धर्म समाज

"परिवर्तिनी एकादशी" के दिन इस कथा का करे पाठ

हिंदू धर्म में प्रत्येक एकादशी का एक महत्वपूर्ण अर्थ होता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार वामन और भगवान गणेश की पूजा करने की परंपरा है। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष का व्रत 14 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा, जब त्योहार नजदीक है। तो आइए आपको इस व्रत कथा (परिवर्तिनी एकादशी 2024 व्रत कथा) के बारे में बताते हैं। "भगवान!" युधिष्ठिर कहने लगे. भाद्रपद शुक्ल एकादशी को क्या कहते हैं? कृपया हमें उनकी विधि और उनके चमत्कारों के बारे में बताएं। तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा ध्यानपूर्वक सुनो मैं तुम्हें उत्तम वामन एकादशी का माहात्म्य बताता हूं जो समस्त पापों का नाश करने वाली है। इस पद्मा/परिवर्तिनी एकादशी को जयंती एकादशी भी कहा जाता है। यदि आप यह यज्ञ करेंगे तो आपको वाजपेय यज्ञ का फल मिलेगा। पापियों के पापों को दूर करने के लिए इससे बढ़कर कोई उपाय नहीं है। जो कोई इस एकादशी को मेरी (वामन) पूजा करेगा, उसकी तीनों लोकों में पूजा होगी। अत: जो कोई मुक्ति चाहता है उसे शीघ्र ही इससे मुक्ति प्राप्त कर लेनी चाहिए।
जो मनुष्य कृष्ण का कमल के फूल से पूजन करता है, वह निश्चय ही भगवान के समीप जाने वाला, भाद्रपद शुक्ल एकादशी का व्रत और पूजन करने वाला तथा ब्रह्मा और विष्णु सहित तीनों लोकों का पूजन करने वाला होता है। अत: हरिवासर अथवा एकादशी व्रत करना चाहिए। इस दिन को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है क्योंकि भगवान श्रीहरि इसकी अगुवाई करते हैं।
जब युधिष्ठिर ने मुरलीधर के वचन सुने तो बोले, "प्रभो!" आपने स्वप्न में स्वयं को किस प्रकार परिवर्तित किया, किस प्रकार आपने राजा बलि को बाँधकर बौने के रूप में रखा। चातुर्मास व्रत की विधि क्या है तथा शयन करते समय मनुष्य के क्या कर्तव्य होते हैं? कृपया इसे विस्तार से बताएं. तब श्रीकृष्ण ने कहा, हे राजन! आओ और ऐसी कथा सुनो जो समस्त पापों का नाश कर देगी। त्रेता युग में बलि नाम का एक राक्षस था। वह मेरे सबसे बड़े समर्थक थे. उसने नाना प्रकार के वेदों और ऋचाओं से मेरी पूजा की, ब्राह्मणों की पूजा की और दैनिक यज्ञों का आयोजन किया, परंतु इंद्र से द्वेष के कारण उसने इंद्रलोक और सभी देवताओं को परास्त कर दिया।
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स्कंद षष्ठी से लेकर राधा अस्टमी तक मनाएं जाएंगे ये त्योहार

  • जानिए...डेट और शुभ मुहूर्त
भाद्रपद माह में कई अहम व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनका सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है। आपको बता दें कि 9 सितंबर से 15 सितंबर तक पूरे सप्ताह कई पर्व पड़ने वाले हैं। इनमें स्कंद षष्ठी, राधा अस्टमी, महालक्ष्मी व्रत और परिवर्तिनी एकादमी मुख्य हैं। हम आपको इस आर्टिकल में इस सप्ताह के सभी पर्व की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में बताएंगे।
स्कंद षष्ठी 2024 शुभ मुहूर्त-
स्कंद षष्ठी का पर्व 9 सितंबर को पड़ने वाला है। 8 सितंबर को रात 7 बजकर 58 मिनट से इसकी शुरूआत होगी। 9 सितंबर को रात 9 बजकर 53 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा।
राधा अष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त-
11 सितंबर को राधा अष्टमी का पर्व मनेगा। 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर इसकी शुरूआत होगा, जिसका समापन 11 सितंबर को रात 11 बजनकर 46 मिनट पर होगा।
महालक्ष्मी व्रत 2024 डेट और शुभ मुहूर्त-
महालक्ष्मी व्रत को 11 सितंबर से मनाया जाएगा। इसकी शुरूआत 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट से होगी। 11 सितंबर को रात 11 बजकर 46 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा।
ज्येष्ठ गौरी विसर्जन कब है-
पंचांग की मानें तो भाद्रपद माह में 12 सितंबर को गौरी पूजा के समापन के बाद उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा।
परिवर्तिनी एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। यह तिथि 13 सितंबर रात 10:30 बजे शुरू होकर 14 सितंबर रात 08:41 बजे समाप्त होगी।
वामन जयंती 2024 शुभ मुहूर्त-
धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लिया था। ऐसे में भक्त वामन अवतरण दिवस मनाते हैं। यह 15 सितंबर को मनाई जाएगी।

डिसक्लेमर
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विश्वकर्मा जयंती 16 सितंबर को, जानिए...पूजन-विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 16 सितंबर को कन्या संक्रांति है। विश्वकर्मा जयंती 16 सितंबर को ही मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा पहले वास्तुकार और इंजीनियर हैं। इन्होंने ही स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, द्वारिका नगरी, यमपुरी, कुबेरपुरी आदि का निर्माण किया था। इस दिन विशेष तौर पर औजार, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों, मोटर गैराज, वर्कशॉप, लेथ यूनिट, कुटीर एवं लघु इकाईयों आदि में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।
विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त और पूजन विधि-
ब्रह्म मुहूर्त 04:33 ए एम से 05:20 ए एम प्रातः सन्ध्या 04:57 ए एम से 06:07 ए एम
अभिजित मुहूर्त 11:51 ए एम से 12:40 पी एम विजय मुहूर्त 02:19 पी एम से 03:08 पी एम
गोधूलि मुहूर्त 06:25 पी एम से 06:48 पी एम सायाह्न सन्ध्या 06:25 पी एम से 07:35 पी एम
अमृत काल 07:08 ए एम से 08:35 ए एम निशिता मुहूर्त 11:52 पी एम से 12:39 ए एम, सितम्बर 17
रवि योग 04:33 पी एम से 06:07 ए एम, सितम्बर 17
पूजा-विधि-
इस दिन अपने कामकाज में उपयोग में आने वाली मशीनों को साफ करें। फिर स्नान करके भगवान विष्णु के साथ विश्वकर्माजी की प्रतिमा की विधिवत पूजा करनी चाहिए। ऋतुफल, मिष्ठान्न, पंचमेवा, पंचामृत का भोग लगाएं। दीप-धूप आदि जलाकर दोनों देवताओं की आरती उतारें।
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कब से शुरू होगा पितृपक्ष, जानिए...तिथियां और श्राद्ध करने का समय

देवी-देवताओं के अलावा पितर भी हमारे जीवन के लिए, मंगलकार्यों के लिए बहुत जरूरी हैं। हमारे ये पूर्वज पितृ लोक में वास करते हैं और श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों के लिए वे धरती पर आते हैं। इसीलिए उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, अर्पण और दान देने की परंपरा है।
ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उन्हें मोक्ष मिलता है। वह हमें आशीर्वाद देकर जाते हैं। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास बताते हैं कि पितरों की कृपा नहीं हो, तो जातक की कुंडली में पितृ दोष लगता है। ऐसे लोगों का जीवन दुखों और परेशानियों से भर जाता है।
घर परिवार में सुख-शांति नहीं रहती है। आकस्मिक दुर्घटनाएं होती हैं। वैवाहिक जीवन में भी परेशानियां होने लगती हैं। लिहाजा, पितरों की शांति के लिए श्राद्धपक्ष के ये 15 दिन बहुत विशेष होते हैं।
17 सितंबर से शुरू हो रहे हैं पितृपक्ष-
इस बार पितृपक्ष में कुल 16 तिथियां रहेंगी। पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद की पूर्णिमा से होती है और ये अश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। इस बार 17 सितंबर 2024 से दो अक्टूबर 2024 तक पितृपक्ष रहेगा।
17 सितंबर- पूर्णिमा का श्राद्ध
18 सितंबर- प्रतिपदा का श्राद्ध
19 सितंबर- द्वितीय का श्राद्ध
20 सितंबर- तृतीया का श्राद्ध
21 सितंबर- चतुर्थी का श्राद्ध
21 सितंबर- महा भरणी श्राद्ध
22 सितंबर- पंचमी का श्राद्ध
23 सितंबर- षष्ठी का श्राद्ध
23 सितंबर- सप्तमी का श्राद्ध
24 सितंबर- अष्टमी का श्राद्ध
25 सितंबर- नवमी का श्राद्ध
26 सितंबर- दशमी का श्राद्ध
27 सितंबर- एकादशी का श्राद्ध
29 सितंबर- द्वादशी का श्राद्ध
29 सितंबर- माघ श्रद्धा
30 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध
1 अक्टूबर- चतुर्दशी का श्राद्ध
2 अक्टूबर- सर्वपितृ अमावस्या
जिन लोगों को अपने पितरों के निधन की तिथि ज्ञात नहीं हो, वो सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों के निमित्त श्राद्ध कर सकते हैं।
दोपहर में करना चाहिए तर्पण-अर्पण-
पंडित गिरीश व्यास बताते हैं कि देवी-देवताओं की पूजा-पाठ सुबह और शाम को की जाती है। पितरों के लिए दोपहर का समय होता है. दोपहर में करीब 12:00 बजे श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। सुबह नित्यकर्म और स्नान आदि के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए।
18 सितंबर को सुबह रहेगा चंद्रग्रहण-
18 सितंबर को भारतीय समयानुसार सुबह 6.11 मिनट से 10.17 मिनट तक चंद्रग्रहण रहेगा। इसका सूतक एक दिन पूर्व रात्रि 10:17 से प्रारंभ हो जाएगा। इस वर्ष प्रतिपदा का 18 सितंबर को क्षय होने से तथा पूर्णिमा प्रातः 8.03 मिनट तक होने से और मध्याह्न में प्रतिपदा तिथि होने से एकम का श्राद्ध 18 सितंबर को होगा।
श्राद्ध के दिन कौवे, चींटी, गाय, देव, कुत्ते और पंचबलि भोग देना चाहिए। इसके बाद यथा शक्ति-सामर्थ्य ब्राह्मणों को भोज और दान देना चाहिए। इस श्राद्ध में खिरान्न का विशेष महत्व है, जिसमें महामारी से लड़ने की शक्ति होती है। मलेरिया, टाइफाइट आदि से रोकथाम भी होती है। जो भी व्यक्ति इस महालय श्राद्ध को सही तरह से करता है, पितृ उसे पुत्र लाभ के साथ धन लाभ भी देते हैं।
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गणेश चतुर्थी के अवसर पर करे बप्पा की विशेष पूजा

हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन गणेश चतुर्थी को बहुत ही खास माना गया है जो कि गणपति साधना आराधना को समर्पित दिन होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पावन पर्व हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
आपको बता दें कि भाद्रपद माह में गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक भगवान गणेश की पूजा अर्चना का विधान होता है। भाद्रपद का महीना गणपति को समर्पित किया गया है। ऐसे में इस महीने भगवान की आराधना शुभ मानी गई हैं इस साल गणेश चतुर्थी का पावन पर्व 7 सितंबर दिन शनिवार यानी आज देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है।
इस दिन गणपति की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और व्रत रखा जाएगा। वही बप्पा की विदाई यानी गणेश विसर्जन 17 सितंबर दिन मंगलवार को अनंत चतुर्दशी के दिन हो जाएगा। ऐसे में गणेश चतुर्थी के मौके पर गणपति की कृपा पाने के लिए पूजा के समय संकटनाशन मंत्र का जाप भक्ति भाव से जरूर करें। मान्यता है कि इसका जाप करने से करियर कारोबार में सफलता हासिल होती है और बाधाएं दूर रहती हैं।
संकटनाशन मंत्र-
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायु:कामार्थसिद्धये ।।१ ।।
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।।
तृतीयं कृष्णपिङ्गगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।।२।।
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।।३ ।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।४ ।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ।।५ ।।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।६ ।।
जपेत् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।७ ।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ।।८ ।।
इति श्री नारदपुराणे संकटविनाशनं श्रीगणपतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।
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3 हजार बांस से भव्य गणेश पंडाल तैयार, आज विराजेंगे बप्पा

कोरबा. आज गणेश चतुर्थी है, जिसे गणपति जी के जन्मोत्सव के रूप में जाना जाता है. गणेश चतुर्थी के साथ ही 10 दिनों तक देशभर में गणपति उत्सव की धूम रहेगी. गणपति पंडाल भव्यता से सजाए जा रहे, जिसमें विघ्नहर्ता की भव्य प्रतिमा स्थापित होगी. कोरबा जिले के कटघोरा जय देवा गणेश उत्सव समिति ने पंडाल को वृंदावन के प्रसिद्ध प्रेम मंदिर का स्वरूप दिया है, जो क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
कटघोरा के इस पंडाल को पिछले एक महीने से कोलकाता से आए 20 कारीगरों ने 3000 बांस और थर्माकोल से बनाया है. इस पंडाल में भगवान गणेश की 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान होगा, जो पुणे के दगडूसेठ हलवाई के रूप में हैं. इसके अलावा रूद्र रूप में हनुमान जी और राधा रानी कृष्णा की प्रतिमा विराजमान होंगे.
गणेश उत्सव समिति के सदस्य संजय अग्रवाल ने बताया कि, थनौद के मूर्तिकार ने गणेश की प्रतिमा बनाई है. थनौद गांव के मिट्‌टी के गणेश की पांच राज्यों में मांग रहती है. भिलाई से 25 किमी दूर स्थित शिल्पग्राम थनौद की आबादी करीब तीन हजार है. पूरे गांव का मुख्य पेशा मिट्टी के गणेश बनाना है. यह काम पिछले पांच पीढ़ियों से जारी है. यहां मिट्टी के गणेश की डिमांड इस बार बढ़ी है. यहां के कलाकारों का कहना है कि कटघोरा का राजा पुणे के स्वरूप दगडूसेठ हलवाई का अंतिम रूप दिया गया है. यह मूर्ति छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी बनाई गई है.
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मुख्यमंत्री ने गणेश चतुर्थी पर प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएं

रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने गणेश चतुर्थी के अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में गणेश चतुर्थी का पर्व उत्साह से मनाया जाता है। इस दौरान गांव से लेकर शहर तक भगवान गणेश की आराधना पूरी श्रद्धा और धूमधाम से की जाती है। बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक सभी में आस्था और उत्साह का एक अनुपम संगम दिखाई देता है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी के द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों में एकता के भाव को जागृत करने के लिए सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरूआत की गई थी। देशभर में यह उत्सव अब सामाजिक समरसता का अनूठा उदाहरण बन गया है।
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सुमुख योग में विराजित होंगे विघ्नहर्ता श्रीगणेश

  • जानिए...सर्वाधिक फलदायी मुहूर्त
रायपुर। भक्तों के विघ्न को हरने वाले गणपति आज विराजित होंगे। प्रतिमा स्थापना के लिए सर्वाधिक शुभ और फलदायी मुहूर्त अपरान्ह का बताया जा रहा है। इतना ही नहीं इस दिन कई अद्भुत संयोग का निर्माण भी हो रहा है। इसमें रवि योग, ब्रह्म योग तथा सर्वार्थ सिद्धि योग शामिल है।
चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3:01 मिनट पर लग गई है। चतुर्थी तिथि 7 सितंबर को शाम 5:37 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि उदयातिथि मान्य होती है, इसलिए गणेश चतुर्थी आज मनाई जाएगी। भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था, इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। शनिवार को गणपति बप्पा की पूजा और स्थापना का सबसे अच्छा मुहूर्त सुबह 11:03 से दोपहर 1:34 तक है।
इस दौरान आप बप्पा की स्थापना घर में कर सकते हैं। इसके अलावा इसी दिन दोपहर 12:34 से लेकर अगले दिन सुबह 6:03 तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। रवि योग शुक्रवार सुबह 9:25 बजे से प्रारंभ हो चुका है, जो शनिवार को दोपहर 12:34 तक रहेगा। इसके अलावा शनिवार को 11:15 पर ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस शुभ योग का समापन रात 11 बजकर 17 मिनट पर होगा। इसके बाद इंद्र योग का संयोग बनेगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 11 बजकर 3 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 34 मिनट के बीच भगवान गणेश की स्थापना की जाएगी। निर्मित हो रहे योगों के साथ इस बार सुमुख योग भी बन रहा है। एक साथ बन रहे इन मंगलकारी शुभ योगों में भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही भगवान गणेश की कृपा साधक पर बरसेगी।
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गणेश चतुर्थी पर करें गणेश चालीसा का पाठ

  • साथ ही पढ़ें बप्पा से जुड़े मंत्र और गणेश आरती
गणपति बप्पा के स्वागत की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस बार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 06 सितंबर 2024 को दोपहर 03:01 बजे से होगी और समापन 07 सितंबर को शाम 05:37 मिनट पर होगा।
घर-घर और शहर-शहर गणेशजी की स्थापना होगी। 10 दिन तक सुबह-शाम बप्पा की विशेष पूजा और आरती होगी। यहां हम आपको गणेश जी से जुड़े मंत्र और आरती-चालीसा बता रहे हैं। पूजा या आरती के दौरान इनका पाठ विशेष फल प्रदान करता है।
दोहा-
जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
चौपाई-
जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जय गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।
गौरी ललन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।
मूषक वाहन सोहत द्घारे॥
कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी।
अति शुचि पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा॥
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण, यहि काला॥
गणनायक, गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम, रुप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रुप है।
पलना पर बालक स्वरुप है॥
बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आये शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो।
उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि, मन सकुचाई।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कहाऊ॥
पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा।
बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
गिरिजा गिरीं विकल हुए धरणी।
सो दुख दशा गयो नहीं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा।
शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
काटि चक्र सो गज शिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण, मंत्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वन दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई।
रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै।
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥
श्री गणेश यह चालीसा।
पाठ करै कर ध्यान॥
नित नव मंगल गृह बसै।
लहे जगत सन्मान॥
दोहा-
सम्वत अपन सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश॥
गणेशजी की आरती-
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
भगवान गणेश की जय, पार्वती के लल्ला की जय।
गणेश जी के बीज मंत्र-
ओम गं गणपतये नमः
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं। नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः। प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
एकदंताय विद्‍महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।

 

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आज के दिन जरूर पढ़ें "हरतालिका तीज व्रत कथा"

इस बार हरतालिका तीज का व्रत आज 6 सितंबर शुक्रवार को रखा जाएगा. यह व्रत भी हरियाली तीज की तरह ही रखा जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए, माता पार्वती ने सबसे पहले इस व्रत को रखा था. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से ही भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए थे और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. इस व्रत का पूर्ण फल पाने के लिए पूजा के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. इस व्रत कथा के बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है और इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है.
हरतालिका तीज व्रत कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती ने पार्वती के रूप में हिमालय राज के घर जन्म लिया. माता पार्वती बचपन से ही भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थी. इसके लिए उन्होंने हिमालय पर्वत के गंगा तट पर बचपन से ही कठोर तपस्या करनी शुरू की दी थी. इस कठोर तपस्या में माता पार्वती ने अन्न और जल का भी त्याग कर दिया था. वे भोजन के लिए मात्र सूखे पत्ते खाया करती थीं. अपनी पुत्री को इस अवस्था में देखकर उनके माता-पिता बहुत दुखी थे.
एक दिन देवऋषि नारद पार्वती जी के विवाह के लिए भगवान विष्णु का प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास आए. माता पार्वती के माता पिता को देवऋषि नारद का यह प्रस्ताव बहुत पसंद आया. इस प्रस्ताव के बारे में उन्होंने अपनी पुत्री पार्वती को सुनाया. माता पार्वती इस बात से बहुत दुखी हुईं, क्योंकि वे मन ही मन में भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं. माता पार्वती ने भगवान विष्णु से विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.
माता पार्वती ने अपनी सखियों को अपनी समस्या बताई और कहा कि वे सिर्फ भोलेनाथ को मन ही मन अपना पति मान चुकी हैं और सिर्फ उन्हें ही पति के रूप में स्वीकार करेंगी. यह सुनकर उनकी सखियों ने उनको वन में जाकर छिपने और तपस्या करने की सलाह दी. तब माता पार्वती घने वन में जाकर एक गुफा में भगवान शिव की तपस्या करने लगीं. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनाया और पूरे विधि विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना की और रातभर जागरण किया. पार्वती जी के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया.
जिस तरह कठोर तपस्या कर के माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया, उसी तरह से हरतालिका तीज का व्रत करने वाली सभी महिलाओं का सुहाग अखंड बना रहें और उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहें. मान्यता है कि जो कोई भी कन्या इस व्रत को पूरे विधि-विधान और श्रद्धापूर्वक करती है, उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती से अखंड सुहाग की प्रार्थना करनी चाहिए.
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गणपति लाने से पहले ध्यान रखें ये प्रमुख बातें...

विनायक चतुर्थी, विनायक चविथि या विनयगर चतुर्थी सहित कई नामों से लोकप्रिय गणेश चतुर्थी इस साल 7 सितंबर को मनाई जाएगी। गणेश उत्सव, हाथी भगवान के जन्म का प्रतीक है, यह 10 दिवसीय त्योहार है जिसे देश भर के भक्त बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। भगवान कृष्ण से जुड़े इस त्योहार को मनाने के लिए भक्त अपने घर में भगवान गणेश की मूर्ति लाते हैं। इस त्योहार का भव्य आयोजन खास तौर पर महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और मुंबई, पुणे और हैदराबाद जैसे शहरों में होता है। दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव की शुरुआत करने से पहले, घर में गणपति को लाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
अपने घर को साफ करें- भगवान गणेश की मूर्ति लाने से पहले शुद्ध और स्वच्छ वातावरण बनाने के लिए पूरी तरह से सफाई करें।
सही स्थान चुनें: भगवान गणेश की मूर्ति को अपने घर के उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में रखना चाहिए जिसे शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह विशेष स्थान सकारात्मकता और समृद्धि लाता है। मूर्ति स्थापित करने से पहले उस जगह को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए।
मूर्ति स्थापित करें- मूर्ति को किसी ऊँची जगह पर रखना चाहिए, जैसे कि लकड़ी की चौकी या टेबल जो साफ होनी चाहिए। इस जगह को पीले कपड़े से ढंकना चाहिए, जिसे पवित्र माना जाता है।
मूर्ति रखने वाले स्थान को सजाना- मूर्ति के आस-पास की जगह को दीवारों पर स्वास्तिक या ओम स्टिकर, प्रवेश द्वार पर रंगोली, फूलों की सजावट और तोरण जैसी चीज़ों से सजाएँ। ये सजावट उत्सव के माहौल को बढ़ाती हैं और दिव्यता की भावना को आमंत्रित करती हैं।
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"हरतालिका तीज" पर सुहागिन महिलाएं आज इस मुहूर्त में करें तीज पूजा

सनातन धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन हरतालिका तीज को बहुत ही खास माना गया है जो कि शादीशुदा महिलाओं द्वारा किया जाता है मान्यता है कि इस दिन व्रत पूजा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है।
यह व्रत शादीशुदा महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए बहुत ही खास माना जाता है इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास करती है। ऐसा करने से पति की आयु में वृद्धि होती है साथ ही दांपत्य जीवन भी सुखी रहता है इस साल हरतालिका तीज का पर्व आज यानी 6 सितंबर दिन शुक्रवार को मनाया जा रहा है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हरतालिका तीज पर जानें पूजा का शुभ समय-
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 5 सितंबर दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से हो चुका है और इसका समापन 6 सितंबर दिन शुक्रवार को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर हो जाएगा। वही उदया तिथि के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को किया जाएगा।
इस दिन पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 30 मिनट से लेकर 5 बजकर 16 मिनट तक है इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक है इसके साथ ही पूजा का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 2 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक प्राप्त हो रहा है।
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7 सितंबर को वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसे करें गणेश जी की मूर्ति की स्थापना

Ganesh Chaturthi 2024 : इस साल सात सितंबर को गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 7 सितंबर को संध्याकाल 5 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना की जाती है। प्रदोष काल और निशा काल में होने वाली पूजा को छोड़कर सभी व्रत-त्योहार के लिए उदया तिथि से गणना की जाती है। इसलिए गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को ही मनाई जाएगी।
गणेश जी की प्रतिमा की होती है स्थापना-
गणेश प्रतिमा स्थापना के समय तक व्रत-उपवास रखा जाता है। गणेश चतुर्थी और गणेश उत्सव का पर्व जिले में भी धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है।
इस तरह स्थापित करें गणेश प्रतिमा-
वास्तुशास्त्र के अनुसार भगवान गणेश की मूर्ति को घर के ईशान कोण अर्थात् उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित
करना चाहिए। यदि ईशान कोण में रिक्त स्थान उपलब्ध ना हो तो मूर्ति को पूर्व, पश्चिम या उत्तर दिशा में भी स्थापित कर सकते हैं।
पूजा-विधि-
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
इस दिन गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना की जाती है।
गणपित भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें।
गणपति की प्रतिमा की स्थापना करें।
संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें।
भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं।
भगवान गणेश का ध्यान करें।
गणेश जी को भोग भी लगाएं। आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं।
भगवान गणेश की आरती जरूर करें।
पूजा सामग्री लिस्ट-
भगवान गणेश की प्रतिमा, लाल कपड़ा, दूर्वा, जनेऊ, कलश, नारियल, पंचामृत, पंचमेवा, गंगाजल, रोली, मौली लाल।
पूजा के समय ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें। प्रसाद के रूप में मोदक और लड्डू वितरित करें।
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हरतालिका तीज पर कुंवारी कन्याओं के लिए क्या हैं व्रत के नियम

हिन्दू धर्म में हरतालिका तीज कुवांरी लड़कियों के लिए बहुत महत्व रखता है. इस दिन कुवांरी कन्याएं जीवन में मनचाहा वर प्राप्त करने की कमाना से व्रत रखती हैं. हरतालिका तीज पर कुवांरी लड़कियों के लिए विवाहित महिलाओं से व्रत के नियम अलग है.क्योंकि इसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. लेकिन इस उपवास को अविवाहित लड़कियां भी रखती हैं,
माना जाता है कि इस व्रत को करने से लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है. हालांकि कुंवारी कन्याओं के व्रत के नियम अलग होते हैं, उन्हें निर्जला उपवास रखने की जरूरत नहीं हैं, वो पानी पीकर और फलाहार खाकर अपना व्रत पूरा कर सकती हैं. कुवांरी लड़कियां सुबह उठकर नहा धोकर व्रत का संकल्प लें और उसके बाद पूरे दिन उपवास करें और शाम को तैयार होकर शिव-पार्वती की पूजा करें और व्रत का पारण करें.
व्रत के लिए शरीर और मन की पवित्रता सबसे जरूरी-
जो सुहागिन महिलाएं किसी कारणवश बीमार हैं, वो भी पानी पीकर और फलाहार खाकर अपना व्रत कर सकती हैं. व्रत के दिन शरीर और मन की पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और सात्विकता का पालन करते हुए शाम को पूजा के दौरान व्रत कथा का श्रवण करना अनिवार्य है. माना जाता है कि अगर अविवाहित कन्याएं इसको सुनती हैं तो उन्हें बहुत ही अच्छा पति मिलता है. मां पार्वती ने भी ये व्रत कुंवारे जीवन में ही किया था.
हरतालिका तीज का महत्व-
हरतालिका तीज व्रत का महत्व केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है. यह व्रत संयम, श्रद्धा, और तपस्या का प्रतीक है. माता पार्वती के कठिन तप से प्रेरणा लेकर इस व्रत को निभाने वाली कन्याएं और विवाहित महिलाएं अपने जीवन में सफलता और सुख-शांति की प्राप्ति करती हैं. इस व्रत को करने से जीवन में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं और जीवन में आने वाले कष्ट भी दूर होते हैं.
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गुरुवार के दिन कर लें ये आसान काम, आर्थिक समस्या होगी दूर

सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता है वही गुरुवार का दिन विष्णु पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है इस दिन भक्त प्रभु की भक्ति करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से श्री नारायण की कृपा बरसती है लेकिन अगर आप आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं
तो गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष बैठकर घी का दीपक जलाएं और श्री नारायण स्तोत्र का पाठ सच्चे मन से करें अंत में भगवान से आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए प्रार्थना भी करें माना जाता है कि ऐसा करने से लाभ मिलता है और कष्ट दूर हो जाता है।
नारायण स्तोत्र-
नारायण नारायण जय गोविन्द हरे ॥
नारायण नारायण जय गोपाल हरे ॥
करुणापारावार वरुणालयगम्भीर नारायण ॥ 1 ॥
घननीरदसङ्काश कृतकलिकल्मषनाशन नारायण ॥ 2 ॥
यमुनातीरविहार धृतकौस्तुभमणिहार नारायण ॥ 3 ॥
पीताम्बरपरिधान सुरकल्याणनिधान नारायण ॥ 4 ॥
मञ्जुलगुञ्जाभूष मायामानुषवेष नारायण ॥ 5 ॥
राधाधरमधुरसिक रजनीकरकुलतिलक नारायण ॥ 6 ॥
मुरलीगानविनोद वेदस्तुतभूपाद नारायण ॥ 7 ॥
बर्हिनिबर्हापीड नटनाटकफणिक्रीड नारायण ॥ 8 ॥
वारिजभूषाभरण राजीवरुक्मिणीरमण नारायण ॥ 9 ॥
जलरुहदलनिभनेत्र जगदारम्भकसूत्र नारायण ॥ 10 ॥
पातकरजनीसंहार करुणालय मामुद्धर नारायण ॥ 11 ॥
अघ बकहयकंसारे केशव कृष्ण मुरारे नारायण ॥ 12 ॥
हाटकनिभपीताम्बर अभयं कुरु मे मावर नारायण ॥ 13 ॥
दशरथराजकुमार दानवमदसंहार नारायण ॥ 14 ॥
गोवर्धनगिरि रमण गोपीमानसहरण नारायण ॥ 15 ॥
सरयुतीरविहार सज्जन​ऋषिमन्दार नारायण ॥ 16 ॥
विश्वामित्रमखत्र विविधवरानुचरित्र नारायण ॥ 17 ॥
ध्वजवज्राङ्कुशपाद धरणीसुतसहमोद नारायण ॥ 18 ॥
जनकसुताप्रतिपाल जय जय संस्मृतिलील नारायण ॥ 19 ॥
दशरथवाग्धृतिभार दण्डक वनसञ्चार नारायण ॥ 20 ॥
मुष्टिकचाणूरसंहार मुनिमानसविहार नारायण ॥ 21 ॥
वालिविनिग्रहशौर्य वरसुग्रीवहितार्य नारायण ॥ 22 ॥
मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर नारायण ॥ 23 ॥
जलनिधि बन्धन धीर रावणकण्ठविदार नारायण ॥ 24 ॥
ताटकमर्दन राम नटगुणविविध सुराम नारायण ॥ 25 ॥
गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन नारायण ॥ 26 ॥
सम्भ्रमसीताहार साकेतपुरविहार नारायण ॥ 27 ॥
अचलोद्धृतचञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर नारायण ॥ 28 ॥
नैगमगानविनोद रक्षित सुप्रह्लाद नारायण ॥ 29 ॥
भारत यतवरशङ्कर नामामृतमखिलान्तर नारायण ॥ 30 ॥
इति श्री नारायण स्तोत्र ||
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हरतालिका तीज व्रत में क्या खाएं कि न लगे प्यास

सनातन धर्म में हरतालिका तीज व्रत को सभी व्रतों में महत्वपूर्ण माना जाता है। कुंवारी कन्याओं और विवाहित महिलाओं के लिए हरतालिका तीज का विशेष महत्व होता है। निर्जला उपवास रखा जाता है यानि बिना पानी ग्रहण किए व्रत। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है। हर किसी के मन में यह संशय रहता है कि व्रत से एक दिन पहले या सरगी में ऐसा क्या खाया जाए जिससे व्रत वाले दिन प्यास न लगे और ऊर्जा बरकरार रहे। आइए जानते हैं...
व्रत से एक दिन पहले आपको अपने खाने में दही जरूर शामिल करनी चाहिए। दही खाने से पेट से जुड़ी समस्याएं नहीं होती हैं। दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स पेट में बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। मांसपेशियों से संबंधित परेशानी न हों और खिंचाव जैसी स्थिति से भी बचाती है दही। व्रत से पहले दही का सेवन करने से व्रती की प्रोटीन संबंधी जरूरतें पूरी होती हैं और आपको लंबे समय तक ऊर्जा मिलती है। दही में मौजूद प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट आपको ताजगी और ऊर्जा प्रदान करते हैं। दही शरीर की गर्मी को कम करने में मदद करता है। यह गर्मियों में खास तौर पर फायदेमंद होता है और व्रत से पहले शरीर को ठंडक प्रदान करता है। जिससे प्यास लगने की संभावना भी कम हो जाती है।
व्रत रखने से एक दिन पहले अपनी डाइट में खीरा जरूर शामिल करें। खीरा खाने से शरीर में पानी का स्तर सही रहता है डिहाइड्रेट नहीं होने देता। खीरे में करीब 95 से 96 फीसदी पानी होता है जो शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है।
इसी तरह नारियल पानी भी व्रतियों के लिए मददगार साबित हो सकता है। इसे पीने के कई फायदे हो सकते हैं। मिलावटखोरी के इस जमाने में नारियल पानी को सबसे शुद्ध माना जाता है। व्रत रखने से पहले और व्रत खोलने के समय नारियल पानी पीने से गले में तरावट भी बनी रहती है और व्रत खोलने के बाद कमजोरी का भी एहसास नहीं होता। नारियल पानी में पोटेशियम, सोडियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं। ये इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर के द्रव संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं और शरीर की कोशिकाओं के स्वस्थ कामकाज के लिए आवश्यक हैं।
व्रत के दौरान, जब आपको अन्य पेय पदार्थों से इलेक्ट्रोलाइट्स नहीं मिल पाते हैं, तो नारियल पानी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। नारियल पानी में मौजूद 95 फीसदी पानी शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। उपवास के दौरान, जब आप पानी या अन्य तरल पदार्थ नहीं पी सकते हैं, तो नारियल पानी पीने से शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में मदद मिल सकती है।
बता दें कि हरतालिका तीज के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और दिनभर पूजा-पाठ में व्यस्त रहती हैं। इस व्रत में महिलाएं पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूजा-अर्चना करती हैं। सोलह श्रृंगार कर महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
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हरतालिका तीज के दौरान इन चीजों से बचे...

हर साल महिलाएं भाद्रपद माह में पड़ने वाली शुक्ल तृतीया को हरतालिका तीज व्रत (हरतालिका तीज तिथि 2024) रखती हैं। हिंदू धर्म में इस व्रत को विशेष फलदायी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो श्रद्धालु इस व्रत को रखता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। यह व्रत विवाहित महिलाएं और कुंवारी लड़कियां रखती हैं। भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12.21 बजे शुरू होगी। यह तिथि 6 सितंबर को 15:01 बजे समाप्त हो रही है. ऐसे में हरतालिका तीज व्रत उदय तिथि के अनुसार 6 सितंबर 2024, शुक्रवार को मनाया जाएगा. हरतालिका तीज की पूजा सुबह के समय करने की परंपरा है. ऐसे में पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:
सबसे पहले हरतालिका तीज व्रत को निर्जला रखने का नियम है। ऐसे में आपको इस दिन पानी नहीं पीना चाहिए। किसी भी अन्य व्रत की तरह हरतालिका तीज में भी नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। आपको ज्यादा मसालेदार खाना खाने से भी बचना चाहिए। इसके अलावा आपको गलती से भी प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। आप फल आदि खा सकते हैं।
हरतालिका तीज के दिन व्रत रखने वाली महिला को लाल और हरी मिर्च नहीं खानी चाहिए। यह भी याद रखें कि हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली महिला को नारियल नहीं खाना चाहिए। हिंदू मान्यताओं के अनुसार नारियल संतान प्राप्ति का प्रतीक है।
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कालीबाड़ी में इस बार INS विक्रांत पोत वाला गणेश पंडाल

रायपुर। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 6 सितंबर को है। इस दिन से गणेश उत्‍सव की शुरुआत होगी जोकि 10 दिन तक मनाया जाएगा। इधर, गणेश उत्‍सव को लेकर राजधानी रायपुर में भी गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोरों पर हैं। विभिन्न स्थानों पर गणेश पंडाल सजाए जा रहे हैं, जो अपनी अनोखे थीम और सजावट के साथ भक्तों को आकर्षित करेंगे। इन पंडालों में भगवान गणेश की विशाल मूर्तियों की स्थापना की जाएगी।
कालीबाड़ी में गणेश जी के लिए आईएनएस विक्रांत के आकार का 65 फीट से अधिक ऊंचा पंडाल तैयार किया जा रहा है। कोलकाता से पहुंचे 25 कारीगर पिछले 27 दिनों से पंडाल को आकार दे रहे हैं। पंडाल के अंदर शीश महल में बप्पा विराजित होंगे। गुढ़ियारी में नंदगांव की थीम पर झांकी सजाई जा रही है। इस झांकी में भगवान कृष्ण के लीलाओं की दिखाया जाएगा।
गुढ़ियारी गणेशोत्सव समिति द्वारा नंदगांव थीम पर झांकी तैयार की जा रही है। समिति के अध्यक्ष मनोज ने बताया कि दुर्ग के कलाकार झांकी को रूप देने में लगे हैं। झांकी में श्रीकृष्ण से संबंधित बाललीला, रासलीला सहित 20 से अधिक प्रसंग पर झांकी आगंतुकों को आकर्षित करेगी। वहीं गोलबाजार में भी गणेश स्थापना को लेकर तैयारी तेज है। श्री बजरंग नवयुवक मित्र मंडल गणेशोत्सव समिति के सदस्यों ने बताया कि इस बार रिद्धि-सिद्धि के साथ बप्पा नजर विराजमान होंगे।
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