धर्म समाज

विवाह में आ रही बाधा, तो वट सावित्री व्रत के दिन करें ये उपाय

  • वट सावित्री व्रत 6 जून को रखा जाएगा
सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत का बहुत विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। इस तिथि पर विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ कार्य को करने से पति को लंबी उम्र का वरदान मिलता है। साथ ही परिवार में समृद्धि आती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि वट सावित्री व्रत करने से क्या लाभ प्राप्त होते हैं।
बनेगा सुखी वैवाहिक जीवन-
वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा करने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इस दिन विवाहित महिलाएं बरगद के पेड़ की विधि-विधान से पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यता है कि व्रत करने से पति को लंबी उम्र और रोग मुक्त जीवन का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
वट सावित्री व्रत 2024-
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 5 जून 2024 को शाम 6 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 6 जून को शाम 4 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस तरह वट सावित्री व्रत 6 जून को रखा जाएगा।
विवाह में बाधा आने पर-
अगर विवाह में कोई बाधा आ रही है, तो वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा करें। साथ ही महादेव, मां पार्वती की भी पूजा करें। भगवान को सिंदूर चढ़ाएं। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती से शीघ्र विवाह और मनचाहा जीवनसाथी पाने की प्रार्थना करें। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
और भी

बेहद खास होने वाली है योगिनी एकादशी, बन रहे हैं शुभ संयोग

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस साल योगिनी एकादशी 2 जुलाई को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही भक्त को मनोवांछित फल भी मिलता है।
ज्योतिषियों के अनुसार, योगिनी एकादशी की तिथि पर दुर्लभ त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इसके अलावा कई अन्य शुभ योग भी बन रहे हैं। इन योगों में भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्त को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
योगिनी एकादशी व्रत पारण-
ज्योतिषियों के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 जुलाई को सुबह 10.26 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 2 जुलाई को सुबह 8.42 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, 2 जुलाई को एकादशी व्रत रखा जाएगा। वहीं, 3 जुलाई को पारण का समय प्रातः 05:28 बजे से प्रातः 07:10 बजे तक है। इस दौरान पूजा करके व्रत खोला जा सकता है।
धृति योग-
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सुबह 11 बजकर 47 मिनट तक धृति योग बन रहा है।
दुर्लभ त्रिपुष्कर योग-
इस दिन दुर्लभ त्रिपुष्कर योग सुबह 08 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 3 जुलाई की सुबह 04 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग-
2 जुलाई की सुबह 5.27 बजे से 3 जुलाई को 04.00 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।
शिववास-
योगिनी एकादशी पर शिववास योग भी बनने जा रहा है। इस दिन भगवान शिव सुबह 8.42 बजे तक कैलाश पर रहेंगे। इसके बाद वे नंदी पर सवार होंगे। इस दौरान भगवान शिव का अभिषेक करने से शुभ फल मिलते हैं। इस दिन बालव, कौलव और तैतिल करण योग का भी निर्माण हो रहा है। इनमें सबसे पहले बालव करण बन रहा है। फिर कौलव करण का योग है। निशा काल में तैतिल करण योग बन रहा है।

डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
और भी

मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत का अत्यंत दुर्लभ संयोग

शिव भक्तों के लिए 4 जून का दिन बेहद ही खास रहने वाला क्योंकि इस दिन अत्यंत दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है. जी हां, हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का व्रत एक ही दिन किया जाएगा. ऐसे में देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बेहद ही शुभ माना जा रहा है. मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक शिव जी की पूजा करने और व्रत रखने से जातकों को कई गुना अधिक लाभ मिलेगा. तो चलिए जानते हैं ज्येष्ठ मास की प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में.
जून 2024 में कब है ज्येष्ठ मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत?-
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक ही दिन पर पड़ रहे हैं. इस बार 4 जून 2024 दिन मंगलवार को ज्येष्ठ की मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत किया जाएगा. दोनों एक ही दिन पड़ने की वजह से इस दिन का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है.
प्रदोष व्रत 2024 का शुभ मुहूर्त-
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 4 जून को रात 10 बजकर 01 मिनट पर होगी. ज्योतिष की मानें तो प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय होती है. भौम प्रदोष पूजा का समय 4 जून को रात्रि 07 बजकर 16 मिनट से रात्रि 09 बजकर 18 मिनट तक.
ज्येष्ठ मासिक शिवरात्रि व्रत शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 4 जून की रात 10 बजकर 01 मिनट से शुरू होगी और इस तिथि का समापन 5 जून 2024 को सुबह 07 बजकर 54 मिनट पर होगा. इस दिन मासिक शिवरात्रि पूजा का समय रात्रि 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक.
और भी

शनि जयंती के मौके पर करें इन मंदिरों के दर्शन

हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती का पावन पर्व मनाया जाता है जो कि कर्मों के दाता शनि महाराज को समर्पित है इस दिन शनिदेव की पूजा आराधना का विधान होता है इस साल शनि जयंती 6 जून को मनाई जाएगी
इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ भक्त भगवान शनिदेव के मंदिरों के दर्शन व पूजन को जाते हैं ऐसे में अगर आप भी शनि जयंती के अवसर पर शनि देव के मंदिरों के दर्शन का विचार बना रहे हैं तो आज हम आपको शनि महाराज के कुछ पवित्र स्थलों के नाम बता रहे हैं जहां दर्शन व पूजन कर आपको शनि महाराज का आशीर्वाद तो मिलेगा ही साथ ही शनि दोष से भी राहत मिल जाएगी। तो आइए जानते हैं उन प्रसिद्ध मंदिरों के नाम।
शनि का प्रसिद्ध मंदिर शनि धाम दिल्ली के छतरपुर पर असोला नामक स्थापना बना हुआ है इस धाम को लेकर कहा जाता है कि यहां पर दुनिया की सबसे उंची शनि प्रतिमा स्थापित है इस धाम के दर्शन व पूजन के लिए लोग दूर दूर से आते हैं साथ ही विशेष दिनों पर यहां भक्तों काी भारी भीड़ देखने को मिलती है ऐसे में आप शनि जयंती पर इस मंदिर के दर्शन जरूर करें। शनि का दूसरा प्रसिद्ध मंदिर शनिश्चरा भगवान स्थलम पुडुचेरी में तिरुनल्लर नामक जगह पर स्थित है
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर शिव के समक्ष सूर्य पुत्र शनि ने अपनी सभी शक्तियां खो दी थी मगर बाद में शिव के आशीर्वाद से उनके सभी शक्तियां फिर से प्राप्त हुई आप शनि जयंती पर मंदिर में दर्शन कर सकते हैं इससे शनिदोष दूर हो जाता है। शनि शिंगणापुर धाम महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में है यहां शनि दर्शन के लिए भक्त दूर दूर से आते हैं माना जाता है कि अगर किसी जातक की कुंडली में शनिदोष है तो उन्हें इस मंदिर में शनि के दर्शन को जरूर आना चाहिए।
और भी

सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी शनि जयंती

  • इन उपायों से प्राप्त होगी कृपा...
हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। वे लोगों को उनके कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं। साथ ही शनिदेव कई कष्टों का भी निवारण करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव का पूजन कर उन्हें तेल चढ़ाने को भी काफी शुभ माना गया है, जिससे व्यक्तिगत जीवन में कई कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है।
शुभ संयोगों में मनेगी शनि जयंती-
ज्योतिष शास्‍त्रों के अनुसार शनिदेव का जन्म सर्वार्थ सिद्धि योग में हुआ था, वहीं इस बार शनि जयंती 6 जून को पड़ रही है और इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, ऐसे में इस बार की शनि जयंती शुभ संयोग लेकर आ रही है, जो भक्तों को कई शुभ परिणाम देगी।
शनिकृपा प्राप्त करने के लिए करें ये उपाय-
शनि जयंती पर सुबह जल्दी उठकर स्नान एवं नित्य कार्य पूर्ण कर पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और इसकी सात बार परिक्रमा करें
शनि जयंती पर तामसिक भोजन का सेवन करने से बचें और सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
सुबह अथवा शाम को शनि चालीसा का पाठ करें, इससे शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
इन दिन शाम के समय शनिदेव को सरसो के तेल का दीपक लगाएं, साथ ही पीपल के वृक्ष के पास भी सरसों का दीपक जलाएं
शनि जयंती पर तिल, तेल और काले वस्त्र का दान करें।
और भी

सुख-समृद्धि में वृद्धि पाने के लिए करें राधा जी की आरती का पाठ

बुधवार का दिन भगवान श्री गणेश, भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा अर्चना को समर्पित होता है इस दिन भक्त भगवान कृष्ण और राधा रानी की विधिवत पूजा करते हैं साथ ही उपवास आदि भी रखते हैं
माना जाता है कि ऐसा करने से श्री हरि के अवतार भगवान कृष्ण और राधा जी की असीम कृपा बरसती है लेकिन इसी के साथ ही अगर आज यानी बुधवार के दिन पूजा के समय देवी राधा की आरती का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो सुख समृद्धि का आगमन होता है साथ ही जीवन के सारे दुख परेशानियां दूर हो जाते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री राधा जी की संपूर्ण आरती पाठ।
राधा जी की आरती-
आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की...
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरति सोहनि।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की...
संतत सेव्य सत मुनि जनकी, आकर अमित दिव्यगुन गनकी।
आकर्षिणी कृष्ण तन मन की, अति अमूल्य सम्पति समता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की...
कृष्णात्मिका कृष्ण सहचारिणि, चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।
जगज्जननि जग दुःखनिवारिणि, आदि अनादि शक्ति विभुता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की...
देवी राधिका आरती
आरति श्रीवृषभानुलली की। सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
भयभन्जिनि भव-सागर-तारिणि,पाप-ताप-कलि-कल्मष-हारिणि,
दिव्यधाम गोलोक-विहारिणि,जनपालिनि जगजननि भली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की...
अखिल विश्व-आनन्द-विधायिनि,मंगलमयी सुमंगलदायिनि,
नन्दनन्दन-पदप्रेम प्रदायिनि,अमिय-राग-रस रंग-रली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की...
नित्यानन्दमयी आह्लादिनि,आनन्दघन-आनन्द-प्रसाधिनि,
रसमयि, रसमय-मन-उन्मादिनि,सरस कमलिनी कृष्ण-अली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की...
नित्य निकुन्जेश्वरि राजेश्वरि,परम प्रेमरूपा परमेश्वरि,
गोपिगणाश्रयि गोपिजनेश्वरि,विमल विचित्र भाव-अवली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की...
और भी

गुरु की दशा कमजोर हो तो गुरुवार को जरूर करें ये उपाय

  • बनेंगे बिगड़े काम
हिंदू धर्म में गुरुवार का विशेष महत्व है। इस दिन को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। इस दिन श्री हरि की पूजा करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
कुंडली में गुरु की दशा कमजोर होने पर करियर में बाधाएं आती है, साथ ही जातकों को दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है, ऐसे में गुरुवार को कुछ खास उपाय करके गुरु की स्थिति को मजबूत किया जा सकता है।
गुरुवार को करें ये उपाय-
गुरुवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्य को जल अर्पित करें और घर पर भगवान विष्णु का पूजन कर घी का दीपक जलाएं।
भगवान विष्णु को पीले मिष्ठान अर्पित करें, साथ ही इस दिन पीले वस्‍त्रों का दान करने से भी कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है।
गुरुवार को जरूरतमंदों को पीले फलों का दान करना भी शुभ फलदायक माना गया है। इससे गुरु की कृपा प्राप्त होती है।
गुरुवार को कुश के आसन पर बैठकर विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सफलता के मार्ग खुलते हैं।
इस दिन केसर का प्रयोग करने से परिवार की स्थिति बेहतर होती है। केसर को खीर में मिलाकर इसे भगवान विष्णु को चढ़ाएं और बाद में इसे परिवारजनों के साथ बैठकर खाने से परिवार में सुख-शांति आती है।
गुरुवार को अपने आध्यात्मिक गुरु अथवा मेंटर का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।

डिसक्लेमर
इस लेख में दी गई जानकारी/ सामग्री/ गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ धार्मिक मान्यताओं/ धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई है। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें।
और भी

जेष्ठ माह में करें तुलसी के ये उपाय, धन की कमी होगी दूर

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को विशेष महत्व दिया गया है। यह पौधा न केवल पवित्र माना गया है, बल्कि इसकी पूजा का भी विधान है। ऐसे में यदि आप ज्येष्ठ माह में तुलसी से जुड़े ये उपाय करते हैं, तो इससे आपको जीवन में विशेष लाभ देखने को मिल सकता है।
इस तरह जलाएं दीपक-
ज्येष्ठ माह में रोजाना तुलसी में जल अर्पित करना चाहिए (रविवार और एकादशी तिथि को छोड़कर)। इसके साथ ही आप आटे का दीपक बनाकर भी तुलसी के समक्ष जला सकते हैं। आटे के दीपक में घी का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही दीपक में थोड़ी-सी हल्दी और दो लोंग डाल दें। दीपक जलाते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि दीपक का मुख उत्तर दिशा में रहना चाहिए।
प्रसन्न होंगे बजरंगबली-
क्योंकि ज्येष्ठ का महीना हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है। ऐसे में पूजा के दौरान बजरंगबली को तुलसी की माला जरूर चढ़ाएं। ऐसा करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलत है और समृद्धि के रास्ते खुलने लगते हैं। इसके लिए नारंगी रंग के सिंदूर में सरसों का तेल मिलाएं और उसके बाद 11 तुलसी के पत्ते लेकर उसपर राम नाम लिख दें। अब इस पत्तों की माला बनाकर बजरंगबली जी को अर्पण करें।
गुरुवार के दिन करें ये काम-
ज्येष्ठ का महीना विष्णु की की पूजा के लिए भी विशेष महत्व रखता है। ऐसे में गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी की पत्तियों को अर्पित करें। पूजा के बाद इन पत्तियों को पीले रंग के कपड़े में बांधकर धन के स्थान या फिर अपनी तिजोरी में रख दें। इससे साधक पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
और भी

आज का राशिफल, जानिए...क्या कहते हैं आपके सितारे

हर किसी के जीवन में ग्रह नक्षत्र और राशि अहम भूमिका अदा करती है ज्योतिष अनुसार ग्रहों की चाल देखकर व्यक्ति के भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है ऐसे में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं आज का राशिफल, तो जानिए क्या कहते हैं आपके सितारे।
मेष- आज किसी कीमती चीज की खरीद या लंबे वक्त के निवेश से आपको बचना होगा। क्योंकि यह नुकसान का कारण हो सकता है परिवार और मित्रों का पूरा सहयोग आपको मिलेगा। काम काज की अधिकता बनी रहेगी।
वृषभ- आर्थिक तौर पर आप बदलाव महसूस कर सकते है किसी धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने का आपको मौका मिलेगा। काम काज में तेजी बनी रह सकती है संतान सुख की इच्छा पूरी होगी।
मिथुन- अपने काम या व्यक्तित्व में परिवर्तन करके आप आय की अतिरिक्त मार्गों को खोल सकते हैं आज का दिन बढ़िया बना रहेगा। जीवनसाथी के साथ वक्त गुजारने का मौका आपको मिल सकता है काम काज पूरे होंगे।
कर्क- पारिवारिक जीवन में उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है अपने मन की बात आप किसी खास से शेयर कर सकते हैं सामाजिक कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिलेगा। वाहन सुख की प्राप्ति हो सकती है।
सिंह- आज का दिन आपके लिए महीने का सबसे अच्छा दिन है परिवार और मित्रों का सहयोग मिलेगा। नौकरी से जुड़े लोगों की तरक्की हो सकती है काम काज में आने वाली दिक्कतें भी दूर हो जाएंगी।
कन्या- अभी आपका पेशेवर जीवन खासतौर पर उच्च है और यह उतार चढ़ाव आपको अधिक अवसर प्रदान करेगा। काम काज में आने वाली दिक्कतें दूर हो सकती है मित्रों का पूरा सहयोग आपको मिलेगा।
तुला- अगर किसी से परेशान हैं तो इन परेशानियों को अपनी उन्नति का मार्ग ही मानें। इस चरण में दूसरों से लगाव न रखें। पारिवारिक जीवन में मधुरता बनी रह सकती है कारोबार में तरक्की के योग बन रहे हैं।
वृश्चिक- आज का दिन आपके लिए सामान्य बना रहेगा। दूसरों की सुने और नए विचारों से शिक्षा लें। काम काज में तेजी देखने को मिल सकती है अपने मन की बात आप किसी खास से व्यक्त कर सकते हैं।
धनु- आपका आकर्षण और करिश्मा किसी को भी प्रभावित कर सकता है। आर्थिक रूप से और सफलता के लिए आज का दिन आपके लिए बेहतरीन होगा। नौकरी में आने वाली दिक्कतें दूर हो सकती है परिवार का सहयोग मिलेगा।
मकर- विवाह योग्य जातकों के लिए रिश्ता आ सकता है दिन बढ़िया बना रहेगा। अपने मन की बात आप किसी खास से कह सकते हैं अचानक धन लाभ की प्राप्ति होगी। लंबी दूरी की यात्रा करेंगे।
कुंभ- व्यस्तता में अपने रिश्तों को नजरअंदाज न करें। आज का आधा दिन आपके लिए शानदार रहेगा। काम काज में तेजी देखने को मिल सकती है संतान का पूरा सहयोग आपको मिलेगा। परिवार में शांति रहेगी।
मीन- किसी धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने का मौका आपको मिल सकता है आज के गतिशील दिन का आप पूरी तरह से आनंद उठा सकते हैं वैवाहिक जीवन में बना तनाव भी समाप्त हो सकता है।
और भी

शनि जयंती 6 जून को, करें साढ़े साती के ये उपाय

ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 06 जून को शनि जयंती है। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन न्याय के देवता शनिदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही शनिदेव की विशेष कृपा साधक पर बरसती है। शनिदेव की कृपा से रंक भी राजा बन जाता है। वर्तमान समय में मकर, कुंभ और मीन राशि के जातक साढ़े साती से पीड़ित हैं। ज्योतिष में शनि जयंती पर विशेष उपाय करने का भी विधान है। इन उपायों को करने से शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी शनि की साढ़े साती से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो शनि जयंती पर पूजा के समय ये विशेष उपाय जरूर करें।
साढ़े साती के उपाय-
अगर आप साढ़े साती से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो शनि जयंती पर स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। ज्योतिषयों की मानें तो गंगाजल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करने से शनि की बाधा से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, पंचामृत, शुद्ध घी, कच्चे दूध आदि चीजों से भी भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं।
शनिदेव के आराध्य जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण हैं। इसके लिए शनि जयंती पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना अवश्य करें। इसके बाद मंदिर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को मोरपंख और बांसुरी अर्पित करें। इस उपाय को करने से भी शनिदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
शनि जयंती पर स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करें। पूजा के समय हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें। साथ ही कम से कम 21 या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। साधक अपनी सुविधा के अनुसार 07 बार भी हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। इस उपाय को करने से भी शनि की बाधा समाप्त होती है।
शनि जयंती पर दान करने का विशेष महत्व है। इसके लिए शनि जयंती पर स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप करने के बाद दान अवश्य करें। इस दिन चमड़े के चप्पल-जूते, काले छाते, कंबल, उड़द की दाल, नमक, आदि चीजों का दान करें। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है।
और भी

गुरु पूर्णिमा कब, जानिए...शुभ मुहर्त और पूजा विधि

सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा के त्योहार का अधिक महत्व है। हर साल यह पर्व आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे आषाढ़ पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह पर्व 21 जुलाई रविवार को है। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर स्नान-दान और गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
गुरु पूर्णिमा 2024 डेट शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई को शाम 05 बजकर 59 मिनट से होगी और वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 21 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट से होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है। ऐसे में गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा।
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि-
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत भगवान के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। सूर्य देव को जल अर्पित करें। इस समय निम्न मंत्र का जाप करें।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः
इसके बाद पूजा स्थल पर बैठकर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और वेद व्यास जी को फूल, धूप, दीप, अक्षत, हल्दी आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद दीपक जलाकर आरती करें। सच्चे मन से गुरु चालीसा और गुरु कवच का पाठ करें। फल, मिठाई और खीर आदि चीजों का भोग लगाएं। अंत में प्रभु से जीवन में बुद्धि, विद्या और शांति की प्रार्थना करें। इस दिन गुरु की सेवा करना फलदायी होता है। श्रद्धा अनुसार गरीबों को अन्न, धन और वस्त्र का दान करें।
और भी

खाटू श्याम के करे पावन दर्शन, नकारात्मक शक्तियां होंगी दूर

बाबा श्याम को कलयुग का अवतार माना जाता है। श्याम को हारे का सहारा भी कहा जाता है। हर साल लाखों भक्त बाबा श्याम के दरबार में शीश जलाने आते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बाबा श्याम कौन हैं... और खाटूश्याम जी में बाबा श्याम का मंदिर क्यों बनाया गया है... जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
महाभारत में उल्लेख है कि भीम के पुत्र घटोत्कच थे और उनके पुत्र बर्बरीक थे। बर्बरीक देवी माँ के भक्त थे। बर्बरीक की तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर देवी माँ ने उन्हें तीन बाण दिये, जिनमें से एक से वह संपूर्ण पृथ्वी को नष्ट कर सकते थे। ऐसे में जब महाभारत का युद्ध चल रहा था तो बर्बरीक ने अपनी मां हिडिम्बा को युद्ध लड़ने का प्रस्ताव दिया. तब बर्बरीक की माँ ने सोचा कि कौरवों की सेना बड़ी है और पांडवों की सेना छोटी है, इसलिए शायद कौरव युद्ध में पांडवों पर भारी पड़ जायेंगे। तब हिडिम्बा ने कहा कि तुम हारने वाले पक्ष की ओर से लड़ोगे। इसके बाद माता की आज्ञा मानकर बर्बर लोग महाभारत के युद्ध में भाग लेने के लिए निकल पड़े। लेकिन, श्री कृष्ण जानते थे कि यदि बर्बरीक युद्ध स्थल पर पहुँच गए तो जीत पांडवों की होगी, वे कौरवों की ओर से युद्ध लड़ेंगे। इसलिए भगवान कृष्ण ने एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और बर्बरीक के पास पहुंचे।
तब भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश दान में मांग लिया। बर्बरीक ने दान स्वरूप अपना शीश बिना किसी प्रश्न के भगवान कृष्ण को दान कर दिया। इस दान के कारण श्री कृष्ण ने कहा कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे, कलयुग में तुम श्याम के नाम से पूजे जाओगे, तुम कलयुग के अवतार कहलाओगे और हारे का सहारा बनोगे।
जब घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने अपना शीश भगवान श्री कृष्ण को दान में दे दिया, तो बर्बरीक ने महाभारत का युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की, तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक का शीश एक ऊँचे स्थान पर रख दिया। तब बर्बरीक ने संपूर्ण महाभारत युद्ध देखा। युद्ध की समाप्ति के बाद भगवान कृष्ण ने बर्बरीक का सिर गर्भवती नदी में फेंक दिया। इस प्रकार बर्बरीक यानि बाबा श्याम का शीश गर्भवती नदी से खाटू (उस समय खाटुवांग शहर) में आ गया। आपको बता दें कि खाटूश्यामजी में गर्भवती नदी 1974 में लुप्त हो गई थी.
स्थानीय लोगों के अनुसार, पीपल के पेड़ के पास एक गाय प्रतिदिन अपने आप दूध देती थी, ऐसे में जब लोगों ने उस स्थान की खुदाई की तो वहां से बाबा श्याम का सिर निकला। बाबा श्याम का यह शीश फाल्गुन माह की ग्यारस को प्राप्त हुआ था इसलिए बाबा श्याम का जन्मोत्सव भी फाल्गुन माह की ग्यारस को मनाया जाता है। खुदाई के बाद ग्रामीणों ने बाबा श्याम का सिर चौहान वंश की नर्मदा देवी को सौंप दिया। इसके बाद नर्मदा देवी ने बाबा श्याम को गर्भ गृह में स्थापित कर दिया और जिस स्थान पर बाबा श्याम को खोदा गया था, वहां पर एक श्याम कुंड बनाया गया।
और भी

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बनेंगे कई मंगलकारी योग

  • भगवान शिव को लगाएं खीर का भोग
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बेहद शुभ माना जाता है। हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार अभी ज्येष्ठ माह चल रहा है और इस माह की पूर्णिमा तिथि 22 जून को मनाई जाएगी। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 21 जून को सुबह 07.31 बजे शुरू होगी और इस तिथि का समापन 22 जून को सुबह 06.37 बजे होगा। इस दौरान भगवान श्री हरि विष्णु और भगवान भोलेनाथ की पूजा करना शुभ होता है। इसके अलावा पूर्णिमा तिथि पर जप-तप और दान-पुण्य किया जाता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा को लेकर धार्मिक मान्यता-
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, पूर्णिमा तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। विधि-विधान से पूजा करने पर साधक को सुख, सौभाग्य और यश की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा की शाम को भगवान शिव का पूजन करने के साथ चंद्रदेव की भी आराधना करना चाहिए। भगवान शिव को चावल की खीर का भोग लगाना चाहिए।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बनेंगे ये शुभ योग-
शुक्ल योग- ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि पर दुर्लभ शुक्ल योग शाम 04.45 बजे तक है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख, सौभाग्य और धन में वृद्धि होती है।
शिव वास योग- ज्येष्ठ पूर्णिमा पर शिव वास योग का निर्माण सुबह 6.38 बजे होगा, जो 23 जून को सुबह 5.12 बजे तक रहेगा। इस दौरान भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
ब्रह्म योग- ज्येष्ठ पूर्णिमा पर ब्रह्म योग शाम 04.46 बजे से पूरी रात तक रहेगा। ज्योतिष ब्रह्म योग को शुभ माना जाता है। इस दौरान भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए।

डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
 
और भी

राम जन्मभूमि मंदिर में मोबाइल फोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध

अयोध्या। अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर ने अपने परिसर में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला श्रीराम जन्मभूमि थियात क्षेत्र और अयोध्या सरकार ने मिलकर लिया है. अधिकारियों ने सुरक्षा चिंताओं और उपासकों की सुविधा सुनिश्चित करने की आवश्यकता का हवाला दिया।मंदिर प्रबंधक अनिल मिश्रा ने आने वाले सभी श्रद्धालुओं से नये नियमों का पालन करने को कहा है. विश्वासियों की सुविधा के लिए, मंदिर के बगल में एक ड्रेसिंग रूम सुसज्जित है।एएनआई से बात करते हुए, मिश्रा ने कहा, “प्रशासन के साथ हालिया बैठक में, हमने भक्तों की सुरक्षा और सुविधा के बारे में चिंता व्यक्त की, जिसके कारण यह निर्णय लिया गया। हम सभी समर्थकों से इस निर्णय का अनुपालन करने का आह्वान करते हैं...'' हमारे पास पर्याप्त क्षमताएं हैं। भक्तों को इन सुविधाओं का उपयोग करने और मोबाइल फोन और अन्य कीमती सामानों के सुरक्षित भंडारण में सहायता करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।''
और भी

अमलेश्वर में शिव महापुराण कथा का आज दूसरा दिन, उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

  • पंडित प्रदीप मिश्रा दान में मिले पैसे को कुबेरेश्वर धाम में करते हैं खर्च, नहीं लेते कथा फीस
रायपुर। अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले) का रायपुर के अमलेश्वर में शिव महापुराण कथा का आयोजन रविवार 26 मई से प्रारंभ हो गया है, जो कि 2 जून तक जारी रहेगा। इस कथा प्रवचन को सुनने लाखों की संख्या में श्रद्धालु की भीड़ उमड़ रही है। इस देखते हुए सुरक्षा और सुविधा के मद्देनजर प्रशासन ने व्यापक तैयारी की है। इसी तरह पुलिस ने भी ट्रैफिक व्यवस्था की कमान संभाल ली है। यातायात पुलिस ने कथा प्रवचन से पहले शहर के लिए रोडमैप भी जारी किया था। इस आयोजन के बीच स्वास्थ्य विभाग की टीम को भी अलर्ट पर रखा गया है।
प्रदीप मिश्रा की कथा शुरू होने से पहले एक बार फिर ये सवाल पूछा जा रहा है कि प्रदीप मिश्रा एक कथा के लिए कितनी फीस लेते हैं? बता दें कि पंडित प्रदीप मिश्रा कथा के लिए किसी प्रकार की फीस चार्ज नहीं करते हैं, जिसका खुलासा वे कई बार मीडिया के सामने कर चुके हैं। पिछले साल भिलाई में उनकी कथा का आयोजन जजमान विनोद के द्वारा कराया गया था। इस दौरान भी पंडित प्रदीप मिश्रा ने मीडिया के सामने आकर बताया था कि वे कथा के लिए फीस नहीं लते हैं। इस दौरान उनके साथ जजमान विनोद भी थे, उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की थी कि पंडित प्रदीप मिश्रा कथा के लिए किसी प्रकार की फीस नहीं लेते हैं। हालांकि अभी इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई है कि अमलेश्वर में उन्होंने आयोजकों से कथा के लिए कितनी फीस ली है।
ज्ञात हो कि पंडित प्रदीप मिश्रा एक यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं, इससे भी उनकी आमदनी होती है। वे अपनी कमाई का एक हिस्सा गरीबों को दान में दे देते हैं। इसके अलावा कथा के दौरान हुई चढ़ोतरी से भी उनकी आय होती है, जिसे वे कुबेरेश्वर धाम में लगाते हैं।
और भी

महेश नवमी पर करें ये काम, मिलेगा मनचाहा वरदान

सनातन धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन महेश नवमी को खास माना गया है जो कि हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाया जाता है। यह तिथि भगवान शिव की साधना आराधना को समर्पित होती है ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है और उपवास भी रखा जाता है माहेश्वरी समाज के लिए यह तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
माना जाता है कि इसी दिन माहेश्वरी समाज के वंश की उत्पत्ति हुई थी। यही कारण है कि इस दिन को अधिक विशेष माना जाता है महेश नवमी के दिन शिव मंदिरों में विशेष आयोजन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि महेश नवमी के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से मनचाहा वर प्राप्त होता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा महेश नवमी की तारीख और मुहूर्त की जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
महेश नवमी की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 15 जून को देर रात 12 बजकर 3 मिनट से आरंभ हो रही है जो कि अगले दिन यानी की 16 जून को देर रात 2 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में 15 जून को महेश नवमी का व्रत पूजन किया जाएगा। ज्योतिष अनुसार इसी दिन सूर्य भी राशि परिवर्तन करेंगे। इसके अगले दिन यानी 16 जून को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाएगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महेश नवमी के शुभ दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करें साथ ही दिनभर का उपवास रखें। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिव और देवी पार्वती की असीम कृपा बरसती है और जीवन की परेशानियों और बाधाओं से राहत मिल जाती है।
और भी

शनिदेव को ऐसे करें प्रसन्न, सभी परेशानियां होंगी दूर

हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की साधना आराधना को समर्पित होता है वही शनिवार का दिन भगवान शनिदेव की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है इस दिन भक्त भगवान शनिदेव की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान श्री शनिदेव की कृपा बरसती है लेकिन किसी भी देवी देवता की पूजा बिना आरती के पूर्ण नहीं मानी जाती है
ऐसे में अगर आप शनिदेव को शीघ्र प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं या फिर व्रत पूजन का फल प्राप्त करना चाहते हैं तो हर शनिवार के दिन संध्याकाल शनि मंदिर जाकर भगवान की विधि विधान से पूजा करें साथ ही श्री शनि देव की आरती भी भक्ति भाव से पढ़ें।
माना जाता है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के जीवन से सारे दुख और कष्ट को समाप्त कर देते हैं साथ ही साधक को भाग्य का भरपूर साथ मिलता है जिससे सभी कार्यों में सफलता हासिल होती है और परेशानियां दूर रहती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शनिदेव की संपूर्ण आरती पाठ।
शनिदेव की आरती-
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय जय श्री शनि देव....
और भी

शनि अमावस्या पर करें ये उपाय, पितृ दोष से मिलेगा निजाज

सनातन धर्म में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही पवित्र नदी में स्नान, दान और जप-तप भी किया जाता है। मान्यता है कि अमावस्या पर इन शुभ कार्यों को करने से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और पितृ देव प्रसन्न होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या के दिन किए जाने वाले चमत्कारी उपायों का वर्णन किया गया है, जिनको करने से इंसान का जीवन सुखमय होता है।
शनि अमावस्या के उपाय-
शनि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं और इसकी 11 बार परिक्रमा लगाएं। इसके पश्चात घर की दक्षिण दिशा में एक मुट्ठी तिल को सरसों के तेल में भिगोकर रखें। ये दिशा पूर्वजों की दिशा मानी जाती है। मान्यता के अनुसार, इस उपाय को करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अगर आप भगवान शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो शनि अमावस्या पर श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न और धन का दान करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से पितरों की कृपा बनी रहती है और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है
शनि अमावस्या के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शनि देव की विधिपूर्वक पूजा करें और सच्चे मन से शनि स्त्रोत का पाठ करें। माना जाता है कि इस उपाय को करने से शनि साढ़े साती और ढैय्या का बुरा प्रभाव कम होता है।
शनि अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 05 जून को शाम 07 बजकर 54 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 06 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में ज्येष्ठ माह शनि अमावस्या का पर्व 06 जून को मनाया जाएगा।
और भी