धर्म समाज

बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए 25 जून को रवाना होगा पहला जत्था

  • जानिए...यात्रा से जुड़ी अहम बातें
जम्मू कश्मीर स्थित बाबा अमरनाथ में बर्फ से प्राकृतिक रूप से बनने वाले शिवलिंग के दर्शन करने के लिए छत्तीसगढ़ और राजस्थान समेत देशभर के प्रमुख शहरों से पहला जत्था 25 जून को रवाना होगा। वहीं, 29 जून से यात्रा शुरू होगी। रायपुर से 150 और प्रदेशभर से 500 से अधिक श्रद्धालु रवाना होंगे। कई साल से यात्रा पर जा रहे अनुभवी श्रद्धालु पहली बार जाने वाले श्रद्धालुओं को यात्रा में होने वाली परेशानियों से निपटने के विशेष सुझाव दे रहे हैं। इसके लिए व्हाट्सअप ग्रुप बनाया गया है, ताकि यात्रा के दौरान श्रद्धालु एक-दूसरे के संपर्क में रहे।
करें ऑनलाइन-ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन-
इस बार अमरनाथ यात्रा 29 से जून से शुरू होकर 19 अगस्त यानी की रक्षाबंधन पर्व तक चलेगी। 18वीं अमरनाथ यात्रा में बालाघाट और पहलगाम मार्ग से भक्त यात्रा करेंगे। 1 जुलाई को भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन कर पाएंगे। यात्रा के लिए 17 अप्रैल से ही रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं। वहीं, जम्मू-कश्मीर की 20 बैंक शाखाओं में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी शुरू किए जा चुके हैं। अमरनाथ श्राइन बोर्ड के मुताबिक, 13 साल से लेकर 70 साल के लोग अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के लिए https://jksasb.nic.in वेबसाइट पर जा सकते हैं।
इन डॉक्यूमेंट्स की होगी जरूरत-
अमरनाथ यात्रा के लिए आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड, श्राइन बोर्ड से ऑथराइज्ड डॉक्टर के हाथों बना हुआ मेडिकल सर्टिफिकेट, 5 पासपोर्ट साइज फोटो की जरूरत होगी। इस यात्रा पर ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, जॉइंट पेन, सांस की बीमारी, मिर्गी के दौरे जैसी बीमारियों से पीड़ित लोग नहीं जा सकते हैं। 29 जून 2024 से बाबा अमरनाथ की गुफा के पास भंडारा भी शुरू होगा और रक्षाबंधन के दिन तक चलेगा। इसमें यात्रियों के लिए नाश्ता, भोजन और चाय की व्यवस्था रहेगी। वहीं, बालटाल बेस कैंप में श्रद्धालुओं के लिए ठहरने की व्यवस्था भी की जाएगी।
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खाटू श्याम को गुलाब के फूल क्यों? चढ़ाया जाता है जानिए...वजह

बाबा श्याम को कलयुग का अवतार माना जाता है। श्याम को हारे का सहारा भी कहा जाता है। हर साल लाखों भक्त बाबा श्याम के दरबार में शीश जलाने आते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बाबा श्याम कौन हैं... और खाटूश्याम जी में बाबा श्याम का मंदिर क्यों बनाया गया है... जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
महाभारत में उल्लेख है कि भीम के पुत्र घटोत्कच थे और उनके पुत्र बर्बरीक थे। बर्बरीक देवी माँ के भक्त थे। बर्बरीक की तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर देवी माँ ने उन्हें तीन बाण दिये, जिनमें से एक से वह संपूर्ण पृथ्वी को नष्ट कर सकते थे। ऐसे में जब महाभारत का युद्ध चल रहा था तो बर्बरीक ने अपनी मां हिडिम्बा को युद्ध लड़ने का प्रस्ताव दिया. तब बर्बरीक की माँ ने सोचा कि कौरवों की सेना बड़ी है और पांडवों की सेना छोटी है, इसलिए शायद कौरव युद्ध में पांडवों पर भारी पड़ जायेंगे। तब हिडिम्बा ने कहा कि तुम हारने वाले पक्ष की ओर से लड़ोगे। इसके बाद माता की आज्ञा मानकर बर्बर लोग महाभारत के युद्ध में भाग लेने के लिए निकल पड़े। लेकिन, श्री कृष्ण जानते थे कि यदि बर्बरीक युद्ध स्थल पर पहुँच गए तो जीत पांडवों की होगी, वे कौरवों की ओर से युद्ध लड़ेंगे। इसलिए भगवान कृष्ण ने एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और बर्बरीक के पास पहुंचे।
तब भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश दान में मांग लिया। बर्बरीक ने दान स्वरूप अपना शीश बिना किसी प्रश्न के भगवान कृष्ण को दान कर दिया। इस दान के कारण श्री कृष्ण ने कहा कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे, कलयुग में तुम श्याम के नाम से पूजे जाओगे, तुम कलयुग के अवतार कहलाओगे और हारे का सहारा बनोगे।
जब घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने अपना शीश भगवान श्री कृष्ण को दान में दे दिया, तो बर्बरीक ने महाभारत का युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की, तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक का शीश एक ऊँचे स्थान पर रख दिया। तब बर्बरीक ने संपूर्ण महाभारत युद्ध देखा। युद्ध की समाप्ति के बाद भगवान कृष्ण ने बर्बरीक का सिर गर्भवती नदी में फेंक दिया। इस प्रकार बर्बरीक यानि बाबा श्याम का शीश गर्भवती नदी से खाटू (उस समय खाटुवांग शहर) में आ गया। आपको बता दें कि खाटूश्यामजी में गर्भवती नदी 1974 में लुप्त हो गई थी.
स्थानीय लोगों के अनुसार, पीपल के पेड़ के पास एक गाय प्रतिदिन अपने आप दूध देती थी, ऐसे में जब लोगों ने उस स्थान की खुदाई की तो वहां से बाबा श्याम का सिर निकला। बाबा श्याम का यह शीश फाल्गुन माह की ग्यारस को प्राप्त हुआ था इसलिए बाबा श्याम का जन्मोत्सव भी फाल्गुन माह की ग्यारस को मनाया जाता है। खुदाई के बाद ग्रामीणों ने बाबा श्याम का सिर चौहान वंश की नर्मदा देवी को सौंप दिया। इसके बाद नर्मदा देवी ने बाबा श्याम को गर्भ गृह में स्थापित कर दिया और जिस स्थान पर बाबा श्याम को खोदा गया था, वहां पर एक श्याम कुंड बनाया गया।
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आज का राशिफल, जानिए...क्या कहते हैं आपके सितारे

राशिफल को निकालते समय ग्रह-नक्षत्र के साथ साथ पंचांग की गणना का विश्लेषण किया जाता है। दैनिक राशिफल ग्रह-नक्षत्र की चाल पर आधारित फलादेश है, जिसमें सभी राशियों जैसे मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन का दैनिक भविष्यफल विस्तार से बताया जाता है, आईये जाने आज का राशिफल...
मेष राशिफल
आज का दिन उतार चढाव से भरा हुआ है। गृहस्थ जीवन जी रहे लोगों के लिए दिन आनंदमय रहने वाला है। आपको नौकरी में कोई बड़े पद की प्राप्ति हो सकती है। कारोबार कर रहे लोगों को मन मुताबिक लाभ मिलने से उनकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहेगा। यदि आपने किसी संपत्ति का सौदा करने का सोचा है, तो आप उसके चल व अचल पहलुओं को स्वतंत्रता से जांच ले। आप किसी जोखिम भरे काम में हाथ डालने से बचें। आर्थिक स्थिति को लेकर यदि आप परेशान चल रहे थे, तो आपकी वह चिंता भी आज दूर होगी। विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के मार्ग प्रशस्त होंगे। माता-पिता के आशीर्वाद से आपको किसी नए काम की शुरुआत करने का मौका मिल सकता है।
वृष राशिफल-
आज का दिन आपके लिए शुभ व मांगलिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए रहेगा। आपको घूमने फिरने के दौरान कोई महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त होगी। आपके आवश्यक कार्यों को भी गति मिलेगी। शासन व सत्ता का आपको पूरा लाभ मिलता दिख रहा है। आपको किसी यात्रा पर जाते समय अपने कीमती सामानों की सुरक्षा करनी होगी। जो लोग विदेश से व्यापार की योजना बना रहे हैं, उनकी वह इच्छा आज पूरी हो सकती है। आप किसी को धन उधार देने से बचें, नहीं तो समस्या होगी। व्यापार में आप छुटपुट लाभ के अवसरों को पहचान कर आगे बढ़ें।
मिथुन राशिफल-
आज का दिन आपके लिए मिश्रित रूप से फलदायक रहने वाला है। जीवनसाथी के साथ मिलकर आप भविष्य की कुछ नई योजनाओं को बनाएंगे। अपने कामों को भाग्य के भरोसे ना छोड़े, नहीं तो समस्या आ सकती है। पुण्य कार्यों में आपका रुझान बढ़ेगा। कार्यक्षेत्र में आपको जिम्मेदारियां मिलने से आप थोड़ा परेशान तो रहेंगे, लेकिन आप उन्हें निभाने में कामयाब रहेंगे। जो जातक राजनीतिक क्षेत्र में कार्यरत हैं, उन्हें अपने कामों के प्रति सावधान रहने की आवश्यकता है। मामा पक्ष से आपको धन लाभ मिलता दिख रहा है। आध्यात्म के कार्यों के प्रति आपकी रुचि बढ़ेगी। विद्यार्थियों ने यदि किसी परीक्षा को दी है तो आज उसके परिणाम आ सकते हैं। माताजी से आप अपने मन की किसी बात को लेकर बातचीत कर सकते हैं।
कर्क राशिफल-
आज का दिन आपके लिए स्वास्थ्य के लिहाज से कमजोर रहने वाला है। साथ ही आज आप कोई भी निणर्य जल्दबाजी में ना लें, नहीं तो वह गलत हो सकता है। परिवार के सदस्यों में यदि किसी बात को लेकर आपसी तनाव चल रहा है, तो उसे घर से बाहर न जाने दें। व्यापार में आप अपनी कुछ रुकी हुई योजनाओं को गति देंगे। वरिष्ठ सदस्यों के भरोसे को आप बनाए रखें। यदि किसी से वादा करें, तो उसे समय रहते पूरा करें। जीवनसाथी का सहयोग व सानिध्य आपको भरपूर मात्रा में मिलता दिख रहा है। किसी अनजान व्यक्ति पर भरोसा करने से आपको बचना होगा।
सिंह राशिफल-
आज का दिन आपके लिए समस्याओं भरा रहेगा। आपको अपने किसी परिजन की ओर से कोई निराशाजनक सूचना सुनने को मिल सकती है। आप किसी के कहने में आकर बेकार की वस्तुओं में निवेश कर सकते हैं, जो आपको नुकसान देगी। आपको यदि किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करने का मौका मिले, तो अवश्य करें। आपके पिताजी से आपको किसी बात को लेकर डांट खानी पड़ सकती है। आप किसी से कोई वादा बहुत ही सोच विचार कर करें, क्योंकि आपको उसे पूरा करने में समस्या आएगी। आपको अपने बिजनेस में कुछ बदलाव बहुत ही सोच विचार कर करने होंगे।
कन्या राशिफल-
आज का दिन आपके लिए स्वास्थ्य के लिहाज से कमजोर रहेगा। आप अपने किसी बड़े लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश में बाकी कामों पर ध्यान नहीं लगाएंगे। आपकी स्वास्थ्य संबंधित समस्या आपको परेशान करेंगी। आप अपनी शान शौकत की वस्तुओं में कुछ इजाफा करेंगे। घूमने फिरने के दौरान आपको कोई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। आपकी कुछ रसूखदार लोगों से मुलाकात होगी। आपने यदि किसी यात्रा पर जाने का सोचा है, तो आप उसे कुछ समय के लिए स्थगित कर दें। यदि आप किसी बैंक, व्यक्ति संस्था आदि से धन उधार लेंगे, तो आपको उसे उतारने में समस्या आएगी।
तुला राशिफल-
आज का दिन आपके लिए अनुकूल रहने वाला है। अध्ययन व आध्यात्म के प्रति आपकी रुचि बढ़ेगी। व्यक्तिगत प्रयासों में आप उत्साह से भरे रहेंगे। आपकी पद व प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कार्यक्षेत्र में आपको छोटों की गलतियों को बड़प्पन दिखाते हुए माफ करना होगा। आपको किसी जोखिम भरे काम में हाथ आजमाने से बचना होगा। विद्यार्थियों ने यदि किसी परीक्षा को दिया था, तो उसके परिणाम आ सकते हैं। आध्यात्म के प्रति आपकी रुचि बढ़ेगी। धार्मिक कार्यों में आप बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे।
वृश्चिक राशिफल-
आज का दिन आपके लिए आत्मविश्वास से भरपूर रहने वाला है साथ ही यह दिन आपके लिए कोई बड़ी उपलब्धि लेकर आने वाला है। आपको अपने काम पर पूरा फोकस बनाए रखना होगा। परिवार में बड़े सदस्यों से किसी बात को लेकर जिद ना करें, नहीं तो आपसे नाराज हो सकते हैं। भावनात्मक मामलों में आप धैर्य बनाए रखें। भौतिक वस्तुओं में आज वृद्धि होगी। आप अपने व्यापार को बेहतर बनाए रखने की कोशिश में लगे रहेंगे।आपका कोई मित्र आपसे लंबे समय बाद मेल मुलाकात करने आ सकता है। संतान के विवाह के लिए आज कोई उचित प्रस्ताव सकता है, जिससे परिवार के सदस्य द्वारा तुरंत मंजूरी दी जा सकती है।
धनु राशिफल-
आज का दिन आपके लिए साख व सम्मान में वृद्धि लेकर आने वाला है। आप सबको साथ लेकर चलने की कोशिश में कामयाब रहेंगे। आप अपने आवश्यक कार्यों को पूरा करने की पूरी कोशिश करेंगे। कुछ नए लोगों से मेलजोल बढ़ाने में आप कामयाब रहेंगे। आप भावनात्मक विषयों में उत्साह दिखाएंगे। साझेदारी में किसी काम को करने से आपको अच्छा लाभ मिल सकता है। भाई बंधुओं से आपकी नजदीकियां बढ़ेंगी। साझेदारी में किसी काम को करना आपके लिए अच्छा रहेगा। विद्यार्थियों को शिक्षा में आ रही समस्याओं के लिए अपने गुरुजनों से बातचीत करनी होगी।
मकर राशिफल-
आज का दिन आपके लिए महत्वपूर्ण रहने वाला है। आप अपनी बड़ी सोच का लाभ उठाएंगे। धन संपत्ति संबंधित कामों में आपको सावधानी बरतनी होगी। संतान को आज किसी नई नौकरी के मिलने से माहौल खुशनुमा रहेगा। आपके अपनों के साथ यदि संबंधों में कोई दरार आ गई थी, तो वह दूर होगी। आपको आज किसी शुभ व मांगलिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने का मौका मिलेगा। आप किसी काम को लेकर फैसला जल्दबाजी में ना लें, नहीं तो समस्या हो सकती है।
कुंभ राशिफल-
आज का दिन आपके लिए कला व कौशल में निखार लेकर आएगा। रचनात्मक कार्य से आपको जुड़ने का मौका मिलेगा। आपको कुछ नये संपर्कों से लाभ मिलेगा। किसी कार्य को बेहतर करने के लिए आप उसमें जुटे रहेंगे। आपको संतान पक्ष की ओर से कोई शुभ सूचना मिल सकती है। आप अपने घर के रख रखाव आदि चीजों पर पूरा ध्यान देंगे। आपका कोई बचपन का मित्र आपसे लंबे समय बाद मेल मुलाकात करने आ सकता है, जिसकी प्रतिक्षा आप लंबे समय से कर रहे थे। बिजनेस कर रहे लोगों को एक अच्छा उछाल देखने को मिलेगा।
मीन राशिफल-
मीन राशि के जातकों के लिए आज दिन प्रसन्नता दिलाने वाला रहेगा। आपको महत्वपूर्ण मामले को जल्दबाजी में न निपटायें, नही तो कोई गलती हो सकती है। यदि आपको कोई बीमारी लंबे समय से घेरे हुए थी, तो उसमें सुधार होगा। कार्यक्षेत्र में आपको पदोन्नति जैसी कोई शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है। आप अपनी व्यावसायिक योजनाओं में अपने पार्टनर से सहमति बनाकर चले, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। आपको वाहनों का प्रयोग सावधानी से करना है।
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निर्जला एकादशी के दिन करें ये उपाय, कभी नहीं होगी पैसों की कमी

  • 18 जून को रखा जाएगा निर्जला एकादशी व्रत
इस बार 18 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन बिना पानी पिए निर्जला व्रत रखकर भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं कि इस दिन क्या उपाय करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी. हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है. यह तिथि जगत के पालनहार भगवान को समर्पित मानी जाती है. एक साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं जिससे हर महीने में 2 एकादशी तिथियां पड़ती हैं. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी पड़ती है. इस एकादशी पर अन्न और एक बूंद पानी पिए बिना व्रत रखा जाता है, इसलिए ही इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है. निर्जला एकादशी को सबसे शक्तिशाली और साल की सबसे बड़ी एकादशी भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साल की 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है.
निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी और मां लक्ष्मी की पूजा उपासना का बड़ा महत्व होता है. निर्जला एकादशी का व्रत विधि-विधान से करने पर पापों से भी मुक्ति मिलती है. ऐसा कहा जाता है कि साल भर में जितनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है, उतना फल सिर्फ निर्जला एकादशी के दिन व्रत करने से मिल जाता है. इस बार 18 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा, तो आइए जानते हैं कि इस दिन क्या उपाय करने चाहिए जिससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
निर्जला एकादशी पर करें ये उपाय-
1. निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने के बाद उन्हें चंदन का तिलक लगाना चाहिए. इसके साथ ‘ऊँ अः अनिरुद्धाय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि के साथ खुशहाली आती है.
2. वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए निर्जला एकादशी के दिन घर में लगे तुलसी के पौधे के पास शुद्ध गाय के घी से 11 दीपक जलाकर रखने चाहिए. इसके साथ ही, तुलसी की 11 बार परिक्रमा करनी चाहिए. ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है.
3. जीवन में की हर तरह की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए निर्जला एकादशी का मौका सबसे उत्तम है. निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पंजीरी का भोग लगाना बेहद शुभ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि पंजीरी में तुलसी का पत्ता डालकर भगवान को भोग लगाने से जीवन की हर मुश्किल से निजात मिलती है.
4. अगर किसी की कुंडली में किसी भी प्रकार का दोष बन रहा है, तो उससे छुटकारा पाने के लिए निर्जला एकादशी के दिन पानी, शरबत, पीले फल, वस्त्र, आम, तरबूज या शक्कर आदि चीजों का किसी जरूरतमंद, ब्राह्मण या गरीब को दान करें. ऐसा करना बेहद शुभ और पुण्यदायी माना गया है.
5. निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-पाठ करते समय या पूरे दिन व्रत रखने के समय ‘ओम नमो वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करते रहना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी मनचाही इच्छा पूरी होती है.
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इस बार सावन में कितने सोमवार होंगे, नोट करें सही तिथि

हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि से भगवान शिव को समर्पित महीना सावन शुरू हो जाता है। सावन को श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है। सोमवार व्रत, मंगला गौरी व्रत और सावन शिवरात्रि सावन माह में महत्वपूर्ण दिन माने जाते हैं। सावन सोमवार का व्रत करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस साल 2024 में सावन महीने की शुरुआत सोमवार व्रत से होने जा रही है। सावन की समाप्ति भी सोमवार पर ही होगी। आइए, जानते हैं कि इस साल सावन माह में किस दिन कितने सोमवार पड़ रहे हैं और इनकी सही डेट क्या है।
सावन की पहली तिथि कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा है। इस साल सावन में 5 सोमवार व्रत आएंगे। पहला सावन सोमवार व्रत 22 जुलाई को रखा जाएगा। वहीं, पांचवां और आखिरी सावन सोमवार व्रत 19 अगस्त को रखा जाने वाला है।
सावन का पहला सोमवार व्रत- 22 जुलाई, 2024।
सावन का दूसरा सोमवार व्रत- 29 जुलाई, 2024।
सावन का तीसरा सोमवार व्रत- 5 अगस्त, 2024।
सावन का चौथा सोमवार व्रत- 12 अगस्त, 2024।
सावन का पांचवां सोमवार व्रत- 19 अगस्त, 2024।
सावन शिवरात्रि 2024-
इस बार सावन शिवरात्रि 2 अगस्त 2024, शुक्रवार को है। वैदिक कैलेंडर के अनुसार, सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 2 अगस्त को दोपहर 3.26 बजे शुरू होगी और 3 अगस्त को दोपहर 3.50 बजे समाप्त होगी। इस तरह सावन शिवरात्रि 2 अगस्त को ही पड़ रही है।
सावन में मंगला गौरी व्रत-
सावन का पहला मंगला गौरी व्रत- 23 जुलाई, 2024।
सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत- 30 जुलाई, 2024।
सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत- 6 अगस्त, 2024।
सावन का चौथा मंगला गौरी व्रत- 13 अगस्त, 2024।

डिसक्लेमर
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बटुक भैरव जयंती 16 जून को, इन उपाय से होगी मनोकामनाएं पूरी

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को बटुक भैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 16 जून को मनाया जाएगा। इस दिन भगवानबटुक भैरव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए विशेष चीजों का भोग भी लगाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि बटुक भैरव की उपासना करने से सुख-शांति में वृद्धि होती है और जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान शिव का बाल रूप और सबसे भयानक रूप बटुक भैरव हैं।
बटुक भैरव की पूजा से मिलते हैं ये लाभ-
धार्मिक मान्यता है कि बटुक भैरव जयंती की पूजा-अर्चना करने से जातक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही मान-सम्मान, बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
बटुक भैरव जयंती के उपाय-
भगवान बटुक भैरव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रभु की पूजा करें और उन्हें सफेद फूल, मीठे पुए और लड्डू समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। मान्यता है कि इससे बटुक भैरव प्रसन्न होते हैं।
इसके अलावा अशुभ ग्रहों के नकारात्मक असर को दूर करने के लिए भगवान महादेव की उपासना करें। साथ ही शिवलिंग पर दूध अर्पित करें। ऐसी मान्यता है कि इस उपाय को करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अगर आप शनि दोष से परेशान हो गए हैं, तो ऐसे में बटुक जयंती के अवसर पकौड़े और पूए बनाएं और उसे किसी जरूरतमंद को दे दें। इस टोटके को करने से शनि दोष की समस्या से निजात मिलेगी।
ऐसी मान्यता है कि बटुक भैरव जयंती का दिन दुर्भाग्य को दूर करने के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खिला दें।
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काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए नई पहल की शुरुआत

  • भक्त कर रहे हैं महाकालेश्वर और माता वैष्णो देवी जैसे दर्शन
उत्तर प्रदेश। यूपी के काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले भक्तों को अब केवल भौतिक दर्शन ही नहीं, बल्कि ‘वर्चुअल’ दर्शन भी मिलेंगे। मंदिर प्रशासन ने 11 मिनट और 50 सेकंड की वर्चुअल रियलिटी दर्शन की शुरुआत की है। इससे भक्तों को दर्शन के लिए चिलचिलाती गर्मी में लंबी कतार में खड़े होने से बचने में मदद मिलेगी।
मंदिर प्रशासन ने कहा कि यह सेवा अभी परीक्षण के तौर पर है और भक्तों से फीडबैक मिलने के बाद इसे स्थायी रूप से लागू किया जाएगा। नई पहल के बारे में बात करते हुए, काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने कहा, 3डी वर्चुअल रियलिटी एक नई तकनीक है जिसे उज्जैन के महाकालेश्वर और माता वैष्णो देवी मंदिर जैसे विभिन्न मंदिरों में लागू किया गया है। उन मंदिरों में 3डी तकनीक प्रदान करने वाली कंपनी ने इसके लिए काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से संपर्क किया है।
विश्व भूषण मिश्रा ने कहा, कि 5 मई से 4 जून के बीच हमारे कुल 363 कर्मचारियों और पुजारियों ने फिल्म देखी। उन्होंने शो के बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। इसके बाद इसे भक्तों के लिए शुरू किया गया और अब तक कुल 282 भक्तों ने फिल्म देखी। अगर भक्तों को यह पसंद आती है, तो इसे कुछ तौर-तरीकों और शर्तों के आधार पर लागू किया जाएगा, जो पारस्परिक रूप से लाभकारी और सहमत होंगे।
इस पहल से भक्तों को भोलेनाथ के दुर्लभ दर्शन करने और ‘दुर्लभ दर्शन केंद्र’ में पांच भागों वाली आरती में भाग लेने का मौका मिलेगा, जो सिर्फ 11 मिनट और 50 सेकेंड में होगी। यह पहल उज्जैन के महाकालेश्वर और माता वैष्णो देवी मंदिरों से प्रेरित है।
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पितृ दोष व राहु दोष से मुक्ति पाने का सबसे आसान तरीका

ज्योतिष में हर ग्रह का अपना अलग महत्व है। ग्रहों की स्थिति का व्यक्ति की कुंडली और जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। जब ग्रह उल्टी चाल चलते हैं, तो लोग कई उपाय जैसे दान-पुण्य आदि कार्य करने लग जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार, दान-पुण्य करने से बड़े से बड़े कष्ट और दोष दूर हो जाते हैं। कुंडली में ग्रहों की स्थिति ठीक करने के लिए भक्तों को अन्न, वस्त्र दान करना और रहने की व्यवस्था करना एक अच्छा उपाय है। इसके साथ ही पशुओं और पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना भी अत्यंत पुण्यमय माना जाता है। यदि आपकी कुंडली में राहु दोष या पितृ दोष है तो आपके लिए शुभ उपाय किया जा सकता है।
राहु दोष से मुक्ति का आसान तरीका-
ज्येष्ठ माह में प्रचंड गर्मी होती है। ऐसी गर्मी के इस मौसम में पक्षियों के लिए दाना और पानी जरूर रखें। ऐसा करने से आत्म संतुष्टि तो मिलेगी ही साथ ही कुंडली में राहु और शनि से बनने वाले दोष भी दूर होते हैं। जैसे-जैसे पक्षी दाना चुन जायेंगे, वैसे-वैसे आपकी सारी कष्ट दूर होते चले जायेंगे। ऐसा करने से कुंडली में स्थित दोष भी कम होंगे तो दूसरी ओर धीरे-धीरे पुण्यों में वृद्धि होगी। ज्योतिष की देन तो पति को दाना देने से पितृ प्रसन्न होते हैं, इसलिए पितृ दोष में कोई खाना ख़राब हो जाता है। साथ ही कुंडली में राहु दोष भी कम होता है। पक्षी को दाना-पानीस से जीवन में हर संकट से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति तरक्की पाता है। दाना डालने से मानसिक शक्ति मिलती है जिससे व्यक्ति सही निर्णय लेने में सक्षम होता है। इसके साथ ही नौकरी और व्यवसाय में लाभ के रास्ते खुलते हैं, धन-संपदा में वृद्धि और कर्ज से मुक्ति मिलती है।
हर मनोकामना होगी पूरी-
पक्षियों को पानी पिलाना बहुत आसान काम है। इसके लिए किसी भी गंदे स्थान पर मिट्टी का प्याला या घड़ा पानी से भर कर रखें और साथ में कुछ दाने डालें। अगर दाने के लिए कुछ भी नहीं है तो चावल के कुछ कच्चे दाने डाल सकते हैं। अगर आपके घर में पक्षी नहीं आते हैं, तो दाना-पानी डालना शुरू कर दें, कुछ दिन में ही पक्षी वहां आ जाएंगे। पक्षियों के दाना चुनने और पानी पीने से आपकी हर मनोकामना भी पूरी होती है। कोर्ट कचहरी के मामलों से मुक्ति मिलने के साथ ही संतान के जीवन में आने वाली पीड़ा दूर हो जाती है।
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24 एकादशियों का फल देती है निर्जला एकादशी

  • निर्जला एकादशी 18 जून को, जानिए व्रत करने से पहले सही नियम
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन श्री हरि की उपासना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साल में 24 एकादशी आती हैं, जिसमें निर्जला एकादशी का व्रत सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। कहते हैं कि निर्जला एकादशी का व्रत 24 एकादशियों का फल देती हैं। निर्जला एकादशी के व्रत में पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है। कठोर नियमों के कारण सभी एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन माना जाता है। आइए जानते हैं कि निर्जला एकादशी व्रत करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना होता है।
निर्जला एकादशी व्रत 2024 तिथि और महत्व-
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 17 जून को  सुबह 4 बजकर 43 मिनट से होगी और समाप्त 18 जून को सुबह 7 बजकर 28 मिनट पर होगी। निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून 2024, मंगलवार को रखा जाएगा।  जो लोग साल की सभी चौबीस एकादशियों का उपवास नहीं रख पा रहे हैं वे निर्जला एकादशी का व्रत रख सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी उपवास करने से दूसरी सभी एकादशियों का लाभ मिल जाता हैं।
निर्जला एकादशी व्रत नियम-
निर्जला एकादशी का व्रत बिना अन्न और जल के रखा जाता है। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है इसलिए इसे निर्जला व्रत कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के अंदर पारण न करना पाप करने के समान होता है।
निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करें। एकादशी के दिन व्रत कथा जरूर पढ़ें। इसके अलावा निर्जला एकादशी के दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। निर्जला एकादशी के दिन अन्न के साथ जल का दान भी करें। राहगीरों से लेकर पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करें। जल का दान करने से विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
निर्जला एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?-
एकादशी के दिन तुलसी को स्पर्श करना वर्जित माना गया है। इस दिन तुलसी में जल अर्पित न करें। 
निर्जला एकादशी के दिन तामसिक चीजों से दूर रहें। 
निर्जला एकादशी व्रत के दिन जमीन पर सोना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत में अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है। 
एकादशी व्रत का पारण करने के बाद ही जल का सेवन करें।
निर्जला एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करें और न ही बाल, नाखून और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए।
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आज बनेगा लक्ष्मी नारायण योग, इन राशियों की खुलेगी किस्मत

  • करियर में छुएंगे नई ऊंचाइयां
ज्योतिष के कई शुभ योगों में से एक है लक्ष्मी नारायण योग। यह योग तब बनता है जब कुंडली में बुध और शुक्र एक ही राशि में होते हैं, यानि इन दोनों ग्रहों की युति लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण करती है। आज 14 जून को बुध ग्रह का गोचर मिथुन राशि में होने जा रहा है, ऐसे में मिथुन राशि में लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होगा, क्योंकि शुक्र मिथुन राशि में पहले से ही विराजमान हैं। इस योग के बनने से राशिचक्र की कुछ राशियों को शुभ परिणाम मिल सकते हैं, हम आपको इन्हीं राशियों के बारे में जानकारी देंगे।
मिथुन राशि-
लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण आपकी ही राशि में होने जा रहा है इसलिए जीवन में कई अच्छे बदलाव आपको देखने को मिलेंगे। खासकर आर्थिक पक्ष में इस दौरान मजबूती देखने को मिल सकती है। अगर आपने कहीं निवेश किया था तो उससे भी आप धन लाभ पा सकते हैं। इस राशि के बेरोजगार लोगों को रोजगार मिलने की भी संभावना है। आपके प्रथम भाव में लक्ष्मी नारायण योग के बनने से मानसिक परेशानियों से भी आपको छुटकारा मिल सकता है। 
कन्या राशि-
आपके जीवन में करियर से जुड़ी परेशानियों का अंत लक्ष्मी नारायण योग के बनने से दूर हो सकता है। बीते समय में किए गए प्रयासों का अच्छा फल भी इस दौरान आपको प्राप्त होगा, करियर के क्षेत्र में उपलब्धि आप हासिल कर सकते हैं। इस राशि के कुछ लोग मनचाही जगह पर ट्रांसफर भी इस दौरान पा सकते हैं। अगर कोर्ट-कचहरी में कोई मामला लंबित था तो उसमें भी आपको विजय मिल सकती है। 
तुला राशि-
बुध और शुक्र की युति आपके जीवन में नई ऊर्जा लेकर आएगी। इस युति के प्रभाव से धार्मिक क्रियाकलापों में आप हिस्सा ले सकते हैं। मानसिक परेशानियों से इस दौरान आपको छुटकारा मिलेगा। इस राशि के कुछ जातक धार्मिक यात्रा पर निकलने का प्लान भी बना सकते हैं। आपकी दबी ख्वाहिशें भी इस दौरान पूरी हो सकती है। संतान पक्ष से कोई बड़ी खुशखबरी इस राशि के जातकों को मिलने की संभावना है। 
धनु राशि-
लक्ष्मी नारायण योग का बनना आपके पारिवारिक जीवन के लिए बहुत शुभ फलदायक सिद्ध होगा। अगर वैवाहिक जीवन में किसी तरह की परेशानी का सामना आप कर रहे थे तो वो दूर हो सकती है। इस राशि के जो लोग कला, मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हैं उनको बड़ी उपलब्धि हासिल होने की संभावना है। 
कुंभ राशि-
कुंभ राशि के विद्यार्थियों के लिए बुध और शुक्र की युति कई उपलब्धियां लेकर आ सकती है। आप शिक्षा के क्षेत्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, इस दौरान आपकी एकाग्रता में भी वृद्धि होगी। भावनात्मक रूप से भी आप सशक्त होंगे और अपनी बातों को स्पष्टता से लोगों के सामने रख पाएंगे। जीवन की कई उलझनों का समाधान आपको इस दौरान मिल सकता है। 

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'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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खुले आसमान के नीचे सोए हैं भगवान विष्णु चतुर्भुज स्वरूप में

  • श्रद्धालुओं को मिलते हैं दर्शन
सनातन धर्म में भगवान विष्णु को जगत का पालनहार माना गया है इनकी साधना आराधना जीवन में कल्याण करती है देशभर में भगवान विष्णु के कई चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर है जहां भक्त दर्शन व पूजन के लिए जाते हैं माना जाता है कि यहां प्रभु के दर्शन प्राप्त कर भक्तों को शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
लेकिन आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा भगवान विष्णु के एक ऐसे पूजा स्थल के बारे में बता रहे हैं जहां भगवान खुले आसमान के नीचे विराजमान है सिर पर कोई छत नहीं है और बारिश, धूप, सर्दी सभी मौसमों को स्वयं महसूस कर प्रत्यक्षदशी बनते हैं तो आज हम आपको उसी पूजन स्थल की जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
अनंतशयन ​विष्णु-
आपको बता दें कि भगवान विष्णु के इस रूप का नाम है अनंतशयन या अनंतशायी विष्णु। अनंत शेषनाग का एक नाम है। इनके उपर शयन मुद्रा में होने के कारण भगवान विष्णु का यह नाम पड़ा है। बता दें कि श्री हरि विष्णु का यह पूजा स्थल ओडिशा जिले के ढेंकनाल जिले के सारंगा गांव में ब्राह्माणी नदी के किनारे सदियों पहले नीले आसमान के नीचे बनाया गया था।
भक्तगण नीले आकाश के नीचे ही उनकी चतुर्भुजी स्वरूप की पूजा अर्चना कर दर्शन प्राप्त करते हैं। भगवान की यह प्रतिमा करीब 15.4 मीटर लंबी मानी जाती है। अनंतशायी विष्णु को सारंगा गांव में ब्राह्मणी नदी के बाएं किनारे बड़ी खुली हवा में क्षैतिज चट्टान को काटकर बनाया गया है इसका निर्माण करीब 9वीं शताब्दी में किया गया था। जो कि भगवान विष्णु की भारत की सबसे बड़ी संरचना मानी जाती है। मान्यता है कि यहां भक्तों की भारी भीड़ प्रभु के दर्शन व पूजन के लिए आती है।
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गंगा दशहरा 16 जून, जानिए...स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में गंगा दशहरा को खास माना गया है जो कि मां गंगा की साधना आराधना को समर्पित दिन है इस दिन भक्त देवी मां गंगा की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से कृपा प्राप्त होती है
गंगा दशहरा के शुभ दिन पर स्नान, दान, पूजा पाठ और तप जप का विधान होता है। धार्मिक मान्रूताओं के अनुसार जीवनदायिनी गंगा जी इसी दिन धरती पर अवतरित हुई थी। ऐसे में इस दिन गंगा नदी में स्नान व डूबकी लगाने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा गंगा दशहरा की तारीख और मुहूर्त की जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते है।
गंगा दशहरा की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल गंगा दशहरा का पावन पर्व 16 जून को मनाया जाएगा। इस दिन दशमी तिथि सुबह 2 बजकर 32 मिनट से आरंभ हो रहा है और इसका समापन अगले दिन यानी की 17 जून को सुबह 4 बजकर 43 मिनट पर हो जाएगा। गंगा दशहरा के दिन स्नान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 8 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक प्राप्त हो रहा है इस मुहूर्त में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। अगर आप पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो ऐसे में गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान जरूर करें ऐसा करने से पाप मिट जाते हैं।
गंगा दशहरा के शुभ दिन पर शरबत से भरा मिट्टी का कलश दान जरूर करें इससे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष भी प्राप्त होता है इसके अलावा गाय का दान करना महादान कहलाता है इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
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मिथुन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं सूर्य देव

  • इन लोगों की किस्मत का खुलेगा ताला
सूर्य देव 15 जून 2024 को वृषभ राशि से निकलकर अपनी मित्र राशि मिथुन में गोचर करेंगे। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे सूर्य संक्रांति कहा जाता है। सूर्य संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने का बहुत महत्व बताया गया है। 15 जून यानी मिथुन संक्रांति पर शुभ समय सूर्योदय से शुरू होकर सुबह 8.28 बजे तक रहेगा। इस दौरान स्नान और दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। ज्योतिष, पंडित गणेश शर्मा के मुताबिक, सूर्य के गोचर से कुछ राशि वालों को जमकर लाभ होने वाला है। आइए, जानते हैं कि वे राशियां कौन-सी हैं।
वृषभ राशि-
वृषभ राशि के जातकों को मिथुन राशि में सूर्य गोचर शुभ फल देने वाला है। आय में वृद्धि होगी। निवेश से लाभ मिलेगा। काम के नए मौके मिलेंगे। आपको कोई बड़ा लाभ मिल सकता है। नई नौकरी का प्रस्ताव मिल सकता है। व्यापारियों को कोई बड़ा ऑर्डर मिल सकता है। इस अवधि में आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी।
सिंह राशि-
सूर्य का राशि परिवर्तन सिंह राशि के लिए आर्थिक लाभ लेकर आने वाला है। आपको अपनी मेहनत का पूरा फल मिलेगा। इन राशि वालों के लिए यह समय शुभ रहने वाला है। मान-सम्मान में वृद्धि होगी। कारोबारियों को लाभ प्राप्त होगा। धन लाभ हो सकता है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले लोगों को सफलता मिलेगी।
कन्या राशि-
सूर्य का मिथुन राशि में गोचर कन्या राशि वालों के लिए अच्छा समय लेकर आने वाले हैं। इस दौरान इन लोगों को भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। करियर के लिए यह समय काफी अच्छा साबित होने वाला है। विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं। किसी मांगलिक कार्य का हिस्सा बन सकते हैं। प्रमोशन मिल सकता है।
मीन राशि-
सूर्य का गोचर मीन राशि वालों के लिए काफी धन लाभ कराने वाला है। इस दौरान आप प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं। नई नौकरी के लिए भी अनुकूल समय है। करियर में आगे बढ़ने के लिए इस दौरान कोई जरूरी फैसला कर सकते हैं। व्यापारियों को इस दौरान कोई बड़ा ऑर्डर मिल सकता है, जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

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भगवान शिव ने देवी सती को दिया था विधवा होने का श्राप

  • पढ़ें पौराणिक कथा...
धार्मिक ग्रंथों में सती-स्वरूपा देवी धूमावती का उल्लेख मिलता है। देवी धूमावती दस महाविद्याओं में सातवीं देवी मानी जाती हैं। इन्हें विधवा देवी के नाम से जाना जाता है। हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को धूमावती जयंती मनाई जाती है। इस साल यह 14 जून, 2024 को मनाई जाएगी। यह दिन देवी धूमावती को समर्पित माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब माता सती ने अपने पिता के घर में हवन कुंड में खुद को भस्म कर लिया था, तब उनके शरीर से निकले धुएं से माता धूमावती प्रकट हुईं। मां धूमावती को रोग, पीड़ा और शोक को नियंत्रित करने वाली महाविद्या कहा गया है।
विवाहित महिलाएं देवी धूमावती की पूजा नहीं करती हैं, क्योंकि यह देवी विधवा स्वरूप में हैं। किसी भयानक रोग से पीड़ित लोगों को इनकी पूजा करनी चाहिए। देवी धूमावती से जुड़ी एक और पौराणिक कथा प्रचलित है।
देवी धूमावती से जुड़ी पौराणिक कथा-
एक बार देवी सती के साथ कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें बहुत भूख लगने लगी। अत्यधिक भूख के कारण देवी सती ने देखते ही देखते सब कुछ निगल लिया, लेकिन फिर भी उनकी भूख शांत नहीं हुई। अत्यधिक भूख से पीड़ित होकर देवी इधर-उधर भटक रही थी, तभी भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए। तब देवी सती ने बिना कुछ देखे या समझे भगवान शिव को निगल लिया। इससे हर तरफ हड़कंप मच गया।
सभी देवता मिलकर माता सती के पास गए और देवी सती से भगवान शिव को मुक्त करने की प्रार्थना की। देवी सती को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव को रिहा कर दिया। तब भगवान शिव क्रोधित हो गए और देवी सती को वृद्ध विधवा होने का श्राप दे दिया। श्राप के प्रभाव से देवी सती वृद्ध विधवा हो गईं। देवी सती के इस वृद्ध विधवा रूप को धूमावती कहा गया। देवी सती के धूमावती रूप को एक विधवा देवी के रूप में पूजा जाने लगा।
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इस बार मासिक शिवरात्रि पर बनने जा रहा है बेहद शुभ संयोग

  • 4 जुलाई को मनाई जाएगी मासिक शिवरात्रि पर्व
सनातन धर्म में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन व्रत भी रखा जाता है। व्रत के प्रभाव से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि शिवरात्रि का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है। इस बार शिवरात्रि पर बेहद शुभ संयोग बनने जा रहे हैं। आइए, जानते हैं कि शिवरात्रि की सही तिथि, मुहूर्त और शुभ योग कौन-से हैं।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 4 जुलाई को सुबह 5:44 बजे शुरू होगी और अगले दिन 5 जुलाई को सुबह 5:57 बजे समाप्त होगी। मासिक शिवरात्रि में निशा काल में भगवान और माता शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इस बार मासिक शिवरात्रि 4 जुलाई को मनाई जाएगी।
इस बार मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ वृद्धि योग बन रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन भद्रावास योग भी बन रहा है। इस दिन भद्रा स्वर्ग लोक में रहेंगी। भद्रा के स्वर्गवास के दौरान मानव समाज को शुभ फल मिलते हैं।
इन मंत्रों का करें जाप-
शिव मूल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
रूद्र मंत्र
ॐ नमो भगवते रूद्राय ।
रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय
धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
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महेश नवमी पर इस मुहूर्त में पूजा करने से पूरी होगी मन की इच्छा

तिथि की शुरुआत 14 जून की रात 12:05 पर होगी. वहीं, तिथि का समापन अगले दिन 15 जून को देर रात 02:34 पर होगा. उदयतिथि को महत्व देते हुए महेश नवमी 15 जून को मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महेश नवमी के दिन माता पार्वती और भगवान शिव ने 72 क्षत्रियों को श्राप मुक्त किया था. यह सभी ऋषियों के श्राप से पत्थर हो चुके थे. इन्हें माता पार्वती ने आशीर्वाद दिया की आपके ऊपर हमारी छाप रहेगी. तुम्हारा वंश माहेश्वरी के नाम से जाना जाएगा. यह दिन माहेश्वरी समाज के लिए बहुत ही खास होता है.
महेश नवमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करने से लेकर अपार सुख, धन-संपदा, अखंड सौभाग्य और प्रसन्नता की प्राप्ति होती है. भगवान शिव जी की आज्ञा से ही इस समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य धर्म को अपनाया था. इसलिए आज भी ‘माहेश्वरी समाज’ के नाम से इसे जाना जाता है.
समस्त माहेश्वरी समाज इस दिन श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक भगवान शिव व मां पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं. इस बार महेश नवमी के दिन भगवान शिव जी का सबसे प्रिय दिन सोमवार पड़ने के कारण इस तिथि का महत्व अधिक बढ़ गया है.
महेश नवमी 2024 पूजा मुहूर्त-
महेश नवमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 15 जून को सुबह 7:08 से लेकर सुुबह 8:53 तक रहेगा. इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता की विधि-विधान से पूजा करें. ऐसा करने से उनके आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
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शादी के कार्ड पर गणेश जी की फोटो क्यों छपवाते हैं, जानिए...

भारत में स्थित सबसे पवित्र और प्रसिद्ध गणेश मंदिर का जिक्र होता है तो सिद्धिविनायक मंदिर का नाम जरूर लिया जाता है, लेकिन सिद्धिविनायक के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी कई विश्व प्रसिद्ध गणेश मंदिर हैं। मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि इस पवित्र और लोकप्रिय मंदिर का निर्माण 1761 के आसपास सेठ जय राम पल्लीवाल की देखरेख में हुआ था।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर के संबंध में यह भी माना जाता है कि इसका निर्माण राजस्थान के उत्तम पत्थर से लगभग 4 महीने के भीतर पूरा किया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला भी भक्तों को खूब आकर्षित करती है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर की कहानी बहुत दिलचस्प है। कथा के अनुसार कहा जाता है कि राजा गणेश प्रतिमा लेकर बैलगाड़ी से यात्रा करके लौट रहे थे, लेकिन शर्त थी कि बैलगाड़ी जहां भी रुकेगी, उसी स्थान पर गणेश मंदिर बनवाया जाएगा।
कहानी के अनुसार ट्रेन डूंगरी पहाड़ी के नीचे रुकी. सेठ जय राम पल्लीवाल ने उस स्थान पर एक मंदिर बनाने का फैसला किया जहां कार रुकी थी। मोती डूंगरी गणेश मंदिर बेहद खास है। यह जयपुर के साथ-साथ पूरे राजस्थान के सबसे बड़े गणेश मंदिरों में से एक है। इस पवित्र मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं।
गणेश चतुर्थी के खास मौके पर हर दिन लाखों श्रद्धालु आते हैं. कहा जाता है कि प्रत्येक बुधवार को मंदिर परिवार में एक बड़ा मेला लगता है और इसी दिन सबसे अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में एक शिवलिंग भी स्थापित है। इसके अलावा लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति भी स्थापित की जाती है।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर में हर समय भक्तों का आगमन लगा रहता है। आप रोजाना सुबह 5 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद आप शाम 4:30 बजे से रात 9 बजे के बीच यात्रा कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मंदिर में जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है. इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां आना खास माना जाता है।
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कर्ज से मुक्ति पाने मंगलवार के दिन करें ये उपाय

आज मंगलवार का दिन है और यह दिन राम भक्त हनुमान को समर्पित है. हनुमान जी का एक नाम संकटमोचन भी है और मान्यता है कि वह अपने भक्तों के सभी संकटों को दूर कर उसे खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हैं. इसके लिए हनुमान जी को प्रसन्न करना बेहद जरूरी है और वह अपने जिस भक्त से प्रसन्न हो जाएं उसके जीवन में कोई कष्ट नहीं रहता. मंगलवार को हनुमान जी का पूजन करने के साथ ही कुछ विशेष उपाय जरूर अपनाएं.
मंगलवार को करें मंगल स्तोत्र का पाठ-
मंगलवार के दिन सुबह अथवा शाम किसी भी समय ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें. इस पाठ को करने के लिए लाल वस्त्र धारण करें और लाल रंग की बाती से दीप जलाकर इसका पाठ करें. अगर संभव हो तो मंगलवार के दिन ग्यारह बार इसका पाठ करना चाहिए अथवा संकल्प लेकर मंगलवार से इसका पाठ आरंभ करें और हर दिन एक बार पाठ करें. कम से कम 21 मंगलवार इसका पाठ करने के बाद आपको इसका लाभ मिलता दिखने लगेगा.
हनुमानजी को चढ़ाएं राम नाम की माला-
ऋण संबंधी परेशानी हो अथवा स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से गुजर रहे हों तो 108 तुलसी के पत्तों पर श्रीराम लिखकर इसकी माला बनाएं और फिर हनुमानजी को पहनाएं. कम से कम यह उपाय आपको 21 मंगलवार करना है. इस उपाय में श्रद्धा भाव की प्रधानता सबसे जरूरी है. श्रद्धा भाव के साथ हनुमानजी को ऐसी तुलसी की माला चढ़ाने वाले भक्त के हर संकट बजरंगबली दूर कर देते हैं. इस उपाय से आप मांगलिक दोष से भी मुक्ति पा जाते हैं.
हनुमानजी को चढ़ाएं लाल लंगोट-
हनुमानी जी को खुश करना है तो इन्हें लाल सिंदूर के चोले के साथ लाल लंगोट भी आप भेंट कर सकते हैं. जो भक्त हनुमानजी के नाम से मंगलवार के दिन व्रत रखते हैं और लाल लंगोट का भेंट चढ़ाते हैं हनुमानजी उन भक्तों की लाज की रक्षा करते हैं और उनका मान-सम्मान कम नहीं होने देते हैं. ऐसे भक्तों को घोर संकट चाहे वह ऋण संबंधी हो अथवा कोई और परेशानी उनसे निकलने में हनुमानजी उनके प्रति कृपा का हाथ बढ़ाते हैं.
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