दुनिया-जगत

ब्रिटिश भारतीयों के बीच पैठ बढ़ाने लेबर पार्टी ने बदली रणनीति

  • भारत भेजेगी अपने दो दूत
नई दिल्ली। ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी ब्रिटिश भारतीयों तक पहुंचने के अपनी कोशिशों में बदलाव कर रही है। पार्टी को यह कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि देश के सबसे बड़े जातीय अल्पसंख्यक समुदाय के बीच पार्टी का समर्थन हाल के वर्षों में कम हुआ है।
2021 की ब्रिटेन की जनगणना के अनुसार, भारतीय मूल के लोग ब्रिटेन में सबसे बड़े एशियाई जातीय समूह और सबसे बड़े गैर-श्वेत जातीय समूह हैं। 18 लाख आबादी की बाद उनकी हिस्सेदारी करीब 3.1 प्रतिशत हैं।
द गार्जियन अखबार ने गुरुवार को बताया कि कीर स्टार्मर के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी ने ब्रिटिश भारतीयों के साथ फिर से जुड़ने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। इनमें दो सामुदायिक आउटरीच स्वयंसेवकों को काम पर रखना, लेबर फ्रेंड्स ऑफ इंडिया समूह को पुनर्जीवित करना और अपने दो शैडो मिनिस्टर्स (दूत) के लिए भारत की यात्रा का आयोजन करना शामिल है।
इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि लेबर पार्टी ने भारतीय मूल के लोगों का समर्थन खो दिया है। 2010 में, 61 प्रतिशत ब्रिटिश भारतीयों ने कहा कि उन्होंने लेबर का समर्थन किया है, लेकिन गार्जियन द्वारा देखे गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि 2019 तक यह आंकड़ा घटकर केवल 30 प्रतिशत रह गया था।
वरिष्ठ लेबर नेताओं को चिंता है कि ऋषि सुनक के ब्रिटेन के पहले हिंदू प्रधानमंत्री होने से लेबर पार्टी का समर्थन और घट सकता है। कंसल्टेंसी पब्लिक फर्स्ट की ओर से पहली, दूसरी और तीसरी पीढ़ी के भारतीयों के बीच पिछले साल के अंत में किए गए फोकस ग्रुप्स ने लेबर पार्टी के सामने यह समस्या रखी है।
2021 की जनगणना के अनुसार, इंग्लैंड और वेल्स में हिंदुओं की गणना 10,32,775 या जनसंख्या का 1.7 प्रतिशत थी। अखबार ने पार्टी के एक अधिकारी के हवाले से कहा, "हम भारतीय मतदाताओं को सालों से हल्के में लेते रहे हैं, लेकिन यह तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है कि वे कहीं और जा रहे हैं और हमें इस बारे में कुछ करने की जरूरत है।"
पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा, "कीर स्टारर की बदली हुई लेबर पार्टी कामकाजी लोगों की सेवा में वापस आ गई है और हम भारतीय समुदायों सहित सभी पृष्ठभूमियों और धर्मों के लोगों के साथ जुड़ना जारी रखेंगे। पार्टी समर्थकों की ओर से किए जा रहे उपायों में लेबर इंडियंस नामक एक नया समूह स्थापित करना शामिल है जो सामुदायिक कार्यक्रमों को आयोजित करेगा और सोशल मीडिया पर ब्रिटिश भारतीयों को संदेश देगा।
समूह के अध्यक्ष कृष रावल ने कहा, "यह इवेंट संगठन और सोशल मीडिया प्रसार पर केंद्रित एक पहल के रूप में शुरू किया है। हम लेबर पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों के व्यापक समूह की सेवा करना चाहते हैं।"
समूह के साथ काम करने के लिए दो स्वयंसेवकों को काम पर रखा गया है, उनका काम भारत से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को लेबर पार्टी के संसदीय उम्मीदवारों को ब्रीफ करने पर केंद्रित है। रविवार को शैडो विदेश सचिव, डेविड लैमी और शैडो व्यापार सचिव, जोनाथन रेनॉल्ड्स, पांच दिवसीय यात्रा पर दिल्ली और मुंबई की यात्रा करेंगे। वे अपनी यात्रा के दौरान यह प्रदर्शित करेंगे कि पार्टी भारतीय हितों के प्रति शत्रुतापूर्ण नहीं है। ब्रिटेन में भारतीय दूसरा सबसे बड़ा आप्रवासी समूह है। 
वर्षों तक लगभग दो-तिहाई ब्रिटिश भारतीयों ने अन्य अल्पसंख्यक-जातीय समूहों के अनुरूप लेबर पार्टी का समर्थन किया। लेकिन हाल के वर्षों में इसमें तेजी से गिरावट आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव आंशिक रूप से सामाजिक आर्थिक कारणों से और आंशिक रूप से धार्मिक कारणों से आया है। जानकारों के अनुसार ब्रिटिश भारतीय हाल के वर्षों में अमीर हो गए हैं, सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि उनके दृष्टिकोण अधिक रूढ़िवादी हो गए हैं।
यूके इन ए चेंजिंग यूरोप सर्वेक्षण से पता चलता है कि 2019 के चुनाव में मतदान करने वाले अधिकांश हिंदुओं ने टोरी (कंजर्वेटिव) का समर्थन किया था। जेरेमी कॉर्बिन के लेबर पार्टी के नेतृत्व काल में भारतीय मूल के अप्रवासियों का टोरी पार्टी के प्रति समर्थन बढ़ गया था, क्योंकि उन्होंने कश्मीर पर भारतीय के विरोध का समर्थन किया था।
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चुनाव प्रक्रिया से खुद अलग-थलग महसूस कर रहे हिंदू

  • कई लोगों का मतदाता के रूप में नहीं हुआ पंजीकरण
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में पांच दिन बाद आम चुनाव होने हैं। लेकिन, उससे पहले अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के ज्यादातर लोगों को लगता है कि उन्हें दक्षिणी सिंध प्रांत में चुनाव की प्रक्रिया से बाहर किया गया है। जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में हिंदू आबादी कुल 2.1 फीसदी है। इसमें से नौ फीसदी सिंध प्रांत में रहते हैं। जहां उनकी सबसे बड़ी आबादी है। 
देश के संविधान के तहत कौमी असेंबली (संसद का निचला सदन)  में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के लिए दस सीटें और प्रांतीय विधानसभा में 24 सीटें आरक्षित हैं। हिंदू समुदाय के नेताओं और सदस्यों का आरोप है कि उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है और समुदाय के कई लोग मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हैं। 
पाकिस्तान हिंदू परिषद के मुख्य संरक्षक रमेश कुमार वांकवानी ने कहा, हिंदू समुदाय, खासकर वे लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से हैं या सिंध के दूरदराज के गांवों में रहते हैं, वे चुनाव प्रक्रिया से खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, चुनावों से पहले हुई राष्ट्रीय जनगणना में हिंदुओं की गणना पूरी तरह से नहीं की गई। हम नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (एनएडीआरए) और पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) की ओर से जारी सूची से सहमत नहीं है। मतदाताओं को एनएडीआरए और ईसीपी में मतदाता के रूप में पंजीकरण कराना होता है।  
कानून के मुताबिक, नागरिक को राज्य का होना चाहिए और उसे अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने से पहले ईसीपी में एक मतदाता के रूप में पंजीकृत होना होगा। लेकिन, सिंध में रहने वाले सबसे बड़े अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के सदस्यों का दावा है कि उनकी आबादी की तुलना में कुछ लोग ही अपने पहचान दस्तावेज के कारण मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं। 
मीरपुर खास के स्थानीय हिंदू समुदाय के नेता शिवा काची ने कहा, हिंदुओं की संख्या सही नहीं है और बहुत से लोग दूरदराज के इलाकों में रहते हैं और पढ़े-लिखे नहीं हैं। इसलिए उनके पहचान दस्तावेजों में विसंगतियां हैं। जिसका मतलब है कि वे मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हैं। साल 2018 में जब आम चुनाव हुए थे, तो करीब 10.59 करोड़ मतदातों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। कुल 36.26 लाख मतदाता अल्पसंख्यक समुदायों से थे। काची ने कहा, हकीकत में हिंदू पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। जिनकी कुल संख्या लगभग 47.7 लाख है। लेकिन आधिकारिक तौर पर केवल 17.77 लाख मतदाता ही पंजीकृत हैं। ईसाई समुदाय 16.39 लाख मतदाताओं के साथ दूसरे स्थान पर है। अहमदियों के पास 1,65,369 मतदाता थे, जबकि सिखों के पास 8,833 मतदाता थे। 
हिंदू समुदाय के एक अन्य नेता मुकेश मेघवार ने कहा, पाकिस्तान में अल्पसंख्य मतदाताओं की संख्या 2013 में 27.7 लाख से बढ़कर 208 में 36.26 लाख हो गई। लेकिन, निचली जाति के हिंदुओं को अभी भी मतदान का अधिकार नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि चुनाव प्रक्रिया में उनका प्रभाव और प्रतिनिधित्व वैसा नहीं है, जैसा होना चाहिए। उन्होंने कहा, हिंदू समुदाय में वर्ग और जाति के मतभेदों के कारण निचले स्तर के लोग खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। काची ने मेघवार की बात पर सहमति जताई और बताया कि सिंध के विभिन्न इलाकों में कई बार अधिकारी सरकारी दस्तावेजों में धर्म के आधिकारिक बॉक्स में भी हिंदुओं और दलितों के बीच अंतर करते हैं। 
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जॉर्डन हमले से भड़का अमेरिका, हूती विद्रोहियों पर बड़े हमले की तैयारी

  • कहा- अब बर्दाश्त नहीं करेंगे
वॉशिंगटन। बीते दिनों  जॉर्डन में अमेरिका के सैन्य ठिकाने पर हुए ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी। इस हमले का आरोप ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों पर लगा था। अब अमेरिका हूती विद्रोहियों के खिलाफ बड़े हमले की तैयारी कर रहा है। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि 'ऐसी कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेंगे।'
बीते दिनों भी अमेरिका ने ब्रिटेन के साथ मिलकर हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी। उस एयर स्ट्राइक में भी हूती विद्रोहियों को काफी नुकसान की आशंका है। जॉर्डन में अमेरिका के सैन्य ठिकाने पर हुआ हमला, इस बात का सबूत है कि पश्चिम एशिया में तनाव लगातार बढ़ रहा है। गाजा में लड़ाई छिड़ने के बाद यह पहली बार है कि पश्चिम एशिया में हो रहे हमलों में अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं। इससे पहले भी पश्चिम एशिया के अलग-अलग देशों में अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले हुए थे, लेकिन उन हमलों में बड़ा नुकसान नहीं हुआ था। जॉर्डन में हुए हमले में ना सिर्फ 3 अमेरिकी सैनिकों की जान गई है बल्कि इसमें 40 अन्य जवान घायल भी हुए हैं। 
अमेरिका का दावा है कि ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने यह ड्रोन हमला किया था। यह हमला सीरिया से किया गया था। लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि अब समय आ गया है, जब हम ज्यादा क्षमता से हमला करें। ईराक और सीरिया में भी ईरान समर्थित संगठनों के ठिकानों पर भी हमले के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंजूरी दे दी है। इससे साफ है कि पश्चिम एशिया में अमेरिका बड़े हमले करेगा। अमेरिका के रक्षा मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट पर लाल सागर और अदन की खाड़ी में भी हमले बढ़ेंगे। इस्राइल हमास युद्ध के बाद से ही फलस्तीन के समर्थन में हूती विद्रोही अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं। 
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इजरायल-हमास युद्ध : हमास नेता शांति वार्ता के लिए काहिरा में

तेल अवीव। हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हानियेह के नेतृत्व में वरिष्ठ नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल गाजा पट्टी में इजरायल के साथ चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति वार्ता के लिए मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंच गया है।
प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ नेता मूसा अबू मरज़ूक और खलील अल हया भी शामिल हैं। गुरुवार को काहिरा पहुंचे और अपने खुफिया प्रमुख मेजर जनरल अब्बास कामेल के नेतृत्व में मिस्र के अधिकारियों के साथ बैठकें कीं।
मिस्र के सूत्रों के अनुसार, चर्चा पिछले सप्ताह पेरिस में चल रही शांति वार्ता पर केंद्रित है, इसमें कतर, मिस्र, अमेरिका और इजरायली अधिकारियों ने भाग लिया था। पेरिस चर्चा के अनुसार, हमास की हिरासत में बंधकों की रिहाई के लिए एक व्यापक रूपरेखा पर सहमति बनी है, इसके तहत पहले चरण में 35 बंधकों को रिहा किया जाएगा, जिसमें बूढ़े, बीमार और महिला कैदी शामिल हैं। जहां हमास युद्ध को स्थायी रूप से रोकना चाहता था, वहीं इजरायल ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था।
इज़रायली प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सूत्रों के अनुसार, इज़राइल पक्ष पहले चरण में छह सप्ताह के संघर्ष विराम के लिए सहमत हो गया है, जिसमें 35 बंधकों को रिहा किया जाएगा। जबकि हमास चाहता है कि इज़रायली जेलों में बड़ी संख्या में फ़िलिस्तीनियों को इज़रायली बंधकों के बदले दिया जाए, लेकिन इज़रायल इस पर सहमत नहीं है। अधिकारियों के मुताबिक, इजरायल ने कहा है कि वह जितने इजरायली बंधकों को रिहा करेगा, उससे तीन गुना ज्यादा बंधकों को रिहा करेगा।
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ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार मिलने पर हिंदू अमेरिकी संगठन खुश

  • बताया 'ऐतिहासिक फैसला'
वॉशिंगटन। वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दिया है, जिस पर अमेरिका के हिंदू संगठन ने खुशी जताई है। विश्व हिंदू परिषद ऑफ अमेरिका ने एक बयान जारी कर वाराणसी की अदालत के फैसले को ऐतिहासिक बताया। बयान में कहा गया कि 'विश्व हिंदू परिषद अमेरिका माननीय अदालत के फैसले की तारीफ करती है। इस ऐतिहासिक फैसले से हिंदुओं को वो अधिकार मिलेगा, जो उनसे नवंबर 1993 को छीन लिया गया था।'
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में अदालत के फैसले के बाद बुधवार रात में पूजा की गई। पूजा से आठ घंटे पहले ही अदालत ने इसकी मंजूरी दी थी। हालांकि मस्जिद कमेटी ने वाराणसी कोर्ट के फैसले पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया है। 
विश्व हिंदू परिषद अमेरिका ने बयान में कहा 'यह मामला जमीन विवाद का है और यह किसी अल्पसंख्यक समूह से संघर्ष का मुद्दा नहीं है। हिंदू पक्ष द्वारा जो सबूत पेश किए, उनके आधार पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है, जो न्याय के सिद्धांतों के मुताबिक है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपने सर्वे में कई ऐसे तथ्यों का खुलासा किया, जिनसे पता चलता है कि ज्ञानवापी मस्जिद एक हिंदू मंदिर को तबाह करके बनाई गई है। विश्व हिंदू परिषद अमेरिका कोर्ट के फैसले की तारीफ करती है, जिसने सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया है।'
अमेरिका के मुस्लिम संगठन ने की आलोचना-
वहीं इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने वाराणसी कोर्ट के फैसले की आलोचना की है। मुस्लिम काउंसिल ने बयान में कहा कि 'हम हमारे इतिहास और सभ्यता को मिटाने की किसी भी कोशिश के खिलाफ हैं। साथ ही हम धर्म की राजनीति के भी खिलाफ हैं। कोर्ट का फैसला भारत के 20 करोड़ मुस्लिमों के अधिकारों पर एक और हमला है।'
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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में पिछड़ीं निक्की हेली, बाइडन-ट्रंप को बताया 'खड़ूस'

वॉशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति पद की दावेदार भारतीय मूल की निक्की हेली ने रिपब्लिकन पार्टी में अपने प्रतिद्वंदी डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के दावेदार मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन की बढ़ती उम्र पर निशाना साधा है। निक्की हेली साउथ कैरोलिना में प्रचार में जुटी हैं, जहां 24 फरवरी को प्राइमरी चुनाव होंगे। साउथ कैरोलिना, निक्की हेली का गढ़ है और वहीं से वे गवर्नर रही हैं। यही वजह है कि वह साउथ कैरोलिना में जोर-शोर से अपना चुनाव अभियान चला रही हैं।
निक्की हेली ने अपने प्रचार अभियान में डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन को गुस्सैल बुजुर्ग बताया है। हेली ने सोशल मीडिया पर भी एक तस्वीर साझा कर दोनों नेताओं की बढ़ती उम्र को निशाना बनाया है। जो बाइडन 81 साल के हैं और डोनाल्ड ट्रंप 77 साल के। हेली की प्रचार अभियान टीम ने बयान जारी कहा है कि ट्रंप कहते हैं कि वह 20 साल पहले जितने तेज थे, उससे ज्यादा अब दिमागी तौर पर तेज हैं, लेकिन अगर ऐसा है तो वे निक्की हेली से डिबेट क्यों नहीं कर रहे? इसकी वजह साफ है कि बुजुर्ग नेता मुश्किल सवालों के जवाब नहीं देना चाहते।
निक्की हेली, साउथ कैरोलिना में ट्रंप से 26 पॉइंट पीछे चल रही हैं। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी निक्की हेली, ट्रंप से 54 पॉइंट पीछे हैं। गौरतलब है कि अगर जो बाइडन और निक्की हेली के बीच राष्ट्रपति चुनाव की टक्कर होती है तो निक्की हेली, बाइडन से काफी आगे हैं। यही वजह है कि निक्की हेली और उनकी प्रचार टीम डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन को उम्र के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रही है। साथ ही वह प्रचार कर रहे हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में फिर से जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच टक्कर नहीं होनी चाहिए, वरना इससे हिंसा भड़क सकती है।
निक्की हेली ने एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान कहा कि 80 साल के दो नेता राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि ये सभी जानते हैं कि 80 साल की उम्र में इंसान की मानसिक क्षमता घटने लगती है। वहीं ट्रंप की प्रचार अभियान टीम का दावा है कि निक्की हेली के पास फंड की कमी है और वह जल्द ही चुनाव से अपना नाम वापस ले लेंगी।
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अध्ययन में दावा- डायबिटीज की कुछ दवाएं गुर्दे की पथरी के खतरे को कर सकती हैं कम

न्यूयॉर्क। मधुमेह की कुछ दवाएं गुर्दे की पथरी के खतरे को कम कर सकती हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, टाइप 2 मधुमेह गुर्दे की पथरी के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है, इस स्थिति के लिए कुछ प्रकार के उपचार से गुर्दे की पथरी के जोखिम को कम करने में भी लाभ हो सकता है।
अमेरिका में ब्रिघम और महिला अस्पताल एवं मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के रिसर्चर्स ने पाया कि सोडियम-ग्लूकोज कॉन्ट्राट्रांसपोर्टर 2 (एसजीएलटी2) अवरोधकों के उपयोग और गुर्दे की पथरी के विकास के कम जोखिम के बीच एक संबंध था।
जेएएमए इंटरनल मेडिसिन में रिपोर्ट किए गए अध्ययन में टाइप 2 मधुमेह वाले मरीजों के अमेरिका के तीन राष्ट्रव्यापी डेटाबेस से डेटा शामिल था, जिन्हें रूटीन क्लिनिकल प्रैक्टिस में देखा गया था। टीम ने टाइप 2 मधुमेह वाले 7,16,406 वयस्कों की जानकारी का विश्लेषण किया। जिन्होंने एसजीएलटी2 अवरोधक या मधुमेह दवाओं के दो अन्य वर्ग जिन्हें जीएलपी1 रिसेप्टर एगोनिस्ट या डाइपेप्टिडाइल पेप्टिडेज़ 4 (डीपीपी4) अवरोधक के रूप में जाना जाता है, लेना शुरू कर दिया था।
जिन मरीजों ने एसजीएलटी2 अवरोधक लेना शुरू किया, उनमें जीएलपी1 एगोनिस्ट लेने वालों की तुलना में गुर्दे की पथरी विकसित होने का जोखिम 30 प्रतिशत कम था, और डीपीपी4 अवरोधक लेने वालों की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत कम था।
ये निष्कर्ष लिंग, नस्ल/जातीयता, क्रोनिक किडनी रोग के इतिहास और मोटापे के आधार पर एक जैसे थे। ब्रिघम और महिला अस्पताल में फार्माकोएपिडेमियोलॉजी और फार्माकोइकॉनॉमिक्स विभाग की संबंधित लेखिका जूली पाइक ने कहा, “हमारे निष्कर्ष मधुमेह के उन मरीजों के लिए रूटीन ​​निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं जिन्हें गुर्दे की पथरी होने का खतरा है।”
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मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति नशीद बने सीवीएफ महासचिव

  • कहा- "अब कुछ समय के लिए घाना ही मेरा घर"
माले। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद अब अफ्रीकी देश घाना में शिफ्ट हो गए हैं। हाल ही में उन्होंने सक्रिय राजनीति से मुक्त होने का एलान किया था। मंगलवार रात एक्स पर नशीद ने बताया कि जलवायु कमजोर मंच के महासचिव के रूप में नया सफर शुरू कर रहे हैं। इस वजह से वे घाना की राजधानी अकरा पहुंचे हैं। सीवीएफ गर्म हो रही धरती के प्रति संवेदनशील देशों की एक अंतरराष्ट्रीय साझेदारी है। संगठन की स्थापना सन् 2009 में की गई थी। 
एक्स पर ही उन्होंने आगे कहा कि घाना सीवीएफ सचिवालय की मेजबानी कर रहा था। कुछ वर्षों के लिए घाना ही अब मेरा घर होगा। उम्मीद है कि आवश्यक निवेश को अनलॉक किया जाएगा, जिससे स्वच्छ विकास और जलवायु समृद्धि को आगे बढ़ा सकें। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो नशीद 2008 से 2012 तक मालदीव के राष्ट्रपति थे। वे 2019 से 2023 तक संसद के अध्यक्ष भी रहे हैं। संसद के संचार निदेशक हसन जियाउ ने कहा कि नशीद घाना जाने वाले हैं, इसकी कोई सूचना नहीं मिली थी।
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FBI चीफ की चेतावनी- 'चीनी हैकर्स अमेरिका में ला सकते हैं तबाही'

  • इंफ्रास्ट्रक्चर पर कर सकते हैं हमला
वॉशिंगटन। अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने चेतावनी दी है कि चीनी हैकर्स अमेरिका के अहम इंफ्रास्ट्रक्चर ठिकानों पर हमला कर तबाही ला सकते हैं। रे ने चीनी साम्यवादी पार्टी पर अमेरिकी संसद की कमेटी को बताया कि चीनी हैकर्स अमेरिका के इंफ्रास्ट्रक्चर में सेंध लगा चुके हैं और चीन के इशारे पर अमेरिका में भारी तबाही ला सकते हैं और अमेरिकी नागरिकों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। 
एफबीआई चीफ ने कहा कि चीनी हैकर्स वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, इलेक्ट्रिक ग्रिड और तेल और नेचुरल गैस पाइलपाइंस को निशाना बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह देश की सुरक्षा और समृद्धि के लिए बड़ा खतरा है। चीन की सरकार ने अमेरिका में हैकिंग के आरोपों से पूर्व में इनकार किया था। क्रिस्टोफर रे ने बताया कि साइबर सिक्योरिटी के मामले में हमारी कुछ कमजोरियां हैं, जिसकी वजह से आसानी से चीनी हैकर्स ने सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर सेंध लगा दी है। अमेरिका की साइबर सिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी के प्रमुख जीन ईस्टरली ने भी एफबीआई चीफ की आशंका का समर्थन किया।
एफबीआई निदेशक की चेतावनी ऐसे समय आयी है, जब अमेरिका और चीन, दोनों ही देश तनाव को कम करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और चीनी समकक्ष के बीच बैंकॉक में अहम बैठक हुई  थी। यह बैठक करीब 12 घंटे चली, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध, पश्चिम एशिया के हालात, उत्तर कोरिया आदि विषयों पर बातचीत हुई थी। अमेरिका द्वारा भी चीनी हैकर्स के साइबर हमले को रोकने की कोशिश की जा रही है और इसके लिए कई संदिग्ध कोड को केंद्रीय डिवाइस से हटाया जा रहा है, लेकिन माना जाता है कि चीनी हैकर्स की पहुंच काफी गहरी है और अभी भी गंभीर खतरा बना हुआ है।
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PTI के दफ्तर में छापेमारी, पुलिस ने आरोपों से किया इनकार

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब उनकी पार्टी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पुलिस ने उनके दफ्तरों में छापेमारी की। गुरुवार को साधारण कपड़े पहनकर पहुंची पुलिस ने सदस्य को परिसर में घुसने से रोक दिया। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, यह छापेमारी इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को भ्रष्टाचार के एक मामले में 14-14 साल के कठोर काराबास की सजा सुनाई जाने के एक दिन बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की। 
बुधवार को इस्लमाबाद में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की एक आम सभा से पहले अचानक साधारण कपड़ों में पुलिस बल पहुंचा। हालांकि पीटीआई ने ऑनलाइन सभाओं को आयोजित किया है। साथ ही कहा कि पार्टी के भीतर संगठनात्मक चुनाव कराने का भी फैसला लिया है। बता दें इमरान की पार्टी को आठ फरवरी को होने वाले आम चुनावों से पहले कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें चुनाव आयोदग द्वारा पार्टी के चुनाव चिन्ह को निरस्त करने, पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और कई अन्य पार्टी नेताओं के नामांकन पत्रों को रद्द करना शामिल था। खास बात है कि पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने आरोपों से पलड़ा झाड़ते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना छापेमारी नहीं की जा सकती है। बुधवार को कोई भी ऐसा आदेश जारी नहीं किया गया था। 
हमने नहीं की छापेमारी, आरोप निराधार- पुलिस
एक आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी के खिलाफ जब कोर्ट ने फैसला सुनाया गया था तो संभावनाएं जताई जा रही थी कि विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। पुलिस ने पार्टी कार्यालय में प्रवेश नहीं किया, सिर्फ बाहर की खड़े थे। वहीं पीटीआई के प्रतिनिधि ने बताया कि आम सभा की बैठक इस्लामाबाद, सभी प्रांतीय राजधानियों और गिलगित बाल्टिस्तान में आयोजित करने की योजना थी। जिसके लिए सभी स्थानों को इंटरनेट से जरिए जोड़ने की तैयारी थी। पार्टी से जुड़े नेता ने दावा किया था कि पुलिस अधिकारियों ने पीटीआई सदस्यों को धमकी दी, जो आम सभा की बैठक में भाग लेने के लिए वहां पहुंच रहे थे। उन्होंने धमकाया कि अगर वह शामिल हुए तो इसका परिणाम उन्हें भुगताना पड़ेगा। 
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इज़राइल-हमास युद्धविराम समझौता अगले सप्ताह तक संभावित

तेल अवीव। बंधकों की रिहाई के लिए इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध पर आगामी सप्ताह तक युद्धविराम होने की संभावना है। इज़राइल रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, उच्च स्तर पर चर्चा चल रही है और हमास की हिरासत से महिलाओं, बुजुर्गों और बीमार इज़राइली बंधकों के एक बैच की रिहाई के लिए संघर्ष विराम जल्द ही शुरू होगा।
जबकि हमास युद्धविराम के अगले दौर के लिए इज़राइल रक्षा बलों (आईडीएफ) की पूर्ण वापसी पर जोर दे रहा है, इज़राइल इससे पूरी तरह पीछे हट गया है। कतर, मिस्र और अमेरिका के आदेश पर दोहा, काहिरा और पेरिस में हुई कई दौर की मध्यस्थता वार्ता के नतीजे निकलते दिख रहे हैं।
इजराइल रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि इजराइली पक्ष हमास की हिरासत में बंधकों के बदले में इजराइल में गिरफ्तार और जेल में बंद बड़ी संख्या में फिलिस्तीनियों की रिहाई पर सहमत हो गया है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार हमास की हिरासत में महिलाओं, बीमार और बुजुर्ग नागरिकों की रिहाई के बाद बंधकों के दूसरे बैच को भी रिहा किया जाएगा, इसमें हमास की हिरासत में महिला इजरायली सैनिक भी शामिल हैं।
सीआईए प्रमुख विलियम बर्न्स और मोसाद प्रमुख डेविड बर्निया भी पेरिस में हाल ही में हुई मध्यस्थता वार्ता में मौजूद थे और उन्होंने कतर व मिस्र के मध्यस्थों के साथ अपनी बातचीत के दौरान युद्धविराम से संबंधित कुछ मुद्दों को सुलझा लिया है। सूत्रों ने स्पष्ट किया कि एक महीने का युद्धविराम हो सकता है, लेकिन इज़राइल गाजा से कतर या तुर्की में हमास के शीर्ष नेताओं याह्या सिनवार और मोहम्मद दीफ के सुरक्षित मार्ग के लिए सहमत नहीं है। इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने साफ कहा कि इजराइली सेना सिनवार को उसके ठिकाने से खदेड़ देगी और उसे मार डालेगी।
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श्रीलंका के राजगुरु श्री सुबुथी मंदिर में अशोक स्तंभ के निर्माण की आधारशिला रखी गई

कोलंबो। श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त संतोष झा ने रविवार को श्रीलंका के वड्डुवा में राजगुरु श्री सुबुथी मंदिर में राजा अशोक के धर्म स्तंभ के निर्माण की आधारशिला रखी। “गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव का सुदृढीकरण! एचसी @santzha ने पवित्र राजगुरु श्री सुबुथी वास्काडुवा महा विहार में राजा अशोक के धर्म स्तंभ के निर्माण की आधारशिला रखी। उन्होंने मंदिर में पवित्र कपिलवस्तु अवशेषों पर भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की,” श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग के ‘एक्स’ पर आधिकारिक हैंडल के अनुसार।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, रविवार को मंदिर में एक आध्यात्मिक रूप से उन्नत समारोह हुआ, जहां देश का उद्घाटन अशोक स्तंभ रखा गया था। यह आयोजन भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण अवसर था। इस अवसर पर प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। झा के अलावा समारोह में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के महासचिव शरत्से खेंसूर जंगचुप चोएडेन रिनपोछे भी उपस्थित थे।
मंदिर के मुख्य पदाधिकारी, वास्काडुवे महिंदावांसा महा नायक थेरो ने इस कार्यक्रम में भाषण दिया, जिसने पवित्र कार्यक्रम के लिए माहौल तैयार किया। विज्ञप्ति के अनुसार, शिलान्यास समारोह के बाद, मेहमानों ने उस मंदिर का दौरा किया जहां पवित्र कपिलवस्तु अवशेष हैं और पारंपरिक अनुष्ठानों के माध्यम से आशीर्वाद प्राप्त किया।
अनुषासन के दौरान, वास्काडुवे थेरो ने बौद्ध शिक्षाओं को संरक्षित करने में राजा अशोक की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए, प्रामाणिक अवशेषों की ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन किया। अपने संबोधन में, श्रीलंका के उच्चायुक्त संतोष झा ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना करते हुए, भारत और श्रीलंका के बीच गहरे संबंधों के बारे में भावनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने बौद्ध संबंधों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर के उदार अनुदान पर प्रकाश डाला।
विज्ञप्ति के अनुसार, आईबीसी के महासचिव जंगचुप चोएडेन ने इस अवसर पर तिब्बती भाषा में आशीर्वाद दिया, जबकि डॉ. दामेंडा पोरगे ने राजा अशोक के प्रति आभार व्यक्त किया और बौद्ध धर्म में उनके योगदान के लिए श्रद्धांजलि के रूप में प्रत्येक प्रांत में नौ स्तंभ स्थापित करने का वचन दिया।
यह समारोह बौद्ध धर्म के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जिसके उभरते हुए स्तंभ दोनों देशों को साझा विरासत और आध्यात्मिक भक्ति से जोड़ने वाले पुल के रूप में काम करते हैं। यह आयोजन न केवल ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करता है बल्कि श्रीलंका में नव नियुक्त भारतीय उच्चायुक्त द्वारा भाग लिया गया पहला आधिकारिक समारोह भी है। (एएनआई)
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उद्घाटन से पहले अबु धाबी में BAPS मंदिर पहुंचे कई देशों के प्रतिनिधि

  • भूटान के राजदूत बोले- यह तीर्थभूमि
  • फरवरी में होगा मंदिर का उद्घाटन
अबु धाबी। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारतीय राजदूत संजय सुधीर ने अबु धाबी के बीएपीएस हिंदू मंदिर के उद्घाटन से पहले यहां दुनियाभर के कई राजनायिकों की मेजबानी की। सभी राजनायिक मंदिर की वस्तुकला, जटिल रूपांकनों और एकता के संदेशों को देखकर खुश हुए।
यूएई में भारतीय दूतावास की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जारी पोस्ट में कहा गया, बीएपीएस मंदिर के उद्घाटन में अब एक महीने से कम का समय शेष है। राजदूत संजय सुधीर ने मंदिर के विशोष दौरे पर दुनियाभर के राजनायिकों की मेजबानी की। वे सभी मंदिर की वस्तुकला और जटिल रूपांकनों को देखकर आश्चर्यचकित रह गए।
42 देशों के प्रतिनिधियों को निमंत्रण-
बीएपीएस हिंदू मंदिर की तरफ से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, भारतीय राजदूत संजय सुधीर ने 42 देशों के प्रतिनिधियों को निमंत्रण दिया था। इसमें अर्जेंटीना, अर्मेनिया, बहरीन, बांग्लादेश, बोस्निया, हर्जेगोविना, कनाडा, चैड, चिली, चेक गणराज्य, साइप्रस, डोमिनिकन गणराज्य, मिस्र, यूरोपीय संघ,फिजी, गाम्बिया, जर्मनी, घाना, आयरलैंड, इज़राइल, इटली, मोल्दोवा, मोंटेनेग्रो, नेपाल, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, नाइजीरिया, पनामा, फिलीपींस, पोलैंड, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, स्वीडन, सीरिया, थाईलैंड, यूएई, यूके, यूएस, जिम्बाब्वे और जाम्बिया के प्रतिनिधि शामिल थे। 
करीबन 60 गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत माला पहनाकर किया गया। इसके साथ ही उनकी उपस्थिति के महत्व को दर्शाते हुए उन्हें पवित्र धागा भी बांधा गया। भारतीय राजदूत संजय सुधीर ने एक छोटे से संबोधन के साथ अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा, 'यह असंभव जैसा लग रहा था, लेकिन सपना पूरा हो गया।' 
फरवरी में होगा मंदिर का उद्घाटन-
बीएपीएस हिंदू मंदिर प्रोजेक्ट के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहारीदास ने भारत और यूएई का आभार व्यक्त किया। यूएई में नेपाल के राजदूत तेज बहादूर छेत्री ने मंदिर को तीर्थभूमि बताया। उन्होंने आगे कहा, 'यह एक प्रेरणादायक इमारत है, जो हमें प्यार, सद्भाव और सहिष्णुता के बारे में बताता है। यह कुछ ऐसा है, जिसे हम अपने आने वाली पीढ़ियों को तोहफे के तौर पर दे सकते हैं। महंत स्वामी महाराज एक महान साधु हैं। उनसे ही लोगों को मंदिर बनाने की प्रेरणा मिली। यह एक बड़ी कामयाबी है।'
थाईलैंड के राजदूर सोरायुत चसोम्बत ने कहा, 'यूएई में यह अबतक का मेरा सबसे अच्छा अनुभव है। मैंने इस मंदिर के निर्माण से लेकर अब अंत देख रहा हूं। मैं यह कहना चाहता हूं कि यह सद्भाव का उदाहरण है। मैं भारत और यूएई का आभार व्यक्त करता हूं।'
विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों का यह दौरा यूएई के साथ अपने देश की सांस्कृतिक मेलजोल, शांति और राजनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए था। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महंत स्वामी महाराज 14 फरवरी को इस मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं। 
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इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी को 10 साल जेल की सजा

  • गोपनीय सूचना लीक करने के दोषी
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को गोपनीय सूचना लीक करने के मामले 10-10 साल जेल की सजा सुनाई गई है। दोनों को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत गठित की गई विशेष अदालत ने गोपनीय सूचना लीक करने का दोषी पाया। इमरान खान (71 वर्षीय) और शाह महमूद कुरैशी (67 वर्षीय) रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद हैं। जेल से ही इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी अदालत की सुनवाई में वर्चुअली शामिल हुए।
पीटीआई फैसले को देगी चुनौती-
इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। पीटीआई ने बयान जारी कर कहा है कि उनकी कानूनी टीम इस फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देगी। पार्टी ने आरोप लगाया कि इस मामले की सुनवाई के दौरान मीडिया या आम जनता को शामिल नहीं होने दिया गया और जल्दबाजी में फैसला सुनाया गया है। पीटीआई ने कहा कि मार्च-अप्रैल 2022 को जो हुआ, उसे कोई भी अदालती सुनवाई नहीं बदल सकती। इस मामले में कानून का मजाक उड़ाया गया है। पार्टी ने लोगों से 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव में 'हकीकी आजादी' के लिए वोट करने की अपील की।
क्या है गोपनीय दस्तावेज लीक करने का मामला-
पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के चीफ इमरान खान को एक जनसभा के दौरान गोपनीय कूटनीतिक दस्तावेज को सार्वजनिक करने का दोषी पाया गया। इमरान खान के प्रधानमंत्री पद पर रहने के दौरान यह घटना घटी थी। जिस दस्तावेज को सार्वजनिक किया गया, उसे अमेरिका स्थित पाकिस्तानी दूतावास द्वारा भेजा गया था। इमरान खान के पास से वह दस्तावेज कथित तौर पर बरामद नहीं हुआ है। इमरान खान ने गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक करते हुए आरोप लगाए थे कि अमेरिका के इशारे पर उनकी सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही है। इस घटना के कुछ समय बाद ही अप्रैल 2022 में इमरान खान की सरकार को अविश्वास मत के जरिए सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। इमरान खान के सत्ता से बाहर होने के बाद से उनके खिलाफ अब तक 150 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं।  
इमरान खान को उनके खिलाफ चल रहे दूसरे मामले में दोषी ठहराया गया है। इससे पहले तोशाखाना मामले में भी इमरान खान को बीती 5 अगस्त को दोषी ठहराया गया था। तोशाखाना मामले में इमरान खान को तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी। 
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भारतीय नौसेना ने 24 घंटे के अंदर दो जहाजों को लुटेरों से छुड़ाया

  • युद्धपोत भेजकर दिखाई ताकत
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने 28 और 29 जनवरी को महज 24 घंटे के अंदर अरब सागर में समुद्री लुटेरों द्वारा हाईजैकिंग की दो बड़ी कोशिशों को नाकाम किया है। रक्षा मामलों से जुड़े अफसरों के मुताबिक, भारतीय नौसैनिक युद्धपोत आईएनएस सुमित्रा ने रविवार को ईरान के जहाज एफवी ईमान को बचाने के बाद एक और अभियान में जहाज अल नईमी को सोमालियाई लुटेरों के शिकंजे से छुड़ाया। बताया गया है कि इस अभियान में भारत के मरीन कमांडोज ने भी हिस्सा लिया।
जानकारी के मुताबिक, यह घटना केरल के कोच्चि के तट से 800 मील दूर अरब सागर में हुई। लुटेरों ने यहां ईरान के झंडे वाले जहाज और उसमें सवार क्रू सदस्यों को बंधक बना लिया। इसके बाद भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोत आईएनएस सुमित्रा को भेजकर सभी को सुरक्षित निकाल लिया। अधिकारियों ने कहा कि जहाजों की सुरक्षा के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में हर जगह भारत की कड़ी निगरानी है।
भारतीय नौसेना ने एक बयान जारी कर कहा कि 29 जनवरी को उसने अल-नईमी को बचाने के लिए अभियान चलाया। इसमें सवार क्रू के सभी 19 सदस्य पाकिस्तानी नागरिक हैं। मरीन कमांडोज ने इस जहाज को घेरने के बाद ऑपरेशन भी चलाया और लुटेरों के शिप से भागने की पुष्टि की। साथ ही क्रू सदस्यों के हालचाल भी जाने।
28 जनवरी को भी समुद्री लुटेरों से छुड़ाया था जहाज-
हिंद महासागर को सुरक्षित बनाने के लिए लगातार सक्रिय भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अदन की खाड़ी के पास अगवा किए एक ईरानी पोत और 17 क्रू सदस्यों को सोमवार को लुटेरों के कब्जे से छुड़ा लिया था। नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, एंटी-पायरेसी अभियान के तहत अरब सागर में तैनात आईएनएस सुमित्रा ने ईरानी जहाज से मदद की गुहार मिलने पर तुरंत प्रतिक्रिया दी और अगवा किए गए जहाज को बचाया गया।
मधवाल ने बताया था कि सोमालिया के पूर्वी तट और अदन की खाड़ी के बीच समुद्री डकैती रोधी अभियानों पर तैनात आईएनएस सुमित्रा ने ईरानी झंडे के मछली पकड़ने वाले जहाज (एफवी) ईमान से मिले संकट संदेश का जवाब दिया। उसने अगवा किए गए जहाज को रोका और चालक दल के सभी 17 सदस्यों की सुरक्षित रिहाई के लिए समुद्री डाकुओं को मजबूर करने के लिए स्थापित एसओपी के मुताबिक कार्रवाई की। बाद में पूरे जहाज की तलाशी ली गई, ताकि कोई समुद्री लुटेरा जहाज में छिपा नहीं रहे। इसके बाद जहाज को आगे के लिए रवाना किया गया। कमांडर विवेक मधवाल ने कहा कि भारतीय नौसेना का यह प्रयत्न हिंद महासागर क्षेत्र को समुद्री डकैती मुक्त बनाने के भारत के संकल्प का प्रतीक है।
बढ़ रहा भारतीय नौसेना का कद-
हिंद महासागर में भारतीय नौसेना का कद और प्रासंगिकता बढ़ रही है। दो दिन पूर्व भारतीय नौसेना के युद्धपोत ने 22 भारतीय चालक दल वाले मार्शल आईलैंड के एक वाणिज्यिक तेल टैंकर में लगी आग को बुझाया था। यूएस सेंट्रल कमांड के मुताबिक, अदन की खाड़ी में एमवी मार्लिन लुआंडा जहैज पर ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने मिसाइल हमला किया गया था।
डेढ़ माह में कई बचाव अभियान-
भारतीय नौसेना ने 5 जनवरी को उत्तरी अरब सागर में लाइबेरियाई जहाज एमवी लीला नोरफोक के अपहरण के प्रयास को विफल कर सभी क्रू सदस्यों को सुरक्षित बचाया था।  23 दिसंबर को नौसेना ने भारत के पश्चिमी तट पर लाइबेरिया के झंडे वाला जहाज एमवी केम प्लूटो को ड्रोन हमले से बचाया था। नौसेना ने उत्तर, मध्य अरब सागर सहित सभी अहम समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए जहाजों-विमानों की तैनाती बढ़ा दी है।
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ईरान के विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी समकक्ष के साथ बातचीत की

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने सोमवार को इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय कार्यालय में अपने ईरानी समकक्ष होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से मुलाकात की, जहां दोनों नेता द्विपक्षीय बैठक करेंगे। दोनों देशों के बीच तनाव. एक्स को संबोधित करते हुए, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा, “विदेश मंत्री @ जलील जिलानी विदेश मंत्रालय में ईरानी विदेश मंत्री @amirabdolahian का स्वागत करते हैं। दोनों विदेश मंत्री द्विपक्षीय वार्ता और जुड़ाव को बढ़ाने और पाकिस्तान-ईरान को और मजबूत करने के लिए व्यापक वार्ता करेंगे।”
इससे पहले आज, दोनों देशों द्वारा हाल ही में शुरू किए गए जैसे को तैसा हमलों के बाद संबंधों में तनाव के बीच, ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन अपने पाकिस्तानी समकक्ष जलील अब्बास जिलानी के निमंत्रण पर इस्लामाबाद पहुंचे।
नूर खान एयरबेस पर पहुंचने पर, ईरानी विदेश मंत्री का अफगानिस्तान और पश्चिम एशिया के लिए पाकिस्तान के अतिरिक्त विदेश सचिव रहीम हयात कुरेशी ने स्वागत किया।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुमताज ज़हरा के अनुसार, “ईरान के विदेश मंत्री @अमीरबदोलाहियान विदेश मंत्री @जलीलजिलानी के निमंत्रण पर इस्लामाबाद पहुंचे हैं। अतिरिक्त विदेश सचिव (अफगानिस्तान और पश्चिम एशिया) @रहीमहयात ने नूर खान एयरबेस पर उनका स्वागत किया।” एक्स पर बलूच का आधिकारिक हैंडल।
बलूच ने कहा, “यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियन विदेश मंत्री जिलानी के साथ गहन बातचीत करेंगे और प्रधान मंत्री @anwaar_kakar से मुलाकात करेंगे।” 16 जनवरी को, तेहरान ने दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए।
18 जनवरी को पाकिस्तान ने जवाबी हमले में ईरान के अंदर हमले किए. एक बयान में, पाकिस्तानी सेना ने कहा कि ‘आतंकवादी आतंकवादी संगठन’, अर्थात् बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) को एक खुफिया-आधारित ऑपरेशन कोड-नाम “मार्ग बार सरमाचर” में सफलतापूर्वक मारा गया।
जियो न्यूज के अनुसार, जैसे को तैसा हमले हाल के वर्षों में सीमा पार से होने वाली सबसे बड़ी घुसपैठ थी और 7 अक्टूबर को इजराइल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से मध्य पूर्व में व्यापक अस्थिरता को लेकर चिंता बढ़ गई है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, हाल ही में, पाकिस्तान और ईरान स्थिति को कम करने और आतंकवाद-निरोध पर निकट समन्वय में काम करने पर सहमत हुए।
पाकिस्तानी मंत्री ने अपने ईरानी समकक्ष अब्दुल्लाहियन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की और दोनों देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर जोर दिया।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने आज ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से बात की। पाकिस्तान और ईरान के बीच घनिष्ठ भाईचारे के संबंधों को रेखांकित करते हुए, विदेश मंत्री ने ईरान के साथ काम करने की पाकिस्तान की इच्छा व्यक्त की।” आपसी विश्वास और सहयोग की भावना। विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान इस सहयोग को रेखांकित करना चाहिए।” (एएनआई)
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बाइडेन ने जॉर्डन में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत के लिए ईरान समर्थित गुटों को ठहराया जिम्मेदार

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ईरान समर्थित आतंकवादियों पर उस हमले के पीछे होने का आरोप लगाया है, जिसमें जॉर्डन में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए। मीडिया ने यह जानकारी दी।
रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी की रिपोर्ट के अनुसार, बाइडेन ने कहा कि सीरियाई सीमा के पास पूर्वोत्तर जॉर्डन में तैनात अमेरिकी बलों पर ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए और कई घायल हो गए। उन्होंने एक बयान में कहा- “हालांकि हम अभी भी इस हमले के तथ्य जुटा रहे हैं, हम जानते हैं कि इसे सीरिया और इराक में सक्रिय कट्टरपंथी ईरान समर्थित आतंकवादी समूहों द्वारा अंजाम दिया गया।”
बाइडेन ने 28 जनवरी को कहा, “हम आतंकवाद से लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाएंगे और इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम इसके लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराएंगे। रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि हमला 27 जनवरी की देर रात को हुआ था। उन्होंने घटना में घायल हुए लोगों की संख्या नहीं बताई, लेकिन एक अमेरिकी अधिकारी ने बाद में कहा कि कम से कम 34 कर्मियों को चोट लगा है।
बाइडेन के मुखर आलोचक, रिपब्लिकन सीनेटर टॉम कॉटन ने कहा, “इन हमलों का एकमात्र जवाब ईरान की आतंकवादी ताकतों के खिलाफ विनाशकारी सैन्य प्रतिशोध होना चाहिए। जॉर्डन ने एक सैन्य स्थल पर “आतंकवादी हमले” की निंदा करते हुए कहा कि वह अपनी सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अमेरिका के साथ सहयोग कर रहा है।
इससे पहले, अम्मान में एक सरकारी प्रवक्ता ने दावा किया था कि हमला जॉर्डन की धरती पर नहीं, बल्कि सीमा पार सीरिया में अमेरिकी अड्डे पर था। गौरतलब है कि जॉर्डन मध्य पूर्व में अमेरिका का करीबी सहयोगी है, पेंटागन ने वहां लगभग 3,000 सैनिकों को तैनात किया है। अमेरिकी सैनिक हाल के वर्षों में सीरिया में इस्लामिक स्टेट (आईएस) चरमपंथी समूह और अन्य से लड़ने में सक्रिय रहे हैं।
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ट्रंप ने अमेरिका-मेक्सिको सीमा समझौते की आलोचना की

वाशिंगटन डीसी। द हिल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका-मेक्सिको सीमा समझौते को “तबाही होने का इंतजार कर रही” करार दिया है।ट्रुथ सोशल पर शनिवार की सुबह एक पोस्ट में, ट्रम्प ने दक्षिणी सीमा को “दुनिया के इतिहास” में “सबसे खराब” कहा और आरोप लगाया कि अमेरिका एक और आतंकवादी हमले से पीड़ित हो सकता है। ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर लिखा: “सिर्फ 3 साल पहले, हमारे पास अमेरिकी इतिहास की सबसे मजबूत और सुरक्षित सीमा थी। आज, हम एक आपदा का इंतजार कर रहे हैं। यह दुनिया के इतिहास में सबसे खराब सीमा है, हमारे लिए एक खुला घाव है।” एक समय महान देश था।”
उन्होंने कहा, “दुनिया भर से बेरोकटोक आतंकवादी आ रहे हैं। अब 100 फीसदी संभावना है कि अमेरिका में बड़े आतंकी हमले होंगे। सीमा बंद करें!”द हिल के अनुसार, ट्रम्प ने कांग्रेस में रिपब्लिकन को अपना संदेश जारी रखा कि उन्हें दक्षिणी सीमा को संबोधित करने वाले द्विदलीय समझौते तक पहुंचने से बचना चाहिए।
ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर एक अन्य पोस्ट में लिखा, “एक ख़राब सीमा समझौता, बिना सीमा समझौते के कहीं अधिक बुरा है।”द हिल के अनुसार, यूक्रेन और अन्य देशों को सहायता देने और सीमा को संबोधित करने पर मौजूदा सीनेट वार्ता पर पूर्व राष्ट्रपति के रुख से सांसदों को किसी समझौते पर पहुंचने में परेशानी हो रही है। इसने दोनों पक्षों के सांसदों को भी परेशान कर दिया है क्योंकि वे रिपब्लिकन पार्टी पर पूर्व राष्ट्रपति के प्रभाव से निपट रहे हैं।
कांग्रेस में जिस समझौते पर बातचीत हो रही है, उसके तहत अगर किसी भी दिन लगभग 5,000 प्रवासी अवैध रूप से सीमा पार करते हैं तो अमेरिका को सीमा बंद करनी होगी। पिछले वर्ष कुछ एक दिवसीय कुल संख्या 10,000 से अधिक थी।सीएनएन के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन कठिन सीमा उपायों को अपना रहे हैं, जिसमें यूएस-मेक्सिको सीमा को बंद करना भी शामिल है, जो कार्यालय में उनके शुरुआती दिनों से एक बड़ा बदलाव है।बिडेन ने शरण बहाल करने और “मानवीय” तरीके से सीमा का प्रबंधन करने का वादा करते हुए पदभार ग्रहण किया। लेकिन उनके प्रशासन को पश्चिमी गोलार्ध में रिकॉर्ड प्रवासन के बीच अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर कठोर वास्तविकताओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ा है – जिससे यह रिपब्लिकन द्वारा जब्त की गई एक राजनीतिक भेद्यता बन गई है।
 
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