धर्म समाज

नवरात्रि के शुभ अवसर पर करें ये काम

नवरात्रि के पर्व पर नौ देवियों की पूजा करने की परंपरा है। वही तुलसी के पौधे को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में नवरात्रि के मौके पर आप तुलसी के पौधे को देवी स्वरूप मानकर उसकी पूजा कर सकते हैं।
इस दौरान आपको कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा। जिससे आपको मां दुर्गा और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी। तो आइए जानते हैं कि नवरात्रि के दिनों में आपको कौन से उपाय करने चाहिए।
अगर आपने अब तक अपने घर में तुलसी का पौधा नहीं लगाया है तो नवरात्रि के शुभ अवसर पर इसे जरूर लगाएं। घर के ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
नवरात्रि में मां दुर्गा के सामने दीपक जलाने के बाद तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना चाहिए. ऐसा सुबह-शाम करने से मां लक्ष्मी और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि के दिनों में तुलसी की नियमित पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। तुलसी की पूजा करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसलिए नवरात्रि में हर तुलसी माता की पूजा करनी चाहिए। नवरात्रि के किसी भी गुरुवार के दिन आप तुलसी के पौधे पर कच्चे दूध की कुछ बूंदों को पानी के साथ चढ़ा सकते हैं।
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विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल ने रामनवमी महोत्सव का किया आयोजन

पाली। जैतारण के राजाडांड गांव में विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल की ओर से रामनवमी पर्व का आयोजन किया गया. इस दौरान गांव के मुख्य मार्गों से शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा में संत योगी लक्ष्मण नाथ महाराज का सानिध्य प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि संतों के दिखाए मार्ग पर चलने से जीव मात्र को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। साथ ही विश्व का कल्याण करने वाले आराध्य देव भगवान राम के जन्मोत्सव समारोह में भाग लेते हुए सभी को उनकी प्रेरणा से एक होकर आगे बढ़ने की प्रेरणा लेनी चाहिए! बजरंग दल जोधपुर प्रांत के प्रांतीय संयोजक विक्रम परिहार ने कहा कि भगवान राम हम सबके आराध्य हैं।
हमें भी भगवान राम से प्रेरणा लेनी चाहिए और जातिवाद और भेदभाव को दूर कर हिंदू समाज को एक करना चाहिए। इस मौके पर रामनवमी महोत्सव के अध्यक्ष अधिवक्ता सुरेश चौधरी, उपाध्यक्ष समाजसेवी रमेश भाटी, बजरंग दल जिला सह संयोजक युवराज भाटी, विहिप प्रखंड अध्यक्ष अशोक गहलोत, बजरंग दल प्रखंड संयोजक विनोद जांगिड़, प्रखंड सह संयोजक गिरधारी लाल गुर्जर, दिलीप मकवाना, महेश सोलंकी, जुगल किशोर, सूरज सरगरा, लक्ष्मण, ऋषभ पोकराना, विशाल, दीपक, यशवंत, हिम्मत सिंह सहित समस्त राजदंड ग्रामीण उपस्थित थे। इस दौरान ग्रामीणों द्वारा निकाली गयी शोभायात्रा का जगह-जगह पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत किया गया. इस दौरान राजस्थानी परंपरा के अनुसार गैर नृत्य भी जोरदार ढंग से किया गया।
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नवरात्र और रमजान में शूगर के मरीज कतई न करें ये गलती

वर्ना बढ़ सकता है शुगर लेवल
इस वक्त नवरात्र चल रहे हैं और रोजे भी शुरू हो चुके हैं. यूं तो शुगर के मरीजों को उपवास ना रखने की सलाह दी जाती है लेकिन फिर भी शुगर के मरीज रोजे रख रहे है या नवरात्रि के व्रत रख रहे हैं तो उनको काफी सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि लंबे समय तक भूखा रहना और खान पान को लेकर जरा सी लापरवाही उनका ब्लड शुगर बढ़ा सकती है और उनकी तबियत खराब हो सकती है. ऐसे में अगर आप शुगर के मरीज हैं और रोजे या नवरात्रि के व्रत रख रहे हैं तो आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है. 
नवरात्र और रोजे के दौरान बरतें यह सावधानियां 
आप रोजे रख रहे हैं या फिर नवरात्रि के व्रत. इस दौरान आपको दिन के बीच में कई बार अपना शुगर लेवल चैक करना चाहिए. अगर लेवल ज्यादा है तो आपको उपवास खत्म कर देना चाहिए क्योंकि ये बताता है कि आपका व्रत आपकी सेहत पर भारी पड़ रहा है.
नवरात्रि के व्रत में बीच बीच में कुछ खाते पीते रहना चाहिए. इससे आपका शुगर लेवल कंट्रोल में रहेगा. आप कोई कम मीठा फल खा सकते हैं या फिर दही या नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं. इससे आपका शरीर हाइड्रेट रहेगा और शुगर लेवल भी नहीं बढ़ेगा.
व्रत के दौरान कुछ लोग ज्यादा फल खाते हैं. लेकिन शुगर मरीजों को ऐसा नहीं करना चाहिए. ज्यादा फल का सेवन उनको नुकसान कर सकता है. इसलिए शुगर मरीज इस दौरान फलों का जूस ना पिएं और अगर फल खाने हैं तो एक या दो फल ही खाएं.
नवरात्रि के व्रत के दौरान व्रत खत्म होने पर ढेर सारा भोजन आपके सामने आ जाए तो अपनी शुगर का ख्याल करें और कम तला भुना भोजन करें. आप हरी सब्जियां खा सकते हैं. खजूर की खीर खा सकते हैं, खजूर का हलवा या फिर दही का सेवन कर सकते हैं. इससे आपका शुगर लेवल सही बना रहेगा. 
अगर आप रोजे रख रहे हैं तो इस दौरान सुबह से लेकर शाम तक कुछ भी खाना या पीना नहीं होता है. ऐसे में शरीर में डिहाइड्रेशन होने का खतरा पैदा हो जाता है. इसलिए सहरी के समय जब भोजन करना है, तब कोशिश करें कि ज्यादा तरल पदार्थ आपके शरीर में जाएं. आप सहरी के बाद   नींबू पानी, नारियल पानी, शिकंजी आदि का सेवन करें ताकि पूरे दिन आपके शरीर को पानी की कमी महसूस ना हो. 
सहरी के समय ज्यादा तले भुने पकवान का सेवन ना करें. इससे आपका शुगर लेवल बढ़ने का खतरा हो जाता है. आप सहरी में खजूर का हलवा, सब्जियो का सलाद, दही, फ्रूट सलाद आदि का सेवन करेंगे तो दिन भर आपके शरीर को ताजगी और पोषण मिलेगा. 
रोजे हो या नवरात्रि आपको अपनी शुगर की दवा जरूर लेनी है. इससे आपका शुगर ज्यादा नहीं बढ़ेगा. इसलिए अपनी दवा समय पर लें.
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नरसिंहनाथ मंदिर में हुआ धोबी समाज का महाधिवेशन

रायपुर। ओडिशा राज्य में धोबी समाज का महा अधिवेशन नरसिंहनाथ मंदिर स्थित समाज के विशालकाय भवन में हुआ। अधिवेशन में छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष, पिछड़ा वर्ग सलाहकार परिषद छत्तीसगढ़ शासन के सदस्य सूरज निर्मलकर सहित छत्तीसगढ़ के अनेक पदाधिकारी पहुंचे। छत्तीसगढ़िया पदाधिकारियों के पहुंचते ही जय छत्तीसगढ़ के नारों से दर्शक दीर्घा गूंज उठा।
बता दें कि, मुख्य अतिथि के रुप में पहुंचे ओडिशा सरकार योजना और सांख्यिकी मंत्री राजेंद्र ढोलकिया ने भी छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया के नारे लगाकर छत्तीसगढ़ के समाज जनों का स्वागत किया। छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष सूरज निर्मलकर ने कहा- छत्तीसगढ़ और ओडिशा दोनों की संस्कृति एक है और दोनों राज्यों के बीच धार्मिक महत्व है। छत्तीसगढ़ के देवभोग से देश के प्राचीन तीर्थ स्थल जगन्नाथ पुरी में चावल जाता है और वहीं के चावल से भगवान जगन्नाथ में भोग लगता है, जिस कारण से बिंद्रा नवागढ़ को देवभोग के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने ओडिशा राज्य के समाज जनों को राजधानी में प्रस्तावित राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने का आग्रह किया। ताकि रोटी और बेटी के लेन-देन में सुगमता लाई जा सके। दोनों राज्य के मुखिया बैठेंगे तो किसी भी प्रकार से रुकावट नहीं आएगी और सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया जाएगा। उन्होंने ओडिशा के मतदाताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा- छत्तीसगढ़िया दिलीप निर्मलकर को ओडिशा में प्रतिनिधित्व देकर छत्तीसगढ़िया को कृतार्थ कर दिया है।
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रमजान में रोजेदार के लिये खजूर का है ज्यादा महत्व

जानें इसको खाने के फायदे
गया। रमजान का महीना चल रहा है. इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग इस महीने में रोजा रख कर अल्लाह की इबादत करते है. रोजा की खातिर बिहार के गया शहर की दुकानों पर खजूर की अलग-अलग वैरायटी उपलब्ध है. क्योंकि, रोजेदार इससे ही रोजा खोलते हैं. रमजान के माह में सुबह सूरज निकलने से पहले रोजेदार सहरी करते हैं. फिर सूरज ढलने के बाद रोजा खोला जाता है. इसको इफ्तार कहते हैं. मगरिब की अजान के बाद नमाज के बाद रोजेदार रोजा खोलता है. रोजा खोलने के लिए खजूर का सेवन ज्यादा किया जाता है. 
गया के मशहूर फिजिशियन डाॅ. राजकुमार प्रसाद बताते हैं कि सऊदी अरब में खजूर का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. वहां अधिक गर्मी पड़ती है. वहां सबसे ज्यादा पित्त की खराबी होती है. लेकिन, खजूर शरीर को अल्कलाइन करने में मदद करता है. उन्होंने बताया कि यदि ब्लड का पीएच मान 7 रहेगा तब तक कोई बीमार नहीं पड़ेगा, लेकिन पीएच मान 7 से नीचे आने पर व्यक्ति बीमार पड़ सकता है. क्षारीय सूत्र के अनुसार रोजेदार के लिए खजूर सबसे मुफीद चीज है. चूंकि यह अल्कलाइन है इसलिए सारे एसिड को न्यूट्रालाइज करता है, इसलिए इसको खाने के बाद लोग पानी पीते हैं.
खजूर खाने के साइंटिफिक कारण
साइंटिफिक कारणों की तरफ देखें तो रोजे में खजूर खाना काफी लाभदायक माना जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि रोजेदार दिन के वक्त भूखा रह कर शाम को खाना खाते हैं. ऐसे में उन्हें एसिडिटी की समस्या हो सकती है. भूखे पेट भोजन लेने से डाइजेशन में आसानी रहती है. वो बाकी चीजों को आसानी से पचा पाता है.
इसके अलावा, खजूर खाने से शरीर को राहत भी मिलती है. यह अगले दिन रोजे में एनर्जी भी देता है. क्योंकि इसमें कई प्रकार के जरूरी विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं. खजूर में मौजूद मैग्नीशियम, कॉपर विटामिन, आयरन और प्रोटीन से बॉडी एक्टिव रखती है. खजूर में एल्केलाइन साल्ट होता है जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है. साथ ही, ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा भी कम होता है.
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रायपुर में श्रीमद् भागवत कथा करेंगे कथावाचक रमेश भाई ओझा

9 से 15 अप्रैल तक बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम में कथा होगी
रायपुर। छत्तीसगढ़ में अंतरराष्ट्रीय कथावाचक रमेश भाई ओझा 9 अप्रैल से 15 अप्रैल तक श्रीमद् भागवत कथा करेंगे. बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम रायपुर में कथा होगी. खास बात यह है कि रमेश भाई ओझा को राज्य अतिथि का दर्जा दिया गया है.
कार्यक्रम बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम रायपुर में 9 अप्रैल से 15 अप्रैल तक चलेगा. रमेश भाई ओझा 7 की कथा सात दिन तक दोपहर 3 बजे से शुरू होकर शाम 7 बजे तक होगी. पहले दिन सुबह 8:30 बजे शोभा यात्रा कालीबाड़ी से इंडोर स्टेडियम तक निकाली जाएगी. आखिरी दिन 15 अप्रैल को महाप्रसाद की भी व्यवस्था की गई है.कथा में भक्तों को एंट्री के लिए कोई भी शुल्क नहीं लिया जा रहा है. यहां नि:शुल्क एंट्री की व्यवस्था रखी गई है. रमेश भाई ओझा भाई जी नाम से विख्यात हैं. उनका जन्म गुजरात के देवका गांव में 31 अगस्त 1957 को हुआ था.
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रायपुर का मां कंकाली मंदिर

रायपुर। रायपुर शहर में स्थित मां कंकाली मंदिर 700 साल पहले आजाद चौक, ब्राह्मणपारा के समीप नागा साधुओं द्वारा बनाई गई थी। नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद माता की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं. मां को लाल वस्त्र अर्पित करें. मां को पुष्प अर्पित करें, रोली कुमकुम लगाएं. मिष्ठान, पंचमेवा, पांच प्रकार के फल माता को भोग में लगाएं. माता कालरात्रि को शहद का भोग अवश्य लगाना चाहिए. इसके बाद माता कालरात्रि की आरती करें. माता कालरात्रि को रातरानी पुष्प अति प्रिय है. पूजन के बाद माता रानी के मंत्रों का जाप करना शुभ होता है.
हिंदू मान्यताओं के अनुसार माता कालरात्रि के इन मंत्रों का जप करने से भक्तों के सारे भय दूर होते हैं. माता की कृपा पाने के लिए गंगा जल, पंचामृत, पुष्प, गंध, अक्षत से माता की पूजा करनी चाहिए. इस मंत्र के जप से माता कालरात्रि की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है और माता अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करती है. इसी कारण से माता कालरात्रि का एक नाम शुभंकरी भी पड़ा है.
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इस सप्ताह मनाया जाएगा दुर्गाष्टमी और रामनवमी पर्व

मार्च महीने के अंत में इस सप्ताह कई महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार मनाएं जाएंगे। साथ ही इस मास में चैत्र दुर्गाष्टमी, राम नवमी और एकादशी के जैसे प्रमुख व्रत और त्योहार मनाएं जाएंगे। 
चैत्र मास की षष्ठी तिथि के दिन देवी कात्यायनी की उपासना की जाती है। इस विशेष दिन पर व्रत एवं उपवास रखने से साधकों को बाल और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता कात्यायनी महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था, जिस कारण से इन्हें महिषासुर मर्दनी के नाम से भी जाना जाता है।
नवरात्रि महापर्व के सातवें दिन देवी कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस विशेष दिन पर माता कालरात्रि की उपासना करने से बड़े दोष दूर हो जाते हैं और साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। नवरात्रि के सप्तमी तिथि की रात्रि को सिद्धियों की रात्रि भी कहा जाता है और रात में ही देवी कालरात्रि की उपासना की जाती है।
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की विधि-विधान से उपासना की जाती है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें एवं मुख्य स्वरूप की उपासना करने से सभी दुख-दर्द दूर हो जाता है और साधक को धन एवं समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। साथ महा दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन भी किया जाता है।
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22 अप्रैल को 12 बजकर 41 मिनट पर खुलेंगे यमुनोत्री धाम के कपाट

उत्तरकाशी। यमुना जयंती के पावन पर्व पर चारधाम के पहले प्रमुख तीर्थ धाम यमुनोत्री के कपाट 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया के पर्व पर दोपहर 12 बजकर 41 मिनट पर कर्क लग्न अभिजित मुहूर्त पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। मां यमुना के मायके खरशाली गांव में स्थित शीतकालीन यमुना मंदिर परिसर में पुरोहित समाज की बैठक में यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का विधिवत ढंग से शुभ मुहूर्त निकाला गया। सोमवार को यमुना जयंती चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में मंदिर समिति यमनोत्री द्वारा मां यमुना की पूजा अर्चना के पश्चात विधि विधान पंचाग गणना के पश्चात विद्वान आचार्यों- तीर्थपुरोहितों द्वारा श्री यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने की तिथि तथा समय तय किया गया।
श्री यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने मंदिर समिति पदाधिकारियों तथा तीर्थ पुरोहितों की उपस्थिति में कपाट खुलने की तिथि और समय की विधिवत घोषणा की।
मंदिर समिति के पूर्व सचिव कीर्तेश्वर उनियाल ने बताया कि इस अवसर पर मां यमुना की उत्सव डोली के धाम प्रस्थान का भी कार्यक्रम तय हुआ। शनिवार 22 अप्रैल को मां यमुना की उत्सव डोली, मां यमुना जी के भाई श्री सोमेश्वर देवता के साथ समारोह पूर्वक सेना के बैंड के साथ खुशीमठ से प्रात: 8 बजकर 25 मिनट पर प्रस्थान यमुनोत्री मंदिर परिसर में पहुंचेगी। अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को दिन में 12 बजकर 41 मिनट पर श्री यमुनोत्री मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जायेंगे।
कपाट खुलने की तिथि तय होने के अवसर पर शीतकालीन रावल ब्रह्मानंद उनियाल, मंदिर समिति सचिव सुरेश सेमवाल, उपाध्यक्ष राजस्वरूप उनियाल, श्री यमुनोत्री महासभा अध्यक्ष पुरूषोत्तम उनियाल, यमुनोत्री मंदिर समिति के पूर्व सचिव कृतेश्वर उनियाल, आदि उपस्थित रहे।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल प्रात: 7 बजकर 10 मिनट तथा श्री केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल प्रात: 6 बजकर 20 मिनट पर तथा श्री गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया 22 अप्रैल दिन में 12 बजकर 35 मिनट पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुलेंगे।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चारधाम यात्रा तैयारियों को पूरा करने हेतु 15 अप्रैल तक पूरा करने के निर्देश दे चुके हैं। पर्यटन- धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि चारधाम यात्रा हेतु श्रद्धालुओं में उत्साह है। अभी तक चारों धामों हेतु पंजीकरण की संख्या छ लाख चौंतीस हजार से अधिक पहुंच गयी है।
इसी संदर्भ में चारधाम यात्रा प्रशासन संगठन के विशेष कार्याधिकारी/अपर आयुक्त गढ़वाल नरेन्द्र सिंह क्वीरियाल ने बताया कि शासन के दिशा-निदेशरें के तहत चारोंधामों में सभी विभागों को यात्रा संबंधित तैयारियां तथा कार्य को 15 अप्रैल तक पूरा किये जाने हेतु गढवाल कमिश्नर/अध्यक्ष यात्रा प्रशासन संगठन सुशील कुमार द्वारा जिलाधिकारी चमोली, रूद्रप्रयाग तथा उत्तरकाशी तथा सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिये हैं। लगातार बैठकों तथा वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा लगातार यात्रा तैयारियों की मानंटरिंग की जा रही है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्गों सहित विद्युत, पेयजल, संचार, चिकित्सा, आवास सुविधाओं को समयबद्ध ढ़ग से व्यवस्थित किया जा रहा है।
प्रशासन रूद्रप्रयाग द्वारा केदारनाथ में पैदल मार्ग से बर्फ हटाने का कार्य अंतिम चरण में है। यात्रा प्रशासन संगठन के वैयक्तिक सहायक अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि शासन के दिशा-निर्देश पर ऋषिकेश में चारधाम यात्रा ट्रांजिट कैंप में आवश्यक यात्री सुविधायें जुटायी जा रही है।  (आईएएनएस)
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मां दुर्गा के लिए विशाल चुनरी यात्रा, कई श्रद्धालु हुए शामिल

भानुप्रतापपुर। चैत्र नवरात्रि के महापर्व में माता रानी के भक्तजन पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भी मां दुर्गा के भक्त बड़े ही धूमधाम से चैत्र नवरात्रि का पर्व मना रहे हैं। इसी कड़ी में कांकेर जिले में हिंदू रक्षा समिति भानुप्रतापपुर की ओर से दुर्गा माता की विशाल मनोकामना पूर्ति चुनरी यात्रा निकाली गई। श्रद्धालुओं ने विशाल चुनरी हाथों में लेकर इस यात्रा की शुरूआत की।
बता दें कि, यह चुनरी यात्रा दुर्गा माता मंदिर (बिजली ऑफिस भानुप्रतापपुर) से होते हुए दुर्गा मंदिर (नयापारा भानुप्रतापपुर) पहुंची। इसके बाद वहां दुर्गा माता को चुनरी अर्पित किया गया। फिर शिव गायत्री मंदिर भानुप्रतापपुर में भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में माता के भक्त बड़ी संख्या में मौजूद रहे और सभी भक्तों ने अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए माता को यह चुनरी अर्पित की।
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रमन सिंह ने सपरिवार माँ बम्लेश्वरी देवी की पूजा-अर्चना की

डोंगरगढ़। चैत्र नवरात्रि पर्व की पंचमी को छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में नीचे माँ बम्लेश्वरी देवी के दर्शन करने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से चर्चा की। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए डॉ. रमन ने कहा कि, राहुल गांधी को भारतीय जनता पार्टी ने नहीं सुनाई है और ना ही भाजपा ने उनकी सदस्यता समाप्त की है। उनको सजा गुजरात की हाइकोर्ट ने सुनाई है और सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाईन के अनुसार स्वतः ही समाप्त हुई है। अब इसके लिए कांग्रेस पार्टी भाजपा को दोषी ठहराती है तो ये उनकी मर्जी। डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घोषणावीर कहते हुए कहा कि चुनाव सामने आया तो प्रदेश की जनता को ठगने के लिए लोक लुभावन घोषणाएं कर रहे हैं। इसके पूर्व चार साल में उन्हें ना तो प्रदेश की जनता की सुध आई और ना ही किसानों, कर्मचारियों और पत्रकारों की।
उल्लेखनीय है कि, 22 मार्च से प्रारंभ चैत्र नवरात्रि पर्व की पंचमी रविवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह डोंगरगढ में विराजित शक्तिपीठ माँ बम्लेश्वरी देवी के दरबार पहुंचे। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी डॉ. रमन सिंह दर्शन करने तो पहुंचे, लेकिन इस वर्ष ऊपर पहाड़ी पर विराजित माँ भगवती के दर्शन नहीं कर नीचे माँ बम्लेश्वरी देवी के दरबार पहुंचे और विधिविधान से पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की।
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राजधानी रायपुर का प्रसिद्ध "बंजारी माता मंदिर"

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले के बीरगांव रावांभाठा नामक स्थान में स्थित यह मंदिर "बंजारी माता मंदिर" के नाम से पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है। यहां स्थापित मूर्ति बंजारा जाति के लोगों की कुलदेवी मानी जाती हैं, इसी कारण यहां स्थापित देवी को बंजारी देवी के नाम से जाना जाता है।
आज मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की जा रही हैं। रायपुर के अलग अलग मंदिरों के साथ ही कुशालपुर चौक स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर में भी भक्तों की भीड़ नजर आई। महामाया मंदिर की तरह ही राजधानी के कुशालपुर में मां दंतेश्वरी का मंदिर भी काफी प्राचीन है। माता के इस मंदिर से श्रद्धालुओं की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के गर्भगृह के ठीक पीछे नाग-नागिन की मांद हुआ करती थी। नवरात्रि पर्व के दौरान नाग-नागिन का जोड़ा एक बार जरूर माता के भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलता था और परिक्रमा कर मूर्ति के बाजू से होकर मांद में प्रवेश कर जाता था। अब उसी स्थान पर भोलेबाबा विराजमान है।
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सपरिवार मां बम्लेश्वरी के दर्शन किए बृजमोहन अग्रवाल

माता रानी की पूजा-अर्चना कर लिया आशीर्वाद
रायपुर। पूर्व मंत्री एवं विधायक बृजमोहन अग्रवाल कल पंचमी के दिन मां बम्लेश्वरी के दर्शन हेतु सपरिवार डोंगरगढ़ पहुंचे। उन्होंने मातारानी की पूजा अर्चना की और प्रसाद ग्रहण कर आशीर्वाद प्राप्त किया। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मां की कृपा संपूर्ण भारतवर्ष पर बरसे, चारों तरफ खुशहाली हो तथा हमें इतनी शक्ति प्रदान करें कि दीन दुखियों की सेवा निरंतर कर सके। यही प्रार्थना मां बम्लेश्वरी से की है।
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नवरात्रि के छठवें दिन आज दंतेश्वरी मंदिर में उमड़ी भीड़

रायपुर। नवरात्रि का आज छटवां दिन हैं और आज मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की जा रही हैं। रायपुर के अलग अलग मंदिरों के साथ ही कुशालपुर चौक स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर में भी भक्तों की भीड़ नजर आई। महामाया मंदिर की तरह ही राजधानी के कुशालपुर में मां दंतेश्वरी का मंदिर भी काफी प्राचीन है। माता के इस मंदिर से श्रद्धालुओं की गहरी आस्था जुड़ी हुई है।
ऐसा माना जाता है कि मंदिर के गर्भगृह के ठीक पीछे नाग-नागिन की मांद हुआ करती थी। नवरात्रि पर्व के दौरान नाग-नागिन का जोड़ा एक बार जरूर माता के भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलता था और परिक्रमा कर मूर्ति के बाजू से होकर मांद में प्रवेश कर जाता था। अब उसी स्थान पर भोलेबाबा विराजमान है।
देवी की स्थापना का इतिहास करीब 700 वर्ष पूराना है। उस समय यह स्थान पूरी तरह से जंगल था। ग्वाले यहां मवेशी चराने आते थे, एक दिन उन्हे माता की मूर्ति जमीन से प्रकट होते दिखाई दी, तब से यहां पूजा अर्चना शुरू हुई, इसलिए यहां यादव ही मंदिर के पुजारी होते हैं इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं सभी की मनोकामना पूर्ण होती है।
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माहे रमजान के पहले जुमे में नमाजियों की उमड़ी भीड़

मुल्क की खुशहाली की मांगी दुआएं
बाड़मेर में माहे रमज़ान के पहले जुमे की नमाज में रोजेदारों ने मुल्क के अमन चैन के लिए दुआ मांगी. इस्लाम धर्म गुरु पीर सैय्यद गुलाम हुसैन शाह ने मुस्लिम समाज से कहा की रमजान की कदर करें और दिन में रोजे रखें और रात में तरावीह अदा करें. गरीबों की मदद करें.
बाड़मेर जिले में माहे रमज़ान शरीफ शुरू होते ही मोमिनों में जोश जज्बा पाया गया. रमजान के पहले जुमे में गांधी चौक स्थित जामा मस्जिद हजारों नमाजियों से भर गई. लोगों के चेहरों पर खुशी के आसार नजर आ रहे थे. हर कोई नमाज़ के बाद हाथ उठा कर मालिक से दुआ कर रहा था कि या इलाही मेरे मुल्क को अमन अमान का गहवारा बना. इस्लाम धर्म गुरु पीर सैय्यद गुलाम हुसैन शाह जिलानी ने समाज से अपील करते हुए कहा कि रमजान की कदर करें और दिन में रोजे रखें और रात में तरावीह अदा करें. जिलानी ने कहा कि रोज़े से इंसान के गुनाह मुआफ होते हैं और रूह को ताजगी मिलती है.
रमजान में जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं
पीर सय्यद नेमतुल्लाह शाह जिलानी ने कहा कि रमजान पवित्र महीना है जिस में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है और जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते है. शैतान को क़ैद कर दिया जाता है. लिहाजा मोमिनों को चाहिए कि इस माह में रोज़े रखें और पाप से दूर रहें.
गरीबों की मदद करें 
पेश हाजी लाल मोहम्मद सिद्दीकी ने मोमिन भाइयों से अपील करते हुए कहा कि इस माह में रोजा रख कर गरीबों फकीरों की मदद करें. रोजा रखने से इंसान को भूखे प्यासे लोगों की याद आती है और गरीबों की मदद करने का एहसास पैदा होता है.
शहर सहित आस-पास इलाके के उमड़े हजारों मोमीन  
मुस्लिम युवा कमेटी के सदर अबरार मोहम्मद ने माहे रमजान की मुबारकबाद पेश करते हुए बताया कि माहे रमजान के पहले शुक्रवार यानी जुमे को जुमा की नमाज अदा करने के लिए हजारों की तादात में मोमीन भाई उमड़ पड़े. जामा मस्जिद की तीन मंजिला इमारत खचाखच भर है. छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों ने पहला जुमा का पहला रोजा रख सेहरी की नियत की. वहीं सारा दिन खुदा की बारगाह में अपने गुनाहों की माफी मांगते हुए इबादत के साथ गुजारा. बाद नमाज जुमा को हजारों हाथ मुल्क की खुशहाली, अमनों अमान, आपसी भाईचारा, सामाजिक सद्भाव के लिए उठे.
ये लोग रहे मौजूद
इस दौरान मुस्लिम इंतजामिया कमेटी के सदर मोहम्मद मंजूर कुरेशी, शाह मोहम्मद सिपाही, हाजी अयूब तेली, पार्षद हाजी दीन मोहम्मद, इलियास भाई तेली, मुख्तियार भाई नियारगर, दिलबर तेली, शाहिद कुरेशी, अम्मू मिस्त्री, इकबाल मोहम्मद सिपाही, शौकत शेख, शाह मोहम्मद कोटवाल सहित हजारों की तादात में मोमीन भाई मौजूद रहे.
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मंदिर में मनोकामना पूर्ति के लिए पुरुष धारण करते हैं महिलाओं का वेश

तिरुवनंतपुरम कोल्लम के चावरा में प्रसिद्ध कोट्टानकुलंगरा देवी मंदिर में पारंपरिक अनुष्ठान के हिस्से के रूप में, इस साल रविवार को समाप्त होने वाले त्योहार के अंतिम दो दिनों में हजारों पुरुष महिलाओं के रूप में तैयार होते हैं। मान्यता है कि यदि पुरुष 19 दिनों तक चलने वाले वार्षिक मंदिर उत्सव के अंतिम दो दिनों में महिलाओं के रूप में तैयार होते हैं, तो स्थानीय देवता प्रसन्न होते हैं और मनोकामना पूरी करते हैं।
पिछले कुछ सालों में, अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ आने वाले पुरुषों की संख्या में वृद्धि हुई है और 10,000 का आंकड़ा पार कर लिया गया है।
इस विशेष घटना को कोट्टनकुलंगरा चमायविलक्कू कहा जाता है।
सबसे लोकप्रिय कहानी के अनुसार, परंपरा की शुरूआत लड़कों के एक समूह द्वारा की गई थी, जो गायों को पालते थे और लड़कियों के रूप में तैयार होते थे। फूल और 'कोटन' (नारियल से बनने वाली डिश) चढ़ाते थे। एक दिन देवी एक लड़के के सामने प्रकट हुईं।
इसके बाद, देवी की पूजा करने के लिए महिलाओं के रूप में पुरुषों के कपड़े पहनने की रस्म शुरू हुई।
पत्थर को देवता माना जाता है। एक मान्यता यह भी है कि पत्थर सालों से आकार में बढ़ता जा रहा है।
अब जब यह अनुष्ठान बेहद लोकप्रिय हो गया है, तो यह त्योहार विभिन्न धर्मों के लोगों को आकर्षित करता है और उनमें से बड़ी संख्या लोग केरल के बाहर से आते हैं।
तमिलनाडु के एक युवक शेल्डन ने कहा, मैं कुछ सालों से इस अनुष्ठान के बारे में सुन रहा था और मैं आना चाहता था और आखिरकार मैं इस साल आ गया। एक महिला के रूप में तैयार होने के बाद, मुझे लगा कि मैंने वह हासिल कर लिया है जिसकी मैं कुछ समय से योजना बना रही थी।
अनुष्ठान में भाग लेने के लिए सबसे शुभ समय 2 बजे से 5 बजे के बीच है। पारंपरिक साड़ी में सजे-धजे पुरुषों को शाम के समय दीपक ले जाते हुए भारी संख्या में देखा जा सकता है।
पुरुषों को महिलाओं या लड़कियों के रूप में तैयार होने के लिए दीपक ले जाना पड़ता है, जो किराए पर उपलब्ध हैं, लेकिन उन्हें अपनी पोशाक लेनी पड़ती है। अगर किसी को मदद की जरूरत है, तो सहायता के लिए ब्यूटीशियन हैं।
जब त्योहार रविवार को समाप्त होगा, तो हजारों लोग आशा और खुशी से भरे हुए लौटेंगे।  (आईएएनएस)
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नवरात्र की पंचमी तिथि को लक्ष्मी पूजा की भी महिमा

ह्रदय में भक्तिरूपी श्री आये इसलिए ये उपासना करें
शुक्ल पक्ष की पंचमी की बड़ी महिमा है | इसको श्री पंचमी भी कहते है | संपत्ति वर्धक है। इन दिनों में लक्ष्मी पूजा की भी महिमा है | ह्रदय में भक्तिरूपी श्री आये इसलिए ये उपासना करें | इस पंचमी के दिन हमारी श्री बढ़े, हमारी गुरु के प्रति भक्तिरूपी श्री बढ़े | उसके लिए भी व्रत, उपासाना आदि करना चाहिए | पंचमं स्कंध मातेति | स्कंध माता कार्तिक स्वामी की मा पार्वती .... उस दिन मंत्र बोलो – ॐ श्री लक्ष्मीये नम: |
मालपुआ चढ़ाएं, होगा समस्याओं का अंत
मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है। इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं। चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं ।इससे समस्याओं का अंत होता है।
रोग, शोक दूर करती हैं मां कूष्मांडा
नवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा।

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नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की पूजा

चैत्र नवरात्रि में चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. 25 मार्च को नवरात्रि का चौथा दिन है और इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा ही सबसे महत्वपूर्ण है. मां कुष्मांडा की मधुर मुस्कान से ब्राह्मांड की रचना की थी और उन्हें सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने से रोग-दोष मिट जाते हैं. मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने से घर में बीमारी नहीं आती है. चलिए आपको मां कुष्मांडा की पूजा विधि बताते हैं.
मां कुष्मांडा की पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन सुबह सुबह स्नान करने के बाद हरे रंग के वस्त्र पहनें. इस दिन कुम्हड़े की बलि देकर माता को अर्पित करते हैं और कुम्हड़ा वो फल है जिससे पेठा बनता है और जिसे आम भाषा में कद्दू कहते हैं. माता को मेहंदी, चंदन, हरी चूड़ी जरूर चढ़ाएं जिससे मां कुष्मांडा प्रसन्न होती हैं. देवी कुष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ होता है तो इस दिन इसका भोग जरूर लगाएं. माता कुष्मांडा के बीज मंत्र का 108 बार जाप करके मां का स्मरण जरुर करें. ऐसी मान्यता है कि असाध्य रोग भी इससे खत्म हो जाता है. मां कुष्मांडा का हरा रंग और मालपुआ बहुत पसंद है तो इसे जरूर उन्हें अर्पित करें.
मां कुष्मांडा की पूजा का मुहूर्त
चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि 23 मार्च की शाम 6 बजकर 20 मिनट पर हुआ है और चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि माप्ति 24 मार्च की शाम 4 बजरकर 59 मिनट पर होगा. पूजा करने का सबसे उत्तम मुहूर्त 24 मार्च की सुबह 7 बजकर 52 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 24 मिनट ही रहेगा. पूजा के दौरान “ॐ बुं बुधाय नमः” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें, आपकी पूजा जरूर सफल होगी.
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