- महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को अर्पित करें ये 5 चीजें...
सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन महाशिवरात्रि को बेहद ही खास माना गया है जो कि शिव को समर्पित दिन है इस दिन भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं
इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 26 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से सभी परेशानियां हल हो जाती हैं, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा रुद्राभिषेक की सरल और सही विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
रुद्राभिषेक करने का सही तरीका और नियम-
महाशिवरात्रि पर अगर आप घर में रुद्राभिषेक करते हैं तो सबसे पहले आप शिवलिंग को पूजा स्थल की उत्तर दिशा में रखें और भक्त का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इसके बाद अभिषेक के लिए गंगाजल डालें और रुद्राभिषेक आरंभ करें। फिर आचमनी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध यानी पंचामृत समेत जितने भी तरह पदार्थ हैं, उनसे शिवलिंग का अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र ओम नमः: शिवाय या रुद्राष्टकम मंत्र का जाप करते रहें। शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और फिर पान का पत्ता, बेलपत्र आदि सभी चीजें भगवान शिव को अर्पित करें। भगवान शिव के भोग के लिए व्यंजन बनाकर रखें और सभी को एक एक करके शिवलिंग पर अर्पित करें इसके बाद शिव के मंत्र का जाप 108 बार करें फिर पूरे परिवार के साथ महादेव की आरती करें।
जलाभिषेक का शुभ समय-
शिवलिंग पर जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 47 मिनट से 9 बजकर 42 तक है. उसके बाद 11 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक जलाभिषेक होगा. वहीं उसके बाद शाम को जलाभिषेक का मुहूर्त रहेगा, जो 3 बजकर 25 मिनट से 6 बजकर 8 मिनट तक. साथ ही अगर रात्रि जलाभिषेक के मुहूर्ति की बात करें तो रात्रि में 8 बजकर 54 मिनट से 12 बजकर 1 मिनट तक पूजा का शुभ समय रहेगा|
मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन सच्चे भक्तों पर भगवान शिव की पूरी कृपा बरसती है. यदि महाशिवरात्रि पर महादेव की विधि-विधान से पूजा की जाए और उसमें भगवान शिव की प्रिय चीजें चढ़ाईं जाएं तो व्यक्ति की सभी मनोकानाएं शीघ्र पूरी होती हैं. आइए जानते हैं कि महादेव के मनका समेत दूसरी चीजों को चढ़ाने पर आखिर क्या मिलता है फल|
महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को अर्पित करें ये 5 चीजें-
रुद्राक्ष-
महादेव का मनका कहलाने वाले रुद्राक्ष को भगवान शिव का महाप्रसाद माना गया है. मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है. जिसे महाशिवरात्रि की पूजा में अर्पित करने और प्रसाद के रूप में धारण करने पर व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं. अलग-अलग आकार वाले रुद्राक्ष का संबंध न सिर्फ अन्य देवी देवताओं से बल्कि नवग्रहों से भी होता है. ऐसे में इसे शिव पूजा में प्रयोग करने पर शिव संग इनका भी आशीर्वाद प्राप्त होता है|
बिल्व पत्र-
शिव भगवान को बेल पत्र बहुत ज्यादा प्रिय है. मान्यता है कि शिव पूजा में इसे चढ़ाने से शिव के भक्तों को उनका शीघ्र ही आशीर्वाद प्राप्त होता है. सनातन परंपरा में बेलपत्र की तीन पत्तियों में से एक को रज, दूसरे को सत्व और तीसरे को तमोगुण का प्रतीक माना गया है. ऐसे में बेलपत्र चढ़ाने पर महादेव की कृपा से साधक को सभी प्रकार के सुख और संपदा की प्राप्ति होती है. शिव पूजा में इसे चढ़ाते समय इसकी डंठल को तोड़कर उलटा चढ़ाना चाहिए|
भस्म-
भगवान शंकर की पूजा में भस्म का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. भस्म को शिव का वस्त्र माना गया है, जिसे वे अपने पूरे शरीर पर लपेटे रहते हैं. मान्यता है कि सृष्टि अंत में उसी राख के रूप में परिवर्तित हो जाती है, जिसे महादेव अपने शरीर में धारण किए रहते हैं. कहने का तात्पर्य यह कि एक दिन यह पूरी सृष्टि भगवान शिव में राख के रूप में विलीन हो जाती है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को भस्म चढ़ाने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है.
दूध और दही-
मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को दूध से अभिषेक करने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है. वहीं दही चढ़ाने से शिव भक्त के जीवन में हमेशा खुशियां और सुख-समृद्धि बनी रहती है|
इसे चढ़ाने से मिलेगा हर सुख-
शिव पूजा में रुद्राक्ष, भस्म आदि की तरह अन्य चीजों को चढ़ाने का अलग-अलग फल मिलता है. जेसे शहद चढ़ाने से वाणी की मधुरता और सौंदर्य, घी से तेज, शक्कर से सुख-समृद्धि, चंदन से यश, आंवले से लंबी आयु, गन्ने के रस से धन, गेहूं से योग्य संतान, अक्षत से सुख-संपत्ति आदि की प्राप्ति होती है|