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मंगलदेव आज शाम से वृष राशि में करेंगे गोचर

  • इन राशियों को 26 अगस्त तक संभल कर चलने की जरूरत
आज शाम 6 बजकर 58 मिनट पर मंगल वृष राशि में प्रवेश करेंगे. इसके बाद 26 अगस्त की दोपहर 3 बजकर 25 मिनट तक मंगल वृष राशि में ही गोचर करते रहेंगे, उसके बाद मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे. सूर्य और चन्द्रमा को छोड़कर मंगल बाकी ग्रहों में सबसे ज्यादा ताकतवर है. इसे युद्ध का देवता भी कहा जाता है. राशियों में मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है. मंगल मकर राशि में उच्च के और कर्क राशि में नीच के होते हैं. मंगल के इस गोचर के दौरान विभिन्न राशि के लोगों पर क्या प्रभाव होगा.
वृष राशि-
मंगल आपके पहले यानि लग्न स्थान पर गोचर करेंगे. जन्मपत्रिका में लग्न यानि पहले स्थान का संबंध हमारे शरीर तथा मुख से है. मंगल के इस गोचर से आपको भरपूर यशसम्मान मिलेगा. इसके अलावा आपको बता दें कि जन्मपत्रिका में पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें स्थान पर मंगल का गोचर जातक को अस्थायी रूप से मांगलिक बना देता है. अतः आपके पहले स्थान पर मंगल का यह गोचर 26 अगस्त तक के लिए आपको अस्थायी रूप से मांगलिक बना देगा. ऐसे में अगर आप विवाहित हैं, तो आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि क्या आपके जीवनसाथी की जन्मपत्रिका में भी मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें जा रहा है. अगर हां तो ठीक है, वरना सतर्क होकर आपको इस गोचर के उपाय जरूर करने चाहिए. लिहाजा मंगल के अशुभ फलों से बचने के लिए मंदिर में मसूर की दाल से बनी कोई चीज़ दान करें या केवल मसूर की दाल दान करें.
मिथुन राशि-
मंगल आपके बारहवें स्थान पर गोचर करेंगे. जन्मपत्रिका के बारहवें स्थान का संबंध आपके व्यय तथा शय्या सुख से है. मंगल के इस गोचर के प्रभाव से आपको शय्या सुख मिलेगा. यहां ये भी बता दें कि किसी की जन्मपत्रिका के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें स्थान पर मंगल हो तो जातक मांगलिक कहलाता है. अतः मंगल का यह गोचर 26 अगस्त तक के लिए अस्थायी रूप से मांगलिक दर्शायेगा और अगर आप विवाहित हैं, तो आपको खास ध्यान देना चाहिए कि क्या आपके जीवनसाथी की जन्मपत्रिका में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें जा रहा है. अगर ऐसा है तो ठीक अन्यथा सतर्क होकर इस गोचर के उपाय आपको जरूर करना चाहिए. लिहाजा मंगल के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिए खाकी रंग की टोपी या पगड़ी से अपना सिर ढक्कर रखें.
कन्या राशि-
मंगल आपके नवें स्थान पर गोचर करेंगे. जन्मपत्रिका के नौवें स्थान का संबंध हमारे भाग्य से होता है. मंगल के इस गोचर के प्रभाव से आपके भाग्योदय में थोड़ी रुकावटें आयेगी. इस दौरान आपको हर तरह के सुख साधन पाने के लिए थोड़ी अधिक मेहनत करनी होगी. लिहाजा 26 अगस्त तक मंगल के अशुभ फलों से बचने के लिए बड़े भाई या बड़े भाई जैसे लोगों का सम्मान करें.
धनु राशि-
मंगल आपके छठे स्थान पर गोचर करेंगे. जन्मपत्रिका के छठे स्थान का संबंध हमारे मित्र, शत्रु तथा स्वास्थ्य से है. मंगल के इस गोचर के प्रभाव से आपके स्वास्थ्य में उतारचढ़ाव बना रहेगा. इस दौरान आपको अपने शत्रुओं से बचकर रहना चाहिए. मित्रों की संख्या में वृद्धि होगी. लिहाजा 26 अगस्त तक अपने आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के लिए किसी कन्या को कुछ गिफ्ट करें और उसका आशीर्वाद लें.
मीन राशि-
मंगल आपके तीसरे स्थान पर गोचर करेंगे. जन्मपत्रिका के तीसरे स्थान का संबंध हमारे पराक्रम, भाईबहन तथा यश से है. मंगल के इस गोचर के प्रभाव से आपको अपने जीवन में संघर्ष करना पड़ सकता है. भाई-बहनों से मदद पाने में भी थोड़ी देर हो सकती है. इस दौरन आप अपनी बात को दूसरों के सामने अच्छे से नहीं रख पायेंगे. लिहाजा 26 अगस्त तक मंगल के अशुभ फलों से बचने के लिए एक चॉकलेटी रंग का कपड़ा लेकर किसी नाई, दर्जी या अपने बड़े भाई को गिफ्ट कर दें.

 

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तुलसी और पीपल का ये उपाय दिलाता है सफलता

हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित है वही शुक्रवार का दिन धन, वैभव और सुख समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी की पूजा को समर्पित किया गया है इस ​दिन पूजा पाठ और व्रत करना लाभकारी माना जाता है
लेकिन इसी के साथ ही अगर शुक्रवार के दिन पीपल और तुलसी के आसान उपायों को किया जाए तो जीवन की अधिकतर परेशानियों से राहत मिलता है और सुख सफलता हासिल होती है तो आज हम आपको उन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं।
तुलसी और पीपल के आसान उपाय-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल में लक्ष्मी नारायण वास करते हैं ऐसे में शुक्रवार के दिन स्नान ध्यान के बाद विधि विधान से पीपल की पूजा करें अगर पीपल का पेड़ नहीं है तो आप पूजा के समय पीपल वृक्ष के नाम का भी उच्चारण कर सकते हैं। पैसों की किल्लत से परेशान लोग हर शुक्रवार के दिन पीपल के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें माना जाता है कि इस उपाय को करने से लक्ष्मी नारायण प्रसन्न होकर कृपा करते हैं। जिससे धन संकट दूर हो जाता है वही भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है ऐसे में आज के दिन स्नान ध्यान करने के बाद कच्चे दूध से तुलसी का अभिषेक करें मान्यता है कि इस उपाय को करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं और बाधाएं दूर हो जाती है वही अगर आप भगवान विष्णु की कृपा चाहते हैं तो स्नान ध्यान के बाद दूध में केसर मिलाकर तुलसी के पौधे पर अर्पित करें इस उपाय को हर शुक्रवार को करने से धन धान्य और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
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जया पार्वती व्रत 19 जुलाई को मनाया जाएगा, जानिए...शुभ मुहूर्त

  • जया पार्वती व्रत में वर्जित है नमक
सनातन धर्म में जया पार्वती का व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इसे गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। यदि आप अविवाहित हैं, तो इसे अपने सपनों का दूल्हा बनने की इच्छा के लिए रखें और यदि आप विवाहित हैं, तो स्थायी सफलता के लिए इसे रखें। इस व्रत के संबंध में मान्यता है कि इस व्रत से सौभाग्य और समृद्धि आती है और विवाह से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इस साल यह व्रत 19 जुलाई को त्रयोदशी तिथि पर रखा जाएगा और 18 जुलाई को रात 8:44 बजे शुरू होगा। तदनुसार, त्रयोदशी तिथि 19 जुलाई को शाम 7:41 बजे समाप्त होगी। कैलेंडर पर नजर डालने से पता चलता है कि इस साल का जया पार्वती व्रत 19 जुलाई, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में सबसे पहले उठकर स्नान कर लें। उनकी मूर्ति को गंगा जल से पवित्र करें। फिर तिलक पर चंदन और कुंमक लगाएं। उनके सामने देसी दीपक जलाएं. सफेद और लाल पुष्पांजलि अर्पित करें। हम मौसमी फल और व्यंजन पेश करते हैं।
देवी पार्वती को श्रृंगार सामग्री जैसे साड़ी, सिन्दूर, मेहंदी, चूड़ियाँ, हल्दी आदि अर्पित करें। अविवाहित महिलाओं को देवी पार्वती को मैजेंटा अर्पित करना चाहिए। इससे इच्छित दूल्हे को मदद मिलती है।
पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ वैदिक मंत्रों का जाप करें। फिर पूरे मनोयोग से आरती करें। गरीबों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
1. म महागौरी पत्र.
2. आपके शरीर के लिए सुख, आपके शरीर के लिए सर्वोत्तम सुख।
जया पर्वती व्रत महत्व-
जया पार्वती व्रत रखने से अविवाहित कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और साथ ही उत्तम फल मिलते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए यही व्रत रखा था. जया पार्वती व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती की पूजा करने से पारिवारिक जीवन में खुशहाली आती हैं और संतान सुख प्राप्त होता है. विवाहित महिलाएं इस व्रत को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रख सकती हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जया पार्वती व्रत करने से कुंडली में मौजूद दोष होते हैं और यह व्रत ग्रहों की शांति के लिए भी लाभदायक माना जाता है.
जया पार्वती व्रत में वर्जित है नमक-
ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत का पालन पूरी श्रद्धापूर्वक करता है, उसके वैवाहिक जीवन में खुशियों का वास हो जाता है. हालांकि, इस व्रत से जुड़े कई कठिन नियम भी बताए गए हैं जिनमें से एक है नमक का वर्जित होना. जया पार्वती व्रत में नमक का इस्तेमाल करना वर्जित माना गया है.
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विशेष श्रृंगार : त्रिपुंड और सूर्य से सजे बाबा महाकाल

आज के श्रृंगार की विशेष बात यह रही कि आज भस्म आरती में बाबा महाकाल का त्रिपुंड और सूर्य से श्रृंगार कर मोगरे और मखाने की माला पहनाकर श्रृंगार किया गया। उसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई।आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पंचमी और गुरुवार के महासंयोग पर विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सुबह चार बजे भस्म आरती के दौरान वीरभद्र जी से आज्ञा लेकर मंदिर के पट खुलते ही पण्डे पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर पंचामृत और फलों के रस से किया। बाबा महाकाल का त्रिपुंड और सूर्य से श्रंगार कर मोगरे और मखाने की पहनाकर श्रृंगार किया गया, जिसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। श्री महाकालेश्वर मंदिर में खंडेलवाल आनंद परिषद द्वारा सहायक प्रशासक मूलचन्द जूनवाल की प्रेरणा से एक मारुति लोडिंग वाहन श्री महाकालेश्वर भगवान के चरणों मे अर्पित की गई।
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3 राशियों का बुरा वक्त होगा खत्म, खुलेगी किस्मत

हर किसी के जीवन में ग्रह नक्षत्र और राशि अहम भूमिका अदा करती है ज्योतिष अनुसार ग्रहों की चाल देखकर व्यक्ति के भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है ऐसे में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं आज का राशिफल, तो जानिए क्या कहते हैं आपके सितारे
मेष- आज का दिन आपके लिए बढिय़ा होने वाला है भाग्य का आपको भरपूर साथ मिलेगा। आर्थिक तौर पर मजबूती बनी रहेगी। काम काज में आने वाली सारी दिक्कतें दूर हो सकती है मित्रों का सहयोग मिलेगा।
वृषभ- नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को आज खुशखबरी मिल सकती है दिन अच्छा होने वाला है जीवनसाथी के साथ आप अपने भविष्य की योजनाओं को शेयर कर सकते हैं अचानक धन लाभ मिलेगा।
मिथुन- दिन आपके लिए बहुत ही शानदार होने वाला है भाग्य का आपको साथ मिलेगा। जिससे आपके हर एक काम पूरे होंगे। लंबी दूरी की यात्रा के योग बन रहे हैं अपनी सेहत का ध्यान रखें।
कर्क- पारिवारिक जीवन में शांति बनी रह सकती है अपने मन की बात आप माता पिता या अन्य से कह सकते हैं विवाह योग्य जातकों का रिश्ता पक्का हो सकता है काम काज में कमी देखने को मिल सकती है।
​सिंह- वाहन सुख की प्राप्ति हो सकती है दिन मिलाजुला परिणाम लेकर आ रहा है प्रेमी के साथ आपको डेट पर जाने का अवसर मिल सकता है धन खर्च में वृद्धि के योग बन रहे हैं काम काज में मन लगेगा।
कन्या- कानूनी मामलों में पड़ने से अभी आपको बचना होगा। सरकारी काम आज आपके पूरे हो सकते हैं जीवनसाथी के साथ आज किसी बात को लेकर बहस हो सकती है मगर शाम तक सब ठीक होगा।
तुला- नौकरीपेशा जातकों को नई नौकरी के अच्छे प्रस्ताव मिल सकते हैं वैवाहिक जीवन में साथी संग कुछ वाद विवाद बढ़ सकता है काम काज में आने वाली दिक्कतें दूर होंगी। परिवार का सहयोग मिलेगा।
वृश्चिक- दिन आपके लिए मिलाजुला बना रह सकता है बेकार के खर्चों में इजाफा हो सकता है काम काज की अधिकता दिनभर रहेगी। वाहन सावधानी से चलाएं वरना किसी दुर्घटना का शिकार भी हो सकते हैं।
धनु- नई योजना में आपको बहुत ही सोच समझकर धन का निवेश करना होगा नहीं तो इसमें आपको हानि हो सकती है अधूरा काम जल्द पूरा होगा। परिवार में शांति का माहौल बना रह सकता है।
मकर- आज आपको पूरे दिन सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं दिन ठीक ठाक बना रहेगा। आय में वृद्धि होगी। परिवार में चल रही परेशानियां समाप्त हो सकती है। ससुराल पक्ष से धन लाभ मिलेगा।
कुंभ- ससुराल पक्ष से आपके रिश्ते अच्छे बने रह सकते हैं काम काज में कमी आएगी। परिवार में शांति बनी रह सकती है। पिता की सलाह आपके काम आ सकती है मन प्रसन्न होगा। यात्रा पूरी कर सकते हैं।
मीन- आज का दिन उतार चढ़ाव से भरा होने वाला है आपको कार्यक्षेत्र में अच्छा मुकाम हासिल हो सकता है कारोबार में अच्छा बदलाव देखने को मिलेगा। बिजनेस में लेनदेन से संबंधित मामलों में आप किसी पर अधिक भरोसा ना करें
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पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को, जानिए...मुहूर्त

हिंदू धर्म में वैसे तो सभी महीनों और दिनों को खास बताया गया है लेकिन सावन का महीना बहुत ही विशेष माना जाता है जो कि शिव साधना के लिए उत्तम होता है इस माह पड़ने वाले सोमवार को सावन सोमवार के नाम से जाना जाता है इस दिन भक्त शिव को प्रसन्न करने के लिए दिनभर का उपवास रखते हैं सावन का सोमवार शिव पूजा के लिए श्रेष्ठ होता है मान्यता है कि इस दौरान भगवान भोलेनाथ की आराधना करने से भक्तों को उनकी कृपा बरसती है जिस तरह सावन सोमवार शिव को समर्पित है ठीक उसी तरह सावन में पड़ने वाला मंगलवार माता पार्वती की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है
सावन के मंगलवार को भक्त माता पार्वती को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए उपवास व पूजा पाठ करती है इसे मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है इस दिन पार्वती जी की अर्चना करने से सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है पंचांग के अनुसार इस साल सावन की शुरुआत 22 जुलाई दिन सोमवार से होने जा रही है वर्षों बाद ऐसा शुभ संयोग बना है जब सावन का आरंभ सोमवार से हो रहा है। इसके अगले दिन सावन का पहला मंगला गौरी व्रत किया जाएगा। जो कि 23 जुलाई से आरंभ हो रहा है
मान्यता है कि इस व्रत को विधिवत करने से विवाहित महिलाओं को सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है वही कुंवारी कन्याएं मंगला गौरी का व्रत मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती है तो आज हम आपको इस व्रत से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे है।
तिथि और शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई से होने जा रही है इस दिन सावन महीने का पहला सोमवार व्रत किया जाएगा यानी सावन सोमवार व्रत रखा जाएगा। इसके अगले दिन प्रथम मंगला गौरी व्रत किया जाएगा जो कि मां पार्वती को समर्पित है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 23 जुलाई को सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक है ऐसे में सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को रखा जाएगा। इस दिन दुर्लभ द्विपुष्कर योग व अन्य शुभ योगों का निर्माण हो रहा है।
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18 जुलाई गुरुवार को आषाढ़ माह का अंतिम प्रदोष व्रत

  • इस योग में भोलेनाथ-माता पार्वती की पूजा का बढ़ गया महत्व
आषाढ़ माह का अंतिम प्रदोष व्रत 18 जुलाई 2024, गुरुवार को रखा जायेगा. गुरूवार को पड़ने वाले प्रदोष को गुरू प्रदोष भी कहते हैं. संयोगवश यह साल का पहला गुरू प्रदोष होगा. ज्योतिषियों के अनुसार इस गुरु प्रदोष के दिन शिव-भक्तों को कई महायोगों में पूजा करने का दिव्य अवसर मिल रहा है.
गुरू प्रदोष व्रत की मूल तिथि एवं पूजा मुहूर्त-
प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद होती है, इसलिए गुरू प्रदोष व्रत एवं पूजा 18 जुलाई 2024 को रखा जाएगा. प्रदोष काल में पूजा हेतु शुभ मुहूर्तः 08.44 PM से 09.22 PM तक.
ब्रह्म योग-
इस साल के पहले गुरु प्रदोष पर ब्रह्म योग बन रहा है. इस योग में भोलेनाथ की पूजा से सारे संकट कट जाते है. ब्रह्म योग कालः 06.14 AM (18 जुलाई 2024) से 04.45 AM (19 जुलाई, 2024).
शिववास योग-
शिव पुराण के अनुसार इस योग काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर विराजते हैं. जातक द्वारा किये गये पूजा अनुष्ठान से वह बेहद प्रसन्न होते हैं, और जातक की हर कामनाएं पूरी करते हैं. शिववास योग कालः सूर्योदय से शुरू होकर 08.44 PM तक रहेगा.
करण योग-
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन बव, बालव एवं कौलव जैसे बेहद शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इन तीनों योगों जिसे करण योग कहते हैं, का संयोग अति दुर्लभ और शुभ बताया गया है. इस योग में किसी भी तरह के शुभ कार्य के आयोजन किये जा सकते हैं, जिसका परिणाम लाभकारी हो सकता है.
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विवाह के लिए गुप्त नवरात्रि के छठे दिन इन मंत्रों का करें जाप

गुप्त नवरात्रि की छठी तिथि मां कात्यायनी को समर्पित है। इस दिन मां दुर्गा के छठे रूप मां कटियानी की पूजा की जाती है। इन्हें विवाह सहित सुखी करियर में शीघ्र सफलता प्राप्त करते हुए भी देखा गया है। लगातार 40 दिनों तक हमारी लेडी कात्यानी की पूजा करने से अविवाहित लोगों को जल्दी शादी करने का मौका मिलता है। इसलिए ज्योतिषशास्त्र अविवाहित लोगों को शीघ्र विवाह के लिए नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यानी की विशेष भक्ति करने की सलाह देता है। अगर आपकी शादी में कोई बाधा आ रही है तो गुप्त नवरात्रि पर्व के छठे दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से मां कात्यानी की पूजा करें। साथ ही अविवाहित लड़के-लड़कियों को पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करना होता है।
लड़कियों को इन मंत्रों का जाप करना चाहिए-
1. ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः
2. ॐ विधाता मम विवा कुरुकुल सोहा।
3. कृष्ण गोविंदे गोपीजनवलाभाई सेवा को पवित्र करें।
4. ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुव्यं देवेन्द्रप्रिया बामिनी।
विवाह शुभ रहेगा और शरीर को तुरंत लाभ मिलेगा।
6. हे गोरी शंकरदंगी, यह शंकरप्रिया की तरह है।
मां कुरु कल्याणी कंटकटां सोदेरालावम्।
7. ॐ कात्यानि महामाये महायोगिन्यदीश्वरी।
नंद गोपोस्टमान देवी पति मूल कुर्ता नामा।
8. ॐ देवेन्द्राणि नमस्तव्यं देवेन्द्रप्रिया बामिनी।
विवाह से शीघ्र ही शारीरिक सुख मिलेगा।
9. ॐ शं शंकराय जन्मना महापाप नहीं, नाश पुरुषार।
चटोस्तया चा पेटिन देहि लाभ कोरुकुल सोहा।
10. मंगलं विष्णु, मंगलं गारंडोज।
मंगलम पोंदेरी कक्षा, थानु हरिस मंगराई।
लड़के इन मंत्रों का जाप करते हैं-
1. ॐ श्याम शंकराय, जीवन से उत्पन्न समस्त पापों का नाश, बिना परिश्रम, चार लाभ, मनुष्य शरीर के चार लाभ, कुरुकुल सुहा।
2. मेरी पत्नी का मोहक शरीर और शारीरिक मन.
तारिणी दोर्गेसंसरसागरशा कुर्दोबवम्।
3. ॐ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै दिमाहि, तनु अनंग प्रच्युदयत्।
4. ॐ नमु भगुते कामदेवाय यश दृष्टु बवामि यश मम मुखं पषति तं तं तं मोभतु सुहा।
5. ॐ कामदेवाय विद्मपुष्पनाय दिमितन्नु ममस् प्रच्युदयत्।
6. ॐ नमु भगुते कामदेवाय यश दृष्टु बवामि यश मम मुखं पषति तं तं तं मोहवतो सुहा।
7. ॐ नमः काम देवाय। सहकाल सहद्रश सहमशलये
वेणे दानं जन्मदर्शं उत्कांतितेम कोरुकुल
दकेश दकेश दल कुसुम वानेन हन सोहा।
8.कृष्ण गोविंदाई गोपीजनवलाभाई की सेवा पवित्र करो
9. ॐ विधाता मम विवा कुरुकुल सुहा
10. ॐ द्रुम तबल सः शुक्राय नमः
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जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं

सनातन धर्म में भगवान शिव को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। सप्ताह के सभी दिन भगवान को समर्पित हैं। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव और मां लक्ष्मी की नियमित पूजा करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और सोमवार का व्रत करने से मनचाहे दामाद की प्राप्ति होती है। दांपत्य जीवन में भी खुशियां आती हैं। शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार सृष्टि के रचयिता विष्णु और ब्रह्मा के बीच श्रेष्ठता और हीनता को लेकर संघर्ष हुआ।
इसका कारण यह पता लगाना था कि कौन अधिक शक्तिशाली है और उसी समय अंतरिक्ष में एक चमकता हुआ पत्थर दिखाई दिया और जब उन्हें उस पत्थर का अंत मिला तो आकाश से एक आवाज आई। वह बहुत ताकतवर माने जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि पत्थर ही शिव लिंग है।
इसके बाद श्रीहरि और ब्रह्माजी ने उस शिला का छोर ढूंढने का प्रयास किया, लेकिन उनमें से किसी को भी शिला का छोर नहीं मिला। भगवान विष्णु थक गए और हार मान ली, लेकिन ब्रह्माजी ने सोचा कि यदि मैं इस कार्य में भी हार मान लूं तो भगवान विष्णु अधिक शक्तिशाली कहलाएंगे। इस कारण से, भगवान ब्रह्मा ने चट्टान के किनारे को खोजने का दावा किया। इसी बीच स्वर्ग से फिर एक आवाज सुनाई दी, "मैं शिवलिंग हूं, मेरा न कोई अंत है और न ही कोई शुरुआत," और उसी समय भगवान शिव प्रकट हुए। धार्मिक मान्यता है कि शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और महादेव प्रसन्न होते हैं।
यह परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है और शिवलिंग दो शब्दों से मिलकर बना है। शिव और लिंग शिव का अर्थ है परम लाभ और लिंग का अर्थ है सृजन। लिंग शब्द का प्रयोग संकेत और लक्षण के लिए किया जाता है। इसलिए शिव लिंग का अर्थ है भगवान शिव का प्रतीक।
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नाग पंचमी पर कालसर्प और राहु-केतु दोष को दूर करने करें ये उपाय

हिन्दू धर्म ग्रंथों में सांपों को काफी महत्व दिया गया है. भगवान शिव को गले में हमेशा सांपों का हार रहता है. भगवान विष्णु भी शेषनाग की शय्या पर आराम करते हैं. बलराम और लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना जाता है. ऐसे में नाग पंचमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. नाग पंचमी, जिसे श्रावण महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है.
सावन के महीने में सोमवार के दिन नाग पंचमी पर्व पड़ने से इस बार नाग पंचमी का महत्व काफी बढ़ जाता है. वहीं, नाग पंचमी कालसर्प दोष और राहु-केतु दोष को दूर करने के लिए अच्छा मौका है.
मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से ग्रह-बाधा और अकाल मृत्यु का दोष दूर होता है. ज्योतिष में सर्प या सांप के माध्यम से राहु एवं केतु का चित्रण किया जाता है. राहु का सर्प का मुख और केतु को उसका धड़ माना जाता है. कुंडली में इनकी स्थिति की वजह से काल सर्प दोष का निर्माण होता है. ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार नाग पंचमी के दौरान सांपों की पूजा करने से कालसर्प दोष कम किया जा सकता है.
नाग पंचमी तिथि एवं मुहूर्त-
अगस्त की रात 12:35 बजे से इसकी शुरुआत होगी और समापन 10 अगस्त को सुबह 3:13 बजे होगा. ऐसे में नाग पंचमी 9 अगस्त को ही मनाई जाएगी. नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त की सुबह 5 बजकर 46 बजे से शुरू होकर सुबह 8 बजकर 25 बजे तक रहेगा.
क्या करें उपाय-
यदि कुंडली में कालसर्प दोष है, तो आप नाग पंचमी के दिन, चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को किसी बहती नदी में अर्पित करें या किसी को दान में दें. इससे यदि सांपों का भय हो, बार-बार सपने में सांप दिखें, तो नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा करें. इससे सांप के भय और काटने से सुरक्षा मिलती है. घर के मुख्य द्वार पर नाग देवता का चित्र बनायें. ऐसा करने से घर का वास्तु दोष दूर होता है और नकारात्मकता नष्ट हो जाती है. नाग पंचमी के दिन गायत्री मंत्र का एक माला जाप करने से भी काल सर्प दोष दूर हो जाता है.
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राजस्थान सरकार ने खाटू श्याम जी के भक्तों के लिए खोला पिटारा

  • बजट में 100 करोड़ रुपये की खर्च करने का प्रावधान
जयपुर। राजस्थान सरकार का पूर्ण बजट पेश करतीं हुईं राज्य की वित्त मंत्री दीया कुमारी ने कई ऐलान किए। इसमें प्रसिद्ध तीर्थ स्थल खाटू श्याम के लिए बड़ा ऐलान किया गया है। दीया कुमारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने अयोध्या और काशी को भव्य बनाया है और देश में नई ऊर्जा का संचार किया है।
दीया कुमारी ने कहा कि बजट में अयोध्या और काशी की तर्ज पर खाटू श्याम को भव्यता प्रदान करने के लिए 100 करोड़ रुपये की खर्च करने का प्रावधान किया गया है। काशी विश्वानाथ की तर्ज पर खाटूश्याम कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। 600 मंदिरों में त्योहारों पर साज-सज्जा की जाएगी। इस पर 13 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा
राज्य की वित्त मंत्री दीया कुमारी ने कहा कि राजस्थान में नई पर्यटन नीति बनाई जाएगी। राजस्थान पर्यटन उद्योग विकास बोर्ड का गठन किया जाएगा। इसके अलावा दिल्ली की तर्ज पर जयपुर में राजस्थान मंडपम का निर्माण कराया जाएगा। दीया कुमारी ने कहा कि राज्य के 20 पर्यटन स्थलों के सौंदर्यीकरण पर 200 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। 20 करोड़ रुपये की लागत से बावड़ियों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा।
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गुलाब का फूल घर से दूर करता है सभी नकारात्मकता

वास्तु में पेड़-पौधों से लेकर फूलों तक का भी खास महत्व बताया गया है। फूलों की बात करें तो ये घर की सुंदरता बढ़ाने के साथ-साथ पूजा-पाठ में भी इस्तेमाल होते हैं। वैसे तो कई तरह के फूल प्रकृति में मौजूद है परंतु गुलाब का फूल का वास्तु शास्त्र में खास महत्व बताया गया है। वास्तु शास्त्र में भी गुलाब के फूल को सुख-समृद्धि के साथ जोड़ा गया है। इसे घर में लगाने से कलह-कलेश भी दूर होता है और मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है, लेकिन इसे किस दिशा में लगाना चाहिए, आज आपको इस बारे में बताएंगे।
पूर्व या उत्तर दिशा-
गुलाब का फूल दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र की मानें तो लाल फूल लगाने के लिए यह दिसा बहुत शुभ मानी जाती है। यहां पर गुलाब का पौधा लगाने से घर के मालिक की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। इसके अलावा यह पारिवारिक रिश्तों को मजूबत बनाने में भी मदद करता है।
मां लक्ष्मी की बनेगी कृपा-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि आपकी जिंदगी में किसी तरह की कोई समस्या चल रही है तो हर शुक्रवार वाले दिन मां लक्ष्मी को लाल गुलाब चढ़ाएं। इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है और मां लक्ष्मी की कृपा भी बनती है।
आर्थिक तंगी होगी दूर-
आर्थिक तंगी दूर करने के लिए भी गुलाब का फूल घर में लगाना शुभ माना जाता है। गुलाब के फूल में कपूर जलाकर शाम के समय मां भगवती को अर्पित करें। मान्यताओं के अनुसार, इससे आर्थिक तंगी दूर होगी।
बेडरुम में रखें गुलाब-
यदि आपकी शादीशुदा जिंदगी में किसी तरह की समस्या चल रही है तो बेडरुम में एक कांच के बर्तन में पानी के साथ गुलाब की कुछ पत्तियां भरकर रखें। गुलाब की पत्तियां डालने के बाद पानी को रोज बदलें। इससे आपकी शादीशुदा जिंदगी में आ रही दिक्कतें दूर होगी।
यहां पर न लगाएं पौधा-
घर के आगे गुलाब का पौधा नहीं लगाना चाहिए। इससे घर में वाद-विवाद हो सकते हैं जिसके कारण घर के सदस्यों में भी तनाव पैदा हो सकता है। कांटेदार पौधे घर के सामने लगाने से जिंदगी में परेशानियां बढ़ती हैं इसलिए इसे घर के अंदर या फिर पिछले हिस्से में लगाना चाहिए।
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सावन माह में बन रहे ये अद्भुत संयोग

  • इन वस्तुओं का दान करने से मिलेंगे शुभ फल
पवित्र सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई से होने जा रही है। यह माह भगवान शिव के पूजन के लिहाज से काफी अहम माना जाता है। शिवालयों पर विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। साथ ही सोमवार को व्रत रखा जाता है।
इस बार सावन माह सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान योग में शुरू होगा। इन शुभ योगों में दान करने से मनचाहा फल प्राप्त होता है, साथ ही भाग्य में भी वृद्धि होती है। यहां आपको बताते हैं। सावन माह में किन वस्तुओं का दान करना चाहिए।
इन वस्तुओं का करना चाहिए दान-
सावन माह में मंदिर में चांदी अथवा तांबे की सांपों की जोड़ी का दान करना चाहिए। इससे कई दोषों से मुक्ति मिलती है।
सावन में पवित्र रुद्राक्ष का दान करना चाहिए। इससे सम्मान में वृद्धि होती है।
भगवान शिव को चूड़ा-दही अर्पित करना शुभ माना गया है। माना जाता है कि इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। साथ ही सौभाग्य भी बढ़ता है।
अगर आपको तरक्की के अवसर नहीं मिल रहे हैं, तो आप सावन सोमवार को जरूरतमंद लोगों को चावल का दान करें।
शनि की साढ़ेसाती के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए काले तिल का दान करना चाहिए।
सावन में गरीबों को गुड़ का दान करने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती है।
इस माह रहेंगे पांच सावन सोमवार-
इस बार सावन माह में पांच सोमवार रहेंगे। 22 जुलाई से सावन माह की शुरुआत होगी। वहीं, 19 अगस्त सावन की पूर्णिमा के साथ यह माह समाप्त हो जाएगा। यह पूरा माह 29 दिनों का होगा।

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विनायक चतुर्थी पर करें ये काम, सौभाग्य में होगी बढ़ोत्तरी

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन विनायक चतुर्थी को खास माना गया है जो कि भगवान श्री गणेश की साधना आराधना को समर्पित होती है पंचांग के अनुसार अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है
इस दिन भक्त उपवास आदि रखते हुए भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है और जीवन की सारी परेशानियां व दुख दूर हो जाते हैं। आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी आज यानी 9 जुलाई को मनाई जा रही है इस दिन भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा कर अगर उन्हें कुछ खास चीजों को अर्पित किया जाए तो भगवान शीघ्र प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और साधक के सभी दुख संकट दूर कर सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं तो आज हम आपको उन्हीं के बारे में बता रहे हैं।
भगवान गणेश को अर्पित करें ये चीजें-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री गणेश को दूर्वा बेहद प्रिय है ऐसे में आज विनायक चतुर्थी के शुभ दिन पर भगवान श्री गणेश को 21 या 108 दूर्वा अर्पित करें ऐसा करने से प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त होता है इसके अलावा गणपति को मोदक भी पसंद है तो आज आप उन्हें प्रसन्न करने के लिए मोदक का भोग जरूर लगाएं। ऐसा करने से कल्याण का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन घर या बाजार से लड्डू खरीदकर श्री गणेश को अर्पित करें ऐसा करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं और रिश्तों में मजबूती आती है।
विनायक चतुर्थी के शुभ दिन पर भगवान श्री गणेश को आप मौसमी फल जैसे केला, अनार, नारियल अर्पित जरूर करें ऐसा करने से बिगड़े काम बनने लग जाते हैं वही इस दिन पूजा के समय अगर भगवान को सफेद, पीले या लाल पुष्प अर्पित किए जाए तो आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है। इसके अलावा आप भगवान को दक्षिणा भी जरूर अर्पित करें ऐसा करने से प्रभु की कृपा हमेशा परिवार पर बनी रहती है।
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शालिग्राम जी की उपस्थिति से तीर्थ बन जाता है घर

देवी-देवताओं की कृपा प्राप्ति के लिए मंत्रों का जाप करना उत्तम माना जाता है। इसी प्रकार यदि आप घर में भगवान शालिग्राम की सेवा करते हैं, तो इस दौरान उनके मंत्रों के कर शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं शालिग्राम जी की पूजा विधि और मंत्र। साथ ही जानते हैं कि शालिग्राम जी की पूजा के दौरान किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।
शालिग्राम जी पूजा विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद शालिग्राम जी को पंचामृत से स्नान कराएं और चंदन लगाएं। इसके बाद उन्हें चंदन, फूल, भोग आदि अर्पित करें। अब उनके समश्र घी का दीपक जलाएं और भोग में तुलसी के पत्ते डालकर अर्पित करें। अंत में परिवार के साथ विष्णु जी की आरती करें। इसके बाद पंचामृत को प्रसाद के रूप में सेवन करें।
करें इस मंत्र का जाप-
शालिग्राम जी की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। इसके अलावा आप पूजा के दौरान 9 बार हरे कृष्णा भी बोल सकते हैं।
नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥
इन बातों का रखें ध्यान-
घर के जिस स्थान पर शालिग्राम जी की पूजा करते हैं, उस स्थान को हमेशा स्वच्छ और पवित्र रखें। शालिग्राम की पूजा नियमित रूप से करनी चाहिए। उनकी पूजा का क्रम कभी टूटना नहीं चाहिए। घर में केवल एक ही शालिग्राम रखना शुभ माना जाता है, वरना वास्तु दोष लग सकता है। जिस घर में शालिग्राम जी की पूजा की जाती है, वहां मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए और साथ ही अपने आचार-विचार भी शुद्ध रखने चाहिए। शालिग्राम जी पर कभी अक्षत नहीं चढ़ाने चाहिए। लेकिन चावलों को हल्दी से पीला रंगने के बाद अर्पित किया जा सकता है।
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मंगल देव ने कृत्तिका नक्षत्र में किया गोचर

Mangal Gochar : ऊर्जा के कारक मंगल देव मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं। वहीं, मकर राशि में मंगल देव उच्च के होते हैं। इसके लिए मकर राशि के जातकों पर मंगल देव की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से मकर राशि के जातकों की सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। वर्तमान समय में मकर राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है। मकर राशि के जातक साढ़े साती से बचाव के लिए हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही मंगलवार के दिन हनुमान जी के दर्शन करें। ज्योतिषियों की मानें तो ऊर्जा के कारक मंगल देव ने नक्षत्र परिवर्तन किया है। इससे राशि चक्र की कई राशियों पर शुभ प्रभाव पड़ने वाला है। आइए, इन राशियों के बारे में जानते हैं-
मंगल देव नक्षत्र परिवर्तन-
ज्योतिषियों की मानें तो मंगल देव ने 8 जुलाई को देर रात 02 बजकर 11 मिनट पर कृत्तिका नक्षत्र में गोचर किया है। इस नक्षत्र में मंगल देव 26 जुलाई तक रहेंगे। इसके अगले दिन 27 जुलाई को मंगल देव कृत्तिका नक्षत्र से निकलकर रोहिणी नक्षत्र में गोचर करेंगे। मंगल देव कृत्तिका नक्षत्र में 18 दिनों तक रहेंगे। इस दौरान मंगल देव राशि परिवर्तन भी करेंगे।
मंगल राशि परिवर्तन-
ग्रहों के सेनापति मंगल देव 12 जुलाई को संध्याकाल 6 बजकर 58 मिनट पर वृषभ राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में मंगल देव 25 अगस्त तक रहेंगे। इसके अगले दिन 26 अगस्त को वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। गोचर के दौरान मंगल देव 27 जुलाई को रोहिणी नक्षत्र और 16 अगस्त को मृगशिरा नक्षत्र में गोचर करेंगे।
मेष राशि के स्वामी मंगल देव हैं। इस राशि के जातकों पर मंगल देव की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से मेष राशि के जातकों को शुभ लाभ प्राप्त होता है। इस राशि में सूर्य देव उच्च के होते हैं। अत: मेष राशि के जातकों को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। मंगल देव के कृत्तिका नक्षत्र में गोचर करने से मेष राशि को लाभ प्राप्त होगा। वहीं, मंगल देव के राशि परिवर्तन के दौरान भी मेष राशि के जातकों को विशेष लाभ होगा।
मंगल के राशि और नक्षत्र परिवर्तन से वृश्चिक राशि के जातकों को भी लाभ प्राप्त होगा। इस राशि के जातकों पर मंगल देव की विशेष कृपा बरसती है। वर्तमान समय में गुरु वृश्चिक राशि के करियर और जीवनसाथी भाव को देख रहे हैं। अत: पार्टनरशिप में कार्य करने से सफलता मिलेगी। साथ ही मित्रों एवं परिजनों के साथ मिलकर नए काम का शुभारंभ कर सकते हैं।
मंगल देव के कृत्तिका नक्षत्र में गोचर करने से मकर राशि के जातक भी लाभान्वित होगें। इस राशि के जातकों को आगामी समय में शुभ समाचार मिल सकता है। साथ ही निवेश से लाभ होगा। अगर निवेश करना चाहते हैं, तो कृत्तिका नक्षत्र में मंगल देव के गोचर के दौरान निवेश कर सकते हैं। इस राशि के स्वामी शनिदेव हैं। अत: शनिदेव की कृपा पाने के लिए हनुमानजी की पूजा अवश्य करें।
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लाखों श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

जम्मू। पिछले नौ दिनों में 1.82 लाख से अधिक श्रद्धालु कश्मीर में पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन कर चुके हैं। 5,803 तीर्थयात्रियों का एक और जत्था सोमवार को कश्मीर के लिए रवाना हुआ। श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अधिकारियों ने कहा, “आज, 5,803 तीर्थयात्रियों का एक और समूह जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से दो सुरक्षा काफिलों में घाटी के लिए रवाना हुआ। पहला सुरक्षा काफिला, जिसमें 88 वाहन और 1,862 यात्री शामिल थे, 3.10 बजे घाटी के लिए रवाना हुआ। उत्तरी कश्मीर में बालटाल बेस कैंप के लिए, जबकि 3,941 यात्रियों का दूसरा समूह 130 वाहनों के दूसरे काफिले में सुबह 4 बजे दक्षिण कश्मीर में नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप के लिए रवाना हुआ। दूर तक तैरा।
मौसम कार्यालय दोनों मार्गों पर पूरे दिन आंशिक Partial रूप से बादल छाए रहने और कभी-कभी हल्की बारिश का अनुमान लगा रहा है। भक्त या तो पारंपरिक 48 किमी लंबे पहलगाम गुफा मंदिर मार्ग या 14 किमी लंबे बालटाल मार्ग से यात्रा करते हैं।
पहलगाम मार्ग का उपयोग करने वालों को गुफा मंदिर तक पहुंचने में चार दिन लगेंगे, जबकि बालटाल मार्ग का उपयोग करने वाले लोग गुफा मंदिर के आंतरिक भाग के दर्शन करने के बाद उसी दिन बेस कैंप लौट आएंगे।124 से अधिक लंगर (सामान्य रसोई) मार्ग और पारगमन शिविरों और गुफा मंदिरों दोनों में सुसज्जित हैं। इस वर्ष की यात्रा के दौरान 7,000 से अधिक सेवादार यात्रियों की सेवा करेंगे। दोनों मार्गों पर यात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं।
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मां त्रिपुर सुंदरी को समर्पित है गुप्त नवरात्र का तीसरा दिन

  • जानिए देवी की उत्पत्ति...
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य में स्थित मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। त्रिपुरा राज्य का नाम मां त्रिपुर सुंदरी के नाम पर रखा गया है। मां को त्रिपुर सुंदरी कहा जाता है, क्योंकि तीनों लोकों में उनसे सुंदर कोई नहीं है।
कामाख्या मंदिर की तरह ही त्रिपुर सुंदरी मंदिर भी तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। गुप्त नवरात्र में यहां देवी मां की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। आइए, जानते हैं कि देवी त्रिपुर सुंदरी की उत्पत्ति कैसे हुई थी।
51 शक्तिपीठ की कहानी-
एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अपने दामाद भगवान शिव और अपनी पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया। माता सती यज्ञ में जाना चाहती थीं, लेकिन महादेव ने उन्हें जाने से मना कर दिया। इसके बावजूद सती यज्ञ में गईं। जब सती पहुंची, तो दक्ष ने उनकी उपेक्षा की और उनके सामने महादेव को बुरा भला कहा।
सती अपने पति के बारे में कही गई बातों को बर्दाश्त नहीं कर सकीं और उन्होंने यज्ञ कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी। यहीं से सती के शक्ति बनने की शुरुआत हुई। यह सुनकर महादेव ने वीरभद्र को भेजा, जिसने दक्ष का सिर काटा। यज्ञ विध्वंस के बाद महादेव सती के शव को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूमने लगे। तब भगवान विष्णु ने महादेव का मोह तोड़ने के लिए सती को सुदर्शन चक्र से कई टुकड़ों में काट दिया। जिन स्थानों पर सती के शरीर के अंग गिरे वे स्थान शक्तिपीठ कहलाये और महादेव भी उनके साथ भैरव रूप में विराजमान रहे।
देवी त्रिपुर सुंदरी की उत्पत्ति-
भगवती त्रिपुर सुंदरी को दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है। गुप्त नवरात्र का तीसरा दिन इन्हें समर्पित होता है।
मां त्रिपुर सुंदरी का मंदिर त्रिपुरा राज्य के उदयपुर की पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर भारत के 51 महापीठों में से एक है।
इस स्थान पर माता का दाहिना चरण गिरा था। यहां मां भगवती को त्रिपुर सुंदरी के नाम से जाना जाता है और उनके साथ विराजमान भैरव को त्रिपुरेश के नाम से जाना जाता है।
माता के इस पीठ को कूर्भपीठ भी कहा जाता है। यह मंदिर तंत्र साधना के लिए बहुत प्रसिद्ध है। तंत्र-मंत्र की साधना करने वाले साधक यहां आते हैं।

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