- जानिए...शुभ मुहूर्त, मंत्र, जाप, भोग, कथा, स्तुति, आरती और महत्व
शनिवार को चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है। नवरात्र के आठवें दिन को महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। अष्टमी के दिन देवी दुर्गा की आठवीं शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाएगी। इनका रंग पूर्णतः गोरा होने के कारण ही इन्हें महागौरी या श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है। मां गौरी के रंग की उपमा शंख, चंद्र देव और कंद के फूल से की जाती है। मां शैलपुत्री की तरह इनका वाहन भी बैल है इसलिए इन्हें भी वृषारूढ़ा कहा जाता है। इनका ऊपरी दाहिना हाथ अभय मुद्रा में रहता है और निचले हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू जबकि नीचे वाला हाथ शान्त मुद्रा में है। मां का प्रिय फूल रात की रानी है। जो लोग अपने अन्न-धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि करना चाहते हैं, उन्हें आज महागौरी की उपासना जरूर करनी चाहिए।
चैत्र दुर्गा अष्टमी मुहूर्त-
चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 4 अप्रैल को रात 8 बजकर 12 मिनट पर।
चैत्र शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि समाप्त- 5 अप्रैल को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर।
नवरात्रि अष्टमी के दिन करें इन मंत्रों का जाप-
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
मां गौरी को लगाएं इन चीजों का भोग-
हलवा-पूड़ी, काला चना, खीर, लड्डू, फल, नारियल और नारियल से बनी चीजें।
नवरात्रि अष्टमी कन्या पूजन महत्व-
नवरात्रि के आठवें दिन यानी महाअष्टमी के दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। कन्या पूजन करने देवी मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। तो महाष्टमी के दिन छोटी-छोटी कन्याओं को घर बुलाकर हलवा-पूड़ी, काला चना और खीर खिलाएं। भोजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा देकर और उनका आशीर्वाद लेकर विदा करें।
मां महागौरी की कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार, मां महागौरी का जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था जिसकी वजह से उनका नाम पार्वती था, लेकिन जब मां पार्वती आठ वर्ष की हुई तब उन्हें अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का स्पष्ट स्मरण होने लगा था. जिससे उसे यह पता चला कि वह पूर्व जन्म में भगवान शिव की पत्नी थीं. उसी समय से उन्होंने भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में मान लिया और शिवजी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करनी भी आरंभ कर दी.
मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए वर्षों तक घोर तपस्या की. वर्षों तक निराहार तथा निर्जला तपस्या करने के कारण उनका शरीर काला पड़ गया. इनकी तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए व उन्होंने इन्हें गंगा जी के पवित्र जल से पवित्र किया जिसके पश्चात् माता महागौरी विद्युत के समान चमक तथा कांति से उज्जवल हो गई। इसके साथ ही वह महागौरी के नाम से विख्यात हुई.
मां महागौरी की स्तुति-
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ महागौरी का प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
मां महागौरी का ध्यान मंत्र-
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
मां महगौरी का स्तोत्र मंत्र-
सर्वसंकटहन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
मां महागौरी का कवच मंत्र
ॐकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजम् मां, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी मां नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मां सर्ववदनो॥
मां महागौरी की आरती-
जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता।
कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥