जानिए कब हैं देवउठनी एकादशी, शुभ मुहूर्त और महत्व
हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व है। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर, रविवार को है। धार्मिक आस्था के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है।शरद पूर्णिमा से ही सर्दियों की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा करके व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात कुछ आसान उपायों को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन ये शुभ संयोग बढ़ा रहे दिन का महत्व, जानें पूजन का उत्तम मुहूर्त
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का बड़ा महत्व है. इस साल शारदीय नवरात्रि शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं. नवरात्रि की मंदिरों में तैयारी पूरी हो चुकी हैं. नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा पर घरों में कलश स्थापना की जाती है. नवरात्रि के 9 दिन लोग बड़ी श्रृद्धा से मां दुर्गा की पूजा आराधना करते हैं. इस साल 26 सितंबर यानी सोमवार से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहे हैं. ये 4 अक्टूबर तक चलेंगे. आइए बताते हैं हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
झूठा सच @ रायपुर :- विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर यानी आज है. भगवान विश्वकर्मा को देवी-देवताओं का इंजीनियर कहा जाता है. ऐसा कहते हैं कि ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि का निर्माण किया था, लेकिन इसे सजाने-संवारने का काम विश्वकर्मा जी ने ही किया था. देवी-देवताओं के भवन, महल और रथ आदि के निर्माता भी स्वयं भगवान विश्वकर्मा ही हैं. क्या आप जानते हैं कि लंकापति रावण ने जिस सोने की लंका में सीता को कैद करके रखा था, वो भी विश्वकर्मा ने ही बनाई थी.
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती भगवान शिव के साथ वैकुण्थ गईं और वहां की सुंदरता देख मंत्रमुग्ध हो गईं. कैलाश पर्वत वापस लौटने के बाद उन्होंने भगवान शिव से एक सुंदर महल बनवाने की इच्छा जाहिर की. तब भगवान शिव ने ही विश्वकर्मा और कुबेर से सोने का महल बनवाया था. ऐसा कहते हैं कि रावण ने गरीब ब्राह्मण का रूप धारण करके शिवजी से दान में सोने की लंका मांग ली थी. हालांकि महादेव रावण को पहचान गए थे, इसके बावजूद वो उसे खाली हाथ नहीं लौटाना चाहते थे और तभी उन्होंने उसे सोने की लंका दे दी. ये बात जब माता पार्वती को पता चली तो वो बहुत नाराज हुईं और उन्होंने सोने की लंका जलकर भस्म हो जाने का श्राप दे दिया. यही कारण है कि आगे चलकर हनुमान जी ने अपनी पूंछ से सोने की पूरी लंका को जलाकर भस्म कर दिया था.
श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार, विश्वकर्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका का भी निर्माण किया था. उन्होंने वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखते हुए ही इसकी चौड़ी सड़कें, चौराहे और गलियों को बनाया था.महाभारत के अनुसार तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली के नगरों का विध्वंस करने के लिए भगवान शिव सोने के जिस रथ पर सवार हुए थे, उसका निर्माण विश्वकर्मा जी ने ही किया था. इसके दाएं चक्र में सूर्य और बाएं चक्र में चंद्रमा विराजमान थे. वाल्मीकि रामायण के अनुसार, विश्वकर्मा जी के वानर पुत्र नल ने भगवान श्रीराम के कहने पर रामसेतु पुल का निर्माण किया था. विश्वकर्मा का पुत्र होने के कारण ही नल शिल्पकला जानता था. इसीलिए वो समुद्र पर पत्थरों से पुल बना सका था |
आज महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है. आज लोग अपने घरों में गणपति बप्पा का हर्षोल्लास के साथ आगमन का स्वागत करेंगे. इसके लिए पूजा स्थान और पंडालों को भव्य रूप से सजाया गया है. हिंदू कैलेडर के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था. उनके जन्म से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं. आज जिन लोगों को गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करनी है, उन्हें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानना जरूरी है. साथ ही आज के दिन चंद्रमा न देखें, वरना यह आपके लिए शुभ हो सकता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट हमें बता रहे हैं गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.
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