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श्रृंगार गौरी केस की मुख्य वादिनी ने राष्ट्रपति से की इच्छामृत्यु की मांग

 श्रृंगार गौरी केस की मुख्य वादिनी ने राष्ट्रपति से की इच्छामृत्यु की मांग

 
 
उत्तर प्रदेश:- वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में वादी राखी सिंह ने खुला पत्र जारी किया है। उन्होंने हिंदू पक्ष की चार महिला वादिनी व कुछ अधिवक्ताओं पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। साथ ही राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की है। उनका कहना है कि नौ जून तक जवाब का इंतजार करेंगी, फिर आगे का फैसला वह खुद लेंगी।
 
राष्ट्रपति से पत्र लिखकर की इच्छामृत्यु की मांग
 
श्रृंगार गौरी केस की मुख्य मुख्य वादी राखी सिंह का एक लेटर वायरल हो रहा है। इसमें इन्होंने लिखा है कि मुझे और मेरे परिवार को बदनाम किया जा रहा है। इसमें शासन व प्रशासन के लोग भी शामिल हैं। झूठा प्रचार किया गया कि मैं, मुकदमा वापस लेना चाहती हूं। हम मानसिक दबाव झेल रहे हैं। अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। इसीलिए राष्ट्रपति महोदय मुझे इच्छा मृत्यु की अनुमति दें।वही वादी राखी सिंह ने इस लेटर में इस मुकदमें में अन्य चार वादी महिलाओं पर भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वो उन्हें प्रताड़ित कर रही हैं। साथ ही उनके अधिवक्ता भी प्रतड़ना कर रहे हैं। राखी सिंह ने इस मामले में राष्ट्रपति महोदय से 9 जून तक इसमें जवाब देने की बात कही है।उन्होंने आगे कहा कि हमें हिन्दू समाज़ में गद्दार घोषित करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन हमने ये सब बर्दाश्त कर लिया। यह सोच कर कि कुछ लोग क्रेडिट लेने व धन बटोरने के लिये यह सब कर रहे हैं। इससे हमें कोई फर्क नही पड़ता, क्रेडिट किसी को भी मिले, लेकिन उद्देश्य ज्ञानवापी बचना है। लेकिन सहन करने की सारी सीमा समाप्त तब हो गई जब उपरोक्त चार महिलाओं के माध्यम से ज्ञानवापी परिसर से संबंधित मुख्य मुकदमा भगवान आदि विशेश्वर विराजमान द्वारा किरन सिंह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य उपरोक्त मुकदमें को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया जिसके कारण ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को प्राप्त हो सकता था किंतु अब वह मुसलमानों के पक्ष में चली जाएगी ।राखी सिंह ने आगे पत्र में लिखा है कि 'मैं कई दिनो से मानसिक दबाव में हूँ मुझे लगता है कि यदि मैंने श्रिंगार गौरी का नियमित पूजा का मुकदमा न डाला होता तो मेरी चार साथी महिलायें वर्चस्व में न आतीं और न ही भगवान आदि विशेश्वर विराजमान का मुकदमा खराब कर पातीं। मुझे लगता है कि मेरे ही कारण उपरोक्त चार महिलाएं वर्चस्व में आयीं और जिनके कारण ज्ञानवापी का मूल मुकदमा बर्बाद हो गया। इन चार महिलाओं के कारण न केवल सम्पूर्ण सनातन समाज को छति पहुंची है। उसी के साथ मेरे व विसेन परिवार के द्वारा किया गया सम्पूर्ण त्याग समर्पण व्यर्थ होता दिख रहा है। ऊपर मुकदमें को खराब करने वाले सभी लोगों के कृत्य से मैं बहुत आहत हूं और स्वयं को माफ नहीं कर पा रही हूं।' आपको बता दे कि इसके पहले जितेंद्र सिंह बिसेन ने भी मानसिक प्रतड़ना और हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा गद्दार कहे जाने से आहत होकर और आर्थिक असमर्थता जताते हुए सभी मुकदमों को वापस लेने का एलान किया था। इसमें काशी और मथुरा से जुड़े सभी वो मुकदमें थे जिसमे जितेंद्र सिंह बिसेन या उनका परिवार जुड़ा हुआ था।

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