धर्म समाज

माघी पूर्णिमा पर इन 5 जगहों पर जलाएं दीपक

सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं लेकिन पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बहुत ही खास माना जाता है जो कि हर माह में एक बार पड़ती है। साल में कुल 24 पूर्णिमा तिथियां आती है हर पूर्णिमा का अपना महत्व होता है। पंचांग के अनुसार माघ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ या माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है इस दिन स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप का विधान होता है।
माघ पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु प्रयाग स्थित त्रिवेणी संगम में या अन्य स्थानों पर गंगा स्नान करते हैं मान्यता है कि इस पावन दिन पर गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और सारे पाप मिट जाते हैं। इस साल माघी पूर्णिमा आज यानी 12 फरवरी दिन बुधवार को मनाई जा रही है। पूर्णिमा की संध्या पर अगर कुछ जगहों पर दीपक जलाया जाए तो घर की गरीबी दूर हो जाती है और ईश्वरीय कृपा बनी रहती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि किन जगहों पर दीपक जलाना शुभ रहेगा, तो आइए जानते हैं।
माघी पूर्णिमा पर इन जगहों पर जलाएं दीपक-
माघी पूर्णिमा पर तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और तुलसी की परिक्रमा करें माना जाता है कि इस उपाय को करने से माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है और गरीबी दूर हो जाती है। इसके अलावा पूर्णिमा तिथि पर शाम के समय प्रवेश द्वार के दोनों ओर दीपक जलाएं और माता लक्ष्मी से घर आने के लिए प्रार्थना करें माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मकता दूर हो जाती है और सुख समृद्धि बनी रहती है।
माघी पूर्णिमा पर पीपल के नीचे घी का दीपक जलाएं और सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करें माना जाता है कि इस उपाय को करने से जीवन में खुशहाली आती है। इसके अलावा घर की छत पर भी एक दीपक जलाएं ऐसा करने से नकारात्मकता कम हो जाती है और इच्छा पूरी होती है। घर में जहां पीने का पानी रखते हैं वहां पर भी एक दीपक जलाएं क्योंकि इस स्थान को पितरों का स्थान माना जाता है और यहां दीपक जलाने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
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माघी पूर्णिमा पर घर में महाकुंभ स्नान जैसा लाभ

हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानी 12 फरवरी दिन बुधवार को माघ पूर्णिमा मनाई जा रही है जो कि बेहद ही खास होती है। इस पावन दिन पर स्नान दान, पूजा पाठ और व्रत का विधान होता है। मान्यता है कि माघी पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी कष्टों व पापों का अंत हो जाता है।
माघ के महीने में पड़ने के कारण ही इसे माघ या माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस शुभ दिन पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है ऐसा करने से धन लाभ की प्राप्ति होती है। इस दिन संगम में स्नान करना श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन अगर आप महाकुंभ जाकर स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही रहकर आप महाकुंभ स्नान का पूर्ण फल प्राप्त कर सकते हैं तो आज हम आपको घर पर ही स्नान का सही तरीका बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
घर पर ऐसे करें स्नान-
अगर आप भी इस पावन दिन पर महाकुंभ में स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो इस बात से निराश होने की जरूरत नहीं है। इस खास अवसर पर आप अपने घर में महाकुंभ के जल को स्नान के पानी में डालकर स्नान कर सकते हैं। अगर आपके पास महाकुंभ का पवित्र त्रिवेणी संगम का जल नहीं है। तो ऐसे में आप पवित्र गंगा जल को भी पानी में डालकर स्नान कर सकते हैं। घर में पवित्र स्नान के बाद भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा जरूर करें और उनका ध्यान करें। ऐसा करने से आपको महाकुंभ स्नान जितना पुण्य प्राप्त होगा।
माघ पूर्णिमा पर स्नान करने से पापों से मिलती है मुक्ति
आपको बताते चलें कि, साल 2025 में महाकुंभ में ही माघी पूर्णिमा का महत्व होता है इस दिन माघी पूर्णिमा के अवसर पर श्रृद्धालु प्रयागराज स्थित त्रिवेणी संगम पर गंगा, यमुना तथा सरस्वती नदी पर पवित्र स्नान, दान-दक्षिणा करने के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। धर्म ग्रंथ के अनुसार, माघ पूर्णिमा को खास बताया गया है कहते हैं कि, स्कंद पुराण के अलावा अन्य हिंदू धर्म के ग्रंथों में भी माघ पूर्णिमा को बहुत खास बताया है. इस दिन कल्पवास की समाप्ति होती है। कहते हैं कि, माघ पूर्णिमा पर अगर कोई स्नान करता है तो उसे पाप और दोषों से मुक्ति मिलने लगती है।
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माघ पूर्णिमा पर महाकालेश्वर मंदिर में की गई भस्म आरती

उज्जैन। माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर बुधवार सुबह उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में पवित्र भस्म आरती की गई। बाबा महाकाल के दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए हज़ारों श्रद्धालु उमड़े। बाबा महाकाल को सूखे मेवे से सजाया गया, भस्म लगाई गई और आरती के साथ पूजा की गई। सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की गई।
माघ पूर्णिमा के दिन बाबा महाकाल का नाम जपना पुण्यदायी माना जाता है। भगवान शिव को महाकाल इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्हें समय से परे, शाश्वत और अविनाशी कहा जाता है। एक श्रद्धालु ने कहा, "मैं पहली बार यहां आया हूं। मैं भावुक हो गया। यह चमत्कार जैसा था। भगवान की आंखों में शक्ति थी। मैंने अपने परिवार के लिए आशीर्वाद मांगा।"
एक अन्य श्रद्धालु ने कहा, "12 महीनों में से कार्तिक, श्रावण, वैशाख और माघी को बहुत पवित्र माना जाता है। भगवान धरती पर प्रकट होते हैं। महाकुंभ जैसे पवित्र स्थानों पर श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं। यहां शिप्रा नदी में पवित्र स्नान करने वाले और महाकालेश्वर के दर्शन करने वालों को भगवान का आशीर्वाद मिलता है।"
माघ पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने शिप्रा नदी के रामघाट पर पवित्र स्नान किया। इससे पहले माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर चल रहे महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और बुधवार को पवित्र स्नान किया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक 48.83 मिलियन से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं।
इस बीच, माघ पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने अयोध्या की सरयू नदी में भी पवित्र स्नान किया। कई श्रद्धालु अपने अनुष्ठान स्नान के बाद श्री राम मंदिर के दर्शन के लिए आगे बढ़े। मोनिका नामक श्रद्धालु ने व्यवस्थाओं की सराहना की। एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम माघ पूर्णिमा पर स्नान के लिए यहां आए हैं। सरकार ने वाकई बहुत अच्छी व्यवस्था की है। हमें वाकई बहुत अच्छा अनुभव हो रहा है..." उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यालय से संगम पर हो रहे माघ पूर्णिमा स्नान की निगरानी की। (एएनआई)
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पुष्य नक्षत्र में किया गया स्नान करोड़ों अश्वमेध यज्ञ के समान फलदायी : शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज

महाकुंभ नगर। माघी पूर्णिमा के अवसर पर महाकुंभ नगरी में आस्था की डुबकी लगाने वालों का रेला लगा है। इस अवसर पर वाराणसी स्थित सुमेर पीठ के शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने भी संगम में स्नान किया। इसके बाद उन्होंने इसे दिव्य और भव्य महाकुंभ बताया। उन्होंने कहा कि इस पुष्य नक्षत्र में किया गया स्नान करोड़ों अश्वमेध यज्ञ के समान फलदायी होता है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि उनका प्रशासनिक प्रबंधन अत्यंत श्रेष्ठ है।
शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, “यह स्नान दिव्यता की अनुभूति कराता है और नकारात्मकता को समाप्त करता है। भगवत प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। अश्वमेध यज्ञ, गोमेद यज्ञ और सहस्र यज्ञ का जो फल प्राप्त होता है, वही पुण्य माघ पूर्णिमा के स्नान से मिलता है। यह स्नान मोक्षदायी है और मानव जीवन के कल्याण का आधार बनता है।” उन्होंने आगे कहा कि त्रिवेणी माता और भगवान विश्वनाथ से वह प्रार्थना करते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दीर्घायु प्रदान करें और वे भविष्य में पूरे देश की बागडोर संभालें। उन्होंने योगी आदित्यनाथ की तुलना भगवान भास्कर से करते हुए कहा कि जैसे सूर्य के उदय से अंधकार समाप्त हो जाता है, वैसे ही उनके शासन में करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा पा रहे हैं।
शंकराचार्य ने कहा कि कुंभ मेला इस बार बेहद उत्तम और दिव्य स्वरूप में आयोजित किया गया है, लेकिन कुछ शक्तियां इसे बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि “कुछ राहु-केतु उनके खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं, लेकिन उनका अंत निश्चित है।”
उन्होंने माघ पूर्णिमा के महत्व को समझाते हुए कहा कि कल्पवासियों के लिए यह स्नान पूर्णता का प्रतीक है और इस दिन त्रिवेणी में डुबकी लगाने से करोड़ों अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
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माघ पूर्णिमा पर महादेवघाट का वातावरण भक्तिमय रहा

रायपुर। रायपुर के महादेवघाट में माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर आस्था और श्रद्धा का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। सुबह से ही हजारों श्रद्धालु पवित्र खारुन नदी में स्नान कर रहे हैं। पूरे घाट पर जयकारों और मंत्रोच्चारण की गूंज सुनाई दे रही है, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया है। .
शास्त्रों के अनुसार, माघ पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी विश्वास के साथ श्रद्धालु स्नान, पूजन और दान-पुण्य में लीन हैं। कई श्रद्धालु गंगा जल, तिल दान और हवन कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं।
महादेवघाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं। स्नान स्थल पर पुलिस बल तैनात है और नगर निगम की टीम साफ-सफाई और व्यवस्था बनाए रखने में जुटी है।
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महाशिवरात्रि पर करें रुद्राभिषेक, जीवन की परेशानिया होगी दूर

  • महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को अर्पित करें ये 5 चीजें...
सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन महाशिवरात्रि को बेहद ही खास माना गया है जो कि शिव को समर्पित दिन है इस दिन भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं
इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 26 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से सभी परेशानियां हल हो जाती हैं, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा रुद्राभिषेक की सरल और सही विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
रुद्राभिषेक करने का सही तरीका और नियम-
महाशिवरात्रि पर अगर आप घर में रुद्राभिषेक करते हैं तो सबसे पहले आप शिवलिंग को पूजा स्थल की उत्तर दिशा में रखें और भक्त का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इसके बाद अभिषेक के लिए गंगाजल डालें और रुद्राभिषेक आरंभ करें। फिर आचमनी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध यानी पंचामृत समेत जितने भी तरह पदार्थ हैं, उनसे शिवलिंग का अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र ओम नमः: शिवाय या रुद्राष्टकम मंत्र का जाप करते रहें। शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और फिर पान का पत्ता, बेलपत्र आदि सभी चीजें भगवान शिव को अर्पित करें। भगवान शिव के भोग के लिए व्यंजन बनाकर रखें और सभी को एक एक करके शिवलिंग पर अर्पित करें इसके बाद शिव के मंत्र का जाप 108 बार करें फिर पूरे परिवार के साथ महादेव की आरती करें।
जलाभिषेक का शुभ समय-
शिवलिंग पर जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 47 मिनट से 9 बजकर 42 तक है. उसके बाद 11 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक जलाभिषेक होगा. वहीं उसके बाद शाम को जलाभिषेक का मुहूर्त रहेगा, जो 3 बजकर 25 मिनट से 6 बजकर 8 मिनट तक. साथ ही अगर रात्रि जलाभिषेक के मुहूर्ति की बात करें तो रात्रि में 8 बजकर 54 मिनट से 12 बजकर 1 मिनट तक पूजा का शुभ समय रहेगा|
मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन सच्चे भक्तों पर भगवान शिव की पूरी कृपा बरसती है. यदि महाशिवरात्रि पर महादेव की विधि-विधान से पूजा की जाए और उसमें भगवान शिव की प्रिय चीजें चढ़ाईं जाएं तो व्यक्ति की सभी मनोकानाएं शीघ्र पूरी होती हैं. आइए जानते हैं कि महादेव के मनका समेत दूसरी चीजों को चढ़ाने पर आखिर क्या मिलता है फल|
महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को अर्पित करें ये 5 चीजें-
रुद्राक्ष-
महादेव का मनका कहलाने वाले रुद्राक्ष को भगवान शिव का महाप्रसाद माना गया है. मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है. जिसे महाशिवरात्रि की पूजा में अर्पित करने और प्रसाद के रूप में धारण करने पर व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं. अलग-अलग आकार वाले रुद्राक्ष का संबंध न सिर्फ अन्य देवी देवताओं से बल्कि नवग्रहों से भी होता है. ऐसे में इसे शिव पूजा में प्रयोग करने पर शिव संग इनका भी आशीर्वाद प्राप्त होता है|
बिल्व पत्र-
शिव भगवान को बेल पत्र बहुत ज्यादा प्रिय है. मान्यता है कि शिव पूजा में इसे चढ़ाने से शिव के भक्तों को उनका शीघ्र ही आशीर्वाद प्राप्त होता है. सनातन परंपरा में बेलपत्र की तीन पत्तियों में से एक को रज, दूसरे को सत्व और तीसरे को तमोगुण का प्रतीक माना गया है. ऐसे में बेलपत्र चढ़ाने पर महादेव की कृपा से साधक को सभी प्रकार के सुख और संपदा की प्राप्ति होती है. शिव पूजा में इसे चढ़ाते समय इसकी डंठल को तोड़कर उलटा चढ़ाना चाहिए|
भस्म-
भगवान शंकर की पूजा में भस्म का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. भस्म को शिव का वस्त्र माना गया है, जिसे वे अपने पूरे शरीर पर लपेटे रहते हैं. मान्यता है कि सृष्टि अंत में उसी राख के रूप में परिवर्तित हो जाती है, जिसे महादेव अपने शरीर में धारण किए रहते हैं. कहने का तात्पर्य यह कि एक दिन यह पूरी सृष्टि भगवान शिव में राख के रूप में विलीन हो जाती है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को भस्म चढ़ाने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है.
दूध और दही-
मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को दूध से अभिषेक करने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है. वहीं दही चढ़ाने से शिव भक्त के जीवन में हमेशा खुशियां और सुख-समृद्धि बनी रहती है|
इसे चढ़ाने से मिलेगा हर सुख-
शिव पूजा में रुद्राक्ष, भस्म आदि की तरह अन्य चीजों को चढ़ाने का अलग-अलग फल मिलता है. जेसे शहद चढ़ाने से वाणी की मधुरता और सौंदर्य, घी से तेज, शक्कर से सुख-समृद्धि, चंदन से यश, आंवले से लंबी आयु, गन्ने के रस से धन, गेहूं से योग्य संतान, अक्षत से सुख-संपत्ति आदि की प्राप्ति होती है|

 

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घर से वास्तु दोष दूर करती है पंचमुखी हनुमान की तस्वीर

  • जानिए...कैसे और कहां लगाएं
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में भगवान हनुमान की पंचकोणीय प्रतिमा स्थापित करने से घर में दुर्भाग्य नहीं आता है। हनुमान जी को संकटमोचक कहा जाता है। इसके स्मरण मात्र से ही व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते हैं हनुमान जी के पंचमुखी अवतार का महत्व और इसके स्थान का सही दिशा-निर्देश।
पंचमुखी हनुमान के पांच मुख का महत्व-
वास्तु के अनुसार, यदि आप अपने घर में पंचमुखी की तस्वीर लगाते हैं, तो इससे आपके घर में देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। इस तस्वीर को लगाने से आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी। हनुमान पंचमुखी के पांच मुखों के अलग-अलग अर्थ हैं। भगवान के ये सभी चेहरे अलग-अलग दिशाओं को देखते हैं। पूर्व दिशा में शत्रुओं को परास्त करते हुए भगवान हनुमान का वानर मुख है। पश्चिम दिशा में गरुड़ का मुख है, जो जीवन में बाधाओं और समस्याओं को दूर करने वाले देवता हैं। वराह का मुख उत्तर की ओर है और उसे प्रसिद्धि और शक्ति का तत्व माना जाता है। हनुमानजी का नृसिंह मुख मुख दक्षिण दिशा की ओर है और यह जीवन से भय को दूर कर देते हैं। आकाश की ओर दिव्य घोड़े का मुख है जो लोगों की मनोकामनाएं पूरी करता है।
पंचमुखी हनुमान की तस्वीर लगाने की सही दिशा-
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगाना सबसे शुभ होता है। इस स्थान पर तस्वीर लगाने से किसी भी प्रकार की बुरी शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पाती हैं। पंचमुखी हनुमान जी का एक ऐसा चित्र लाएँ जिसमें वे दक्षिण दिशा की ओर देख रहे हों। वास्तु के अनुसार सबसे ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा दक्षिण दिशा से आती है। इस दिशा में पंचमुखी हनुमान की तस्वीर लगाने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है। घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पंचमुखी हनुमान की तस्वीर लगाने से सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं।
कैसे करें पचंमुखी हनुमान जी तस्वीर को स्थापित?
जिस स्थान पर पंचमुखी हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करनी है उस स्थान को साफ करें और वहां गंगा जल छिड़कें।
फोटो स्थापित करने से पहले आपको हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। इसमें धूप, दीप, फूल, प्रसाद आदि रखने के लिए करें। भगवान हनुमान के मंत्र का भी जाप करना चाहिए। तस्वीर या मूर्ति की ऊंचाई इतनी हो कि उस पर आसानी से आपकी दृष्टि जाए। जब भी आप उसे देखेंगे तो आपको सकारात्मक ऊर्जा महसूस होगी। मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी का दिन माना जाता है। इन दोनों में से किसी भी दिन तस्वीर लगाई जा सकती है।
नियमित पूजा-
एक बार तस्वीर स्थापित करने के बाद आपको रोजाना पंचमुखी हनुमान जी की धूप-दीप दिखना चाहिए। आप हनुमान चालीसा का पाठ और हनुमान जी के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। अगर आप हर दिन पूजा नहीं कर सकते तो भी मंगलवार और शनिवार को जरूर करें।
पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर सही दिशा और सही तरीके से लगाने से परिवार में खुशहाली आती है। इससे ना सिर्फ वास्तुदोष दूर होता है बल्कि सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से भी छुटकारा मिलता है।
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शनि 29 मार्च को गुरु ग्रह की राशि मीन में प्रवेश करेगी

  • ये राशि वालों की चमकेगी किस्मत
ज्योतिष शास्त्र की जानकारी रखने वालों में शनि का बहुत खौफ होता है। 9 ग्रहों में शनि एकमात्र ऐसे ग्रह हैं, जिसको कोई भी नाराज नहीं करना चाहता है। यह गुस्से में किसी को भी ऐसे कष्ट में देते हैं, जिससे वह मिट्टी मिल सकता है। किसी को इनका आशीर्वाद मिल जाए तो, रंक से राजा भी सकता है।
शनि अभी कुंभ राशि में हैं, लेकिन 29 मार्च 2025 को वह गुरु ग्रह की राशि मीन में प्रवेश कर लेंगे। वह 30 साल बाद मीन राशि में गोचर करेंगे, जो कि एक बड़ा परिवर्तन होने वाला है। इसका कई राशियों पर बहुत ही खराब असर पड़ने वाला है, लेकिन 3 राशियों के लिए यह बहुत ही शुभ है।
इन राशियों को शनि का आशीर्वाद मिलेगा, जिससे उनको करियर व कारोबार में बहुत ही लाभ मिलेगा। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि वह राशियां कौन सी हैं, जिनको शनि गोचर का लाभ मिलने वाला है।
वृषभ राशि की बदल जाएगी जिंदगी-
वृषभ राशि के जातकों के लिए शनि का मीन राशि में गोचर चमत्कारिक परिवर्तन लेकर आएगा। इनकी जिंदगी के सारे कष्ट खत्म हो जाएंगे। इनको नौकरी व व्यापार में सफलता मिलेगी, जिससे आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत होगी। नौकरी वालों को प्रमोशन मिलेगा, जिससे मन खुश रहेगा। शत्रुओं की आपके सामने हार होगी। आपकी लव लाइफ व मैरिड लाइफ शानदार हो जाएगी। परिवार के साथ कहीं बाहर यात्रा पर जाने का मन बना सकते हैं, जिससे प्यार बढ़ेगा।
तुला राशि पर मेहरबान रहेंगे शनि-
तुला राशि के जातकों को शनि का आशीर्वाद मिलेगा। आपको कोर्ट कचहरी से निजात मिलेगी। केस में जीत मिल सकेगी। नौकरी वाले जातकों को प्रमोशन मिलने की संभावना है। इस दौरान आपके पास एक बड़ा प्रोजेक्ट आने वाला है। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, जिससे परिवार व समाज में सम्मान बढ़ेगा।
मकर राशि वालों का बढ़ेगा साहस-
मकर राशि के जातकों के लिए शनि महाराज का राशि परिवर्तन शुभ रहेगा। जीवन में आने वाली हर समस्या का समाधान होगा। आपकी सारी रुकावटें दूर हो जाएंगी। आपकी तरक्की के रास्ते खुलेंगे, जिससे आर्थिक स्थिति दूर होगी। ऐसे में कर्ज से निजात मिलेगा और मानसिक तनाव कम होगा। नौकरी व व्यापार में लाभ होगा।
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माघ पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने करें ये उपाय

इस साल 12 फरवरी के दिन माघ पूर्णिमा है। इस दिन विशेष तौर पर मां लक्ष्मी, चंद्रमा और विष्णु भगवान की आराधना की जाती है। अगर आप आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं तो माघ पूर्णिमा के दिन पूरे विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की साथ में विधिवत पूजा करें। मान्यता है इस दिन कुछ उपाय कर लेने से घर की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और दरिद्रता से भी राहत मिलती है
माघ पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय-
तोरण लगाएं- माघ पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए और घर में उनका वास बनाए रखने के लिए घर के मुख्य द्वार पर तोरण लगाना चाहिए। आम के पत्तों और फूलों का ताजा तोरण बनाकर घर के मुख्य द्वार पर लगाना बेहद शुभ रहेगा।
खीर का भोग- अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए माघ पूर्णिमा के दिन दूध से बनी खीर का भोग माता को लगाएं।
पेपल पेड़ की पूजा- माघ पूर्णिमा के दिन मुख्य तौर पर पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है की पूर्णिमा के दिन पीपल पेड़ की पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। इसलिए पीपल के पेड़ में जल व दूध चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं।
तुलसी पूजन- माघ महीने की पूर्णिमा के दिन पूरे विधि-विधान से मां तुलसी की पूजा अर्चना की जानी चाहिए। मान्यता है कि तुलसी जी में मां लक्ष्मी वास करती हैं। इसलिए माघ पूर्णिमा के दिन सुबह और शाम तुलसी के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं और सुबह के समय उन्हें अर्घ देकर पूजा करें।
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होलिका दहन 13 मार्च को, जानिए...शुभ मुहूर्त

  • रंगों वाली होली 14 मार्च को
सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन होली का त्योहार बहुत ही खास माना जाता है जो कि देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है
इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर अपनी खुशियां बांटते हैं। होली से एक दिन पहले होलिका दहन के दिन भगवान विष्णु और अग्नि देव की पूजा की जाती है। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा होलिका दहन और होली की सही तारीख व पूजा का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत बृहस्पतिवार 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी की 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में रंगों वाली होली 14 मार्च को पड़ रही है।
होलिका दहन का शुभ समय-
पंचांग के अनुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च की रात 11 बजकर 26 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन के लिए कुल 1 घंटे 4 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है इस दौरान पूजा करना लाभकारी होगा।
होलिका दहन की सरल पूजा विधि-
आपको बता दें कि होलिका दहन की पूजा के लिए सबसे पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाकर थाली में रख लें। उसके साथ में रोली, पुष्प, मूंग नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत, फल और कलश भरकर रख लें। फिर भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए उन्हें रोली, चंदन, पांच तरह के अनाज, और पुष्प अर्पित करें फिर कच्चा सूत लेकर होलिका की सात बार परिक्रमा करें। अंत में गुलाल डालकर जल अर्पित करें।
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सोम प्रदोष व्रत आज, जानिए...शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

प्रदोष व्रत भोले शंकर को ही समर्पित होते हैं। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। इस समय माघ माह चल रहा है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़त है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। माघ माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से संतान पक्ष को भी लाभ होता है। इस व्रत को करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। माघ माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 27 जनवरी, सोमवार को रखा जाएगा। यह प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। माघ माह का प्रदोष व्रत आज यानी 10 फरवरी, सोमवार को है।
शुभ मुहूर्त-
आज माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि, पुनर्वसु नक्षत्र, प्रीति योग, कौलव करण, पूर्व का दिशाशूल और मिथुन राशि में चंद्रमा है। त्रयोदशी तिथि 09 फरवरी को शाम 07:25 पी एम से 10 फरवरी तक है।
प्रदोष काल- 9 फरवरी को शाम 7 बजकर 25 मिनट से रात 9 बजकर 7 मिनट तक।
पूजा-विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव है तो व्रत करें।
भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव की आरती करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
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सोमवार को अपनी राशि के अनुसार भगवान शिव को अर्पित करें ये चीजें

  • बनी रहेगी महादेव की कृपा
हिंदू धर्म में हर तिथि और वार अपना विशेष महत्व रखती है. हिंदू धर्म में हर वार किसी न किसी देवता को समर्पित है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित किया गया है. सोमवार का दिन बहुत ही पवित्र माना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में सोमवार को भगवान शिव के पूजन का विधान है| हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सोमवार को शिव जी का पूजन करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इस दिन जो भी भगवान शिव का पूजन करता है उस पर भगवान शिव विशेष कृपा करते हैं. सोमवार को भगवान शिव का पूजन करने वालों के जीवन की सारी मुश्किलें और परेशानियां समाप्त हो जाती हैं. घर में अन और धन का भंडार भरा रहता है. इस दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए राशिनुसार कुछ विशेष चीजें भगवान शिव को पूजा के समय चढ़ानी चाहिए. इसके अलावा सोमवार को व्रत भी करना चाहिए|
राशिनुसार, भगवान शिव को चढ़ाएं ये चीजें-
मेष राशि के जातक सोमवार के दिन भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाएं.
वृषभ राशि के जातक इस दिन भगवान शिव को खीर अर्पित करें.
मिथुन राशि के जातक इस दिन भगवान शिव को भांग चढ़ाएं.
कर्क राशि के जातक इस दिन भगवान शिव को आक के फूल चढ़ाएं.
सिंह राशि के जातक इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करें.
कन्या राशि के जातक इस दिन भगवान शिव को दूध की मिठाई चढ़ाएं.
तुला राशि के जातक इस दिन भगवान शिव को इत्र चढ़ाएं.
वृश्चिक राशि के जातक इस दिन भगवान शिव को पंचामृत चढ़ाएं.
मकर राशि के जातक इस दिन भगवान शिव को नारियल और कलावा चढ़ाएं.
कुंभ राशि के जातक इस दिन भगवान शिव को तिल के लड्डू चढ़ाएं.
मीन राशि के जातक इस दिन भगवान शिव को पीले फूल चढ़ाएं.
सोमवार को शिव जी के पूजन की विधि-
सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र पहनने चाहिए. फिर सूर्य देव को जल देना चाहिए. पंचामृत से विधिपूर्वक भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए. एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव की प्रतिमा या तस्वीर रखनी चाहिए. भगवान शिव को पूजा के समय सफेद चंदन का तिलक लगाना चाहिए. महादेव को सफेद फूल, धतूरा, भांग और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए. महादेव के सामने देशी घी का दीपक जलाना चाहिए. सोमवार की व्रत कथा का पाठ करना या सुनना चाहिए. भगावन को खीर, फल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए. अंत में आरती करके साद का वितरण करना चाहिए|
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माघी पूर्णिमा 12 फरवरी को, जानिए...गंगा स्नान और दान का महत्व

  • महाकुंभ के शाही स्नान की तिथियां...
वैदिक पंचांग के अनुसार हर माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में माघ महीने की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। इस माह की पूर्णिमा तिथि को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। माघी पूर्णिमा पर गंगा स्नान विशेषकर तीर्थराज प्रयाग के संगम में करने का विशेष महत्व होता है। इस तिथि पर गंगा स्नान के साथ दान-पुण्य और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करने के साथ-साथ इस दिन पूजा-अर्चना करने से जीवन में संपन्नता, सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इस वर्ष प्रयागराज में 144 वर्षों बाद महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, इससे पूर्णिमा तिथि का महत्व काफी बढ़ गया है। आइए जानते हैं कब है माघ पूर्णिमा और इसका धार्मिक महत्व।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त-
वैदिक पंचांग के अनुसार माघी पूर्णिमा 12 फरवरी, बुधवार को है। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी को शाम 6 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 12 फरवरी 2025 को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार माघी पूर्णिमा 12 फरवरी है।
महाकुंभ के शाही स्नान की तिथियां-
बसंत पंचमी के बाद महाकुंभ का अगला शाही स्नान अब माघ पूर्णिमा के दिन किया जाएगा। माघी पूर्णिमा के दिन स्नान दान का विशेष महत्व होता है। ऐसे में महाकुंभ और माघ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर स्नान करने से साधक को कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है। बता दें कि इस बार माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को मनाई जाएगी और इसी दिन प्रयागराज में महाकुंभ का शाही स्नान भी होगा। माघ पूर्णिमा पर स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में स्नान करना लाभकारी होगा। इसके अलावा आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर किया जाएगा। इसी दिन से महाकुंभ का समापन भी हो जाएगा।
माघ पूर्णिमा का महत्व-
हिंदू धर्म में माघ महीने की पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। यह तिथि माघ महीने की अंतिम तिथि होती है, फिर इसके बाद फाल्गुन माह की शुरुआत हो जाती है। माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दान और भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने का विशेष महत्व होता है। माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा स्नान और दान करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। स्कंद पुराण के अनुसार, माघी पूर्णिमा पर स्नान से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस मास में प्रयागराज में 'माघ मेला' का आयोजन होता है, जिसे कुंभ के समान पवित्र माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गाय, तिल, गुड़, और कंबल का दान इस मास में विशेष पुण्य फल देता है।
माघी पूर्णिमा और ज्योतिषीय महत्व-
माघ महीने और इस माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि का काफी ज्योतीषीय महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन मन के कारक चंद्रमा कर्क राशि में और आत्मा के कारक सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस संयोग में ही माघी पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। इस संयोग में गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व और फलदायी होता है। धार्मिक मान्यताओँ के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु मत्स्य अवतार लिया था इसलिए गंगा में स्नान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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तिरुपति लड्डू मामला: कई अनियमितताएं सामने आई

  • डिंडीगुल कंपनी का मालिक गिरफ्तार
तमिलनाडु। तिरुपति एझुमलाईयन मंदिर में श्रद्धालुओं को दिए जाने वाले लड्डू प्रसाद में घी मिलाए जाने के आरोप की सीबीआई के नेतृत्व वाली विशेष जांच टीम द्वारा की गई जांच में कई अनियमितताएं उजागर हुई हैं। सीबीआई ने डिंडीगुल स्थित एक निजी डेयरी कंपनी के प्रबंध निदेशक राजू राजशेखरन समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के इस आरोप ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी कि पिछली सरकार के दौरान तिरुपति 'लट्टू' के उत्पादन में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया था। इस मुद्दे पर याचिकाओं पर सुनवाई करने वाले सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों की जांच करने के लिए सीबीआई निदेशक की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेष जांच दल के गठन का आदेश दिया था। सीबीआई जांच में पता चला है कि तिरुमाला-तिरुपति देवस्थानम को घी की आपूर्ति का ठेका जाली दस्तावेजों के जरिए हासिल किया गया था। इसके आधार पर निजी दूध कंपनियों से जुड़े चार लोगों विपिन जैन, पोमिल जैन, अपूर्व चावड़ा और राजशेखरन को गिरफ्तार किया गया है। उल्लेखनीय है कि राजशेखरन डिंडीगुल प्राइवेट डेयरी कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं।
तेलुगु देशम पार्टी ने कहा है कि इस जांच के दौरान पता चला है कि निजी डेयरी कंपनियों के सदस्य घी के वितरण में बड़ी अनियमितता में शामिल थे।
पता चला है कि वैष्णवी नामक कंपनी ने डिंडीगुल मिल्क कंपनी के दस्तावेजों का इस्तेमाल करके जाली दस्तावेज तैयार करके घी वितरित करने का ठेका हासिल किया। इसके अलावा, वैष्णवी कंपनी ने एक फर्जी दस्तावेज तैयार किया है जिसमें कहा गया है कि घी उत्तराखंड के रुड़की में एक निजी कंपनी से खरीदा जा रहा है। इसके आधार पर सीबीआई पुलिस ने तीन कंपनियों के चार लोगों को गिरफ्तार किया है और जांच कर रही है।
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जया एकादशी पर करें ये उपाय, दूर होगी हर परेशानी

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन एकादशी व्रत को खास बताया गया है जो कि हर माह में दो बार आती है ऐसे साल में कुल 24 एकादशी व्रत किया जाता है। जो कि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है और उपवास भी रखा जाता है। पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है इसे कई अन्य नामों से भी जानते हैं जिसमें अजा और भीष्म एकादशी है।
इस एकादशी के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से दुखों का निवारण होता है। इस बार जया एकादशी का व्रत 8 फरवरी यानी आज मनाई जा रही है, इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ ही अगर कुछ खास उपायों को किया जाए तो आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं और धन लाभ की प्राप्ति होती है तो आज हम आपको इन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं।
जया एकादशी पर जरूर करें ये काम-
आपको बता दें कि जया एकादशी का दिन बेहद ही खास होता है। इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद विधिवत पूजा व्रत करें। एकादशी के दिन दान पुण्य जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि जया एकादशी के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जूते, तिल, दूध, दही, मिठाई और घी का दान करना चाहिए।
ऐसा करने से धन धान्य में वृद्धि होती है। इस दिन किया जाने वाला दान सौ यज्ञों के बराबर पुण्य देता है। एकादशी पर भगवान विष्णु का ध्यान और भजन कीर्तन करना भी उत्तम होता है। अगर संभव हो तो इस दिन व्रती को धरती पर ही सोना चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी और श्री हरि की असीम कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं।
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जया एकादशी आज, पढ़ें व्रत की कथा, पिशाच योनि से मिलती है मुक्ति

इस साल माघ मास के शुक्स पक्ष की एकादशी का व्रत 8 फरवरी को रखा जाएगा। इसे जया एकादशी कहते है। इस व्रत को रखने से पिशाच यौनी से मुक्ति मिलती है। इसकी कथा इस प्रकार है- युधिष्ठर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि भगवान आप कृपा करके बताइए कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कौन सी एकादशी आती है। उसकी विधि क्या है, उसमें किस दिवता का पूजन किया जाता है।
भगवान श्री कृष्ण बोले, राजेंद्र-माघ मास के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है, उसका नाम जया एकादशी है। यह सभी पापों को हरने वाली उत्तम तिथि है। इस दिन अच्छे से व्रत करने से पापों का नाश होता है और यह एकादशी मनुष्यों को मोक्ष प्रदान करती है। इस व्रत को करने से मनुष्य को कभी प्रेतयोनि में नहीं जाना होता है।
कथा-
स्वर्गलोक में देवराज इंद्र राज्य करते थे। देवगण परिजात वृक्षों से युक्त नंदवन में अप्सराओं के साथ विहार कर रहे थे। पचास करोड़ गंधर्वों के नायक देवराज ने इच्छानुसार वन में विहार करते हुए बड़े खुशी से नृत्य का आयोजन किया । गंघर्व उसमें गान कर रहे थे, जिनमें पुष्पदंत, चित्रसेन और उसका पुत्र तीन लोग प्रधान थे। चित्रसेन की स्त्री का नाम मालिनी था। मालिनी से एक कन्या पैदा हुई थी, जो पुष्पवंती के नाम से प्रसिद्ध थी। पुष्पदंत गंधर्व का एक पुत्र था। जिसको लोग माल्यवान कहते थे। माल्यवान पुष्पवंती के रूप पर अत्यंत मोहित था। ये दोनों भी इंद्र के संतोषार्थ नृत्य करने के लिएआए थे। इन दोनों का गान हो रहा था। इनके साथ अप्सराए भी थीं। अनुराग के कारण ये दोनों मोह के वशीभूत हो गए। चित्त में भ्रान्ति आ गई, इसलिए वे शुद्ध गान न दा सके। कभी ताल भंग हो जाती थी, तो कभी गीत बंद हो जाता था। इंद्र ने इस प्रमाद पर विचार किया और इसे अपना अपमान समझकर ने कुपित हो गए।
इस प्रकार इन दोनों को शाप देते हुए वे बोले, -ओ मूर्खों- तुम दोनों पर धिक्कार है। तुम लोग पतित और मेरी आज्ञाभंग करने वालो हो, इसलिए पति-पत्नी के रूप में रहते हुए पिशाच हो जाओ।
इंद्र के इस प्राकर शाप देने पर इन दोनों के मन में बड़ा दुख हुआ । वे हिमालय पर्वत पर चले गए और पिशाचयोनी को पाकर भयंकर दुख भोगने लगे। शारिरीक पातक से उत्पन्न ताप से पीड़ित होकर दोनों ही पर्वत की कंदराओं में विचरण करते थे। एक दिन पिशाच ने अपनी पत्नी पिशाची से कहा, हमेन कौन सा पाप किया , जिससे वह पिशाचयोनी प्राप्त हुई है। नरक का कष्ट बहुत भयंकर है। और पिशाचयोनी भी बहुत दुख देने वाली है। अत: पूर्ण प्रयत्न करके पाप से बचना चाहिए। इस प्राकर चिंता के कारण वे दोनों दुख के कारण सूखते जा रहे थे। देवगणों से उन्हें माघ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि प्राप्त हो गई थी। जया नाम से विख्यात वह तिथियों से उत्तम है। उस दिन उन दोनों ने सब आहार त्याग दिए, उन्होंने जलपान भी नहीं कियाकिसी जीव की हिंसा नहीं, यहां तक की खाने के लिएफल भी नहीं काटा। दुखी होकर वे पीपल के पेड़ के पास बैठ गए। सूर्यास्त हो गयाष उनके प्राण हर लेने वाली भयंकर रात्रि उपस्थित हुई। उन्हें नींद नहीं आई। वे रति या और कोई सुख भी पा सके। सूर्योदय हुआ, द्वादशी का दिन आया, इस प्रकार उस पिशाच दंपत्ति के द्वारा जया के उत्तम व्रत का पालन हो गया। उन्होंने रात में जागरण भी गया। उस व्रत के प्रभाव से तथा भगवान विष्णु की शक्ति से उन दोनों का पिशाचत्य दूर हो गया। पुष्पवंती और माल्यावान अपने पूर्वरूप में आ घए। उनके दिल में वही पुराना स्नेह उमड़ रहा था। उनके शरीर पर पहले जैसे ही अलंकार शोभा पा रहेथे।इन दोनों मनोहर रूप धारण करके विमान में बैठे और स्वर्गलोक में चेल गए। वहां देवराज इंद्र के सामने जाकर दोनों ने बड़ी प्रसन्नता के साथ उन्हें प्रणाम किया।
उन्हें उश रूप में देखकर इंद्र को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने पूथा बताओं- किस पुण्यके प्रबाव से तुम दोनों को पिशाचचत्य दूर हुआ है। तुम मेरे श्राप को प्राप्त हो चुके थे, फिर किस देवता ने तुम्हें इससे छुटकारा दिलायाष
माल्यवान बोला- स्वामिन भगवान वासुदेव की कृपा और जया एकादशी के व्रत के प्रभाव से हम पिशाच यौनी से मुक्त हुए।
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राजिम कुंभ अब 4 दिन शेष, 12 फरवरी को हजारों श्रद्धालु करेंगे स्नान

रायपुर। इन दिनों प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है। वहां गंगा, जमुना, सरस्वती के त्रिवेणी संगम तट पर पवित्र स्नान करने के लिए प्रतिदिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
छत्तीसगढ़ के गांव-गांव से हजारों श्रद्धालु प्रयागराज के महाकुंभ में दर्शन, स्नान करने जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में भी तीन नदियों का एक संगम स्थल है, जो राजिम कुंभ के नाम से प्रसिद्ध है। इसे छत्तीसगढ़ का छोटा प्रयागराज भी कहा जाता है। राजधानी रायपुर से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजिम में महानदी, सोंढूर और पैरी नदी का त्रिवेणी संगम स्थल है। यहां हर साल माघ पूर्णिमा पर राजिम अर्ध कुंभ का आयोजन होता है। माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्र तक लगने वाले माघ पूर्णिमा मेले में श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने पहुंचते हैं।
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गुरु ग्रह ने बदली अपनी चाल, वृषभ राशि में हुए मार्गी

  • कई राशियों का चमकेगा भाग्य
देवगुरु बृहस्पति ने अपनी चाल चार फरवरी से बदल दी है। गुरु ग्रह बृहस्पति वृषभ राशि में रहते हुए मार्गी होकर भ्रमण करेंगे। जब कोई ग्रह मार्गी होता है तो वह आगे की ओर और जब ग्रह वक्री होता है तो पीछे की ओर चलता है। इस वर्ष गुरु की चाल में तीन बार राशि परिवर्तन होगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के मार्गी और वक्री होने का विशेष महत्व होता है।
किस राशि पर होगा क्‍या प्रभाव-
मेष राशि- मेष राशि के जातकों के लिए गुरु का मार्गी होना फायदेमंद रहेगा। कार्यों में सफलता और धन लाभ के अवसरों में वृद्धि होगी। नया काम शुरू करने के लिए समय अच्छा होगा।
वृषभ राशि- गुरु का मार्गी होना वृषभ राशि के जातकों के लिए एक साथ कई तरह की खुशियां लाएगा।
मिथुन राशि- मिथुन राशि के जातकों के लिए गुरु का मार्गी होना मिला जुला साबित हो सकता है।
कर्क राशि- कुछ ज्यादा सतर्क रहने का समय है। आपकी परेशानियों में इजाफा देखने को मिलेगा।
सिंह- गुरु का मार्गी होना वरदान साबित हो सकता है।
कन्या राशि- गुरु का मार्गी होना कन्या राशि के जातकों को कर्ज से मुक्ति दिला सकता है।
तुला राशि- धर्म-कर्म में आपकी रूचि रहेगी। सेहत संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी।
वृश्चिक राशि- गुरु के मार्गी होने से आपके जीवन में चली आ रही धन संबंधी परेशानियां अब दूर होंगी।
धनु राशि- इस राशि के जातकों के जीवन में तरह-तरह की खुशियां आने के योग हैं।
मकर राशि- गुरु का मार्गी होना अच्छा संकेत है। लाभ के भरपूर मौके मिलेंगे।
कुंभ राशि- गुरु का मार्गी होना अच्छा कहा जा सकता है। लाभ के अच्छे मौके मिलेंगे।
इस साल तीन बार बदलेगी गुरु की चाल-
इस साल गुरु का गोचर और चाल में बदलाव तीन बार होगा।
गुरु के तीन बार राशि बदलने से गुरु अतिचारी होंगे।
अतिचारी होने से गुरु तीन गुणा तेजी से चलेंगे।
देवगुरु बृहस्पति का साल 2025 में राशि परिवर्तन पहली बार 14 मई को होगा।
जब वह वृषभ से मिथुन राशि में आएंगे। फिर 18 अक्तूबर को कर्क राशि में प्रवेश करेंगे।
इस राशि में गुरु उच्च के होते हैं। कर्क राशि में गुरु रहते हुए 11 नवंबर 2025 को वक्री हो जाएंगे।
वक्री होते ही पांच दिसंबर को मिथुन राशि में गोचर करेंगे। गुरु के चार फरवरी से मार्गी होने से इन लोगों की कुंडली में गुरु की स्थिति अच्छी होगी और शुभ प्रभाव देखने को मिलेंगे।
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