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इस साल के आखिरी सूर्य ग्रहण पर जानिए किन - किन राशियों पर होगा सबसे ज्यादा असर

सूर्य ग्रहण की घटना को ज्योतिष शास्त्र में काफी महत्वपूर्ण माना गया है। जब सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है तो इसका मेष से लेकर मीन राशि तक में प्रभाव देखा जाता है।  साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कई मायनों में खास होने वाला है। साल के आखिरी सूर्य ग्रहण के दौरान दो बड़े ग्रह अस्त रहेंगे। जानिए ग्रहों की स्थिति और 2021 के आखिरी सूर्य ग्रहण की तारीख- हिंदू पंचांग के अनुसार, साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 04 दिसंबर 2021, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगेगा। इस साल दो सूर्य ग्रहण के बने हैं। साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 को लगा था। अब साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा।


सूर्य ग्रहण में मान्य होगा सूतक काल

04 दिसंबर 2021 को लगने वाले सूर्य ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह सूर्य ग्रहण उपछाया ग्रहण होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूर्ण ग्रहण होने पर ही सूतक काल मान्य होता है। आंशिक या उपछाया होने पर सूतक नियमों का पालन अनिवार्य नहीं होता है।

सूर्य ग्रहण के समय ग्रहों की स्थिति

सूर्य ग्रहण के ठीक अगले दिन यानी 5 दिसंबर को मंगल ग्रह का वृश्चिक राशि में गोचर होगा। यानी मंगल ग्रह अपनी राशि बदलेंगे। इस दौरान चंद्रमा और बुध अस्त रहेंगे। जबकि राहु और केतु वक्री रहेंगे। इस दौरान वृषभ राशि में राहु, तुला में मंगल, वृश्चिक में केतु, चंद्रमा, बुध और सूर्य, धनु में शुक्र, मकर में शनि और कुंभ में गुरु रहेंगे।

चार ग्रहों की युति का इस राशि पर प्रभाव

सूर्य ग्रहण के दौरान वृश्चिक राशि में चार ग्रहों की युति रहेगी। इस दौरान सूर्य और बुध, बुधादित्य योग बनाएंगे। लेकिन चंद्रमा और केतु से ग्रहण योग भी बनेगा। वृश्चिक राशि वालों पर सूर्य ग्रहण का सबसे ज्यादा असर रहेगा। इस दौरान इस राशि वालों को धन और सेहत के मामलों में सावधान रहने की जरूरत है।
 
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शनि देव की नजर से कोई बच नहीं पाता

शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है. वो रंक से राजा हो जाता है और जिस पर शनि देव का क्रोध बरसता है उन्हें अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस दिन शनिदेव की पूजा करने और सरसों का तेल चढ़ाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर उनकी कृपा बरसती है. मान्यताओं के अनुसार, शनि देव अति क्रोधी स्वभाव के हैं. कहते हैं कि शनि देव प्रसन्न होते हैं वो रंक से राजा हो जाता है और जिस पर शनि देव का क्रोध बरसता है उन्हें अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. आइये आपको बताते हैं कैसे करें शनि देव की पूजा और पौराणिक कथा से जानते हैं उनकी पत्नी ने क्यों दिया उन्हें श्राप.
 
इस विधि से करें शनिदेव की पूजा
 
सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठें और नहा धोकर साफ कपड़े पहनकर तब पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें. -सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. इसलिए शनिवार के दिन शनिदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं. शनिवार के दिन सरसों का तेल गरीबों को दान करें. शनिदेव के नामों का उच्चारण करने से वह प्रसन्न होते हैं. जो लोग शनिवार के दिन शनिदेव के मंदिर जाकर आराधना नहीं कर सकते हैं ऐसे लोग घर पर ही शनिदेव के मंत्रों और शनि चालीसा का जाप कर सकते हैंशनिदेव को तेल के साथ ही तिल, काली उदड़ या कोई काली वस्तु भी भेंट करें. -इस दिन शनि मंदिर में शनिदेव के साथ ही हनुमान जी के दर्शन करना शुभ माना जाता है.
 
शनिदेव की पत्नी ने क्यों दिया था श्राप
 
ब्रह्मपुराण में वर्णित कथा के अनुसार, न्याय के देवता शनि भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे. वे सदैव कृष्ण भगवान की पूजा में व्यस्त रहते और उनके ध्यान में लीन हो जाते थे. युवा आवस्था में उनका विवाह चित्ररथ की कन्या से कर दिया गया था. उनकी पत्नी परम पतिव्रता, तेजस्वी और ज्ञानवान थी लेकिन शनिदेव शादी के बाद भी सारा दिन भगवान कृष्ण की आराधना में ही मग्न रहते थे. एक दिन चित्ररथ ऋतुकाल का स्नान करने के बाद पुत्र प्राप्ति के लिए शनिदेव के पास गई. इस समय भी शनिदेव भगवान कृष्ण के ध्यान में मग्न थे और उन्होंने अपनी पत्नी की ओर देखा तक नहीं इसे अपना अपमान समझकर पत्नी ने शनिदेव को श्राप दे दिया. शनिदेव की पत्नी ने उनको यह श्राप दिया कि वह जिसे भी नजऱ उठा कर देखेंगे वह नष्ट हो जाएगा. शनिदेव का जब ध्यान टूटा तो उन्होंने अपनी पत्नी को मनाया और उन्हें अपनी गलती का एहसास भी हुआ. शनिदेव ने अपनी पत्नी से क्षमा भी मांगी लेकिन शनिदेव की पत्नी के पास यह श्राप निष्फल करने की शक्ति नहीं थी. तब से शनिदेव अपना सिर नीचा करके चलते हैं.

 

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आज कालाष्टमी पर भगवान भैरव की पूजा

हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शंकर के भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है.हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शंकर के भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन विधि- विधान से भगवान भैरव की पूजा- अर्चना की जाती है। भगवान भैरव की कृपा से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।शास्त्र में काल भैरव को भगवान शिव का गण और माता पार्वती का अनुचर माना गया है। हिंदू धर्म शास्त्रों में काल भैरव का बहुत महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार भैरव शब्द का अर्थ है भय को हैराने वाला। अर्थात जो उपासक काल भैरव की उपासना करता है। उसके सभी प्रकार के भय हर उठते हैं. ऐसी मान्याता है काल भैरव में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियां समाहित रहती है। आइए जानते हैं कालाष्टमी व्रत पूजा- विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में।

 

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सावन महीने में सुहागिन महिलाओं को जरूर करने चाहिए ये काम

सावन का महीना महादेव और माता पार्वती के पूजन का महीना है. इस महीने में ही माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव उनसे विवाह के लिए राजी हुए थे. इसलिए ये महीना भोलेनाथ और माता पार्वती दोनों को अत्यंत प्रिय हैं. इस माह में माता पार्वती और महादेव का पूजन करने से मनोकामना पूरी होती है, साथ ही वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर होती हैं. महिलाएं सावन के महीने में सावन के सोमवार, मंगला गौरी व्रत और हरियाली तीज जैसे व्रत रखकर अपने खुशहाल वैवाहिक जीवन और पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. कहा जाता है कि अगर सावन में महिलाएं रोजाना 6 काम करें तो माता पार्वती अत्यंत प्रसन्न होती हैं 

महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. जानिए उन 6 कामों के बारे में.

1. हर रोज सुबह स्नान के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. इसके बाद ही कुछ ग्रहण करें. सावन भर इस नियम का पालन करने से महादेव और मां पार्वती दोनों की कृपा प्राप्त होती है. ये काम महिलाओं के अलावा पुरुष भी कर सकते हैं.

2. चूड़ियों को श्रंगार का अहम हिस्सा माना जाता है. सावन का महीना हरियाली से भरा होता है, ऐसे में इस महीने में महिलाओं को हरे रंग की चूड़ियां पहननी चाहिए. इससे मां गौरी अत्यंत प्रसन्न होती हैं.

3. सावन के दिनों में महिलाओं को सुहाग का सामान माता पर चढ़ाना चाहिए और दान भी करना चाहिए. इससे मातारा​नी प्रसन्न होती हैं और अखंड सौभाग्य प्रदान करने के साथ पति की दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं.

4. सावन के महीने में मेहंदी लगाना भी बहुत शुभ माना जाता है. मेहंदी सुहाग की निशानी होती है. इसलिए इस माह में ​एक बार मेहंदी जरूर लगवाएं. हरियाली तीज पर मेहंदी का विशेष महत्व है.

5. महादेव को भोलेनाथ भी कहा जाता है, क्योंकि वे बहुत शीघ्र प्रसन्न होते हैं. वहीं सावन के महीने में उन्हें प्रसन्न करना और भी आसान होता है. महादेव की प्रसन्नता देखकर माता गौरी भी अत्यंत आनंदित होती हैं. इसलिए सावन के महीने में महिलाओं को महादेव के भजन गाने चाहिए. इससे उन्हें शिव और गौरी दोनों की कृपा प्राप्त होती है.
 
6. सावन के महीने में किसी भी तरह के वाद विवाद या झगड़े से बचना चाहिए. ये महीना आनंद का महीना होता है. इसमें महादेव और माता का ध्यान करना चाहिए. यदि क्रोध आए तो ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. इससे गुस्सा शांत हो जाएगा.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

 

 

 

 

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सावन में जरूर करें शिव चलीसा का पाठ

भगवान शिव का पूजन किया जाता है। कि भगवान शिव का इस महीने में पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ऐसे में इस महीने में शिव चालीसा का भी पाठ करना चाहिए क्योंकि इसके पाठ से सभी काम बन जाते हैं। तो आइए हम आपको बताते हैं कि _


शिव चालीसा
।।दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लव निमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। विघ्न विनाशन मंगल कारण ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तधाम शिवपुर में पावे॥
कहत अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥


॥दोहा॥

नित्य नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीस।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

 

 

 

 

 

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सावन में करें शिव आराधना: घर पर शिव पूजा करने से भी मिलेगा पूरा फल

महामारी के संक्रमण से बचने के लिए घर पर ही शिव पूजा करे और शिव पूजा व्र्रत करें। मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजा करने को ही कहा जाता है पार्थिव शिवपूजन, ऐसा करने से हर तरह के दोष होते हैं खत्म सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है। इस बारे में शिव महापुराण में कहा गया है कि श्रावण मास का हर दिन पर्व होता है। इस दौरान की गई शिव पूजा का विशेष फल मिलता है। जिससे हर तरह के दोष, रोग और परेशानियों से छुटकारा मिलने लगता है। इसलिए सावन महीने में शिव आराधना के लिए मंदिरों में भीड़ होने लगती है। लेकिन महामारी के संक्रमण से बचने के लिए घर पर ही शिव पूजा करनी चाहिए। इस बारे में विद्वानों का भी कहना है कि घर पर ही शिवलिंग पर जल चढ़ाकर आराधना करने से पूजा का पूरा फल मिलता है।
शिवजी की पूजा 
धर्म ग्रंथों के जानकार पुरी के डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि महामारी के संक्रमण से बचने के लिए मंदिर जाना संभव न हो तो घर पर ही शिवलिंग का अभिषेक और पूजन किया जा सकता है। जिसके घर पर शिवलिंग न हो, वो आंगन में मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसका पूजन कर सकते हैं। काशी विद्वत परिषद बनारस के मंत्री, डॉ. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजन करने को ही पार्थिव शिवपूजन भी कहा जाता है। इसके अलावा नर्मदा नदी के किसी पत्थर को भी शिव रूप मानकर पूजा की जा सकती है। इस तरह शिव आराधना करने से भी पूजा का पूरा पुण्य फल मिलता है। बस ये सावधानी रखनी होगी कि पूरे सावन में एक ही शिवलिंग की पूजा हो और महीना बीत जाने के बाद पवित्र नदी में शिवलिंग प्रवाहित किया जाए।
सावन में शिव पूजा के खास दिन
सावन में भगवान शिव की विशेष पूजा के लिए 8 दिन खास हैं। इनमें 26 जुलाई को पहला सावन सोमवार बीत जाने के बाद अब 2 अगस्त को दूसरा सोमवार आएगा। फिर 5 को गुरु प्रदोष, 6 को श्रावण शिवरात्रि, 9 को तीसरा सोमवार 16 को चौथा और सावन का आखिरी सोमवार रहेगा। इसके बाद 21 को शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव की विशेष पूजा का भी विधान बताया गया है। इनके अलावा अगस्त महीने में 8 को हरियाली अमावस्या, 11 को हरियाली तीज और 22 को सावन महीने के आखिरी दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की भी परंपरा है।
घर पर ही आसान तरीके से हो सकती है पूजा
सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद हाथ में जल लेकर शिव पूजा का संकल्प लें।
इसके बाद ऊँ नम: शिवाय मंत्र बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और पंचामृत से अभिषेक करें। इनके साथ ही जो भी चीजें उपलब्ध हो शिवलिंग पर चढ़ाएं।
शिवजी को चंदन, चावल, फूल, बिल्वपत्र, धतूरा चढ़ाएं। धूप और दीप जलाएं। इसके बाद फल, मिठाई, दूध या जो भी उपलब्ध हो उसका नैवैद्य लगाएं।
इसके बाद कर्पूर जलाकर आरती करें। फिर शिवजी का ध्यान करते हुए आधी परिक्रमा करें और प्रसाद बांट दें।

 

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जानिए शुभ मुहूर्त कब है सावन शिवरात्रि

सावन का महीना शुरू हो चुका है. सावन का महीना पूजा-पाठ के लिए शुभ माना गया है. पूरा महीना भगवान शिव की उपासना और पूजा के लिए समर्पित है. सावन माह में सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. जो इस बार 6 अगस्त दिन शुक्रवार को पड़ रही है. पंचांग के अनुसार सावन मास की मासिक शिवरात्रि का व्रत 6 अगस्त यानि श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाएगा. जिसका पारण 7 अगस्त को होगा सावन मास की चतुर्दशी तिथि 06 अगस्त दिन शुक्रवार की शाम 06 बजकर 28 मिनट से आरंभ होगी और चतुर्दशी तिथि अगले दिन यानी 07 अगस्त 2021 की शाम 07 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी. आइए जानते है शुभ मुहुर्त, पूजा विधि और पारण करने का समय


सावन शिवरात्रि व्रत की तिथि व पूजा मुहूर्त

मासिक शिवरात्रि का पूजन निशिता काल में करना सर्वोत्तम फलदायी माना गया है. पंचांग के अनुसार निशिता काल में सावन मास की शिवरात्रि पूजा का समय रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से रात्रि 12 बजकर 48 मिनट तक बना हुआ है.

सावन शिवरात्रि व्रत तिथि: 6 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार

निशिता काल पूजा मुहूर्त आरंभ: 7 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार की रात 12 बजकर 06 मिनट से आरंभ

निशिता काल पूजा मुहूर्त समाप्त: 7 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार की रात 12 बजकर 48 मिनट तक

पूजा की अवधि: केवल 43 मिनट तक

सावन शिवरात्रि व्रत पारण मुहूर्त: 7 अगस्त दिन शनिवार की सुबह 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक

सावन माह पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें.

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.

सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें.

शिवलिंग पर गंगा जल और दूध चढ़ाएं.

भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें.

भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें.

भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं.

सावन माह के नियम

सावन माह में व्यक्ति को सात्विक आहार लेना चाहिए. प्याज, लहसुन भी नहीं खाना चाहिए.

सावन के महीने में मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.

इस माह में अधिक से अधिक भगवान शंकर की अराधना करनी चाहिए.

इस माह में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए.

सावन के महीने में सोमवार के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है.

अगर संभव हो तो सावन माह में सोमवार का व्रत जरूर करें.

भगवान शिव की पूजा सामग्री

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.

सावन शिवरात्रि व्रत का पारण मुहूर्त

सावन शिवरात्रि व्रत का आरंभ और पारण दोनों को ही विशेष माना गया है. मान्यता है कि शिवरात्रि व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में विधि पूर्वक ही करना चाहिए. तभी इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. पारण के बाद दान आदि का कार्य भी करना शुभ माना गया है. शिवरात्रि व्रत का पारण पंचांग के अनुसार 07 अगस्त की सुबह 05 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 47 मिनट तक कर सकते हैं.
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सावन के पहले सोमवार से शुरू करें सोलह सोमवार व्रत, जानिए पूजा विधि

आज सावन के सोमवार का पहला व्रत है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि- विधान से पूजा अर्चना की जाती है. कई लोग सोमवार के दिन व्रत रखते हैं. शास्त्रों के अनुसार सोमवार का व्रत तीन तरह से रखा जाता है. पहला प्रदोष व्रत, दूसरा सोलह सोमवार व्रत और तीसरा सावन के सोमवार के रूप में रखा जाता है.


श्रद्धालु अपने हिसाब से व्रत रखते हैं. खासतौर पर सोलह सोमवार का व्रत कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की कामना के लिए रखती हैं. इसके अलावा सुहागिन महिलाएं वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए व्रत रखती हैं. सोलह सोमवार का व्रत सावन के पहले सोमवार से रखना शुभ होता है. लेकिन इस व्रत को रखने से पहले कुछ खास नियमों का ध्यान रखना होता है. आइए जानते हैं उन बातों के बारे में.

1. सोमवार के दिन सुबह उठकर नहाने के पानी में तिल डालकर स्नान करना चाहिए

2. इसके बाद विधि- विधान से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. पूजा के दौरान गंगाजल या जल से अभिषेक करना चाहिए. अगर आपने कोई मन्नत मांगी है तो घी, दूध, दही, सरसों का तेल और काला तिल भोलेनाथ को चढ़ाना चाहिए.

3. भोलेनाथ को सेफद फूल, सफेद चंदन, पंचामृत अर्पित करना चाहिए और इसके बाद शिवाष्टक, महामृत्युंजय मंत्र और हर-हर महादेव का जाप करना चाहिए
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आज से शुरू हुआ सावन ,जानिए इसके महत्व

 आज 25 जुलाई है. आज से शिव भक्ति का महीना सावन लग गया है.सावन के महीने  का बेहद ख़ास महत्त्व है क्योंकि ये महीना भगवान शिव का बेहद प्रिय मास है. इसी वजह से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन के महीने में लोग व्रत-उपवास, पूजा-अर्चना, रुद्राभिषेक और जलाभिषेक जैसी चीजों की मदद लेते हैं. आइए पंचांग से जानें आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त और जानें कैसी रहेगी आज ग्रहों की चाल...

25 जुलाई 2021
आज का पंचांग
आज की तिथि- प्रतिपदा - 05:52:39 तक, द्वितीया - 28:06:06 तक
आज का नक्षत्र- श्रवण - 11:18:06 तक
आज का करण- कौलव - 05:52:39 तक, तैतिल - 16:55:10 तक
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का योग- आयुष्मान - 24:41:38 तक
आज का वार- रविवार
आज सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 05:38:09
सूर्यास्त- 19:16:40
चन्द्रोदय- 20:37:00
चन्द्रास्त- 06:34:59
चन्द्र राशि- मकर - 22:48:01 तक
हिन्दू मास एवं वर्ष
शक सम्वत- 1943 प्लव

विक्रम सम्वत- 2078
काली सम्वत- 5123
दिन काल- 13:38:30
मास अमांत- आषाढ
मास पूर्णिमांत- श्रावण
शुभ समय- 12:00:08 से 12:54:42 तक
अशुभ समय (अशुभ मुहूर्त)
दुष्टमुहूर्त- 17:27:32 से 18:22:06 तक
कुलिक- 17:27:32 से 18:22:06 तक
कंटक- 10:11:00 से 11:05:34 तक
राहु काल- 17:34:21 से 19:16:40 तक
कालवेला / अर्द्धयाम- 12:00:08 से 12:54:42 तक
यमघण्ट- 13:49:16 से 14:43:50 तक
यमगण्ड- 12:27:24 से 14:09:43 तक
गुलिक काल- 15:52:02 से 17:34:21 तक.
 

 

 

 

 

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भगवान शिव को समर्पित सावन मास कल से होगा शुरू

 भगवान शिव को समर्पित सावन मास 25 जुलाई, दिन रविवार से शुरू होगा। जो कि 22 अगस्त तक रहेगा। सावन मास में शिवभक्त भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। सावन का महीना भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि इस महीने भगवान शिव भक्तों को उनकी पूजा-अराधना का फल तुरंत देते हैं। सावन मास को लेकर भोलेनाथ के भक्तों में अलग उत्साह होता है। इस महीने लोग विधि-विधान से पूजा करने के साथ अपनों को सावन की बधाई भी देते हैं | 

कण-कण में शिव हैं, हर जगह में शिव हैं
वर्तमान भी शिव हैं और भविष्य काल भी शिव हैं
नमो नमो:
आप सभी को शिवरात्रि की हार्दिक शुभ कामनायें!

हैसियत मेरी छोटी है पर मन मेरा शिवाला है
करम तो मैं करता जाऊंगा
क्योकि साथ मेरे डमरूवाला है।
ऊं नमः शिवाय।

भक्ति में है शक्ति बंधू,
शक्ति में संसार है,
त्रिलोक में है जिसकी चर्चा
उन शिव जी का आज त्योहार है..
हैप्पी सावन 2021

शिव की भक्ति से नूर मिलता है
सबके दिलों को सुकून मिलता है
जो भी लेता है दिल से भोले का नाम
उसे भोले का आशीर्वाद जरूर मिलता है
जय भोलेनाथ। हैप्पी सावन 2021

शिव की महिमा होती है अपरंपार,
जो सभी भक्तों का करती है बेड़ा पार;
चलो आओ जुड़ बैठे शिव के चरणों में;
मिल कर बांट लें हम भोले का यह प्यार
सावन की शुभ कामनाएं।

 

 

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सावन सोमवार पर जरूर घर लाएं ये चीजें, बदल जाएगी आपकी किस्मत

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने के मनचाहा फल प्राप्त होता है. सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है । सावन के सोमवार को की गई पूजा, व्रत, उपाय तुंरत फल प्रदान करने वाले कहे गए हैं. माना जाता है कि अगर सावन सोमवार के दिन कुछ विशेष चीजों को घर लाया जाए, तो व्यक्ति का भाग्य बदल जाता है. व्यक्ति को उन सभी चीजों की प्राप्ति होती है जिसकी वह लंबे से समय कामना कर रहा होता है. आइए जानते हैं उन चीजों के बारे में-

गंगा जल- सावन के सोमवार के दिन घर में गंगा जल लाना काफी शुभ माना जाता है ।गंगा जल को लाकर यदि किचन में रखा जाए तो इससे व्यक्ति की किस्मत बदल सकती है और घर में समृद्धि फभी आती है. इससे परिवार में सभी की तरक्की होती है।
रुद्राक्ष- सावन सोमवार के दिन रुद्राक्ष को घर लाकर उसे मुखिया के कमरे में रखा जाए, तो घर का भाग्य बदलने में समय नहीं लगता. इससे कई चमत्कारीस लाभ प्राप्त होते हैं. घर की आर्थिक दिक्कतें दूर हो जाती हैं. साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

भस्म- सावन के सोमवार के दिन भस्म लाकर उसे भगवान शिव की मूर्ति के पास रख दें. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनचाहा फल देते हैं।

चांदी का त्रिशूल- सावन के सोमवार के दिन चांदी का त्रिशूल लाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. साथ ही सावन सोमवार के दिन तांबे या चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा लाकर उसे घर के मुख्य दरवाजे के नीचे दबा देना चाहिए. इससे आपकी सभील समस्याएं दूर हो जाएंगी।
 

 

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आज मनाई जाएगी बकरीद, जानें कैसे करें रस्मों-रिवाज़

 बकरीद या ईद-उल-जुहा के त्योहार का इंतजार सारी दुनिया के मुसलमान बड़ी बेसब्री से करते हैं।इस्लाम में ईद-उल-फितर या बड़ी ईद के बाद दूसरा सबसे बड़ा त्योहार बकरीद को माना जाता है।बकरीद को इस्लाम में कुर्बानी के त्योहार के तौर पर जाना जाता है। इस दिन मुसलमान अपने पाले हुए प्यारे जानवर की कुरर्बानी देते हैं। बकरीद का त्योहार इस्लामी कैलेण्डर के आख़िरी महीने जुल-हिज्जा में मनाया जाता है। इस साल बकरीद की तारीख का ऐलान दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम ने कर दिया है। उनके मुताबिक इस साल भारत में ईद 21 जुलाई को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं बकरीद के त्योहर की सही तारीख और रस्मों-रिवाज़...

 
इस्लामी परंपरा के मुताबिक बकरीद इस्लामी कलेण्डर के आखिरी महीने जुल-हिज्जा में पड़ती है। बकरी बड़ी ईद के तकरीबन 70 दिनों बाद मनाई जाती है। लेकिन इसकी सही तारीख का एलान चांद के आधार पर होता है। दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम ने कल रविवार को एलान कर दिया है कि इस साल भारत में बकरीद 21 जुलाई दिन बुधवार को मनाई जाएगी। जबकि चांद के मुताबिक अरब देशों में एक दिन पहले यानी 20 जुलाई को बकरीद मनाई जाएगी।
 
बकरीद को इस्लाम में कुर्बानी के त्योहार के तौर पर मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन हज़रत इब्राहिम अल्लाह के कहने पर अपने बेटे की भी कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे। उस दिन से दुनिया भर के मुसलमान बकरीद के दिन अपने पाले हुए जानवर की कुर्बानी देते हैं। कुर्बानी के गोश्त को रिश्तेदारों और जरूरतमंदों में बांटा जाता हैं। इस दिन लोग बकरे के अलावा ऊंट या भेड़ की भी कुर्बानी देते हैं। लेकिन बीमार, अपाहिज या कमजोर जानवर की कुर्बानी नहीं करते हैं।बकरीद के दिन मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज़ होती है जिसमें सारी दुनिया की सलामती की दुआ की जाती है।
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Sawan 2021: सावन के माह के व्रत-त्योहार और महत्वपूर्ण तिथियों की सूची एक क्लिक में देखें

 Sawan 2021: पंचांग के अनुसार, सावन माह हिन्दू वर्ष का पांचवा महीना होता है। सावन के महीने का शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व है। पूरे सावन माह भगवान शिव की पूजा – आराधना की की धूम रहती है। शिव भक्त सावन माह के सभी दिन एक उत्सव के रूप में मानते हैं और विधि-विधान से भगवान शिव का व्रत और पूजन करते हैं। साल 2021 में सावन माह की शुरूआत 25 जुलाई, दिन रविवार से हो रही है और 22 अगस्त को सावन माह समाप्त होगा। वहीं सावन माह में अनेक व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। तो आइए जानते हैं सावन माह में पड़ने वाले व्रत-त्योहार और विशेष तिथियों के बारे में....

 
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