धर्म समाज

बाबा महाकाल का श्री गणेश स्वरूप में किया गया श्रृंगार

उज्जैन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि बुधवार पर आज महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल भक्तों को दर्शन देने के लिए सुबह 4 बजे जागे। जिसके बाद बाबा महाकाल की भस्म आरती धूमधाम से की गई। इस पहले बाबा महाकाल का श्री गणेश स्वरूप में श्रृंगार किया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शन किए।
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि पर बुधवार को बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। सबसे पहले भगवान को स्नान, पंचामृत अभिषेक करवाने के साथ ही केसर युक्त जल अर्पित किया गया। बाबा महाकाल का भांग से श्रृंगार किया गया। श्री गणेश स्वरूप में किए गए भगवान के इस श्रृंगार को भक्त देखते ही रह गए। भगवान के श्रृंगार कर उन्हें नवीन मुकुट धारण कराया गया, जिसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े के द्वारा बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। श्रद्धालुओं ने नंदी हॉल और गणेश मंडपम से बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती के दर्शन किए और भस्म आरती की व्यवस्था से लाभान्वित हुए। इस दौरान श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल का उद्घोष भी किया।
भक्त ने नगद राशि की दान-
श्री महाकालेश्वर मंदिर में पुणे से पधारे भक्त नटराज शंकरलाल दांगी ने पुरोहित रूपम शर्मा व नवनीत शर्मा की प्रेरणा से श्री महाकालेश्वर मंदिर में 1 लाख 25 हजार की नगद राशि दान की गई। मंदिर प्रबंध समिति की ओर से दर्शन व्यवस्था प्रभारी राकेश श्रीवास्तव द्वारा दानदाता को धन्यवाद ज्ञापित कर दानदाता का सम्मान कर रसीद दी गई।
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गणेश उत्सव की तैयारियां जोरों पर, सज गया बाजार

रायपुर। गणेश उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। सात सितंबर से प्रारंभ होने वाले इस उत्सव के लिए घरों और पंडालों में गणपति बप्पा के आगमन को लेकर हर ओर उत्साह का माहौल है। बच्चे हों या बड़े, सभी अपने-अपने तरीके से बप्पा की सेवा और पूजा के लिए तैयारियों में जुट गए हैं। शहर के बाजारों में गणपति बप्पा की मूर्तियों और सजावटी सामान की खरीदारी का सिलसिला जारी है।
सजावटी सामान की खरीदारी और बप्पा की मूर्तियों के चयन में लोगों की विशेष दिलचस्पी देखी जा रही है। इस बार उत्सव में विशेष आकर्षण नागपुर और जयपुर से आई मूर्तियों का है। इन प्रतिमाओं की खूबसूरती और कारीगरी ने लोगों का दिल जीत लिया है। बाजारों में रौनक बढ़ने के साथ ही हर कोई गणपति बप्पा के स्वागत के लिए तैयारियों में जुटा है। कहीं पंडालों की सजावट हो रही है, तो कहीं घरों में पूजा सामग्री की व्यवस्था की जा रही है।
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मंगलवार के दिन करें ये उपाय, समस्याओं से मिलेगा छुटकारा

सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता है वही मंगलवार का दिन हनुमान पूजा के लिए उत्तम माना गया है इस दिन भक्त प्रभु को प्रसन्न करने व उनका आशीर्वाद पाने के लिए दिनभर उपवास करते हैं और भक्ति में लीन रहते हैं
मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है लेकिन इसी के साथ ही अगर मंगलवार के पावन दिन पर हनुमान जी के मंदिर जाकर भगवान की विधिवत पूजा करें साथ ही श्री मारुति स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से करें तो जीवन की सारी दुख परेशानियां दूर हो जाती है साथ ही बजरंगबली के आशीर्वाद से सुख समृद्धि आती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी स्तोत्र।
मारुति स्तोत्र-
ओं नमो वायुपुत्राय भीमरूपाय धीमते ।
नमस्ते रामदूताय कामरूपाय श्रीमते ॥ १ ॥
मोहशोकविनाशाय सीताशोकविनाशिने ।
भग्नाशोकवनायास्तु दग्धलङ्काय वाग्मिने ॥ २ ॥
गति निर्जितवाताय लक्ष्मणप्राणदाय च ।
वनौकसां वरिष्ठाय वशिने वनवासिने ॥ ३ ॥
तत्त्वज्ञान सुधासिन्धुनिमग्नाय महीयसे ।
आञ्जनेयाय शूराय सुग्रीवसचिवाय ते ॥ ४ ॥
जन्ममृत्युभयघ्नाय सर्वक्लेशहराय च ।
नेदिष्ठाय प्रेतभूतपिशाचभयहारिणे ॥ ५ ॥
यातना नाशनायास्तु नमो मर्कटरूपिणे ।
यक्ष राक्षस शार्दूल सर्पवृश्चिक भीहृते ॥ ६ ॥
महाबलाय वीराय चिरञ्जीविन उद्धते ।
हारिणे वज्रदेहाय चोल्लङ्घित महाब्धये ॥ ७ ॥
बलिनामग्रगण्याय नमो नः पाहि मारुते ।
लाभदोऽसि त्वमेवाशु हनुमान् राक्षसान्तकः ॥ ८ ॥
यशो जयं च मे देहि शत्रून् नाशय नाशय ।
स्वाश्रितानामभयदं य एवं स्तौति मारुतिम् ।
हानिः कुतो भवेत्तस्य सर्वत्र विजयी भवेत् ॥ ९ ॥
इति श्रीवासुदेवानन्दसरस्वती कृतं मन्त्रात्मकं श्री मारुति स्तोत्रम् ।
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हरतालिका तीज 6 सितंबर को, जानिए...व्रत के नियम

  • हरतालिका तीज पर पार्थिव शिवलिंग का पूजन माना गया है शुभ
सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और कुवांरी कन्याएं मनचाहा जीवन साथी पाने की चाह से व्रत रखती हैं और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सुख-समृद्धि, वैवाहिक जीवन में मधुरता और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. इस पावन पर्व पर क्या करें और क्या नहीं?
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर दिन गुरुवार को दोपहर 12:21 बजे शुरू होगी और 6 सितंबर दिन शुक्रवार को दोपहर 3:01 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार हरतालिका तीज 6 सितंबर को मनाई जाएगी. जो महिलाएं 6 सितंबर को हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी उनके लिए पूजा का सिर्फ 2 घंटे 31 मिनट का पवित्र मुहूर्त होगा.
हरतालिका तीज पर करें ये काम-
हरतालिका तीज दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें. शिवलिंग का अभिषेक करें, बेलपत्र चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें. सुहागिन महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं. यानी पूरे दिन कुछ भी नहीं खाती-पीती हैं. सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और हाथों में मेहंदी लगाती हैं. महिलाएं झूले पर झूलती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं. हरतालिका तीज की कथा अवश्य सुनें और पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान करें.
हरतालिका तीज पर न करें ये काम-
हरतालिका तीज के दिन मांस, मछली, अंडे और शराब का सेवन न करें. झूठ बोलना: झूठ बोलने से बचें. गुस्सा करना: गुस्सा करने से बचें. अपमान न करें: किसी का अपमान भूल से भी न करें. विचार: मन को शांत रखें और नकारात्मक विचारों पर ध्यान केंद्रित न करें.
व्रत के नियम-
हरतालिका तीज के दिन पूरी तरह से शुद्ध रहें. सत्य बोलें और दूसरों पर दया करें. समाज सेवा करें और पर्यावरण की रक्षा करें. भगवान शिव और माता पार्वती पर अटूट श्रद्धा रखें. पूजा करते समय भक्तिभाव रखें. मन को शांत रखें और पूजा पर ध्यान केंद्रित करें.
हरतालिका तीज का महिलाओं के लिए महत्व-
ऐसी मान्यता है कि सुहागिन महिलाओं के लिए यह त्योहार अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखने का अवसर होता है और कुंवारी कन्याएं इस दिन मनचाहा वर पाने की कामना करती हैं. यह पर्व महिलाओं के सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. हरतालिका तीज के दिन महिलाएं एक साथ आती हैं और आपस में प्रेम बढ़ाती हैं. यह पर्व भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा है जो धार्मिक आस्था को मजबूत करता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी है.
हरतालिका तीज पर पार्थिव शिवलिंग का पूजन माना गया है शुभ-
हिन्दू धर्म में हर साल हरतालिका तीज का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं श्रृंगार कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं तो वहीं कुंवारी लड़कियां भगवान से अच्छे वर की कामना करती हैं। इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की विधि-विधान सहित पूजा की जाती है। वैसे तो इस पूजा के सभी स्थानों पर अलग-अलग नियम होते हैं लेकिन इस दिन अपने हाथों से मिट्टी का त्योहार बनाकर उसकी पूजा करना काफी शुभ माना जाता है। तो आज इसी तरह के पौराणिक शिवलिंग को बनाने का सही तरीका जानते हैं।
हरतालिका तीज पर पार्थिव पूजन का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भी पार्थिव लिंग का निर्माण कर भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी। पौराणिक शिवलिंग का अर्थ होता है मिट्टी या बालू से निर्मित शिवलिंग। इसके लिए आप किसी भी नदी के किनारे या मंदिर जैसे पवित्र स्थल से मिट्टी ला सकते हैं। हालाँकि अगर आपके आस-पास ऐसी कोई सुविधा मौजूद नहीं है तो आप अपने गमले की शुद्ध मिट्टी से भी पौराणिक शिलालेख का निर्माण करा सकते हैं।
पौराणिक कथाओं का निर्माण भवन और मिट्टी दोनों की मदद ली जा सकती है। सबसे पहले मिट्टी या रेत को अच्छे से साफ कर लें। अब गंगाजल की मदद से इसे गंगाजल की तरह गूंथ लें। आप लिंग की मिट्टी में गोबर, भस्म, मुल्तानी मिट्टी, गुड़ का चूरा और मक्खन भी मिला सकते हैं। उदाहरण के लिए अच्छे से गूंथ लें। अब एक बेलपत्र के बीच में मिट्टी के बर्तन बनाना शुरू करें। आप कार्ड तो किसी भी छोटी बोतल की मदद से भी लिंग को आकार दे सकते हैं। अब धीरे-धीरे एक बेस तैयार करें और दोनों जोड़ों को शिलालेख का निर्माण करा लें। छोटी सी लोई को हाथों में लेकर एक सांप का आकार दे दिया और उसे लिवा पर लगा दिया। तो तैयार हो जाइये आपका पितृ विवाह।
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हरियाली तीज 7 अगस्त को, जानिए...पूजा का शुभ मुहूर्त

Hariyali Teej Vrat 2024 : हरियाली तीज श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस बार श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि 6 अगस्त को 07 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और 7 अगस्त को रात 10 बजकर 05 मिनट तक मान्य होगी. 6 अगस्त को तृतीया तिथि रात के समय में लग रही है, इस वजह से उस दिन तीज का व्रत नहीं रखा जाएगा. श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि की उदयातिथि 6 अगस्त को न होकर 7 अगस्त को है. उदयातिथि की गणना सूर्योदय से की जाती है.
हरियाली तीज पर होने वाली परंपरा-
हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं लेकिन कई कुंवारी लड़कियां भी अच्छे पति की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं. वहीं नवविवाहित लड़कियों के लिए सावन में आने वाली इस तीज का विशेष महत्व होता है. कुछ जगहों पर हरियाली तीज के मौके पर लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है. इस दिन नवविवाहित लड़कियों को ससुराल से वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है.
हरियाली तीज के दिन मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है. महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर तरह-तरह की डिजाइन की मेहंदी लगाती हैं. इस दिन पैरों में आलता भी लगाया जाता है. इसे महिलाओं की सुहाग की निशानी माना जाता है. इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपनी सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं. अगर सास न हो तो जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को देकर यह परंपरा पूरी की जाती है.
शुभ तिथि और मुहूर्त-
हरियाली तीज 7 अगस्त 2024, बुधवार को है. सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 6 अगस्त 2024 को रात 07 बजकर 52 मिनट से आरंभ होगी. तृतीया तिथि का समापन 7 अगस्त 2024 को रात 10 बजकर 05 मिनट तक है.
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मंगला गौरी व्रत में कुंवारी कन्याएं आज करें ये उपाय

  • विवाह में आने वाली बाधाएं होंगी दूर
हिंदू धर्म में सावन महीने को खास माना गया है इस महीने कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं इसी में से एक मंगला गौरी व्रत भी है जो कि सावन माह के मंगलवार को मनाया जाता है सावन में पड़ने वाला मंगलवार माता पार्वती को समर्पित है और इस दिन व्रत पूजा करने का विधान होता है मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत के दिन शिव पार्वती की विधिवत पूजा करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है आज यानी 30 जुलाई को सावन माह का दूसरा मंगला गौरी व्रत मनाया जा रहा है। इस दिन पूजा पाठ के बाद अगर कुछ आसान उपायों को किया जाए तो शिव पार्वती प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा मंगला गौरी पर किए जाने वाले उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
मंगला गौरी व्रत के आसान उपाय-
अगर आपकी शादी में कोई बाधा आ रही है या फिर मनचाहा जीवनसाथी नहीं मिल रहा है तो ऐसे में आप सावन में पड़ने वाले मंगला गौरी व्रत के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विधिवत पूजा करें इसके बाद श्रद्धा अनुसार गरीबों को मसूर दाल और लाल वस्त्र का दान जरूर करें मान्यता है कि इस उपाय को करने से कुंडली का मंगल मजबूत होता है और शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं
इसके अलावा मंगलदोष से मुक्ति के लिए आज के दिन सच्चे मन से ​भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा करें साथ ही इस दौरान 'ॐ गौरी शंकराय नमः' इस मंत्र का जाप कम से कम 21 बार जरूर करें। माना जाता है कि ऐसा करने से लाभ मिलता है। अगर आपकी शादी में देरी हो रही है तो ऐसे में मंगला गौरी व्रत पर माता पार्वती की पूजा के समय सोलह श्रृंगार की सामग्री देवी को अर्पित करें माना जाता है कि इस उपाय को करने से जल्द विवाह के योग बनने लगते हैं।
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कामिका एकादशी पर शुक्र ने नक्षत्र परिवर्तन किया

कामिका एकादशी का व्रत हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता है। तदनुसार, कामिका एकादशी इस वर्ष 31 जुलाई को है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। ज्योतिषियों के मुताबिक 31 जुलाई बेहद अनुकूल रहेगी। इस दिन देवगुरु बृहस्पति रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण से गुजरते हैं। वहीं, शुक्र कर्क राशि को छोड़कर सिंह राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन कामिका एकादशी का व्रत भी रखा जाता है। ऐसे में व्यक्ति सफेद और पीली वस्तुओं का दान करके पुण्य प्राप्त कर सकता है क्योंकि शुक्र देव का पसंदीदा रंग सफेद और पीला है। ऐसे में कामिका एकादशी पर दान करने से व्यक्ति को कैसे लाभ होगा आइए बताते हैं.
भगवान विष्णु और शुक्र देव को पीला रंग प्रिय है। ऐसे में केले, पीले कपड़े, पीले फूल आदि चीजों का दान करें। कामिका एकादशी पर. ऐसा माना जाता है कि इन चीजों (राशि वरदान) का दान करने से व्यक्ति को सौभाग्य, धन, प्रसिद्धि और सम्मान की प्राप्ति होती है और उसे जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर है तो कामिका एकादशी को गुड़ का भोग लगाएं।
इसके अलावा शुक्र देव को सफेद रंग भी प्रिय है। ऐसे में आपको कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद अपनी श्रद्धानुसार सफेद वस्तुओं का दान करें। जैसे- चीनी, दही, दूध, सफेद कपड़े आदि। ऐसा माना जाता है कि इन चीजों का दान करने से व्यक्ति को धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद और धन प्राप्त होता है। इसके अलावा व्यवसाय में वृद्धि देखी जाती है।
पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी 30 जुलाई 2024 को शाम 16:44 बजे से शुरू हो रही है. इसके अलावा, यह 31 जुलाई 2024 को 15:55 बजे समाप्त होगा। ऐसे में कामिका एकादशी का व्रत 31 जुलाई को रखा जाएगा.
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नाग पंचमी पर्व 9 अगस्त, जानिए...पूजा का शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में पर्व त्योहारों की कोई कमी नहीं है एक पर्व जाता है तो दूसरा त्योहार आता है पंचांग के अनुसार अभी सावन का पवित्र महीना चल रहा है जो कि महादेव की साधना को समर्पित होता है इस पूरे महीने भक्त शिव भक्ति में लीन रहकर पूजा पाठ और व्रत करते हैं।
सावन के महीने में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं ऐसे में इस माह पड़ने वाली नाग पंचमी को बेहद ही खास माना जाता है जो कि नाग देवता की पूजा का दिन होता है इस दिन भक्त नाग देवता की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से सर्प दंर्श का भय समाप्त हो जाता है और शिव कृपा बरसती है, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा नाग पंचमी की तारीख और मुहूर्त की जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का पर्व हर साल सावन महीने में मनाया जाता है इस बार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 9 अगस्त को रात 12 बजकर 36 मिनट से आरंभ हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी की 10 अगस्त को प्रात: 3 बजकर 14 मिनट पर हो जाएगा। वही उदया तिथि के अनुसार नाग पंचमी का पर्व 9 अगस्त दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त को प्रात: 5 बजकर 47 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 27 मिनट तक है। इस मुहूर्त में साधक पूजा पाठ कर शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के शुभ दिन पर नाग देवता की पूजा अर्चना करने से सर्प दंर्श का भय समाप्त हो जाता है साथ ही कुंडली में व्याप्त काल सर्प दोष भी समाप्त हो जाता है और जीवन में खुशहाली आती है।
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कालाष्टमी व्रत आज, बन रहे हैं अद्भुत संयोग

  • राशि के अनुसार करें इन वस्तुओं का दान
आज कालाष्टमी व्रत रखा जाएगा। कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कालाष्टमी व्रत रखने का विधान है। इस दिन भाग शिव का काल भैरव के रूप पूजन किया जाता है। तंत्र विद्या के लिहाज से यह दिन विशेष माना गया है। मान्‍यता है कि इस व्रत से साधक की सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। कालाष्टमी पर आज कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसमें पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। इन योगों का हो रहा निर्माण-
शिववास योग-
हिंदू धर्म में शिववास योग को अत्यंत शुभ माना गया है। यह योग रात 9 बजकर 19 मिनट से शुरू होगा। माना जाता है कि इस दौरान भगवान शिव और मां पार्वती के पूजन से साधक के हर कार्य सिद्ध होती और घर में समृद्धि आती है।
धृति योग-
कालाष्टमी पर धृति योग रात 10 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इस दौरान काल भैरव का पूजन शुभ माना गया है।
रवि योग-
कालाष्टमी पर पर शुभ रवि योग भी बन रहा है। यह दोपहर 1 बजे तक रहेगा।
ये हैं शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी की शुरुआत 9 बजकर 19 मिनट होगी और अगले दिन यानी रविवार को शाम 7 बजकर 27 पर इसका समापन होगा। काल भैरव की पूजा रात में ही की जाती है, ऐसे में आज ही कालाष्टमी मनाई जाएगी।
राशि के अनुसार करें दान-
मेष राशि- इस दिन मेष राशि के जातकों को लाल मिर्च, मसूर दाल और गुड़ का दान करना चाहिए।
वृषभ राशि- वृषभ राशिके जातक दूध, सूजी, चीनी, नमक, मैदा जैसी चीजों का दान कर सकते हैं।
मिथुन राशि- इस राशि के जातकों के लिए हरी सब्जियां, हरे और मौमी फलों का दान शुभ माना गया है।
कर्क राशि- कालाष्‍टमी पर काल भैरव की कृपा पाने के लिए चावल, चीनी, दूध का दान कर सकते हैं।
सिंह राशि- इस राशि के जातकों के लिए गुड़, शहद और लाल रंग के वस्त्रों का दान शुभ माना गया है।
कन्या राशि- काल भैरव की कृपा पाने के लिए विवाहित महिलाओं को हरे रंग की चूड़ियां दान करना चाहिए।
तुला राशि- इस दिन तुला राशि के जातक सफेद वस्त्र का दान कर सकते हैं।
वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि के जताकों के लिए लाल रंग की मिठाई का दान शुभ माना गया है।
धनु राशि- धनु राशि के जातकों को पीले रंग के फल, बेसन, चना दाल का दान करना चाहिए।
मकर राशि- कालाष्टमी पर काले रंग के वस्त्र का दान शुभ होता है।
कुंभ राशि- इस राशि के जातक चमड़े के जूते और चप्पल का दान कर सकते हैं।
मीन राशि- पूजा के दौरान पीले रंग की मिठाई प्रसाद में रखें और बाद में लोगों को वितरित करें।

डिस्क्लेमर
यह लेख सामान्य जानकारी के आधार पर लिखा गया है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा डॉक्टर्स की सलाह जरूर लें। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
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सावन के दूसरे सोमवार पर इस विधि से करें शिवलिंग का अभिषेक

सावन का महीना बहुत पवित्र माना जाता है. यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. इस पूरे महीने में भक्तजन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के उनकी विशेष पूजा अर्चना करते हैं और सावन के सोमवार के व्रत रखते हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन के महीने में रुद्राभिषेक करने का भी विशेष महत्व माना जाता है.
सावन के दूसरे सोमवार पर इस विधि से करें शिवलिंग का रुद्राभिषेक-
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस बार सावन में सोमवार के व्रत रखने के लिए भक्तों को पूरे 5 सोमवार मिल रहे हैं. शिव पूजन में भगवान शिव को सर्वप्रथम पंचामृत से स्नान कराकर भस्म आदि लगाने के बाद भांग, बेलपत्र, सफेद कनेर का पुष्प, सफेद मदार का पुष्प, धतूरा, शमी के पत्ते, विशेष रूप से चढ़ाकर पूजन करें. पूजन के बाद “ॐ नमः शिवाय मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए.
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पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त को

हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन विवाहित महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए एकादशी का व्रत करती हैं। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए आम लोग एकादशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। मृत्यु के बाद भी व्यक्ति वैकुंठ लोक में पहुंचता है। यह व्रत हर साल सावन के महीने में रखा जाता है। हालांकि, तारीख को लेकर श्रद्धालु असमंजस में हैं. आइए और हमें सावन पुत्रदा एकादशी की सही तिथि और शुभ समय बताएं।
पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 15 अगस्त को सुबह 10:26 बजे से हो रहा है. इसके अलावा यह तिथि 16 अगस्त को सुबह 9 बजकर 39 मिनट पर समाप्त हो रही है.
सनातन धर्म में एकादशी के पर्व का विशेष महत्व है। यह त्यौहार प्रत्येक पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, निशा काल में कालाष्टमी, दुर्गाष्टमी, कृष्णाष्टमी, प्रदोष व्रत आदि त्योहारों पर पूजा की जाती है। वहीं, एकादशी समेत अन्य त्योहारों के लिए तिथि की गणना सूर्योदय से की जाती है। इस साल एकादशी 15 अगस्त को सुबह 10:26 बजे शुरू होगी. इसलिए 16 अगस्त को एकादशी मनाई जाएगी. सीधे शब्दों में कहें तो सावन पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त को मनाई जाती है।
सावन पुत्रदा एकादशी का पारण 17 अगस्त को शाम 05:51 से 08:05 तक किया जा सकता है. इस समय अपने दैनिक कार्यों को पूरा करने के बाद गंगाजल युक्त जल से स्नान करें। इसके बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा समाप्त करने के बाद अपना व्रत खोलें. इस दौरान ब्राह्मणों को दान अवश्य दें।
सूर्योदय- प्रातः 06:04 बजे.
सूर्यास्त- 18:58.
चंद्रोदय- 16:22.
चन्द्रास्त- देर रात 3:03 बजे (17 अगस्त)
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:35 से 5:19 तक.
विजय मुहूर्त- 14:40 से 15:32 तक.
गोधूलि बेला- 18:58 से 19:21 तक.
निशिता मुहूर्त- 12:09 से 12:53 तक.
 
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सावन में रुद्राभिषेक के लिए पांच दिन हैं उत्तम

  • राहु, केतु और शनि भी हो जाएंगे शांत
सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है। यह माह 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त तक चलने वाला है। इस पूरे महीने शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। कहा जाता है कि इस माह भगवान शिव को प्रसन्न करना आसान होता है।
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है। कांवड़ यात्री पवित्र नदियों से जल भरकर अपने कांवड़ में लाते हैं और अपने आसपास के शिवालयों में शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
रुद्राभिषेक करने की सही तिथि-
सावन में रुद्राभिषेक का खास महत्व होता है। लेकिन किस दिन रुद्राभिषेक किया जाना चाहिए, इसे लेकर कन्फ्यूजन बना रहता है। आइए, जानते हैं कि सावन में रुद्राभिषेक के लिए उत्तम दिन कौन-सा है।
सावन के महीने में रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। शिवलिंग का अभिषेक तो किया ही जाता है, लेकिन रुद्राभिषेक करने के खास महत्व होता है। कहा जाता है कि इससे जीवन में चल रही परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस बार सावन के महीने में ऐसी कई शुभ तिथियां आने वाली हैं, जिस दिन रुद्राभिषेक किया जा सकता है।
सावन में इस दिन करें रुद्राभिषेक-
सावन शिवरात्रि का दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक के लिए काफी खास माना जाता है। इस दिन व्रत रखना चाहिए।
इस दिन शिव जी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इस साल 2 अगस्त 2024 को सावन शिवरात्रि पड़ रही है।सावन माह की शिवरात्रि और सोमवार के साथ-साथ नागपंचमी पर भी रुद्राभिषेक करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है।
इस साल सावन मास में नागपंचमी पर्व 9 अगस्त 2024 को मनाया जाने वाला है।
सावन सोमवार का दिन भी रुद्राभिषेक के लिए उत्तम होता है। इस बार सावन का दूसरा सोमवार 29 जुलाई को पड़ रहा है।
सावन का तीसरा सोमवार 5 अगस्त, चौथा सोमवार 12 अगस्त और पांचवां सोमवार 19 अगस्त को पड़ रहा है।
शास्त्रों में मिलता है रुद्राभिषेक का वर्णन-
इन सभी तिथियों पर शिवजी का रुद्राभिषेक करने से जीवन में शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। साथ ही कोई बड़ी सफलता प्राप्त होती है। ऐसे परिवार पर हमेशा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। कहा जाता है कि रुद्राभिषेक करने से रोगों से छुटकारा मिलता है। इतना ही नहीं, इससे सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। यदि आप सावन शिवरात्रि, सावन सोमवार या सावन प्रदोष के दिन रुद्राभिषेक विधि-विधान से करेंगे, तो आपको चमत्कारिक बदलाव देखने को मिलेंगे। शास्त्रों में रुद्राभिषेक को शिव जी को प्रसन्न करने का रामबाण उपाय बताया गया है।
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सावन का पहला प्रदोष व्रत गुरुवार 1 अगस्त को

  • मृगशिरा नक्षत्र समेत बनेंगे कई शुभ संयोग
सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय माना जाता है। इसकी शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है, जो कि 19 अगस्त तक चलेगा। इस माह की हर तिथि बहुत पवित्र मानी जाती है।
हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो कि भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसे में सावन प्रदोष व्रत और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। इस व्रत को करने से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
सावन का पहला प्रदोष व्रत-
धार्मिक मान्यता है कि सावन प्रदोष व्रत पर शिवजी का जलाभिषेक करना चाहिए। इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। व्रत पर इस बार कई शुभ संयोग बनने जा रहे हैं। इन शुभ संयोग में भगवान शिव की पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होता है। आइए, जानते हैं कि सावन प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा। सावन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 1 अगस्त 2024 को दोपहर 3:28 से शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन 2 अगस्त को दोपहर 3:26 का होगा। ऐसे में सावन का पहला प्रदोष व्रत 1 अगस्त गुरुवार को रखा जाएगा। गुरुवार के दिन पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
सावन प्रदोष व्रत पर शुभ संयोग-
सावन के पहले प्रदोष व्रत पर शुभ मुहूर्त 2 अगस्त की शाम 7:12 से लेकर 9:18 तक रहेगा।
2 अगस्त के दिन सुबह 10:24 तक मृगशिरा नक्षत्र रहने वाला है, यह पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
इस दिन आर्द्रा नक्षत्र का योग भी बन रहा है। सावन कृष्ण प्रदोष व्रत पर हर्षण योग भी बन रहा है, जो कि 2 अगस्त सुबह 11:45 तक रहेगा।
प्रदोष व्रत पर 3:28 पर शिव वास योग भी रहेगा, यदि बहुत शुभ माना जाता है। इस समय भगवान शिव, नंदी पर सवार होते हैं।
सावन प्रदोष व्रत पर 2 अगस्त के दिन दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 54 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा।

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'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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गुरुवार के दिन हल्दी का दान करने से बरसती है श्री हरि की कृपा

  • विवाह में आ रही बाधाओं के लिए करें ये उपाय
सनातन धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित है. गुरुवार का दिन भी कई मायनों में बहुत खास है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरुवार का दिन विष्णु भगवान का होता है. इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने से श्री हरि की कृपा बरसती है.
गुरुवार के दिन पीले रंग की चीजों का दान करने से विष्णु भगवान के आशीर्वाद से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है.भाग्य साथ नहीं दे रहा है या कोई भी समस्या चल रही है ऐसे में गुरुवार का व्रत रखने से सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है और भाग्योदय भी होता है. मान्यता है गुरुवार को व्रत रखने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं।
गुरुवार के दिन इन चीजों का करे दान-
गुरुवार के दिन विष्णु भगवान को पीली चीजों का भोग लगाना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को केले और पीले रंग की मिठाई का भोग लगा कर इस प्रसाद को गरीबों में बांट देना चाहिए. ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और नौकरी और व्यापार से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं.
इस दिन किसी ब्राह्मण को पीले रंग के वस्त्रों का दान करना पुण्यकारी होता है. ऐसा करने से कार्यों में आ रही सारी रुकावटें दूर होती हैं और सारे काम बनने लगते हैं.
गुरुवार के दिन स्नान और पूजा के बाद किसी ब्राम्हण या जरूरतमंद व्यक्ति को चने की दाल, हल्दी, पीले वस्त्र, पीले फूल, कांसे या पीतल के बर्तन या सोने का दान करना चाहिए. इससे घर में सुख-समृद्धि आती है. 
गुरुवार के दिन गरीबों को चावल और दाल बांटने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है.
गुरुवार के दिन हल्दी का दान करना शुभ माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार गुरुवार के दिन हल्दी के दान से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और शीघ्र विवाह के योग बनते हैं.
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9 अगस्त को मनाई जाएगी नाग पंचमी

  • कालसर्प दोष दूर करने के लिए करें नाग देवता की पूजा
सावन महीने की शुरुआत होते ही त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। इस दौरान ऐसे कई दिन आते हैं, जब महादेव की विशेष आराधना की जाती है। ऐसे में इस महीने भगवान शिव के प्रिय माने जाने वाले नाग देवता की भी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि इस साल नाग पंचमी पर्व कब मनाया जाएगा।
नाग पंचमी 2024 तिथि-
हर साल सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 9 अगस्त 2024 को पड़ रही है।
उदया तिथि के अनुसार, 9 अगस्त को ही नाग पंचमी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:00 बजे से लेकर सुबह 8:00 बजे तक रहेगा। इस दौरान आप नाग देवता की पूजा कर सकते हैं।
कालसर्प दोष से मिलेगा छुटकारा-
माना जाता है कि यदि इस दिन विधि विधान से नाग देवता की पूजा की जाए, तो कालसर्प दोष से छुटकारा मिलता है।
साथ ही सांप के काटने का भय भी दूर हो जाता है, इसलिए इस दिन जरूर नाग देवता की आराधना करें।
नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध से स्नान कराया जाता है। इस दिन नाग देवता को दूध भी पिलाया जाता है।
नाग पंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर सांप की प्रतिमा बनाने की परंपरा है।
कहा जाता है सांप की प्रतिमा बनाने से नाग देवता के घर में प्रवेश करने का भय नहीं रहता।
राहु केतु दोष से मुक्ति-
कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं, यदि कुंडली में राहु और केतु की दशा चल रही है, तो इस दिन नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। इस उपाय से राहु केतु दोष से मुक्ति मिलेगी।

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कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी, जानिए...तिथि और शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन के बाद जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कृष्ण की विधि-विधान से पूजा करने से सभी समस्या दूर होती है। आइए, जानते हैं कि इस साल जन्माष्टमी पर्व कब मनाया जाएगा, इसका शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है।
जन्माष्टमी 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त-
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को सुबह 3:40 पर शुरू होगी। यह अगले दिन 27 अगस्त को सुबह 2:19 पर समाप्त होगी। ऐसे में जन्माष्टमी व्रत 26 अगस्त सोमवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ समय मध्य रात्रि 12:02 से रात्रि 12:45 तक रहेगा। व्रत का पारण आप 27 अगस्त को सुबह 5:55 के बाद कर सकते हैं।
जन्माष्टमी महत्व-
बता दें कि भगवान श्री कृष्ण, श्री हरि के सातवें अवतार हैं, जिन्होंने धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया था। भगवान कृष्ण ने कंस का वध किया था। उन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की उपासना की जाती है।
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सावन के इन दोनों मूलांकों को भगवान शिव का आशीर्वाद

सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस महीने में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। उनके लिए सावन सोमवार और मंगला गौरी व्रत भी रखे जाते हैं। इस व्रत के पुण्य से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूरी होंगी। साथ ही जीवन पर हावी सभी चिंताएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार, सावन का महीना कई राशियों के लिए अनुकूल रहेगा। इस माह साधकों पर भगवान शिव की विशेष कृपा बरसेगी। उनकी कृपा से साधक की हर इच्छा पूरी होती है। इनमें मूलांक 2 वाले लोगों को खास तौर पर फायदा होगा।
आधार की गणना जन्म तिथि से की जाती है। 1 से 9 तारीख तक जन्म लेने वाले लोगों का मूलांक 01 से 09 तक होता है। इसके अलावा 11 से 31 तारीख तक जन्म लेने वाले लोगों का मूलांक जोड़ से निर्धारित होता है। यदि किसी व्यक्ति का जन्म 15 तारीख को हुआ है तो इस प्रकार 15 जोड़कर मूलांक निकाला जाता है। 15=1+5=6, यानी घंटा। 15 तारीख को जन्मे व्यक्तियों का मूलांक 6 होता है।
ज्योतिषियों के अनुसार मन का कारक चंद्रमा मूलांक 2 का स्वामी है। कर्क राशि का स्वामी चंद्रदेव है तथा देवों के देव महादेव हैं। इसलिए सावन के महीने में मूलांक 2 वाले लोगों पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है। भगवान शिव की कृपा से मूलांक 2 वाले लोगों के सभी बिगड़े काम बनने लगेंगे। आपको शुभ कार्यों में भी सफलता मिलेगी। अंक ज्योतिष के अनुसार 2, 11, 20 या 29 तारीख को जन्मे लोगों का मूल अंक 2 होता है। मूलांक 2 वाले लोगों को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन के महीने में पूरे विधि-विधान से महादेव की पूजा करनी चाहिए। साथ ही पूजा के दौरान भगवान शिव का दूध, दही, घी और पंचामृत से अभिषेक करें। इस उपाय को करने से साधक पर भगवान शिव की कृपा अवश्य बरसती है।
अंक ज्योतिष के अनुसार 8, 17 या 26 तारीख को जन्मे लोगों का मूल अंक 8 होता है। इस मूल अंक के स्वामी न्याय के देवता शनिदेव हैं। वहीं मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं और देवों के देव महादेव हैं। इस साल का अंक भी 8 है। सीधे शब्दों में कहें तो 2024 में शनिदेव विशेष प्रभाव डालेंगे। सावन महीने की 8, 17 या 26 तारीख को जन्मे लोगों पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। उनकी कृपा से साधक का हर कार्य सिद्ध होता है। आप अपनी इच्छित व्यावसायिक और व्यावसायिक सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप निवेश के बारे में सोच रहे हैं तो अब अच्छा समय है। इस मूलांक के लोगों को काले तिल, साबुत उड़द-उरद, अपराजिता पुष्प आदि द्रव्यों को मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। गंगा जल के साथ.
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सावन के महीनो में ये 7 दिन बहुत खास...

भगवान शिव का प्रिय महीना सावन शुरू हो गया है. इस दौरान शिव व्रत रखते हैं और कांवर यात्रा करते हैं। इसके अलावा सावन में नौकायन अभिषेक का भी बहुत महत्व है। रुद्राभिषेक करने से आपको भगवान बोहलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होगी। अगर आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो वह भी दूर हो जाएगा। ज्योतिष में शिवलिंग के अभिषेक से अन्य ग्रह भी प्रसन्न होते हैं। सावन में आप हर दिन शिवलिंग का जलाभिषेक कर सकते हैं, लेकिन इस सावन में रुद्राभिषेक करने के लिए सात दिन बहुत खास माने गए हैं। कृपया विस्तार से बताएं कि सावन माह में सोमवार का विशेष महत्व है। इस दौरान श्रद्धालु उपवास और प्रार्थना करते हैं। दुशांबे सावन में रुद्राभिषेक करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और जीवन में हर्ष और उल्लास का आगमन होता है। 2024 में सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को था. इस सोमवार के बाद 8 जुलाई, 5 अगस्त, 12 अगस्त और 28 अगस्त को व्रत रखा जाएगा। आजकल आपको रोइंग बिशेक खेलना है। दुशांबे सावन के अलावा 2 अगस्त को सावन शिवरात्रि और 9 अगस्त को नाग पंचमी के दिन भी रुद्राभिषेक किया जाना तय था
अगर आप रुडर्बी शेक बनाना चाहते हैं तो शुद्ध पानी, दूध, दही, पिसी चीनी, घी और शहद पहले से तैयार कर लें. रुद्राभिषेक के दौरान सबसे पहले शिवलिंग पर स्वच्छ जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर दूध, दही, घी और शहद भी चढ़ाना चाहिए। आखिरी बार शिवलिंग को साफ जल दें. यदि आप इस प्रकार रुद्राभिषेक करेंगे तो आप पर भगवान शिव की कृपा बनी रहेगी
भगवान शिव के प्रिय माह सावन में शिव लिंग पर रुद्राभिषेक करने से आपको कई चिंताओं और कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। यदि आपके पारिवारिक या वैवाहिक जीवन में समस्याएं हैं, यदि आप किसी कारण से व्यावसायिक रूप से विकसित नहीं हो पा रहे हैं, या यदि आप स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं, तो रुद्राभिषेक करने से इन सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है। इसके अलावा रुद्राभिषेक करने से राहु-केतु और शनि जैसे क्रूर ग्रह भी शांत होंगे और कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलेगी। भगवान शिव की कृपा से आपको किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति मिल सकती है।
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