धर्म समाज

आमलकी एकादशी व्रत 10 मार्च को, जानिए...शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन एकादशी को बेहद ही खास माना गया है जो कि भगवान विष्णु को समर्पित है इस दिन भक्त श्री हरि की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
एकादशी का व्रत हर महीने किया जाता है ऐसे साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं जिनमें आमलकी एकादशी को खास बताया गया है। आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा अर्चना का विधान होता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा आमलकी एकादशी की तारीख और शुभ समय बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 9 मार्च को सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर हो जाएगा और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी की 10 मार्च को सुबह 7 बजकर 44 मिनट पर होगा। वही उदया तिथि के अनुसार इस साल आमलकी का व्रत 10 मार्च को किया जाएगा। इस दिन पूजा पाठ और व्रत करना लाभकारी होगा।
एकादशी व्रत पारण का समय-
आमलकी एकादशी व्रत का पारण 11 मार्च को किया जाएगा। 11 मार्च को आमलकी एकादशी के व्रत के पारण का शुभ समय सुबह 6 बजकर 50 मिनट से आरंभ होगा। व्रत पारण का यह शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। ऐसे में 11 मार्च को द्वादशी तिथि का व्रत का पारण सुबह 8 बजकर 13 मिनट तक ही करना शुभ रहेगा।
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महाशिवरात्रि से पहले काशी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़

वाराणसी। प्रयागराज में जारी महाकुंभ के बाद श्रद्धालु काशी की ओर रुख कर रहे हैं। रोजाना लाखों की संख्या में भक्त काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए भी पहुंच रहे हैं। भारी भीड़ को देखते हुए वाराणसी प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद नजर आ रहा है। महाशिवरात्रि से पहले भीड़ बढ़ने की आशंका के चलते चौराहों, गंगा घाटों और प्रमुख मंदिरों पर पुलिस तैनात की गई है। ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है।
डीसीपी काशी जोन गौरव बंशवाल ने बताया कि बनारस में लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। भीड़ प्रबंधन के तहत प्रमुख प्रवेश और निकास बिंदुओं को चिन्हित कर अलग-अलग किया गया है, जिससे लोगों की आवाजाही सुगम रहे। घाटों पर भी पुलिस बल के अलावा NDRF और जल पुलिस की टीमों को तैनात किया गया है। भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए विश्वनाथ मंदिर से भदौरिया चौराहे तक कड़े इंतजाम किए गए हैं। प्रवेश मार्गों को जिग-जैग पैटर्न में रखा गया है ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और दर्शन की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती रहे।
श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के बावजूद उनमें आस्था और भक्ति का उत्साह कम नहीं हुआ है। लोग घंटों लाइन में लगने के बावजूद भगवान शिव के दर्शन के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं। नागपुर से आईं श्रद्धालु नीला देशपांडे ने बताया, “हम यहां दो घंटे से खड़े हैं। मोती से आने में एक घंटा लगा। काशी में बहुत भीड़ है, हर गली में लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। लेकिन आस्था की भावना इतनी प्रबल है कि सब कुछ सहन कर रहे हैं।”
गुजरात के आणंद से आए अरविंद पटेल ने बताया, “यहां बहुत भीड़ है। हम लोग चार घंटे से लाइन में खड़े हैं, लेकिन अभी तक दर्शन नहीं कर पाए। इतनी दूर से आए हैं, तो दर्शन करके ही जाएंगे।” वहीं, झारखंड से आए श्रद्धालु आरके सिन्हा ने कहा, “आज सोमवार है, इसलिए भीड़ और ज्यादा हो गई है। लेकिन हम भी पूरी श्रद्धा के साथ दर्शन के लिए आए हैं।” गुदौलिया से चौक तक के मार्ग पर भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। मंदिर प्रशासन और पुलिसकर्मी लगातार भीड़ को नियंत्रित करने में जुटे हैं।
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अयोध्या के राम मंदिर में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़

अयोध्या। अयोध्या के राम मंदिर में सोमवार सुबह भक्तों की भारी भीड़ देखी गई, जिससे शहर की पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था पर अत्यधिक दबाव पड़ा है। सोमवार तड़के 4 बजे तक स्थिति और बिगड़ गई, जब हजारों वाहन शहर से 25 किलोमीटर दूर रोक दिए गए, जिससे यात्री निराश और परेशान हो गए। भारी भीड़ के कारण राम मंदिर, जन्मभूमि पथ और हनुमान गढ़ी समेत प्रमुख धार्मिक स्थलों की ओर जाने वाली सड़कें खचाखच भर गई हैं।
अपर्याप्त पुलिस तैनाती और भीड़भाड़ के कारण तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई, कुछ निराश यात्रियों ने तो बैरिकेड्स भी तोड़ दिए। राम मंदिर के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए सड़कों को चौड़ा करने और बुनियादी ढांचे में सुधार के सरकारी प्रयासों के बावजूद, अयोध्या की संकरी गलियां अभी भी भारी भीड़भाड़ वाली बनी हुई हैं।
तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ के कारण शहर में घूमना लगभग असंभव हो गया है। श्रद्धालुओं ने हर मार्ग को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई है। सोमवार को स्थिति इस सप्ताह की शुरुआत में देखी गई स्थिति के अनुरूप ही है। मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में स्नान के बाद, अयोध्या में श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा लगना शुरू हो गया। शहर की सड़कें रात भर भरी रहीं और भोर होते ही 'जय श्री राम' के नारे गूंजने लगे।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि 96 घंटों के भीतर लगभग 65 लाख श्रद्धालु अयोध्या में आ चुके हैं। जानकारी के अनुसार, स्थिति को संभालने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों ने कमान संभाल ली है और रात भर व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। बड़ी संख्या में तीर्थयात्री अपनी अटूट श्रद्धा के कारण प्रयागराज से सीधे अयोध्या तक की यात्रा कर चुके हैं। इससे पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर भी अयोध्या में भारी भीड़ देखी गई थी। उस दौरान महज 30 घंटे में 25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने रामलला के दर्शन किए थे।
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अब तक 52 करोड़ से अधिक लोगों ने लगाई डुबकी

  • प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन 28 फरवरी तक बंद
प्रयागराज। त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान करने के लिए आज सोमवार को समुद्र पार से श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंच रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े मानव समागम के 36 दिनों में अब तक 52 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगा चुके हैं। प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस अधिकारी लगातार सतर्क रहे।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक जी पी सिंह ने कल प्रयागराज में महाकुंभ के लिए सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की और उत्तर प्रदेश पुलिस, सीआरपीएफ और अन्य सभी संबंधित एजेंसियों के बीच अच्छे समन्वय की प्रशंसा की। सीआरपीएफ ने एक पूर्व-पोस्ट बयान में कहा, "उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस, सीआरपीएफ और सभी संबंधित एजेंसियों के बीच अच्छे समन्वय की सराहना की और सुरक्षा बनाए रखने में उनकी कड़ी मेहनत की सराहना की।"
महाकुंभ मेले के दौरान अतिरिक्त यात्री यातायात को कम करने और दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के मद्देनजर, उत्तर रेलवे ने श्रद्धालुओं और यात्रियों के लिए सुगम यात्रा की सुविधा के लिए चार विशेष ट्रेनें चलाने का फैसला किया है।
प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन 28 फरवरी तक बंद
महाकुंभ में आने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन 28 फरवरी तक बंद कर दिया गया है। यात्रियों को किसी भी परेशानी से बचाने के लिए यह फैसला लिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, महाकुंभ मेले के दौरान ट्रेनों में आने वाली श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन के अनुरोध पर रेलवे ने संगम रेलवे स्टेशन बंद करने का फैसला लिया है। रेलवे स्टेशन 17 फरवरी (आज) से 28 फरवरी तक बंद रहेगा। प्रयागराज में कुल नौ रेलवे स्टेशन हैं। जिनमें से संगम रेलवे स्टेशन मेला क्षेत्र के करीब स्थित है।
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संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश को इन चीजों का लगाएं भोग

सनातन धर्म में भगवान गणेश का बहुत महत्व है। घर में होने वाले मंगल कार्य में सर्वप्रथम उनकी ही पूजा की जाती है। आपको भगवान गणेश को प्रसन्न करना है, तो संकष्टी चतुर्थी पर उनकी पूजा करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन उनकी पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। घर में सुख समृद्धि आती है। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा को शुभ माना गया है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएं कि संकष्ठी चतुर्थी का व्रत कब रखें, शुभ मुहूर्त क्या है और भगवान गणेश को क्या भोग लगाएं?
शुभ मुहूर्त-
वैदिक पंचांग के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी पड़ती है। इसको द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं, क्योंकि यह फाल्गुन माह के कष्ण पक्ष को पड़ती है। 16 फरवरी 2025 को संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश का व्रत रख सकते हैं। 15 फरवरी 2025 को रात 11 बजकर 52 मिनट पर चतुर्थी तिथि की शुरुआत होगी। इसका समापन 16 फरवरी रात 2 बजकर 15 मिनट पर होगा।
मोदक का लगाएं भोग-
भगवान गणेश को खुश करना है, तो मोदक का भोग जरूर लगाएं। उनको यह मिठाई बहुत ही प्रिय है। ऐसे में आप उनके सामने मोदक रखेंगे, तो उनका आशीर्वाद जरूर मिलेगा। आपकी सारी इच्छाएं पूरी होंगी, जिससे सभी दुख दूर हो जाएंगे।
लड्डू का लगाएं भोग-
आपके पास भोग लगाने के लिए मोदक नहीं है, तो बूंदी के लड्डू भी भगवान गणेश को चढ़ा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी पर बूंदी का लड्डू चढ़ाने से प्रभु का आशीर्वाद बना रहता है। घर से नकारात्मकता दूर होकर सुख शांति की स्थापना होती है।
फल और श्रीफल (नारियल) का लगाएं भोग-
भगवान गणेश को भोग लगाते समय यह ध्यान रखें कि सब ताजा होना चाहिए। ऐसे में आप ताजा नारियल, दूध, दही और फल का भोग लगा सकते हैं। यह काफी शुभ माना जाता है। इन चीजों को भगवान को अर्पित करने से आपके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। शुभ फल प्राप्त होगा।
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महाशिवरात्रि पर बुध का उदय... इन 5 राशियों पर बरसेगा धन

महाशिवरात्रि महादेव के भक्तों के लिए प्रमुख त्योहारों में से एक होता है। इस दिन प्रभु का व्रत रख उनका आशीर्वाद लिया जाता है। महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस बार यह 26 फरवरी को पड़ रही है।
ज्योतिषीय गणना की मानें तो इस बार की महाशिवरात्रि खास है, क्योंकि इस बुध देव का उदय कुंभ राशि में हो रहा है। पांच राशियों के लिए यह बेहद शुभ होने वाला है।
मेष राशि-
मेष राशि के 11वें भाव में बुध ग्रह उदित होंगे, जिससे सभी तरह के कष्ट दूर हो जाएंगे। लंबे समय से रुके सभी काम पूरे होंगे, क्योंकि बाधाएं हटना शुरु हो जाएंगी। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। नौकरीपेशा व्यक्ति की सैलरी में इजाफा होगा। प्रमोशन भी मिल सकता है।
मिथुन राशि-
मिथुन राशि के 9वें भाग में बुध ग्रह उदित होने वाले हैं। मिथुन राशि के जातकों के लिए यह बेहद शुभ होने वाले हैं। घर में हो रहे विवाद शांत होंगे, जिससे माहौल सकारात्मक होगा। किस्मत आपके साथ रहेगी, जिससे हर काम में सफल होंगे। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। कारोबार में वृद्धि हो सकती है।
सिंह राशि-
बुध ग्रह सिंह के 7वें भाग में उदित होंगे। यह आपके लिए शुभ समाचार लेकर आएगा। आपकी आर्थिक समस्याएं धीरे-धीरे दूर होने लगेंगी। निवेश का मौका भी मिलेगा, जिससे जबरदस्त लाभ हो सकता है। व्यापार में बुलंदियां छू सकते हैं। दांपत्य जीवन में खुशियां आएंगी। इस दौरान माता-पिता का भी सहयोग मिलेगा।
मकर राशि-
मकर राशि के दूसरे भाग में बुध ग्रह के उदित होने से जीवन की हर समस्या का निपटारा होगा। माता-पिता का इस दौरान आशीर्वाद मिलेगा। धन का लाभ होगा, जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। समाज में खोया यश वापस मिलेगा। इस दौरान हर शब्द सोच समझकर बोलें। करियर में तरक्की मिलेगी।
कुंभ राशि-
कुंभ की लग्न राशि में बुध देव उदित होंगे। व्यापार में सफलता मिलेगी, जिससे धन लाभ होगा। आर्थिक स्थिति मजबूत होने से समाज में ख्याति बढ़ेगी। जमीन से जुड़े कार्य कर सकते हैं, जिसमें लाभ हो सकता है। नौकरीपेशा जातकों को प्रमोशन मिलेगा।
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भगवान विष्णु की विशेष कृपा पाने विजया एकादशी पर करें इन चीजों का दान

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं और इस साल 24 फरवरी 2025 को विजया एकादशी है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा और व्रत रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती हैं। कहते हैं कि यदि सच्चे भाव से इस तिथि पर सृष्टि के संचालक विष्णु जी को केसर के हलवे का भोग लगाया जाए, तो वह प्रसन्न होते हैं और साधक के कष्टों को हर लेते हैं। पौराणिक कथा की मानें तो विजया एकादशी का उपवास भगवान राम ने भी किया था। वहीं ज्योतिषियों की गणना के मुताबिक इस बार विजया एकादशी पर सिद्ध योग बन रहा है, जो सुबह 10:04 मिनट तक है। इस अवधि में कुछ चीजों का दान करने से व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि होती है और परिवार में भी सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसे में आइए इन चीजों के बारे में जानते हैं।
इन चीजों का करें दान-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विजया एकादशी पर अन्न और धन का दान करें। मान्यता है कि इससे साधक के भाग्य में वृद्धि होती है।
विजया एकादशी पर तुलसी पूजन करें। पूजा के बाद जरूरतमंदों को वस्त्रों का दान करें। ऐसा करने पर साधक के जीवन में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं।
विजया एकादशी पर मूंगफली और गुड़ का दान करने से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है।
इस दिन मां लक्ष्मी को श्रृंगार का सामान अर्पित करें और पूजा के बाद इसे सुहागिन महिलाओं को दान में दे दें। इससे पति-पत्नी के रिश्ते में चल रही अनबन समाप्त होती है।
विजया एकादशी के दिन हल्दी का दान करना बेहद शुभ होता है। आप विष्णु जी की पूजा के बाद इसका दान कर सकते हैं। इससे करियर में अच्छे परिणामों की प्राप्ति होती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 5 बजकर 11 मिनट से 6 बजकर 01 मिनट तक।
विजय मुहूर्त - दोपहर 2 बजकर 29 मिनट से 3 बजकर 15 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त - शाम 6 बजकर 15 मिनट से 6 बजकर 40 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
अमृतकाल - दोपहर 2 बजकर 7 मिनट से 3 बजकर 44 मिनट तक है।
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शनिवार को इन उपायों से जीवन की हर बाधा होगी दूर

सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता है वही शनिवार का दिन शनि महाराज की पूजा अर्चना को समर्पित किया गया है इस दिन भक्त शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं शनिवार के दिन लौंग और कपूर के आसान उपाय से जीवन की सारी बाधाएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं।
लौंग कपूर के उपाय-
ज्योतिष अनुसार पूजा पाठ में लौंग का प्रयोग करने से शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं इससे आपके स्वास्थ्य में भी सुधार देखने को मिलता है साथ ही घर की नकारात्मकता दूर हो जाती है और आर्थिक पक्ष मजबूत बना रहता है। ज्योतिष अनुसार शनिवार की शाम को एक दीपक लेकर इसे अच्छी तरह साफ करें इसके बाद इसमें सरसों तेल डालकर इसे जलाएं और दीपक में दो चार लौंग भी डाल दें। अब इसे किसी साफ और पवित्र स्थान पर रख दें। अब दीपक के समक्ष हाथ जोड़कर अपनी इच्छा मन में ही दोहराएं। माना जाता है कि इस उपाय को करने से परिवार में सकारात्मकता और खुशहाली आती है साथ ही परेशानियां दूर हो जाती हैं। शनिवार के दिन हनुमान मंदिर जाकर एक नींबे में चार लौंग लगाकर हनुमान जी को यह अर्पित करें साथ ही हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें इसके बाद हाथ जोड़कर बजरंगबली के सामने प्रार्थना करें अब ये नीबू अपने साथ लें जाएं। धीरे-धीरे आपके रुके काम पूरे हो जाएंगे। साथ ही आर्थिक परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा। वहीं जब आपका काम बन जाए तो इस नींबू को बहते जल में प्रवाहित कर दें।
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संगम में 3.3 मिलियन से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

प्रयागराज। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में शनिवार को पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, आज सुबह 9 बजे तक 3.324 मिलियन से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती का संगम) में डुबकी लगाई।
यूपी सरकार के सूचना विभाग ने कहा कि आज तक लगभग 501.1 मिलियन लोगों ने पवित्र डुबकी लगाई है। उत्तर प्रदेश प्रशासन के अनुसार, महाकुंभ दुनिया का पहला ऐसा आयोजन बन गया है जिसमें 500 मिलियन से अधिक प्रत्यक्ष प्रतिभागी शामिल हुए हैं।
यह संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इंडोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत कई प्रमुख देशों की जनसंख्या से भी अधिक है, जिससे महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम बन गया है।
इस बीच, प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक विज्ञप्ति के अनुसार यातायात और स्नान के नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। जारी निर्देशों के अनुसार, परेड मेला क्षेत्र से संगम की ओर स्नान करने आने वाले श्रद्धालु या लोग संगम और परेड क्षेत्र की ओर बने अन्य घाटों पर स्नान कर सकेंगे।
झूंसी मेला क्षेत्र से स्नान करने आने वाले श्रद्धालु या लोग झूंसी की ओर बने स्नान घाटों पर स्नान कर सकेंगे। यही बात अराली की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं पर भी लागू होती है- श्रद्धालु अराली क्षेत्र में बने स्नान घाटों पर स्नान कर सकेंगे।
पूरे महाकुंभ क्षेत्र में 'नो व्हीकल' जोन भी लागू किया गया है। जारी विज्ञप्ति के अनुसार, केवल मेला पुलिस द्वारा श्रद्धालुओं के लिए जारी किए गए वाहन ही महाकुंभ मेला क्षेत्र में आ सकेंगे। अन्य वाहन मालिक अपने वाहन निर्धारित पार्किंग स्थलों पर ही पार्क करेंगे। साथ ही, केवल आपातकालीन या चिकित्सा सेवाएं जैसे एम्बुलेंस और खाद्य एवं रसद वाहनों को ही अनुमति दी जाएगी। विज्ञप्ति में महाकुंभ में आने वाले सभी श्रद्धालुओं से प्रशासन और यातायात पुलिस द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करने और सुगम परिवहन और सुरक्षित अनुभव के लिए सहयोग करने की अपील की गई है। उत्तर रेलवे ने श्रद्धालुओं के लिए 15, 16 और 17 फरवरी को दो विशेष वंदे भारत ट्रेनों की भी घोषणा की है। (एएनआई)
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जानिए...कब है फरवरी का आखिरी प्रदोष व्रत, उपाय

फरवरी का आखिरी प्रदोष व्रत कब है? आइए जानते हैं। हर महीने प्रदोष का व्रत रखा जाता है। भोलेनाथ को समर्पित इस व्रत की पूजा विशेष तौर पर शाम के समय की जाती है। प्रदोष का व्रत प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए शिव-शक्ति के निमित्त व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा से जीवन में समृद्धि, खुशहाली और भाग्य में वृद्धि होती है। मान्यता है प्रदोष के दिन कुछ उपाय करने से भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं।
कब है फरवरी का आखिरी प्रदोष व्रत: पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि फरवरी 25, 2025 को 12:47 पी एम पर शुरू होगी, जो फरवरी 26, 2025 को 11:08 ए एम पर समाप्त होगी। इस दिन प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 06:18 से 08:49 पी एम तक रहेगा, जिसकी अवधि 02 घण्टे 30 मिनट्स रहेगी। दिन का प्रदोष समय शाम 06:18 से 08:49 पी एम तक रहेगा।
इस दिन करें ये उपाय-
भगवान शिव को सफेद रंग के फूलों की माला अर्पित करें और महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जाप करें।
ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें।
गाय की सेवा करें।
शिव चालीसा का पाठ करना अति शुभ रहेगा।
शिवलिंग का कच्चे दूध से अभिषेक करें।
खीर का भोग भगवान शिव को लगाएं।
अक्षत के 108 दाने गिनकर और इन्हें धुलकर शिवलिंग पर अर्पित करें साथ ही ध्यान रखें की एक भी चावल का दाना टूटने न पाएं।
शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करें।
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सफेद वस्त्र धारण करें और शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन करें इन मंत्रों का जाप

  • दूर होंगी सभी बाधाएं...
हिन्दू धर्म में फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ होता है. इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है|
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का महत्व-
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन इन मंत्रों का जाप करने से लोगों के सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और कार्यों में सफलता मिलती है. साथ ही शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है. इसके अलावा लोगों को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति आती है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा और मंत्र जाप करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में आने वाली बाधाएं खत्म होती हैं|
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 15 फरवरी दिन शनिवार को रात 11 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 17 फरवरी दिन सोमवार को तड़के सुबह 02 बजकर 15 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का पर्व 16 फरवरी को मनाया जाएगा|
इन मंत्रों का करें जाप-
“ॐ गं गणपतये नमः” : यह मंत्र भगवान गणेश का सबसे प्रसिद्ध मंत्र है. इस मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और कार्यों में सफलता मिलती है.
“ॐ वक्रतुण्डाय हुं” : यह मंत्र भगवान गणेश का एक शक्तिशाली मंत्र है. इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी संकट दूर होते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है-
“ॐ एकदंताय नमः” : यह मंत्र भगवान गणेश का एक सरल मंत्र है. इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है|
“ॐ लंबोदराय नमः” : यह मंत्र भगवान गणेश का एक लोकप्रिय मंत्र है. इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है|
“ॐ विघ्ननाशाय नमः” : यह मंत्र भगवान गणेश का एक शक्तिशाली मंत्र है. इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं|
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आज का राशिफल : इन 5 राशि वालों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान

मेष- आज का दिन आपके लिए प्रसन्नता दिलाने वाला रहेगा। संतान के साथ आप कुछ समय मौज-मस्ती करने में व्यतीत करेंगे, जिससे आपको यदि कोई टेंशन थी, तो वह भी दूर होगी, लेकिन आप अपने काम के साथ-साथ सेहत पर भी पूरा ध्यान दें। नौकरी में आपको प्रमोशन मिलने से खुशखबरी सुनने को मिलेगी। माता-पिता आपको काम को लेकर कोई सलाह दे सकते हैं। कारोबार में आप अपनी योजनाओं को बेहतर करने की कोशिश करेंगे, जिससे आपका व्यवसाय भी अच्छा रहेगा।
वृषभ- आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहने वाला है। वैवाहिक जीवन में खुशियां रहेंगी। आप परिवार के सदस्यों के साथ कुछ समय बिताएंगे, जिसमें पुरानी यादें ताजा होगी। जीवनसाथी के लिए आप कोई उपहार लेकर आ सकते हैं। आपके परिवार में किसी सदस्य को नौकरी से संबंधित समस्या चल रही थी, तब वह भी दूर होगी। आप अपनी अच्छी सोच का लाभ उठाएंगे। आपको किसी विरोधी की बातों में आने से बचना होगा। संतान पक्ष की ओर से आपको कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती हैं।
मिथुन- आज का दिन आपके लिए सोच समझकर कामों को करने के लिए रहेगा। विद्यार्थी यदि किसी प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते हैं, तो वह उसके लिए अप्लाई कर सकते हैं। आपको अपने कामों में एकजुट होकर जुटना होगा। यदि आपने किसी से धन उधार लिया था, तो वह आपसे वापस मांग सकते हैं और आपको किसी कानूनी मामले में भी अपनी आंख और कान खुले रखने होंगे। आप किसी पारिवारिक मामले को घर से बाहर न जाने दें, नहीं तो लोग इसका फायदा उठाने की पूरी कोशिश करेंगे।
कर्क- आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहने वाला है। आपको अपने पारिवारिक मामलों को मिल बैठकर सुलझाने की आवश्यकता है। कुछ मामलों में आपके जीवनसाथी की सलाह खूब काम आएगी। आप अपने पारिवारिक बिजनेस में मंदी को लेकर थोड़ा परेशान रहेंगे। माता-पिता की सेहत पर आपको पूरा ध्यान देना होगा। बिजनेस में यदि आपको कोई समस्या चल रही थी, तो वह भी दूर होगी। कार्यक्षेत्र में आपको कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है।
सिंह- आज का दिन आपके लिए सामान्य रहने वाला है। आप अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों को आसानी से पूरा करेंगे और आप किसी धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं। आपके घर किसी मांगलिक उत्सव की तैयारी शुरू हो सकती हैं, जो लोग नौकरी को लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं, उन्हें कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। आपको किसी से आज कोई जरूरी जानकारी शेयर करने से बचना होगा। यदि आपने किसी घर आदि की खरीदारी के लिए कोई लोन लेने का सोचा था, तो आप उसके लिए अप्लाई कर सकते हैं।
कन्या- आज का दिन आपके लिए किसी जोखिम भरे काम को करने से बचने के लिए रहेगा। आपकी कुछ नया करने की कोशिश रंग लाएगी, लेकिन आप अपने व्यवहार पर पूरा ध्यान दें और यदि किसी काम को लेकर संशय बना हो, तो उसमें बिल्कुल आगे ना बढ़ें। आपके कुछ नए विरोधी उत्पन्न हो सकते हैं। किसी दूर रहकर परिजन से कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। राजनीति में कार्यरत लोगों की छवि और निखरेगी। उनके जन समर्थन में भी इजाफा होगा।
तुला- आज का दिन आपके लिए उलझनों से भरा रहने वाला है। बिजनेस में आप किसी से लेनदेन थोड़ा सोच समझकर करें। आपको किसी भी मामले में बेवजह बोलने से बचना होगा। परिवार में समस्याएं सिर चढ़कर बोलेंगी जो आपकी टेंशन को बढ़ाएंगी। आपको किसी लिए गए निर्णय के लिए पछतावा हो सकता है। माताजी यदि आपसे किसी बात को लेकर नाराज चल रही थी, तो आप उन्हे मनाने की पूरी कोशिश करेंगे। कुछ मौसमी बीमारी आपको अपनी चपेट में ले सकती हैं।
वृश्चिक- आज का दिन आपके लिए बाकी दिनों की तुलना में बढ़िया रहने वाला है। आपकी सुख-सुविधाएं बढ़ेंगी और आप मौज-मस्ती भरा जीवन जिएंगे। संतान के भविष्य को लेकर आप कोई बड़ा इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। आपको किसी पुरानी छोड़ी हुई नौकरी का ऑफर आ सकता है, लेकिन फिलहाल आप पुरानी में ही टिके रहे, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। आप किसी इलेक्ट्रॉनिक आइटम को घर लेकर आ सकते हैं। आपको अपने खर्चो को ध्यान में रखकर कामों को करने की आवश्यकता है।
धनु- आज का दिन आपके लिए धन-धान्य में वृद्धि लेकर आने वाला है। आपका मनमौजी स्वभाव के कारण लोग आपका फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। आपके परिवार में भाई-बहनों की ओर से कोई उपहार मिलता दिख रहा है। आपको किसी अजनबी पर भरोसा करने से बचना होगा। आप किसी से मांगकर वाहन न चलाएं, नहीं तो कोई दुर्घटना हो सकती है। आपका उधार दिया हुआ धन भी आपको मिल सकता है, जो आपकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करेगा।
मकर- आज का दिन आपके लिए पद-प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला रहेगा। आपके घर में सुख-शांति बनी रहेगी। आपके घर किसी मेहमान का आगमन हो सकता है। पूजा-पाठ में आपका खूब मन लगेगा। धार्मिक कार्यों में भी आपके काफी रुचि रहेगी और आपके घर के कुछ काम पेंडिंग चल रहे थे, तो उन्हें भी आप निपटाने की कोशिश में लगे रहेंगे। भाई-बहनों का आपको पूरा साथ मिलेगा। जीवनसाथी से यदि कोई बात गुप्त रखी थी, तो वह उनके सामने उजागर हो सकती है।
कुंभ- आज का दिन आपके लिए अपने आसपास रह रहे शत्रुओं से निजात दिलाने वाला रहेगा। आपको किसी की कहीसुनी बातों में आने से बचना होगा और किसी अनुभवी व्यक्ति की सलाह आपके लिए कारगर सिद्ध होगी, लेकिन आपको धन का लेनदेन किसी से कोई ज्यादा सोच समझकर करने की आवश्यकता है। आपकी मेहनत रंग लाएगी। विद्यार्थी किसी स्कॉलरशिप से संबंधित एग्जाम की तैयारी कर सकते हैं। आप अपने मन में किसी के प्रति ईर्ष्या द्वेष की भावना ना रखें।
मीन- आज का दिन आपके लिए धन संबंधित समस्याओं से छुटकारा दिलाने वाला रहेगा। आपको अक्समात लाभ मिलने के भी योग बनते दिख रहे हैं, लेकिन आप बिजनेस में किसी पर अधिक भरोसा ना करें, नहीं तो वह भरोसा आपको कोई भारी नुकसान करवा सकता है। आपकी कोई डील यदि लंबे समय से लटक रही थी, तो उसके फाइनल होने की संभावना है। आप परिवार के सदस्यों के साथ कुछ आनंदमय पल व्यतीत करेंगे और अपने मनपसंद भोजन का आनंद लेंगे।
 
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फाल्गुन माह में करें ये काम, महादेव की होगी कृपा

सनातन धर्म में वैसे तो हर महीने को महत्वपूर्ण बताया गया है लेकिन फाल्गुन का महीना बेहद ही खास होता है जो कि माघ पूर्णिमा के बाद से शुरू हो जाता है हिंदू पंचांग के अनुसार यह हिंदी का आखिरी महीना माना जाता है। इसके बाद ही हिन्दू नववर्ष का आरंभ हो जाता है। फाल्गुन मास को फागुन के नाम से भी जाना जाता है।
इस महीने में कई प्रमुख त्योहार जैसे होली, महाशिवरात्रि आदि पड़ते हैं। फाल्गुन मास में कई शुभ मुहूर्त भी प्राप्त होते हैं। जिसमें शादी विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश आदि के कार्य किए जा सकते हैं, इस साल फाल्गुन मास का आरंभ 13 फरवरी दिन गुरुवार से हो चुका है और समापन 14 मार्च दिन शुक्रवार को हो जाएगा। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि इस महीने किन कार्यो को करना लाभकारी होगा, तो
आइए जानते हैं।
फाल्गुन माह में करें ये काम-
आपको बता दें कि फाल्गुन माह में महादेव की पूजा करनी चाहिए इस माह में रोजाना शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। पूजा के समय शिव जी के मंत्रों का जाप जरूर करें। मान्यता है कि ऐसा करने से शीघ्र मनोकामना पूरी हो जाती है। इसके अलावा इस महीने चंद्र देव की पूजा करना भी उत्तम माना जाता है इससे मानसिक तनाव कम हो जाता है।
फागुन के महीने में पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से नकारात्मकता का नाश हो जाता है इस महीने दान करने से सुख समृद्धि घर आती है। फाल्गुन मास में गाय की सेवा जरूर करें। ऐसा करने से देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। इस महीने फलों का सेवन अधिक करना चाहिए इससे सेहत अच्छी बनी रहती है।
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विजया एकादशी व्रत 24 फरवरी को, जानिए... मुहूर्त एवं पूजा विधि

एकादशी का व्रत हर माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से अराधना करने वालों के घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. विजया एकादशी का व्रत हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. वहीं इस बार इस तिथि को लेकर कुछ कन्फ्यूजन बना हुआ है, तो आइए जानते है कि इस बार विजया एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा|
विजया एकादशी कब हैं-
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की एकादशी तिथि की शुरुआत 23 फरवरी को दोपहर 1 बजकर 55 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन 24 फरवरी को दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, इस बार विजया एकादशी का व्रत सोमवार 24 फरवरी को रखा जाएगा|
विजया एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त-
वैदिक पंचांग के अनुसार, विजया एकादशी के दिन का मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तक
विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 15 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 40 मिनट तक
निशिता मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक
विजया एकादशी पारण का समय-
एकादशी व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि पर किया जाता है. यानी विजया एकादशी व्रत का पारण 25 फरवरी को सुबह 6 बजकर 50 मिनट से लेकर 9 बजकर 8 मिनट तक रहेगा. इस दौरान व्रत करने वाले लोग पारण कर सकते हैं|
विजया एकादशी की पूजा विधि-
विजया एकादशी की पूजा के दिन पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद श्रीहरि का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें. इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. पूजा स्थल की सफाई करें. उसके बाद मंदिर में चौकी सजाकर उसपर पीला कपड़ा बिछाया जाता है और भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद भगवान विष्णु को फूल, दीप. चंदन, फल, तुलसी के पत्ते और भोग में मिठाई अर्पित करें. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप और आरती कर पूजा का संपन्न करें|
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घर में वास्तु अनुसार लगाएं अलग-अलग रंगों के पर्दे

  • जानिए...किस दिशा के कौनसा है शुभ
आज के दौर में सुंदर दिखना और सुंदर दिखाना, दोनों ही महत्वपूर्ण है। अब चाहे सुंदरता स्वयं की हो या फिर अपने घर-ऑफिस की। हर व्यक्ति चाहता है कि, न सिर्फ वो सुंदर लगे बल्कि उसका घर भी उतना ही आकर्षक लगे, जो पूरे परिवार में सकारात्मक माहौल को बनाकर रखें। इसके लिए आवश्यक है वास्तु नियमों की पालना। यहां हम आपको घर में पर्दे लगाने से जुड़े वास्तु नियमों के बारे में बताने जा रहे है, जो न सिर्फ घर-परिवार की खूबसूरती को बढ़ाते है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करते है। साथ ही घर में प्रवेश करने वाली गंदगी को भी रोकते है। चलिए जानते है-
घर में पर्दे के लिए वास्तु टिप्स-
ईशान दिशा में हल्के रंग यानी पीला, नारंगी, सफेद, ऑफ वाइट और गुलाबी पर्दे लगा सकते है। साथ ही हल्का हरा, नीला और बैंगनी रंग उपयुक्त रहेगा। दक्षिण दिशा में खिड़की और दरवाजों पर गहरे रंग के पर्दे, जैसे- लाल अथवा डार्क हरा आदि उपयोग में ले सकते हैं। यह सकारात्मक भी रहता है। नैऋत्य कोण में हल्का गुलाबी या लेमन कलर का पर्दा लगाया जा सकता है। इस कोण में दक्षिण का प्रभाव अधिक है गहरे रंग के पर्दे लगाएं। उत्तर दिशा के लिए आसमानी और सफेद रंग के पर्दे को शुभ माना गया है। यह परिवार में सुख-समृद्धि और शांत माहौल बनाकर रखता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की पूर्व दिशा के लिए हल्के हरे रंग या फिर मिंट ग्रीन कलर के पर्दे लगा सकते है। यह शुभ परिणाम देते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की पश्चिम दिशा में सफेद और नीले रंग के पर्दे लगाना सकारात्मक परिणाम देता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार आग्नेय कोण की खिड़की और दरवाजे पर पीले, लाल, मैरून, और नारंगी रंग के पर्दे लगा सकते है। वास्तु शास्त्र के अनुसार वायव्य कोण में हल्का नीला, स्लेटी और बैंगनी रंग का पर्दा सकारात्मक माहौल उत्पन्न करता है।
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जानिए...फाल्गुन मास-2025 के व्रत त्योहार और विवाह शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग का आखिरी महीना फाल्गुन 13 फरवरी दिन गुरुवार यानी आज से आरंभ हो चुका है और इसका समापन 14 मार्च को हो जाएगा। फाल्गुन मास को आम बोलचाल की भाषा में फागुन कहा जाता है। ये महीना रंगों का होता है। इस महीने प्रकृति की निराली छटा देखने को मिलती है। इसी महीने हिंदुओं का प्रमुख त्योहार होली भी मनाया जाता है।
फाल्गुन मास 2025 के व्रत त्योहार-
16 फरवरी 2025 - द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी
20 फरवरी 2025 - शबरी जयंती
21 फरवरी 2025 - जानकी जयंती
24 फरवरी 2025 - विजया एकादशी
25 फरवरी 2025 - प्रदोष व्रत
26 फरवरी 2025 - महाशिवरात्रि
27 फरवरी 2025 - फाल्गुन अमावस्या
1 मार्च 2025 - फुलैरा दूज, रामकृष्ण जयंती
3 मार्च 2025 - विनायक चतुर्थी
10 मार्च 2025 - आमलकी एकादशी
11 मार्च 2025 - प्रदोष व्रत
13 मार्च 2025 - होलिका दहन, फाल्गुन पूर्णिमा व्रत
14 मार्च 2025 - होली, मीन संक्रांति, चंद्र ग्रहण
विवाह शुभ मुहूर्त-
फरवरी: 13, 14, 15, 18, 19, 20, 21, 25
मार्च: 3, 5, 6, 7, 11, 12, 13, 14.
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महाशिवरात्रि पर करें ये अचूक उपाय, विवाह में आ रही रुकावटें होंगी दूर

हिंदू धर्म शास्त्रों में फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि बहुत विशेष मानी जाती है. क्योंकि हर साल इस तिथि पर महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. ये दिन शिव-शक्ति के मिलन का माना जाता है. दरअसल, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन ही भगावन शिव ने वैराग्य छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था|
भगवान शिव का व्रत और पूजन-
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का व्रत और पूजन करने से जीवन के तमाम दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं. जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है. यही नहीं अगर किसी के विवाह में बाधाएं आ रही हैं, तो महाशिवरात्रि के दिन कुछ उपाय भी बताए गए हैं. मान्यता है कि इन उपायों को करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं|
इस साल कब है महाशिवरात्रि-
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर होगी. वहीं इस तिथि का समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर हो जाएगा. महाशिवरात्रि पर रात्रि के चार प्रहरों में भगवान शिव की पूजा की जाती है. ऐसे में इस साल महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी और इसी दिन इसका व्रत भी रखा जाएगा|
महाशिवरात्रि पर करें ये उपाय-
अगर विवाह में बाधाएं आ रही हैं, तो महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पूजन औररुद्राभिषेक करें. ऐसा करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं.
विवाह में आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती को लाल चुनरी चढ़ाएं और उनकी पूजा करें. ऐसा करने से विवाह में आ रहीं सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं-
महाशिवरात्रि के दिन कन्याएं माता पार्वती को मेहंदी चढ़ाएं. फिर उसी मेहंदी को अपने हाथों लगाएं. ऐसा करने से विवाह में आ रहीं बाधाएं दूर हो जाती हैं. साथ ही मनचाहा वर मिलता है.
इस दिन ऊँ गौरी शंकराय नमः मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से भी विवाह में आ रहीं बाधाएं दूर हो जाती हैं.
इस दिन भगवान शिव के आगे देसी घी का दीपक जलाकर उनके “ऊँ शं शं शिवाय शं शं कुरु कुरु ऊँ” मंत्र का जाप करें. इससे शादीशुदा जीवन का तनाव खत्म होता है|
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जानकी जयंती 21 फरवरी को, जानिए...महत्व

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन जानकी जयंती को बेहद ही खास माना जाता है। इसे सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर राजा जनक को सीता जी की प्राप्ति हुई थी और जनक ने देवी सीता को अपनी संतान के रूप में स्वीकार किया था।
जानकी जयंती के दिन भगवान श्रीराम के साथ माता सीता की पूजा और व्रत करना उत्तम माना जाता है मान्यता है कि ऐसा करने से इनकी कृपा प्राप्त होती हैं। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि इस साल जानकी जयंती का त्योहार कब मनाया जाएगा, तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार जानकी जयंती यानी फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 20 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह 9 बजकरा 58 मिनट पर होगा। वही ​इस तिथि का समापन 21 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में जानकी जयंती का त्योहार 21 फरवरी दिन गुरुवार को देशभर में मनाया जाएगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जानकी जयंती के शुभ दिन पर सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद भगवान राम और माता सीता की विधिवत पूजा करें और दिनभर उपवास भी रखें। हो सके तो इस दिन राम सीता के मंदिर जाकर दर्शन करें मान्यता है कि ऐसा करने से सीता राम की कृपा प्राप्त होती है।
जानकी स्तोत्र-
नीलनीरज-दलायतेक्षणां लक्ष्मणाग्रज-भुजावलम्बिनीम्।
शुद्धिमिद्धदहने प्रदित्सतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्।
रामपाद-विनिवेशितेक्षणामङ्ग-कान्तिपरिभूत-हाटकाम्।
ताटकारि-परुषोक्ति-विक्लवां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
कुन्तलाकुल-कपोलमाननं, राहुवक्त्रग-सुधाकरद्युतिम्।
वाससा पिदधतीं हियाकुलां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
कायवाङ्मनसगं यदि व्यधां स्वप्नजागृतिषु राघवेतरम्।
तद्दहाङ्गमिति पावकं यतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
इन्द्ररुद्र-धनदाम्बुपालकै: सद्विमान-गणमास्थितैर्दिवि।
पुष्पवर्ष-मनुसंस्तुताङ्घ्रिकां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
संचयैर्दिविषदां विमानगैर्विस्मयाकुल-मनोऽभिवीक्षिताम्।
तेजसा पिदधतीं सदा दिशो भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
।।इति जानकीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
जानकी स्तुति-
जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम्।
जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम्।।1।।
दारिद्र्यरणसंहर्त्रीं भक्तानाभिष्टदायिनीम्।
विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम्।।2।।
भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम्।
पौलस्त्यैश्वर्यसंहत्रीं भक्ताभीष्टां सरस्वतीम्।।3।।
पतिव्रताधुरीणां त्वां नमामि जनकात्मजाम्।
अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम्।।4।।
आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहम्।
प्रसादाभिमुखीं लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभाम्।।5।।
नमामि चन्द्रभगिनीं सीतां सर्वाङ्गसुन्दरीम्।
नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरम्।।6।।
पद्मालयां पद्महस्तां विष्णुवक्ष:स्थलालयाम्।
नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननाम्।।7।।
आह्लादरूपिणीं सिद्धिं शिवां शिवकरीं सतीम्।
नमामि विश्वजननीं रामचन्द्रेष्टवल्लभाम्।
सीतां सर्वानवद्याङ्गीं भजामि सततं हृदा।।8।।
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