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चारधाम यात्रा : 14 दिनों में बना नया रिकॉर्ड, 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

देहरादून। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा की शुरुआत 10 मई से हुई और हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि यात्रा शुरू होने के 14 दिनों के भीतर ही 24 मई तक 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन कर लिए हैं।
अभी तक चारधाम यात्रा के लिए 31 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है। साथ ही 24 मई तक 10 लाख श्रद्धालु धाम में दर्शन कर चुके हैं। 24 मई तक रिकॉर्ड 10 लाख 30 हजार 621 श्रद्धालु चारों धामों में दर्शन कर चुके हैं।
धामों में दर्शनों के लिए लगातार आती श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर 31 मई तक ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन को बंद कर दिया गया है। उम्मीद की जा रही है कि 31 मई के बाद चारधाम यात्रा के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो सकता है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो भी श्रद्धालु पिछले 7-8 दिनों से हरिद्वार या ऋषिकेश में चारधाम यात्रा के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के काउंटर के खुलने का इंतजार कर रहे हैं, लगभग 1,000 श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए रवाना किया जाए। उनके आदेश के बाद श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए रवाना भी किया जा रहा है। इसके साथ ही व्यवस्था को दुरुस्त रखने के भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं, ताकि यात्रियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो।
अगर चारधाम यात्रा की बात करें तो यमुनोत्री धाम में 1,86,744, गंगोत्री धाम में 1,76,793, केदारनाथ धाम में 4,47,056 और बद्रीनाथ धाम में 2,20,028 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। सबसे ज्यादा केदारनाथ में 4 लाख 47 हजार 56 श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए हैं। इन 14 दिनों में श्रद्धालुओं की मौत के आंकड़ों में भी वृद्धि हुई है। बताया गया है कि 14 दिनों में 52 श्रद्धालुओं की हार्टअटैक से मौत हुई है।
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आज का राशिफल, जानिए क्या कहते हैं आपके सितारे

हर किसी के जीवन में ग्रह नक्षत्र और राशि अहम भूमिका अदा करती है ज्योतिष अनुसार ग्रहों की चाल देखकर व्यक्ति के भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है ऐसे में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं आज का राशिफल, तो जानिए क्या कहते हैं आपके सितारे।
मेष- किसी भी काम को शुरू करने से पहले गहनता से विचार करें आज का दिन आपके लिए बढ़िया बना रहेगा। आपको सभी कार्यों में सफलता हासिल हो सकती हैं माता पिता की सेहत को लेकर चिंता बनी रह सकती है।
वृषभ- नौकरी व कारोबार से जुड़े लोगों के लिए आज का दिन मिलाजुला परिणाम लेकर आ रहा है परिवार में चल रही परेशानियां दूर हो सकती है। किसी धार्मिक कार्यक्रम में आप शामिल हो सकते हैं धन लाभ मिल सकता  है।
मिथुन- आज का दिन आपके लिए सामान्य बना रह सकता है आज आपकी मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी आपको सभी कार्यों में सफलता हासिल हो सकती है लंबी दूरी की यात्रा के योग बन रहे हैं काम काज की अधिकता रहेगी।
कर्क- कौशल प्रशिक्षण या सही ज्ञान आपको आगे लेकर जाने में मददगार सिद्ध हो सकते हैं माता पिता की सेहत को लेकर चिंता बनी रह सकती है जरूरी काम आपके आज पूरे हो सकते हैं।
सिंह- आर्थिक तौर पर बदलाव देखने को मिल सकता है परिवार में चल रही परेशानियां दूर हो सकती है माता पिता की सेहत को लेकर आज चिंता बनी रह सकती है सामाजिक कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं।
कन्या- आज आप किसी मुश्किल में फैंस सकते हैं और इससे बाहर निकलना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। लंबी दूरी की यात्रा पूरी कर सकते हैं काम काज में आने वाली दिक्कतें दूर हो सकती है।
तुला- पारिवारिक जीवन आज आपका बढ़िया बना रह सकता है इस समय आप चिंतित है इसलिए कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय न लें। नौकरी की तलाश कर रहे लोगों की तलाश आज पूरी हो सकती है।
वृश्चिक- किसी भी तरह के अवसाद से बचें और अपना पूरा ध्यान अपने काम की ओर लगाएं। अपने दिल की सुनें और अपनी खुशियों के मार्ग को स्वयं बनाएं। कारोबार में तरक्की के योग बन रहे हैं।
धनु- प्रेम जीवन जी रहे लोगों के लिए आज का दिन अच्छा होने वाला है प्रेमी के साथ डेट पर जाने का मौका मिल सकता है पारिवारिक जीवन आपका सामान्य बना रहेगा। काम काज की अधिकता बनी रहेगी।
मकर- कानूनी मामलों में सफलता आपको मिल सकती है आर्थिक तौर पर मजबूती बनी रहेगी। छोटी यात्रा का सुख आप प्राप्त कर सकते हैं पिता से अपने मन की बात आप शेयर कर सकते हैं।
कुंभ- अपने दिल की सुनें और अपनी खुशियों के मार्ग को स्वयं बनाएं। पारिवारिक जीवन में तनाव बना रह सकता है अपने शब्दों पर विराम लगाएं। वाहन सुख की प्राप्ति के योग बन रहे हैं मित्रों का सहयोग मिलेगा।
मीन- कारोबार और नौकरी दोनों में लेनदेन संबंधी गड़बड़ी से आपको हानि होगी। वैवाहिक जीवन में सुख शांति बनी रह सकती है ससुराल पक्ष से आपको धन लाभ की प्राप्ति हो सकती है काम काज में तेजी देखने को मिलेगी।
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विवाह संबंधित हर बाधा दूर करेगा "भौम प्रदोष" का उपाय

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन भौम प्रदोष व्रत को खास माना गया है जो कि हर माह में आता है यह तिथि भगवान शिव की साधना आराधना को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं
मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा बरसती है। इस बार प्रदोष व्रत 4 जून दिन मंगलवार को किया जाएगा। मंगलवार के दिन प्रदोष पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष के नाम से जाना जा रहा है इस दिन शिव पार्वती की विधिवत पूजा करें साथ ही ​श्री शिव शंकर स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से करके अपनी प्रार्थना भगवान से कहें। माना जाता है कि इस उपाय को करने से विवाह की हर बाधा से छुटकारा मिलता है और शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं।
श्री शिव शंकर स्तोत्र-
अतिभीषणकटुभाषणयमकिङ्किरपटली-
-कृतताडनपरिपीडनमरणागमसमये ।
उमया सह मम चेतसि यमशासन निवसन्
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ १ ॥
असदिन्द्रियविषयोदयसुखसात्कृतसुकृतेः
परदूषणपरिमोक्षण कृतपातकविकृतेः ।
शमनाननभवकानननिरतेर्भव शरणं
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ २ ॥
विषयाभिधबडिशायुधपिशितायितसुखतो
मकरायितगतिसंसृतिकृतसाहसविपदम् ।
परमालय परिपालय परितापितमनिशं
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ ३ ॥
दयिता मम दुहिता मम जननी मम जनको
मम कल्पितमतिसन्ततिमरुभूमिषु निरतम् ।
गिरिजासख जनितासुखवसतिं कुरु सुखिनं
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ ४ ॥
जनिनाशन मृतिमोचन शिवपूजननिरतेः
अभितोऽदृशमिदमीदृशमहमावह इति हा ।
गजकच्छपजनितश्रम विमलीकुरु सुमतिं
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ ५ ॥
त्वयि तिष्ठति सकलस्थितिकरुणात्मनि हृदये
वसुमार्गणकृपणेक्षणमनसा शिवविमुखम् ।
अकृताह्निकमसुपोषकमवताद्गिरिसुतया
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ ६ ॥
पितराविति सुखदाविति शिशुना कृतहृदयौ
शिवया हृतभयके हृदि जनितं तव सुकृतम् ।
इति मे शिव हृदयं भव भवतात्तव दयया
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ ७ ॥
शरणागतभरणाश्रित करुणामृतजलधे
शरणं तव चरणौ शिव मम संसृतिवसतेः ।
परिचिन्मय जगदामयभिषजे नतिरवतात्
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ ८ ॥
विविधाधिभिरतिभीतिभिरकृताधिकसुकृतं
शतकोटिषु नरकादिषु हतपातकविवशम् ।
मृड मामव सुकृतीभव शिवया सह कृपया
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ ९ ॥
कलिनाशन गरलाशन कमलासनविनुत
कमलापतिनयनार्चित करुणाकृतिचरण ।
करुणाकर मुनिसेवित भवसागरहरण
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ १० ॥
विजितेन्द्रियविबुधार्चित विमलाम्बुजचरण
भवनाशन भयनाशन भजिताङ्गितहृदय ।
फणिभूषण मुनिवेषण मदनान्तक शरणं
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ ११ ॥
त्रिपुरान्तक त्रिदशेश्वर त्रिगुणात्मक शम्भो
वृषवाहन विषदूषण पतितोद्धर शरणम् ।
कनकासन कनकाम्बर कलिनाशन शरणं
शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे हर दुरितम् ॥ १२ ॥
इति श्री शिव शंकर स्तोत्र ॥
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वट सावित्री 21 जून को, महिलाएं रखेंगी पति की लंबी आयु के लिए व्रत

शादी के बाद नई नवेली दुल्हन ऐसे करें वट सावित्री की पूजा, इन बातों का रखें खास ध्यान, जानें पूरी विधि : हर सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री का व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है. मान्यता है कि जो भी विवाहित महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. इस वर्ष 21 जून को वट सावित्री का व्रत है. इस बार नई नवेली दुल्हन जो पहली वार वट सावित्री का व्रत रखने जा रही हैं, उनके लिए व्रत रखने की विधि जानना बेहद जरूरी है. आपको बता दें कि वट सावित्री व्रत के दिन हर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास रख विधि-विधान से पूजा करती हैं. इस साल सुहागिनों का पर्व वट सावित्री व्रत 21 जून 2024 को रखा जाएगा. ऐसे में अगर आप शादी के बाद पहली बार वट सावित्री का व्रत करने जा रही हैं, तो पूजा से जुड़े इन नियमों का विशेष रूप से पर ध्यान रखें.वहीं अगर कोई नई नवेली दुल्हन, जो पहली बार इस व्रत को रखने जा रही है, उन्हें सबसे सबसे पहले वट के पेड़ की आवश्यकता होगी. अगर वट वृक्ष आस-पास में नही है, तो कहीं से वट वृक्ष की टहनी घर लाकर स्थापित करना है. फिर दो टोकरियों में पूजा का सामान सजाकर रखना है. इसमें सावित्री और सत्यवान की मूर्ति, कलावा, बरगद का फल, धूप, दीपक, फूल, मिठाई, रोली, सवा मीटर का कपड़ा, बांस का पंखा, कच्चा सूत, इत्र, पान, सुपारी, नारियल, सिंदूर, अक्षत, सुहाग का सामान, भीगा चना, कलश, मूंगफली के दाने, मखाने का लावा जैसी चीजें शामिल होंगी.
नई दुल्हन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग की साड़ी पहनें. बरगद के पेड़ के नीचे पूजा घर और पूजा स्थल को साफ करें. अशुद्धियों को दूर करने के लिए थोड़ा गंगाजल छिड़कें. अब सप्तधान्य को बांस की टोकरी में भरकर उसमें भगवान ब्रह्मा की मूर्ति स्थापित करें. दूसरी टोकरी में सप्तधान्य भरकर सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित करें. इस टोकरी को पहली टोकरी के बाईं ओर रखें. अब इन दोनों टोकरियों को बरगद के पेड़ के नीचे रख दें.पेड़ पर चावल के आटे की छाप या पीठा लगाना होता है. पूजा के समय बरगद के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाया जाता है और इसके चारों ओर 7 बार पवित्र धागा लपेटा जाता है. इसके बाद वट वृक्ष की परिक्रमा की जाती है. पेड़ के पत्तों की माला बनाकर धारण किया जाता है, फिर वट सावित्री व्रत की कथा सुनकर चने से पकवान बनाया जाता है और सास को उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ पैसे दिए जाते हैं. एक टोकरी में फल, अनाज, वस्त्र आदि रखे जाते हैं और किसी ब्राह्मण को दान किया जाता है.
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ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 21 जून को, करें श्री सत्यनारायण की पूजा

  • हर मुराद होगी पूरी
सनातन धर्म में गुरुवार के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही गुरुवार का व्रत रखा जाता है। इस दिन श्री सत्यनारायण पूजा भी की जाती है। सनातन शास्त्रों में श्री सत्यनारायण पूजा की महिमा का वर्णन है। इस पूजा के लिए तिथि और मुहूर्त का विचार नहीं किया जाता है। साधक अपनी सुविधा के अनुसार किसी दिन श्री सत्यनारायण पूजा कर सकते हैं। हालांकि, पूर्णिमा तिथि पर श्री सत्यनारायण पूजा करने से व्रती को विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। धार्मिक मत है कि श्री सत्यनारायण पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। साथ ही व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भी जून महीने में श्री सत्यनारायण पूजा करने की सोच रहे हैं, तो तिथि और शुभ मुहूर्त अवश्य नोट कर लें। आइए जानते हैं-
शुभ मुहूर्त-
ज्योतिष पूर्णिमा तिथि पर श्री सत्यनारायण पूजा करने की सलाह देते हैं। जून महीने में ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 22 जून को सुबह 06 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 21 जून को रखा जाएगा। वहीं, ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून को मनाई जाएगी। अतः जून महीने में श्री सत्यनारायण पूजा हेतु 22 जून का दिन बेहद उत्तम है। इस दिन स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान-पुण्य किया जाता है।
शुभ समय-
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 04 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक।
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कृषक दंपती ने सार्वजनिक मंदिर निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन की दान

  • किसान के सेवा भाव की सराहना की हो रही तारीफ
बलरामपुर। जिले के कुसमी विकासखंड अंतर्गत ग्राम राजेंद्रपुर में कृषक दंपती ने सार्वजनिक मंदिर निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दान में दी है। बुधवार को ग्रामवासियों की उपस्थिति में शिव मंदिर निर्माण के लिए विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई। कृषक दंपती के सेवा भाव की सराहना हो रही है।
सामरी क्षेत्र के राजेंद्रपुर निवासी कृषक दंपती सोमरा-मूलपति नगेसिया की इच्छा थी कि उनकी जमीन पर शिव मंदिर का निर्माण हो, इसे लेकर वे गांव वालों से अक्सर चर्चा भी किया करते थे। गांव वालों को जब इस बात की जानकारी लगी तो उन्होंने कृषक दंपती से चर्चा की। कृषक दंपती ने अपनी भावनाओं से उन्हें अवगत कराया। गांव वालों ने भी यह तय किया कि कृषक दंपती की जमीन पर शिव मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। तब कृषक दंपति ने अपनी पांच एकड़ जमीन मंदिर निर्माण के लिए दान कर दी। ग्रामीण क्षेत्र में जमीन जायदाद को लेकर जहां विवाद की खबरें लगातार सामने आती है। यहां तक कि नाते-रिश्तेदार एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं। सालों -साल न्यायालय में केस चलता है ऐसे कठिन दौर में कृषक दंपती का यह निर्णय प्रेरणादायक है। गांव के लोग उनके निर्णय की सराहना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि दंपती ने समाज को नया संदेश दिया है। राजेंद्रपुर सहित आसपास के गांव में रहने वाले लोग कृषक दंपती की सोच की सराहना कर रहे हैं। समरी व उसे लगा राजेंद्रपुर इलाका बॉक्साइट की खदानों के लिए जाना जाता है। यहां की जमीन बेशकीमती हैं। जमीन की मोह माया किए बगैर दंपती ने सार्वजनिक शिव मंदिर निर्माण के लिए पहल की।
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अमलेश्वर में 26 मई से 2 जून तक शिवपुराण कथा

  • पुलिस ने जारी की ट्रैफिक एडवाइजरी
दुर्ग। मशहूर कथावाचक सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा इन दिनों छत्तीसगढ़ में हैं। कुरूद में शिवपुराण कथा करने के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा के द्वारा दुर्ग के अमलेश्वर में शिवपुराण कथा का आयोजन किया जाएगा। शिव महापुराण कथा का आयोजन 26 मई से 2 जून तक होगा। इस कथा को लेकर आयोजन स्थल पर तैयारी भी जोरों से जारी है। यहां गर्मी को देखते हुए भक्तों की सुविधा के लिए खास तौर पर इंतजाम किए जा रहे हैं।
बताया गया कि इस प्रवचन को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचेंगे। लोगों को कथा स्थल तक पहुंचने के लिए परेशानी न हो और यातायात सुगम रहे, इसके लिए रायपुर पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की है। वहीं कथा स्थल तक आने-जाने के लिए मार्ग परिवर्तित किया गया है। पुलिस ने श्रद्धालुओं से अपील है कि, रायपुर से कथा स्थल पहुंचने के लिए भाठागांव चौक होते हुए काठाडीह मार्ग ​​​​​​​और खुड़मुड़ा नदी पुल से होकर अमलेश्वर कथा स्थल तक पहुंचे। इसी तरह टाटीबंध से कुम्हारी चौक, परसदा, मगरघटा होते हुए ग्राम भोथली और एम.टी. वर्कशॉप रोड का इस्तेमाल करते हुए कथा स्थल जाएं।
भीषण गर्मी में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कथा स्थल के आस-पास 7 से 8 जगहों पर बोर किया गया है। पानी की टंकी भी लगाई गई है, जहां पर पीने का पानी उपलब्ध रहेगा। इसके साथ ही तेज गर्मी को देखते हुए 2 लाख स्क्वायर फीट में शावर सिस्टम भी लगाया जाएगा। खासतौर पर इसके कारीगर इंदौर से बुलाए गए हैं।
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बुद्ध पूर्णिमा आज, जानिए...शुभ मुहूर्त

आज देशभर में बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है. बुद्ध पूर्णिमा मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध को समर्पित है. सनानत धर्म की मान्यताओं के अनुसार, गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है. वहीं, पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है. इसलिए भगवान भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और चंद्रदेव को अर्घ्य देने से जीवन की हर बाधा को दूर किया जा सकता है.
बुद्ध पूर्णिमा 22 मई को देर रात 06 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 23 मई को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि को माना जाता है इसलिए आज 23 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी।
अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अशुभ या कमजोर है तो बुद्ध पूर्णिमा पर इसे एक सरल उपाय से दूर किया जा सकता है. चन्द्रमा को मजबूत बनाने के लिए भगवान शिव की उपासना सबसे ज्यादा फलदायी होती है. इसलिए बुद्ध पूर्णिमा पर शिव मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें. चाहें तो पूर्णिमा का उपवास भी रख सकते हैं.
कुंडली में चंद्रमा की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए बुद्ध पूर्णिमा पर अंगुली में मोती धारण करें. इसे पहनने के बाद गरीब या जरूरतमंदों को दान जरूर करें. अंगुली में मोती धारण करने के लिए ज्योतिषविदों की सलाह जरूर लें.
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ज्येष्ठ माह की एकादशी 2 जून को, जानिए...शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में अपरा एकादशी को बहुत फलदायी माना जाता है। इस तिथि पर श्री हरि विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। यह ज्येष्ठ मास की पहली एकादशी है, जो 2 जून, 2024 को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि जो साधक इस दिन का उपवास रखते हैं उन्हें धन-दौलत और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है, तो आइए इस व्रत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -
ज्येष्ठ माह की एकादशी तिथि की शुरुआत 2 जून, 2024 सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी। और इसका समापन अगले दिन 03 जून, 2024 मध्य रात्रि 02 बजकर 41 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल अपरा एकादशी 2 जून को मनाई जाएगी।
पूजा विधि-
व्रती सुबह उठकर स्नान करें।
भगवान श्री हरि के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद भगवान के कक्ष को अच्छी तरह साफ कर लें।
एक वेदी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
भगवान का पंचामृत से स्नान करवाएं।
पीले फूलों की माला अर्पित करें।
हल्दी या फिर गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं।
भगवान विष्णु का ध्यान करें।
पूजा में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें।
अंत में आरती करें।
पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें।
जरूरतमंदों को भोजन कराएं और उनकी मदद करें।
अगले दिन व्रती पारण समय में अपना व्रत खोलें।
श्री हरि पूजा मंत्र-
दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।
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खाटू श्याम बाबा का व्रत किस, दिन यहाँ जानिए...सब कुछ

बाबा श्याम को कलयुग का अवतार माना जाता है। श्याम को हारे का सहारा भी कहा जाता है। हर साल लाखों भक्त बाबा श्याम के दरबार में शीश जलाने आते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बाबा श्याम कौन हैं... और खाटूश्याम जी में बाबा श्याम का मंदिर क्यों बनाया गया है... जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
महाभारत में उल्लेख है कि भीम के पुत्र घटोत्कच थे और उनके पुत्र बर्बरीक थे। बर्बरीक देवी माँ के भक्त थे। बर्बरीक की तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर देवी माँ ने उन्हें तीन बाण दिये, जिनमें से एक से वह संपूर्ण पृथ्वी को नष्ट कर सकते थे। ऐसे में जब महाभारत का युद्ध चल रहा था तो बर्बरीक ने अपनी मां हिडिम्बा को युद्ध लड़ने का प्रस्ताव दिया. तब बर्बरीक की माँ ने सोचा कि कौरवों की सेना बड़ी है और पांडवों की सेना छोटी है, इसलिए शायद कौरव युद्ध में पांडवों पर भारी पड़ जायेंगे। तब हिडिम्बा ने कहा कि तुम हारने वाले पक्ष की ओर से लड़ोगे। इसके बाद माता की आज्ञा मानकर बर्बर लोग महाभारत के युद्ध में भाग लेने के लिए निकल पड़े। लेकिन, श्री कृष्ण जानते थे कि यदि बर्बरीक युद्ध स्थल पर पहुँच गए तो जीत पांडवों की होगी, वे कौरवों की ओर से युद्ध लड़ेंगे। इसलिए भगवान कृष्ण ने एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और बर्बरीक के पास पहुंचे।
तब भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश दान में मांग लिया। बर्बरीक ने दान स्वरूप अपना शीश बिना किसी प्रश्न के भगवान कृष्ण को दान कर दिया। इस दान के कारण श्री कृष्ण ने कहा कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे, कलयुग में तुम श्याम के नाम से पूजे जाओगे, तुम कलयुग के अवतार कहलाओगे और हारे का सहारा बनोगे।
जब घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने अपना शीश भगवान श्री कृष्ण को दान में दे दिया, तो बर्बरीक ने महाभारत का युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की, तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक का शीश एक ऊँचे स्थान पर रख दिया। तब बर्बरीक ने संपूर्ण महाभारत युद्ध देखा। युद्ध की समाप्ति के बाद भगवान कृष्ण ने बर्बरीक का सिर गर्भवती नदी में फेंक दिया। इस प्रकार बर्बरीक यानि बाबा श्याम का शीश गर्भवती नदी से खाटू (उस समय खाटुवांग शहर) में आ गया। आपको बता दें कि खाटूश्यामजी में गर्भवती नदी 1974 में लुप्त हो गई थी.
स्थानीय लोगों के अनुसार, पीपल के पेड़ के पास एक गाय प्रतिदिन अपने आप दूध देती थी, ऐसे में जब लोगों ने उस स्थान की खुदाई की तो वहां से बाबा श्याम का सिर निकला। बाबा श्याम का यह शीश फाल्गुन माह की ग्यारस को प्राप्त हुआ था इसलिए बाबा श्याम का जन्मोत्सव भी फाल्गुन माह की ग्यारस को मनाया जाता है। खुदाई के बाद ग्रामीणों ने बाबा श्याम का सिर चौहान वंश की नर्मदा देवी को सौंप दिया। इसके बाद नर्मदा देवी ने बाबा श्याम को गर्भ गृह में स्थापित कर दिया और जिस स्थान पर बाबा श्याम को खोदा गया था, वहां पर एक श्याम कुंड बनाया गया।
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एकदंत संकष्टी चतुर्थी 26 मई को, करें ये काम

  • मिलेगी कर्ज से मुक्ति
सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी को खास माना गया है जो कि भगवान श्री गणेश की साधना आराधना को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा बरसती है।
पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। अभी वैशाख का महीना चल रहा है और इसके समापन के बाद ज्येष्ठ माह लग जाएगा। ज्येष्ठ माह की पहली चतुर्थी तिथि पर एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूजन किया जाता है जो कि इस साल 26 मई को पड़ रही है। इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा का विधान होता है माना जाता है कि एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर अगर शिव पुत्र गणेश की उपासना व उपवास किया जाए तो प्रभु प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं इस दिन पूजा पाठ के दौरान अगर भगवान श्री गणेश के प्रिय स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो कर्ज की समस्या से मुक्ति मिलती है तो आज हम आपको लिए लेकर आए हैं गणेश स्तोत्र।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 26 मई को सुबह 6 बजकर 6 मिनट पर हो जाएगा और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी की 27 मई को सुबह 4 बजकर 53 मिनट पर होगा। ऐसे में एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व 26 मई को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा के लिए दिनभर उत्तम रहेगा। इस दौरान पूजा पाठ और व्रत करने से जीवन के दुखों का अंत हो जाता है और सुख समृद्धि व शांति प्राप्त होती है।
गणेश स्तोत्र
शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।
येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥
चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।
विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥
तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।
साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥
चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।
सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥
अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।
तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥
इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।
एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥
तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।
क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥
सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥
धन लाभ हेतु मंत्र
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
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पंचग्रही योग पर 300 साल बाद केतु की दृष्टि

इन राशि वालों को होगा बंपर लाभ
लगातार गतिशील होने के कारण ग्रहों का राशि परिवर्तन होते रहता है और इस कारण कुंडली में कई तरह के शुभ और अशुभ योग निर्मित होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कई योगों में से एक पंचग्रही योग का भी विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र में पंचग्रही योग को काफी ज्यादा शुभ माना जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, जब कुंडली में किसी एक घर में 5 ग्रह एक साथ आ जाते हैं, तब पंचग्रही योग का निर्माण होता है।
पंचग्रही योग का प्रभाव-
पंचग्रही योग जीवन में सुख और समृद्धि लेकर आता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इस शुभ योग के कारण व्यक्ति को समाज में मान सम्मान मिलता है और वह उच्च पद पर आसीन होता है। वहीं कुछ जातकों पर पंचग्रही योग का दुष्प्रभाव भी असर हो सकता है और उसे नुकसान हो सकता है। पंचग्रही योग का प्रभाव हर राशि के जातक के लिए अलग-अलग होता है।
कब बनेगा पंचग्रही योग-
हिंदू पंचांग के अनुसार, जून माह में 300 साल बाद पंचग्रही योग निर्मित हो रहा है और इस दौरान इस योग पर केतु की नजर भी होगी। इस कारण मेष, कर्क, तुला और वृश्चिक राशि वालों का काफी ज्यादा लाभ हो सकता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, 5 जून को सुबह 4:14 बजे से 7 जून को सुबह 7:55 बजे तक सूर्य, शुक्र, बुध, गुरु और चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे। इससे पहले पंचग्रही योग साल 2012 को 21 मई से 23 मई के बीच निर्मित हुआ था। तब पंचग्रहों में केतु भी शामिल था, इसलिए इस योग का शुभ प्रभाव कम हो गया था।
इन 5 राशि वालों को होगा फायदा-
मेष राशि- पंचग्रही योग मेष राशि के दूसरे भाव में बनेगा। इस योग में धन लाभ होगा। सम्मान में बढ़ोतरी होगी और प्रमोशन के योग बन सकते हैं।
वृषभ राशि- स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। व्यापार में लाभ हो सकता है। पंचग्रही योग के कारण जल्द विवाह के योग बन सकते हैं।
मिथुन राशि- आय में बढ़ोतरी होने के साथ खर्चों में भी बढ़ोतरी होगी। कानूनी मामलों में जीत हासिल होगी। प्रेम संबंधों में सफलता मिलेगी।
कर्क राशि- धन-व्यापार में लाभ होगा। मानसिक तनाव दूर हो सकता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिल सकती है।
सिंह राशि- ऑफिस में काम की तारीफ होगी। मानसिक तनाव दूर होगा। माता-पिता की सेहत में सुधार होगा। मान सम्मान में वृद्धि होगी।
मीन राशि- भाई बहनों के साथ संबंधों में सुधार होगा। आपको किसी प्रोजेक्ट में अच्छी सफलता मिलेगी। भाग्य साथ देगा। अच्छी नौकरी मिल सकती है। प्रमोशन हो सकता है।

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'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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पत्नी की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है अशून्य शयन व्रत

  • जानिए...तिथि, विधि और महत्व
जल्द ही चातुर्मास शुरू होने वाला है। इन चार महीनों में हर महीने कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को अशून्य शयन व्रत रखा जाता है। इस व्रत की शुरुआत सावन माह से होती है। भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को यह व्रत करने की परंपरा है। जिस तरह महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। उसी तरह अशून्य शयन का व्रत महिलाओं की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि जो पुरुष इस व्रत को करते हैं, उनकी पत्नियों को लंबी उम्र आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत का जिक्र कई पुराणों में मिलता है।
कब रखा जाएगा अशून्य शयन व्रत-
हेमाद्रि और निर्णयसिन्धु में उल्लेख है कि अशून्य शयन द्वितीया का व्रत करने से दांपत्य जीवन में आत्मविश्वास आता है। इससे जीवन हमेशा सुखी बना रहता है, साथ ही खुशियां आती हैं। साल 2024 में अशून्य शयन व्रत 22 जुलाई, सोमवार को रखा जाएगा।
इस तरह करें व्रत-
शाम को चंद्रमा निकलने पर चंद्रमा को जल में चावल, दही और फल डालकर अर्घ्य दें। तृतीया के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और उसका आशीर्वाद लें। उसे मीठा फल दें। इस व्रत को करने से आपका दांपत्य जीवन हमेशा सुख-समृद्धि से भरा रहता है। इतना ही नहीं, पत्नी की आयु भी लंबी होती है।
अशून्य शयन व्रत महत्व-
यह व्रत पुरुषों द्वारा किया जाता है। इस व्रत को करने से पति-पत्नी का जीवन भर साथ रहता है और रिश्ते मजबूत होते हैं। अशून्य शयन द्वितीया का अर्थ है- बिस्तर पर अकेले न सोना। जिस तरह महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं, उसी तरह पुरुषों को भी अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, पति-पत्नी के रिश्ते मधुर बने रहें, इसके लिए अशून्य शयन द्वितीया का यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण है।

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नरसिंह जयंती आज, इस मुहूर्त में करें पूजा

हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन नरसिंह जयंती को खास माना गया है जो कि वैशाख माह में पड़ती है इस दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह की पूजा अर्चना की जाती है। पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरसिंह जयंती का त्योहार मनाए जाता है।
भगवान नरसिंह श्री ​हरि विष्णु के चौथे अवतार है। इनकी पूजा आराधना करने से दुख परेशानियां व कष्ट समाप्त हो जाता है और खुशहाली आती है भगवान नरसिंह को आधा मनुष्य और आधा शेर के रूप में दर्शाया गया है। शास्त्र अनुसार अपने परम भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार धारण किया था इस साल न​रसिंह जयंती का पर्व आज यानी 21 मई दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा आराधना और व्रत करना लाभकारी माना जाता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पूजन का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं। तो आइए जानते हैं।
नरसिंह जयंती पर पूजा का शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 21 मई को शाम 5 बजकर 29 मिनट पर हो रही है और इस ​तिथि का समापन अगले दिन यानी 22 मई को शाम 6 बजकर 47 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में नरसिंह जयंती का पर्व 21 मई यानी आज मनाया जाएगा।
इस दिन रवि योग और स्वाति नक्षत्र का विशेष संयोग बना हुआ है। भगवान नरसिंह की पूजा संध्याकाल में करना उत्तम होता है। ऐसे में आप 21 मई को भगवान की पूजा शाम 4 बजकर 24 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 9 मिनट तक कर सकते हैं यह मुहूर्त पूजा पाठ के लिए उत्तम है।
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हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के लिए खास है बुद्ध पूर्णिमा

  • जानिए...स्नान दान और पूजा का शुभ मुहूर्त
बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति के दिन के रूप में देखा जाता है और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था. वहीं हिंदू मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने अपना 9वां अवतार बुद्ध के रूप में लिया था.
वैशाख पूर्णिमा तिथि 22 मई दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 48 मिनट से शुरू हो रही है और 23 मई दिन गुरुवार को शाम 7 बजकर 23 मिनट को तिथि का समापन होगा. ऐसे में पूर्णिमा तिथि का व्रत, दान पुण्य और चंद्रमा को अर्घ्य 22 मई को किया जाएगा. वहीं 23 मई को स्नान दान, पूजा पाठ आदि शुभ कार्य किए जाएंगे.
इसलिए मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा-
बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिंदू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान है. गृह त्याग करने के बाद राजकुमार सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्षों तक वन में भटकते रहे. यहां उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई. तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है. भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद खीर पीकर ही अपना व्रत खोला था. इसलिए इस दिन घर में खीर बनाई जाती है और भगवान बुद्ध को खीर का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है.
गौतम बुद्ध का जीवन-
गौतम बुद्ध एक आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक और मार्गदर्शक थे. उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की. गौतम बुद्ध के अनुयायी पूरी दुनिया में हैं. गौतम बुद्ध के जन्म और मृत्यु का समय अनिश्चित है. इस बीच, अधिकांश इतिहासकार गौतम बुद्ध का जीवनकाल 563-483 ईस्वी के बीच मानते हैं. इसके अलावा, कई लोग लुंबिनी, नेपाल को बुद्ध का जन्मस्थान मानते हैं. गौतम बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुई थी.
यही कारण है कि बोधगया को बौद्ध धर्म में एक पवित्र स्थान माना जाता है. अन्य तीन महत्वपूर्ण तीर्थ क्षेत्र हैं-कुशीनगर, लुंबिनी और सारनाथ. ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध को बोधगया में ज्ञान प्राप्त हुआ था और उन्होंने सबसे पहले सरना में धर्म की शिक्षा दी थी.
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नारद जयंती 24 मई को, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा

  • बल, बुद्धि और शुद्धता की होगी प्राप्ति
पौराणिक मान्यता है कि ब्रह्माजी के पुत्र भगवान नारद सृष्टि का प्रथम पत्रकार हैं, जो तीनों लोकों में सूचना इधर से उधर पहुंचाने का काम करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि इस तिथि को ही नारद जी का जन्म हुआ था। इस साल नारद जयंती 24 मई 2024 को मनाई जाएगी।
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 23 मई को शाम 07:22 बजे होगी और इस तिथि का समापन 24 मई को शाम 07:24 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, नारद जयंती 24 मई को ही मनाया जाना चाहिए।
ऐसे करें नारद जयंती पर पूजा-
नारद जयंती के दिन सुबह जल्द उठकर स्नान करें और देवी-देवता का ध्यान करें।
स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और मंदिर की सफाई करें।
चौकी पर कपड़ा बिछाकर नारद जी की प्रतिमा विराजित करें।
दीपक जलाकर आरती करें।
प्रभु से जीवन में सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें।
भगवान नारद को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
गरीबों को विशेष चीजों का दान करना चाहिए।
नारद जयंती का महत्व-
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, नारद जयंती पर यदि विधि-विधान से पूजा की जाती है तो भक्तों को बल, बुद्धि और शुद्धता की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान कृष्ण के मंदिर में बांसुरी भी अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से जातक के जीवन से सभी दुख दूर होते हैं।

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मंगल ग्रह का मेष राशि में गोचर 1 जून को

  • कुंभ और मीन राशि वाले जातक जरूर करें ये उपाय
हिंदू ज्योतिष शास्त्र में मंगल देव को बहुत ही प्रभावकारी ग्रह माना गया है। मंगल देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो इसका प्रभाव सभी राशियों पर होता है। हिंदू पंचांग की गणनाओं के अनुसार, मंगल ग्रह का गोचर 1 जून 2024 को 15:27 बजे मेष राशि में होगा। यह राशि चक्र की पहली राशि होती है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, मंगल देव के राशि परिवर्तन से कुंभ और मीन राशि वालों को बंपर लाभ हो सकता है। इस दौरान उन्हें कुछ खास उपाय जरूर करना चाहिए। इन उपायों के बारे में यहां जानें विस्तार से।
ज्योतिष में मंगल ग्रह का महत्व-
ज्योतिष में मंगल ग्रह को योद्धा, मर्दाना स्वभाव और आदेश देने वाले ग्रह के रूप में जाना जाता है और मानव स्वभाव में इस सभी कारकों को प्रभावित व मजबूत करता है। ग्रहों की स्थिति के अनुसार, मंगल ग्रह अपनी स्थिति व राशि के अनुसार सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव दिखाते हैं।
कुंभ राशि वालों की बढ़ेगी प्रतिष्ठा-
कुंभ राशि के जातकों के लिए मंगल देव तीसरे और 10वें भाव के स्वामी है। मंगल के गोचर के दौरान कुंभ राशि वाले जातकों को सफलता प्राप्त होगी और यात्रा में अधिक समय व्यतीत हो सकता है। करियर में कड़ी मेहनत का परिणाम मिल सकता है। सामाजिक प्रतिष्ठा में भी बढ़ोतरी हो सकती है। व्यापार में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी के साथ रिश्ते सुधरेंगे। कुंभ राशि वालों को मंगल देव को प्रसन्न करने के लिए रोज 21 बार 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए।
मीन राशि वालों को होगा भाग्योदय-
मीन राशि के जातकों के लिए मंगल देव दूसरे और 9वें भाव का स्वामी है। मीन राशि वाले जातकों को मंगल के गोचर के दौरान अच्छा पैसा कमाने का अवसर प्राप्त होगा। करियर में सफलता मिलेगी। व्यापार में किसी नए उपक्रम की शुरुआत कर सकते हैं। ससुराल पक्ष से सहयोग मिलेगा। मीन राशि वालों मंगलवार को माँ दुर्गा के लिए यज्ञ और हवन करना चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में मंगल दोष दूर होगा और मंगल देव प्रसन्न होंगे।

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चारधाम यात्रा के लिए ऋषिकेश में ऑफलाइन पंजीकरण शुरू

ऋषिकेश। चारधाम यात्रा के लिए ऋषिकेश और हरिद्वार में रविवार से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन एक बार फिर शुरू हो गए. रविवार को ऋषिकेश में 3000 जबकि हरिद्वार में 1775 श्रद्धालुओं का ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन किया गया. प्रशासन ने 13 मई को श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी थी.
14 मई के बाद पहुंचने वाले यात्रियों का दूसरे चरण में पंजीकरण कराया जाएगा. चारधाम यात्रा के लिए जून तक ऑनलाइन पंजीकरण पहले ही फुल हो चुके हैं. ऑफलाइन पंजीकरण भी 13 मई से बंद थे. ऐसे में ऋषिकेश में यात्री परेशान थे. ठहरे यात्रियों को प्रशासन ने चिह्नित कर उनकी सूची तैयार की. इसके बाद पंजीकरण काउंटर पर सिलसिलेवार उन्हें लाइन में लगाकर फार्म भरवाए गए.
बदरीनाथ में रविवार को दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की तीन किलोमीटर लंबी लाइन नजर आई. रविवार को सिंहद्वार से लेकर दर्शन पथ पर यात्रियों की कतार रही. स्थानीय लोगों के मुताबिक, पहली बार तीन किमी लंबी लाइन यात्रियों की देखने को मिली. श्रद्धालु बारिश में भी बरसाती ओढ़े दर्शन के लिए कतार में खड़े दिखे.
यमुनोत्री मंदिर की यात्रा पर आए 2 श्रद्धालुओं की शनिवार देर रात मौत हो गई. मरने वालों की पहचान गुजरात की 53 वर्षीय कमलेशभाई पटेल और दूसरी महाराष्ट्र की 54 वर्षीय रोहिणी किशन दल्वी के रूप में हुई है. गंगोत्री यमुनोत्री की यात्रा के दौरान अब तक 14 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है.
चारधाम यात्रा में केदारनाथ धाम की यात्रा पर ज्यादा श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. 10 मई से शुरू यात्रा में अब तक आए श्रद्धालुओं में करीब 50 केदारनाथ आए हैं. बाकी 50 फीसदी श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ धाम, गंगोत्री, यमुनोत्री मंदिर के दर्शन किए हैं. शनिवार देर शाम तक चारधाम में 5.55 लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे.
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