमान जी विप्र रूप में सामने आए थे। हालांकि हनुमान जी सूक्ष्म, विकट सहित कई रूपों में सामने आए लेकिन विप्र रूप विलक्षण रूप रहा है। उन्होंने कहा कि हनुमान जी तीन बार विप्र रूप धारण किए। पहली बार सुग्रीव से मिलन के दौरान दूसरी बार भरत मिलन के दौरान और तीसरी बार विभिषण से मिलने के दौरान। तीनों बार हनुमान जी ने न केवल भक्त को भगवान से मिलाया बल्कि संकट भी दूर किए। यही सच्चे भक्ति की पहचान है। दूसरे का कष्ट हरे वहीं सच्ची भक्ति है, जो हनुमान जी की इस रूप की विशेषता है। हनुमान जी के इस रूप की भी साधना करनी चाहिए। उन्होंने भगवान की प्राप्ति के लिए पवित्र स्थान की महत्ता बताते हुए कहा कि शुद्ध भूमि में साधना करने से ईश्वर की जल्दी प्राप्ति होती है। पवित्र और अपवित्र स्थान का तन, मन व विचारों पर पड़ता है। इसके लिए उन्होंने माता सीता की खोज में निकले भगवान राम और लक्ष्मण के एक प्रसंग का उदाहरण भी दिया। प्रवचन के बाद हनुमान चालीसा का पाठ के साथ ही आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन शामिल रहे।
श्री मारूति महायज्ञ के चौथे दिन दोपहर से शाम साढ़े चार बजे तक भजन का कार्यक्रम हुआ। शानदार भजन की प्रस्तुति से उपस्थित श्रद्धालु झूम उठे। राजीव लोचन म्यूजिकल ग्रुप परसकोल ने एक से बढ़कर एक भजन की प्रस्तुतियां दी। जिससे माहौल भक्तिमय रहा।
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चाणक्य नीति : पुत्र सुगंधित फूल वाले वृक्ष के समान होना चाहिए

चाणक्य नीति ग्रंथ में आचार्य चाणक्य ने सफलता पाने के लिए कई गूढ़ रहस्यों के बारे में बताया है, यदि इन नियमों को जीवन में कोई पालन करता है तो उसे बहुत अधिक लाभ हो सकता है। इसके अलावा आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो भी व्यक्ति अपने ज्ञान का सदुपयोग करता है, वही श्रेष्ठ कहलाता है। वर्तमान में भी आचार्य चाणक्य की शिक्षा लाखों युवाओं को मार्गदर्शन दे रही है। चाणक्य नीति के इस भाग में आज हम बात करेंगे कि एक अच्छे पुत्र का महत्व क्या होता है? एक अच्छे पुत्र के क्या कर्तव्य होते हैं, इस बारे में विस्तार से जिक्र किया है।
एकेनापि सुवर्ण पुष्पितेन सुगन्धिना ।
वासितं तद्वनं सर्वं सुपुत्रेण कुलं यथा ।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में एक पेड़ का उदाहरण देते हुए कहा है कि जंगल में सुंदर और सुगंधित फूल वाले वृक्ष से दूर-दूर तक खुशबू आती है, एक पुत्र का व्यवहार भी ऐसा ही होना चाहिए, जो पूरे कुल का नाम ऊंचा करता हो। इसलिए हर बालक को अपने परिवार के सम्मान का ध्यान रखकर ही कार्य करना चाहिए। पुत्र की एक गलती पूरे कुल का नाम और यश डुबो देती है।
एकेन शुष्क वृक्षेण दह्यमानेन वह्निना ।
दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यथा ।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि जैसे एक सूखे पेड़ में आग लगने के कारण पूरा जंगल ही भयावह अग्नि की चपेट में आ जाता है, उसी प्रकार से कुपुत्र के कारण बरसों से परिवार के द्वारा कमाई गई इज्जत मिट्टी में मिल जाती है। इसलिए माता-पिता को भी अपने पुत्रों को सद्गति के ओर ले जाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।
आपको बता दें कि आचार्य चाणक्य सदियों पहले हुए थे, लेकिन उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं आज भी समाज को मार्गदर्शन दे रही हैं। आचार्य चाणक्य न केवल राजनीति, कूटनीति व युद्ध नीति का ज्ञान रखते थे, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न विषयों का भी विस्तृत ज्ञान था।

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पुरी बीच पर गुड फ्राइडे जीसस क्राइस्ट की प्रतिमा

भुवनेश्वर। किसी भी मौके पर रेत से कलाकृतियां बनाने वाले सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने एक बार फिर अपनी विशिष्टता का परिचय दिया है. पिछले हफ्ते श्री रामनवमी के अवसर पर, ओडिशा के पुरी समुद्र तट पर राम मंदिर के साथ श्रीराम की मूर्ति बनाने वाले सुदर्शन पटनायक ने हाल ही में गुड फ्राइडे के अवसर पर रेत पर ईसा मसीह और एक क्रॉस की मूर्ति स्थापित की। उस पर गुड फ्राइडे और प्रेयर फॉर पीस लिखा हुआ था।
ईसाई धर्म में, गुड फ्राइडे ईस्टर से पहले शुक्रवार को मनाया जाने वाला एक यादगार दिन है। इसी दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। कलवारी पर उनकी मृत्यु की याद में एक ईसाई अवकाश। ईसा मसीह की याद में इस दिन को गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है। ईसाई इतिहास के अनुसार गुड फ्राइडे शोक का दिन है।
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विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत 9 अप्रैल को, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

पवित्र वैशाख महीने की शुरुआत हो चुकी है। बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर भगवान गणेश के एकदंत रूप की पूजा का विधान है। मान्यता है कि विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश और चतुर्थी देवी की उपासना करने से साधकों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस दिन चंद्र देव की पूजा का भी विशेष महत्व है। आइए जानते हैं, कब है वैशाख मास का पहला चतुर्थी व्रत, शुभ मुहूर्त और महत्व?
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का शुभारंभ 09 अप्रैल को सुबह 9 बजकर 35 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 37 मिनट पर हो जाएगा। संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्र देव की पूजा के बाद किया जाता है। ऐसे में यह विकट संकष्टि चतुर्थी व्रत 09 अप्रैल 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन चंद्रोदय का समय रात्रि 9 बजकर 58 मिनट पर है।
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हनुमान जयंती पर विधायक देवेंद्र यादव ने की पूजा-अर्चना

भिलाई। हनुमान जयंती के पावन अवसर पर भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव सुबह सेक्टर 9 हनुमान मंदिर पहुंचे। जहां उन्होंने सबसे पहले हनुमान जी की पूजा आरती की। उसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ किया और श्रीफल श्रद्धा के पुष्प अर्पित करते हुए विधायक यादव ने पूरे भिलाई वासियों के हित और विकास,सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली की हाथ जोड़कर प्रार्थना की।
हनुमानजी की जयंती के अवसर पर मंदिर में हजारों भक्तों की भीड़ लगी थी। लेकिन वे वहाँ वीआईपी बन कर नहीं गए बल्कि एक आम एकदम सामान्य भक्त की तरह लाइन में लगकर मंदिर पहुंचे फिर पूजा अर्चना की। अन्य भक्ति के साथ वे भी धूप में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। इस दौरान वे तू रक्षक काहू को डरना लिखा हनुमान जी की फोटो वाली टी शर्ट पहने हुए थे पूजा समाप्ति के बाद विधायक श्री यादव सेक्टर 9 मंदिर परिसर स्थित जय हनुमान सेवा वाहिनी द्वारा आयोजित भंडार कार्यक्रम में शामिल हुए। जहाँ उन्होंने महाप्रसाद वितरण किए। मंदिर में हनुमान जी के दर्शन के लिए आए भक्तों को विधायक श्री देवेंद्र यादव ने अपने हाथों से महा प्रसादी का वितरण किया। साथ ही खुद ही महा प्रसादी ग्रहण की। भक्तों की सेवा के साथ यादव सभी को हनुमान जयंती की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर जय हनुमान सेवा वाहिनी द्वारा भव्य भंडारा का आयोजन किया गया था। जिसमे में करीब 50 हजार भक्तो के महा प्रसादी ग्रहण किया। इसके बाद भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव खुर्सीपार सहित टाउनशिप के विभिन्न मंदिरों में पहुंचे। जहां उन्होंने हनुमान जी की पूजा अर्चना में शामिल हुए । खुर्सी पार में भी करीब दर्जन भर मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए।
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शंकराचार्य ने किया धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री के दिए बयान का समर्थन

रायपुर। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने साईं बाबा पर धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री के दिए बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हम ‘साई बाबा को लेकर दिए गए बयान का समर्थन करते हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे कहा कि शिक्षा नीति में बदलाव की जरुरत है। अगर मदरसे में धार्मिक पढ़ाई हो सकती है, तो स्कूलों में हिंदू धर्म की पढ़ाई क्यों नहीं हो सकती।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद NCERT की पाठ्यपुस्तकों से मुगलों का चैप्टर हटाए जाने को लेकर कहा इतिहास जैसा हैए वैसा पढ़ाया जाना चाहिए। तठस्थ इतिहास के लिए जरुरी है कि सबको सबकुछ पढ़ाया जाए। उन्होंने हिंदू राष्ट्र के बारे में भी अपने विचार व्यक्त किए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा हिंदू राष्ट्र की कोई मांग नहीं है क्योंकि कोई प्रारूप सामने नहीं है, हमे हिंदू राष्ट्र नहीं रामराज्य चाहिए। ये बांट कर राज करने की रणनीति है। हिंदू बहुमत में है तो रामनवमी और हनुमान जंयती पर एडवाइजरी क्यों? हिंदू खतरे में तब होगा जब वो धर्म का पालन नहीं करेगा। इसके लिए राजनीतिक पार्टियां जिम्मेदार है।
शुक्रवार को शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद मीडिया से रूबरू हुए और कई अहम मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोगों की तरीफ करते हुए कहा कि यहां के लो पुराण प्रेमी, हम उन्हें पुराण सुनाएंगे। यहां दो भागवत होगा। आज पाटेश्वर धाम जाएंगे और आगे भी आना जाना लगा रहेगा।
उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए आगे क​हा कि आज-कल राजनीति जादूगरी हो रही है। हमारी पद्धति पारदर्शिता वाली है, जिसका मन वाणी और कर्म एक जैसा हो, महात्मा होता है। व्यवहार से असलियत सामने आ जाती है। संत और असंत एक समान दिखते है, लेकिन उसकी वाणी से समझ में आ जाता है वो क्या है?
हमारी हिंदू राष्ट्र की कोई मांग नहीं है क्योंकि कोई प्रारूप सामने नहीं है, हमे हिंदू राष्ट्र नहीं रामराज्य चाहिए। ये बांट कर राज करने की रणनीति है। हिंदू बहुमत में है तो रामनवमी और हनुमान जंयती पर एडवाइजरी क्यों? हिंदू खतरे में तब होगा जब वो धर्म का पालन नहीं करेगा। इसके लिए राजनीतिक पार्टियां जिम्मेदार है। धर्म की शिक्षा नहीं दी जा रही है। शिक्षानीति में बदलाव की जरूरत है धर्म की शिक्षा दी जानी चाहिए।
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श्री बालाजी जन्मोत्सव में शामिल हुए बृजमोहन अग्रवाल

रायपुर। दिल्ली एनसीआर स्थित अग्रसेन धाम कुंडली में आयोजित श्री बालाजी जन्मोत्सव में छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री एवं विधायक बृजमोहन अग्रवाल शामिल हुए। भगवान बालाजी की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया। पश्चात उन्होंने माता महालक्ष्मी वरदान अखंड ज्योति शक्तिपीठ का भी दर्शन लाभ लिया और पूजन किया।
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सूर्य-बुध युति 2023 : इन ग्रहों का संयोग करेगा मान-सम्मान में वृद्धि

हर क्षेत्र में मिलेगी
ग्रहों के गोचर का सभी राशियों पर प्रभाव दिखता है। हर ग्रह निश्चित अवधि में राशि परिवर्तन करता है। जिससे सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, 14 अप्रैल 2023 को सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि में बुध ग्रह पहले से विराजमान है। रवि के मेष में आने से बुधादित्य योग का निर्माण होगा। वैदिक ज्योतिष में इस योग को शुभ माना गया है।
सूर्य और बुध की युति से बनने वाला बुधादित्य योग सभी राशियों को प्रभावित करेगा। हालांकि तीन राशियों के लिए यह योग लकी रहेगा। इस दौरान उन्हें भाग्य का साथ मिलेगा। साथ ही धन और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं कौन सी राशियां इसमें शामिल है।
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए बुधादित्य योग लाभदायक रहेगा। संतान पक्ष से शुभ समाचार मिल सकते हैं। छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिल सकती है। इस अवधि में विवाह के प्रस्ताव मिल सकते हैं। बिजनेस में चल रही रुकावट दूर होगी। कार्यक्षेत्र में आपके प्रयासों को सरहाना मिलेगी।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों पर बुधादित्य योग का शुभ प्रभाव देखने को मिलेगा। बड़ी उपलब्धियां मिल सकती है। व्यापारियों को इस अवधि में डबल मुनाफा होगा। बुद्धि कौशल से सभी कार्य संपन्न होंगे। सॉफ्टवेयर कंपनियों में काम करने वालों को प्रमोशन मिल सकता है।
सिंह राशि
बुधादित्य योग का शुभ प्रभाव सिंह राशि के जातकों के जीवन पर साफ नजर आएगा। पदोन्नति के प्रबल संकेत हैं। पुराने निवेशों से आर्थिक स्थिति मजबूती होगी। गृहस्थ जीवन में प्यार और रोमांस बना रहेगा।

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