धर्म समाज

गृहमंत्री विजय शर्मा ने श्री काल भैरव मंदिर के दर्शन किए

रायपुर/यूपी। गृहमंत्री विजय शर्मा ने श्री काल भैरव मंदिर के दर्शन किए। X पोस्ट में गृहमंत्री विजय शर्मा ने लिखा, आज वाराणसी प्रवास के दौरान काशी कोतवाल श्री काल भैरव मंदिर में दर्शन एवं पूजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। श्री काल भैरव जी से समस्त प्रदेशवासियों के सुख, शांति एवं सभी के कल्याण के लिए प्रार्थना की।
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सोम प्रदोष व्रत पर करें इन मंत्रों का जाप

  • दांपत्य जीवन में आएगी शुभता
इस वर्ष आषाढ़ मास का पहला प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है, जिसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन कुछ मंत्रों का जाप कर आप कई समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
प्रदोष व्रत की तिथि-
पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 23 जून को रात 1:21 बजे होगी और यह तिथि उसी दिन रात 10:09 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए व्रत 23 जून को ही रखा जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ समय शाम 07:22 बजे से 09:23 बजे तक रहने वाला है।
शिव जी के मंत्र-
“ॐ नमः शिवाय”
यह भगवान शिव का सर्वाधिक प्रसिद्ध पंचाक्षरी मंत्र है। इस मंत्र का जाप मानसिक शांति के साथ-साथ जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है और वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है।
“ॐ पार्वतीपतये नमः”
यह मंत्र शिव को माता पार्वती के पति के रूप में स्मरण करता है, जिससे शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। प्रेम, विवाह और दांपत्य जीवन में मधुरता लाने के लिए यह मंत्र अत्यंत फलदायी है।
“ॐ महादेवाय नमः”
यह मंत्र भगवान शिव के व्यापक, करुणामय स्वरूप को समर्पित है। इसके नियमित जाप से जीवन की समस्त बाधाएं शांत होती हैं।
शिव गायत्री मंत्र-
“ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥”
यह मंत्र ध्यान, विवेक और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है। यह विवाह से जुड़े उचित निर्णय लेने में सहायता करता है।
शीघ्र विवाह हेतु विशेष मंत्र-
“हे गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया। मां कुरु कल्याणि कांत कांतां सुदुर्लभाम्॥”
इस मंत्र के माध्यम से माता पार्वती से प्रार्थना की जाती है कि जिस प्रकार वे शिव की प्रिय हैं, उसी प्रकार साधक को भी मनोनुकूल जीवनसाथी मिले। यह मंत्र शीघ्र विवाह और वैवाहिक जीवन में सुख की कामना के लिए अति प्रभावशाली माना जाता है।
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सोम प्रदोष व्रत पर सिर्फ इतने घंटे का शुभ मुहूर्त

  • जानें प्रदोष काल का समय
आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन यानी 23 जून को सोम प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। यह तिथि व दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण सोम प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। हिंदू पंचांग की मानें तो सोम प्रदोष व्रत पर धृति योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इस दिन भगवान शिव व मां पार्वती की आराधना की जानी है। माना जाता है कि इस दिन जातक की हर मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसे में आइए जानते हैं सोम प्रदोष पूजा विधि,उपाय और शुभ मुहूर्त|
प्रदोष काल का समय-
भगवान शिव की पूजा निशित काल यानी रात में की जाती है। ऐसे में सोम प्रदोष व्रत पर शिवपूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07.22 बजे से 09.23 बजे तक रहेगा। इन्हीं 2 घंटों में भगवान शिव की पूजा की जानी फलदायी साबित होगी। पंचांग में कहा गया धृति योग दोपहर 01.17 बजे तक, सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 03.16 बजे से 24 जून की सुबह 05.25 तक रहेगा।
पूजा विधि-
स्नान करने के बाद जातक साफ वस्त्र धारण करें और शिव-परिवार समेत अन्य देवी-देवताओं की पूजा करें। अगर व्रत रख रहे हैं तो हाथ में पवित्र जल, फूल और चावल लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। फिर शाम के समय में घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीया जलाएं। फिर शिव मंदिर या घर में भगवान शिव की जलाभिषेक या रुद्राभिषेक करें और पूजा-अर्चना करें। इसके बाद सोम प्रदोष व्रत कथा कहें। अंत में पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें और अंत में पूजा में किसी भी प्रकार की गलती के लिए क्षमा याचना करें। इसके बाद जातक शिव गायत्री मंत्र का भी जप कर सकते हैं। साथ ही शिव आरोग्य और शिव स्तुति मंत्र भी पढ़ सकते हैं।
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प्रदोष व्रत के दिन परिवार, संतान और संबंधों में सुख-शांति के लिए करें उपाय

सोमवार का प्रदोष व्रत और मासशिवरात्रि पड़ रही है। यह दिन शिवभक्तों के लिए बेहद खास है। मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त भगवान शिव को सच्चे मन से एक लोटा जल भी अर्पित कर दें तो भगवान उसकी मनोकामना झट से पूरी कर देंगे। इसके अलावा, इस दिन उपाय भी जरूर करने चाहिए इससे जातक के जीवन की सभी परेशानियां दूर हों जाएंगी।
क्या हैं उपाय-
अगर आप अपने परिवार की समृद्धि बनाये रखना चाहते हैं, तो आज के दिन भगवान शिव को दही में थोड़ा-सा शहद डालकर भोग लगाएं और भगवान को हाथ जोड़कर प्रणाम करें। आज के दिन ऐसा करने से आपके परिवार की समृद्धि बनी रहेगी।
अगर आप कुछ दिनों से किसी पुरानी बात को लेकर परेशान हैं, तो उससे छुटकारा पाने के लिए आज के दिन एक मुट्ठी चावल लें। अब उनमें से कुछ चावल शिव मंदिर में चढ़ाएं और बाकी चावलों को किसी जरूतमंद को दे दें। आज के दिन ऐसा करने से आपको जल्द ही परेशानियों से छुटकारा मिलेगा
अगर आप अपने किसी शत्रु से परेशान हैं, तो उससे मुक्ति पाने के लिए आज के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान शिव के सामने घी का दीपक जलाएं। साथ ही शिव जी के मंत्र ॐ शं शं शिवाय शं शं कुरु कुरु ॐ का 11 बार जप करें। आज के दिन ऐसा करने से आपको अपने शत्रुओं से जल्द ही छुटकारा मिलेगा।
अगर आप अपने धन- धान्य और भौतिक सुखों में बढ़ोत्तरी करना चाहते हैं, तो आज के दिन सुबह स्नान आदि के कार्यों से निवृत्त होकर अपने घर के आस-पास किसी शिव मंदिर में जाकर, जल में थोड़ा गंगाजल डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। साथ ही भगवान से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। आज के दिन ऐसा करने से आपके धन-धान्य और भौतिक सुखों में बढ़ोत्तरी होगी।
अगर आपको कोई परेशानी है और आप उसका हल नहीं निकाल पा रहे हैं, तो अपनी परेशानी का हल निकालने के लिए आज के दिन शिवलिंग पर दूध अर्पित करें। साथ ही 11 बेलपत्र पर चंदन से ॐ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं और धूप-दीप आदि से विधिवत शिवलिंग की पूजा करें। आज के दिन ऐसा करने से आपकी जो भी परेशानी होगी, उसका हल जल्द ही निकलेगा।
अगर आप अपनी आमदनी को बढ़ाना चाहते हैं, तो आज के दिन शिवलिंग पर दूध अर्पित करें। अगर संभव हो तो गाय का दूध अर्पित करें। साथ ही शिव जी के मंत्र ॐ नमः शिवाय का 11 बार जप करें। इस प्रकार जप पूरा होने के बाद अपनी आमदनी में बढ़ोतरी के लिए भगवान के सामने हाथ जोड़कर विनती करें। आज के दिन ऐसा करने से आपकी आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी।
अगर आप कर्ज से मुक्ति पाने के साथ ही अपना आर्थिक पक्ष मजबूत करना चाहते हैं, तो आज के दिन शिवलिंग पर तिल चढ़ाएं। भगवान को मिश्री का भोग लगायें। आज के दिन ऐसा करने से आपको कर्ज से छुटकारा मिलेगा। साथ ही आपका आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
अगर आप अपनी सभी मनोकामनाओं को पूरा करना चाहते हैं, तो आज के दिन शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाएं। साथ ही शिव जी को प्रणाम करें और उनके सामने आसन बिछाकर बैठ जाएं। फिर शिव जी के मंत्र ॐ नम: शिवाय का 108 बार जप करें। आज के दिन ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी।
अगर आपको अपनी पढ़ाई-लिखाई से संबंधित किसी प्रकार की परेशानी आ रही है, तो उस परेशानी से बाहर निकलने के लिए आज के दिन सुबह स्नान आदि के बाद आपको शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। साथ ही शिवलिंग पर चंदन का टीका लगाना चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से पढ़ाई-लिखाई से संबंधित आपकी सभी परेशानियों का हल निकलेगा।
अगर आपका जीवन तरक्की के रास्ते की ओर बढ़ता-बढ़ता बीच में कहीं अटक गया है, तो जीवन में तरक्की को बनाये रखने के लिए आज के दिन सुबह के समय शिव जी को पंचामृत और सफेद फूल चढ़ाएं। आज के दिन ऐसा करने से जीवन में आपकी तरक्की बनी रहेगी।
अगर आपको हर छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आता है, तो अपने गुस्से को कंट्रोल में रखने के लिए आज के दिन शिव मंदिर जाएं और शिव जी को जौ के आटे से बनी रोटियों का भोग लगाएं | अगर जौ की रोटियां ना बना सके, तो केवल जौ के दाने चढ़ा दें। आज के दिन ऐसा करने से आप अपने गुस्से को कंट्रोल में रख पायेंगे।
अगर आप चाहते हैं कि आपकी संतान आपके सभी कामों में मदद करे और उनसे आपका संबंध बेहतर बना रहे, तो आज के दिन शिव जी को नारियल अर्पित करें। साथ ही भगवान को सूखे मेवे का भोग लगाएं। ऐसा करने से आपकी संतान सभी कामों में आपकी मदद करेगी और उनसे आपका संबंध बेहतर बना रहेगा।
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देवशयनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई रविवार को

  • जानिए...शुभ मुहूर्त और पारणा
देवशयनी एकादशी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. देवशयनी एकादशी के दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. इस दिन से विष्णु जी 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से सभी देवता चार माह के लिए सो जाते हैं, जिसके कारण कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. आइए जानते हैं साल 2025 में कब मनाई जाएगी देवशयनी एकादशी और इसका शुभ मुहूर्त क्या है|
कब है देवशयनी एकादशी-
साल 2025 में देवशयनी एकादशी 5 जुलाई को है या 6 जुलाई को? ज्योतिषाचार्य के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत आषाढ़ शुक्ल तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस बार आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि 5 जुलाई को शाम 6:58 बजे से 6 जुलाई को रात 9:14 बजे तक है. जो लोग देवशयनी एकादशी की तिथि को लेकर असमंजस में है, तो बता दें कि देवशयनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई, रविवार को रखा जाएगा|
देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त-
इस साल देवशयनी एकादशी की पूजा रवि योग में होगी. उस दिन ब्रह्म महोत्सव सुबह 04:08 बजे से शाम 04:48 बजे तक है. उस दिन का शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:54 बजे तक है. विजय मुहूर्त दोपहर 02:45 बजे से दोपहर 03:40 बजे तक है|
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शनिवार को करें पीपल के पेड़ का ये उपाय, शनिदेव का मिलेगा आशीर्वाद

शनिवार का दिन भगवान शनि देव को समर्पित है। इस दिन सूर्य पुत्र शनि देव की उपासना करने से ढैय्या, साढ़ेसाती जैसे दोषों से मुक्ति मिलती है। शनिवार के दिन सरसों तेल और काला तिल चढ़ाने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही इस दिन पीपल पेड़ की पूजा करने से भी शनि दोष से छुटकारा मिलता है। तो आइए अब आचार्य इंदु प्रकाश से जानते हैं शनिवार के दिन किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में, जिन्हें करने से समस्त परेशानियां दूर हो जाती हैं।
- अगर आपको उन्नति के मार्ग में आये दिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो शनिवार के दिन आपको स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर एक कच्चे सूत के धागे का गोला लेना चाहिए। इसके बाद पीपल के पेड़ के पास जाना चाहिए और उसके तने पर सात बार वो कच्चा सूत लपेटना चाहिए। फिर दोनों हाथ जोड़कर शनि देव का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है- 'ऊँ ऐं श्रीं ह्रीं शनैश्चराय नमः।'
- अगर आपके दांपत्य जीवन से खुशियां कहीं गायब हो गई हैं तो दांपत्य जीवन में फिर से खुशियां भरने के लिए शनिवार के दिन आपको थोड़े-से काले तिल लेने चाहिए और पीपल के पेड़ के पास चढ़ाने चाहिए। साथ ही पीपल की जड़ में पानी चढ़ाना चाहिए और शनि देव के इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है- 'ऊँ श्रीं शं श्रीं शनैश्चराय नमः।'
- अगर आप अपनी संतान को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजना चाहते हैं, लेकिन आपको किसी न किसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो इस परेशानी से बाहर निकलने के लिए शनिवार के दिन आपको शनि के मंत्र का 11 बार जप करना चाहिए। शनि देव का मंत्र इस प्रकार है- 'ऊँ श्रीं ह्रीं शं शनैश्चराय नमः।'
- अगर आपके घर को किसी की काली नजर लग गई है, जिससे आपके परिवार के सदस्यों की तरक्की नहीं हो पा रही हैं तो इसके लिए शनिवार के दिन स्नान आदि के बाद आपको शनि देव के इस मंत्र का 31 बार जप करना चाहिए। मंत्र है-'ऊँ श्रीं शं श्रीं शनैश्चराय नमः।' और जप के बाद एक नीला फूल लेकर गंदे नाले में प्रवाहित कर दें।
- अगर आपके जीवन में परेशानियों का अंत नहीं हो रहा है, एक के बाद एक परेशानियां आती जा रही हैं तो उनसे छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन आपको एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर और उसको अपने सामने रखकर, उस पर शनि देव के तंत्रोक्त मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है- 'ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।' कटोरी में रखे सरसों के तेल पर कम से कम 11 बार इस मंत्र का जप करना है और जप के बाद उस कटोरी को ढक्कर एक तरफ रख दें। कटोरी में रखे इस तेल का उपयोग आपको शनिवार के दिन करना है। शनिवार शनिवार के दिन आपको इस तेल का दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाना है।
- अगर आप पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में मजबूत बने रहना चाहते हैं तो इसके लिए शनिवार के दिन आपको शनि देव के इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- 'ऊँ ऐं शं ह्रीं शनैश्चराय नमः।' आपको इस मंत्र का 21 बार जप करना चाहिए और जप के वक्त हाथ में काले तिल लेकर रखने चाहिए। जब जप पूरा हो जाये तो उन तिलों को अपने पास संभालकर रख लें और शनिवार शनिवार के दिन उन्हें पीपल के पेड़ के नीचे रख आएं।
- अगर आपको पैतृक जमीन जायदाद से संबंधी किसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो उस परेशानी से बाहर निकलने के लिए शनिवार के दिन आपको आटे का दीपक बनाना चाहिए और उसमें सरसों का तेल डालकर, बाती लगाकर शनि देव के आगे जलाना चाहिए।
- अगर आपको किसी सरकारी दफ्तर में कोई अर्जी डालनी है और आपको उससे संबंधित कार्यों में परेशानी आ रही हैं तो इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन आपको शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शनिवार के दिन आप किसी भी वक्त शनि स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि पाठ करते समय अपना मुंह पश्चिम दिशा की तरफ रखना है क्योंकि पश्चिम दिशा शनि की दिशा है।
- अगर आपको अपने जीवन में हर काम के लिए बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ता है या बहुत मेहनत करने के बाद ही आपको कोई सफलता मिल पाती है तो शनिवार के दिन आपको एक मुट्ठी काले तिल लेने चाहिए और बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। साथ ही शनि देव का ध्यान करते हुए प्रार्थना करनी चाहिए।
- अगर आप समाज में यश और सम्मान पाना चाहते हैं तो इसके लिए शनिवार के दिन आपको स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए और फिर शनि देव के मंत्र का 51 बार जप करना चाहिए। शनि देव का मंत्र इस प्रकार है- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।
- अगर आप एक सुंदर, स्वस्थ, निरोगी काया की कामना करते हैं तो इसके लिए शनिवार के दिन आपको गेहूं से बनी एक रोटी पर गुड़ रखकर किसी नर भैंसे को, यानि भैंस को नहीं, केवल नर भैंसे को खिलानी चाहिए। नर भैंसे को खिलाने से ही आपके काम बनेंगे।
- अगर आप आर्थिक रूप से बड़ा लाभ पाना चाहते हैं तो लाभ पाने के लिए शनिवार के दिन आपको एक रुपये का सिक्का लेना चाहिए। अब उस सिक्के पर सरसों के तेल से एक बिन्दु लगाइए और शनि मंदिर में रख आइए। साथ ही शनि देव से आर्थिक लाभ पाने के लिए प्रार्थना भी करिये।
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योगिनी एकादशी पर भद्रा का साया, जानें कब करें पूजा

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही खास महत्व माना जाता है। यह व्रत हर महीने में दो बार रखा जाता है- एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। इस प्रकार एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं, जबकि अधिक मास लगने पर इनकी संख्या 26 हो जाती है। धार्मिक मान्यता है कि हर एकादशी अपने नाम और गुणों के अनुसार व्रत करने वाले को फल प्रदान करती है। इन व्रतों के प्रभाव से व्यक्ति को सांसारिक सुख, समृद्धि और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष आषाढ़ महीने की योगिनी एकादशी को लेकर भक्तों में तिथि और मुहूर्त को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में हम यहां आपको योगिनी एकादशी की सटीक तिथि, पूजा विधि, पारण का समय और भद्रा काल से जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहे हैं, ताकि आप व्रत को विधिपूर्वक कर सकें और इसका पुण्य लाभ प्राप्त कर सकें|
योगिनी एकादशी के दिन भद्रा काल का साया:
हिंदू पंचांग के अनुसार, योगिनी एकादशी के दिन भद्रा काल का प्रभाव सुबह 5 बजकर 24 मिनट से लेकर 7 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इस अवधि में शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए, क्योंकि भद्रा को अशुभ काल माना गया है|
व्रत, पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों की शुरुआत भद्रा समाप्त होने के बाद करना अधिक फलदायी होता है. ऐसे में व्रती 7:18 AM के बाद ही भगवान विष्णु की पूजा और एकादशी व्रत की विधियां आरंभ करें|
कब है योगिनी एकादशी:
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी तिथि की शुरुआत 21 जून 2025 को सुबह 7 बजकर 18 मिनट पर हो रही है, और इसका समापन 22 जून 2025 को सुबह 4 बजकर 27 मिनट पर होगा|
हालांकि, 21 जून को एकादशी तिथि का क्षय होने के कारण व्रत इसी दिन यानी 21 जून को रखा जाएगा. शास्त्रों के अनुसार, क्षय वाली एकादशी पर ही व्रत करना पुण्यकारी होता है. इस दिन विधिवत व्रत, उपवास और भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है|
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योगिनी एकादशी पर करें तुलसी के ये उपाय, बढ़ेगा धन और सुख

योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करने से भी लाभ की प्राप्ति होती है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और साथ ही दान-पुण्य भी करते हैं। इसके साथ ही तुलसी से जुड़े उपाय इस दिन करने से भी आपको लाभ की प्राप्ति होती है। तुलसी भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी दोनों को ही प्रिय है ऐसे में कौन से उपाय करने से आपको जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त हो सकती है, आइए जानते हैं।
सुख-समृद्धि के लिए करें ये उपाय :
योगिनी एकादशी के दिन आपको भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही उनके भोग में तुलसी के कुछ पत्ते भी अवश्य डालने चाहिए। यह आसान सा कार्य आपको भगवान विष्णु की कृपा का पात्र बनाता है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी से एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर रख दें।
माता लक्ष्मी की कृपा के लिए उपाय :
एकादशी के दिन आपको तुलसी की पूजा भी अवश्य करनी चाहिए। इस दिन तुलसी के निकट दीपक और धूप जलाएं और तुलसी से जुड़े मंत्रों का जप करें। इसके बाद तुलसी की परिक्रमा भी आपको करनी चाहिए। पूजा के दौरान तुलसी को छूने से बचें और ना ही एकादशी के दिन तुलसी पर जल चढाएं।
तुलसी मंत्र- 'महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते'
'वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी'
वैवाहिक सुख के लिए उपाय :
अगर आप योगिनी एकादशी के दिन तुलसी माता को 16 श्रृंगार अर्पित करते हैं तो वैवाहिक जीवन से जुड़ी सभी समसस्याओं का अंत हो सकता है। साथ ही जो लोग योग्य जीवनसाथी की तलाश कर रहे हैं वो भी इस उपाय को कर सकते हैं।
सूर्यास्त के बाद जलाएं दीपक:
तुलसी के पास सूर्यास्त के बाद आपको दीपक अवश्य जलाना चाहिए। इस समय को प्रदोष काल कहा जाता है, इसे दौरान अगर आप तुलसी के पास दीपक जलाते हैं तो घर में सकारात्मकता आती है और जीवन में धन-धान्य और सुखों की आप प्राप्ति करते हैं।
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शुक्रवार को इस विधि से करें गुप्त लक्ष्मी की पूजा

  • धन से भरी रहेगी आपकी तिजोरी
हिंदू धर्म शास्त्रों में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित किया गया है. शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित किया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता लक्ष्मी समुद्र मंथन के समय प्रकट हुईं थीं. हिंदू धर्म शास्त्रों में माता लक्ष्मी को धन, वैभव की देवी मााना गया है. शुक्रवार के दिन विधि-विधान से माता लक्ष्मी का पूजन और व्रत किया जाता है|
मान्यताओं के अनुसार:
मान्यताओं के अनुसार, जिस पर माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है उसके घर में धन और वैभव की कोई कमी नहीं रहती. घर में हमेशा खुशहाली रहती है. शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के पूजन और व्रत के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शुक्रवार के दिन गुप्त लक्ष्मी की पूजा की जाती है. दरअसल, गुप्त लक्ष्मी, जिन्हें धूमावती भी कहा जाता है. ये अष्ट लक्ष्मी के रूप में भी जानी जाती हैं.मान्यता है कि जो भी शुक्रवार को गुप्त लक्ष्मी (अष्ट लक्ष्मी) की पूजा करता है उसके घर की तीजोरी हमेशा धन-दौलत से भरी रहती है|
पूजा विधि:
शास्त्रों में बताया गया है कि मां लक्ष्मी के पूजन के लिए रात का समय शुभ माना गया है.
शुक्रवार की रात 9 से 10 बजे के बीच मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए.
पूजा के लिए सबसे पहले स्वस्छ वस्त्र धारण करने चाहिए.
फिर पूजा की चौकी पर गुलाबी कपड़ा बिछाकर श्रीयंत्र और गुप्त लक्ष्मी (अष्ट लक्ष्मी) की प्रतीमा या तस्वीर रखनी चाहिए.
फिर उनके माता के सामने 8 घी के दीपक जलाने चाहिए.
फिर अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी को तिलक लगाना चाहिए.
मां को लाल गुडहल के फूलों की माला पहनानी चाहिए.
खीर का भोग लगाना चाहिए
ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा मंत्र का जाप करना चाहिए.
अंत में माता की आरती करनी चाहिए.
फिर आठों दीपक को घर की आठ दिशाओं में रख देना चाहिए.
माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी की पूजा सिर्फ घर में धान-धान्य की बढ़ोतरी के लिए ही नहीं की जाती, बल्कि माता लक्ष्मी इसलिए भी होती है कि समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त हो सके. माता लक्ष्मी की पूजा से नकारात्मक शक्तियां भी नष्ट हो जाती हैं|
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जगन्नाथ मंदिर से 27 जून को भगवान जगन्नाथ की 148वीं रथ यात्रा शुरू होगी

अहमदाबाद। अहमदाबाद के जमालपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर से 27 जून को भगवान जगन्नाथ की 148वीं पारंपरिक रथ यात्रा शुरू होगी। 14 किलोमीटर लंबे इस रथ यात्रा मार्ग का निरीक्षण अहमदाबाद की मेयर प्रतिभा बेन जैन, नगर निगम के अधिकारियों, विभिन्न समितियों के अध्यक्षों, मध्य क्षेत्र के उप नगर आयुक्त और ट्रस्टियों ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान मार्ग की तैयारियों और व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया।
मेयर प्रतिभा बेन जैन ने बताया कि रथ यात्रा के लिए मार्ग को पूरी तरह तैयार किया जा रहा है। रथ यात्रा के मार्ग को सुगम बनाने के लिए अहमदाबाद नगर निगम ने व्यापक इंतजाम किए हैं। सड़कों की मरम्मत, बड़े पेड़ों की छटाई, जलापूर्ति, हैलोजन लाइट्स, स्वास्थ्य सेवाएं और अग्निशमन व्यवस्था जैसे कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। लगभग 500 जर्जर मकानों में से 200 को हटा दिया गया है, ताकि यात्रा के दौरान किसी को असुविधा न हो। जहां भी कमियां दिखीं, उन्हें तुरंत सुधारने के निर्देश दिए गए हैं। सभी नगरवासियों से रथ यात्रा में शामिल होकर भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के दर्शन कर आशीर्वाद लेने की मैं अपील करती हूं।
जगन्नाथ मंदिर के ट्रस्टी मोहन झा ने कहा कि भगवान जगन्नाथ की 148वीं रथ यात्रा 27 जून को अहमदाबाद शहर के इसी प्रांगण से शुरू होगी। यह रथ यात्रा मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि भक्ति का एक अनुपम रूप है। जब भगवान अपने भक्तों का हालचाल जानने मंदिर से बाहर निकलते हैं, तो भक्तों के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। रथ यात्रा शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होकर गुजरेगी और हजारों भक्त इसमें शामिल होंगे।
यह रथ यात्रा अहमदाबाद की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है। हर साल की तरह इस बार भी शहरवासी उत्साह के साथ इस पर्व की तैयारी में जुटे हैं। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का भी संदेश देती है। नगर निगम और मंदिर ट्रस्ट ने मिलकर यह सुनिश्चित किया है कि यात्रा शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रूप से संपन्न हो।
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हर प्रदोष व्रत का है अपना अलग महत्व, जानें किस दिन व्रत करने से कौन सी मनोकामना होती है पूरी

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से महादेव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. प्रत्येक प्रदोष व्रत, जो सप्ताह के अलग-अलग दिनों में पड़ता है, का अपना विशिष्ट महत्व और फल होता है. चलिए जानते हैं कि किस वार के प्रदोष व्रत से कौन सी मनोकामनाएं पूरी होती हैं|
किस दिन के प्रदोष व्रत से पूरी होती है कौन सी मनोकामना?
रविवार प्रदोष व्रत (रवि प्रदोष):
अगर प्रदोष व्रत रविवार को पड़ता है, तो इसे रवि प्रदोष कहा जाता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु प्राप्त होती है. सूर्य देव का भी आशीर्वाद मिलता है, जिससे मान-सम्मान और तेज में वृद्धि होती है|
सोमवार प्रदोष व्रत (सोम प्रदोष):
सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत सोम प्रदोष कहलाता है. यह व्रत विशेष रूप से चंद्रमा के बुरे प्रभावों को कम करने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए किया जाता है. संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए भी यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है|
मंगलवार प्रदोष व्रत (भौम प्रदोष):
मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहा जाता है. यह व्रत कर्ज मुक्ति और रोगों से छुटकारा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. मंगल ग्रह से संबंधित दोषों को दूर करने में भी यह प्रभावी है|
बुधवार प्रदोष व्रत (बुध प्रदोष):
जब प्रदोष व्रत बुधवार को पड़ता है, तो इसे बुध प्रदोष कहते हैं. यह व्रत ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा में सफलता के लिए किया जाता है. व्यापार में उन्नति और संतान की बुद्धि के विकास के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना जाता है|
गुरुवार प्रदोष व्रत (गुरु प्रदोष):
गुरुवार को आने वाला प्रदोष व्रत गुरु प्रदोष कहलाता है. यह व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने, धन-धान्य में वृद्धि और पैतृक संपत्ति से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए किया जाता है. गुरु प्रदोष से सौभाग्य में भी वृद्धि होती है|
शुक्रवार प्रदोष व्रत (शुक्र प्रदोष):
शुक्रवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत शुक्र प्रदोष कहलाता है. यह व्रत दांपत्य जीवन में सुख-शांति, प्रेम और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है. भौतिक सुख-सुविधाओं और धन-ऐश्वर्य की इच्छा रखने वालों को भी इस व्रत से लाभ होता है|
शनिवार प्रदोष व्रत (शनि प्रदोष):
शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत शनि प्रदोष कहलाता है. यह व्रत शनि दोषों से मुक्ति, साढ़ेसाती और ढैया के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. नौकरी और व्यवसाय में आ रही बाधाओं को दूर करने में भी यह सहायक है|
प्रदोष व्रत की पूजा विधि:
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें. भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. प्रदोष काल में (सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से 45 मिनट बाद तक) शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें. शिव चालीसा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें|
प्रदोष व्रत का महत्व:
प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जो हर महीने में दो बार आती है – एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में. सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले के समय को ‘प्रदोष काल’ कहा जाता है. इस काल में भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और उनकी पूजा करने से भक्तों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है|
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गुरुवार को हल्दी और केसर से करें ये सरल उपाय

  • विवाह और करियर में आ रही रुकावटें होंगी दूर
हिंदू धर्म में बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित होता है। इस दिन पीला रंग और उससे संबंधित वस्तुएं जैसे हल्दी और केसर का प्रयोग विशेष रूप से शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हल्दी और केसर के कुछ विशेष उपाय अगर बृहस्पतिवार के दिन श्रद्धा से किए जाएं, तो जीवन की अनेक परेशानियां दूर होती हैं।
1. विवाह में रुकावट दूर करने के लिए हल्दी का प्रयोग:
अगर किसी कन्या या युवक का विवाह लगातार टल रहा हो या उचित रिश्ता नहीं मिल पा रहा हो, तो बृहस्पतिवार के दिन नहाने के पानी में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर स्नान करें। इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा में हल्दी, चने की दाल, पीले फूल, और गुड़ अर्पित करें। फिर ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। इस उपाय को लगातार सात गुरुवार करने से विवाह में आ रही रुकावटें धीरे-धीरे दूर होती हैं।
2. करियर में तरक्की के लिए केसर का प्रयोग:
यदि नौकरी में प्रमोशन नहीं मिल रहा या प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार असफलता मिल रही हो, तो बृहस्पतिवार के दिन स्नान के बाद दूध में केसर मिलाकर माथे पर तिलक करें। यह उपाय बृहस्पति ग्रह को बल देता है और आत्मबल, बुद्धि और सौभाग्य में वृद्धि करता है। साथ ही केले के पेड़ में जल अर्पित करें।
3. घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए केसर जल का छिड़काव:
बृहस्पतिवार को गंगाजल में थोड़ी केसर मिलाकर पूरे घर में, विशेष रूप से कोनों और प्रवेश द्वार पर, छिड़काव करें। यह उपाय नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर में सुख-शांति बनाए रखता है। साथ ही भगवान विष्णु का ध्यान करके विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। ऐसा करने से पारिवारिक कलह शांत होती है और समृद्धि बनी रहती है।
4. हल्दी की गांठ मंदिर में दान करें:
बृहस्पतिवार के दिन किसी विष्णु या लक्ष्मी मंदिर में जाकर हल्दी की साबुत गांठें पीले कपड़े में लपेटकर श्रद्धापूर्वक दान करें। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है, विवाह योग्य कन्याओं को योग्य वर प्राप्त होता है और धन-धान्य में वृद्धि होती है।
5. बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए हल्दी की माला से मंत्र जाप:
जिनकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो, उन्हें गुरुवार के दिन हल्दी की माला से ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। इस उपाय से शिक्षा, करियर, और सम्मान के क्षेत्र में शुभता बढ़ती है। यह उपाय विद्यार्थियों, गुरुजन और नौकरीपेशा लोगों के लिए अत्यंत फलदायक है।
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शिवमहापुराण में मनाया गया भगवान गणेश का जन्मोत्सव

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में श्री राम मंदिर, वीआईपी रोड स्थित महर्षि वाल्मीकि मंडप में चल रहे श्री शिवमहापुराण ज्ञान यज्ञ के आठवें दिन बुधवार को श्रद्धा और आस्था का वातावरण और भी गहराया, जब आचार्य जयप्रकाश तिवारी "अयोध्या वाले" ने व्यासपीठ से भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों की महिमा और भगवान गणेश के अवतरण की कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया।
कथा में आचार्य जयप्रकाश तिवारी ने श्रोताओं को शिवमहापुराण में वर्णित भगवान गणेश के जन्म की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि जब माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं, तब उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। यह पुतला ही आगे चलकर भगवान गणेश बने। माता पार्वती ने गणेश जी को द्वार पर पहरा देने का निर्देश दिया। इसी दौरान भगवान शिव वहां पहुंचे और जब गणेशजी ने उन्हें अंदर जाने से रोका, तो शिवजी क्रोधित होकर उनका सिर काट देते हैं। पार्वती के विलाप पर, शिवजी गणेशजी को हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित करते हैं और उन्हें "गणपति" की उपाधि देते हैं- अर्थात् गणों के स्वामी।
द्वादश ज्योतिर्लिंग: शिवभक्ति का परम स्रोत
व्यासपीठ से आचार्यश्री ने भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों की महत्ता पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ये 12 पवित्र मंदिर शिवभक्तों के लिए मोक्षदायी तीर्थ हैं। इन ज्योतिर्लिंगों की उपासना से न केवल जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उत्थान भी सुनिश्चित होता है। उन्होंने कहा, "महादेव इतने सरल हैं कि वे केवल एक बेलपत्र और जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन यदि मन में छल, द्वेष या दुर्भावना हो तो उनकी कृपा प्राप्त नहीं होती।" आचार्य श्री ने भक्तों से आग्रह किया कि वे इन ज्योतिर्लिंगों का दर्शन एवं पूजन पूरी श्रद्धा और शुद्ध भाव से करें, क्योंकि शिव की कृपा से सभी प्रकार के पापों का क्षय और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कथा के आयोजकों ने जानकारी दी कि आज 19 जून को श्री राम मंदिर परिसर में द्वादश ज्योतिर्लिंग पूजन का भव्य आयोजन किया जाएगा। आचार्य श्री ने सभी शिवभक्तों से सपरिवार इस पूजन में भाग लेने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, "ज्योतिर्लिंगों का पूजन एक दुर्लभ अवसर है, जिससे मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। इस अवसर को किसी को भी नहीं गंवाना चाहिए।" इस 11 दिवसीय श्री शिवमहापुराण कथा यज्ञ का आयोजन 11 जून से 21 जून तक किया जा रहा है। आयोजन "अवलंबन वेलफेयर फाउंडेशन" के तत्वावधान में किया गया है। कथा स्थल पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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बुधवार को करें ये उपाय, जीवन रहेगा सुख-समृद्धि से भरपूर

घर में सुख-समृद्धि बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि कुछ उपाय भी किए जाएं। कल यानि बुधवार का दिन बुध ग्रह को समर्पित रहता है। इस दिन किए गए उपाय आपको जिंदगी भर फल देंगे। तो जानिए वे कौन से उपाय हैं जो आपकी जिंदगी समृद्ध कर देंगे।
गणेशजी की पूजा-
मूंग की दाल का दान करें-
बुधवार को मूंग की दाल दान करने से कष्टों का निवारण होता है। किसी गरीब अथवा जरूरतमंद को मूंग दान करें और फिर देखें कि कैसे आपके सभी दुख दूर हो जाते हैं।
गणेश भगवान को मोदक का प्रसाद चढ़ाएं-
जिनकी कुंडली में बुध ग्रह दोष है वे खासकर इस दिन गणेश भगवान को मोदक का प्रसाद चढ़ाएं। इससे ग्रह के दोष खत्म हो जाएंगे।
गाय को रोटी या हरी घास खिलाएं-
गाय को हिंदू धर्म में पूजनीय माना गया है। बुधवार के दिन गाय को हरी घास खिलाने से सभी देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है। अगर हरी घास खिलाना संभव ंन हो तो गाय को सुबह की पहली रोटी खिलाएं।
गणेश भगवान को सिंदूर चढ़ाएं-
बुधवार के दिन गणेश भगवान को सिंदूर चढ़ाने से लाभ मिलता है। ऐसा करने से सभी परेशानियों का भी निवारण होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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23 जून को सोम प्रदोष व्रत, जानिए...महत्व और शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यंत महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और इसे एक महीने में दो बार रखा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता आती है। उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज के अनुसार, जून महीने का अंतिम प्रदोष व्रत इस बार सोम प्रदोष के रूप में मनाया जाएगा।
सोम प्रदोष व्रत कब होगा?
वैदिक पंचांग के अनुसार, 23 जून, सोमवार को आषाढ़ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरू होगी, जो उसी दिन रात 10 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी। इस आधार पर 23 जून को सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा, क्योंकि यह दिन और तिथि दोनों प्रदोष व्रत के लिए शुभ माने जाते हैं।
सोम प्रदोष का अर्थ और महत्व
जब त्रयोदशी तिथि सोमवार के दिन आती है, तो इसे सोम प्रदोष कहा जाता है। इस व्रत को रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति अपनी कुंडली में अशुभ चंद्रमा की स्थिति से परेशान होता है, उसे विशेष रूप से यह व्रत नियमित रूप से करना चाहिए। इसके अलावा, संतान प्राप्ति के लिए भी प्रदोष व्रत अत्यंत फलदायक माना जाता है।
प्रदोष व्रत के नियम और पूजा विधि
प्रदोष व्रत का पालन करते समय कुछ खास नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है:
स्नान और संकल्प: प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्वच्छता से स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और भगवान शिव की पूजा के लिए तैयार करें।
पंचामृत से अभिषेक: भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल) से अभिषेक करें।
शिव परिवार की पूजा: भगवान शिव के साथ माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि-विधान से करें।
बलि और आहुति: बेलपत्र, फूल, धूप, दीप आदि भगवान शिव को अर्पित करें।
प्रदोष व्रत कथा का पाठ: प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें जिससे व्रत का महत्व और पुण्य प्राप्त होता है।
आरती और शिव चालीसा: पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें।
उपवास का पारण: व्रत पूरा होने के बाद ही उपवास का पारण करें।
प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक महत्व
प्रदोष व्रत भगवान शिव की अनुकम्पा और कृपा पाने का सबसे श्रेष्ठ उपाय माना जाता है। इसे करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं, मनुष्य के जीवन में समृद्धि आती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति का चंद्रमा मजबूत होता है, जिससे मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। यदि आप अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत को श्रद्धा और भक्ति से जरूर निभाएं। इस व्रत के द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से न केवल आध्यात्मिक बल मिलता है, बल्कि यह पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन में खुशहाली का कारण भी बनता है। 23 जून, सोमवार को आने वाला सोम प्रदोष व्रत इस बार आपके लिए खुशियों और आशीर्वाद का संदेश लेकर आए।
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आषाढ़ अमावस्या पर करें ये काम, होगा लाभकारी

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि बहुत शुभ और पुण्यदायी मानी गई है, जो कि पितरों के लिए समर्पित है. इस समय आषाढ़ का महीना चल रहा है और आषाढ़ अमावस्या 25 जून को मनाई जाएगी. वैसे तो अमावस्या तिथि पितरों के लिए समर्पित मानी गई है, लेकिन इस दिन को धन की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए भी लाभकारी माना जाता है|
ज्योतिष शास्त्र में आषाढ़ अमावस्या पर किए जाने वाले ऐसे उपायों के बारे में बताया गया है, जिनको करने से आपको देवी लक्ष्मी की कृपा मिल सकती है. देवी लक्ष्मी की कृपा से आपके घर में कभी धन की कमी नहीं रहेगी. अगर आप भी धन की देवी की कृपा पाना चाहते हैं, तो चलिए आपको बताते हैं कि आषाढ़ अमावस्या पर क्या उपाय करने चाहिए|
घी का दीपक जलाएं:
आषाढ़ अमावस्या पर घर के ईशान कोण में घी का दीपक जलाएं. मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आप इस दीपक में 7 लौंग भी डाल सकते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस उपाय को करने से घर में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है. साथ ही, मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है|
तुलसी माला से मंत्र जाप:
आषाढ़ अमावस्या पर तुलसी की माला से गायत्री मंत्र का जाप करना काफी शुभ माना गया है. इस दिन विशेष रूप से 108 बार तुलसी की माला से मंत्र जाप करें. धार्मिक मान्यता है कि इससे मानसिक शांति और समृद्धि मिलती है. इसके अलावा, मां लक्ष्मी भी आपसे प्रसन्न हो जाती हैं|
केसर और लौंग का उपाय:
आषाढ़ अमावस्या के दिन कपूर के साथ केसर और लौंग को जलाएं. धार्मिक मान्यता है कि इस उपाय को करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है. साथ ही, यह उपाय देवी लक्ष्मी को बहुत ज्यादा आकर्षित करता है. अगर आप आषाढ़ अमावस्या पर इस उपाय को करते हैं, तो आपके घर में धन लाभ होता है|
स्नान और तर्पण:
आषाढ़ अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करें. अगर यह संभव नहीं हो तो नहाने के पानी में गंगाजल डालर स्नान करना चाहिए. इसके बाद अभिजीत मुहूर्त में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को तर्पण करें. इससे पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है|
पीपल के पेड़ की पूजा:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल का पेड़ पितरों का प्रिय होता है. ऐसे में आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें. साथ ही, पीपल की जड़ में दूध और मिश्री मिला जल अर्पित करें. इसके बाद पीपल की 108 बार परिक्रमा करें. इस उपाय से पितृ दोष दूर होता है|
पिंडदान और तर्पण:
पितरों की आत्मा की शांति के लिए अमावस्या पर पिंडदान और तर्पण करना जरूरी होता है. आप इस काम के लिए किसी पंडित की मदद ले सकते हैं. पितरों के तर्पण के लिएतिल, कुश, जल, फूल आदि का इस्तेमाल करें. इसके बाद पिंडदान करें और पितरों के नाम से दान करें|
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कामाख्या मंदिर में 22 जून से 5 दिवसीय अंबुवाची योग पूजा

रायपुर। राजधानी रायपुर में गुवाहटी मां कामाख्या मंदिर के तर्ज पर हर साल 22 से 26 जून तक अंबुवाची योग पूजा की जाती है। यह मंदिर देवेंद्र नगर नारायणा अस्पताल रोड लगी फोकटपारा में स्थित है । जिसकी स्थापना आज से 58 साल पहले मां कामाख्या के उपासक आचार्य पं. हीरेंद्र विश्वकर्मा ने की । माता स्वयंभू प्राक्टय है। कोपटपारा स्थित कामाख्या मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी 22 जून से 26 जून तक पांच दिवसीय अंबुवाची पूजा होगी।
22 जून को विधि विधान से गणेश , कच्छप, गौरी गणेश कलश, नौ कलश चक्र, नवग्रह, चर्तुदिक शिवलिंग, चौसठ योगिनी, षोेडशमातृका, सप्तघृत मातृका, क्षेत्रपाल चक्र, वास्तु चक्र, पंच लोकपाल, दस दिगपाल की गुवाहटी मंदिर की तरह पूजा होगी। 22 जून को मां कामाख्या की पूजा अर्चना का बाद तीन दिन के लिए पट बंद हो जाएगी। इस दरम्यान 22, 23 और 24 जून को जसगीत , दुर्गा सप्त सती पाठ, सुंदर कांड का पाठ होगा। वहीं 25 जून की रात माता कामाख्या का पट खोला जाएगा। माता का षोडषोउचार के साथ स्नान के बाद भन्य श्रृगार होगा। 26 जून को मां कामाख्या मंदिर में दोपहर 1 बजे हवन के बाद कलश के साथ माताएं कलशयात्रा के रूप में माता के रथ के आगे -आगे चलेंगी। माता की पालकी रथ में 5 घोड़े के साथ निकलेगी जो फोकटपारा से होते हुए देवेंद्र नगर थाना क्षेत्र से होते हुए वापस मंदिर में पहुंचेगी।इसके बाद कुंवारी कन्या पूजन होगा, जहां माता स्वरूप में विराजित माता का पूजन होगा। उसके साथ जितनी में छोटी कन्या होगी उनका भी माता स्वरूप में पूजन होगा। उसके बाद माता को भोग लगाया जाएगा। फिर प्रसादी वितरण होगा। मंदिर में इस मंदिर में देश-प्रदेश के बड़े-बड़े राजनेता, समाजसेवी और सामान्यजन माथा टेक कर मनोरथ की सिद्धि प्राप्त किए है। गुवाहटी की तरह ही पांच दिवसीय अंबुवाची योग पूजा में माता कामाख्या की तांत्रिक मंत्रोच्चार के साथ हवन पूजन हो रहा है। इस मंदिर की विशेषता यहीं है कि यहां जो भी आया वो खाली हाथ नहीं लौटा है। मंदिर प्रबंधन समिति ने समस्त श्रद्धालुओ् से अपील की है कि इस अंबुवाची पूजा में शामिल होवे और हवन में पांच-पांच आहूति देकर अपनी मनोरथ सिद्धि औऱ मनोकामना पूर्ण करें।
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योगिनी एकादशी पर करें ये खास उपाय, पापों और रोगों से मिलेगी मुक्ति

हर साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी का व्रत रखने से जीवन में आई बीमारियों से राहत मिलती है और पूर्व जन्मों के पापों से भी मुक्ति प्राप्त होती है। पुराणों में योगिनी एकादशी को रोगों को दूर करने वाली सबसे प्रभावशाली तिथि बताया गया है, खासकर उन लोगों के लिए जो लंबे समय से मानसिक या शारीरिक पीड़ा से जूझ रहे हैं।
व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त:
साल 2025 में योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून को रखा जाएगा, जो शनिवार का दिन है। एकादशी तिथि की शुरुआत 21 जून की सुबह 7:18 बजे से होगी और इसका समापन 22 जून की सुबह 4:27 बजे तक होगा। उदया तिथि के आधार पर 21 जून को ही योगिनी एकादशी का व्रत मनाया जाएगा।
योगिनी एकादशी के दिन करें ये उपाय:
इस विशेष दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता तुलसी की पूजा का भी अत्यंत महत्व होता है। दिन की शुरुआत स्नान करके साफ वस्त्र पहनने से करें। फिर भगवान विष्णु और तुलसी माता का विधिवत पूजन करें। तुलसी को जल अर्पित करें, दीपक और अगरबत्ती जलाएं और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें। तुलसी की सात बार परिक्रमा करना भी शुभ माना जाता है।
विष्णु भगवान को अर्पित किए जाने वाले भोग में तुलसी के पत्तों जरूर रखें, क्योंकि मान्यता है कि तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते। आप चाहें तो इस दिन तुलसी की माला का उपयोग पूजा या जप के लिए कर सकते हैं। यदि आपके घर में तुलसी का पौधा नहीं है, तो इस दिन एक नया पौधा लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
व्रत का महत्व:
योगिनी एकादशी का व्रत मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने वाला माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से न केवल रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि पितृ दोष, पारिवारिक कलह और नकारात्मक ऊर्जा से भी छुटकारा मिलता है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
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