रायपुर@झूठा-सच । आज छत्तीसगढ़ विधानसभा का 22वां स्थापना दिवस है । हर साल 14 दिसम्बर को मनाया जाता हैं | छत्तीसगढ़ राज्य ने मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद 22 वर्षों में विकास के कई आयाम गढ़े हैं। सभी जानते है कि छत्तीसगढ़ 1 नवंबर सन 2000 में नया राज्य बना था । इस नए राज्य के सामने कई चुनौतियां सामने थी जिसमे बेहतर शिक्षा,स्वास्थ व अन्य जरूरी चीजे जो एक राज्य को मजबूत बनाती हैं। ठीक इसी तरह छत्तीसगढ़ विधानसभा की आवश्यकता उन्ही मे से एक हैं । अक्सर जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष आम-जनता के हित में एक दूसरे से लड़ते हैं, पर सीमित रूप से अपनी बात रख पाते हैं । लेकिन विधानसभा सदन एक ऐसी जगह है जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने होकर एक छत के नीचे अपनी बात और सवाल को रखते हैं और लंबी बहस के बाद जनता के हित में निर्णय लिया जाता है। कई बार किसी बिल पर विपक्ष सत्ता पक्ष का साथ देती हैं तो कई बार सत्ता पक्ष की योजनाओं पर विपक्ष नाराज होकर सदन से वॉकाउट होजाती है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा की पहली बैठक राजधानी स्थित राजकुमार कालेज प्रांगण में जशपुर हाल में निर्मित सभागार में 14 दिसंबर को हुई थी। तब से प्रतिवर्ष 14 दिसंबर को विधानसभा स्थापना दिवस मनाया जाता है।जीरो प्वाइंटर स्थित राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन के भवन का चयन विधानसभा के लिए किया गया। इस भवन में विधानसभा के दूसरे सत्र और पहले बजट सत्र की पहली बैठक 27 फरवरी 2001 को हुई। छत्तीसगढ़ विधानसभा को गौरव प्राप्त है कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में सदस्यों को 28 जनवरी 2004 को संबोधित किया था ।उसके बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने भी सभा में सदस्यों को संबोधित किया। वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए नये सुसज्जित विधानसभा भवन का भूमि पूजन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गरिमामयी उपस्थिति में सोनिया गांधी द्वारा नवा रायपुर में किया गया है, जिसका निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है।
राज्य स्थापना दिवस पर एक नवंबर पर शासकीय अवकाश घोषित किया जाता है, ठीक उसी प्रकार छत्तीसगढ़ विधानसभा की स्थापना दिवस पर भी वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डा. चरणदास महंत ने विधानसभा के लिए विशेष अवकाश घोषित किया है।
11 सांसद और छत्तीसगढ़
अटल जी ने 1990 से ही तय किया था कि छत्तीसगढ़ को एक राज्य बनाना है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वजपायी जी आदिवासी संस्कृति और वन संपदा से काफी लगाव रखते थे. लेकिन इससे पहले छत्तीसगढ़ मांग की कहानी. अलग छत्तीसगढ़ बनाने की मांग केंद्र में रखकर आचार्य नरेंद्र दुबे ने 1965 में ‘छत्तीसगढ़ समाज’ की स्थापना की. 1967 में डॉ. खूबचंद बघेल ने ‘छत्तीसगढ़ी भ्रातृ संघ’ बनाकर मांग को नयी जान दी. इसके बाद चंदूलाल चंद्राकर ने सर्वदलीय मंच के जरिए मांग को बुलंद किया, लेकिन उनकी मौत के बाद मंच बिखर गया. इसके बाद विद्याचरण शुक्ल इस आंदोलन में कूद पड़े.विद्याचरण शुक्ल की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई. इसी दौरान साल 1998-99 के चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी रायपुर पहुंचे. उन्होंने सप्रेशाला मैदान से छत्तीसगढ़ राज्य का वादा किया और शर्त रखी की उन्हें इसके बादले 11 सांसद चाहिए. चुनाव रिजल्ट में BJP के खाते में केवल 8 सांसद ही मिले, लेकिन केंद्र में उनकी सरकार बन गई. इसके बाद सरकार बनने के साथ ही अटल जी की सरकार में 25 जुलाई 2000 मध्यप्रदेश राज्य पुनर्निर्माण विधेयक- 2000 लोकसभा में पेश हुआ. इसके बाद 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण पर मुहर लग गई. 25 अगस्त को राष्ट्रपति ने इसे मंदूरी दे दी. 4 सिंतबर 2000 को राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया और अटल प्रतिज्ञा पूरी हुई.