धर्म समाज

राज्यपाल रमेन डेका कोे ब्रम्हकुमारी बहनों ने भाई दूज का टीका लगाया

रायपुर। राज्यपाल श्री रमेन डेका से रविवार को राजभवन में प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बहनों ने मुलाकात कर उन्हें दीपावली पर्व की शुभकामनाएं दी और भाई दूज का टीका लगाकर उनके स्वस्थ जीवन की कामना की। बहनों ने राज्यपाल को शाल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित भी किया।
इस अवसर पर जापान एवं फिलिपींस में संचालित प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की संचालिका ब्रम्हाकुमारी सुश्री रजनी दीदी, इंदौर केंद्र की संचालिका सुश्री हेमलता, रायपुर केंद्र की संचालिका सुश्री सविता बहन सहित संस्था के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
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छोटी दिवाली पर यम दीपदान की सरल विधि, परिवार की होगी रक्षा

सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन दिवाली से एक दिन पहले पड़ने वाली नरक चतुर्दशी को बेहद ही खास माना जाता है जिसे छोटी दिवाली, यम चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
यम चतुर्दशी के दिन यम के नाम का दीपक जलाना शुभ माना जाता है मान्यता है कि ऐसा करने से यम देवता प्रसन्न होकर कृपा करते हैं इसके अलावा नरक चतुर्दशी के दिन दान पुण्य के कार्य करना भी उत्तम होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है इस साल नरक चतुर्दशी का पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन यम का दीपक जलाना शुभ होता है तो आज हम आपको दीप दान की सरल विधि बता रहे हैं।
यम देवता के लिए ऐसे करें दीपदान-
नरक चतुर्दशी के दिन घर के सबसे बड़े सदस्य को यम के नाम का एक बड़ा दीपक जलाना चाहिए। इस दीपक को घर से बाहर जाकर दक्षिण दिशा में रखना अच्छा माना जाता है। दीपक रखने के बाद पलटकर नहीं देखना चाहिए। यह काम रात में घर के सभी सदस्यों के आने के बाद करना उचित माना गया है।
नरक चतुर्दशी तिथि का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस साल नरक चतुर्दशी का पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसकी तिथि दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर शुरू हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी की 31 अक्टूबर को शाम 3 बजकर 52 मिनट पर हो जाएगी। इस दिन दीपदान करने का भी खास महत्व होता है इसके साथ ही नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम का दीपक भी जलाया जाता है ऐसा करने से यम देवता की कृपा बनी रहती है।
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"हिंदू त्यौहार आते ही उठती है कानून उल्लंघन की बात, हम तो दीपावली मनाएंगे"

  • धीरेंद्र शास्त्री ने दी तीखी प्रतिक्रिया
नई दिल्ली। दीपावली पर प्रदूषण के कारण पटाखों को बैन करने की चर्चा के बीच बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने बयान दिया है। उन्होंने दावा किया कि वो दीपावली विधिवत मनाएंगे और इसके लिए वो बम पटाखे भी ले आए हैं।
दरअसल, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने दीपावली के मौके पर कई राज्यों पटाखों को लेकर कड़े प्रतिबंध को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि 'यह इस देश का दुर्भाग्य है कि जब भी सनातन हिंदू धर्म के त्यौहार आते हैं, कोई न कोई कानून के उल्लंघन की बात करता है और इस पर रोक लगाता है या इसकी मांग करता है। किसी ने यह तक कहा कि दीपावली पर जो इतने तेल के दिए जलाए जाते, उससे कितने गरीबों का भला होता है।' उन्होंने आगे कहा कि ऐसी बातें करने वाले लोगों से मैं कहना चाहता हूं कि 'इस देश में बकरीद भी तो मनाई जाती है, उसे बंद करवा दो। बकरीद में जो लाखों रुपयों के बकरे काटे जाते हैं, उन रुपयों को गरीबों में बांट दो, जिससे कि गरीबों का भला हो और साथ ही जीव के खिलाफ हिंसा भी नहीं होगी।'
धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा, ' किसी ने कहा कि दीपावली पर पटाखों से प्रदूषण होता है, ऐसे में 1 जनवरी को हैप्पी न्यू ईयर के नाम पर पटाखे फोड़े जाते हैं, तब इन लोगों का ज्ञान कहां जाता है? उस समय प्रदूषण नहीं होता है क्या?' उन्होंने आगे कहा कि होली आते ही पानी खराब होने लगता है, लेकिन जब खून-खराबा होता है, तब ये लोग अपनी प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। उस समय ऐसी मांग और कानून की बात नहीं होती है। ऐसे में हिंदू त्यौहार पर दोगलापन बंद हो। उन्होने आगे कहा कि हम तो दीपावली अच्छे से मनाएंगे और इसके लिए सुतली बम भी खरीद लिए हैं।
बता दें कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने प्रदूषण के मद्देनजर पटाखों के इस्तेमाल को लेकर सख्त नियम लागू हैं। यहां पर सिर्फ ग्रीन पटाखे ही सीमित समय के लिए जलाने की अनुमति प्राप्त हैं, जो प्रदूषण को कम करने में सहायक माने जाते हैं।
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धनतेरस के दिन ही क्यों मनाया जाता है आयुर्वेद दिवस?

आयुर्वेद का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है. इस शब्द का अर्थ ‘जीवन का विज्ञान’ होता है जो न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी समर्पित है आयुर्वेद न केवल रोगों के उपचार पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने का तरीका भी सिखाता है. हर साल धनतेरस वाले दिन आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है. आयुर्वेद में बीमारियों का न सिर्फ इलाज किया जाता है, बल्कि रोग के मुख्य कारणों की पहचान करके उसे दूर करने का भी प्रयास किया जाता है. इसमें औषधियों का उपयोग, डाइट, योग और ध्यान केंद्रित करने जैसी चीजें शामिल होती हैं. आयुर्वेद में तीन प्रमुख दोष वात, पित्त, और कफ के सिद्धांत पर आधारित है. यह शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है.हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस बार यह पर्व 29 अक्टूबर यानी का आज के दिन मनाया जा रहा है. इसी के साथ आज नेशनल आयुर्वेद दिवस भी है. लेकिन हर साल इस दिन पर आर्युवेद दिवस मनाने के पीछे क्या वजह है आइए जानते हैं इसके बारे में-
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस-
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हर साल धनतेरस वाले दिन मनाया जाता है क्योंकि इस दिन को भारत और दुनिया भर में चिकित्सा के हिंदू देवता धन्वंतरि के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. मान्यताओं के मुताबिक भगवान धन्वंतरिको आयुर्वेद के देवता का कहा जाता है.
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का इतिहास-
2016 में भारत सरकार मंत्रालय ने भगवान धन्वंतरिकी जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाए जाने को घोषणा की थी. पहले आयुर्वेद दिवस 28 अक्टूबर 2016 को मनाया गया था. तब से अब तक हर साल भगवान धन्वंतरि जयंती और धनतेरस वाले दिन राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है.
इस बार की थीम-
29 अक्टूबर यानी की आज 9वां आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है. हर साल इसके अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है. इस बार वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार पर आधारित थीम पर मनाया जा रहा है. इस अवसर पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जैसे कि कॉलेज, अस्पताल और शिक्षण संस्थान फ्री स्वास्थ्य शिविर लगाते हैं. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद को बढ़ावा देना है.
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धनतेरस पर करें ये उपाय, दरिद्रता होगी दूर

सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन धनतेरस का पर्व बहुत ही खास माना जाता है जो कि हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है इस दिन आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना की जाती है मान्यता है कि धन्वंतरि जी की पूजा करने से सभी तरह की रोग बीमारियां दूर हो जाती हैं इसके अलावा कुबेर और माता लक्ष्मी की भी पूजा इस दिन की जाती है ऐसा करने से सुख समृद्धि घर आती है
धनतेरस के दिन को खरीदारी के लिए खास माना जाता है इस दिन चीजों की खरीदारी करने से धन में वृद्धि होती है। इस साल धनतेरस का त्योहार 29 अक्टूबर दिन मंगलवार यानी आज मनाया जा रहा है। ऐसे में हम आपको तुलसी के आसान उपाय बता रहे हैं जिसे धनतेरस पर करने से गृहक्लेश व कर्ज से राहत मिल जाती है तो आइए जानते हैं।
धनतेरस पर तुलसी के आसान उपाय-
अगर आप कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं या फिर आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं तो ऐसे में आप धनतेरस पर तुलसी के पौधे में गन्ने का रस अर्पित करें। माना जाता है कि इस सरल उपाय को करने से कर्ज से राहत मिलती है साथ ही धन संबंधी परेशानियां भी दूर हो जाती है और भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की असीम कृपा बरसती है।
अगर आपके घर आए दिन झगड़े होते रहते हैं और आप इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऐसे में आप धनतेरस के दिन तुलसी का उपाय जरूर करें। धनतेसर के दिन तुलसी की विधिवत पूजा कर चुनरी अर्पित करें माना जाता है कि इस उपाय को करने से गृहक्लेश समाप्त हो जाता है और परिवार में सुख समृद्धि आती है।
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धनतेरस आज, जानिए...खरीदारी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

धनतेरस-2024 से दीपोत्सव की शुरुआत हो गई है. धनतेरस का त्योहार छोटी दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. सनातन शास्त्रों में धनतेरस के त्योहार का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। साथ ही खजाना हमेशा धन से भरा रहता है और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
धनतेरस 2024 खरीदारी मुहूर्त-
धनतेरस सोना-चांदी खरीदारी शुभ मुहूर्त (सुबह)- सुबह 06:31 से अगले दिन सुबह 10:31 मिनट तक
धनतेरस सोना-चांदी खरीदारी शुभ मुहूर्त (शाम)- 06 बजकर 36 से लेकर रात 8 बजकर 32 मिनट तक
धनतेरस का महत्व-
धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. धनतेरस या धनत्रयोदशी दो शब्दों से मिलकर बना है पहला 'धन' का अर्थ है धन और दूसरा 'तेरस या त्रयोदशी'। धनतेरस के दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन खरीदी गई कोई भी चीज अनंत फल देने वाली होती है। ऐसा कहा जाता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई वस्तु में तेरह गुना वृद्धि होती है, इसलिए धनतेरस के दिन सोना, चांदी, जमीन और वाहन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।
धनतेरस 2024 तिथि और समय-
पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 बजे शुरू होगी. वहीं, इसका समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 01:15 बजे होगा. सनातन धर्म में तिथि की गणना सूर्योदय से की जाती है। ऐसे में धनतेरस 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
धनतेरस पूजा विधि-
धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें। सूर्यदेव को जल अर्पित करें। चौकी पर मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर जी की मूर्ति रखें। दीपक जलाएं और चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद आरती करें. साथ ही संग में भगवान गणेश की पूजा भी करें. कुबेरजी के मंत्र ॐ ह्रीं कुबेराय नमः का 108 बार जाप करें और धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद मिठाई और फल आदि का भोग लगाएं। श्रद्धानुसार दान करें. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से धन लाभ के योग बनते हैं और जातक को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
धनतेरस पूजा मुहूर्त- शाम 06 बजकर 31 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
प्रदोष काल- शाम 05 बजकर 38 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
वृषभ काल- शाम 06 बजकर 31 मिनट से 09 बजकर 27 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 48 मिनट से 05 बजकर 40 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05 बजकर 38 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक
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उदया चतुर्दशी तिथि में 31 अक्टूबर को होगा अष्ट लक्ष्मी का आह्वान

  • जानिए...पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
दीपावली पर सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी महालक्ष्मी का पूजन 31 अक्टूबर गुरुवार को होगा। इस मौके पर घर-घर माता का आह्वान विधि-विधान से किया जाएगा। यह पूजन केवल घर-परिवारों में ही नहीं बल्कि व्यवसायिक स्थल, कार्यालयों और कारखानों में भी होगा।
दीपावली पूजा उचित मुहूर्त में विधि-विधान से स्थिर लग्न, प्रदोषकाल एवं अमावस्या तिथि पर विचार किया जाता है। इस वर्ष गुरुवार को दोपहर 03.53 से अमावस तिथि लगेगी, जो कि दूसरे दिन एक नवंबर शुक्रवार की शाम 06.17 मिनट तक रहेगी।
दीपावली पर्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रदोष वेला एवं महानिशीथ काल 31 को ही मिल रहे हैं। अतः इस वर्ष दीपावली पर्व उदया चतुर्दशी तिथि में 31 को ही मनाया जाएगा। पर्व काल होने से संपूर्ण दिवस पर्यंत पूजन कर सकते हैं।
ऐसे करें लक्ष्मी जी व गणेश जी की पूजा-
पहले आत्म शोधन के जरिए आंतरिक एवं बाहरी आत्म शोधन करें।
इसके बाद विधि-विधान से पूजा अनुष्ठान संपन्न करने का संकल्प लें।
प्राणियों की सुख-शांति-समृद्धि के लिए शांति पाठ का उच्चारण करें।
मनोकामना पूर्ति के लिए मंगल पाठ के बाद कलश की स्थापना करें।
इसके बाद गणपति पूजा, नव-ग्रह पूजा, षोडश मातृका-पूजा को करें।
भगवान गणेश और श्रीलक्ष्मी की नई मूर्ति की स्थापना और पूजा करें।
महाकाली, सरस्वती, बही-खाते, कुबेर पूजा व तिजोरी का पूजन करें।
इसके बाद दीप जलाकर प्रार्थना के द्वारा दीवाली की पूजा संपन्न करें।
यदि संभव हो, तो करें रात्रि जागरण-
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास के अनुसार, उपरोक्त पूजा सम्पूर्ण विधि-विधान से की जाती है। संपूर्ण दीवाली पूजा संपन्न करने में कुछ घंटों का समय लग सकता है। पूजन के बाद श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त तथा देवी लक्ष्मी की अन्य स्तुतियों का पाठ करना चाहिए।
यदि संभव हो, तो देवी लक्ष्मी की स्तुति के लिए जागरण करना चाहिए। कहते हैं कि दीवाली की रात में माता लक्ष्मी घर में आती हैं और जो लोग उनकी पूजा-आराधना करते हैं, उनकों आशीर्वाद देती हैं। घर को दीपकों और रंगोली से जरूर सजाएं।
चौघड़ियानुसार पूजन मुहूर्त-
प्रात:06.32.21 से 07.56.14 तक (शुभ)
प्रात:- 10.44.00 से दोप. 12.07.54 तक (चर)
दोप- 12.07.55 से 01.31.47 तक (लाभ)
सांय- 04.19.33 से सांयः 05.43.27 तक (शुभ)
सांय- 05.43.28 से 07.19.38 तक (अमृत)
सांय- 07.19.39 से रात्रि 08.55.49 तक (चर)
रात्रि- 12.08.11 से 01.44.22 तक (लाभ)
शुभ स्थिर लग्न में पूजन-
वृश्चिक- प्रातः 07.47.01 से 10.02.47 तक
कुंभ- दोप. 01.54.54 से 03.28.11 तक
वृषभ- सांय 06.39.40 से रात्रि 08.37.59 तक
सिंह- रात्रि 01.07.07 से 03.18.32 तक
शुभ अभिजित मुहूर्त- प्रातः 11.43.54 से दोप. 12.31.54 तक
शुभ प्रदोष वेला- सांय 05.43.27 से 07.51.41 तक
शुभ महानिशीथ काल- रात्रि 11.44.11 से 12.32.11 तक
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मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को धनतेरस की दी बधाई और शुभकामनाएं

रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने प्रदेशवासियों को धनतेरस पर्व की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने धनतेरस की पूर्व संध्या पर जारी अपने बधाई संदेश में कहा है कि धनतेरस से पांच दिन तक चलने वाले दीपावली पर्व की शुरूआत हो जाती है। इस दिन धन, समृद्धि और ऐश्वर्य के लिए धन के देवता कुबेर के साथ-साथ आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रदेशवासियों से अपील किया है कि हमारे छत्तीसगढ़ के स्थानीय कुम्हारों, शिल्पकारों जैसे हुनरमंदों और महिला समूहों, छोटे व्यवसायियों से दिया एवं अन्य सामानों को क्रय कर उनकी दीवाली भी खुशहाल बनायें। मुख्यमंत्री श्री साय ने धनतेरस पर प्रदेशवासियों के जीवन में सुख, समृद्धि की कामना करते हुए कहा कि धनतेरस का त्यौहार सबके जीवन में खुशहाली और आरोग्य लेकर आए।
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धनतेरस पर बन रहे शुभ संयोग से इन 5 राशियों की चमक जाएगी किस्मत

इस धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 को पड़ रहा है। इसमें विशेष महासंयोग बन रहे हैं, जिसमें त्रिग्रही योग, त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग और लक्ष्मी नारायण योग शामिल हैं। ये सभी योग धन की वर्षा करने वाले माने जाते हैं। इस अवसर पर लोग नए निवेश, खरीददारी और आर्थिक योजनाओं में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, जिससे समृद्धि और खुशहाली की संभावना बढ़ती है।
वृषभ-
इस साल धनतेरस वृषभ राशि वालों के लिए विशेष रूप से लाभकारी रहेगा। प्रमोशन के योग बन रहे हैं, जिससे उनकी कमाई में वृद्धि होगी। पार्टनरशिप में व्यापार करने वालों को अच्छा मुनाफा मिलने की उम्मीद है, और इस दौरान पार्टनर का पूरा सहयोग भी प्राप्त होगा।
वृश्चिक-
धनतेरस पर वृश्चिक राशि वालों के लिए कई सकारात्मक अवसर आएंगे। इस दिन उन्हें बेहतरीन डील्स मिल सकती हैं, जो उनकी सफलता के नए आयाम स्थापित करेंगी। गाड़ी या घर खरीदने की योजनाएं भी सफल रहेंगी। इसके साथ ही, लव लाइफ में खुशियों की बहार आने से व्यक्तिगत जीवन में भी आनंद और संतोष बढ़ेगा।
कर्क-
धनतेरस पर कर्क राशि वालों के लिए विशेष योग बने हुए हैं, जो बेहद शुभ साबित होंगे। इस दिन आकस्मिक धन लाभ की संभावना है, जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। पारिवारिक सहयोग भी प्राप्त होगा, जो व्यवसाय में उन्नति के लिए सहायक रहेगा। इसके अलावा, इस समय लग्जरी वस्तुओं की खरीदारी भी संभव है, जो आपके घर में खुशहाली और समृद्धि लाएगी। यह दिन आपके लिए विशेष रूप से लाभकारी रहेगा।
सिंह-
सिंह राशि वालों के लिए धनतेरस इस साल बेहद शुभ साबित होगा। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, जिससे कमाई अच्छी रहेगी। व्यापार का ग्राफ बढ़ने की उम्मीद है, जो सफलता की नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। साथ ही, जीवनसाथी के साथ रिश्ते भी बेहतर होंगे, जिससे घरेलू जीवन में खुशहाली आएगी।
मीन-
धनतेरस पर मीन राशि वालों के लिए दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जो उन्हें लाभ प्रदान करेंगे। इस दिन पैतृक संपत्ति से लाभ होने की संभावना है, जिससे वित्तीय स्थिति मजबूत होगी। साथ ही, समाज में सम्मान भी बढ़ेगा, जिससे आपके व्यक्तित्व में और निखार आएगा। यह समय आपके लिए शुभ रहेगा।
इस शुभ मुहूर्त में करें खरीददारी-
ज्योतिषाचार्य डा. दत्तात्रेय ने बताया कि 29 और 30 नवंबर को पञ्च महायोग और अक्षय लक्ष्मी कारक योग का संयोग बनेगा। 29 नवंबर को द्वादशी तिथि सुबह 10:31 बजे तक रहेगी, जबकि शाम को त्रयोदशी होगी। इस दिन ऐन्द्र, प्रजापति, और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसी शुभ स्थितियां होंगी। सूर्यास्त के समय प्रदोष मुहूर्त में की गई खरीददारी लक्ष्मी का कारक बनेगी।

डिसक्लेमर-
इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
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दीपोत्सव में 5 अलग-अलग देवताओं का होगा पूजन…

  • आरोग्य, ऐश्वर्य और उन्नति के लिए करें ये उपाय
आरोग्य, ऐश्वर्य, उन्नति व प्रकाश का पांच दिवसीय पर्व दीपावली मंगलवार को धनत्रयोदशी के साथ शुरू होगा। भाई दूज तक चलने वाले उत्सव में पांच दिन पांच अलग-अलग देवताओं का पूजन किया जाएगा।
इस बार तिथि मतांतर के कारण नर्कहरा चतुर्दशी व दीपावली एक ही दिन है। वहीं, गोवर्धन पूजा दीपावली के एक दिन बाद 2 नवंबर को होगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया पंचांगीय गणना व धर्मशास्त्र की मान्यता के अनुसार इन तारीखों में पांच त्योहार मनाना शुभ फलदायी रहेगा।
भौम प्रदोष के संयोग में धनत्रयोदशी-
पंचांग की गणना के अनुसार, 29 अक्टूबर को भौम प्रदोष के महासंयोग में धनत्रयोदशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान धन्वंतरि व धन के अधिष्ठात्र देवता कुबेर के पूजन की मान्यता है।
आयुर्वेद में आरोग्यता को उत्तम धन माना गया है, इसलिए सुबह भगवान धन्वंतरि तथा शाम को प्रदोष काल में कुबेर देवता का पूजन करें। इस दिन सोना, चांदी, तांबा, पीतल आदि की खरीदी का विशेष महत्व है।
इस दिन आयु, आरोग्य व अज्ञात भय की निवृत्ति के लिए यमराज के निमित्त दीपदान अवश्य करना चाहिए। तिल्ली के तेल का दीपक जलाने से यमराज की कृपा प्राप्त होती है। ऐसा करने से परिवार में अकाल मृत्यु नहीं होती है।
नर्कहरा चतुर्दशी, ब्रह्म मुहूर्त में करें स्नान-
दीप पर्व का दूसरा दिन नर्कहरा चतुर्दशी अर्थात रूप चौदस के रूप में जाना जाता है। इस बार तिथि मतांतर के चलते रूप चतुर्दशी 31 अक्टूबर को सुबह मनाई जाएगी। इस दिन सूर्योदय से पहले तिल का उबटन लगाकर स्नान की मान्यता है। इसके बाद घर आंगन, गौशाला तथा मंदिर में दीपक लगाने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
प्रदोष काल में होगा माता लक्ष्मी का पूजन-
दीपावली के दिन सुख, समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी के पूजन का विधान है। इस बार 31 अक्टूबर को प्रदोष काल व मध्य रात्रि में अमावस्या तिथि होने से यह दिन लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष है। शाम को भगवान गणेश, माता लक्ष्मी तथा कुबेर देवता का पूजन होगा।
गोवर्धन पूजा व अन्नकूट-
दीप पर्व का चौथा दिन गोवर्धन पूजा का होता है। दीपावली के अगले दिन पड़वा पर सुबह गोधन व गोवर्धन की पूजा की जाती है। इस बार 31 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी, अगले दिन 1 नवंबर को भी सुबह के समय अमावस्या तिथि होने से 2 नवंबर को गिरिराज गोवर्धन की पूजा होगी। वैष्णव मंदिरों में अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा।
यम द्वितीया, भाई दूज-
भाई दूज के साथ पांच दिवसीय दीप पर्व का समापन होगा। इस बार 3 नवंबर को भाई दूज मनाई जाएगी। इस दिन भाई बहनों के घर जाकर उनका आतिथ्य स्वीकार करेंगे। बहनें भाई के दीर्घायु जीवन के लिए उन्हें मंगल तिलक लगाएंगी। इस त्यौहार को मनाने के पीछे यमराज व उनकी बहन यमी की धर्मकथा प्रमुख है। मान्यता है इस दिन भाई व बहनों को यमराज दीर्घायु प्रदान करते हैं।
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धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त

धनतेरस का त्योहार दीवाली से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, धनतेरस का त्योहार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल धनतेरस का त्योहार 29 अक्तूबर को मनाया जा रहा है. जानिए धनतेरस के दिन किस समय पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा. इसके साथ ही खरीदारी का शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा.
धनतेरस का त्योहार दीवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है. यह त्योहार खुशहाली, समृद्धि और सेहतमंद जीवन का प्रतीक माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, धनतेरस का त्योहार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल धनतेरस का पर्व 29 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा. धनतेरस जिसे 'धन त्रयोदशी' के नाम से भी जाना जाता है.
धनतेरस का नाम 'धन' और 'तेरस' से बना है, जिसमें धन का मतलब संपत्ति और समृद्धि है और तेरस का अर्थ हिंदू कैलेंडर की 13वीं तिथि है. इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. साथ ही यह दिन कुबेर और लक्ष्मी माता की पूजा के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है.
1 घंटा 42 मिनट तक रहेगा का धनतेरस पूजा समय-
ज्योतिषाचार्य पंडित सुधांशु तिवारी के अनुसार, धनतेरस की त्रियोदशी तिथि 29 अक्तूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 30 अक्तूबर दोपहर एक बजकर 15 मिनट खत्म होगी. इस दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 38 मिनट से रात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. धनतेरस के लिए 29 अक्तूबर को गोधूली काल शाम 6 बजकर 31 मिनट से रात 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. यानी धनतेरस के पूजन के लिए एक घंटा 42 मिनट का समय रहेगा.
धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है. जिसमें खरीदारी करना शुभ माना जाता है. पहला खरीदारी मुहूर्त 29 अक्तूबर की सुबह 6 बजकर 31 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. वहीं दूसरा मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. दीवाली से ठीक पहले धनतेरस के दिन सोना, चांदी, बर्तन, गहने, या अन्य कीमती सामान खरीदने का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन जो भी चीजें खरीदी जाती हैं, वह घर में समृद्धि और धन का आगमन करती हैं. कुछ लोग इस दिन नए वाहन, संपत्ति या अन्य महत्वपूर्ण चीजों की भी खरीदारी करते हैं. इसके साथ ही आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक्स और नए उपकरण धनतेरस पर खरीदना शुभ माना जाता है.
धनतेरस पूजा विधि-
धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में धन्वंतरि देव के साथ मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की तस्वीर या मूर्ति स्थापना करें. इसके बाद कुबेर देव और धन्वंतरि देव की पूजा करें. फिर घी का दीपक जलाएं और शाम में द्वार पर भी दीपक जलाएं. धनतेरस के धन्वंतरि देव को पीली मिठाई का प्रसाद के रूप में भोग लगाएं. उसके बाद मंत्रों का जाप करें और आरती करें.
धनतेरस पर क्या खरीदें-
धनतेरस के दिन खरीदारी करना अच्छा माना जाता है. इस दिन सोने और चांदी के गहने, बर्तन, पीतल और झाड़ू खरीदना बहुत ही शुभ होता है.
धनतेरस का महत्व-
धनतेरस का त्योहार भगवान धन्वंतरि की जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान हाथों में अमृत से भरा स्वर्ण कलश लेकर प्रकट हुए थे. भगवान धनवंतरी ने कलश में भरे अमृत को देवताओं को पिलाकर अमर कर दिया. इस दिन धन्वंतरि देव की पूजा करने से व्यक्ति को निरोगी जीवन मिलता है और उसकी सेहत हमेशा अच्छी रहती है.
धनतेरस पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए-
धनतेरस पर सोने और चांदी या बर्तन की खरीदारी करनी चाहिए. इसके साथ ही भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. घर की साफ-सफाई और सजावट करनी चाहिए. वहीं धनतेरस के दिन किसी से न कर्ज लेना चाहिए और ना ही कर्ज देना भी चाहिए. इस दिन अशुद्ध स्थानों पर पूजा नहीं करनी चाहिए. इसके साथ ही क्रोध और नकारात्मकता से दूर रहना चाहिए.
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धनतेरस का महत्व एवं पूजा विधि

धनतेरस से दीपोत्सव की शुरुआत हो गई है. धनतेरस का त्योहार छोटी दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. सनातन शास्त्रों में धनतेरस के त्योहार का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। साथ ही खजाना हमेशा धन से भरा रहता है और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
धनतेरस का महत्व-
धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. धनतेरस या धनत्रयोदशी दो शब्दों से मिलकर बना है पहला 'धन' का अर्थ है धन और दूसरा 'तेरस या त्रयोदशी'। धनतेरस के दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन खरीदी गई कोई भी चीज अनंत फल देने वाली होती है। ऐसा कहा जाता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई वस्तु में तेरह गुना वृद्धि होती है, इसलिए धनतेरस के दिन सोना, चांदी, जमीन और वाहन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।
धनतेरस 2024 तिथि और समय-
पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 बजे शुरू होगी. वहीं, इसका समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 01:15 बजे होगा. सनातन धर्म में तिथि की गणना सूर्योदय से की जाती है। ऐसे में धनतेरस 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
धनतेरस पूजा विधि-
धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें। सूर्यदेव को जल अर्पित करें। चौकी पर मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर जी की मूर्ति रखें। दीपक जलाएं और चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद आरती करें. साथ ही संग में भगवान गणेश की पूजा भी करें. कुबेरजी के मंत्र ॐ ह्रीं कुबेराय नमः का 108 बार जाप करें और धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद मिठाई और फल आदि का भोग लगाएं। श्रद्धानुसार दान करें. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से धन लाभ के योग बनते हैं और जातक को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
धनतेरस पूजा मुहूर्त- शाम 06 बजकर 31 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
प्रदोष काल- शाम 05 बजकर 38 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
वृषभ काल- शाम 06 बजकर 31 मिनट से 09 बजकर 27 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 48 मिनट से 05 बजकर 40 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05 बजकर 38 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक।
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धनतेरस पर रखें इन बातों का खास ध्यान, मां लक्ष्मी करेंगी घर में वास

सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन धनतेरस का पर्व बहुत ही खास माना जाता है जो कि हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है इस दिन आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना की जाती है मान्यता है कि धन्वंतरि जी की पूजा करने से सभी तरह की रोग बीमारियां दूर हो जाती हैं इसके अलावा कुबेर और माता लक्ष्मी की भी पूजा इस दिन की जाती है ऐसा करने से सुख समृद्धि घर आती है
धनतेरस के दिन को खरीदारी के लिए खास माना जाता है इस दिन चीजों की खरीदारी करने से धन में वृद्धि होती है। इस साल धनतेरस का त्योहार 29 अक्टूबर दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। तो आज हम आपको बता रहे हैं कि धनतेरस के दिन किन गलतियों को करने से बचना चाहिए, तो आइए जानते हैं।
धनतेरस पर इन बातों का रखें खास ध्यान-
धनतेरस के दिन साफ सफाई का काम नहीं करना चाहिए इससे पहले ही घर की साफ सफाई करें और बेकार की वस्तुओं को बाहर कर दें। इसके अलावा मंदिर की सफाई जरूर करें। इस दिन वाद विवाद नहीं करना चाहिए वरना आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है
इसके अलावा धनतेरस पर मांस, मदिरा का सेवन करने से बचें। इस दिन भूलकर भी लहसुन प्याज का भी सेवन नहीं करना चाहिए। घर आए गरीब को धनतेरस पर खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए बल्कि उसे कुछ न कुछ दान जरूर दें। धनतेरस के मौके पर किसी को अपशब्द नहीं कहने चाहिए मन में बुरे विचारों को उत्पन्न न होने दें। इस दिन काले, नीले और भूले रंग के वस्त्रों को धारण करना अच्छा नहीं माना जाता है।
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आज शनिवार को करें ये उपाय, मिलेगी परेशानियों से मुक्ति

शनिवार का दिन भगवान शनि देव को समर्पित है। इस दिन सूर्यपुत्र शनि देव की उपासना करने से हर के दोष और दुख दूर हो जाते हैं। इसके अलावा शनिवार के दिन इन विशेष उपायों को करने समस्त परेशानियों का समाधान भी मिल जाता है। तो आइए जानते हैं कि शनिवार के दिन क्या-क्या उपाय करना चाहिए।
अगर आपको लगता है कि लोग आपकी सुंदरता को देखकर जलते हैं और आपके ऊपर अपनी नजर बनाये रखते हैं तो आज के दिन मंदिर में एक कपूर का दीपक जलाएं और उसकी लौ को हाथों से लेकर अपने चेहरे पर लगाएं।
अगर आप आर्थिक रूप से बड़ा लाभ पाना चाहते हैं तो लाभ पाने के लिए आज के दिन आपको एक रुपये का सिक्का लेना चाहिए। अब उस सिक्के पर सरसों के तेल से एक बिन्दु लगाइए और शनि मंदिर में रख आइए। साथ ही शनि देव से आर्थिक लाभ पाने के लिए प्रार्थना भी करिये।
अगर आप पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में मजबूत बने रहना चाहते हैं तो इसके लिए आज के दिन आपको शनि देव के इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- 'ऊँ ऐं शं ह्रीं शनैश्चराय नमः।' साथ ही आज पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाना चाहिए।
अगर आपको पैतृक जमीन जायदाद से संबंधी किसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो उस परेशानी से बाहर निकलने के लिए आज के दिन आपको आटे का दीपक बनाना चाहिए और उसमें सरसों का तेल डालकर, बाती लगाकर शनि देव के आगे जलाना चाहिए।
अगर आपको उन्नति के मार्ग में आये दिन मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है तो आज के दिन आपको स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर एक कच्चे सूत के धागे का गोला लेना चाहिए। इसके बाद पीपल के पेड़ के पास जाना चाहिए और उसके तने पर सात बार वो कच्चा सूत लपेटना चाहिए। फिर दोनों हाथ जोड़कर शनि देव का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है-'ऊँ ऐं श्रीं ह्रीं शनैश्चराय नमः।'
अगर आपके दांपत्य जीवन से खुशियां कहीं गायब हो गई हैं तो दांपत्य जीवन में फिर से खुशियां भरने के लिए आज के दिन आपको पीपल की जड़ में पानी चढ़ाना चाहिए और शनि देव के इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है-'ऊँ श्रीं शं श्रीं शनैश्चराय नमः।'
अगर आप अपनी संतान को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजना चाहते हैं, लेकिन आपको किसी न किसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो इस परेशानी से बाहर निकलने के लिए आज के दिन आपको शनि के मंत्र का 11 बार जप करना चाहिए। शनि देव का मंत्र इस प्रकार है- 'ऊँ श्रीं ह्रीं शं शनैश्चराय नम:|
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घर की इस दिशा में लगाएं भगवान विष्णु का पसंदीदा पौधा

हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का बहुत महत्व है, जिसमें घर की हर वस्तु को रखने के लिए नियम बताए गए हैं। इनमें कुछ विशेष पौधों का भी जिक्र है, जिनमें केले का पेड़ एक प्रमुख स्थान रखता है। मान्यता है कि केले के पेड़ में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और गुरुदेव बृहस्पति का निवास होता है, जिससे यह मांगलिक कार्यों में विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।
किस दिशा में लगाएं केले का पौधा-
वास्तु शास्त्र के अनुसार, केले का पौधा घर में उत्तर दिशा में लगाना सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस दिशा में देवी-देवताओं का वास माना गया है। केले का पौधे में गुरुदेव बृहस्पति का निवास होता है। गुरुवार के दिन इसकी पूजा का विशेष महत्व है। घर में केले का पेड़ लगाने से बृहस्पति सम्बन्धी तमाम समस्याएं दूर होती हैं।
इस दिशा में भूल कर भी न लगाएं-
केले के पेड़ को पूर्व या दक्षिण दिशा के आग्नेय कोण में नहीं लगाना चाहिए। पश्चिम दिशा में भी इसके लगाने की सलाह नहीं दी जाती है। इसके अलावा, केले के पेड़ को घर के मुख्य द्वार के सामने नहीं लगाना चाहिए, ताकि सकारात्मक ऊर्जा अवरुद्ध न हो।
पेड़ लगाने के साथ बरतें सावधानी-
केले के पेड़ के आसपास कांटेदार पौधे जैसे गुलाब नहीं होने चाहिए, क्योंकि ये घर में लड़ाई-झगड़े की स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं। केले के पेड़ को सूखने नहीं देना चाहिए और इसमें गंदा पानी नहीं डालना चाहिए। पेड़ के आसपास साफ सफाई रखने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इस प्रकार, यदि आप वास्तु के अनुसार केले का पेड़ लगाना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
केले के पेड़ की देखभाल-
केले के पौधे के आस-पास की जगह हमेशा साफ रखनी चाहिए। इसे रोजाना 7 से 8 घंटे की तेज धूप की आवश्यकता होती है। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में लगाने पर यह बेहतर बढ़ता है। सर्दियों में 7-8 दिन और गर्मियों में 4-5 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए।

डिसक्लेमर-
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
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रमा एकादशी 28 अक्टूबर को, जानिए...शुभ मुहूर्त सहित सम्पूर्ण जानकारी

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन पड़ने वाली रमा एकादशी को हिंदू परंपरा में सबसे महत्वपूर्ण और शुभ एकादशियों में से एक माना जाता है। रंभा एकादशी या कार्तिक कृष्ण एकादशी जैसे कई नामों से जानी जाने वाली रमा एकादशी दिवाली के उत्सव से चार दिन पहले मनाई जाती है। रमा एकादशी व्रत, जिसे सबसे महत्वपूर्ण एकादशी व्रतों में से एक माना जाता है, इस साल द्रिकपंचांग के अनुसार 28 अक्टूबर को मनाया जाएगा। परंपरा के अनुसार, भक्त अपने सभी पापों का प्रायश्चित करने के लिए यह व्रत रखते हैं। तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा अनुष्ठान से लेकर महत्व तक, इस दिन के बारे में आपको जो कुछ भी जानना चाहिए, वह सब यहाँ है। रमा एकादशी 2024 कब है?
इस साल रमा एकादशी का शुभ अवसर वैदिक कैलेंडर के अनुसार 28 अक्टूबर को पूरे भारत में बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जाएगा। पारणा दिवस द्वादशी सुबह 10:31 बजे समाप्त होगी।
तिथि और समय- एकादशी तिथि शुरू- 27 अक्टूबर को सुबह 05:23 बजे, एकादशी तिथि समाप्त- 28 अक्टूबर को सुबह 07:50 बजे।
भक्तों को पारण या व्रत तोड़ने के लिए शुभ समय का पालन करना चाहिए, जो 29 अक्टूबर को सुबह 5:55 बजे से 8:13 बजे तक है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, पवित्र रमा एकादशी व्रत का पालन करने वाले भक्त अपने पिछले और वर्तमान कर्मों के पापों से खुद को मुक्त करके मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। तमिल कैलेंडर के अनुसार रमा एकादशी पुतासी के महीने में आती है। इस प्रकार, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में, यह एकादशी अश्विन या अश्वयुज महीने के दौरान मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा बड़ी श्रद्धा से करते हैं, उन्हें धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
रमणा एकादशी के अवसर पर भक्त सुबह-सुबह पवित्र स्नान करके अपना दिन शुरू करते हैं। दिन के लिए तैयार होने के बाद, धर्म के अनुयायी पूजा करते हैं और अटूट भक्ति और प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित करते हैं। भक्त गलत कामों से दूर रहने और व्रत रखने की कसम खाते हैं। इसके अलावा, इस दिन पूजा के लिए दीये जलाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं। मिठाई, फूल और सिंदूर भी चढ़ाया जाता है। परंपरा के अनुसार, भक्त पंचामृत और तुलसी पत्र चढ़ाते हैं। माना जाता है कि ये पवित्र वस्तुएँ भगवान विष्णु को प्रसन्न करती हैं।
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देवउठनी और उत्पन्ना एकादशी कब मनाया जायेगा?...जानिए

हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है। हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एकादशी व्रत रखा जाता है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को सुख, संपत्ति और शांति मिलती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवउठनी एकादशी और उत्पन्ना एकादशी व्रत नवंबर में मनाए जाते हैं। क्या आप जानते हैं नवंबर में कब शुरू होता है एकादशी व्रत?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 11 नवंबर को 18:46 बजे शुरू होती है और तिथि एकादशी 12 नवंबर को 16:04 बजे समाप्त होती है. इस साल देवउठनी एकादशी व्रत 12 नवंबर, मंगलवार को रखा जाएगा। देवउठनी एकदशी को प्रबोधिनी एकदशी या देवोत्थान एकदशी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन से शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।
देवउठनी एकादशी व्रत 13 नवंबर 2024 को खोला जाएगा। व्रत खोलने का शुभ समय 13 नवंबर को सुबह 6:42 से 8:51 तक है।
उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर 2024 को 01:01 बजे शुरू होकर 27 नवंबर को 04:47 बजे समाप्त होगी. उत्पन्ना एकादशी व्रत 26 नवंबर 2024, मंगलवार को रखा जाएगा।
उत्पन्ना एकादशी का व्रत 27 नवंबर, बुधवार को खोला जाएगा। उत्पन्ना एकादशी व्रत खोलने का शुभ समय 13:11 से 15:17 तक है।
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बागेश्वर बाबा भक्तों से बोले~ रामराज से भरा हिन्दुस्तान चाहिए

यूपी। प्रतापगढ़ के रामपुर खागल में चल रही जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की कथा के अंतिम दिन पहुंचे बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि लोग उनसे पूछते हैं कि बाबा जगह-जगह जाते हो, चिल्लाते हो, आखिर आप चाहते क्या हो। उन्होंने कहा ..भैया मुझे मंदिरों में भीड़, सड़कों पर तूफान और रामराज से भरा हिन्दुस्तान चाहिए।
चित्रकूट के श्रीतुलसी पीठ सेवा न्यास के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास के पैतृक गांव रामपुर खागल में आयोजित भागवत कथा में हेलीकॉप्टर से पहुंचे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हिंदू अब जगने लगा है। जात-पात से ऊपर उठने लगा है। एक पहलवान की कहानी का उल्लेख करते हुए बताया कि उसे एक लकड़ी तोड़ने के लिए दी गई तो उसने आसानी से तोड़ दिया। दो लकड़ी दी गई तो भी तोड़ दिया। तीन लकड़ी दी गई तो भी थोड़ी मुश्किल से तोड़ दिया। लेकिन जब 10 लकड़ी एक साथ दी गई तो उसे तोड़ने में उसकी नानी मर गई। इसी तरह अगर हम जातियों में बंटे रहे तो धर्म विरोधी हमें तोड़ देंगे। अगर दो-दो रहे तो भी हमें तोड़ देंगे, लेकिन अगर सब हिंदू एक रहेंगे तो कोई नहीं तोड़ सकेगा।
उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में दो चौपाइयां हैं। जिनमें एक है.. पुण्य पुंज बिनु मिलहि न संता.. और दूसरी है ..बिन हरि कृपा मिलहि नहि संता..। कहा कि किसी ने बाबा तुलसीदासजी से पूछा कि मुझे संत तो मिल गए हैं। अब हम निर्णय कैसे करें कि प्रभु की कृपा से मिले या पुण्य उदय के कारण। इस पर तुलसीदासजी ने कहा कि बेटा जब तुम चल कर संत के पास जाना तो समझना पुण्य का उदय हुआ है। जब संत चलकर तुम्हारे पास आवे तो समझना भगवान की कृपा हुई है।
कहा कि पूज्य स्वामी रामभद्राचार्य की छत्रछाया में भारत के सभी संत महात्मा ललकार रहे हैं कि अब धर्म विरोधियों की ठटरी बांधी जाएगी। इसी का परिणाम है कि रामपुर खागल में हमें सभी संतों के दर्शन हो रहे हैं। हजारों की भीड़ और संतों का समागम देखकर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि कुम्भ का मेला प्रयागराज में 2025 में लगना था, लेकिन पूज्य गुरुदेव रामभद्राचार्यजी की कृपा से कुम्भ की झलक 2024 में ही रामपुर खागल में देखने को मिल रही है।
बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की एक झलक देखने को भारी भीड़ उमड़ पड़ी। लोग विद्युत टावर के साथ ही पंडाल की बैरिकेडिंग पर चढ़ गए। उनके आने के बाद तो पंडाल गेट पर ऐसी भीड़ उमड़ी कि मुख्य गेट पर तलाशी व्यवस्था ध्वस्त हो गई। लोग उनके हेलीपैड से पंडाल तक पैदल जाने की उम्मीद लगाए थे लेकिन उनके कार में बैठते ही भीड़ करीब जाने लगी। वह हेलीपैड से कथास्थल के बजाए जगद्गुरु रामभद्राचार्य के पास चले गए। बाद में उनके साथ कथा स्थल पर लौटे तो भीड़ उनकी एक झलक के लिए बेताब रही।
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