धर्म समाज

संतान प्राप्ति के लिए खास हैं परशुराम द्वादशी, ऐसे करें पूजा

नई दिल्ली। हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर परशुराम द्वादशी मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन परशुराम जी की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत करने से संतान की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में चलिए जानते हैं परशुराम द्वादशी की पूजा विधि।
हिन्दू पुराणों के अनुसार, परशुराम ने घोर तपस्या की और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उन्हें भार्गवास्त्र अर्थात परशु अस्त्र प्रदान किया। माना जाता है कि परशुराम द्वादशी के दिन ही भगवान शिव ने परशुराम जी को दिव्य परशु अस्त्र प्रदान किया था। यह अस्त्र उन्हें पृथ्वी पर बढ़ रहे अर्धम का नाश करने के लिए सौपा गया था।
परशुराम द्वादशी पूजा विधि-
परशुराम द्वादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान से मुक्त हो जाएं और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर के मंदिर में चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु व परशुराम जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। गंगाजल या किसी शुद्ध जल से चित्र या मूर्ति को पवित्र करें। इसके बाद परशुराम जी का ध्यान करते हुए 21 पीले फूल अर्पित करें और इसके साथ ही पीले रंग की मिठाई भी जरूर चढ़ाएं। भोग में तुलसी पत्र डालना न भूलें। अंत में परशुराम जी की कथा सुनें और उनके मंत्रों का जाप करें।
करें इन मंत्रों का जाप
परशुराम द्वादशी के दिन इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति की हर मनोकामना जल्द ही पूर्ण हो जाती है। इन मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।
'ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।
'ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।'
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शनि प्रकोप से मुक्ति के लिए शनिवार के दिन करें ये उपाए

आज शनिवार का दिन है और ये दिन शनि पूजा के लिए उत्तम माना जाता है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करना लाभकारी होता है ऐसे में भक्त आज के दिन शनिदेव की विधिवत पूजा में लीन रहते हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर शनिवार के दिन पूजा के समय भक्ति भाव से शनि स्तोत्र का पाठ किया जाए तो शनिदेव की कृपा बरसती है और जीवन की परेशानियां दूर हो जाती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
दशरथ कृत शनि स्तोत्र-
अस्य श्रीशनैश्चरस्तोत्रस्य । दशरथ ऋषिः ।
शनैश्चरो देवता । त्रिष्टुप् छन्दः ॥
शनैश्चरप्रीत्यर्थ जपे विनियोगः ।
दशरथ उवाच ॥
कोणोऽन्तको रौद्रयमोऽथ बभ्रुः कृष्णः शनिः पिंगलमन्दसौरिः ।
नित्यं स्मृतो यो हरते च पीडां तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ १ 
सुरासुराः किंपुरुषोरगेन्द्रा गन्धर्वविद्याधरपन्नगाश्च ।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ २॥
नरा नरेन्द्राः पशवो मृगेन्द्रा वन्याश्च ये कीटपतंगभृङ्गाः ।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ३॥
देशाश्च दुर्गाणि वनानि यत्र सेनानिवेशाः पुरपत्तनानि ।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ४॥
तिलैर्यवैर्माषगुडान्नदानैर्लोहेन नीलाम्बरदानतो वा ।
प्रीणाति मन्त्रैर्निजवासरे च तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ५॥
प्रयागकूले यमुनातटे च सरस्वतीपुण्यजले गुहायाम् ।
यो योगिनां ध्यानगतोऽपि सूक्ष्मस्तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ६॥
अन्यप्रदेशात्स्वगृहं प्रविष्टस्तदीयवारे स नरः सुखी स्यात् ।
गृहाद् गतो यो न पुनः प्रयाति तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ७॥
स्रष्टा स्वयंभूर्भुवनत्रयस्य त्राता हरीशो हरते पिनाकी ।
एकस्त्रिधा ऋग्यजुःसाममूर्तिस्तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय ॥ ८॥
शन्यष्टकं यः प्रयतः प्रभाते नित्यं सुपुत्रैः पशुबान्धवैश्च ।
पठेत्तु सौख्यं भुवि भोगयुक्तः प्राप्नोति निर्वाणपदं तदन्ते ॥ ९॥
कोणस्थः पिङ्गलो बभ्रुः कृष्णो रौद्रोऽन्तको यमः ।
सौरिः शनैश्चरो मन्दः पिप्पलादेन संस्तुतः ॥ १०॥
एतानि दश नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ।
शनैश्चरकृता पीडा न कदाचिद्भविष्यति ॥ ११॥
॥ इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे श्री दशरथ कृत शनि स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
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अगर दांपत्य जीवन में आ रही ये दिक्कतें, तो धारण करें सफेद मूंगा

शास्त्रों में सफेद मूंगा को एक महत्वपूर्ण रत्न माना गया है. मान्यता है कि सफेद मूंगा ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करता है. इसके अलावा इसे पहनने से कई तरह के रोगों और पुरानी से पुरानी बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है. सफेद मूंगा धारण करने से क्या लाभ होते हैं, किसे धारण करना चाहिए और इसे धारण करने की विधि क्या है?, जानिए...
इन राशि के लोग कर सकते हैं धारण-
ज्योतिष अनुसार सफेद मूंगा वृष और तुला राशि के जातक धारण कर सकते हैं. क्योंकि वृष और तुला राशि पर वैभव और ऐश्वर्य के दाता शुक्र देव का आधिपत्य है. क्योंकि आपकी राशि के स्वामी ग्रहों के सेनापति मंगल हैं. वहीं अगर नवांश कुंडली में शुक्र और मंगल ग्रह उच्च के स्थित हैं तो भी सफेद मूंगा पहना जा सकता है. साथ ही अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में शुक्र और मंगल ग्रह कम डिग्री के स्थित हैं तो भी सफेद मूंगा पहना जा सकता है.
सफेद मूंगा धारण करने की विधि-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मूंगा रत्न को मंगलवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है. इस दिन सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं और मूंगे को गंगा जल में डुबाकर रख दें. अब 108 बार ‘ऊं अं अंगारकाय नम:’ मंत्र का जाप करते हुए इसे धारण करें. सफेद मूंगा चांदी की धातु में पहनना सबसे शुभ माना जाता है. आप इसे सोने या पंचधातु में भी धारण कर सकते हैं.
सफेद मूंगा पहनने के फायदे-
रत्न शास्त्र के अनुसार, सफेद मूंगा मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है. ऐसे में जो लोग किसी मानसिक अशांति से गुजर रहे हों, उन्हें सफेद मूंगा जरूर धारण करना चाहिए. इसके अलावा यदि पति-पत्नी के रिश्ते में कड़वाहट आ गई हो, तो पति-पत्नी दोनों को सफेद मूंगा धारण करना चाहिए. ज्योतिष के अनुसार, इससे उनके रिश्तों में प्यार बढ़ेगा और आपसी संबंध में भी मजबूती आएगी.
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सोम प्रदोष के दिन भोलेनाथ को अर्पित करें ये चीजें

  • कार्यक्षेत्र में मिलेंगी सफलता
नई दिल्ली। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा होती है। इस दिन भक्त भोलेनाथ के लिए उपवास रखते हैं और उनकी विधिपूर्वक पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन सभी पूजा नियमों का पालन करते हैं, उन्हें जीवन के हर दुखों से छुटकारा मिलता है।इस बार यह व्रत 20 मई, 2024 दिन सोमवार को रखा जाएगा। वहीं, ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को लेकर कई सारे उपाय बताए गए हैं, जिनका पालन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
यदी आपको लगातार किसी काम में असफलता मिल रही है, तो आपको सोम प्रदोष के दिन शिवलिंग पर अक्षत और शहद अर्पित करना चाहिए। इसके बाद भाव के साथ आरती करनी चाहिए। इस उपाय को करने से कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलेगी। इसके साथ ही कार्य में आने वाली सभी बाधा दूर होगी।
अगर आप कर्ज की समस्या से परेशान हैं, तो आपको सोम प्रदोष के दिन शिवलिंग पर दही चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही भगवान शंकर के वैदिक मंत्रों का जाप करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है। साध ही धन में भी वृद्धि होती है।
सोम प्रदोष व्रत 2024 डेट और शुभ मुहूर्त-
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की ​त्रयोदशी तिथि 20 मई, 2024 दिन सोमवार दोपहर 03 बजकर 58 पर शुरू होगी। वहीं, ​इस तिथि की समाप्ति अगले दिन यानी 21 मई, 2024 दिन मंगलवार शाम 05 बजकर 39 मिनट पर होगी। त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल 20 मई को पड़ रहा है, जिसके चलते साल का पहला सोम प्रदोष व्रत 20 मई को रखा जाएगा।
 
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पं. प्रदीप मिश्रा की कुरूद में श्री शिव-महापुराण कथा जारी

  • राजिम से प्रतिदिन 11 बजे से नि:शुल्क बस सेवा चलाई जा रही
राजिम। कुरूद में विश्व विख्यात कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा द्वारा 16 मई से 22 मई 2024 तक श्री शिव-महापुराण किया जा रहा है। कथा में श्रद्धालुओं के आने जाने के लिए राजिम बस स्टैण्ड के पास सेन निवास, श्री हनुमान जी मंदिर, गोवर्धन पारा, राजिम से प्रतिदिन 11 बजे से नि:शुल्क बस सेवा चलाई जा रही है। सेवा का लाभ कोई भी इच्छुक श्रद्धालु ले सकते हैं। इस हेतु सम्पर्क नं. 99777 38380 जारी किया गया है। इस नंबर में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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नरसिंह जयंती 21 मई को, जानिए...पूजा विधि

भगवान विष्णु ने समय-समय पर विभिन्न अवतार लेकर धरती पर आकर धर्म और अपने भक्तों की रक्षा की है. भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार में प्रकट होकर अपने परम भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यप का वध किया था. नरसिंह जयंती के दिन भगवान विष्णु के इसी अवतार की पूजा होती है. हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा करने से जीवन के दुखों का पंचांग के अनुसार, इस वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 21 मई को शाम 5 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और 22 मई को शाम को 6 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. नरसिंह जयंती 21 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी. नरसिंह जयंती की पूजा संध्या के समय की जाती है. 21 मई को संध्या के समय नरसिंह भगवान की पूजा 21 मई की तिथि शुरू होने के बाद संध्या 7 बजकर 9 मिनट तक की जा सकती है.
नरसिंह जयंती की पूजा-विधि-
नरसिंह जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का स्मरण कर व्रत का संकल्प करें. भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के बाद पूजाघर की सफाई कर गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें. एक चौकी पर भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार का चित्र स्थापित करें और भगवान को फल, फूल, मिठाई, चंदन, केसर, कुमकुम अर्पित करें. घी का दीया जलाकर विष्णु सहत्रनाम का जाप करें और पीले रंग की मिठाई का भोग (Bhog) चढ़ाएं. इस दिन भोजन और वस्त्र दान को उत्तम माना गया है. किसी जरूरतमंद को जरूर भोजन और वस्त्र का दान करें.
नरसिंह जयंती का महत्व-
नरसिंह जयंती बुराई पार अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है. यह भक्तों के प्रति भगवान विष्णु के प्रेम को प्रकट करने वाला दिन है. इस दिन भगवान विष्णु का स्मरण करने और विधि विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु उसी तरह कृपा बरसाते हैं जैसे उन्होंने भक्त प्रहलाद पर बरसाई थी.
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नवंबर माह में सिर्फ इस दिन किए जा सकेंगे विवाह कार्य

  • नोट कर लें तारीख...
देवउठनी एकादशी हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। अगले दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन से विवाह सहित सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इससे पहले देवशयनी एकादशी की तिथि पर भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। इसलिए आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से लेकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
नवंबर माह विवाह मुहूर्त-
13 नवंबर विवाह का शुभ मुहूर्त है। इस दिन रेवती नक्षत्र भी है। विवाह का शुभ मुहूर्त शाम 05:52 बजे से रात 02:28 बजे तक रहेगा। इसके अलावा दोपहर का समय भी शुभ समय है।
शादी का शुभ मुहूर्त 17 नवंबर भी है। नक्षत्र रोहिणी और मृगशिरा हैं। 17 नवंबर को पूरे दिन लग्न मुहूर्त है। लग्न मुहूर्त, निशा काल में भी रहेगा।
लग्न मुहूर्त 18 नवंबर को भी है। इस दिन मृगशिरा नक्षत्र रहेगा। इसी समय तृतीया तिथि पड़ रही है। यह दिन मंगलवार है। शास्त्रों में मंगलवार के दिन विवाह करना वर्जित है। इसलिए शादी की तारीख तय करने से पहले किसी स्थानीय पंडित से सलाह जरूर लें।
22 नवंबर को भी लग्न मुहूर्त है। इस दिन नक्षत्र मघा रहेगा और तिथि सप्तमी है। 23 नवंबर को भी विवाह का शुभ मुहूर्त है। इस दिन नक्षत्र मघा रहेगा और तिथि अष्टमी है।
ज्योतिषियों के अनुसार, 22, 23, 24, 25 और 26 तारीख को लगातार लग्न मुहूर्त रहेंगे। इसलिए अपनी सुविधा के अनुसार इन तिथियों पर शादी तय कर सकते हैं। मंगलवार और प्रतिपदा की तिथि का चयन न करें।

डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा

आज शुक्रवार का दिन है और ये दिन माता लक्ष्मी की साधना आराधना को समर्पित किया गया है इस दिन भक्त देवी मां को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से देवी की कृपा बरसती है लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन पूजा के समय श्री कनकधारा स्तोत्र का पाठ किया जाए तो माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
।। श्री कनकधारा स्तोत्र ।।
''अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।
मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।
विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।
बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।
कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।
प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:।।
दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।
इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:।।
गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै ।।
श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै।।
नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै।।
सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम्।।
यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे।।
सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।
दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्।।
कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ।।
स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:''।।
।। इति श्री कनकधारा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।
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चारधाम में मंदिर परिसर के 50 मीटर दायरे में मोबाइल प्रतिबंध

  • 31 मई तक VIP दर्शन पर भी रोक
देहरादून। चारधाम के मंदिर परिसरों के 50 मीटर के दायरे में मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. साथ ही 31 मई तक VIP दर्शन पर भी रोक को बढ़ा दिया है। पहले यह रोक 25 मई तक थी। सरकार ने ये फैसला बढ़ती भारी भीड़ को देखते हुए लिया है। धामों में भ्रामक सूचनाएं फैलाने वालों के खिलाफ सीधे एफआईआर दर्ज की जाएगी.
श्रद्धालु न तो अब मोबाइल का उपयोग कर पाएंगे और न ही सोशल मीडिया के लिए रील बना पाएंगे. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिव पर्यटन को आदेश का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं.
मुख्य सचिव ने कहा कि इस बार चारधाम में पिछले वर्षों की तुलना में अधिक श्रद्धालु आ रहे हैं. बढ़ती भीड़ के कारण धामों में समस्याएं न हों, इसके लिए भीड़ को नियंत्रित किया जा रहा है. मंदिर परिसरों में मोबाइल से फोटो खींचने और वीडियो बनाने में श्रद्धालु काफी समय व्यर्थ कर रहे हैं, जिससे भीड़ बढ़ रही है.
रील बना कर गलत संदेश फैलाना एक तरह का अपराध है. ऐसा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी. यात्रा पर श्रद्धा और आस्था से आने वालों के लिए समस्याएं पैदा हो रही हैं. किसी की भी आस्था को ठेस न पहुंचे, इसका ध्यान रखा जाएगा.
वीआईपी दर्शन पर रोक-
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चारधाम में वीआईपी दर्शन की व्यवस्था 31 मई तक स्थगित रहेगी. पहले यह रोक 25 मई तक थी. सचिवालय में चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं की समीक्षा के दौरान धामी ने कहा कि हमारी प्राथमिकता श्रद्धालुओं की सुरक्षा है. उन्होंने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया कि वे यात्रा रजिस्ट्रेशन के अनुसार ही दर्शन के लिए आएं.
यात्रा प्रबंधन पर विपक्ष के सवाल-
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने आरोप लगाया कि सरकार चारधाम यात्रा प्रबंधन में नाकामी छुपाने के लिए पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज कर रही है. कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए धस्माना ने कहा कि कांग्रेस फरवरी से ही राज्य सरकार से चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को सुधारने की मांग कर रही थी और मुख्यमंत्री को सुझाव पत्र सौंपा था.
यात्रा के लिए अब तक 26 लाख से अधिक रजिस्ट्रेशन करा चुके-
चारधाम की यात्रा के लिए अबतक 26 लाख से अधिक रजिस्ट्रेशन करा चुके है। वहीं लगभग 3 लाख से अधिक लोग चारधाम के दर्शन कर चुके हैं। चारधाम की यात्रा के शुरू होने के बाद से अबतक 11 लोगों की मौत भी हो चुकी है। मरने वाले 4 लोगों में डायबिटीज के साथ-साथ ब्लड प्रेशर की भी शिकायत थी। कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो बिना रजिस्ट्रेशन के चारधाम की यात्रा या सिर्फ केदारनाथ और बदरीनाथ के दर्शन के लिए रवाना हो चुके हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि चारधाम जाने वाले मार्गों पर भीषण जाम का लोगों को सामना करना पड़ रहा है।
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शनि जयंती 6 जून को, जानिए...शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन शनि जयंती को बहुत ही खास माना गया है जो कि शनिदेव की साधना आराधना हो समर्पित होता है पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है इस दिन शनि महाराज की विधिवत पूजा करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सुखों में वृद्धि होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव भगवान सूर्य के पुत्र है और इनका जन्म ज्येष्ठ अमावस्या पर हुआ थ। ऐसे में इसे शनि जयंती के नाम से जाना जाता है इस दिन शनिदेव की भक्ति भाव से आराधना की जाती है माना जाता है कि ऐसा करने से सभी प्रकार के सुखों में वृद्धि होती है और आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा शनि जयंती की तारीख और मुहूर्त की जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
तारीख और शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि का आरंभ 5 जून को संध्याकाल 7 बजकर 54 मिनट पर हो रहा है वही इसका समापन अगले दिन यानी की 6 जून को संध्याकाल 6 बजकर 7 मिनट पर हो जाएगा। उदया तिथि के अनुसार शनि जयंती का त्योहार 6 जून को मनाया जाएगा। इस दिन शनिदेव की विधिवत पूजा की जाती है और दिनभर उपवास किया जाता है माना जाता है कि ऐसा करने से शनि महाराज का आशीर्वाद मिलता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि जयंती के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद भगवान शनिदेव की विधिवत पूजा कर व्रत आदि का संकल्प करें माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन के दुखों का समाधान हो जाता है और सुख में वृद्धि होती है।
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प्रदीप मिश्रा की कथा कल से कुरुद में, ट्रैफिक एडवाइजरी जारी

धमतरी। कथा वाचक पंड़ित श्री प्रदीप मिश्रा के श्री शिव महापुराण कथा वाचन के कार्यक्रम हेतु पुलिस द्वारा मार्ग व्यवस्था के लिए एडवाइजरी जारी की गई । 16.05.24 से 22.05.24 तक वृद्धि विहार भरदा चौक राजिम रोड़ कुरूद में कथा वाचक पंड़ित श्री प्रदीप मिश्रा जी के श्री शिव महापुराण कथन वाचन के दौरान ग्राम भरदा भारतमाला ओवरब्रीज पुल से ग्राम भरदा चौक तक सभी वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध रहेगा।
भारी मालवाहक वाहनों के लिए निर्धारित किया गया वैकल्पिक मार्ग-
पुलिस अधीक्षक आंजनेय वार्ष्णेय के निर्देशानुसार दिनांक 16.05.24 से 22.05.24 तक कथा वाचक पंडित श्री प्रदीप मिश्रा सिहोर वाले का कार्यक्रम नियत है। कार्यक्रम में यातायात व्यवस्था एवं सुरक्षा के दृष्टिकोण से दिनांक 16.05.24 से 22.05.24 तक को प्रातः 11:00 बजे से लेकर रात्रि 10:00 बजे तक ग्राम भरदा भारतमाला ओवरब्रीज पूल से ग्राम भरदा चौक तक सभी प्रकार की वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित रहेगा।
दिनांक 16.05.24 से 22.05.24 तक भारी वाहन के लिए राजिम कठोली से कुरूद धमतरी की ओर धमतरी कुरूद से राजिम की ओर एवं मगरलोड से कुरूद धमतरी की ओर एंव कुरूद धमतरी से मगरलोड की ओर आने जाने वाले सभी वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्ग निर्धारित किया गया है।
01 ड्राईवर्सन रूट-
राजिम नवापारा कठोली से भारी बडी वाहन गोजी आलेखूटा कोडेबोड होकर धमतरी एंव रायपुर की ओर जावेगी ।
धमतरी रायपुर की ओर से राजिम जाने वाले भारी वाहन कोडेबोड आलेखुटा गोजी होकर राजिम नवापारा की ओर जावेगी।
मगरलोड मेघा की ओर से आने वाले भारी वाहन गाडाडीह परखंदा सिरसिदा मौरीखुर्द होकर नारी गोजी की ओर से कुरूद रायपुर की ओर जावेगी ।
राजिम मगरलोड की ओर से आने वाले भारी वाहन मोंहदी, सरगी, सोनेवारा, भोथा, बोरसी होते हुए सलोनी, जंवरगांव, मथुराडीह मोंड़ से भोयना होते धमतरी जायेगें।
राजिम नवापारा कठोली से होकर छोटी चारपहिया दोपहिया वाहन मौरीखुर्द से सिरीं परखंदा गाड़ाडीह होकर उमरदा से कुरूद कालेज होकर कुरूद धमतरी की ओर जावेगी।
धमतरी कुरूद की ओर से मगरलोड राजिम जाने हेतु कुरूद कालेज से होकर नहर मार्ग से होते हुये उमरदा से गाडाडीह परसवानी मेघा होकर राजिम नवापारा की ओर जावेगी।
02 पार्किंग व्यवस्था-
01 महासमुंद राजिम, नवापारा की ओर आने वाले श्रद्धालुओं एंव व्हीआईपी के लिए पार्किंग व्यवस्था एवं रूट व्यवस्था नवापारा, कठोली, नारी, कुहकुहा, दहदहा की ओर आकर ग्राम भरदा भारतमाला ओवरब्रीज पूल के बाये ओर में अपनी वाहन पार्क करेगें, एंव व्हीआईपी वाहन भारतमाला ओवरब्रीज के आगे 100 मीटर दाहिने ओर अपनी वाहन में पार्क करेगें, वापसी के दौरान भी उसी रूट में गंतव्य के लिए प्रस्थान करेगें।
02. गरियाबंद नगरी सिहावा मगरलोड की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं एंव व्हीआईपी के लिए पार्किंग व्यवस्था एंव रूट व्यवस्था मेघा परसवानी गाडाडीह से होकर भारतमाला ओवरब्रीज क्रांसिंग के पास इन्वेंचर स्कूल मोड़ के दाहिने ओर अपनी वाहन पार्क करेंगे, एंव व्हीआईपी वाहन इन्वेंचर स्कूल ड्रायर्वसन पांईंट से 100 मीटर आगे बांये ओर अपनी वाहन पार्क करेगें। वापसी के दौरान भी उसी रूट में गंतव्य के लिए प्रस्थान करेगें।
03. कांकेर, बालोद, दुर्ग, धमतरी की ओर आने वाले श्रद्धालुओं एंव व्हीआईपी के लिए पार्किंग व्यवस्था एवं रूट व्यवस्था कुरूद बायपास से सूर्य नमस्कार चौक, कृष्णा राईस मिल आकर बांये ओर अपने वाहन पार्क करेगें एंव व्हीआईपी कृष्णा मिल से आगे चरमुडिया मोड के पहले दाहिने ओर अपने वाहन पार्क करेगें वापसी के दौरान भी उसी रूट में गंतव्य के लिए प्रस्थान करेंगे।
कार्यक्रम स्थल पहुचने हेतु निर्देश-
महासमुंद राजिम नवापारा से आने वाले श्रद्धालु एंव व्हीआईपी ग्राम भरदा भारतमाला ओवरब्रीज ड्राप गेट से पैदल कार्यक्रम स्थल में पहुंचेगें।
गरियाबंद, नगरी, सिहावा, मगरलोड से आने वाले श्रद्धालु एंव व्हीआईपी ग्राम उमरदा भारतमाला ओवरब्रीज ड्राप गेट से पैदल कार्यक्रम स्थल में पहुंचेगें।
कांकेर बालोद दुर्ग धमतरी की ओर आने वाले श्रद्धालु एंव व्हीआईपी ग्राम चरमुडिया मोड़ ड्राप गेट से पैदल कार्यक्रम स्थल में पहुंचेगें।
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घर के मेन गेट पर जलाएं दीपक, परिवार की इन समस्याओं का होगा निवारण

सनातन धर्म में अग्नि पूजा का विशेष महत्व है और यही कारण है कि किसी भी शुभ कार्य या पूजा से पहले दीपक जरूर जलाया जाता है। हिंदू धर्म में दीपक जलाना शुभता का प्रतीक होता है। ऐसे में यदि आप भी परिवार में किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं या किसी संकट के दौर से गुजर रहे हैं तो घर के मुख्य द्वार पर दीपक जरूर जलाना चाहिए। वास्तु एक्सपर्ट चैतन्य मलतारे यहां घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
किस समय जलाना चाहिए दीपक-
वास्तु नियमों के मुताबिक, घर के मुख्य द्वार पर यदि गोधूलि बेला के दौरान दीपक जलाया जाता है तो देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है। दरअसल गोधूलि बेला के दौरान ही घर में देवी लक्ष्मी का प्रवेश होता है। ऐसे में मुख्य द्वार पर दीपक जलाकर देवी लक्ष्मी का स्वागत करना चाहिए।
परिवार में बढ़ता है प्रेम-
घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। परिवार के सभी सदस्यों पर इसका सकारात्मक असर होता है। परिवार में शांति बनी रहती है और आपसी प्रेम बढ़ता है।
कर्ज से छुटकारा-
यदि आप किसी कर्ज के कारण मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं तो घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से लाभ होता है। ऐसा करने से कर्ज से जल्द मुक्ति मिलती है। परिवार के सदस्यों को गंभीर बीमारियों से निजात मिलती है।

डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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आज और कल बंद रहेंगे चारधाम यात्रा के रजिस्‍ट्रेशन

  • भारी भीड़ के चलते 45 किमी लंबे जाम में 25 घंटे से फंसे हैं श्रद्धालु
उत्‍तराखंड। उत्‍तराखंड में इस समय चल रही चारधाम यात्रा को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। यात्रियों की भारी भीड़ की वजह से आज और कल यानी 15 और 16 मई को ऑफ लाइन रजिस्‍ट्रेशन बंद रहेंगे। इस समय हजारों तीर्थयात्री पहले से ही हरिद्वार और ऋषिकेश में फंसे हुए हैं। गंगोत्री-यमुनोत्री  धामों पर रिकॉर्ड तोड़ भीड़ के चलते सरकारी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो चुकी हैं। दोनों धामों के जाने वाले सड़क पर 45 किमी लंबा जाम है, जिसमें भक्त 25 घंटे से ज्यादा समय से फंसे हुए हैं।
एक अनुमान है कि इस साल चारधाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्‍या में 44 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है। इसी कारण यह अव्‍यवस्‍था हुई है। इससे गंगोत्री धाम के पुजारी भी बहुत नाराज हैं। स्थानीय प्रशासन श्रद्धालुओं से कुछ दिन रुक कर जाने की अपील कर रहा है।
बरकोट से आगे यमुनोत्री और गंगोत्री के रास्ते हैं। सब जाम हैं। यहां से उत्तरकाशी का 30 किमी का रूट वन-वे है, इसलिए मंदिर से लौट रही गाड़ियां पहले निकाली जा रही हैं। मंदिर जाने वाली गाड़ियों का नंबर 20-25 घंटे बाद आ रहा है।
यह है मुख्‍य वजह-
चार धाम यात्रा में उमड़ रहे श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए 15 और 16 मई को ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाई गई है। ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही चारधाम के लिए मई माह के सभी ऑफलाइन स्लॉट बुक हो गए। जिसके चलते कई यात्रियों को मई माह में चारधाम यात्रा पर जाने का स्लॉट नहीं मिल पाया। हालांकि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होते रहेंगे।
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सोम प्रदोष व्रत 20 मई को, जानिए... शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली। हिंदू नववर्ष में साल पहला सोम प्रदोष व्रत 20 मई को है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही जीवन में सुख-शांति के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत पर विधिपूर्वक प्रभु की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और महादेव प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा किस तरह करना कल्याणकारी माना जाता है।
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की ​त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 20 मई दोपहर 03 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 21 मई को शाम 05 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में सोम प्रदोष व्रत 20 मई को किया जाएगा।
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि-
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करने के बाद चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा विराजमान करें। इसके बाद शिव को बिल्वपत्र, शमी के फूल और धतूरा आदि अर्पित करें और मां पार्वती को शृंगार की चीजें चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें। प्रभु के मंत्रों का जाप और शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में भगवान शिव को दही और घी समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
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गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में पहुंचे तीर्थयात्रियों ने तोड़े पिछले सारे रिकॉर्ड

उत्तरकाशी। यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में इस बार पहुंचे तीर्थयात्रियों ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। खासकर दो दिनों से रिकॉर्डतोड़ भीड़ जुटने से धामों में मंदिर समिति ने देर रात तक दर्शन कराया। उधर गंगा सप्तमी पर बड़ी संख्या में गंगोत्री में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है। इससे धाम में खासी चहल पहल देखने को मिल रही है।
इधर, रिकॉर्ड भीड़ जुटने पर पुलिस-प्रशासन ने देर रात तक व्यवस्था बनाई। चारधाम में इस बार रिकॉर्ड तीर्थयात्री जुट रहे हैं। करीब 6 किमी पैदल दूरी पर यमुनोत्री धाम में भी रिकॉर्ड यात्री दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
यमुनोत्री धाम में 2023 में 28 मई को सर्वाधिक 12,045 तीर्थयात्री पहुंचे थे, जो पिछले कई सालों का रिकॉर्ड था। लेकिन इस साल गत दिवस यमुनोत्री में 12,148 तीर्थयात्रियों की संख्या ने नया रिकॉर्ड बना लिया है।
यमुनोत्री में दर्शन को तीर्थयात्रियों की भीड़ जुटने का सिलसिला जारी है। इसके लिए प्रशासन ने बैरियर और गेट सिस्टम लागू कर दिया है। अब यमुनोत्री धाम में दर्शन सुचारू रूप से हो रहे हैं। लेकिन यमुनोत्री की भीड़ गंगोत्री धाम में पहुंचने से दबाव बढ़ गया है। यहां दो दिनों से रिकॉर्ड तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए हैं।
पिछले साल यमुनोत्री के बाद गंगोत्री में 29 मई को रिकॉर्ड 13,670 तीर्थयात्री एक दिन में पहुंचे थे, जो इस साल गत दिवस 18,973 हो गया। यह अब तक का सर्वाधिक तीर्थयात्रियों के पहुंचने का रिकॉर्ड है। जबकि आज गंगा सप्तमी पर टिहरी और उत्तरकाशी जिले की देव डोलियों के पहुंचने से दबाव और बढ़ गया है। इससे व्यवस्था बनाने में प्रशासन, पुलिस और मंदिर समिति को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।
गंगोत्री धाम में संकरे मार्ग पर बड़ी बसों के फंसने से ज्यादा दिक्कत उठानी पड़ रही हैं। इससे वाहनों का दबाव बढ़ने से गंगोत्री तक वाहन कतार में चल रहे हैं। हालांकि यहां भी प्रशासन द्वारा उत्तरकाशी रामलीला मैदान, हीना, भटवाड़ी, गंगनानी, सुक्की, झाला, हर्षिल, धराली से रुक-रुक कर वाहन छोड़े जा रहे हैं। इससे गंगोत्री धाम में देर रात तक तीर्थयात्रियों के पहुंचने का क्रम जारी रहा।
प्रशासन के अनुरोध पर देर रात तक गंगोत्री मंदिर समिति ने सभी श्रद्धालुओं के दर्शन कराए। साथ ही प्रशासन, पुलिस एवं मंदिर समिति ने तीर्थयात्रियों को जलपान कराया। गंगोत्री में तीर्थयात्रियों की सुविधा को रात 2 बजे तक बाजार खुला रहा। सुबह तक धाम में तीर्थयात्रियों को व्यवस्थित आवाजाही कराई जा रही है।
जिलाधिकारी डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट ने कहा कि यमुनोत्री धाम में गेट सिस्टम के बाद पूरा ट्रैफिक गंगोत्री मार्ग की तरफ आ गया। इससे कुछ स्थानों पर संकरी सड़क पर बड़ी बसें फंसने से वाहनों का दबाव बढ़ गया। गंगोत्री में देर रात तक दर्शन कराए गए।
यात्रा मार्ग पर विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को तैनात किया गया हैं। साथ ही भोजन, पानी, मेडिकल व्यवस्था तीर्थयात्रियों को उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल दोनों धामों में भीड़ नियंत्रित है।
श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष हरीश सेमवाल ने बताया कि प्रशासन के अनुरोध पर देर रात तक मंदिर में तीर्थयात्रियों के दर्शन कराए गए। मंदिर समिति ने देर से पहुंचे श्रद्धालुओं को जलपान की व्यवस्था भी कराई। गंगा सप्तमी पर्व पर बड़ी संख्या में देव डोलियां और यात्री गंगा स्नान को आते हैं। तीर्थयात्रियों को कोई असुविधा न हो, मंदिर समिति पूरे सहयोग को तैयार है।
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मां गंगा की पूजा में करें पितृ चालीसा का पाठ, पितरों को मिलेगी मुक्ति

सनातन धर्म में गंगा सप्तमी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा नदी में स्नान-ध्यान किया जाता है। इसके बाद मां गंगा की पूजा और जप-तप की जाती है। सुविधा न होने पर साधक घर पर ही गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान कर सकते हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष दिलाने हेतु मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। उस समय भगीरथ ने मां गंगा की कठिन तपस्या की थी। भगीरथ की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा धरती पर अवतरित हुईं। मां गंगा के धरती पर प्रकट होने से राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हुई। अगर आप भी अपने पितरों को मोक्ष दिलाना चाहते हैं, तो गंगा सप्तमी तिथि पर विधि-विधान से मां गंगा की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस चालीसा का पाठ करें।
पितृ चालीसा-
दोहा
हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद,
चरण शीश नवा दियो रख दो सिर पर हाथ ।
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी ।
हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी । ।
चौपाई
पितरेश्वर करो मार्ग उजागर,
चरण रज की मुक्ति सागर ।
परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा,
मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा ।
मातृ-पितृ देव मन जो भावे,
सोई अमित जीवन फल पावे ।
जै-जै-जै पित्तर जी साईं,
पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं ।
चारों ओर प्रताप तुम्हारा,
संकट में तेरा ही सहारा ।
नारायण आधार सृष्टि का,
पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का ।
प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते,
भाग्य द्वार आप ही खुलवाते ।
झुंझनू में दरबार है साजे,
सब देवों संग आप विराजे ।
प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा,
कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा ।
पित्तर महिमा सबसे न्यारी,
जिसका गुणगावे नर नारी ।
तीन मण्ड में आप बिराजे,
बसु रुद्र आदित्य में साजे ।
नाथ सकल संपदा तुम्हारी,
मैं सेवक समेत सुत नारी ।
छप्पन भोग नहीं हैं भाते,
शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते ।
तुम्हारे भजन परम हितकारी,
छोटे बड़े सभी अधिकारी ।
भानु उदय संग आप पुजावे,
पांच अँजुलि जल रिझावे ।
ध्वज पताका मण्ड पे है साजे,
अखण्ड ज्योति में आप विराजे ।
सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी,
धन्य हुई जन्म भूमि हमारी ।
शहीद हमारे यहाँ पुजाते,
मातृ भक्ति संदेश सुनाते ।
जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा,
धर्म जाति का नहीं है नारा ।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख,
ईसाई सब पूजे पित्तर भाई ।
हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा,
जान से ज्यादा हमको प्यारा ।
गंगा ये मरुप्रदेश की,
पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की ।
बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ,
इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा ।
चौदस को जागरण करवाते,
अमावस को हम धोक लगाते ।
जात जडूला सभी मनाते,
नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते ।
धन्य जन्म भूमि का वो फूल है,
जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है ।
श्री पित्तर जी भक्त हितकारी,
सुन लीजे प्रभु अरज हमारी ।
निशिदिन ध्यान धरे जो कोई,
ता सम भक्त और नहीं कोई ।
तुम अनाथ के नाथ सहाई,
दीनन के हो तुम सदा सहाई ।
चारिक वेद प्रभु के साखी,
तुम भक्तन की लज्जा राखी ।
नाम तुम्हारो लेत जो कोई,
ता सम धन्य और नहीं कोई ।
जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत,
नवों सिद्धि चरणा में लोटत ।
सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी,
जो तुम पे जावे बलिहारी ।
जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे,
ताकी मुक्ति अवसी हो जावे ।
सत्य भजन तुम्हारो जो गावे,
सो निश्चय चारों फल पावे ।
तुमहिं देव कुलदेव हमारे,
तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे ।
सत्य आस मन में जो होई,
मनवांछित फल पावें सोई ।
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई,
शेष सहस्र मुख सके न गाई ।
मैं अति दीन मलीन दुखारी,
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ।
अब पितर जी दया दीन पर कीजै,
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ।
दोहा
पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम ।
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम ।
झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान ।
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान ।।
जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम ।
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान ।।
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मोहिनी एकादशी पर इन 3 राशियों का होगा भाग्योदय

सनातन धर्म में एकादशी का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र माना गया है। माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। मोहिनी एकादशी के दिन शुक्र ग्रह मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं, जिसका लाभ कई राशियों को अपने जीवन में देखने को मिलेगा। तो चलिए जानते हैं कि वह लकी राशियां कौन-सी होने वाली हैं।
मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त-
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 18 मई को सुबह 09 बजकर 52 मिनट पर आरंभ होने जा रही है। साथ ही इस तिथि समापन 19 मई को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, मोहिनी एकादशी का व्रत 19 मई, रविवार के दिन मान्य होगी।
मेष राशि-
मोहिनी एकादशी पर मेष राशि के जातकों को धन मिल सकता है। आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे। आपको कोई खुशखबरी मिल सकती है। कोई पुराना रुका हुआ काम पूरा हो सकता है। इस दौरान व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी लाभ मिलने वाला है।
वृश्चिक राशि-
वृश्चिक राशि के लोगों के लिए मोहिनी एकादशी शुभ फलदायी रहने वाली है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए जातकों को प्रगति देखने को मिलेगी। परिवार में कोई नया मेहमान आ सकता है। पारिवारिक माहौल अच्छा बना रहेगा। नौकरी में भी तरक्की के योग बन रहे हैं।
सिंह राशि-
मोहिनी एकादशी पर होने जा रहे ग्रह गोचर से सिंह राशि वालों को जीवन में बेहतर परिणाम देखने को मिलेंग। नौकरीपेशा जातकों को कई नए अवसर प्राप्त होंगे। परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहेगी। वहीं, वैवाहिक जीवन में भी प्यार बना रहेगा।
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सीता नवमी 16 मई को, जानिए...शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

  • वैवाहिक जीवन में आएगी खुशहाली
नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सीता नवमी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सीता इसी तिथि पर धरती से प्रकट हुई थीं। इसलिए इस तिथि को सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि यदि इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा भगवान राम और माता सीता की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाए, तो इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है।
सीता नवमी का शुभ मुहूर्त-
वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 मई 2024 को प्रातः 04 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 17 मई को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार सीता नवमी 16 मई, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। इस दौरान शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा-
सीता नवमी मध्याह्न मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 08 मिनट से दोपहर 01 बजकर 21 मिनट तक
माता सीता पूजा विधि-
सीता नवमी के दिन सुबह दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान से निवृत हो जाएं और साफ-सुधरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करके एक चौकी बिछाकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें। अब चौकी पर भगवान श्रीराम और माता सीता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और भगवान श्री राम और सीता माता की मूर्ति को स्नान कराएं। सीता माता के समक्ष दीप जालएं और उन्हें श्रृंगार की चीजें अर्पित करें। इसके बाद माता सीता को फल-फूल, धूप-दीप, दूर्वा आदि अर्पित करें। अतं में भगवान राम और माता सीता की आरती करें।
अर्पित करें ये चीजें-
सीता नवमी के शुभ अवसर पर माता को खीर का भोग जरूर लगाएं और पूजा के दौरान माता सीता को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। इस दिन सुहागन महिलाओं को माता सीता की विधिनुसार पूजा करनी चाहिए और सोलह श्रृंगार जरूर अर्पित करने चाहिए। इससे दांपत्य जीवन खुशहाल बना रहता है।

 

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