धर्म समाज

सावन में शिव जी को जरूर चढ़ाएं मुट्ठी भर गेहूं, मिलेंगे शुभ परिणाम

भगवान शिव को समर्पित सावन के पवित्र महीने की शुरआत हो गई है. सावन में भगवान शिव की पूजा और शिवलिंग अभिषेक का विशेष विधान है. शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सावन का महीने भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है और इस माह में अगर श्रद्धा एवं पूर्ण भक्तिभाव से भगवान शिव का ध्यान किया जाए तो वह जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी कृपा बरसाने लगते हैं.
यही कारण है कि सावन को मनोकामना पूर्ति का महीना कहा जाता है. जहां एक ओर सावन का धार्मिक महत्व है तो वहीं इस माह का ज्योतिष में भी खास स्थान मौजूद है. आज हम आपको बताएंगे सावन में शिवलिंग पर गेंहू चढ़ाना बहुत शुभ होता है. साथ ही, गेहूं से जुड़े उपाय करने से भी कई लाभ मिल सकते हैं.
सावन में शिवलिंग पर गेहूं क्यों चढ़ाना चाहिए?
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जहां भगवान विष्णु के निद्रा में जाने से भगवान शिवसृष्टि का संचालन करते हैं तो वहीं, बिना भगवान विष्णु के माता लक्ष्मी की शक्तियां भी क्षीण हो जाती हैं. ऐसे में माता पार्वती पर धान्य के साथ-साथ धन संचालन का भार भी आ जाता है.
शिवलिंग में समस्त शिव परिवार स्थापित है. ऐसे में अगर सावन के दौरान शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाया जाए तो इससे माता पार्वती की कृपा होती है और घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती है. साथ ही, संतान प्राप्ति के योग बनते हैं और संतान का भविष्य उज्जवल होता जाता है.
इसके अलावा, सावन में शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने के साथ ही अगर गेहूं का दान भी किया जाए तो इससे भी घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है. अगर अप सावन के दौरान बैल या गाय को गेहूं खिलाते हैं तो इससे ग्रह शांत बने रहते हैं और पारिवारिक सुख मिलता है.
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24 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत

  • हर बुरे संकट से मुक्ति दिलाते हैं विघ्नहरता
सावन भगवान शिव और माता पार्वती जी को समर्पित है. वहीं चतुर्थी तिथि पार्वती पुत्र भगवान गणेश जी को समर्पित है. भगवान गणेश जी की पूजा करने के लिए चतुर्थी तिथि का व्रत सबसे उत्तम माना जाता है. हिन्दू धर्म में सावन की गणेश चतुर्थी का बहुत अधिक महत्व होता है. इसे गजानन संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है.
किसी भी शुभ काम से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. गणपति बप्पा अपने भक्तों के सभी विघ्न हर लेते हैं, इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित होती है. इस दिन बप्पा की विधिवत पूजा की जाती है और उनके लिए निमित्त व्रत भी रखा जाता है. भगवान गणेश की पूजा के लिए चतुर्थी तिथि का व्रत सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत-
पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 जुलाई को सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर शुरू हो जाएगी. 25 जुलाई को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में 24 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा
संकष्टी चतुर्थी का महत्व-
संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट हरने वाली चतुर्थी. संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है, जिसका अर्थ है कठिन समय से मुक्ति पाना. दुखों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन गणपति जी की अराधना की जाती है. गणेश पुराण के अनुसार चतुर्थी तिथि के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना फलदायी होता है. इस दिन उपवास करने का और भी अधिक महत्व होता है. भगवान गणेश को समर्पित यह व्रत कठिनाइयों और बुरे समय से मुक्ति दिलाता है. कई जगहों पर इस चतुर्थी तिथि को संकट हारा कहते हैं तो कहीं इसे संकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
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भूतेश्वरनाथ में हजारों शिव भक्तों की उमड़ी भीड़

गरियाबंद। आज सोमवार के दिन से सावन का महीना शुरू हो चुका है। जगह-जगह शिवालयों में शिव भक्तों का सुबह से ही जमावड़ा लगा हुआ है। मंदिरों में भक्त भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर बोलबम के जयकारे लगा रहे हैं।
वहीं विश्व के विशालतम प्राकृतिक शिवलिंग भूतेश्वरनाथ में आज दिनभर कांवड़ियों तथा भगवान शिव के भक्तों का ताता लगा हुआ है। सुबह बाढ़ के चलते जो कांवड़ यात्री नहीं पहुंच पा रहे थे नाले में पानी कम होने के बाद वे भूतेश्वरनाथ पहुंच गए। इसके बाद दिनभर शिव भक्तों की भीड़ इस विशाल शिवलिंग पर जल चढ़कर मनोकामना मांगती नजर आई।
सावन के आज पहले सोमवार पर दूर-दूर से भक्त गरियाबंद के भूतेश्वर नाथ शिवलिंग के दर्शन के लिए पहुंचे। दोपहर 1:30 बजे तक लगभग 30000 श्रद्धालुओं ने भूतेश्वर महादेव पहुंचकर दर्शन किया, तो वहीं लगभग 1000 कांवड़ यात्री भी अपने क्षेत्र की नदियों का जल लेकर यहां पहुंचे है।
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भगवान शिव का रुद्राभिषेक कैसे किया जाता, जानिए...

रुद्राभिषेक का सीधा संबंध भगवान शिव से है और इसे रुद्र का अवतार भी माना जाता है। रुद्राभिषेक का अर्थ है रुद्र का पवित्रीकरण, इस प्रकार भगवान शिव का पवित्रीकरण। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य द्वारा किए गए पाप ही दुख का कारण बनते हैं। ऐसा माना जाता है कि किसी व्यक्ति की कुंडली में मौजूद पापों को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक करने से निश्चित लाभ प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, इस गतिविधि के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने निजी जीवन से जुड़े दुखों से आसानी से मुक्त हो सकता है। बुलना को बहुत मेहमाननवाज़ माना जाता है। विश्वासियों की भक्ति देखकर वह तुरंत उन्हें आशीर्वाद देते हैं और उनके दुःख दूर कर देते हैं।
अभिषेक जूस, अभिषेक शहद, अभिषेक दही, अभिषेक दूध, अभिषेक पंचामृत, अभिषेक घी।
शिव लिंग के रुद्राभिषेक के बाद, शिव लिंग पर चंदन का लेप लगाएं और पान, सुपारी, सुपारी, भोग और अन्य पूजा सामग्री चढ़ाएं। शिवलिंग के पास धूप और दीपक जलाएं। महाद मंत्र का 108 बार जाप करें और पूरे परिवार के साथ भगवान शिव की आरती करें। रुद्राभिषेक जल को एक पात्र में भरकर पूरे घर में बिखेर दें। इसलिए सभी को इस जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए।
रुद्राभिषेक करने का सबसे अच्छा तरीका है कि किसी शिव मंदिर में जाएं और वहां शिवलिंग पर अभिषेक करें।
किसी नदी या पहाड़ के किनारे स्थित शिव मंदिर में जाकर शिव लिंग का रुद्राभिषेक करना अत्यंत लाभकारी हो सकता है।
मंदिर के गर्भगृह में शिव लिंग का अभिषेक भी फलदायी रहेगा।
अगर आपके घर में शिवलिंग स्थापित है तो आप घर पर ही भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
वैकल्पिक रूप से, यदि आपको कोई शिवलिंग नहीं मिल रहा है, तो आप अपने अंगूठे को शिवलिंग मानकर उस अंगूठे पर भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं
यदि आप जल से रुद्राभिषेक बनाते हैं तो तांबे के पात्र का प्रयोग करें। रुद्राभिषेक के दौरान रुद्राष्टाध्याय मंत्र का जाप करना लाभकारी पाया गया है।
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सावन का पहला सोमवार व्रत, जानिए...पूजा की विधि

सनातन धर्म में श्रावण मास को बेहद ही खास बताया गया है जो कि शिव का प्रिय महीना होता है इस महीने भक्त भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं और पूजा पाठ करते हैं सावन माह में पड़ने वाला सोमवार अद्भुत माना जाता है सावन सोमवार के दिन उपवास रखते हुए भक्त विधि विधान के साथ शिव शंकर की पूजा और भक्ति करते हैं
माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है इस साल श्रावण मास का आरंभ 22 जुलाई दिन सोमवार से हो चुका है और इसका समापन 19 अगस्त को हो जाएगा। आज यानी 22 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है जो कि शिव पूजा को समर्पित है तो आज हम आपको शिव पूजा की विधि और पूजन सामग्री लिस्ट की जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
सावन सोमवार पूजा सामग्री लिस्ट-
सावन के पहले सोमवार की पूजा के लिए भगवान शिव की प्रतिमा, शिवलिंग की पूजा के लिए बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, गाय का दूध और गंगाजल। इसके बाद महादेव के वस्त्र, माता पार्वती के श्रृंगार का सामान, छोटी इलायची, मौली, रूई, जनेउ, चंदन, केसर, अक्षत, इत्र, वस्त्र, दही, चीनी, कपूर, धूप, दीपक, लौंग, रक्षा सूत्र, भस्म, शिव चालीसा, शिव आरती किताब, हवन सामग्री और दान का सामान भी शामिल करें।
शिव पूजा की सरल विधि-
सावन सोमवार के पहले दिन भगवान शिव की पूजा करना उत्तम माना जाता है। सावन सोमवार पर सुबह उठकर स्नान करें इसके बाद किसी शिव मंदिर में जाए या अपने घर पर ही उचित अनुष्ठानों के साथ रुद्राभिषेक पूजा करें। बिल्व पत्र, धतूरा, गंगा जल और दूध को शामिल कर पंचामृत तैयार करें और शिवलिंग का अभिषेक करें भगवान शिव को घी चीनी का भोग लगाना चाहिए। फिर प्रार्थना और आरती करें पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद सभी को बांट दें।
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श्रावण में 72 साल बाद दुर्लभ संयोग, इस शुभ मुहूर्त में करें शिव पूजा

सनातन धर्म में श्रावण मास को बेहद ही खास बताया गया है जो कि शिव का प्रिय महीना होता है इस महीने भक्त भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं और पूजा पाठ करते हैं सावन माह में पड़ने वाला सोमवार अद्भुत माना जाता है सावन सोमवार के दिन उपवास रखते हुए भक्त विधि विधान के साथ शिव शंकर की पूजा और भक्ति करते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है
इस साल श्रावण मास का आरंभ 22 जुलाई दिन सोमवार से हो चुका है और आज सावन का पहला सोमवार है इसका समापन 19 अगस्त को हो जाएगा। ऐसे में सावन के पहले सोमवार के दिन शिव भक्त शिवालय जाएं और वहां भगवान ​भोलेनाथ की विधिवत पूजा करें मान्यता है कि ऐसा करने से महादेव की कृपा बरसती है लेकिन शिव पूजा को हमेशा ही मुहूर्त में करना अच्छा माना जाता है इससे व्रत पूजा का पूर्ण फल मिलता है तो आज हम आपको शिव पूजा का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
शिव पूजा का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल श्रावण तिथि का आरंभ रविवार यानी की 21 जुलाई की दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर हो चुका है लेकिन उदया तिथि के अनुसार सावन के पहले सोमवार का व्रत 22 जुलाई यानी आज रखा जा रहा है। ऐसे में सावन के पहले सोमवार पर भगवान शिव का जलाभिषेक आप दोपहर 1 बजकर 11 मिनट से पहले ही कर लें। पूरे महीने सावन है ऐसे में शाम के समय भी भगवान शिव का जलाभिषेक भक्त कर सकते हैं और पूजा का फल प्राप्त कर सकते हैं।
सावन में शिव पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप-
- "ॐ नमः शिवाय"
- “ओम त्रयम्बकं यजामहे.”
सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमेव बंधनान्
मृत्योर्मुक्षेय माममृतात्”.
-''ओम तत्पुरुषाय विद्महे
महादेवाय दिमाही
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्''.
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गुरु पूर्णिमा पर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने संत युधिष्ठिर लाल से लिया आशीर्वाद

रायपुर। गुरु पूर्णिमा के अवसर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने शदाणी दरबार तीर्थ स्थल पहुंचकर संत युधिष्ठिर लाल से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष ललित जैसिंघ भी उपस्थित थे।
सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने X पोस्ट में लिखा- गुरू पूर्णिमा के अवसर पर अवसर पर शदाणी दरबार में श्री शदारामजी साहब का पूजन कर आशीर्वाद लिया साथ ही सिंधी समाज के धर्म गुरु पूज्य श्री युधिष्ठिर लाल जी महराज से मुलाकात की। सभी पर गुरुओं का आशीर्वाद बना रहे यही कामना है।
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सावन का पहला सोमवार, मंदिरों में लगी है भक्तों की कतार

  • सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
गाजियाबाद। श्रावण मास का पहला सोमवार आते ही भक्तों की लंबी-लंबी कतार मंदिरों के बाहर देखने को मिल रही है। गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर में सुबह 4 बजे से ही भक्तों ने लाइन लगाना शुरू कर दिया था।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच श्रद्धालु भोले शिव का जलाभिषेक कर रहे हैं। किसी तरीके की कोई अव्यवस्था न हो इसलिए पुलिस ने पहले से ही इसकी तैयारियां चाक चौबंद कर रखी थीं। इस वर्ष सावन का पवित्र महीना 22 जुलाई से 19 अगस्त तक रहेगा। सावन भगवान शिव और चंद्र देव का महीना माना जाता है। वैसे तो सावन का पूरा महीना ही शुभ है, लेकिन इसमें सोमवार का महत्व अधिक है। इस बार सावन की शुरुआत और समापन दोनों सोमवार के दिन हो रही है। इस बार सावन में सोमवार भी पांच आएंगे।
सावन की शुरुआत चंद्रमा के नक्षत्र 'श्रवण' में हो रही है। यानी इस बार सावन में शिवजी की कृपा ज्यादा मिलेगी और चन्द्रमा के कारण अधिक से अधिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। गाजियाबाद पुलिस की तरफ से रूट डायवर्जन प्लान पहले ही जारी कर दिया गया था। दूधेश्वर नाथ मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने के चलते पुलिस ने वहां पर बैरिकेडिंग कर वाहनों के आवागमन को पूरी तरीके से बंद कर रखा है और साथ ही साथ भक्तगण लाइन में आए इसके लिए बैरिकेडिंग के जरिए रास्ता बनाया गया है। साथ ही साथ पूरे इलाके में सीसीटीवी इंस्टॉल है। जिनके जरिए पुलिस कंट्रोल रूम से चप्पे चप्पे पर निगाह रखे हुए है।
आज से ही कांवड़ियों की आवाजाही काफी ज्यादा बढ़ जाएगी। जिसको देखते हुए सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं। हजारों की संख्या में कांवड़िए गंगा जी का जल लेने हरिद्वार जाते हैं और फिर वापस आकर अपने-अपने शिवालियों पर इस जल से शिवजी का जलाभिषेक करते हैं।
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श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा धाम कोसमनारा में दर्शन के लिए पहुंचे CM विष्णुदेव साय

  • प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय रविवार को रायगढ़ प्रवास के दौरान ग्राम कोसमनारा स्थित श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा धाम दर्शन के लिए पहुंचे। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव ने श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा और भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री ओ.पी चौधरी भी उपस्थित रहे।
कोसमनारा स्थित श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा धाम आस्था का केंद्र के रूप में विख्यात है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा सत्यनारायण और भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते है। बाबा सत्यनारायण पूरे दिन भोलेनाथ की तपस्या और ध्यान में लीन रहते है और आधी रात में केवल एक बार सामान्य अवस्था में आते हैं।  इस दौरान बाबा फल और दूध ग्रहण करते हैं तथा आश्रम में मौजूद भक्तों से मिलते हैं और उनकी समस्याएं सुनकर उसका समाधान इशारों में ही बता देते हैं। बाबा सन् 1998 से तपस्या में लीन है और 2003 में उन्हे 108  की उपाधि मिली, तब से बाबा धाम की प्रसिद्धि के साथ श्रद्धालुओ की संख्या बढ़ी है।
इस अवसर पर श्री गुरुपाल भल्ला, श्री महेश साहू, श्री विवेक रंजन सिन्हा, श्री ज्ञानू गौतम, श्री मनीष शर्मा, कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल, सीईओ जिला पंचायत श्री जितेंद्र यादव उपस्थित रहे।
गरजते बादल, तेज धूप और कड़कड़ाती ठंड के बीच तपस्या में लीन रहते है श्री सत्यनारायण बाबा-
रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम कोसमनारा में श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा वर्षा, ग्रीष्म एवं ठंड तीनों मौसम में खुले जगह पर ही लगातार भगवान भोलेनाथ की तपस्या में लीन रहते हैं। स्थानीय लोगों से प्राप्त जानकारी अनुसार सत्यनारायण बाबा लगभग 25 वर्ष से अधिक समय से खुले जगह पर विराजमान होकर तपस्या कर रहे हैं। लोगों ने बताया की बाबा जिस जगह पर तपस्या कर रहे हैं, पहले वह एक बंजर जगह थी। इस बंजर जमीन पर बाबा ने कुछ पत्थरों को इकट्ठा कर शिवलिंग का रूप देकर अपनी जीभ काटकर  समर्पित कर दी थी और उस समय से लगातार तपस्या में लीन हैं।
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शनिवार के दिन इस उपाय से मिलेगी सफलता का आशीर्वाद

हफ्ते का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित किया गया है वही शनिवार का दिन शनि महाराज की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है, इस दिन भक्त शनिदेव की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं
माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है लेकिन इसी के साथ ही अगर आज भक्ति भाव से शनि सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ किया जाए तो शनि की असीम कृपा बरसती है और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
श्री शनि सहस्रनाम स्तोत्र-
अस्य श्री शनैश्चर सहस्रनाम स्तोत्र महामन्त्रस्य ।
काश्यप ऋषिः । अनुष्टुप् छन्दः ।
शनैश्चरो देवता । शम् बीजम् ।
नम् शक्तिः । मम् कीलकम् ।
शनैश्चरप्रसादासिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
शनैश्चराय अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।
मन्दगतये तर्जनीभ्यां नमः ।
अधोक्षजाय मध्यमाभ्यां नमः ।
सौरये अनामिकाभ्यां नमः ।
शुष्कोदराय कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
छायात्मजाय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।
शनैश्चराय हृदयाय नमः ।
मन्दगतये शिरसे स्वाहा ।
अधोक्षजाय शिखायै वषट् ।
सौरये कवचाय हुम् ।
शुष्कोदराय नेत्रत्रयाय वौषट् ।
छायात्मजाय अस्त्राय फट् ।
भूर्भुवः सुवरोमिति दिग्बन्धः ।
ध्यानम् ।
चापासनो गृध्रधरस्तु नीलः
प्रत्यङ्मुखः काश्यप गोत्रजातः ।
सशूलचापेषु गदाधरोऽव्यात्
सौराष्ट्रदेशप्रभवश्च शौरिः ॥
नीलाम्बरो नीलवपुः किरीटी
गृध्रासनस्थो विकृताननश्च ।
केयूरहारादिविभूषिताङ्गः
सदाऽस्तु मे मन्दगतिः प्रसन्नः ॥
ॐ अमिताभाष्यघहरः अशेषदुरितापहः ।
अघोररूपोऽतिदीर्घकायोऽशेषभयानकः ॥ १॥
अनन्तो अन्नदाता चाश्वत्थमूलजपप्रियः ।
अतिसम्पत्प्रदोऽमोघः अन्यस्तुत्या प्रकोपितः ॥ २॥
अपराजितो अद्वितीयः अतितेजोऽभयप्रदः ।
अष्टमस्थोऽञ्जननिभः अखिलात्मार्कनन्दनः ॥ ३॥
अतिदारुण अक्षोभ्यः अप्सरोभिः प्रपूजितः ।
अभीष्टफलदोऽरिष्टमथनोऽमरपूजितः ॥ ४॥
अनुग्राह्यो अप्रमेय पराक्रम विभीषणः ।
असाध्ययोगो अखिल दोषघ्नः अपराकृतः ॥ ५॥
अप्रमेयोऽतिसुखदः अमराधिपपूजितः ।
अवलोकात् सर्वनाशः अश्वत्थाम द्विरायुधः ॥ ६॥
अपराधसहिष्णुश्च अश्वत्थाम सुपूजितः ।
अनन्तपुण्यफलदो अतृप्तोऽतिबलोऽपि च ॥ ७॥
अवलोकात् सर्ववन्द्यः अक्षीणकरुणानिधिः ।
अविद्यामूलनाशश्च अक्षय्यफलदायकः ॥ ८॥
आनन्दपरिपूर्णश्च आयुष्कारक एव च ।
आश्रितेष्टार्थवरदः आधिव्याधिहरोऽपि च ॥ ९॥
आनन्दमय आनन्दकरो आयुधधारकः ।
आत्मचक्राधिकारी च आत्मस्तुत्यपरायणः ॥ १०॥
आयुष्करो आनुपूर्व्यः आत्मायत्तजगत्त्रयः ।
आत्मनामजपप्रीतः आत्माधिकफलप्रदः ॥ ११॥
आदित्यसंभवो आर्तिभञ्जनो आत्मरक्षकः ।
आपद्बान्धव आनन्दरूपो आयुःप्रदोऽपि च ॥ १२॥
आकर्णपूर्णचापश्च आत्मोद्दिष्ट द्विजप्रदः ।
आनुकूल्यो आत्मरूप प्रतिमादान सुप्रियः ॥ १३॥
आत्मारामो आदिदेवो आपन्नार्ति विनाशनः ।
इन्दिरार्चितपादश्च इन्द्रभोगफलप्रदः ॥ १४॥
इन्द्रदेवस्वरूपश्च इष्टेष्टवरदायकः ।
इष्टापूर्तिप्रद इन्दुमतीष्टवरदायकः ॥ १५॥
इन्दिरारमणप्रीत इन्द्रवंशनृपार्चितः ।
इहामुत्रेष्टफलद इन्दिरारमणार्चितः ॥ १६॥
ईद्रिय ईश्वरप्रीत ईषणात्रयवर्जितः ।
उमास्वरूप उद्बोध्य उशना उत्सवप्रियः ॥ १७॥
उमादेव्यर्चनप्रीत उच्चस्थोच्चफलप्रदः ।
उरुप्रकाश उच्चस्थ योगद उरुपराक्रमः ॥ १८॥
ऊर्ध्वलोकादिसञ्चारी ऊर्ध्वलोकादिनायकः ।
ऊर्जस्वी ऊनपादश्च ऋकाराक्षरपूजितः ॥ १९॥
ऋषिप्रोक्त पुराणज्ञ ऋषिभिः परिपूजितः ।
ऋग्वेदवन्द्य ऋग्रूपी ऋजुमार्ग प्रवर्तकः ॥ २०॥
लुळितोद्धारको लूत भवपाशप्रभञ्जनः ।
लूकाररूपको लब्धधर्ममार्गप्रवर्तकः ॥ २१॥
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इस बार सावन में बन रहे कई शुभ योग

  • महादेव से मनचाहे परिणामों के लिए करें राशि के अनुसार ये उपाय...
22 जुलाई से सावन माह की शुरुआत हो रही है. हर साल की तरह इस साल भी कई शुभ योग से सावन की शुरुआत में बना रहे हैं. सावन के पहले दिन यानी सोमवार को प्रीति योग का संयोग बन रहा है. माना जाता है कि प्रीति योग भाग्य को बढ़ाने वाला होता है. ऐसे में महादेव की पूजा करने से मनचाहे परिणामों के मिलने की संभावना बनी रहती है. इसके अलावा इस दिन व्रत रखने का भी विधान है.
सावन सोमवार का ये व्रत सुहागिनों के लिए बेहद खास होता है. इस दिन शिव-पार्वती की एक साथ पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है. आप राशि के अनुसार भी उपाय कर सकते हैं. आइए इसके बारे में जान लेते हैं.
राशि अनुसार यह उपाय करें-
मेष राशि-
महादेव के प्रिय माह सावन में मेष राशि के जातक शाम के समय मुख्य दरवाजे पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इस दिए में दो काली गुंजा भी डाल दें. माना जाता है कि ऐसा करने से आर्थिक समस्याएं दूर हो सकती है. इसके अलावा महादेव को कच्चा दूध भी चढ़ाना चाहिए. इससे वह प्रसन्न होते है.
वृषभ राशि-
वृषभ राशि के लिए सावन माह बेहद खास है. इस दौरान आप रात के समय किसी नदी के पास जाकर घी का दीपक जलाएं. मान्यता है कि इससे शिव जी की कृपा बनी रहेगी.
मिथुन राशि-
मिथुन राशि के जातकों को इस दौरान घर या कार्यस्थल पर सफेद आंकड़े के श्वेतार्क गणपति की स्थापना करनी चाहिए. नियमित रूप से फिर उनके सामने दीपक जलाएं. माना जाता है कि ऐसा करने से धन संबंधी परेशानियां दूर हो सकती है.
कर्क राशि-
सावन माह में कर्क राशि वालों को त्रिकोण आकृति का झंडा लगाना चाहिए. कहते हैं कि इससे धन की हानि नहीं होती है.
सिंह राशि-
सिंह राशि के लिए सावन माह बेहद खास होता है. ऐसे में आप जल में दूध, दही, और शहद मिलाकर शिव जी का अभिषेक करें. इससे सुख-समृद्धि के मार्ग खुलते हैं.
कन्या राशि-
कन्या राशि के लोगों को एकाक्षी नारियल बांधकर अपने गल्ले और तिजोरी में रखना चाहिए.
तुला राशि-
तुला राशि के लोगों को सावन सोमवार के दिन स्फटिक श्री यंत्र का लॉकेट गले में धारण करना चाहिए.
वृश्चिक राशि-
सावन में वृश्चिक राशि के जातकों को चौदह मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करना चाहिए. माना जाता है कि इससे शिव जी की असीम कृपा बनी रहेगी.
धनु राशि-
धनु राशि के लोगों को सावन माह में महादेव की विधि अनुसार पूजा करनी चाहिए. साथ ही सोमवार के दिन केले का पेड़ अपने घर में लगाएं. इससे समस्याओं में राहत देखने को मिल सकती है.
मकर राशि-
इस दौरान मकर राशि वालों को घर में सफेद आंकड़ा लगाना चाहिए. साथ ही इसकी रोजाना पूजा करें.
कुंभ राशि-
कुंभ राशि के लोगों को भगवान शिव को रुद्राक्ष की माला और पार्वती जी को श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए. मान्यता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
मीन राशि-
सावन माह में मीन राशि के लोगों को घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए. इससे धन संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है.
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शनि की साढ़ेसाती चल रही है तो पहने काले घोड़े की नाल की अंगूठी

  • जानिए...किस उंगली में पहनना होता है शुभ
घोड़े की नाल और उस से बनी अंगूठी पहनने से कई तरह की परेशानियां दूर होती है.घोड़े की नाल से बनी अंगूठी या छल्ला हमेशा सीधे हाथ के बीच वाली उंगल यानि मध्यमा उंगली में ही पहनना चाहिए. क्योंकि इस उंगली में शनि का वास माना गया है. अगर आप इस उंगली में घोड़े की नाल से बना छल्ला धारण करते हैं तो आपके जीवन धन-दौलत व सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहेगी. काले घोड़े की नाल की अंगूठी पहनना बेहद फायदेमंद होता है. काले घोड़े के दाहिने पैर की पुरानी नाल हो तो वह कई गुना ज्यादा कारगर हो जाता है. काले घोड़े की नाल एक ऐसी वस्तु है जो शनि संबंधित किसी भी पीड़ा कष्ट अशुभ योग को दूर कर आपको आगे का रास्ता दिखाती है. काले घोड़े की नाल की अंगूठी उन लोगों को पहनना चाहिए जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है.
नाल की अंगूठी के फायदे- उन्होंने बताया कि घर में काली शक्ति या किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा है तो वास्तु के अनुसार घर में घोड़े की नाल भी टांगना शुभ होता है. जिन लोगों के घरों में धन की कमी है और लाभ चाहते हैं उन लोगों को काले घोड़े की नाल को काले कपड़े में लपेटकर अपने तिजोरी में रखने चाहिए. इससे कि धन की कमी नहीं होगी.
घर का क्लेश होगा दूर- घोड़े की नाल घर में क्लेश होना, आर्थिक उन्नति नहीं होना, लड़ाई झगड़े होते रहना से छुटकारा दिलाता है. इसमें भी काले घोड़े के नाल का बहुत बड़ा योगदान है. घर के अपने मुख्य द्वार पर यू अक्षर का आकर बनवाकर लगा दें. कुछ दिनों के बाद आपको परिणाम अच्छा दिखने लगेगा.
अंगूठी बनाने के नियम- घोड़े की नाल से अंगूठी बनाने का नियम भी है. काले घोड़े के दाहिने पैर नाल होना चाहिए और शनिवार को अगर मिल जाए तो यह बेहद लाभकारी होता है. अंगूठी तैयार करवाते समय इस बात को ध्यान रखना चाहिए कि इसे आग में गर्म ना करें. हमेशा ठंडा रख करके ही अंगूठी का आकार बनवाएं.
अंगूठी किस उंगली में पहनें- अंगूठी शनिवार के दिन ही पहनना चाहिए. दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में पहननी चाहिए. ग्रह दोष निवारण के लिए जिस तरह से नवरत्न मोती काम करती है ठीक उसी प्रकार यह घोड़े की नाल की अंगूठी भी लोगों को तरक्की और कई बाधा से मुक्त कराता है.
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इन 10 प्रसिद्ध देवी मंदिरों के जरूर करें दर्शन जरूर...

  • दर्शन मात्र से पूरी होगी मनोकामना जाने पौराणिक कथा
हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 4 बार नवरात्रि आती है। इसमें पहली नवरात्रि चैत्र की नवरात्रि होती है। उसी दिन से हिन्दू नववर्ष प्रारम्भ होता है। इस नवरात्रि आपको देवी मां के इन 10 प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन जरूर करने चाहिए।
कालकाजी मंदिर-
इस नवरात्रि आप अपने परिवार के साथ कालकाजी मंदिर जा सकते हैं। माँ काली का यह प्रसिद्ध मंदिर दिल्ली में है। नवरात्रि के दौरान दिल्ली के कोने-कोने से भक्त इस मंदिर में आते हैं। यह मंदिर 3 हजार साल पुराना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मंदिर महाभारत काल से यहां मौजूद है। इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
झंडेवालान मंदिर-
इस नवरात्रि आप अपने परिवार के साथ दिल्ली स्थित झंडेवालान मंदिर जा सकते हैं। करोल बाग में एक प्राचीन मंदिर है। यह सिद्धपीठ मंदिर 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है। नवरात्रि पर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
वैष्णो देवी मंदिर-
इस नवरात्रि आप अपने परिवार के साथ मां वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से 15 हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर त्रिकुट पहाड़ियों में स्थित है। वैष्णो देवी मंदिर जम्मू-कश्मीर के कटरा में स्थित है। नवरात्रि पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आते हैं।
कामाख्या मंदिर-
कामाख्या मंदिर असम में नीलाचल पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। आप नवरात्रि पर इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। देश के कोने-कोने से भक्त यहां मां की पूजा और दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है।
नैना देवी-
नैना देवी मंदिर उत्तराखंड के मल्लीताल की सुरम्य घाटियों में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि एक समय में यहां अत्रि, पुलस्त्य और पुलह ऋषियों का एक सामान्य स्थान था। नवरात्रि के शुभ अवसर पर दूर-दूर से श्रद्धालु नैना देवी मंदिर में आते हैं और मां की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
ज्वाला देवी-
ज्वाला देवी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित है। यह मां का सिद्ध पीठ मंदिर है और देशभर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। ज्वालादेवी में देवी सती की जीभ गिरी थी और इस स्थान पर अनादि काल से धरती के भीतर से अनेक अग्नियाँ निकल रही हैं। यह अग्नि कभी शांत नहीं होती. इस नवरात्रि आप परिवार के साथ मां के दर्शन कर सकते हैं.
मनसा देवी-
मनसादेवी मंदिर हरिद्वार की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। यह मां का सिद्ध और चमत्कारी मंदिर है। नवरात्रि पर आप अपने परिवार के साथ मनसा देवी मंदिर जा सकते हैं। यहां नवरात्रि पर विशेष पूजा-अर्चना होती है और दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
कालीपीठ-
कोलकाता के कालीघाट में देवी काली का प्रसिद्ध मंदिर है। रामकृष्ण परहंस इन्हीं काली की पूजा करते थे। इस मंदिर में नवरात्रि पर दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं। इस नवरात्रि आप भी परिवार के साथ इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।
चामुण्डा देवी-
इस नवरात्रि आप चामुंडा देवी के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में है। चामुंडा मंदिर बहुत प्रसिद्ध है।
तारा देवी मंदिर-
इस नवरात्रि आप तारा देवी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थित है। तारा देवी मंदिर 250 साल पुराना है।
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आज राशि परिवर्तन करेंगे बुध, इन 5 राशि के जातकों की किस्मत का खुलेगा ताला

ज्योतिष में बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा गया है। बुध सूर्य के सबसे निकट ग्रह है। बुध की चाल का अलग-अलग राशि के जातकों पर भाव के अनुसार असर पड़ता है। कुछ राशि के जातकों को सकारात्मक परिणाम मिलते हैं, तो कुछ को नकारात्मक परिणाम भी भुगतना पड़ते हैं।
बुध के राशि परिवर्तन का भी जातकों की कुंडली पर अलग-अलग असर होता है। वर्तमान में बुध कर्क राशि में विराजित हैं और वे शनिवार को सिंह राशि में गोचर करेंगे।
कब होगा राशि परिवर्तन-
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, बुध आज रात 8 बजकर 39 मिनट पर कर्क सिंह राशि में परिवर्तन करेंगे और 5 अगस्त तक इसी राशि में रहेंगे। इसके बाद बुध वर्की होंगे और 22 अगस्त को सिंह से कन्या राशि में गोचर करेंगे।
इस राशि के जातकों को मिलेगा लाभ-
मिथुन- मिथुन राशि का स्वामी बुध ग्रह को माना गया है। इस राशि के जातकों को बुध गोचर से व्यापार में सफलता मिलेगी। साथ ही वे अपनी बुद्धिमत्ता से हर कार्य में सफलता प्राप्त करेंगे।
कर्क- बुध गोचर से कर्क राशि के जातकों को काफी फायदा होगा। कर्क राशि के जातकों को कारोबार में सफलता मिलेगी। निवेश में लाभ के योग भी बना रहे हैं।
कन्या- कारोबार से जुड़े कन्या राशि के जातकों के लिए व्यापार विस्तार के लिए अनुकूल समय है।
तुला- बुध के राशि परिवर्तन से तुला राशि के जातकों को करियर और व्यापार के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। निवेश में भी लाभ हो सकता है।
वृश्चिक- वृश्चिक राशि के जातकों को करियर में सफलता मिल सकती है। नौकरीपेशा लोगों के प्रमोशन के योग हैं। व्यापार में भी फायदा होगा।

डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के नाम पर नहीं बनेगा मंदिर या ट्रस्ट

  • उत्तराखंड सरकार का अहम फैसला
उत्तराखंड केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर बनाने को लेकर उठे विवाद के बीच उत्तराखंड सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. सीएम के सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि बीते गुरुवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक की बैठक हुई है. इसमें निर्णय लिया गया है कि उत्तराखंड के चारधाम और अन्य प्रमुख मंदिरों के नाम पर कोई ट्रस्ट, मंदिर या समिति नहीं बनेगी. इसके लिए सरकार सख्त कानून लाने का प्रावधान करेगी.
अगर कोई भी केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के नाम से मिलते-जुलते मंदिर बनाएगा, तो सरकार उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करेगी. राज्य सरकार के इस फैसले के पीछे न सिर्फ जन विरोध है बल्कि आने वाले 2 महीने में राज्य में होने वाले निकाय और केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव भी है. जिसमें राज्य सरकार को बड़ा नुकसान हो सकता है. यही वजह है कि राजनीतिक तौर पर हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए उत्तराखंड कैबिनेट में यह निर्णय लिया गया है.
कैबिनेट ने क्यों लिया ये फैसला-
अब ऐसे में इन सब विरोधों और जन भावनाओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट बैठक में महत्वपूर्ण फैसला लिया गया. जिसमें किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और उत्तराखंड के प्रमुख मंदिर के नाम से ना तो कोई ट्रस्ट बनाया जाएगा और ना ही कोई मंदिर बनाया जाएगा. इसको लेकर उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट ने कड़े कानून बनाने का प्रस्ताव पास किया है.
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जया पार्वती व्रत आज, कुंवारी कन्याए व्रत

  • मनचाहा जीवनसाथी की होगी प्राप्ति
हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन जया पार्वती व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि आषाढ़ माह में आता है इस दिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं उपवास रखते हुए माता पार्वती और भगवान शिव की विधिवत पूजा करती है माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है
हिंदू पंचांग के अनुसार जया पार्वती व्रत हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है इस बार यह व्रत 19 जुलाई दिन शुक्रवार यानी की आज मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस व्रत को अगर विधिवत किया जाए साथ ही नियमों का पालन किया जाए तो सभी बाधाओं का नाश हो जाता है साथ ही महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है इसके अलावा अगर कुंवारी कन्याएं जया पार्वती व्रत करती है तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा जया पार्वती व्रत से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जया पार्वती व्रत की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार जया पार्वती व्रत 19 जुलाई दिन शुक्रवार यानी की आज मनाया जा रहा है। इस दिन रवि योग सुबह 5 बजकर 35 मिनट से लेकर 11 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही अमृत काल रात्रि 8 बजकर 39 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।
वही विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इन शुभ योगों में माता पार्वती और भगवान शिव की एक साथ पूजा करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
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भूलकर भी न करे ये काम...घर में होता है वास्तु दोष

इस संसार में ऐसा कौन सा मनुष्य होगा जो यह सोचता है कि मेरे घर में सुख शांति ना रहे ! मैं गरीबी में जीवन यापन करूं ! मुझे धन की समस्या रहे! मेरे पारिवारिक कलह हमेशा होता रहे।जी हां, ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं सोचता लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब आप घर बनाते हैं और आपके घर बनाते समय आपके घर में कुछ ऐसे वास्तुदोष हो जाते हैं जिन वास्तु दोषों के कारण आपके घर की सुख शांति हमेशा के लिए आपसे छीन जाती है। वास्तु शास्त्र में ऐसी Negative Energies के बारे में बताया गया है जो आपके जीवन में प्रवेश करती हैं तो लाख कोशिशों के बावजूद जीवन में धन सुख-समृद्धि और पारिवारिक सुख नहीं आता है। आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे वास्तु दोष के बारे में बताने वाले हैं जिनका जितना जल्दी हो सके आपको उपाय कर लेना चाहिए।
ये गलती भूलकर भी ना करें-
- अक्सर कई घरों में देखा जाता है कि सीढ़ियों के नीचे ही रसोई घर का निर्माण कर लेते हैं। इसके अलावा यह भी अनुभव में आता है कि सीढ़ी के ठीक नीचे वह कचरा जमा करने लगते हैं यह एक और वास्तु दोष है। भूल कर भी आप यह ना करें और आप अगर यह कर रहे हैं तो आज ही बंद कर दें।
- जब लोग घर बनाते हैं तो ईशान कोण यानी कि उत्तर-पूर्व के कोने को ऊंचा उठा देते हैं। यह कोना ईश्वर सेवा यानी कि देवताओं के सेवा का कोना है। इस कोने को बिल्कुल भी ऊंचा नहीं उठाना चाहिए और ईशान कोण में कोई भी भारी चीज नहीं रखनी चाहिए।
बेडरूम में शीशा, जीवन में असामंजस्य-
आजकल यह देखा जाता है कि वैवाहिक जीवन में बहुत तनाव है, पति-पत्नी की आपस में नहीं बनती, तलाक की नौबत आ जाती है, दोनों के बीच सामंजस्य नहीं बैठ पाता तो इसके पीछे भी वास्तु दोष होता है। किसी भी पति-पत्नी को भूल कर भी अपने बेडरूम में शीशा नहीं लगाना चाहिए। अगर आपके बेडरूम में शीशा है तो जाहिर सी बात है कि राहु का दोष उत्पन्न होगा और आपके जीवन में सामंजस्य नहीं रहेगा।
अगर अपके घर में है कहीं लीकेज, तो धन की होगी हानि-
अक्सर कई लोगों को यह कहते सुना जाता है कि उनका तो धन रुकता ही नहीं है। वह खूब पैसा कमाते हैं लेकिन उनकी बचत नहीं होती। वह बचत करने की कोशिश करते हैं तो कोई न कोई ऐसी समस्या आकर खड़ी हो जाती है जिससे उनका धन नष्ट हो जाता है। इसके पीछे का कारण क्या है ? आपका चंद्रमा दूषित होना ! वास्तु दोष में चंद्रमा को जल का कारक माना गया है यानी कि आपके घर में, आपके स्नानघर में, आपकी छत पर, कहीं भी अगर कोई लीकेज है और वहां से पानी टपकता है तो आपको तुरंत आज ही उसे सही करवाना है अन्यथा आपके धन की हानि इसी प्रकार होती रहेगी।
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इन चार राशि के जातकों पर भगवान शिव की कृपा

सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है. यह महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस माह भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। उनके सम्मान में सोमवार को व्रत भी रखा जाता है। व्रत के इस पुण्य से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही आपके जीवन में खुशियां भी आएंगी। ज्योतिषियों के अनुसार चार राशि के जातकों पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। उसके लिए धन्यवाद, वह हर चीज में सफल होता है। साथ ही, समय के साथ आपकी स्थिति और विश्वसनीयता में वृद्धि होगी। अब इन चार राशियों के बारे में बताएं। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है और आदिशक्ति ब्रह्मांड की प्रिय देवी माँ दुर्गा हैं। इस राशि का शुभ रंग सफेद है। भगवान शिव को सफेद रंग भी पसंद है. यही कारण है कि ज्योतिषी सफेद कपड़े पहनने और भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं। आपका शुभ अंक 2 और 7 है इसलिए आप 2 और 7 तारीख को शुभ कार्य कर सकते हैं। हालाँकि, शुभ दिन शुक्रवार, बुधवार और शनिवार हैं। इस राशि पर मां दुर्गा की विशेष कृपा रहती है। उनके लिए धन्यवाद, वृषभ राशि के लोग सभी प्रकार की खुशियों का अनुभव करते हैं। शुक्र ज्योतिष शास्त्र में भी प्रभावशाली रहता है। इस वर्ष बृहस्पति वृषभ राशि में है। इसलिए वृषभ राशि वालों के लिए सावन महीना बहुत अच्छा रहेगा। वृषभ राशि वालों को दूध, दही और घी से अभिषेक करना चाहिए।
तुला राशि का स्वामी भी शुक्र है और उसकी सुन्दर माता दुर्गा है। इस राशि के लोगों के लिए शुभ रंग सफेद है। वैसे शुभ अंक 2 और 7 हैं। अगर आपको आभूषण पहनना पसंद है तो आप हीरा या पन्ना चुन सकते हैं। हालाँकि, सूर्य ग्रहण देखने का निर्णय लेने से पहले, अपने स्थानीय ज्योतिषी से परामर्श लें। मंगल इस समय वृषभ राशि में है। इस राशि में मंगल के होने से तुला राशि वालों को विशेष लाभ होता है। इस राशि के जातक सरवन को करियर और बिजनेस में बहुत अच्छी किस्मत मिलेगी। कप्तान काल में तुला राशि के जातक अपने करियर में बड़ी सफलता हासिल करेंगे। तुला राशि के जातकों को सावन के महीने में भगवान शिव को पंचामृत अर्पित करना चाहिए।
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