धर्म समाज

हनुमान जी प्रसन्न करने के लिए करें इस चालीसा का पाठ

आज 06 अप्रैल दिन गुरुवार को हनुमान जयंती है. इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और हनुमान जी भी जल्द प्रसन्न होते हैं. वहीं हिंदू धर्म में सुंदरकांड और रामचरित मानस का पाठ हनुमान जयंती के दिन अवश्य करना चाहिए. क्योंकि कलयुग में पवनपुत्र हनुमान ऐसे देवता हैं, जिन्हें आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है. इस दिन सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति के अंदर कई सकारात्मक बदलाव आते हैं. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि किस दिन से पाठ करना लाभदायक माना जाता है.
जानें किस दिन से पाठ करना लाभदायी होता है
पवनपुत्र हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए तुलसीदास द्वारा रचित सुंदरकांड का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा करने से व्यक्ति में जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती है. इस दिन नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए. इससे सकारात्मक शक्तियां अंदर आती हैं. अगर आप किसी फल की प्राप्ति करना चाहते हैं, तो सुंदरकांड का पाठ मंगलवार या फिर शनिवार के दिन अवश्य करना चाहिए. क्योंकि शनिवार और मंगलवार का दिन बजरंगबली के लिए सबसे खास माना जाता है. सुंदरकांड का पाठ करने के दौरान स्वच्छता का खास ख्याल रखना चाहिए. सबसे पहले हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें. फिर उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करें. सुंदरकांड का पाठ करने से पहले गणेश जी की वंदना जरूर करें.
हनुमान जी की करें आरती
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥
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ऑक्सीजोन गार्डन स्थित मंदिर में मनाया गया हनुमान जन्मोत्सव

रायपुर। रायपुर शहर के मध्य स्थित ऑक्सीजोन गार्डन स्थित श्री हनुमान मंदिर मे रायपुर वेलफेयर फाउंडेशन सोसायटी द्वारा गत वर्ष अक्षय तृतिया को श्री हनुमान चालीसा का पाठ प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को किया जाता है. आज श्री हनुमान जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर सभी सदस्यों द्वारा हर्ष और उल्लास के साथ श्री हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया गया. इस उपलक्ष्य मे प्रातः श्री हनुमान जी की पूजा-अर्चना, भोग, आरती और भजन किया गया.
आज के कार्यक्रम मे विशंभर अग्रवाल, रमेश अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल, रमेश बंसल, आनंद बेरीवाल, अजय अग्रवाल, सचिन जैन, सुभाष अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, सुरेन्द्र अग्रवाल, मनोज मित्तल, प्रकाश अग्रवाल, मुकेश जैन, प्रकाश पांचाल,प्रमोद गोलछा, दोषी, जेपी अग्रवाल, नरेंद्र गुप्ता एवं सभी सदस्यों की सक्रिय भागीदारी रही.
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भगवान बालाजी के दर्शन के लिए उमड़ रही भीड़

कांकेर. जिले के देवरी बालाजी गांव में सालों से भगवान बालाजी विराजमान हैं. हैरानी की बात ये है कि गांव वालों को इस चमत्कारी मंदिर के बारे में पता ही नहीं था. पिछले दिनों सिर्फ दो मंगलवार पूजा करने पर ही जब श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होने लगी तो अब दूर-दूर से श्रद्धालु बालाजी के दर्शन करने गांव पहुंच रहे हैं.
यूं तो दुनियां में हजारों प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं. सभी की अपनी अपनी अनोखी कहानियां भी हैं. ऐसा ही एक मंदिर कांकेर जिले के एक छोटे से गांव देवरी बालाजी में महानदी के किनारे स्थापित है. जिसकी कहानी भी बेहद अद्भुत है. मंदिर के नाम से ही गांव का नाम भी पड़ा है. लेकिन यहां के लोग अभी तक भगवान बालाजी की दिव्यता से अनजान थे. अब जब लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो रही है तो लोग यहां पहुंचकर अपनी अर्जी लगाकर मन्नतें मांग रहे हैं.
भगवान बालाजी यहां कब से विराजमान हैं. इसके बारे में किसी को पता ही नहीं था. पुजारी मनोहर नेताम बताते हैं कि उनके पूर्वज यहां आसपास स्थापित मूर्तियों की पूजा अर्चना किया करते थे. भगवान बालाजी पहले एक पेड़ के नीचे स्थापित थे. जिन्हें एक छोटे से मंदिर में स्थापित किया गया. भगवान बालाजी की मूर्ति भी अद्भुत और आश्चर्यचकित करने वाली है. यहां भगवान बालाजी के एक रूप नहीं बल्कि एक ही शिला में दो रूप आगे और पीछे बने हुए हैं. यह स्वयंभू है या इसका निर्माण किया गया है, इसकी जानकारी भी किसी को नहीं है. भगवान बालाजी के दर्शन आगे और पीछे दोनों ओर से किया जा सकता है. बालाजी के अलावा यहां भगवान जगन्नाथ, भगवान गणेश, भगवान शिव, नंदी भी स्थापित है.
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रायपुर के सालासर बालाजी धाम में 3 बजे होगा सुंदरकांड पाठ

रायपुर। प्रदेश भर में आज हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में प्रदेश की राजधानी रायपुर में स्थित सालासर बालाजी मंदिर में भी धूमधाम से हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। सालासर बालाजी धाम में 3 बजे सुंदरकांड पाठ होगा। इसके बाद शाम को कोलकाता के भजन गायक जय शंकर चौधरी का भजन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
बता दें कि, हनुमान जन्मोत्सव को देखते हुए पूरे मंदिर परिसर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है और सुबह से मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। सुबह की आरती से पहले दुग्धाभिषेक करने के बाद बालाजी का विशेष श्रृंगार किया गया। इसके बाद सवामनी का भोग चढ़ाया गया। मंदिर परिसर में सुबह से ही विशेष पूजा की जा रही है। दोपहर में होने वाले आयोजनों के बाद शाम को 6 बजे महाआरती होगी।
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बैतूल के इस प्राचीन हनुमान मंदिर में दूर-दूर से आते हैं भक्‍त

पीपल के पत्‍तों पर लगाते हैं अर्जी
बैतूल शहर के टिकारी क्षेत्र में 200 वर्ष से भी अधिक पुराने श्री हनुमान मंदिर में दूर-दूर से भक्‍त दर्शनों के लिए आते हैं। ऐसी मान्‍यता है कि यहां पीपल के पत्तों पर सिंदूर से लिखकर अपनी अर्जी लगाने से व्‍यक्‍ति की मनोकामना पूरी होती है और उसकी सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसी कारण से इसे सिद्ध हनुमान मंदिर के रूप में पूरे प्रदेश में पहचाना जाता है।
मंदिर में दक्षिणमुखी श्री हनुमान की प्रतिमा के दाहिने हाथ में संजीवनी पर्वत और बाएं हाथ में गदा है। श्री हनुमान की यह छबि उस समय की है, जब वे लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी बूटी लेने गए थे और पूरा पर्वत ही उठाकर ले आए थे। मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। मंगलवार और शनिवार को तो मंदिर में भक्तों की अपार भीड़ लग जाती है। हनुमान जयंती के पावन मौके पर यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।
मंदिर के पुजारी राधेश्याम सोनी ने बताया कि बजरंगबली की प्रतिमा जिस स्थान पर है, उसके ठीक सामने शमी का वर्षों पुराना पेड़ लगा हुआ है। मंदिर समिति के पदाधिकारी तरुण ठाकरे बताते हैं कि दक्षिणमुखी यह मंदिर विलक्षण है। जहां भगवान के दाहिने हाथ में संजीवनी पर्वत है। जब हनुमान जी संजीवनी लेने गए थे, तब पर्वत दाहिने हाथ में ही था। शमी के पेड़ जिसके बारे में मान्यता है कि द्वापर युग में महाभारत काल में पांडवों ने अपने अस्त्र और शस्त्र इसी शमी के पेड़ पर छिपा दिए थे। मान्यता है कि शमी के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है।
अर्जी लगाने बड़ी संख्‍या में पहुंचते हैं भक्त
बैतूल शहर के टिकारी क्षेत्र में दक्षिण मुखी सिद्ध हनुमान मंदिर का निर्माण अंग्रेजों के शासन के दौरान मालगुजार रहे साहबलाल पटेल के द्वारा कराया गया था। मंदिर में 4.5 फीट ऊंची श्री हनुमान की प्रतिमा की स्थापना के साथ एक बावड़ी भी बनाई गई थी। मंदिर में पीपल के पत्ते और भोजपत्र पर भक्तों के द्वारा सिंदूर से अपनी समस्या लिखकर श्री हनुमान के चरणों में अर्पित कर दी जाती हैं। भक्तों की ऐसी मान्यता है कि श्री हनुमान के दर से कोई भी कभी खाली हाथ नहीं जाता है। यही कारण है कि यहां पर असाध्य बीमारी, घरेलू परेशानी, आर्थिक समस्या लेकर बड़ी संख्या में दूर-दराज से भक्त पहुंचते हैं। मंदिर में नियमित माथा टेकने के लिए जाने वाले भक्त जीतेंद्र पेसवानी ने बताया कि दद्दा की कृपा जिस पर भी हो जाती है उसके सारे बिगड़े काम संवर जाते हैं और कोई बाधा ही नहीं आती है। वे हर मंगलवार और शनिवार को नियम से दद्दा के दरबार में हाजरी लगाने के लिए पहुंचते हैं। यहां पर आकर बेहद शांति मिलती है। कई लोगों की बीमारी भी यहां पर पूजा-पाठ करने से ठीक हो गई है।
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अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को, जानिए खरीदारी का सबसे शुभ मुहूर्त

तिथि और इसका महत्व
शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन जो शुभ कार्य किया जाता है। उसका अनंत फल प्राप्त होता है। इस दिन बिना पंचांग देख मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल अक्षय तृतीया पर कई शुभ योग बन रहे है। शास्त्रों में इस दिन सोना-चांदी खरीदना बहुत शुभ माना गया है। साथ ही मां लक्ष्मी के पूजन का भी इस दिन बहुत महत्व है।
बता दें हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल पड़ने वाली वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ही अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। आइए जानते है इस साल अक्षय तृतीया कब पड़ रही है और किस शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना शुभ रहेगा।
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया तिथि 22 अप्रैल, शनिवार को सुबह 7 बजकर 50 मिनट से आरंभ होगी और 23 तारीख को सुबह 7 बजकर 48 मिनट पर इसका समापन होगा। इसी तरह हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च होगा। साथ ही इस बास अक्षय तृतीया के दिन 7 शुभ योग बन रहे हैं, जिसमें से आयुष्मान योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग,कृतिका नक्षत्र शामिल हैं। कुल मिलाकर इस बार अक्षय तृतीया के दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है।
अक्षय तृतीया 2023 चौघड़िया मुहूर्त
22अप्रैल 2023 को सुबह का मुहूर्त (शुभ) - सुबह 07:49 - 09:04 तक।
22अप्रैल 2023 को दोपहर का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 12 बजकर 20 मिनट - 05 बजकर 13 मिनट तक।
22अप्रैल 2023 को शाम का मुहूर्त (लाभ) - 06 बजकर 51 मिनट - 08 बजकर 13 मिनट तक।
अक्षय तृतीया का महत्व
शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के शुभ दिन, सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृष राशि में होते हैं। इस दिन शुभ और मांगलिक कार्य करना बेहद शुभ माना गया है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि अक्षय तृतीया सौभाग्य और सफलता लाती है, इसलिए ही इस दिन ज्यादा से ज्यादा सोना और चांदी खरीदने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोना खरीदने से भविष्य में उसमें कई गुना बढ़ोतरी होती है।
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गाय की मूर्ति रखने से मिलते है ये लाभ

वास्तु या फेंगशुई के अनुसार घर में कई तरह की प्रतिमाएं रखी जाती हैं। उन मूर्तियों में से एक है गाय की मूर्ति। खासकर कामधेनु गाय की मूर्ति रखी जाती है। भारतीय संस्कृति में गाय को सिर्फ एक पशु न मानकर माता माना जाता है। घर में कामधेनु की प्रतिमा रखने से कई तरह के लाभ होते हैं। आओ जानते हैं कि क्या होंगे फायदे।
1. गाय बछड़े की मूर्ति- प्राचीनकाल में कामधेनु नामक एक गाय होती थी जो व्यक्ति की सभी तरह की कामना या मनोकामना पूर्ण कर देती थी। इस गाय को बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसे समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से एक माना जाता है। बहुत से घरों में बछड़े नंदिनी को दूध पिला रही कामधेनु गाय की पीतल की मूर्ति होती है।
2. फायदा-
- गाय की मूर्ति रखने से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।
- मानसिक शांति मिलती है।
- फेंगशुई में भी इसका महत्व बताया गया है।
- पढ़ाई में एकाग्रता के लिए भी इस मूर्ति को घर में स्थापित करते हैं।
- इस मूर्ति को घर में रखने से मनोकामना पूर्ण होती है।
- सौभाग्य, धन, सुख और समृद्धि बढ़ती है।
- माँ की तरह कामधेनु आपके घर से सभी बीमारियों को दूर रखती है।
- खराब स्वास्थ्य, मानसिक तनाव और आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा पाने में सहायक।
- इसमें त्रिदेवियों के गुण है और यह वैतरणी नदी एवं भवसागर को पार कराने वाली है।
- मूर्ति को घर की उत्तर, ईशान या पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए।
- घर के पूजाघर या प्रवेश द्वार पर उचित स्थान पर इसे स्थापित करें।
- चांदी, पीतल या तांबे की मूर्ति रखना चाहिए। प्रवेश द्वार पर रख रहे हैं तो संगमरमर की रखें।
- स्वास्थ्य, संपत्ति, समृद्धि, शांति, सफलता और सकारात्मकता के लिए कामधेनु गाय की मूर्ति रखते हैं।
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स्नायु रोग में फायदेमंद है रातरानी का पौधा

रातरानी के फूल को चांदनी के फूल भी कहते हैं। रातरानी के फूल मदमस्त खुशबू बिखेरते हैं। इसकी खुशबू बहुत दूर तक जाती है। इसके छोटे-छोटे फूल गुच्छे में आते हैं तथा रात में खिलते हैं और सवेरे सिकुड़ जाते हैं। जिसकी भी नाक में इसकी सुगंध जाती है, वह वहीं ठहर जाता है। यदि आपने इसे अने घर आंगन में लगा लिए तो होंगे 5 फायदे और जानें इसके 3 उपयोग।
1. रातरानी के फूल अपनी खुशबू बिखेरकर बहुत ही शांतिमय और खुशबूदार वातावरण निर्मित कर देते हैं।
2. रातरानी के आंगन या घर में लगे रहते हैं सभी तरह के वास्तुदोष दूर होता है।
3. रातरानी की सुगंध सूंघते रहने से हर तरह का मानसिक तनाव हट जाता है।
4. रातरानी की सुगंध सूंघते रहने से जीवन के सारे संताप मिट जाते हैं।
5. स्नायु रोग में रातरानी का पौधा और उसका फूल बहुत ही फायदेमंद रहता है।
6. रातरानी की सुगंध से सभी तरह की चिंता, भय, घबराहट, एंजायटी, थकान आदि में लाभ मिलता है।
7. रातरानी की सुगंध से मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है जिसके चलते आपकी सोच सकारात्मक होने लगती है।
रातरानी के फूलों के 3 उपयोग-
1. रातरानी के फूलों से महिलाएं गजरा बनाती हैं, जो बालों में लगाया जाता है। इसे लगाने से महिलाओं का मन हमेशा प्रफुल्लित और प्रसन्नचित रहता है।
2. रातरानी के फूलों का इत्र भी बनता है।
3. मानसिक तनाव को दूर करने और अच्छी सेहत के लिए अपने बैडरूम में और नहाने के दौरान रातरानी की सुगंध का उपयोग करना चाहिए।
4. रातरा‍नी के इत्र में स्नान करने या इसकी सुगंध सुगने से भी मस्तिष्क का दर्द चला जाता है। सुबह रातरानी के सुगंधित जल से स्नान कर लें। दिनभर बदन में ताजगी का एहसास रहेगा व पसीने की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलेगा।
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शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित है तो हनुमान जयंती पर करें ये काम

हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा. आपको बता दें कि कुंडली में शनि की महादशा(साढ़ेसाती और ढैय्या) से पीड़ित लोगों के लिए यह दिन बहुत ही शुभ माना गया है. मान्यतानुसार, बजरंगबली की पूजा, मंत्र जाप करने से शनि दोष में राहत मिलती है. कहते हैं कि जो भी व्यक्ति हनुमान जी की विधि विधान से पूजा करता है, उसे शनिदेव कभी परेशान नहीं करते हैं.
1- शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित व्यक्ति को हनुमान जयंती के दिन सुबह स्नान के बाद पंचमुखी हनुमान (Hanuman Jayanti 2023) की तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए और फिर श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से शनि दोष में राहत मिलती है.
2- हनुमान जयंती के दिन से लगातार 10 मंगलवार तक संकटमोचन को गुड़ और चने का भोग लगाने के साथ साथ साधक को हनुमानाष्टक का पाठ करना चाहिए, ऐसा करने से शनि की महादशा टल जाती है.
3- शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत पाने के लिए हनुमान जयंती के दिन सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए और इसके समापन के बाद बंदरों को फल खिलाने चाहिए, ऐसा करने से शनि देव आप से प्रसन्न होते हैं और आपको शनि दोष में राहत मिलती है.
4- इन उपायों के साथ साथ हनुमान जयंती के दिन भगवान हनुमान की विधि विधान से पूजा करने के बाद गुड़ चने का भोग लगाना चाहिए और फिर बंदरों को खिला देना चाहिए. ऐसा करने से भगवान बजरंगबली के साथ साथ शनि देव भी प्रसन्न होते हैं. जिसके फलस्वरूप आपको शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से काफी राहत मिल जाती है और आपके सभी रुके हुए काम बनने के साथ साथ हर क्षेत्र में आपको सफलता मिलना शुरु हो जाती है.
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हजारों भक्तों ने दुर्ग शहर के 151 मंदिरों से निकाली भव्य ध्वज यात्रा

भिलाई। शहर में भगवान श्री हनुमान जी की जन्मोत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है। हजारों की तादाद में पूरे प्रदेश भर से हनुमानजी के भक्त इस आयोजन में शामिल होने भिलाई आए हैं। सिर्फ यही नहीं प्रदेश के प्रत्येक जिले से आकर्षक और मनमोहक झांकियां और डीजे भी इस आयोजन में शामिल हुई है। सेक्टर 1 मां शारदा मंदिर सहित पूरे शहर के 151 मंदिरों से भव्य ध्वज यात्रा निकाली गई। जिसमें करीब हजारों भक्त शामिल हुए है। 
इस भव्य यात्रा में आंध्रपदेश की मां भरवा काली ग्रुप, ओढिशा की बालंगीर बैंड,महाराष्ट्र की जगदम्बा ढोल ताशा, राजनांदगांव की अघोरी ग्रुप, बस्तर के माडिया नाचा ग्रुप ने भव्य झांकी की प्रस्तुति दी। सभी ने अपने अपनी कला का प्रदर्शन किया। जो सभी के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। मंदिरों से भक्त ध्वज लेकर निकलेंगे और पूरे शहर का भ्रमण करते हुए सेक्टर 9 हनुमानजी के मंदिर पहुंचेंगे। जहाँ सबसे पहले भगवान श्री हनुमान जी की भव्य महा आरती की गई। हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। इसके बाद महाप्रसादी का वितरण कर। इस आयोजन में प्रमुख रूप से भिलाई के युवा विधायक देवेंद्र यादव भी शामिल हुए। हजारों भक्त एकसाथ हनुमान चालीसा का पाठ कर शहर के हर परिवार के सुख शांति समृद्धि और खुशहाली की कामना किये।
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भगवान महावीर के प्रमुख सिद्धांत के बारे में जानें...

मन जब रागी होता है तो वह वस्तुओं को, संसार को पकड़ता है। पर जब विरागी हो जाता है तो वह उन्हीं को छोड़ने लग जाता है। छोड़ना, आसक्ति से विरक्त होना नहीं है। भीतर से जिसको हम छोड़ रहे हैं, उससे हमारा संबंध छूटने के साथ उसकी ओर कोई आशा-तृष्णा हमारे अंदर बाकी न रहे। जो इनसे पार की बात करता है, राग और विराग दोनों जिसके लिए बीते दिन की बात हो जाएं। जिसने शीत और उष्ण को ही नहीं, सब प्रकार की अनुकूलताओं और प्रतिकूलताओं को सह लिया, जिसका जीवन समता, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, अचौर्य और सत्य से परिपूर्ण है। जो भी जीव ऐसा है, वह महावीर है।
नाथ वंश में जन्मे जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर का प्राथमिक धर्म मानवता था। संपूर्ण विश्व शांतिमय हो जाए, यदि हम महावीर के एक छोटे से सूत्र का ही सच्चे मन से पालन करने लगें कि-संसार के सभी छोटे-बड़े जीव हमारी ही तरह हैं, हमारी आत्मा का ही स्वरूप हैं। आचार्य तुलसी का कहना है कि व्यवहार जगत में जीने वाले के लिए विरोध, अवहेलना, अनादर या आक्रोश का भाव जाग जाए तो उससे क्षमा याचना करना और क्षमा देना मैत्री है, लेकिन व्यवहार के धरातल से ऊपर उठे हुए व्यक्ति की मैत्री किसी एक के प्रति नहीं होती। उसका आदर्श होता है-विश्व के समस्त प्राणियों के समत्व की अनुभूति। संसार के छूटने पर जो बचता है, वही सार है, असार का।
जो इस सार और असार का भेद जान जाता है, जो शत्रु, मित्र, अपना, पराया इन सब रेखाओं से पार चला जाता है, वही द्वंद्वातीत होकर महावीर बन जाता है। स्वयं में महावीर को समाविष्ट करने का एक ही सूत्र है -'मैं' का विसर्जन। 'मैं' ही शरीर का बोध है। शरीर वह सीमा है, जहां राग और विराग की सीमाएं आमने-सामने आकर खड़ी हो जाती हैं। मैं और मेरा का सतत संघर्ष चलता रहता है। जब यह बोध हो जाता है कि यह शरीर उस वृहद सिंधु की तरंग की एक बूंद है तो मन सागर हो जाता है। राग, विराग के किनारे डूब जाते हैं और वीतराग तत्व खिल उठता है। आत्मा से बना परमात्मा अकंप होता है, उसे रूप रिझाता नहीं, कुरूपता डराती नहीं। जीवन उसे बांधता नहीं, मृत्यु मुक्त नहीं करती।
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गुरुवार से कुछ राशियों के शुरु होंगे अच्छे दिन

6 अप्रैल से बनने जा रहा है ‘लक्ष्मी योग’
वैदिक ज्योतिष में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और उनकी युति का बड़ा महत्व होता है। इनकी स्थिति के कुछ खास योग बनते हैं, जो जातकों को लिए बहुत शुभ परिणाम लेकर आते हैं। ग्रहों के राशि परिवर्तन से ही कई शुभ और राजयोगकारी संयोग बनते हैं। इसी तरह का राजयोग 6 अप्रैल को भी बनने जा रहा है, जिसे लक्ष्मी योग कहते हैं। यह योग तब बनता है, जब नवम का स्वामी केंद्र में जाए और गुरु- शुक्र भी केंद्र में हों। इस हफ्ते गुरुवार को ये योग बनने जा रहा है और इसका प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर दिखेगा। लेकिन कुछ राशियों को विशेष लाभ मिलेगा। आईये आपको बतायें कि वो कौन की भाग्यशाली राशियां हैं, जिन्हें लक्ष्मी योग की वजह से धनलाभ के योग बन रहे हैं।
वृष राशि
इस राशि के जातकों को लक्ष्मी योग का फल मिलने के प्रबल योग हैं। आपके नवम का स्वामी, दशम स्थान में बैठा हुआ है। साथ ही 6 अप्रैल को आपकी राशि के स्वामी शुक्र भी लग्न भाव में आ जाएंंगे। इससे आपकी गोचर कुंडली में शश, मालव्य और लक्ष्मी योग बन रहे हैं। यह समय आपको लिए बहुत शुभ रहनेवाला है। आपको सभी तरह के भौतिक सुख और ऐश्वर्य के साधन मिलेंगे। आपके विवाह के योग भी बन रहे हैं और विवाह हो गया हो, तो जीवनसाथी का पूरा सहयोग मिलेगा। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और नौकरी में तरक्की होगी।
कन्या राशि
इस राशि के लिए भी लक्ष्मी योग शुभ साबित हो सकता है। आपके नवम स्थान के स्वामी शुक्र ग्रह हैं और वह 6 अप्रैल को गोचर करके नवम भाव में ही भ्रमण करेंगे। ये धन के भी स्वामी हैं। इसलिए इस समय आपको कई स्रोतों से धन की प्राप्ति हो सकती है। आपको प्रयासों का पूरा फल मिलेगा। कारोबारियों को उनके व्यवसाय में अच्छा मुनाफा होगा। नौकरीपेशा लोगों की तरक्की या वेतन-वृद्धि हो सकती है। फिल्म लाइन, कॉस्मेटिक, संगीत, कला, दूध, होटल, शराब आदि से जुड़े लोगों अच्छा धनलाभ हो सकता है।
मकर राशि
इस राशि के लिए बुध भाग्य स्थान का स्वामी है और केन्द्र में विराजमान है। 6 अप्रैल को शुक्र भी केन्द्र में आ जाएंगे। शुक्र आपकी राशि के लिए योगकारक ग्रह है, जो पंचम और दशम स्थान का स्वामी है। ऐसे में आपको रोजगार और मान-सम्मान के मामले में भाग्य का साथ मिलेगा और इनमें बढ़ोतरी होगी। हो सकता है कि नौकरी में आपके किसी काम से बॉस खुश हो और आपकी तारीफ करते हुए पदोन्नति दे दे। आपके लग्नेश, शनि देव भी आपकी राशि से धन भाव पर विराजमान हैं। ऐसे में धन लाभ के प्रबल योग हैं। कारोबारियों को भी अच्छे धनलाभ के संकेत हैं।
कुंभ राशि
आपकी गोचर कुंडली में भाग्येश शुक्र हैं, इसलिए इस समय आपकी गोचर कुंडली में मालव्य और केंद्र त्रिकोण राजयोग बनने जा रहा है। साथ भाग्येश के केंद्र में आने से लक्ष्मी योग बनेगा। इसलिए इस समय आप भाग्य से धन कमाएंगे। उच्च शिक्षा वालों को विदेश जाने का मौका मिल सकता है। अगर आपका व्यापार शराब, खनिज, पेट्रोल, लोहा, तेल से जुड़ा हुआ है तो आपको अच्छा धनलाभ हो सकता है।

डिसक्लेमर
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संत कंवरराम जयंती 13 को, रायपुर में मनाई जाएगी धूमधाम से

रायपुर। संत कंवरराम सेवा समिति के उपाध्यक्ष एवं संत कंवरराम नगर (कटोरा तालाब) युवा परिषद के अध्यक्ष प्रेम प्रकाश मध्यानी, महासचिव अजय वलेचा ने बताया कि संत कंवरराम सेवा समिति एवं संत कंवरराम नगर (कटोरा तालाब) युवा परिषद के द्वारा 13 अप्रैल को सुबह 11:00 बजे संत की 138वीं जयंती पर संत की प्रतिमा (संत कंवरराम चौक) पर पुष्पांजलि अर्पित कर माल्यार्पण किया जाएगा। इस दौरान 11:15 बजे को आरती पूजा अर्चना कर प्रसाद वितरण किया जाएगा।
एवं इस पावन उपलक्ष्य में समिति के मध्यानी एवं वलेचा ने शहर वासियों से अपील की है कि 13 अप्रैल को अपने घरो मे संत कंवरराम साहिब का नाम सिमरन एवं पूजा अवश्य करें। एवं अपने आसपास जरूरत मंद लोगो की मदद जरूर करें।
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रायपुर में निकली भगवान महावीर स्वामी की शोभायात्रा

भगवान महावीर स्वामी जन्मकल्याण महोत्सव
रायपुर। भगवान महावीर स्वामी के जन्मोत्सव पर श्री महावीर जन्मकल्याण महोत्सव समिति सकल जैन समाज की ओर से जैन दादाबाड़ी में पिछले कुछ दिनों से विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें समाज के सभी घटकों के लोगों ने भाग लेकर अपनी-अपनी प्रस्तुति दी। इसी कड़ी में सोमवार को श्री दिगम्बर जैन महिला मण्डल की महिलाओं ने वीर प्रभु का अवतरण नृत्य नाटिका की अद्भुत सजीव चित्रण प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की संयोजिका श्रद्धा योगेंद्र जैन (गुरुकृपा) ने बताया कि वीर प्रभु का अवतरण नृत्य नाटक में भगवान महावीर के जन्म से लेकर भगवान महावीर बनने की घटना का सजीव चित्रण नाटक के माध्यम से किया गया है। इसमें दिगम्बर जैन महिला मण्डल मालवीय रोड, टैगोर नगर, शंकर नगर की महिलाओं ने भाग लिया। इस प्रस्तुति को देखने के लिए सकल जैन समाज के धर्म प्रेमी बंधु विशाल जन समूह उमड़ पड़ा था।
इस कार्यक्रम में विशेष रूप सें सह सयोजिका लवली सुधाशु जैन, निधि जैन, चंचल जैन, श्रुति जैन, प्रियांशी जैन, संध्या जैन के अलावा समाज की अन्य महिलाएं भी उपस्थित थीं। 4 अप्रैल यानी मंगलवार को श्री दिगम्बर जैन मंदिर पंचायत ट्रस्ट (बड़े मंदिर) मालवीय रोड सें श्री भगवान महावीर स्वामी की विमान यात्रा (शोभायात्रा) का आयोजन सकल जैन समाज की ओर से किया गया है। इसमें सभी जैन समाज के धर्मप्रेमी बंधु पारम्परिक वेश भूषा में उपस्थित रहेंगे। यह यात्रा श्री दिगम्बर जैन मंदिर (बड़े मंदिर) मालवीय रोड से प्रारम्भ होकर महावीर स्तम्भ कोतवाली चौक से सादर बाजार, सत्तीबाजार, तात्यापारा चौक, बढ़ाईपारा, रामसागर पारा, राठौड़ चौक, गुरुनानक चौक होते हुए एमजी रोड जैन दादाबाड़ी में समाप्त होगी।
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तिरुमाला श्रीवारी सर्वदर्शन के लिए 30 घंटे का समय

तिरुमाला। तिरुमाला में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है. 21 डिब्बे अलग-अलग जगहों से आए श्रद्धालुओं से खचाखच भरे हुए थे। टीटीडी के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि जिन श्रद्धालुओं के पास टोकन नहीं है, उन्हें 30 घंटे के भीतर सर्वदर्शन मिल जाएगा।
कल 75,510 श्रद्धालुओं ने स्वामी के दर्शन किए और 36,272 ने तलणीला चढ़ाई। भक्तों द्वारा चढ़ाए गए उपहारों से हुंडी की आय रु। उन्होंने कहा कि 3.69 करोड़ रुपये मिले हैं। इस बीच, टीटीडी ने शनिवार से तिरुमाला के रास्ते पर दिव्यदर्शनम टोकन जारी करना फिर से शुरू कर दिया है। टीटीडी ने कोविड के मद्देनजर तीन साल के लिए दिव्यदर्शन टोकन जारी करना बंद कर दिया है।
हालांकि, भक्तों के अनुरोध के अनुसार, अलीपिरी वॉकवे पर गलीगोपुरम में 10 हजार और श्रीवरीमेट्टु पथ पर 1250 वीं सीढ़ी पर 5 हजार दिव्यदर्शन टोकन आवंटित कर रहे हैं, उन्होंने कहा। बताया गया है कि टोकन तभी जारी किया जाएगा जब श्रद्धालु सीधे अपने आधार कार्ड के साथ उपस्थित होंगे। TTD ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह कुछ दिनों के लिए प्रयोगात्मक आधार पर दिव्यदर्शन टोकन जारी करने की जांच करेगा।
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इन पौधों से घर में बनी रहती है धन समृद्धि

कनेर के पौधे को वास्तु शास्त्र में बहुत ही शुभ पौधा माना जाता है। इसके फूल बहुत ही सुंदर होते हैं। यह तीन रंगों में पाए जाते हैं। इस पौधे को उचित नक्षत्र और वार को घर के आंगन में लगाना चाहिए। उचित दिशा में लगाने से घर में धन समृद्धि बनी रहती है और आमदानी बढ़ती जाती है। जानिए इस पौधे की 10 खास बातें।
1. कनेर की तीन तरह की प्रजातियां होती हैं। एक सपेद कनेर, दूसरी लाल कनेर और तीसरी पीली कनेर। तीनों ही घर की सुंदरता बढ़ते हैं।
2. कनेर के पौधे को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। देवी लक्ष्मी को सफेद कनेर के फूल चढ़ाए जाते हैं। सफेद फूलों वाले कनेर का पेड़ मां लक्ष्मी को प्रिय है।
3. कनेर के पीले रंग के फूल भगवान विष्णु को प्रिय होते हैं। पीले फूलों वाले कनेर के पेड़ पर साक्षात विष्णु भगवान बसते हैं।
4. वास्तु शास्त्र के अनुसार कनेर का पौधा सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करके शुभकर्ता माना गया है।
5. कहते हैं कि जिस तरह कनेर का पेड़ पूरे साल फूलों से भरा रहता है उसी प्रकार इसे घर में लगाए जाने से पूरे साल घर में धन का आगमन रहता है।
6. कनेर का पौधा मन को शांत रखता है और वातावरण में सकारात्मकता लाता है।
7. सफेद कनेर के फूलों को मां लक्ष्मीजी की पूजा में रखा जाए तो माता प्रसन्न होकर जातक के घर ठहर जाती है।
8. कनेर के पीले फूलों से भगवान श्रीहरि की पूजा करने पर पारिवारिक खुशहाली आती है, धन संपत्ति बढ़ती है और मांगलिक काम में रुकावटें नहीं आती है।
9. कनेर की पत्तियां, फूल और छाल के कई औषधीय गुण होते हैं। इसके प्रयोग से घाव भरे जाते हैं, सिरदर्द, दंतपीड़ा और फोड़े-फुंसियों में भी यह बहुत फायदेमंद है।
10. कनेर का पौधा गार्डन की सुंदरता बढ़ाने के लिए भी लगाया जाता है। ध्‍यान रखें कि इस पौधे को कभी घर में नहीं लगाया जाता है।
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क्या होता है दरिद्र योग?

कैसे बनता है और जातक पर इसके क्या प्रभाव होते हैं?
मनुष्य की कुंडली में कई ऐसे शुभ योग होते हैं जो जीवन में सफलता, धन, यश और सुख समृद्धि प्रदान करते हैं। वहीं कुछ योग ऐसे भी होते हैं जो इंसान की असफलता, कमजोर भाग्य और आर्थिक असफलता के भी कारण बनते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इन्हें ही दरिद्र योग कहा जाता है। अगर किसी इंसान की कुंडली में दरिद्र योग बन जाए तो जीवनभर उसे बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों के बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं। दरिद्र योग को वैदिक ज्योतिष में एक अशुभ योग माना गया है। इसकी प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कुंडली में ग्यारहवें भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में दरिद्र योग बनता है। यह योग जातक को पेशे, प्रतिष्ठा, वित्त और कई अन्य समस्याओं से संबंधित समस्याओं से परेशान कर सकता है।
कब और कैसे बनता है दरिद्र योग?
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जब कोई  शुभ ग्रह किसी अशुभ ग्रह के संपर्क में आते हैं तो दरिद्र योग का निर्माण होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब देवगुरु बृहस्पति  छठे से लेकर बारहवें भाव में विराजित हों तो दरिद्र योग का निर्माण होता है। इसके अलावा जब शुभ योग केंद्र में हो और धन भाव में पाप ग्रह विराजित हो तब भी लोग दरिद्र योग का शिकार होते हैं। इसके साथ ही चंद्रमा से चौथे स्थान पर पाप ग्रह के होने से भी दरिद्र योग बनता है।
दरिद्र योग से बचने के उपाय
वैदिक ज्योतिषशास्त्र में दरिद्र योग से बचने के कुछ विशेष उपाय बताएं गए हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।  
दरिद्र योग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए अपने घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाना चाहिए। 
माता-पिता और जीवनसाथी का सदैव सम्मान करें। 
तीन धातु का छल्ला मध्यमा उंगली में या तीन धातु का कड़ा भी हाथ में धारण कर सकते हैं।
दरिद्र योग के लिए गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें। 
इसके अलावा दरिद्र योग के नाश के लिए गीता के 11 अध्याय का पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है। 
शनि से संबंधित दरिद्र योग है तो हर शनिवार को उपवास करें। 
108 बार शनि के महामंत्र का जाप करें। 
साथ ही किसी गरीब और जरूरतमंद को खाने की वस्तुएं दान करें।
 
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महावीर जयंती 4 अप्रैल को मनाई जाएगी

जैन समुदाय में महावीर जयंती का विशेष महत्व
महावीर जयंती देशभर में इस साल 4 अप्रैल को मनाई जाएगी। जैन समुदाय में महावीर जयंती का विशेष महत्व है। महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। महावीर स्वामी का जन्म ईसा पूर्व 599 वर्ष माना जाता है। महावीर स्वामी का बचपन का नाम वर्धमान था और उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला थी।
सत्य और अहिंसा की दिखाई राह
महावीर स्वामी ने हजारों साल पहले सत्य और अहिंसा को जो रास्ता दिखाया था, जो आज भी लोगों की मार्गदर्शन देती है। महावीर स्वामी ने हमेशा जीयो और जीने दो का संदेश दिया।
अनमोल वचन
- महावीर स्वामी ने कहा था कि किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है। ऐसे में शांति और आत्म नियंत्रण ही सबसे बड़ी अहिंसा है।
- महावीर स्वामी ने कहा था कि हर जीव स्वतंत्र है। कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता। भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व की प्राप्ति कर सकता है।
- हर आत्मा खुद में सर्वज्ञ और आनंदमय होती है। ऐसे में सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान ही अहिंसा है। सभी मनुष्य खुद के दोषों के कारण दुखी होते हैं और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न भी हो सकते हैं।
जानें क्या था पंचशील का सिद्धांत
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने दुनिया को जो पंचशील का सिद्धांत दिया था और आज भी मार्गदर्शक बना हुआ है। महावीर स्वामी ने पंचशील के सिद्धांत में अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य को मुख्य आधार माना था। महावीर स्वामी ने अहिंसा की जितनी सूक्ष्म व्याख्या की, वह अन्य कहीं दुर्लभ है।

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