धर्म समाज

कल रखा जाएगा मासिक दुर्गाष्टमी व्रत

  • ये 5 उपाय करने से दूर हो जाएंगे सारे दुख
कल मार्च को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्री दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन माँ दुर्गा की आराधना की जाती है और व्रत किया जाता है। कहते हैं कि इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ जो भी व्यक्ति मां दुर्गा की उपासना करता है, देवी मां की कृपा से उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है और जीवन में चल रही किसी भी तरह की समस्या का समाधान निकल जाता है। दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की उपासना से आप अपने जीवन में चल रही किसी भी समस्या का हल निकाल सकते हैं, अपने सुख-सौभाग्य में वृद्धि कर सकते हैं और अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ उपाय दुर्गाष्टमी पर करने चाहिए।
अगर आपकी सुख-समृद्धि को किसी की नजर लग गयी है, तो आज दुर्गाष्टमी के दिन देवी दुर्गा को हलवे और उबले चने का भोग लगाएं। साथ ही 6 सफेद कौड़ियां लेकर, उन्हें लाल कपड़े में बांधकर दुर्गा मां के मन्दिर में चढ़ाएं अगर आप कौड़ियां ना ले पायें तो 6 कपूर और 36 लौंग लेकर देवी दुर्गा को चढ़ाएं। साथ ही देवी दुर्गा के मंत्र का 11 बार जप करें। मन्त्र इस प्रकार है- दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः/ स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि/दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या/ सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता। आज ऐसा करने से आपके सुख समृद्धि को लगी नजर दूर होगी।
अगर आप कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो आज के दिन 5 सफेद कौड़ियां लेकर, उन्हें लाल कपड़े में बांधकर देवी माँ के मंदिर में चढ़ाएं और देवी मां की विधि-पूर्वक पूजा करें। पूजा के बाद उस लाल कपड़े को उठाकर अपने साथ घर वापस ले आयें और अपनी तिजोरी में रख लें। आज ऐसा करने से आपको जल्द ही कर्ज से छुटकारा मिलेगा।
अगर आप परिवार से जुड़ी किसी समस्या का हल जल्द से जल्द निकालना चाहते हैं, तो आज आप माँ दुर्गा को लाल चुनरी चढ़ाएं। साथ ही दुर्गा जी के इस मंत्र का 11 बार जप करें। मंत्र इस प्रकार है- सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते। आज ऐसा करने से जीवन में चल रही समस्याओं से जल्द ही छुटकारा मिलेगा।
अगर आप अपनी बिजनेस संबंधी यात्राओं की सफलता सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज आपको स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर माँ दुर्गा की विधिपूर्वक धूप-दीप आदि से पूजा करनी चाहिए और पूजा के समय एक एकाक्षी नारियल लेकर, उस पर सात बार मौली लपेटकर देवी माँ को चढ़ाना चाहिए। आज ऐसा करने से आपको बिजनेस सम्बन्धी यात्राओं में लाभ सुनिश्चित होगा।
अगर आप अपने जीवन में खूब धन की प्राप्ति करना चाहते हैं, तो आज आप देवी दुर्गा को खोये का भोग लगाये और हाथ जोड़कर देवी माँ को प्रणाम करें। साथ ही दुर्गा जी के इस मंत्र का एक माला यानि 108 बार जप करें। मंत्र इस प्रकार है- सर्वा बाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वित:/ मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:। आज ऐसा करने से आपको अथाह धन की प्राप्ति होगी।
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रंगभरी एकादशी, जानिए...तारीख और पूजा का शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन रंगभरी एकादशी को बेहद ही खास माना गया है जो कि फाल्गुन माह में पड़ती है यह तिथि भगवान शिव और श्री हरि विष्णु को समर्पित है
मान्यता है कि रंगभरी एकादशी पर इनकी पूजा अर्चना करने से भक्तों को सुख समृद्धि का वरदान मिलता है। पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन व्रत पूजन करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है साथ ही जीवन के सारे दुख परेशानियां भी दूर हो जाती है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा रंगभरी एकादशी की तारीख और शुभ मुहूर्त की जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
रंगभरी एकादशी की तारीख-
हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि का आरंभ 9 मार्च को 8 बजकर 15 मिनट से होगी। समापन अगले दिन यानी की 10 मार्च 8 बजकर 5 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 10 मार्च को ही रंग भरी एकादशी का व्रत पूजन किया जाएगा।
रंगभरी एकादशी पूजा मुहूर्त-
एकादशी तिथि पर सूर्योदय सुबह 6 बजकर 44 मिनट। अभिजीत मुहूर्त दोपहर में 12 बजकर 13 मिनट से लेकर 1 बजे तक रहेगा। वही अमृत काल मुहूर्त शाम को 6 बजकर 12 मिनट से लेकर 7 बजकर 52 मिनट तक होगा। ब्रह्म मुहूर्त प्रात: काल में 5 बजकर 7 मिनट से लेकर 5 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। वही व्रत का पारण 11 मार्च को सुबह 6 बजकर 35 मिनट से लेकर 8 बजकर 13 मिनट के बीच किया जाएगा।
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गुरुवार को करें ये 5 उपाय, बृहस्पतिदेव करेंगे कृपा

गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है। इसके साथ ही यह दिन बृहस्पति ग्रह का भी है। हिंदू धर्म में भगवान बृहस्पति को धन, समृद्धि, ज्ञान और शुभता का प्रतीक माना जाता है। गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और नारद पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है कि अगर बृहस्पति मजबूत है तो व्यक्ति के जीवन में धन, सम्मान और उन्नति का योग बनता है लेकिन अगर यह ग्रह कमजोर है तो आर्थिक तंगी, करियर में बाधाएं और पारिवारिक कलह जैसी समस्याएं सामने आती हैं। इस कारण गुरुवार को कुछ विशेष उपाय करने से भगवान बृहस्पति की कृपा प्राप्त की जा सकती है और धन में वृद्धि, व्यापार में उन्नति और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। आइए जानते हैं कि इस दिन कौन से उपाय करना बहुत शक्तिशाली माना जाता है।
केले के पेड़ की पूजा करें-
इस दिन केले के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन केले के पेड़ पर जल चढ़ाने से भगवान बृहस्पति की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पूजा के दौरान हल्दी मिश्रित जल और कच्चे दूध से अभिषेक करने की परंपरा है। केले के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाकर “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। हालाँकि, इस दिन केले का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।
पीले रंग की वस्तुएं दान करें-
पीले रंग का बृहस्पति ग्रह से गहरा संबंध है। यही कारण है कि गुरुवार को पीले कपड़े पहनना और पीली चीजें दान करना शुभ माना जाता है। प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है कि पीले चावल, हल्दी, चने की दाल, पीले फल और मिठाई दान करने से आर्थिक लाभ और शुभ फल मिलता है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराना भी भगवान बृहस्पति को प्रसन्न करने का एक प्रभावी उपाय है।
मंत्र जाप करें-
बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए मंत्र जाप का विशेष महत्व है। “ओम ग्रां ग्रीं ग्रौं स गुरवे नमः” और “ओम बृहस्पतये नमः” जैसे मंत्रों का जाप करने से आर्थिक समृद्धि और करियर में उन्नति मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन मंत्रों का 108 बार जाप करने से बृहस्पति ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और जीवन में दुखों का नाश होता है। सारे काम बनने लगते हैं।
विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें-
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार सबसे शुभ दिन माना जाता है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से सभी दुख समाप्त हो जाते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यदि सम्पूर्ण मंत्र का जाप करना संभव न हो तो “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करना भी अत्यंत लाभकारी होता है। यह उपाय आर्थिक समस्याओं, मानसिक तनाव और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत दिलाता है।
गुरु यंत्र स्थापित करें-
अगर किसी की कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो या आर्थिक स्थिति में बार-बार परेशानियां आ रही हों तो गुरु यंत्र स्थापित करना कारगर उपाय माना जाता है। गुरुवार के दिन स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें और स्वच्छ स्थान पर गुरु यंत्र स्थापित करें। यह कार्य किसी योग्य ब्राह्मण से ही करवाने का प्रयास करें। यंत्र के सामने घी का दीपक जलाकर “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप करने से आर्थिक उन्नति और करियर में सफलता मिलती है। इस यंत्र की नियमित पूजा करने से बृहस्पति देव की कृपा बनी रहती है और सभी प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं।
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चंद्र ग्रहण 2025 : सूतक काल में महिलाएं क्या करें और क्या न करें, जानिए...सही नियम

सूर्य हो या चंद्र ग्रहण दोनों ही ग्रहणों को अशुभ माना गया है. साल 2025 में चंद्र ग्रहण मार्च के इसी महीने में लगने वाला है. चंद्र ग्रहण के दौरान शुभ और मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान शुभ और मांगलिक काम करने से उसका शुभ फल प्राप्त नहीं होता. ग्रहण के पहले की समय अवधि को भी अशुभ माना गया है. इसे ही सूतक काल कहते हैं|
चंद्र ग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले से इसके सूतक काल की शुरुआत हो जाती है. ग्रहण समाप्त होने के बाद सूतक काल पूरा होता है. ग्रहण के सूतक काल के दौरान महिलाओं को क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए. इसके नियम हिंदू धर्म शास्त्रों में बताए गए हैं. इन नियमों का पालन महिलाओं को अवश्य करना चाहिए, ताकि उन पर चंद्र ग्रहण का दुष्प्रभाव नहीं पड़े|
कब है चंद्र ग्रहण और उसका सूतक काल?-
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, चंद्र ग्रहण पूर्णिमा तिथि पर लगता है. इस बार 14 मार्च को पूर्णिमा है. इसी दिन चंद्र ग्रहण लगेगा. 14 मार्च को चंद्र ग्रहण की शुरुआत सुबह 9 बजकर 29 मिनट से होगी. वहीं इसका समापन दोपहर 3 बजकर 29 मिनट पर होगा. हालांकि ये चंद्र ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा. ऐसे में चंद्र ग्रहण का सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा. इस दिन होली का त्योहार भी मनाया जाएगा|
सूतक काल में क्या न करें महिलाएं-
चंद्र ग्रहण के सूतक काल की अवधि में महिलाएं भोजन नहीं बनाएं.
इस अवधि महिलाएं बाल नहीं काटें और बालों में तेल नहीं लगाएं.
महिलाएं भूलकर भी इस अवधि में सोएं नहीं.
सूतक काल की अवधि में महिलाएं श्रृंगार नहीं करें.
चाकू जैसी नुकीली चीजों से काम नहीं करें.
इस अवधि में महिलाएं सिलाई-कढ़ाई का काम न करें.
इस अवधि में अन्न न ग्रहण करें.
महिलाएं सूतक काल में करें ये काम-
इस अवधि में गर्भवती महिलाएं घर में रहें.
घर की खिड़कियों पर मोटे पर्दे लगाएं, ताकि ग्रहण की नकारात्मक किरणें घर में न आएं|
ग्रहण खत्म होने के बाद पानी में गंगाजल मिलाकर नहा लें.
भगवान शिव और विष्णु जी का ध्यान करें.
अपने इष्टदेव का ध्यान लगाएं.
गर्भवती महिलाएं खाने-पीने की चीजों में तुलसी पत्र अवश्य डाल लें|
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रमजान में इन लोगों को रोजा न रखने पर माफ होता है गुनाह

रमजान का पहला रोज़ा 2 मार्च (रविवार) से मनाया गया। इस पूरे महीने के दौरान, दुनिया भर के मुसलमान अधिक से अधिक अल्लाह की इबादत करते हैं। इस महीने को बरकतों का महीना कहा जाता है। लोग सुबह से शाम तक भूखे-प्यासे रहकर पूजा करते हैं। रोजा सहरी से शुरू होता है और इफ्तार के साथ खत्म होता है। इस दौरान कुछ लोगों को उपवास से छूट दी गई है। जानिए कौन हैं वो लोग, जिन्हें रमजान में रोजा न रखने पर भी कोई पाप नहीं लगता।
बीमार लोगों को दी गई छूट-
यद्यपि रमजान के महीने में रोज़ा रखना अनिवार्य है, फिर भी बीमार लोगों को रोज़ा रखने से छूट दी जाती है। जो लोग किसी बीमारी से पीड़ित हैं जिसके कारण उनकी स्थिति उपवास के लिए उपयुक्त नहीं है। या फिर वे लोग जिन्हें बीमारी के कारण दवा लेनी पड़ती है, अन्यथा उनका स्वास्थ्य खराब हो सकता है। इन लोगों को उपवास से छूट दी गई है। वह भविष्य में कभी भी अपना उपवास पूरा कर सकते हैं।
प्रेग्नेंट औरत-
कहा जाता है कि रमजान में ईश्वर सभी को रोजा रखने की हिम्मत देता है। आमतौर पर देखा जाता है कि गर्भवती महिलाएं भी उपवास रखती हैं। लेकिन कई मामलों में अगर गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो उन्हें उपवास से छूट दी जाती है। अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, वह चाहें तो उपवास छोड़ सकती हैं।
स्तनपान कराने वाली महिलाएं-
जो महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं, उन्हें भी रमजान के महीने के दौरान छूट दी जाती है। कई महिलाओं को स्तनपान के दौरान चक्कर आने जैसा महसूस होता है, इस स्थिति में बच्चे के स्वास्थ्य और खुद के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वे व्रत छोड़ सकती हैं। वह 30 में से किसी भी छूटे हुए उपवास को आगे बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा जो लोग बहुत बूढ़े हैं उन्हें भी रोज़े से छूट दी गई है। वहीं, महिलाएं पीरियड्स के दौरान भी व्रत नहीं रखती हैं। हालांकि, जो लोग अपवित्रता के कारण व्रत नहीं रख पाते, वे वर्ष के 11 महीनों में कभी भी व्रत रख सकते हैं।
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होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया, 1 घंटा 4 मिनट का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग का आखिरी महीना यानी फाल्गुन आरंभ हो चुका है और इस महीने में कई बड़े त्योहार मनाए जाते हैं जिसमें होली भी प्रमुख है। होली का त्योहार रंगों का पर्व माना गया है इस शुभ दिन पर लोग एक दूसरे को रंग लगाकर शुभकामनाएं देते हैं।
इस साल होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जो कि इस बार 13 मार्च को पड़ रही है।
होलिका दहन पर इस बार भद्रा का साया रहेगा जिसके कारण होली दहन के लिए कुल 1 घंटे का समय भक्तों को प्राप्त हो रहा है, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं होलिका दहन का शुभ समय बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
होलिका दहन का शुभ समय-
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से आरंभ हो रही है और इस पूर्णिमा तिथि का समापन 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 26 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन के लिए कुल मिलाकर 1 घंटा 21 मिनट का समय मिलेगा। होलिका दहन के बाद रंग वाली होली 14 मार्च को पड़ रही है।
होलिका दहन के आसान उपाय-
ज्योतिष अनुसार होलिका दहन की रात को घर की उत्तर दिशा में एक अखंड ज्योति जलाएं। माना जाता है कि इस उपाय को करने से धन लाभ की प्राप्ति होती है। उत्तर दिशा में अखंड ज्योति जलाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर कृपा करती है। और घर में धन की कमी नहीं रहती है। इससे परिवार में सुख शांति और समृद्धि आती है।
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"होली" पर करें ये आसान उपाय, ग्रह दोषों से मिलेगी मुक्ति

सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन फाल्गुन मास में पड़ने वाला होली का त्योहार बेहद ही खास माना जाता है जो कि बेहद ही खास होता है
इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर अपने खुशियों का इजहार करते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं इस साल होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा पाठ करना लाभकारी माना जाता है लेकिन इसी के साथ ही अगर होली के शुभ अवसर पर कुछ उपायों को किया जाए तो ग्रह दोषों से छुटकारा मिल जाता है और सफलता के योग बनने लगते हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा इन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
होली पर करें ये अचूक उपाय-
वास्तुशास्त्र के अनुसार होली के पावन दिन पर अगर घर के आंगन या प्रवेश द्वार पर गुलाब के पुष्पों की रंगोली बनाई जाए तो ऐसा करना शुभ माना जाता है इससे घर के सदस्यों को धन की देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और सकारात्मकता भी घर में आती है। इसके अलावा राधा कृष्ण की तस्वीर भी आप बेडरूम में लगाएं। वास्तु अनुसार होली के दिन अगर ऐसा किया जाए तो वैवाहिक जीवन में प्रेम बना रहता है और मतभेद भी खत्म हो जाते हैं।
अगर आप घर में उत्पन्न होने वाले दोषों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऐसे में होली के दिन घर में तुलसी का पौधा जरूर लगाएं। वास्तु अनुसार होली के दिन इस उपाय को करने से सकारात्मकता आती है और लक्ष्मी भी प्रसन्न होकर कृपा करती हैं।
साथ ही तुलसी के पौधे को घर में लगाने से ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं। अगर आप कारोबार में तरक्की पाना चाहते हैं तो आप होली के दिन अपने आफिस या घर में पूर्व दिशा में उगते हुए सूर्य की फोटो जरूर लगाएं। वास्तु अनुसार इस उपाय को करने से व्यापार में तरक्की होती है।
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स्कंद षष्ठी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, पूरी होगी हर मनोकामना

हिंदू धर्म में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि बहुत विशेष मानी गई है. हर महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि स्कंद षष्ठी के रूप में मनाई जाती है. ये दिन भगवान शिव के बड़े बेटे भगवान कार्तिकेय को समर्पित किया गया है. हर माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत किया जाता है. भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास बना रहता है|
हिंदू मान्यताओं के अनुसार हिंदू मान्यताओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तीकेय की पूजा और व्रत करने से भी प्रकार से रोगों से छुटकारा मिलता है. दुख दूर होते हैं. इस दिन पूजा के दौरान स्कंद षष्ठी की व्रत कथा भी अवश्य पढ़नी चाहिए. इस दिन पूजा के समय स्कंद षष्ठी की व्रत कथा पढ़ने से जीवन में सफलता प्राप्त होती है. साथ ही हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है.वहीं अगर इस दिन स्कंद षष्ठी की व्रत कथा नहीं पढ़ी जाती तो पूजा और व्रत का फल प्राप्त नहीं होताकल है स्कंद षष्ठी का व्रत? द्रिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत कल यानी मंगलवार 4 मार्च को दोपहर 3 बजकर 16 मिनट पर हो रही है. वहीं इस तिथि का समापन 5 मार्च बुधवार को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में फाल्गुन माह की षष्ठी तिथि का व्रत कल ही रखा जाएगा|
स्कंद षष्ठी व्रत कथा पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता सती राजा दक्ष के यज्ञ कुंड में कुदकर भस्म हो गईं. इसके बाद भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए. उनके तपस्या में लीन हो जाने के कारण सृष्टि में शक्तियां ही नहीं रह गईं. इस परिस्थिति का लाभ दैत्य तारकासुर ने उठाया. उसने सृष्टि को शक्तिहीन देखकर देवलोक में धावा बोलकर देवताओं को पराजित कर दिया. इसके बाद उसने देवलोक में आतंक मचा दिया. इतना ही नहीं उसने धरती लोक में भी अन्याय और अत्याचार की सारी सिमाएं पार कर दीं. फिर देवताओं ने तारकासुर के अंत के लिए ब्रह्माजी से प्रार्थना की. इस पर ब्रह्मा जी ने देवताओं को बताया कि भगवान शिव का पुत्र ही तारकासुर का संहार कर सकेगा|
इसके बाद इंद्र समेत सभी देवाताओं ने भगवान शिव को समाधि से जगाने की कोशिश की. इसके लिए उन्होंने कामदेव की सहायता ली. कामदेव ने अपने वाणों से भगवान शिव पर फूल फेंके, जिसकी वजह से भगावन शिव की तपस्या भंग हो गई. इसके बाद क्रोध में आकर भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोल दी और कामदेव भस्म हो गए. हालांकि तपस्या भंग होने की वजह से भगवान शिव ने माता पार्वती की ओर खुद को आकर्षित पाया. फिर इंद्र और अन्य देवताओं के समस्या बताने के बाद भगवान शिव माता पार्वती के अनुराग की परीक्षा ली|
माता पार्वती की तपस्या के बाद शुभ घड़ी में भोलेनाथ के साथ उनका विवाह हुआ. दोनों के विवाह के बाद भगवान कार्तिकेय जन्म हुआ. मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय का जन्म शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को ही हुआ था. इसके बाद सही समय पर भगवान कार्तिकेय तारकासुर का वध किया. फिर देवताओं को उनका स्थान प्राप्त हुआ|
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आमलकी एकादशी के दिन इस उपाय से पाएं श्री हरि की कृपा

  • दूर होंगे सभी कष्ट
हिंदू धर्म में रोजाना भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। लेकिन विशेष कृपा प्राप्ति के लिए एकादशी का दिन सबसे शुभ है। कहते हैं कि एकादशी के दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी परेशानियां दूर होती हैं और उसके सुख में वृद्धि होती हैं। बता दें, एकादशी व्रत हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है। ऐसे में भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए हर माह दो अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
वर्तमान में फाल्गुन माह जारी है। इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 9 मार्च 2025 को सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन 10 मार्च को सुबह 7:44 मिनट पर है। उदया तिथि के मुताबिक इस बार 10 मार्च 2025 को एकादशी व्रत रखा जाएगा। इसे आमलकी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के वृक्ष में स्वयं भगवान विष्णु वास करते हैं, इसलिए आमलकी एकादशी पर आंवले के पवित्र वृक्ष की श्रद्धा पूर्वक आराधना की जाती है। इस बार आमलकी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो सुबह 6:36 मिनट से लेकर देर रात 12:51 मिनट तक रहेगा। इस योग में विष्णु चालीसा का पाठ करने से बड़े से बड़े संकट का निवारण हो सकता है। ऐसे में आइए इस चालीसा के बारे में जानते हैं....
विष्णु चालीसा :-
दोहा-
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
चौपाई-
नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥
शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥
आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥
वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥
असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥
देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥
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आज का राशिफल

मेष- आज का दिन आपके लिए चिंताग्रस्त रहने वाला है। संतान के स्वास्थ्य में गिरावट आने से आपका मन परेशान रहेगा। आपको किसी से किए हुए वादे को भी पूरा करना होगा। कार्यक्षेत्र में आपके विरोधी आपके कामों को बिगाड़ने की कोशिश करेंगे। नौकरी में कार्यरत लोगों को किसी दूसरी नौकरी का ऑफर आ सकता है। आपको बिना सोचे समझे किसी योजना में धन लगाने से बचना होगा। मित्रों का आपको पूरा सहयोग मिलेगा।
वृषभ- आज का दिन आपके लिए बढ़िया रहने वाला है। जीवनसाथी की ओर से आपको कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। आपको आर्थिक मामलों में किसी योजना पर भरोसा नहीं करना है। जीवनसाथी आपके कामों में आपका पूरा साथ देंगे। कुछ नया करने की कोशिश आपकी रंग लाएगी। रोजगार के तलाश में इधर-उधर भटक रहे लोगों के प्रयास बेहतर रहेंगे। आपको अपने सहयोगियों से कोई बात सोच समझकर कहनी होगी।
मिथुन- आज का दिन आपके लिए बढ़ते खर्चों पर ध्यान देने के लिए रहेगा। आपको तरक्की करते देखा आपको विरोधी परेशान रहेंगे। भाग्य का आपको पूरा साथ मिलेगा। माता जी की सेहत में यदि गिरावट आ गई थी, वह भी दूर होगी। कार्यक्षेत्र में आपको किसी काम के लिए पुरस्कार मिल सकता है। परिवार में किसी सदस्य के विवाह में आ रही बाधा दूर होगी। आप अपने मित्रों के साथ कुछ समय मौज मस्ती करने में व्यतीत करेंगे।
कर्क- आज का दिन आपके लिए धैर्य और संयम से काम लेने के लिए रहेगा। आपका भगवान की भक्ति में खूब मन लगेगा। कार्यक्षेत्र में आपकी अच्छी सलाह सभी के खूब काम आएगी। आपको किसी से मांगकर वाहन चलाना नुकसान देगा। वाहनों के प्रयोग से आपको सावधान रहना होगा। आपका कोई पुराना लेनदेन चुकता होगा। आपके घर किसी सरप्राइज पार्टी का आयोजन हो सकता है।
सिंह- आज का दिन आपके लिए कोर्ट-कचहरी से संबंधित मामलों पर ध्यान देने के लिए रहेगा। वैवाहिक जीवन खुशनुमा रहेगा। यदि आपको किसी बात को लेकर कोई टेंशन थी, तो वह भी दूर होगी। संतान पढ़ाई-लिखाई में अच्छा प्रदर्शन करेगी, जिससे उन्हें पुरस्कार भी मिलेंगे। नौकरी को लेकर आपको थोड़ा ध्यान देना होगा। आपकी कोई गलती परिवार के सदस्यों के सामने आ सकती है। आपको किसी से कोई वादा बहुत ही सोच समझकर करना होगा।
कन्या- आज का दिन आपके लिए मिश्रित रूप से फलदायक रहने वाला है। आपको अपने कामों में अच्छी सफलता मिलेगी। जीवनसाथी को लेकर आप कहीं शॉपिंग आदि पर जाने की योजना बना सकते हैं। आप दिखावे के चक्कर में अत्यधिक धन खर्च करेंगे, जिसके बाद में आपको धन की कमी का सामना करना पड़ सकता है। आपके कुछ नए विरोधी उत्पन्न हो सकते हैं। आप अपनी अच्छी सोच का कार्यक्षेत्र में लाभ उठाएंगे।
तुला- आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहने वाला है। आपको अपने कामों पर पूरा फोकस करना होगा और अपने दिल की जगह दिमाग की सुने। पारिवारिक मामलों को आप हल्के में ना लें, नहीं तो इससे रिश्तों में दूरी आ सकती हैं। सेहत को लेकर आपको लापरवाही बिल्कुल नहीं बरतनी है। आपके ऊपर काम अधिक रहेगा, जिस कारण आपको भागदौड़ भी अधिक रहेगी। आप किसी नए वाहन की खरीदारी के बारे में सोच विचार कर सकते हैं।
वृश्चिक- आज का दिन बिजनेस कर रहे लोगों के लिए अच्छा रहने वाला है। आपका कोई नया प्रोजेक्ट शुरू हो सकता है। भगवान के भक्ति में आपका खूब मन लगेगा। आपको ससुराल पक्ष के किसी व्यक्ति से कोई लेने थोड़ा सोच समझकर करना होगा। आप किसी मकान आदि की खरीदारी की आप योजना बना सकते हैं। परिवार में आप छोटे बच्चों के साथ कुछ समय मौज मस्ती करने में व्यतीत करेंगे। आपका कोई मित्र आपसे कोई इंवेस्टमेंट संबंधित प्लान लेकर आ सकता है।
धनु- आज का दिन आपके लिए मिश्रित रूप से फलदायक रहने वाला है। आपको अपने बढ़ते खर्चों पर लगाम लगाने की आवश्यकता है। माता-पिता के आशीर्वाद से आपका कोई रुका हुआ काम पूरा होगा। आपकी कुछ खास लोगों से मुलाकात होगी। कार्यक्षेत्र में कामों में बदलाव होने से आपका मन खुश रहेगा। संतान पक्ष की ओर से आपको कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। आपको अपने पारिवारिक मामलों को ध्यान रखकर निपटना होगा।
मकर- आज का दिन आपके लिए जिम्मेदारी से काम करने के लिए रहेगा। कारोबार में आपको अच्छी सफलता मिलेगी। बिजनेस में आपको कोई बड़ा टेंडर मिल सकता है। विद्यार्थीयो की पढ़ाई लिखाई में आ रही समस्याएं उनके सीनियर की मदद से दूर होते देख रही हैं। आपको किसी दूर रह रहे परिजन की याद सता सकती हैं। आपके घर किसी पूजा-पाठ का आयोजन होने से परिजनों का आना जाना लगा रहेगा। आपको अपने विरोधियों से सतर्क रहना होगा।
कुंभ- आज का दिन आपके लिए उत्तम संपत्ति के संकेत दे रहा है। आपकी आय में वृद्धि होगी और आपका मान सम्मान बढ़ाने से आपको खुशी होगी। सामाजिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने का मौका मिलेगा। नौकरी में बदलाव की योजना बना रहे लोग थोड़ा सोच समझकर आगे बढ़ें, तो बेहतर रहने वाला है। कोई निर्णय आप जल्दबाजी में ना लें। आपको किसी से कहासुनी होने की संभावना है। आपको अपने पिताजी की कोई बात बुरी लग सकती है। आपकी इनकम के सोर्स बढ़ेंगे।
मीन- आज का दिन आपके लिए मेहनत से काम करने के लिए रहेगा। आपको अपने अनुभवों का लाभ मिलेगा और व्यवसाय में आप नवीनता ला सके, तो आपके लिए बेहतर रहने वाला है। संतान किसी प्रतियोगिता में भाग ले सकती है, जिसमें उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी। आपको किसी दूसरे के मामले में बेवजह बोलने से बचना होगा। परोपकार के कार्यों में आपकी काफी रुचि रहेगी। जीवनसाथी को अपने करियर में अच्छी सफलता मिलेगी, उन्हें किसी सरकारी नौकरी की भी प्राप्ति हो सकती है।
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कल 5 घंटे तक पुरी जगन्नाथ मंदिर में देवताओं के दर्शन नहीं होंगे

ओडिशा। पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के बनकालगी अनुष्ठान के कारण कल (5 मार्च) पांच घंटे के लिए देवताओं के दर्शन बंद रहेंगे, मंदिर प्रशासन ने कहा। तदनुसार, भक्तों को शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक देवताओं के दर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी। रात 10 बजे अनुष्ठान समाप्त होने के बाद भक्त दर्शन फिर से शुरू कर सकते हैं।
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2 शुभ योगों में रखा जाएगा प्रदोष व्रत

  • जानिए...सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
सनातन धर्म में शिवजी की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत रखने की मान्यता है। यह व्रत हर माह के त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन शिवजी और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने से जीवन के समस्त दुखों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में 11 मार्च 2025 दिन मंगलवार को बेहद शुभ योगों में प्रदोष व्रत रखा जाता है। मंगलवार पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस खास दिन शिवजी के साथ हनुमान जी की पूजा भी जाती है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की सही तिथि ,शुभ मुहूर्त और पूजाविधि|
कब है प्रदोष व्रत?-
द्रिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 11 मार्च को सुबह 08 बजकर 13 मिनट पर होगी और अगले दिन 12 मार्च 2025 को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में प्रदोष काल पूजा मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए 11 मार्च 2025 दिन मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रोगों से मुक्ति और आरोग्यता का वरदान प्राप्त करने के लिए भौम प्रदोष व्रत रखा जाता है।
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त-
इस दिन शाम 06 बजकर 27 मिनट से लेकर 08 बजकर 53 मिनट तक लगभग 02 घंटे 25 मिनट तक प्रदोष काल पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।
प्रदोष व्रत मार्च 2025 शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार, 11 मार्च 2025 को बेहद शुभ योगों में प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन सुकुर्मा योग, सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।
ब्रह्म मुहूर्त- 04:58 एएम से 05:47 एएम
अभिजित मुहूर्त- 12:07 पीएम से 12:55 पीएम
विजय मुहूर्त- 02:30 पीएम से 03:17 पीएम
गोधूलि मुहूर्त- 06:25 पीएम से 06:49 पीएम
अमृत काल- 12:33 एएम, मार्च 12 से 02:15 एएम, मार्च 12
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:35 एएम से 02:15 एएम, मार्च 12
पूजा सामग्री-
बेलपत्र, कच्चा दूध, दही, शहद, आक के फूल, भांग धतूर, गाय का घी,दीपक, धूप-दीप, दुध से बनी मिठाई, रूई-बाती, जल से भरा लोटा, आरती के लिए थाली,प्रदोष व्रत कथा की पुस्तक समेत पूजा की सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
पूजाविधि-
प्रदोष व्रत में सुबह जल्दी उठें।
स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें।
शिवजी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प करें।
शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।
इसके बाद शिव-परिवार की विधिवत पूजा करें।
शाम को दोबारा प्रदोष काल में पूजा आरंभ करें।
शिवालय जाएं या घर के मंदिर में ही पूजा करें।
शिवलिंग पर पंचामृत या जल से अभिषेक करें।
शिवजी को बेलपत्र,फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें।
अब शिवजी की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं।
शिव मंत्रों का जाप करें और शिवजी को सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
अंत में शिव-गौरी समेत सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें।
पूजा के दौरान हुई गलती के लिए क्षमा-प्रार्थना मांगे।
इसके साथ ही भौम प्रदोष के दिन हनुमानजी की पूजा करें।
हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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चैत्र नवरात्रि, जानिए...सही तिथि और मुहूर्त

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन नवरात्रि को बेहद ही खास माना जाता है जो कि साल में चार बार पड़ती है जिसमें दो गुप्त नवरात्रि होती है और दो अन्य नवरात्रि होती है जिसमें शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि आती है। पंचांग के अनुसार नवरात्रि व्रत माता रानी की पूजा अर्चना को समर्पित होता है जो कि पूरे नौ दिनों तक चलता है।
इस दौरान भक्त मां दुर्गा की भक्ति और शक्ति की उपासना में लीन रहते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से देवी कृपा बरसती है और कष्ट दूर हो जाते हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि इस साल चैत्र माह की नवरात्रि कब मनाई जाएगी और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है, तो आइए जानते हैं।
चैत्र नवरात्रि की तारीख-
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से आरंभ हो रही है वही 6 अप्रैल को राम नवमी के साथ ही इसका समापन हो जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ हिंदू नववर्ष का आरंभ होगा और इसी दिन गुड़ी पड़वा का त्योहार भी मनाया जाएगा।
नवरात्रि पर कलश स्थापना का मुहूर्त-
प्रतिपदा तिथि का आरंभ 29 मार्च ​2025 को शाम 4 बजकर 27 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर हो जाएगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। वही अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में करने से व्रत पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है।
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मथुरा-वृंदावन समेत पूरे ब्रज में होली की धूम, जानिए...कब खेली जाएगी लाठी मार और फूलों की होली

रंगों का त्यौहार होली पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाई जाती है। भारत के अलग-अलग राज्यों और हिस्सों में होली के अनोखे रंग देखने को मिलते हैं। इसमें ब्रज की होली सबसे आकर्षक और खास मानी जाती है। बृज की विश्व प्रसिद्ध होली देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं। बता दें कि मथुरा-वृंदावन समेत पूरे बृज में होली का उत्सव पूरे 40 दिनों तक चलता है,
जिसकी शुरुआत बसंत पंचमी से होती है। इस रंगोत्सव का समापन रंग पंचमी के दिन होता है। तो आइए अब जानते हैं पूरे ब्रज में कौनसी होली किस दिन खेली जाएगी।
ब्रज की होली 2025 कार्यक्रम डेट-
7 मार्च 2025- बरसाना, श्रीजी मंदिर में लड्डूमार होली
8 मार्च 2025- बरसाना में लट्ठमार होली
9 मार्च- नंदगांव, नंद भवन में लट्ठमार होली
10 मार्च- बांके बिहारी मंदिर में फूलों वाली होली
10 मार्च- कृष्ण जन्मभूमि पर हुरंगा का आयोजन
11 मार्च- गोकुल के रमणरेती और द्वारकाधीश मंदिर में होली खेली जाएगी
11 मार्च- गोकुल में छड़ीमार होली
12 मार्च- वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होली का उत्सव
13 मार्च- होलिका दहन
14 मार्च- पूरे ब्रज में होली का उत्सव
15 मार्च- दाऊजी का हुरंगा
16 मार्च- नंदगांव में हुरंगा खेला जाएगा
17 मार्च- जाव गांव में पारंपरिक हुरंगा खेला जाएगा
18 मार्च को मुखरई में चरकुला नृत्य का आयोजन किया जाएगा
22 मार्च -वृंदावन के रंगनाथ मंदिर में होली का उत्सव मनाया जाएगा। बृज की 40 दिन की होली उत्सव का समापन
ब्रज की होली का महत्व-
ब्रज की होली का विशेष महत्व बताया गया है। यहां होली को होरा भी कहा जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में जहां रंग, गुलाल और पानी से होली खेली जाती है। वहीं ब्रज में रंग-गुलाल के अलावा लट्ठमार, छड़ीमार, लड्डू और फूलों वाली होली मनाई जाती है। ब्रज की होली में लट्ठमार होली सबसे खास होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापरयुग में भगवान कृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के साथ लट्ठमार होली खेली थी। इसके बाद से ही यहां लट्ठमार होली खेलने की परंपरा शुरू हुई।
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29 मार्च से एक साथ रहेंगे शनि और राहु, साढ़ेसाती के दौरान राशियों में होगा बड़ा बदलाव

29 मार्च का दिन ऐसा है जब शनि और राहु सब एक साथ हो रहे हैं। 29 मार्च को शनि अपनी स्वराशि कुंभ को छोड़कर मीन राशि में जा रहे हैं। मीन राशि गुरु की राशि है। इस राशि में अक्टूबर 2024 में राहु आए हैं। ऐसे में राहु और शनि एक साथ होकर कई राशियों के लिए परेशानी खड़ी करेगें। शनि और राहु के एक साथ आने के कारण शनि की साढ़ेसाती वाली राशियों पर खास प्रभाव होगा। खासकर मीन, मेष, कुंभ, सिंह और धनु राशि के लोगों को खासी परेशानी होगी। इस राशि के लोगों को एकस्ट्रा सावधान रहने की जरूरत है। दरअसल 29 मार्च को शनि की साढ़ेसाती मेष राशि पर शुरू हो जाएगी। इसके अलावा कुंभ और मीन पर साढ़ेसाती पहले से चल रही है। मकर राशि के लोग साढ़ेसाती से फ्री हो जाएंगे। इसके अलावा शनि की ढैया सिंह और धनु राशि पर शुरू हो जाएगी|
शनि की साढ़ेसाती वाली राशियां किन बातों का ध्यान रखें-
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या की राशियों को कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। इन राशियों के लोगों को दुर्घटना से सावधान रहना चाहिए। ऐसी जगह ना जाएं जहां आपको रिस्क लगे। बिजनेस में पैसों से जुड़े फैसले इस दौरान अच्छे से रिसर्च करके लें। कोई भी काम करें,तो अच्छे से सोच लें, आनन-फानन में कोई भी फैसला लेने से बचें। शेयर मार्केट में अगर पैसा लगा रहे हैं, तो आपको सोचना समझना होगा। गरीबों की सेवा करें। घर को साफ सुथरा रखें। राहुकाल में कोई काम ना करें। सूर्य और मंगल को मजबूत करने के उपाय करें। बहुत ही जरूरी कोई काम हो तभी बाहर जाएं। शनिवार को अपने घर वाले और दोस्तों के साथ बैठकर रात में 8 बजे सरसों के तेल का दीपक लगाकर 108 हनुमान चालीसा का पाठ करें। प्रसाद का भोग लगाएं।
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शनि के प्रकोप से बचाएंगे बजरंगबली, मंगलवार को करें ये काम

बजरंगबली की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. यही कारण है कि हनुमानजी को संकटमोचन भी कहा जाता है. घर,परिवार पर विशेष कृपा बरसती है. साथ ही महाबली हनुमान जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यही नहीं, अगर किसी जातक पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है, तो हनुमानजी की पूजा करने की सलाह दी जाती है|
ऐसे होंगे बजरंगबली खुश: मंगलवार और शनिवार के दिन भगवान बजरंगबली की पूजा करने से सभी प्रकार के शारीरिक कष्ट से मुक्ति मिलती है. हुनमान जी आठ चिरंजीवियों में से एक हैं. कहते हैं कि संसार में 8 लोगों को चिरंजीवी (दीर्घायु) होने का वरदान मिला हुआ है. इन्हें अष्ट चिरंजीवी कहा जाता है. शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने, उनकी मूर्ति पर सिंदूर लगाने, गुड़, चना और केला चढ़ाने से शनि देव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं और दोनों देवताओं का आशीर्वाद मिलता है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक-
हनुमान जी की कथा-
हनुमान जी की माता अंजनी अपने पिछले जन्म में चंचल (नटखट) थीं. एक ऋषि से अनुचित व्यवहार के फलस्वरुप उन्हें ये श्राप मिला था कि वे अगले जन्म में वानर योनि में जन्म लेंगी. माता अंजनी काफी तपस्या करती हैं तब उन्हें उक्त ऋषि आशीर्वाद देते हैं कि आप वानर योनि में एक महा पराक्रमी, सद्गुणी, बुद्धिमान, अतुलित बल के स्वामी, और तजस्वी पुत्र की माता होंगी. ऋषि के महान आशीर्वाद से चैत्र शुक्ला पूर्णिमा के दिन माता अंजनी भगवान शंकर के 11वें अवतार श्री हनुमानजी को जन्म देती हैं|
हनुमान चालीसा का करें पाठ-
आज के वर्तमान युग में खासकर कोरोना काल में श्री हनुमान चालीसा एक वरदान है. सभी हनुमान भक्त उत्तर दिशा की ओर मुख करके तुलसीदास जी के द्वारा लिखित इस महा ग्रंथ का पाठ करें. नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरंतर हनुमंत बीरा ।। इस दोहे का सभी हनुमान भक्त आस्था पूर्वक पाठ करें और वीर हनुमान से प्रार्थना करें कि संसार इस वक्त जिस महामारी से जूझ रहा है उससे जल्द ही सभी को छुटकारा मिले. मंगलवार के शुभ दिन श्रीराम रक्षा स्तोत्र, रामचरितमानस, श्रीहनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमाष्टक, सुंदरकांड, श्री हनुमान बाहुक का आस्था पूर्वक पाठ करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है|
ऐसे करें वीर हनुमान की पूजा-
मंगलवार और शनिवार को सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करे. स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें. हनुमान को लाल कपड़े के आसन पर बैठाएं. श्रीहनुमान जी को लाल तिलक, लाल सिंदूर, रक्त चंदन, लाल फूल, कलावा की माला पहनाएं. शुद्ध घी के दीपक जलाएं. बजरंगबली को चना, रेवड़ी, गुड़, मगज के लड्डू का भोग लगाएं. इस विपदा काल में प्रसाद स्वरूप गुड़ चना शरीर को शक्ति देंगे. श्रीहनुमान जी संकट को टालने वाले और भय को दूर करने वाले देवता हैं, हनुमान की आराधना से शरीर में शक्ति का संचार होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है|
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विनायक चतुर्थी व्रत 3 मार्च को, जानिए...शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

विनायक चतुर्थी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. यह दिन भगवान गणेश को प्रसन्न कर आशीर्वाद पाने के लिए सबसे अच्छा और शुभ दिन माना जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. साथ ही निमित्त व्रत का विधान है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से साधक को सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है. वहीं इस जीवन का समस्त बाधाओं और आर्थिक तंगी से भी मुक्ति मिलती है|
हिंदू पंचांग के अनुसार, विनायक चतुर्थी यानी फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 2 मार्च को रात 9 बजकर 1 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन अगले दिन 3 मार्च को शाम 6 बजकर 2 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, इस बार विनायक चतुर्थी का व्रत सोमवार 3 मार्च को रखा जाएगा|
फाल्गुन विनायक चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार, विनायक चतुर्थी के दिन बप्पा की पूजा का शुभ मुहूर्त 3 मार्च को सुबह 11 बजकर 23 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार शुभ मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है|
विनायक चतुर्थी पूजा विधि-
विनायक चतुर्थी के दिन पूजा करने के लिए जातक सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि कर साफ कपड़े पहनें इसके बाद व्रत का संकल्प लें. . फिर घर के मंदिर में भगवान गणेश को गंगाजल से स्नान कराएं. फिर भगवान गणेश को फिर पंचामृत से स्नान कराएं उसके बाद साफ जल से स्नान कराएं. भगवान गणेश को चंदन, रोली, कुमकुम और फूलों से श्रृंगार करें. फिर उन्हें लड्डू, मोदक का भोग लगाएं. फिर भगवान गणेश के विभिन्न मंत्रों का जप करें जैसे- ॐ गं गणपतये नमः और ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा. इसके बाद व्रत कथा का पाठ और भगवान गणेश की आरती कर पूजा संपन्न करें|
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शनिवार के दिन करें ये पाठ, दोषों से मिलेगा छुटकारा

सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित है वही शनिवार का दिन भगवान शनिदेव की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है इस दिन भक्त भगवान शनिदेव की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं
माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है लेकिन अगर हर शनिवार के दिन भक्ति भाव से शनि देव की पूजा कर श्री शनि कवच का पाठ किया जाए साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों को दान किया जाए तो कुंडली का शनि मजबूत हो जाता है शनिदोष से भी राहत मिलती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं यह चमत्कारी पाठ।
शनि कवच पाठ-
ओं अस्य श्री शनैश्चर कवच स्तोत्रमहामन्त्रस्य काश्यप ऋषिः, अनुष्टुप्चन्दः, शनैश्चरो देवता, शं बीजं, वां शक्तिः यं कीलकं, मम शनैश्चरकृतपीडापरिहारार्थे जपे विनियोगः ॥
करन्यासः ॥
शां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।
शीं तर्जनीभ्यां नमः ।
शूं मध्यमाभ्यां नमः ।
शैं अनामिकाभ्य़ां नमः ।
शौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
शः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ॥
अङ्गन्य़ासः ॥
शां हृदयाय नमः ।
शीं शिरसे स्वाहा ।
शूं शीखायै वषट् ।
शैं कवचाय़ हुं ।
शौं नेत्रत्रयाय वौषट् ।
शः अस्त्राय फट् ।
भूर्भुवस्सुवरोमिति दिग्बन्धः ॥
ध्यानम् ॥
चतुर्भुजं शनिं देवं चापतूणी कृपाणकं ।
वरदं भीमदम्ष्ट्रं च नीलाङ्गं वरभूषणं ।
नीलमाल्यानुलेपं च नीलरत्नैरलङ्कृतं ।
ज्वालोर्ध्व मकुटाभासं नीलगृध्र रथावहं ।
मेरुं प्रदक्षिणं कृत्वा सर्वलोकभयावहं ।
कृष्णाम्बरधरं देवं द्विभुजं गृध्रसंस्थितं ।
सर्वपीडाहारं नॄणां ध्यायेद्ग्रहगणोत्तमम् ॥
अथ कवचम् ॥
शनैश्चरः शिरो रक्षेत् मुखं भक्तार्तिनाशनः ।
कर्णौ कृष्णाम्बरः पातु नेत्रे सर्वभयङ्करः ।
कृष्णाङ्गो नासिकां रक्षेत् कर्णौ मे च शिखण्डिजः ।
भुजौ मे सुभुजः पातु हस्तौ नीलोत्पलप्रभः ।
पातु मे हृदयं कृष्णः कुक्षिं शुष्कोदरस्तथा ।
कटिं मे विकटः पातु ऊरू मे घोररूपवान् ।
जानुनी पातु दीर्घो मे जङ्घे मे मङ्गलप्रदः ।
गुल्फौ गुणाकरः पातु पादौ मे पङ्गुपादकः ।
सर्वाणि च ममाङ्गानि पातु भास्करनन्दनः ।
फलश्रुतिः॥
य इदं कवचं दिव्यं सर्वपीडाहरं नृणां ।
पठति श्रद्दयाय़ुक्तः सर्वान् कामानवाप्नुयात् ॥
इति श्रीपद्म पुराणे शनैश्चर कवचम् ॥
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