धर्म समाज

रायपुर में श्रीमद् भागवत कथा 9 अप्रैल से

कथा कार्यक्रम इंडोर स्टेडियम में होगा
रायपुर। रायपुर में श्रीमद् भागवत कथा कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। आयोजकों ने बताया कि जीवन के मनोरथों को पूर्ण करने वाली कथा है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय संत रमेशभाई ओझा रायपुर आ रहे हैं। यही इस कार्यक्रम में कथा वाचन करेंगे। रमेशभाई ओझा को प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य अतिथि का दर्जा दिया है।
रायपुर शहर के महापौर ने इस आयोजन के लिए नि:शुल्क आयोजन स्थल की व्यवस्था दी है। ये कथा कार्यक्रम शहर के इंडोर स्टेडियम में आयोजित होगा। इस कार्यक्रम में शहर के समस्त गुजराती समाज (26 घटक) हिस्सा ले रहे हैं। श्रीमद् भागवत् कथा को सुनने देश प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से प्रतिदिन 5,000-6,000 भक्तों का जमावड़ा लगने वाला है। कथा स्थल-( संकल्प धाम) बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम बूढ़ापारा रायपुर छ ग है। कथा 9 अप्रैल से 15 अप्रैल प्रतिदिन दोपहर 3 से संध्या 7 तक होगी।
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शीतला माता मंदिर गोंदवारा में 116 ज्योति कलशों की स्थापना

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के संत कबीर दास वार्ड नंबर 3 स्थित आदिशक्ति जगत जननी मां शीतला माता मंदिर में ज्योति कलशों की स्थापना बड़े ही भक्ति भाव के साथ की गई है। नौ दिवसीय नवरात्र पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है और पूरे नौ दिवस तक अलग-अलग दिन माता रानी के नौ रूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं भक्तगण माता रानी से मनवांछित इच्छाओं की पूर्ति के लिए जवारे और कलश भी मंदिरों में स्थापित करवाते हैं। इस वर्ष शीतला माता मंदिर गोंदवारा में 116 ज्योति कलशों की स्थापना की गई है।
मंदिर के पुजारी रमेश ध्रुव ने बताया कि, प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी नवरात्र पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। 22 मार्च को 116 मनोकामना कलश स्थापित और जवारे बोए गए है। वहीं प्रतिदिन सुबह शाम आरती भी की जा रही है। उन्होंने बताया कि, यह मंदिर बहुत पुराना है। पहले मंदिर छोटा था, जिसके बाद भक्तों के सहयोग से इस मंदिर का जीर्णोद्धार कर नया मंदिर बनाया गया है। यहां विराजमान शीतला माता गोंदवारा ग्राम की कुलदेवी के नाम से प्रसिद्ध है।
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ज्वाला देवी की ज्वाला का रहस्य, हमेशा जलती रहती है दिव्य ज्वाला

51 शक्ति पीठ में से एक मां ज्वाली देवी से जुड़ा रहस्य आज तक कोई सुलझा नहीं पाया। मान्यता है कि यहां लगातार मां ज्वाली की ज्योत जलती रहती है। बिना घी तेल के यह ज्योत जलती है। तो आइए जानते हैं ज्वाली देवी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा और मान्यताएं क्या कहती हैं।
मां ज्वाला देवी मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक हैं। यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर भी शिव और शक्ति से जुड़ा है। जब भगवान विष्णु ने अपनी चक्र से देवी सती के शरीर को 51 भागों में बांट दिया। जो अंग जहां पर गिरा वहीं पर शक्तिपीठ बन गया। मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर माता सती की जीभ गिरी थी। इसलिए इसे ज्वाला जी के नाम से जाना जाता है। इसे जोता वाली और नगरकोट के नाम से भी जाना जाता है।
ज्वाला देवी का मंदिर में सदियों से जल रही है ज्योति
ज्वाला देवी मंदिर में सदियों से बिना तेल बाती के प्राकृतिक रूप से नौ ज्वालाएं जल रही हैं। नौ ज्वालाओं में प्रमुख ज्वाला जो चांदी के जाला के बीच में हैं उसे महालाकी कहते हैं। बाकी आठ, अन्नपूर्णा, चण्डी, हिंगलाज, विध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, और अंजी देवी ज्वाला मंदिर में निवास करती हैं।
ज्वाला देवी मंदिर की धार्मिक मान्यता
ज्वालादेवी मंदिर से संबंधित एक धार्मिक कथा के अनुसार, भक्त गोरखनाथ यहां माता की आराधना किया करते थे। वह माता के परम भक्त थे और पूरी सच्ची श्रद्धा के साथ उनकी उपासना करते थे। एक बार गोरखनाथ को भूख लगी और उसने माता से कहा कि आप आग जलाकर पानी गर्म करें, मैं भिक्षा मांगकर लाता हूं। माता ने आग जला ली। बहुत समय बीत गया लेकिन, गोरखनाथ भिक्षा लेने नहीं पहुंचे। कहा जाता है कि तभी से माता अग्नि जलाकर गोरखनाथ की प्रतीक्षा कर रही हैं। ऐसी मान्यता है कि सतयुग आने पर ही गोरखनाथ लौटकर आएंगे। तब तक यह ज्वाला इसी तरह जलती रहेगी।
मंदिर के पास ही गोरख डिब्बी
ज्वाला देवी शक्तिपीठ के पास माता ज्वाला के अलावा एक अन्य चमत्कार कुंड हैं जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। यहां कुंड के पास आकर आपको ऐसा लगेगा की कुंड की पानी बहुत गरम खौलता हुआ है। लेकिन, जब आप पानी का स्पर्श करेंगे तो आपको ऐसा प्रतीत होगा की कुंड का पानी ठंडा है।
अकबर ने भी की थी ज्वाला बुझाने की कोशिश
एक अन्य कथा के अनुसार, मुगल बादशाह अकबर ने ज्वाला देवी की शक्तिपीठ में लगातार जल रही ज्वाला को बुझाने का प्रयास किया था। लेकिन, वह कामयाब नहीं हो सका। उसने अपनी पूरी सेना बुलाकर ज्वाला की आग बुझाने का प्रयास किया लेकिन, कामयाब नहीं हुआ। जब अकबर को ज्वाला देवी की शक्ति का आभास हुआ तो उसने मां ज्वाला से क्षमा मांगते हुए देवी को सोने का क्षत्र चढ़ाया।
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5 साल बाद बना है रमजान पर ऐसा संयोग

रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस बार रोजे में बहुत ही शुभ संयोग बना है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, नौवें महीने को रमजान का महीना कहा जाता है। इस साल करीब 5 साल बाद रमजान के महीने में बहुत ही शुभ संयोग बना है। आइए विस्तार से जानते हैं रोजा रखने के नियम बाकी महत्वपूर्ण जानकारी।
पाक रमजान का महीना शुरू हो गया। आज से अल्लाह की इबादत में रोजेदार रोजे रख रहे हैं। अबकी बार 2018 के बाद ऐसा संयोग बना है कि रमजान के महीने में 5 जुमे होंगे। इस्लाम में जुम्मे का विशेष महत्व है, इस दिन रोजेदार खास नमाज अदा करते हैं। आइए जानते हैं रमजान में रोजे रखने के क्या नियम हैं और रमजान का महीना क्यों है इस्लाम में बेहद पाक।
इस्लामिक कैलेंडर में नौवें महीने को रमजान का महीना कहा जाता है। इस महीने को सबसे ज्यादा रहमत वाला महीना बताया गया है क्योंकि इस महीने में मांगी गई दुआएं अल्लाह जरूर कबूल करते हैं। इस महीने में रोजेदारों की फरियाद को अल्लाह खारिज नहीं करते हैं। इस महीने को पाक रमजान का महीना इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इसी महीने में ही पैगंबर मोहम्मद साहब को अल्लाह से कुरान की आयतें मिली थीं।
रमजान का महीना 30 दिनों का माना जाता है। इसमें पूरे महीने को 10-10 करके 3 भागों में यानी अशरों में बांटा गया है। पहले 10 दिन के रोजा को रहमत कहते हैं, दूसरे 10 दिनों के रोजा को बरकत और अंतिम 10 दिनों के रोजा को मगफिरत कहत हैं।
रोजेदार के लिए नियम
रोजा का मतलब व्रत है नियम है। रोजा रखने का मतलब केवल भूखे प्यासे रहना नहीं होता है। इसमें आत्मनियंत्रण और संयम का भी पालन करना होता है। मतलब रोजेदार को यानी जो रोजा रख रहे हैं उन्हें वाणी व्यवहार से संयमित रहना चाहिए। झूठ बोलना, धोखा देना, किसी की बुराई करना। गलत निगाहों से दूसरे को देखना या मन में गलत विचार लाना भी रोजेदार के लिए मनाही है। अगर ऐसा करते हैं तो यह रोजा नहीं केवल फाका करना हुआ। रोजा रखने वाले के लिए यह भी नियम है कि रोजे के दौरान पति-पत्नी को आपसी रिश्ते बनाने से बचना चाहिए।
रोजे में सूरज निकलने से पहले तक सहरी की अदायगी करनी होती है। यानी जो भी खाना हो वह सूर्योदय से पहले खा सकते, उसके बाद पूरे दिन पानी भी नहीं पी सकते हैं। शाम में सूरज डूबने के वक्त यानी मगरिब की अजान होने पर रोजेदारों को इफ्तार करना होता है। इसके साथ ही पूरे रमजान महीने में 5 वक्त का नमाज पढ़ना जरूरी होता है।
कुरआन और रोजे करहते हैं हिसाब के वक्त सिफारिश
रसूल सल्लल्लाहअलैहिवसल्लम ने कहा है कि, हिसाब के दिन रोजे ही अल्लाह से सिफारिश करते हैं, ए परवरदिगार मैंने इस बंदे को खाने, पीने और उसकी तमाम दूसरी चाहतों को दिन में रोक दिया था। आप इसके पक्ष में मेरी सिफारिश कबूल कर लीजिए। इसी तरह कुरआन भी अल्लाह से सिफारिश करता है कि, ए परवरदिगार मैंने इस बंदे को रात में सोने से रोक दिया था, अब आप इसके हक में मेरी सिफारिश को कबूल कर लीजिए। कुरान और रोजे के सिफारिश से बंदे को अल्लाह की रहमत मिल जाएगी।
रोजे से होगा जन्नत में दाखिला आसान
रसूल सल्लल्लाहअलैहिवसल्लम ने कहा है कि, जन्नत में आठ दरवाजे हैं, लेकिन उनमें से एक दरवाजा खासतौर पर रोजेदारों के लिए हैं। रोजेदारों से मतलब केवल भूखे प्यासे रहने वालों से नहीं है। रोजेदार से मतलब उन लोगों से है, जिन्होंने अपनी जिंदगी में रोजे अल्लाह का हुक्म मानते हुए रखा है, अपने को तमाम बुराइयों से बचाते हए सबसे ज्यादा रोजे रखे होंगे वह उस रास्ते से आसानी से जन्नत में दाखिला पा लेगा।
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माह-ए-रमजान की शुरुआत : पूर्व इमाम ने बताया रमजान का इतिहास

मायने और मकसद; सहरी के साथ पहला रोजा
गुरुवार शाम से माह-ए-रमजान शुरू होने के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिदों और अन्य स्थानों पर सुबह तरावीह की विशेष नमाज पढ़ी। शाम को जैसे ही लोगों को चांद दिखने की इत्तिला मिली, लोगों के चेहरों पर खुशी छा गई। बाजारों में भी रमजान से संबंधित जरूरी सामान की खरीदी शुरू कर दी। वहीं आज रमजान माह के पहले शुक्रवार पर सेहरी के साथ बच्चों ने भी रोजा रखा।
रमजान का इतिहास, मायने और मकसद
शाही जामा मस्जिद पड़ाना के पूर्व इमाम मौलाना मुफ्ती मोहम्मद शफीक फलाही साहब ने बताया कि इस्लामिक कैलेंडर में 9वां महीना रमजान का होता है। चांद के हिसाब से गिने जाने वाले इस कैलेंडर में 29 या 30 दिन होते हैं। इस हिसाब से हर साल करीब 10 दिन कम होकर अगला रमजान का महीना शुरू होता है। मसलन इस साल 23 मार्च को रोजे शुरू हुए तो 10 दिन कम होने पर 2022 में 13 मार्च से यह पवित्र महीना शुरू हो सकता है। इसी तरह हर साल 10 दिन का फर्क पड़ता है।
पवित्र महीने का इतिहास
मौलाना मुफ्ती मोहम्मद शफीक साहब ने बताया कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक सन 2 हिजरी यानि 1442 वर्ष पूर्व में अल्लाह के हुक्म से मुसलमानों पर रोजे फर्ज (जरूरी) किए गए। इसी महीने में शब-ए-कदर में अल्लाह ने कुरान जैसी नेमत दी। तब से मुस्लिम इस महीने में रोजे रखते आ रहे हैं।
रमजान का असली मकसद
रोजे रखने का मकसद अल्लाह में यकीन को और गहरा करना और इबादत का शौक पैदा करना है। साथ ही सभी तरह के गुनाहों और गलत कामों से तौबा की जाती है। इसके अलावा, नेकी का काम करने को प्रेरित करना, लोगों से हमदर्दी रखना और खुद पर नियंत्रण रखने का जज्बा पैदा करना भी इसका हिस्सा है। रोजा के दौरान भूखे-प्यासे रहने से दूसरे की भूख और प्यास का पता चलता है। बंदा दूसरों के लिए प्याऊ, भोजन वितरण जैसे मानवता के काम आगे आकर करता है।
दान के लिए प्रेरित करने के लिए भी है खास
मौलाना ने बताया कि सन 2 हिजरी में ही जकात (चैरिटी या दान) को भी जरूरी बताया गया है। इसके तहत, अगर किसी के पास साल भर उसकी जरूरत से अलग साढे 52 तोला चांदी या उसके बराबर का नगद या कीमती सामान है तो उसका ढाई फीसदी जकात यानी दान के रूप में गरीब या जरूरतमंद मुस्लिम को दिया जाता है। वहीं, ईद के दिन से ही फितरा (एक तरह का दान है) हर मुस्लिम को अदा करना होता है। इसमें 2 किलो 45 ग्राम गेहूं की कीमत तक की रकम गरीबों में दान की जाती है।
इनको है रोजे से छूट
अगर कोई बीमार हो या बीमारी बढ़ने का डर हो तो रोजे से छूट मिलती है। हालांकि, ऐसा डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। मुसाफिर को, गर्भवती महिला और बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को भी रोजे से छूट रहती है। बहुत ज्यादा बुजुर्ग शख्स को भी रोजे से छूट रहती है।
सहरी, इफ्तार और तरावीह
मौलाना ने बताया कि रमजान के दिनों में लोग तड़के उठकर सहरी करते हैं। सहरी खाने का वक्त सुबह सादिक (सूरज निकलने से करीब डेढ़ घंटे पहले का वक्त) होने से पहले का होता है। सहरी खाने के बाद रोजा शुरू हो जाता है। रोजेदार पूरे दिन कुछ भी खा और पी नहीं सकता। शाम को तय वक्त पर इफ्तार कर रोजा खोला जाता है। एहतियात के तौर पर सूरज डूबने के 3-4 मिनट बाद ही रोजा खोलना चाहिए।
फिर रात की ईशा की नमाज (करीब 9 बजे) के बाद तरावीह की नमाज अदा की जाती है। इस दौरान मस्जिदों में कुरान भी पढ़ा जाता है। ये सिलसिला पूरे महीने चलता है। महीने के अंत में 29 का चांद होने पर ईद मनाई जाती है। 29 का चांद नहीं दिखने पर 30 रोजे पूरे कर अगले दिन ईद का जश्न मनाया जाता है।
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इबादत के पवित्र माह रमजान की आमद

आज से लगभग 13 घंटे का होगा रोजा
स्लाम धर्म के पांच प्रमुख फर्ज में रोजा एक फर्ज है। जो माहे रमजान की आमद के साथ पूरा एक माह रखा जाता है, इबादत के महिना रमजान की आमद हो गई है। जिसका पहला रोजा 24 मार्च को रखा जाएगा। हाजी शोएब खान ने बताया कि रमजान के पवित्र माह में पांचो वक्त की नमाज के अलावा तराबी की विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है।
बताया कि इस्लाम धर्म के अनुसार रमजान महिने के पूरे रोजे रखना हर मुसलमान पर फर्ज है, रोजे का अर्थ होता है रूकना, परहेज करना और दूर रहना, क्योंकि रोजदार सुबह सूरज निकलने से पहले और सूरज डूबने तक खाने-पीने और दूसरी तमाम बुराईयों से परहेज करता है। यदि कोई रोजदार इस समय के दौरान कुछ खा ले, पी ले या दूसरी ख्वाहिश पूरी कर ले तो उसका रोजा टूट जाता है।
बता दें इसी पवित्र माह रमजान में अल्लाह की पवित्र किताब ‘‘कुरान’’ पैगंबर हजरत मोहम्मद पर उतारी गई। जिसमें पूरी दुनिया के लोगों की भलाई और बेहतरी तथा अमन, शांति का संदेश दिया गया। माहे रमजान के पूरे माह में कुछ खास तारीखें है, जिनको धर्मावलंबी और रोजदार, उन दिनों को बड़े ही अकीदत के साथ मनाते हैं। जिसमें माहे रमजान के पहले रोजे को गौसे आजम की यौमे पैदाईश है, इसी के साथ तीसरे, सत्रवें रोजे, इक्कीसवें रोजे एवं सत्ताईसवे रोजे का रमजान के महिने में विशेष महत्व है।
माहे रमजान की आमद को लेकर जिले के मुस्लिम धर्मावलंबियो को बेसब्री से इंतजार है और वह घड़ी निकट आ गई है। माहे रमजान को लेकर मस्जिदो को सजाया गया है और पूरे महिने की विशेष इबादत के लिए माकूल इंतजाम भी कर लिया गया है। इसी क्रम में जिले की सभी मस्जिदो में हाफिजे कुरान, तरावी के रूप में कुरान सुनाने के लिए तैयार है और यह सिलसिला पहले रोजे से सत्ताईसवें रोजे तक चलेगा। माहे रमजान में रोजदारों के लिए सेहरी और इफ्तारी का दौर प्रारंभ हो जायेगा। प्रातः निर्धारित समय पर सेहरी होगी और शाम में इफ्तार किया जाएगा। रजा एक्शन कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष ने जिले के मुस्लिम धर्मावलंबियों से कहा कि रोजा लगभग 13 घंटे का होगा। उन्होंने कहा कि जिसे देखते हुए रोजदार पूरे इत्मीनान, सुकुन और सब्र के साथ इबादत करें।
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नवरात्रि में फायदेमंद है उपवास, जानें वैज्ञानिक महत्व

चैत्र नवरात्रि का त्योहार ऐसे समय आता है, जब मौसम में बड़ा बदलाव होता है। मौसम में इस बदलाव के कारण कई नए तरह के बैक्टीरिया में पैदा होते हैं, जो हमारे लिए घातक होते हैं। मौसम में बदलाव के कारण हमारे शरीर की इम्युनिटी भी कमजोर पड़ जाती है और घातक बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार नहीं होती है। ऐसी परिस्थिति में चैत्र नवरात्रि के दौरान रखा गया उपवास शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करता है।
नवरात्रि में 9 दिन का उपवास
नवरात्रि के 9 दिनों उपवास करने से शरीर को सात्विक भोजन मिलता है। सात्विक भोजन शुद्ध और संतुलित माना जाता है। इससे शरीर में कोई विकार पैदा नहीं होता है। गरिष्ठ या तामसिक भोजन भले ही स्वादिष्ट होता है, लेकिन ऐसे भोजन को पचाने के लिए भी शरीर को ज्यादा ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। गरिष्ठ खाना खाने के बाद यही कारण है कि ज्यादा सुस्ती महसूस करने लगते हैं।
सात्विक भोजन देता है पाचन तंत्र को आराम
सात्विक भोजन पाचन तंत्र को आराम भी देता है और डिटॉक्सिफिकेशन में भी मदद करता है। नवरात्रि के दौरान उपवास रखने का वैज्ञानिक कारण शरीर को डिटॉक्सिफाई करना है। हफ्ते में एक बार हल्का भोजन करने से पेट की मांसपेशियों को आराम मिलता है।
व्रत में इन चीजों का करें सेवन
आयुर्वेद में कई चीजों को सात्विक भोजन बताया गया है। इसमें कुट्टू के आटे की रोटी का सेवन काफी फायदेमंद होता है। कुट्टू के आटे से बने खाद्य पदार्थ आसानी से डाइजेस्ट होते हैं और इसमें ग्लूटेन भी नहीं होता है।
इसके अलावा उपवास के दौरान फल, काजू-बादाम का सेवन कर सकते हैं। दही, दूध और छाछ का सेवन भी फायदेमंद होता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को नवरात्रि में व्रत नहीं रखना चाहिए क्योंकि उस समय महिलाएं अंदरूनी रूप से कमजोर होती है। उपवास के दौरान ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करना चाहिए।
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आज मां चंद्रघंटा की उपासना

हिन्दू पंचांग के अनुसार आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है, साथ ही आज चैत्र नवरात्रि पर्व का तीसरा दिन है। आज के दिन माता चंद्रघंटा की उपासना करने से साधकों को विशेष लाभ मिलता है और जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का चंद्र विभूषित है, जिस कारण से इन्हें चंद्रघंटा माता के नाम से जाना जाता है। माता सिंह की सवारी करती हैं और उनकी दस भुजाएं हैं। साथ ही आज इनका वर्ण स्वर्ण के समान तेजवान है। आज के दिन माता चंद्रघंटा की उपासना करने से और उनके प्रिय स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। 
मां चंद्रघंटा के इस स्वरूप की विशेष महिमा क्या है?
देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह है. इनकी दस भुजाएं और तीन आंखें हैं. आठ हाथों में खड्ग, बाण आदि दिव्य अस्त्र-शस्त्र हैं. दो हाथों से ये भक्तों को आशीष देती हैं. इनका संपूर्ण शरीर दिव्य आभामय है. इनके दर्शन से भक्तों का हर तरह से कल्याण होता है. माता भक्तों को सभी तरह के पापों से मुक्त करती हैं. इनकी पूजा से बल और यश में बढ़ोत्तरी होती है. स्वर में दिव्य अलौकिक मधुरता आती है. देवी की घंटे-सी प्रचंड ध्वनि से भयानक राक्षसों आदि भय खाते हैं. इस दिन गाय के दूध का प्रसाद चढ़ाने का विशेष विधान है. इससे हर तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है.
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1 अप्रैल को रखा जाएगा कामदा एकादशी व्रत

जानें मुहूर्त और पूजा विधि
हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने का विधान है। हालांकि हर एकादशी व्रत को भगवान विष्णु के निमित्त रखा जाता है और हर एकादशी का अपना अलग महत्व और कथा है। इसी तरह चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी कामदा एकादशी भी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं इस बार कब पड़ रही है कामदा एकादशी। क्या है मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
कामदा एकादशी 2023 तिथि
इस साल कामदा एकादशी का व्रत 1 अप्रैल 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा। एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु का विधि-विधान से पूजा व अभिषेक किया जाता है। इसके साथ ही श्री हरी के मंत्रों का जाप करने से भक्त को सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है।
कामदा एकादशी 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 01 अप्रैल 2023 को प्रात: 01 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 02 अप्रैल 2023 को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 1 अप्रैल 2023 को सुबह 07 बजकर 45 मिनट से 09 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
कामदा एकादशी की पूजा विधि
1. कामदा एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु को फल, फूल, दूध, तिल, पंचामृत अर्पित करना चाहिए।
2. कामदा एकादशी के दिन व्रत की कथा जरुर सुनना चाहिए, इससे पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है।
3. इसके अलावा एकादशी के दिन रात के समय भगवान विष्णु की आराधना करें और द्वादशी के दिन ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन कराएं और फिर अपने व्रत का पारण करें।

डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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नरहरपुर में मुख्यमंत्री सामूहिक कन्या विवाह का आयोजन 25 मार्च को

कांकेर। मुख्यमंत्री सामूहिक कन्या विवाह का आयोजन नरहरपुर के उन्मुक्त खेल मैदान में 25 मार्च को किया जाएगा, जिसमें चारामा, नरहरपुर और कांकेर विकासखण्ड के हितग्राही शामिल होंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संसदीय सचिव एवं स्थानीय विधायक शिशुपाल शोरी होंगे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सावित्री मंडावी, जिला पंचायत के अध्यक्ष हेमंत ध्रुव, उपाध्यक्ष हेमनारायण गजबल्ला, जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष सुभद्रा सलाम, बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बीरेश ठाकुर, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के सदस्य नरेश ठाकुर, छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नितिन पोटाई, छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के सदस्य नरेंद्र यादव एवं जनपद पंचायत नरहरपुर के अध्यक्ष संजूलता नेताम, नगर पंचायत अध्यक्ष प्यारी सलाम, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष संजूगोपाल साहू, नगर पंचायत उपाध्यक्ष दिनेश पटेल, महिला एवं बाल विकास विभाग के सभापति यमुनादेवी सिन्हा, जिला पंचायत के सदस्य हेमलाल मरकाम, तारा ठाकुर और अनिता उईके सहित समस्त जनपद सदस्यगण एवं विभिन्न पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे।
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रमजान में रोजा रखते समय न करें ये 5 गलतियां, बनी रहेगी सेहत

नई दिल्ली। इस्लामी कैलेंडर का नौंवा महीना माह-ए-रमजान के रूप में मनाया जाता है। रमजान के पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे 30 दिन तक रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं। इस दौरान रोजेदार पूरे दिन में सिर्फ दो बार सहरी और इफ्तारी के रूप में कुछ खाते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो इस दौरान रोजेदारों को अपने खाने-पीने से जुड़ी कुछ गलतियां बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। इन गलतियों का असर व्यक्ति की सेहत पर सीधा पड़ता है। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर कौन सी हैं वो गलतियां जिन्हें रमजान के दौरान रोजा रखते हुए करने से बचना चाहिए।
रोजा रखते समय भूलकर भी न करें डाइट से जुड़ी ये गलतियां
-रमजान में रोजा रखते समय कभी भी यह सोचकर ज्यादा न खाएं कि आपको पूरा दिन भूखा रहने पड़ेगा। हमेशा सहरी हो या इफ्तारी अपनी डाइट में हेल्दी चीजों को जगह दें। आपकी ज्यादा खाने की सोच आपकी सेहत खराब कर सकती है। 
-रमजान के दौरान अगर आप हृदय रोगी, डायबिटीज के मरीज या फिर ब्लडप्रेशर जैसी अन्य किसी रोग से पीड़ित हैं तो रोजे की वजह से अपनी दवा नहीं छोड़ें, ऐसा करने से आपकी सेहत खराब हो सकती है। 
-रात को सोने से एक घंटे पहले ही खाना-पीना बंद कर दें ताकि आपको रात को नींद अच्छी आ सके। 
-गर्मी में ज्यादा देर बाहर रहने से डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में रोजेदार को बाहर धूप में ज्यादा निकलने से बचना चाहिए। 
-सहरी से आधा घंटे पहले और आधे घंटे बाद पानी पीएं, ताकि शरीर में दिन भर पानी की कमी न हो सके। 
-एनीमिया रोगी और गर्भवती महिलाएं रोजा न रखें।
-रमजान के दौरान फ्राइड चीजों की जगह फाइबर युक्त फूड को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। ऐसा करने से आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगेगी और पेट भरा हुआ रहेगा।  
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क्या है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. इस बार चैत्र नवरात्रि का त्योहार 22 मार्च, बुधवार से प्रारंभ हो चुका है. आपको बता दें कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं. मान्यतानुसार, मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करने से आलस्य, अहंकार, लोभ, असत्य, स्वार्थ व ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृत्तियों से मुक्ति मिलती है. इस दिन विधि विधान से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से बुद्धि, विवेक व धैर्य में वृद्धि होती है.
मां ब्रह्मचारिणी को क्या चढ़ाना चाहिए?
मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल अत्यंत प्रिय माना गया है और पूजा के दौरान मां को ये फूल अर्पित करने से मां प्रसन्न होती हैं. मान्यता है कि मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है, इसलिए मां को भोग में चीनी और मिश्री और पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना गया है. इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी को दूध से बने व्यंजन अत्यधिक पसंद हैं, तो आप भोग में दूध से बने व्यंजन भी शामिल कर सकते हैं. आप इन चीजों का भोग लगाने के अलावा दान देकर भी मां को प्रसन्न कर सकते हैं.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
1- नवरात्रि के दूसरे दिन मां को प्रसन्न करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए.
2- घर के मंदीर में दीप प्रज्जवलित करना चाहिए
3- मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें.
4- अब मां दुर्गा को अर्घ्य देना चाहिए
5- मां ब्रह्मचारिणी को अक्षत, सिंदूर और लाल पुष्म अर्पित करने चाहिए और प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं.
6- धूप और दीपक प्रज्जवलित करने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करना शुभ होता है. इसके बाद आरती भी करनी चीहिए
7- मां को इस दिन सात्विक और मनपसंद चीजों का ही भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से माता प्रसन्न होती है और आपको आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू.
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा.. ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
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नवरात्रि के 9 दिनों के लिए हेल्दी व टेस्टी रेसिपीज

नवरात्रि व्रत में ज्यादातर घरों में फलाहारी आलू और साबूदाने की खिचड़ी ही बनाई-खाई जाती है क्योंकि ये मिनटों में तैयार हो जाती है लेकिन नौ दिनों तक सिर्फ इन्हीं दो चीज़ों को खाना बोरिंग हो सकता है, तो आज नवरात्रि के 9 दिनों के लिए अलग-अलग रेसिपीज़ लेकर आए हैं। जो टेस्टी होने के साथ हेल्दी भी हैं और सबसे अच्छी बात कि इन्हें बनाने में ज्यादा वक्त भी नहीं लगता। बिना और देर किए जान लेते हैं इन्हें बनाने का तरीका।
दूध में बाल आने पर कद्दूकस की हुई लौकी को डालें और दूध के आधा होने तक पकाएं, मिश्रण गाढ़ा हो जाएगा। अब इसमें चीनी, केसर, इलायची मिलाएं और 10 मिनट तक और पकाएं। इसे ठंडा कर हैंड मिक्सर से अच्छी तरह घोट लें। फिर इसमें सूखे मेवे मिलाएं और कुल्फी मोल्ड में डालकर जमा दें। 7-8 घंटे में कुल्फी जम जाती है। पैन में दो चम्मच तेल डालकर जीरा, अदरक, हरी मिर्च का मिश्रण डालें। फिर उबले आलू, नमक, लाल मिर्च पाउडर, नींबू का रस, गरम मसाला और शक्कर सब डालकर 6-7 मिनट भून लें।
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आज है चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन

चैत्र नवरात्रि का आज दूसरा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की श्रद्धा पूर्वक पूजा-भक्ति करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं और मां के निमित्त व्रत भी रखते हैं। सनातन शास्त्रों में मां की महिमा का वर्णन विस्तार पूर्वक किया गया है। आइए, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि जानते हैं-
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का विधान है। इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान’चक्र में स्थिर रहता है। मां के मुखमंडल पर कांतिमय आभा झलकती है, जो ममता का अलौकिक स्वरूप है। मां दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण की हैं। मां ब्रह्मचारिणी को विद्या की देवी कहा जाता है। साथ ही मां वैराग्य की प्रतिमूर्ति है। इसके लिए विद्यार्थियों को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा जरूर करनी चाहिए।
इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले मां को प्रणाम करें। फिर, गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। तत्पश्चात, नवीन वस्त्र धारण कर आमचन करें और व्रत संकल्प लें। इसके बाद मां की पूजा लाल रंग के फल और फूल, धूप-दीप, अक्षत, कुमकुम आदि से करें। दिनभर उपवास रखें। साधक चाहे तो दिन में एक बार जल और एक फल का सेवन कर सकते हैं। शाम में आरती करने के बाद फलाहार करें।
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चैत्र नवरात्र के पहले दिन देवी मंदिरों में भक्‍तों का तांता

महामाया मंदिर में महाजोत का होगा प्रज्वलन
रायपुर। हिन्दू नव संवत्सर 2080 की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि बुधवार से हुई। चैत्र नवरात्रि पर देवी मंदिरों में सुबह प्रतिमा का अभिषेक कर श्रृंगार किया गया। मंदिरों में घट पूजा की जा रही है। अभिजीत मुहूर्त में 11.30 बजे जोत प्रज्ज्वलित की जायेगी। पुरानी बस्ती के महामाया मंदिर के प्रधान पुजारी और बैगा के नेतृत्व में विधिवत पूजा-अर्चना की गई।
घट स्थापना के पश्चात महाजोत प्रज्वलित की जाएगी। इसके पश्चात श्रद्धालुओं की मनोकामना जोत प्रज्वलित होगी।सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा है। ज्यादातर देवी मंदिरों में दोपहर 11.36 से 12.24 के अभिजीत मुहूर्त में विधिवत मंत्रोच्चार के साथ ज्योत प्रज्वलन किया जाएगा।
24 घंटे खुला रहेगा मंदिर, तीन बार लगेगा महाभोग
महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला ने बताया कि नवरात्रि के दौरान अष्टमी तिथि तक 24 घंटे मंदिर खुला रहेगा। मंदिर में प्रतिदिन तीन बार माता को महाभोग अर्पित करके महाआरती की जाएगी। रात्रि में भजन गायक माता के गुणगान में जसगीत की प्रस्तुति देंगे।
महाजोत का प्रज्वलन
महामाया मंदिर में महाजोत से ज्योति लेकर हजारों श्रद्धालुओं की जोत प्रज्वलित की जाएगी। पुरानी बस्ती के महामाया मंदिर, शीतला मंदिर, ब्राह्मणपारा के कंकाली मंदिर, कुशालपुर के दंतेश्वरी मंदिर, आकाशवाणी तिराहा स्थित काली मंदिर, रावांभाठा के बंजारी मंदिर समेत 25 से अधिक देवी मंदिरों में जोत कलश सजाने का कार्य पूरा कर लिया गया है।
पंचक काल और नौका पर सवार होकर आ रही देवी दुर्गा, शुभ फलदायी
नवरात्र की पूर्व संध्या पर मंगलवार को पंचक काल प्रारंभ हुआ। पंचक काल को पूजा-अर्चना के लिए शुभ माना जाता है। बुधवार को शुरू हो रही चैत्र नवरात्र पर देवी दुर्गा का आगमन नौका पर और प्रस्थान हाथी पर हो रहा है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा का आगमन नौका पर हो तो इसे शुभदायी माना जाता है। देवी मां के भक्तों और राज्य, देश के लिए चैत्र नवरात्र शुभदायी रहेगी।
महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला के अनुसार देवी पुराण के श्लोक शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता अर्थात प्रतिपदा तिथि यदि सोमवार या रविवार को पढ़े तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर पधारतीं हैं। शनिवार-मंगलवार को माता का आगमन घोड़े पर और गुरुवार-शुक्रवार को डोली पर होता है। बुधवार को देवी मां नौका पर सवार होकर आती है।
सूर्याेदय तिथि का महत्व
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च को रात्रि 10.52 बजे से प्रारंभ हुई जो 22 मार्च की रात्रि 8.20 बजे तक रहेगी। चूंकि सूर्योदय पर पड़ने वाली तिथि को महत्व दिया जाता है, इसलिए प्रतिपदा तिथि 22 मार्च को मनाई जाएगी।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - सुबह 6.23 से 7.32 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11.05 से 12.35 बजे तक
अनेक योगों का संयोग
नवरात्र के दौरान अनेक योगों का संयोग बन रहा है। नवरात्र में चार सर्वार्थ सिद्धि, चार रवि योग, दो अमृत सिद्धि योग, बुद्धादित्य योग, गजकेसरी योग, द्वि-पुष्कर योग और गुरु पुष्य योग का संयोग शुभदायी है।
दुर्गा सप्तशती का करें पाठ
ज्योतिषाचार्य डा. दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार नवरात्र के नौ दिनों में दुर्गा सप्तशती पाठ करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक हैं। साथ ही देवी कवच, अर्गला स्त्रोतं, कीलक और सिद्ध कुंजिका स्तोत्रं का पाठ करना चाहिए।
राशि पाठ
मेष पहला अध्याय
वृषभ दूसरा अध्याय
मिथुन सातवां अध्याय
कर्क पांचवां अध्याय
सिंह तीसरा अध्याय
कन्या दसवां अध्याय
तुला छठा अध्याय
वृश्चिक आठवां अध्याय
धनु 11 वां अध्याय
मकर आठवां अध्याय
कुंभ चतुर्थ अध्याय
मीन नौवां अध्याय
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सर्व हिंदू समाज ने निकाली भव्य शोभायात्रा

बड़ी संख्या में शामिल हुए लोग
कटघोरा। चैत्र नवरात्र और हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2080 के आगमन की पूर्व संध्या कटघोरा कस्बे में सर्व हिंदू समाज ने भव्य शोभायात्रा निकाली. इसमें भगवा ध्वज और आकर्षक झांकियों के साथ बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. भजन कीर्तन करते हुए लोगों ने नगर भ्रमण किया. शोभायात्रा का समापन राधा सागर तालाब में 11 हजार दीपदान के साथ किया गया.
चैत्र नवरात्र पर्व की शुरुआत हिंदू नव वर्ष प्रतिपदा से हो रही है. इसके साथ कई सहयोग जुड़े हुए हैं, जिनका पौराणिक और धार्मिक महत्व है. प्रकृति परिवर्तन की बेला में मनाए जाने वाले हिंदू नव वर्ष को लेकर कटघोरा नगरीय क्षेत्र में काफी उत्साह देखा गया. सर्व हिंदू समाज ने इस अवसर पर उत्सव मनाते हुए अग्रसेन भवन से विशाल शोभायात्रा निकाली. इसमें केसरिया ध्वज के साथ बच्चों से लेकर मातृशक्ति और पुरुष शामिल हुए.
गाजे बाजे और झांकियों ने शोभायात्रा को विशेष आकर्षण प्रदान किया. बताया गया कि हिंदू नव वर्ष अपने आप में विशिष्ट है और इस पर हमें गर्व है. नगर में अनेक स्थानों पर सामाजिक संगठनों की ओर से शोभायात्रा का स्वागत सत्कार किया गया. सर्व हिंदू समाज के इस आयोजन को निर्विघ्न संपन्न करने के लिए पुलिस ने आवागमन को डायवर्ट करने के साथ जरूरी सुरक्षा व्यवस्था भी की.
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चैत्र नवरात्रि : बुढ़ी मां मंदिर में ज्योत प्रज्जवलित

रायपुर। राजधानी रायपुर के डॉ राजेंद्र नगर स्थित बुढ़ी मां का मंदिर लोगों की आस्था के अनुरूप जन सहयोग से सन 1971 में बनाया गया था। प्रतिवर्ष इस मंदिर में शारदीय एवं चैत्र नवरात्रि में ज्योत प्रज्जवलित की जाती है। नौ दिनों में माता की विशेष पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं
पहले दिवस माता शैलपुत्री की पूजा, इन्हें गाय का घी या उससे बने भोग लगाएं। इनकी पूजा से मूलाधार चक्र जागृत होगा और सभी सिद्धियां स्वत: प्राप्त होंगी। दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा, माता को शक्कर का भोग प्रिय है। इनकी पूजा से तप, त्याग, वैरागय, संयम व सदाचार की प्राप्ति होती है। तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा, माता को दूध का भाेग लगाएं। माता के इस रूप की पूजा से साधक को सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा, माता को मालपूआ का भाेग प्रिय है। पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा, माता को केले का भोग लगाना चाहिए। छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा, माता को शहद अति प्रिय है। इन्हें इसी का भाेग लगाए। सातवें दिन माता के कालरात्रि स्वरूप की पूजा, माता को गुड़ का भोग लगाया जाता है। इस स्वरूप के स्मरण से भूत, पिशाच व भय समाप्त हो जाते हैं। आठवें दिन माता महागौरी की पूजा, माता को हलवे-पूरी का भोग लगाया जाता है। नौवें दिन माता के सिद्धिदात्री रूप की पूजा, मां को खीर पसंद है।
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चैत्र नवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप, मां दुर्गा होंगी प्रसन्न

चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से आरंभ हो रही है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा की इन ये मंत्र जाप से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और जीवन में कल्याण करती हैं। इन मंत्रों के जाप से नवदुर्गा आपकी मनोकामनाओं को पूरी करेंगी। नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूजन होता है। ऐसे में हर दिन मां दुर्गा की आरधन करने के लिए दिन के अनुसार मंत्र जाप करने चाहिए। मां दुर्गा के ये नौ स्वरूप हैं मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां सिद्धिदात्री और मां महागौरी। देवी दुर्गा ने ये नौ स्वरुप अलग अलग उद्दश्यों की पूर्ति के लिए धारण किए थे। आइए जानते हैं किन मंत्रों के जाप से मां दुर्गा के 9 स्वरूपों को प्रसन्न किया जा सकता है।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:
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