धर्म समाज

पूजा-पाठ के दौरान गंगाजल का उपयोग क्यों किया जाता है ?

सनातन धर्म में प्रतिदिन देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन इससे पहले मंदिर और घर की साफ-सफाई की जाती है। साथ ही गंगाजल का शुद्धिकरण किया जाता है। मान्य है कि ऐसा करने से घर में उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का उत्प्रेरक होता है। जानते हैं आखिर क्यों गंगाजल को इतना पवित्र माना गया है? सनातन धर्म में गंगा नदी को मां गंगा का स्वरूप माना गया है। इसी कारण से इसके जल को मां गंगा का आशीर्वाद माना जाता है। इसे अति पवित्र माना जाता है। यह मान्य है कि गंगाजल से स्नान करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इनके अमृत के समान माना गया है। इनमें सभी कारणों से पूजा-पाठ और घर की शुद्धि के लिए गंगाजल का प्रयोग किया जाता है। अगर घर में क्लेश की समस्या रहती है, तो ऐसे में पूजा के बाद घर में गंगाजल छिड़कें। प्रचलित है कि ऐसा करने से गृह क्लेश की समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही घर में से नकारात्मकता दूर होती है। गंगाजल को शुद्ध माना जाता है। अपने घरों में एक मानक या पीतल के लोटे रखने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि गंगाजल को किसी जल में डाला जाता है, तो उस पानी को गंगाजल के समान माना जाता है। इसको पीने से कई रोग दूर होते हैं।
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आषाढ़ माह में कब है अमावस्या? जानें शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में आषाढ़ अमावस्या तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन अधिक संख्या में श्रद्धालु गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इसके बाद सूर्य देव भगवान विष्णु एवं शिव जी की पूजा की जाती है। ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। हर महीने अमावस्या का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान करने का अधिक महत्व है। हिंदू नववर्ष के चौथे महीने में आषाढ़ अमावस्या मनाई जाती है। इस वर्ष आषाढ़ अमावस्या 05 जुलाई को पड़ रही है। इस अवसर पर पितृ तर्पण और पितरों की पूजा करने का विधान है। साथ ही भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 05 जुलाई 2024 को प्रातः 04 बजकर 57 मिनट पर प्रारंभ होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 06 जुलाई को 04 बजकर 26 मिनट पर होगा। ऐसे में आषाढ़ अमावस्या का पर्व 05 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा। अमावस्या का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है। इस दिन सुबह उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवताओं के ध्यान से करें और गंगा स्नान करना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो, तो घर में भगवान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। भगवान विष्णु की सच्चे मन से उपासना करें। अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करें। साथ ही उनकी आत्मा की शांति के लिए व्रत करें। शुभ फल की प्राप्ति के लिए श्रद्धा के अनुसार गरीब लोगों में अन्न, धन और वस्त्र का दान करें। हिंदू धर्म में किसी भी त्योहार और व्रत के दौरान दान करने का विशेष महत्व है। ऐसे में आषाढ़ अमावस्या के अवसर पर लोगों में वस्त्र दान करें। माना जाता है कि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं। आषाढ़ अमावस्या पर भूमि दान भी कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भूमि का दान करने से जातक को पितृ देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
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आज का राशिफल, जानिए...क्या कहते हैं आपके सितारे

12 राशियों में से हर व्यक्ति की अलग राशि होती है, जिसकी मदद से व्यक्ति यह जान सकता है कि उसका आज का दिन कैसा होगा? ज्योतिष में ग्रहों की चाल से शुभ और अशुभ घड़ियां बनती हैं, जो हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं। 
मेष राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि मेष राशि के जातकों को आज बेहद ही संभलकर रहने की जरूरत है। आपको अपने करीबी दोस्तों से धोखा भी मिल सकता है। आर्थिक योजाओं के लिए भी फिलहाल, समय अनुकूल नहीं है। इसलिए धन संबंधित फैसला आज न ही ले तो अच्छा है।
वृषभ राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि वृषभ राशि के जातकों को आज अपने दोस्तों से सावधान रहना होगा। क्योंकि, इस समय में दोस्त भी दुश्मन में बदल सकते हैं। आज मानसिक द्वंद्व के कारण आपकी निर्णय क्षमता प्रभावित होगी।
मिथुन राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि मिथुन राशि के व्यापारियों और उद्यमीयो के लिए चुनौतीपूर्ण होने वाला है। व्यावसायिक विकास के लिए खर्च किया गया धन भविष्य में अच्छे परिणाम देगा।
कर्क राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि कर्क राशि के जातक आज व्यापार में नई योजनाओं का शुभारंभ कर सकते हैं। आर्थिक मामलों में यह समय बहुत ही अच्छा रहने वाला है। इस अवधि के दौरान आर्थिक लाभ की उम्मीद कर सकते हैं।
सिंह राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि सिंह राशि के जातक इस अवधि के दौरान भागीदारी और सहयोग के कार्य अच्छी तरह से करेंगे। नौकरीपेशा जातकों के लिए दिन सफलता दिलाने वाला रहेगा। आज कार्यक्षेत्र में जो भी प्रयासस करेंगे वह सभी फलीभूत होंगे।
कन्या राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि कन्या राशि के जातकों को आज गर्मी के कारण कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। संक्रमण से बचाव के लिए समय पर दवा का सेवन करें, किसी बात को लेकर पिता से मनमुटाव हो सकता है।
तुला राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि तुला राशि के जातकों के लिए आज मेहनत का पूरा फल मिलेगा। आज आपके लिए तरक्की की नई राहें खुल सकती हैं। आपका कुछ धन स्वास्थ्य और दवा पर खर्च हो सकता है, सामाजिक कार्यों से सुयश मिलेगा।
वृश्चिक राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि वृश्चिक राशि के जातकों को विदेश और किसी दूर स्थान पर रुके हुए धन की प्राप्ति हो सकती है। आज आर्थिक निवेश करना बहुत ही लाभदायक होने वाला है। आज आपकी धार्मिक आस्था बढ़ेगी।
धनु राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि धनु राशि के लोगों के लिए आज का दिन समय पैसों के संबंध में उतार चढ़ाव वाला और अप्रत्याशित रूप लिए साबित हो सकता है, आपके रास्ते में कुछ व्यवधान आएंगे, लेकिन आप उनसे पार पा लेंगे।
मकर राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि मकर राशि के जातकों को आज कोई अच्छी खबर सुनने को मिल सकती है। अपनी बुद्धिमानी से स्थिति को मजबूत बनाने में सफल रहेंगे। आज आपकी संतान उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर होगी।
कुंभ राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि कुंभ राशि के जातकों को आज बदलते मौसम के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। आज किसी बात को लेकर आपकी अपने माता पिता से अनबन होने की भी संभावना हैं। आपको सलाह है कि अनावश्यक क्रोध न करें। मानसिक दृढ़ता से निर्णय लेकर काम करें।
मीन राशि-
टैरो कार्ड्स की गणना बता रही है कि मीन राशि के जातकों को आज सोच समझकर बोलने की जरूरत है साथ ही इस बात का भी ख्याल रखें की आपकी वाणी से कोई आहत हो। यदि आप अपने शब्दों पर नियंत्रण नहीं रखेंगे तो आप अच्छे अवसर खो सकते हैं।
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जुलाई माह में पड़ेंगे ये प्रमुख व्रत और त्योहार जानिए पूरी लिस्ट

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और पर्वों का खास महत्व है। तीज त्योहार इसके महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक हैं। ऐसे में जब जुलाई का महीना शुरू होने वाला है, तो इस माह आने वाले सभी व्रत और त्योहार की तिथि जान लेते हैं, ताकि उनकी तैयारी पहले से की जा सके। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, जुलाई इस साल का चौथा माह है, जिसे आषाढ़ मास के नाम से जाना जाता है।
इस दौरान कई सारे पर्व जैसे- पूरी जगन्नाथ रथ यात्रा, गुप्त नवरात्रि, प्रदोष व्रत, सावन सोमवार और कामिका एकादशी पड़ेगी, तो आइए इसकी सही तिथि के बारे में जानते हैं-
जुलाई माह के व्रत और त्योहारों की पूरी लिस्ट-
02 जुलाई , 2024 दिन मंगलवार, योगिनी एकादशी
03 जुलाई, 2024 दिन बुधवार, रोहिणी व्रत
05 जुलाई, 2024 दिन शुक्रवार, अमावस्या
06 जुलाई, 2024 दिन शनिवार, गुप्त नवरात्र प्रारंभ
07 जुलाई, 2024 दिन रविवार , पूरी जगन्नाथ रथ यात्रा , चंद्र दर्शन
09 जुलाई, 2024 दिन मंगलवार, वरद चतुर्थी
11 जुलाई, 2024 दिन मंगलवार , कौमार षष्ठी
14 जुलाई, 2024 दिन रविवार , दुर्गाष्टमी व्रत
16 जुलाई, 2024 दिन मंगलवार , कर्क संक्रांति
17 जुलाई, 2024 दिन बुधवार , आषाढ़ी एकादशी , आशुरा के दिन, देवश्‍यानी एकादशी
19 जुलाई, 2024 दिन शु्क्रवार, जाया पार्वती व्रत प्रारंभ , प्रदोष व्रत
21 जुलाई, 2024 दिन रविवार , गुरु पूर्णिमा
22 जूलाई, 2024 दिन सोमवार , कांवड़ यात्रा
24 जुलाई, 2024 दिन बुधवार , जाया पार्वती व्रत समाप्त
28 जुलाई, 2024 दिन रविवार, कालाष्टमी
31 जुलाई, 2024 दिन बुधवार, कामिका एकादशी
आषाढ़ माह में इन बातों का रखें ध्यान-
इस दौरान भगवान शिव और श्री हरि की पूजा का विधान है। इसलिए उनके वैदिक मंत्रों Vedic Mantrasका जाप करें। तामसिक चीजों से दूर रहें। सूर्योदय से पहले उठें। जरूरतमंद लोगों की मदद करें। धार्मिक कार्यों से जुड़े रहें। इसके साथ किसी व्यक्ति के साथ गलत व्यवहार करने से बचें।
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घर में लगाएं ये 4 पौधे, बनी रहती है मां लक्ष्मी की कृपा

घर की सजावट आदि के लिए कई पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। वास्तु शास्त्र में ऐसे कई पौधे बताए गए हैं, जिन्हें घर में रखने से सुख-शांति का माहौल बना रहता है। साथ ही इन पेड़-पौधों को घर में रखने से साधक पर मां लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है। चलिए जानते हैं वह पेड़-पौधे कौन-से हैं।
तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि तुलसी का पौधा घर में रखने और नियमित रूप से उसकी पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा पूरे परिवार पर बनी रहती है। इसके साथ ही वास्तु में भी इस पौधे को विशेष महत्व दिया गया है। वास्तु नियमों के अनुसार, तुलसी को घर की उत्तर या फिर उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए।
बनते हैं तरक्की के योग-
बैम्बू प्लांट को भी शुभ पौधों में से एक माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस पौधे को घर के लॉन या बरामदे में लगाना ज्यादा शुभ माना जाता है। इसके साथ ही बांस को आप पूर्व दिशा में भी लगा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि जैसे-जैसे यह पौधा बढ़ता है, उसी प्रकार व्यक्ति के जीवन में भी तरक्की आती रहती है। साथ ही इस पौधे से
प्रसन्न होती हैं मां लक्ष्मी-
सफेद पलाश का पौधा भी बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह फूल मां लक्ष्मी को अर्पित करने से वह प्रसन्न होती हैं। वास्तु शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार इस पौधे को घर में लगाने से घर के सदस्यों की सेहत में लाभ देखने को मिलता है। सफेद पलाश को लगाने के लिए हमेशा बड़े गमले का इस्तेमाल करना चाहिए।
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इन राशियों को व्यापार में होगा लाभ, सुख-समृद्धि में होगी वृद्धि

  • जानिए...आज का राशिफल
इंदौर। पंडित हर्षित शर्मा जी के अनुसार, 20 जून (गुरुवार) का दिन सभी राशियों के जीवन में अच्छा नहीं रहेगा। राशिफल के अनुसार, कुछ राशिवालों के व्यापार में हानि को सकती है। वहीं, कुछ राशि के जातकों को दुखद समाचार सुनने को मिल सकता है। आइए जानते हैं आज का दिन 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा।
मेष राशि-
आज का दिन परेशानियों में बीतेगा। किसी काम को लेकर परेशान रहेंगे। व्यापार में नुकसान उठाना पड़ सकता है। बिजनस पार्टनर से अलर्ट रहें। कोई दुखद समाचार प्राप्त हो सकता है।
वृषभ राशि-
व्यापार में लाभ के योग आज बनेंगे। कोई साझेदारी होने से बिजनेस में फायदा मिलेगा। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। पैतृक संपत्ति मिल सकती है।
मिथुन राशि-
आज संभल कर रहें। शत्रु षड्यंत्र की कोशिश कर सकते हैं। ऑफिस में अधिकारी वर्ग से बेवजह का विवाद हो सकता है। बच्चों के स्वास्थ्य में गिरावट हो सकती है।
कर्क राशि-
किसी बड़े काम की प्लानिंग बना सकते हैं। बिजनेस में बड़ी डील फाइनल हो सकती है। कार्यक्षेत्र में कामयाबी मिलेगी और दुश्मन परास्त होंगे। परिवारिक विवाद खत्म होगा।
सिंह राशि-
आज स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। कार्यक्षेत्र में सहयोगी वर्ग से विरोध का सामना करना पड़ सतता है। माता-पिता और जीवनसाथी से विवाद हो सकता है। आज के दिन संतोष बनाए रखें।
कन्या राशि-
किसी काम का दायित्व मिल सकता है। हालांकि शत्रु काम को बिगाड़ने का प्रयत्न करेंगे। कार्यक्षेत्र में बड़ा सहयोग प्राप्त होगा। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और आय के स्त्रोत बनेंगे।
तुला राशि-
किसी नए काम की शुरुआत करने के लिए अच्छा दिन है। व्यापार में आर्थिक मदद परिजनों से प्राप्त होगी। रुका हुआ काम फिर से आरंभ होगा। घर में मांगलिक कार्य के योग बनेंगे।
वृश्चिक राशि-
किसी नए काम की नींव रखी जा सकती है। कोई बड़ा ऑफर कार्यक्षेत्र में मिल सकता है। कई दिनों से चली आ रही आर्थिक संकट से छुटकारा मिलेगा। धार्मिक यात्रा पर जाने के योग बनेंगे।
धनु राशि-
आज का दिन तकलीफों से भरा रहेगा। पार्टनर के साथ मतभेद बढ़ सकता है। पारिवारिक तौर पर परेशानी भरा दिन बीतेगा। व्यापार को लेकर कोई बड़ा निर्णय न लें। अपनी निजी बातें किसी से साझा न करें।
मकर राशि-
आज का दिन उत्तम रहेगा। रुका हुआ धन वापस मिल सकता है। किसी बड़ी प्रॉपर्टी की डील फाइनल हो सकती है, जो भविष्य के लिए लाभकारी रहेगी। परिवार में सामंजस्य की कमी रहेगी। किसी के साथ मजाक ना करें तो बेहतर होगा।
कुंभ राशि-
किसी काम के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है। जिस कार्य के लिए जा रहे हैं। उसमें अड़चनों का सामना भी करना पड़ सकता है। पुराना विवादों का निपटारा होगा।
मीन राशि-
आज का दिन अत्यावश्यक रहेगा। कोई विवाद सुझलाने में कामयाबी हासिल होगी। भविष्य के लिए कोई बड़ी पूंजी जमा कर सकते हैं। आज किसी को पैसे उधार ने दें। पार्टनर के घरवालों की चुगली करना भारी पड़ सकता है।

डिसक्लेमर
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एक साल बाद बन रहा है अंगारकी चतुर्थी का योग

  • मंगल दोष से पीड़ित जरूर करें यह उपाय...
इस साल अंगारकी चतुर्थी 25 जून, मंगलवार को मनाई जाएगी. इस व्रत को रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, और ऋण से मुक्ति मिलती है. इस  दिन भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं,चतुर्थी तिथि का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है. मंगलवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है. अंगारकी चतुर्थी व्रत करने से मंगल दोष का प्रभाव समाप्त होता है.
अंगारकी चतुर्थी  पर करें ये उपाय-
अंगारकी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं.साथ ही मंगल दोष का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है.
भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए अंगारकी चतुर्थी पर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें.इस समय भगवान गणेश को दूर्वा, मोदक, लड्डू, पान के पत्ते आदि चीजें अर्पित करें.
मंगल दोष से निजात पाने के लिए अंगारकी चतुर्थी पर भगवान गणेश को कुमकुम अर्पित करें. भगवान गणेश को सिंदूर अर्पित करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
मंगल दोष को दूर करने के लिए अंगारकी चतुर्थी तिथि पर मसूर दाल, साबुत मूंग, शहद, हरे रंग का वस्त्र, हरी सब्जियां आदि चीजों का दान करें.इस उपाय को करने से भी भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं.
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सुहागिन महिलाओं के लिए वट पूर्णिमा बेहद खास

  • निर्जला व्रत से टलता है पति पर अकाल मृत्यु का खतरा
  • इस कथा के बिना अधूरा माना जाता है वट पूर्णिमा व्रत
सनातन धर्म में वट पूर्णिमा बेहद खास मानी गई है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और विधि विधान से बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और बरगद के पेड़ के चारों ओर धागा बांधती हैं. इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विधान है.
इस साल 2024 में वट पूर्णिमा व्रत के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं ऐसे में सुहागिनों को इसका लाभ मिलेगा. मान्यता है ऐसा करने से पति पर अकाल मृत्यु का खतरा नहीं रहता. पंचांग के अनुसार, इस बार पूर्णिमा तिथि 21 जून शुक्रवार को सुबह 7:32 बजे शुरू होगी और 22 जून को सुबह 6:38 बजे समाप्त होगी. इस तरह वट पूर्णिमा का व्रत 21 जून को ही रखा जाएगा.
इस दिन करेंगे उपाय-
1. इस दिन तांबे के एक लोटे में पानी भरकर उसमें कच्चा दूध मिलाकर एक बताशा डालें और उसे जल को पीपल के पेड़ में अर्पित करें दें. रुका हुआ धन प्राप्त होगा और व्यापार में भी लाभ होगा.
2. माता लक्ष्मी के चित्र या मूर्ति के समक्ष 11 कौड़ियां को अर्पित करें और उस पर हल्‍दी से तिलक लगाएं. इसके पश्चात दूसरे दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें. इससे आर्थिक तंगी दोर होगी.
3. पति पत्नी दोनों मिलकर इस दिन व्रत रखें और चंद्र देव को दूध से अर्ध्य दें. इससे इससे उनके जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर होगी.
4. वट के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है. इसलिए इस दिन वट वृक्ष की विधिवत पूजा करके परिक्रमा करेंगे तो घर में सुख-शांति, और धनलक्ष्मी का वास होगा.
5. कर्ज से मुक्ति के लिए 11 दिनों तक शाम के समय बरगद के पेड़ के पास आटे का चौमुखा दीपक बनाकर उसमें घी डालकर बत्ती लगाएं. ऐसा करने से कर्ज मुक्ति मिलेगी और आर्थिक तंगी दूर होगी.
वट पूर्णिमा व्रत कथा-
वट पूर्णिमा व्रत सावित्री और उनके पति सत्यवान को समर्पित त्योहार माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री राजा अश्वपति की पुत्री थीं और अत्यंत सुंदर और अच्छे स्वभाव वाली थीं। सावित्री का विवाह सत्यवान नामक युवक से कर दिया गया। सत्यवान बहुत धर्मात्मा और भगवान का सच्चा भक्त था। एक दिन नारद जी ने सावित्री से कहा कि सत्यवान की आयु बहुत कम है। ऐसे में सावित्री ने सत्यवान के प्राणों के लिए कठिन तपस्या की। लेकिन जब समय आया, तो यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए। तब सावित्री ने अपने पतित्व के बल पर यमराज को रोक लिया। इसके कारण यमराज ने सावित्री से वरदान मांगने को कहा।
सावित्री ने 3 अलग-अलग वरदान मांगे थे, लेकिन अंततः सावित्री ने पुत्र का वरदान मांगा था और यमराज ने बिना सोचे-समझे यह वरदान सावित्री को दे दिया था, लेकिन पति के बिना पुत्र का जन्म संभव नहीं है। इसलिए अपना वचन पूरा करने के लिए यमराज को सावित्री के पति सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े। वट सावित्री व्रत और वट पूर्णिमा व्रत के दिन इस कथा को जरूर सुनना चाहिए। इसके साथ ही व्रत पूरा माना जाता है। व्रत के प्रभाव से पति की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।
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शुक्र देव के उदय के साथ इस दिन से शुरू होंगे मांगलिक कार्य

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र देव को सुखों का कारक माना जाता है। शुक्र देव वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं। मीन राशि में शुक्र देव उच्च के होते हैं। इसके लिए मीन राशि के जातकों पर शुक्र देव की विशेष कृपा बरसती है। शुक्र देव की कृपा से मीन राशि के जातक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इसके लिए कुंडली दोष रहित होना अनिवार्य है। वर्तमान समय में शुक्र देव मिथुन राशि में विराजमान हैं। इस राशि में शुक्र देव 07 जुलाई तक रहेंगे। इसके बाद शुक्र देव राशि परिवर्तन करेंगे। इससे पूर्व यानी पहले शुक्र देव 28 जून को उदित होंगे। इसके चार दिन बाद से विवाह समेत सभी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जाएंगे। आइए, शुक्र उदय के बारे में सबकुछ जानते हैं- शुक्र देव वर्तमान समय में मिथुन राशि में विराजमान हैं। वहीं, शुक्र देव 07 जुलाई को मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में गोचर करेंगे। इस दौरान शुक्र देव 28 जून को पुनर्वसु नक्षत्र में गोचर करेंगे। इसी दिन शुक्र देव उदित होंगे।
शुक्र उदय-
ज्योतिषियों की मानें तो सुखों के कारक शुक्र देव 28 जून को उदित होंगे। इससे पूर्व 25 अप्रैल को शुक्र देव अस्त हुए थे। वहीं, 22 अप्रैल से लेकर 25 अप्रैल तक वृद्धत्व रूप में थे। अतः 25 अप्रैल से सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग गई थी। वहीं, 28 जून को शुक्र देव उदित होने के बाद अगले चार दिनों तक शिशुत्व रूप में रहेंगे। शुक्र देव के अस्त होने के साथ-साथ बाल एवं वृद्धत्व रूप में रहने के दौरान मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। खासकर, विवाह तो पूर्णतया वर्जित है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, शुक्र देव 28 जून से लेकर 02 जुलाई तक शिशुत्व रूप में रहेंगे। अतः 02 जुलाई तक मांगलिक कार्य करने की मनाही है।
विवाह मुहूर्त-
शुक्र देव के उदित होने के बाद पूर्णतया यौवनत्व प्राप्त करने के बाद से मांगलिक कार्य किए जाएंगे। शुक्र देव 28 से लेकर 02 जुलाई तक शिशुत्व रूप में रहेंगे। वहीं, 03 जुलाई को यौवनत्व रूप प्राप्त करेंगे। अतः 03 जुलाई से मांगलिक कार्य किए जाएंगे। वहीं, जुलाई महीने में विवाह लग्न मुहूर्त 03 , 04, 09 , 11, 12 , 13 , 14 एवं 15 जुलाई को है। अति आवश्यक होने पर विवाह के लिए 02 जुलाई का चयन कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र में मंगलवार के दिन विवाह न करने की सलाह दी जाती है।
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राजस्थान में है 5000 साल पुराना मंदिर, जहां भोलेनाथ ने गिराए थे आंसू

भारत में स्थित सबसे पवित्र और प्रसिद्ध गणेश मंदिर का जिक्र होता है तो सिद्धिविनायक मंदिर का नाम जरूर लिया जाता है, लेकिन सिद्धिविनायक के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी कई विश्व प्रसिद्ध गणेश मंदिर हैं। मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना माना जाता है।
कहा जाता है कि इस पवित्र और लोकप्रिय मंदिर का निर्माण 1761 के आसपास सेठ जय राम पल्लीवाल की देखरेख में हुआ था। मोती डूंगरी गणेश मंदिर के संबंध में यह भी माना जाता है कि इसका निर्माण राजस्थान के उत्तम पत्थर से लगभग 4 महीने के भीतर पूरा किया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला भी भक्तों को खूब आकर्षित करती है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर की कहानी बहुत दिलचस्प है। कथा के अनुसार कहा जाता है कि राजा गणेश प्रतिमा लेकर बैलगाड़ी से यात्रा करके लौट रहे थे, लेकिन शर्त थी कि बैलगाड़ी जहां भी रुकेगी, उसी स्थान पर गणेश मंदिर बनवाया जाएगा।
कहानी के अनुसार ट्रेन डूंगरी पहाड़ी के नीचे रुकी. सेठ जय राम पल्लीवाल ने उस स्थान पर एक मंदिर बनाने का फैसला किया जहां कार रुकी थी। मोती डूंगरी गणेश मंदिर बेहद खास है। यह जयपुर के साथ-साथ पूरे राजस्थान के सबसे बड़े गणेश मंदिरों में से एक है। इस पवित्र मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं।
गणेश चतुर्थी के खास मौके पर हर दिन लाखों श्रद्धालु आते हैं. कहा जाता है कि प्रत्येक बुधवार को मंदिर परिवार में एक बड़ा मेला लगता है और इसी दिन सबसे अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में एक शिवलिंग भी स्थापित है। इसके अलावा लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति भी स्थापित की जाती है।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर में हर समय भक्तों का आगमन लगा रहता है। आप रोजाना सुबह 5 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद आप शाम 4:30 बजे से रात 9 बजे के बीच यात्रा कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मंदिर में जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है. इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां आना खास माना जाता है।
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राधा रानी के दर्शन के लिए जल्द होगी शुरू रोपवे की सुविधा

बरसाना। राधा रानी मंदिर के दर्शन के लिए जल्द ही रोपवे की सुविधा शुरू होगी. मंगलवार को रोपवे का किया गया. लोड ट्रायल के बाद इसे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा. 440 मीटर लंबे इस रोपवे से श्रद्धालु चार मिनट में ब्रह्मांचल पर्वत पर स्थित राधारानी के मंदिर तक पहुंच सकेंगे. रोपवे की प्रत्येक ट्राली में छह यात्रियों के बैठने की सुविधा रहेगी. रोपवे शुरू होने से सबसे अधिक सहूलियत बुजुर्ग और बच्चों को मिलेगी. इससे बैगर सीढियां चढ़े ही रोपवे में बैठकर मंदिर तक पहुंच सकेंगे. यह प्रोजेक्ट मथुरा विकास प्राधिकरण ने पीपीपी मॉडल पर शुरू किया है.
210 मीटर लंबा है रोपवे-
यूपी में चित्रकूट, विंध्याचल के बाद बरसाना में रोपवे की सुविधा शुरू होने जा रही है. इस पर 2016 से कार्य चल रहा था. लेकिन पर्यावरण संबंधी एनओसी न मिलने के कारण इसमें देरी हो गई. इसके बाद कोविड के कारण काम बंद रहा. अब काम पूरा हो चुका है. दो Trolley का ट्रायल किया गया. अब लोड ट्रायल किया जाएगा. इस रोप वे पर कुल 12 ट्रॉली चलाने की योजना है. कुल 210 मीटर लंबे रोपवे से एक घंटे में 500 से अधिक श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचाया जा सकेगा.
110 रुपये होगा टिकट-
राधारानी मंदिर के लिए शुरू होने वाले रोपवे का ticket दोनों तरफ का लगभग 110 रुपये का होगा. हालांकि अभी शुल्क फाइनल नहीं हुआ है. टिकट विंडो बनकर तैयार है. इसके अलावा टॉयलेट ब्लॉक, डिंकिंग वाटर फाउंटेन, बच्चों के लिए प्ले एरिया भी विकसित किया जा रहा है. एक ट्रॉली में 6 श्रद्धालु बैठ सकेंगे. इससे मंदिर पहुंचने में लगभग 5 मिनट लगेंगे. रोपवे की लंबाई 210 मीटर है. मंदिर के खुलने और बंद होने के समय के अनुसार रोपवे का संचालन होगा.
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हज यात्रा पर गर्मी का कहर, मक्का मदीना में थमी कईयों की सांसें

रियाद। हज के लिए मक्का पहुंचे 550 से अधिक तीर्थयात्रियों की मौत की खबर सामने आ रही है। मरने वालों में कम से कम 323 मिस्र के थे। इनमें से अधिकांश की मौत गर्मी से होने वाली बीमारियों के कारण हुई है। अरब के दो राजनयिकों ने न्यूज एजेंसी एएफपी को इसकी जानकारी दी है। इनमें से एक ने कहा कि मिस्र के जितने भी तीर्थयात्रियों की मौत हुई है, उनमें से अधिकांश ने भीषण गर्मी के कारण दम तोड़ा। हालांकि, एक की मौत भगदड़ के दौरान घायल होने के कारण हुई है। राजनयिकों ने कहा कि मरने वालों में कम से कम 60 जॉर्डन के नागरिक भी शामिल हैं। इसके साथ ही मरने वालों की कुल संख्या 577 हो गई है। आपको बता दें कि इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। सभी मुसलमानों की यह जरूर इच्छा होती है कि कम से कम एक बार वह जरूर हज के लिए मक्का की यात्रा करे। पिछले महीने प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण हज यात्रा भी प्रभावित हो रही है। मुसलमानों के इस पवित्र शहर का तापमान हर 10 साल में में 0.4 डिग्री सेल्सियस (0.72 डिग्री फारेनहाइट) बढ़ रहा है। सऊदी राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने कहा कि सोमवार को मक्का की ग्रैंड मस्जिद में तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। सऊदी अधिकारियों ने गर्मी के से परेशान 2000 से अधिक तीर्थयात्रियों के उपचार की बात कही है। आपको बता दें कि पिछले साल विभिन्न देशों के कम से कम 240 तीर्थयात्रियों के मरने की खबर सामने आई थी। सबसे अधिक इंडोनेशियाई नागरिकों की जान गई थी।
इन दिनों अक्सर मक्का के बाहर मीना में तीर्थयात्रियों को अपने सिर पर पानी की बोतलें उड़ेलते हुए देखा जाता है। तीर्थयात्रियों की सेवा में जुटे स्वयंसेवक उन्हें ठंडा रखने के लिए कोल्ड ड्रिंक और तेजी से पिघलने वाली चॉकलेट आइसक्रीम देते हैं। सऊदी अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को छाते का उपयोग करने, खूब पानी पीने और दिन के सबसे गर्म घंटों के दौरान धूप में निकलने से बचने की सलाह दी है।
सऊदी अधिकारियों के अनुसार, इस साल लगभग 18 लाख तीर्थयात्रियों ने हज में भाग लिया। इनमें से 16 लाख दूसरे देश से पहुंचे थे। हज मिशन की निगरानी करने वाले एक अधिकारी ने कहा, “अनियमित तीर्थयात्रियों ने मिस्र के तीर्थयात्रियों के शिविरों में बहुत अराजकता पैदा की, जिससे वहां सेवाएं ठप हो गईं। तीर्थयात्री लंबे समय तक बिना भोजन, पानी और एयर कंडीशनिंग के रह रहे हैं। उनकी मौत गर्मी से इसलिए हो रही है क्योंकि ज्यादातर लोगों के पास शरण लेने के लिए कोई जगह नहीं थी।”
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अमरनाथ यात्रा : हेलीकॉप्टर के लिए ऑनलाइन बुकिंग शुरू

  • कीमत, रूट और बुकिंग के लिए सीधा लिंक देखें...
नई दिल्ली। हर साल हज़ारों श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा करने के लिए इस तीर्थ यात्रा पर आते हैं। अमरनाथ यात्रा 29 जून को शुरू होगी, जबकि इसका समापन 19 अगस्त को होगा । अमरनाथ गुफाएँ पहलगाम से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं और ग्लेशियरों और बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई हैं और साल के ज़्यादातर समय बर्फ से ढकी रहती हैं। इस तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए लोग या तो पैदल जाते हैं या फिर हेलीकॉप्टर से। इस साल की यात्रा के लिए बुकिंग पहले ही शुरू हो चुकी है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अनुसार, अमरनाथ यात्रा 2024 के लिए बुकिंग 15 अप्रैल से शुरू हो गई थी। हेलीकॉप्टर बुक करने के लिए श्रद्धालुओं को एसएएसबी के दिशा-निर्देशों के अनुसार अधिकृत डॉक्टरों द्वारा जारी अनिवार्य स्वास्थ्य प्रमाणपत्र (सीएचसी) प्राप्त करना होगा तथा मूल पहचान पत्र साथ लाना होगा।
हेलीकॉप्टर सवारी- मार्ग और टिकट मूल्य-
मार्ग- पहलगाम से पंजतरणी- एक तरफ का किराया- 4,900 रुपये, आने-जाने का किराया- 9,800 रुपये
मार्ग- नीलग्राथ से पंजतरणी- एक तरफ का किराया- 3,250 रुपये, आने-जाने का किराया- 6,500 रुपये
यात्रा के मार्ग-
पहलगाम मार्ग- यह 32 किलोमीटर का मार्ग, जिसे मध्यम रूप से कठिन माना जाता है, पहलगाम से शुरू होता है, जो एक सुंदर पहाड़ी स्टेशन है। घास के मैदानों और जंगलों से होकर धीरे-धीरे चढ़ाई के लिए तैयार हो जाइए।
बालटाल रूट- यह 15 किलोमीटर का रूट है, जिसे ज़्यादा चुनौतीपूर्ण माना जाता है। यह बालटाल से शुरू होता है। हालांकि यह छोटा है, लेकिन इसमें ज़्यादा खड़ी चढ़ाई है। इस रूट के लिए ज़्यादा तंदुरुस्ती की ज़रूरत होती है।
टिकट बुक करने के लिए सीधा लिंक यहां दिया गया है।
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आज है सबसे कठिन निर्जला एकादशी का व्रत

  • जानिए...शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि मंगलवार को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा।शास्त्रों के अनुसार उदया तिथि यानी आज  ही निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा। निर्जला एकादशी व्रत को सभी 24 एकादशियों में से श्रेष्ठ माना जाता है। यह व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठोर माना जाता है। इस व्रत को सूर्य उदय से सूर्यास्त तक बिना अन्न और जल के रखा जाता है। निर्जला एकादशी व्रत रखकर पारण करने से अक्षय फल प्राप्त होता है। राधा-कृष्ण मंदिर के पुजारी उमेश चंद्र नौटियाल ने बताया कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून सुबह 4:44 बजे शुरू होगी। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 जून को सुबह 04 बजकर 43 मिनट से हो गया है। वहीं, इसका समापन 18 जून को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है। ऐसे में निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को रखा जाएगा।
पूजा विधि-
एकादशी के दिन सुबह उठें और दिन की शुरुआत श्री हरि के ध्यान से करें।
इसके बाद स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
गंगाजल का छिड़काव कर मंदिर की सफाई करें।
चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
प्रभु को पीले चंदन और हल्दी कुमकुम का तिलक लगाएं।
मां लक्ष्मी को श्रृंगार की चीजें अर्पित करें।
घी का दीपक जलाकर प्रभु की आरती करें और मंत्र का जाप करें।
विष्णु चालीसा का पाठ करना फलदायी माना जाता है।
अंत में प्रभु को केले, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं।
लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
अगले दिन व्रत का पारण करें।
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कल 19 जून को रखा जाएगा ज्‍येष्‍ठ माह का दूसरा प्रदोष व्रत

  • भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न, प्रत्येक माह में दो बार रखा जाता है प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। मान्‍यता है कि भगवान भोलेनाथ का इस दिन पूजन करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्रती की हर मनोकामना भी पूर्ण होती है। प्रदोष व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन व्रत रखने से जीवन में चल रही समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
ज्‍येष्‍ठ माह का दूसरा प्रदोष व्रत कल 19 जून को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। जिससे सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन महादेव का व्रत रखना शुभ फलदायी माना गया है। यहां आपको बताते हैं कि ज्‍येष्‍ठ पूर्णिमा की क्‍या पूजन विधि है और भगवान शिव को किन चीजों का भोग लगाना चाहिए।
भगवान शिव के लगाए यह भोग-
दही और घी- प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को दही और घी का भोग लगाना शुभ माना गया है। मान्‍यता है कि इससे सभी कष्‍टों से मुक्ति मिलती है।
हलवा- प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को हलवे का भोग लगाना चाहिए। इससे व्रती के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
सूखे मेवे- मान्‍यता है कि भगवान शिव को सूखे मेवे का भोग लगाने से आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
ऐसी है पूजा विधि-
प्रदोष व्रत पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि एवं नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर को साफ कर भगवान शिव के समक्ष दीपक लगाएं।
शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें।
शिवलिंग पर चंदन, बेलपत्र, और पुष्‍प अर्पित करें।
अंत में भोलेनाथ की आरती करें।
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23 जून से शुरू होने जा रहा आषाढ़ माह

  • आषाढ़ माह में नहीं किए जाते मांगलिक कार्य
  • जानिए...क्‍या करें और क्‍या नहीं
आषाढ़ का महीना भगवान विष्णु को समर्पित है। यही वह महीना है जब जगत के पालनहार भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के दिन से 4 महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं। देवशयनी एकादशी के बाद शादी विवाह जैसे कोई मांगलिक कार्य भी नहीं किए जाते। हालांकि श्री हरि का पूजन इस दौरान शुभ फलदायी माना गया है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह साल का चौथा महीना है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी इस माह का विशेष महत्व है। इस साल आषाढ़ माह 23 जून से शुरू होगा और 21 जुलाई को खत्म होगा।
मान्यता है कि आषाढ़ माह में भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही इस माह में दान-धर्म का भी विशेष महत्व है। आषाढ़ माह में भगवान सूर्य देव के पूजन से रोग से भी मुक्ति मिलती है।
आषाढ़ माह में क्या ना करें-
आषाढ़ माह में शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।
इस माह बासी खाना खाने से बचना चाहिए।
आषाढ़ माह में जल का अपमान करना अशुभ माना गया है। इस समय पानी की बर्बादी करने से बचें।
आषाढ़ माह में तामसिक चीजें जैसे शराब और मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
क्‍या रखें नियम-
अषाढ़ माह में तर्पण, स्नान और दान करना शुभ माना गया है। इससे पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।
अषाढ़ माह में पूजा-पाठ और हवन करना चाहिए।

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राशि के अनुसार करें भगवान शिव की आराधना, बरसेगी प्रभु की कृपा

भगवान शिव को कल्याण का देवता माना गया है. जिनकी पूजा बेहद सरल और शीघ्र फल प्रदान करती है. हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान सप्ताह के सात दिन में सोमवार का दिन देवों के देव महादेव की पूजा के लिए समर्पित है  इस दिन शिव मंदिर में जाकर शिवजी को जल व दूध अर्पित करना चाहिए. लेकिन यदि यह पूजा राशि के अनुसार की जाए तो इसका विशेष फल मिलता है. शिव की पूजा जो जिस भाव से करता है, महादेव उसको उसी भाव से आशीर्वाद देते हैं.
राशि के अनुसार करे महादेव की पूजा-
मेष राशि
इस राशि के लोगों को सोमवार के दिन भगवान शिव को जल में गुड़ डालकर अभिषेक करना चाहिए. इसके साथ ही लाल आक के फूल भगवान शिव को अर्पित करें जो कि उन्हें बेहद ही प्रिय है,
वृष एवं मिथुन राशि
इस राशि के लोगों को प्रत्येक सोमवार के दिन जल में दूध डालकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए. साथ में दही, चंदन और सफेद रंग के फूल भी अर्पित करें. ऐसा करने से धन से जुड़ी समस्याएं समाप्त होती हैं.
कर्क राशि
कर्क राशि के लोग भगवान शिव का अभिषेक करते समय “ॐ नमः शिवाय!” मंत्र का 108 बार जप करें. इससे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी.
सिंह राशि
इस राशि के जातकों को जल तथा चावल भगवान शिव को चढ़ाने चाहिए तथा रोज शाम के समय शिव मंदिर जाकर घी का दीपक जलाना चाहिए. इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
कन्या राशि
कन्या राशि वाले लोगों को सोमवर के दिन ही नहीं, बल्कि हर दिन भगवान शिव को गन्ने का रस अर्पित कर भांग का पत्ता चढ़ाना चाहिए. इससे जीवन में आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे
तुला एवं वृश्‍चिक राशि
इन दोनों के राशि वालों को हर सोमवार के दिन इत्र मिला हुआ जल भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से आपके ऊपर भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहेगी.
धनु राशि
धनु राशि वाले सोमवार के दिन भगवान शिव का केसर युक्त दूध से अभिषेक करें. साथ ही बेलपत्र और पीले फूल भी अर्पित करें. ऐसास करने से उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी.
मकर राशि
इन राशि वालों को भगवान शिव का सोमवार के दिन जल में गेहूं डालकर विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए और गेहूं का दान करना भी बेहद लाभकारी होता है. इससे आपको रुके हुए धन की प्राप्ति होगी और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी.
कुंभ राशि
इस राशि के लोग हर रोज जल में सफेद तिल मिलाकर भगवान शिव को अर्पित करें. साथ ही “ॐ नमः शिवाय!” मंत्र का 11 बार जाप करें.
मीन राशि
मीन राशि वालों को रोजाना शिवलिंग पर जल में दूध मिलाकर चढ़ाना चाहिए, इसके साथ ही पीपल का एक पत्ता भी चढ़ाना चाहिए. इससे भगवान शिव का आशीर्वाद इस राशि के लोगों पर हमेशा बना रहता है.
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रक्षा बंधन 19 अगस्त को, इस बार भी रहेगा भद्रा का साया

रक्षाबंधन पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधती हैं और उसके लिए लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं, भाई भी अपनी बहन को उपहार देते हैं और उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं। आइए जानते हैं कि इस बार राखी का त्योहार कब मनाया जाएगा और शुभ मुहूर्त, तिथि क्या है।
कब मनाया जाएगा रक्षा बंधन?-
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष सावन माह की पूर्णिमा तिथि सुबह 3:44 बजे शुरू होगी और रात 11:55 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, रक्षा बंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा। इस साल रक्षाबंधन भद्रा काल में शुरू होगा। भद्राकाल सुबह 5:53 बजे शुरू होगा और दोपहर 1:32 बजे समाप्त होगा।
मंगल, जानिए सही तारीख और पूजा विधि-
रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और धनिष्ठा नक्षत्र समेत कई शुभ संयोग बनने जा रहे हैं। इस दिन सुबह 5:53 बजे से 8:10 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का शुभ समय दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से शाम 4 बजकर 20 मिनट तक है। इसके अलावा आप शाम 6 बजकर 56 मिनट से रात 9 बजकर 08 मिनट तक प्रदोष काल में भी राखी बांध सकते हैं।
रक्षाबंधन का महत्व-
हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भाई-बहन पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। बहनें राखी, रोली, चावल के दाने, मिठाई, दीया और रक्षा सूत्र की थाली तैयार करती हैं। बहनें अपने भाई की आरती उतारती हैं और उसके माथे पर तिलक लगाती हैं और रक्षा सूत्र बांधती हैं। भाई अपनी बहनों को प्यार से उपहार देते हैं।

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